Sunday 31 January 2021

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पेइचिंग लद्दाख में सीमा विवाद को भड़काकर चीन दिखावे के लिए लगातार शांति का राग अलाप रहा है। चीन के विदेश मंत्रालय ने फिर एक बार कहा है कि भारत के साथ द्विपक्षीय संबंधों का सीमा विवाद से कोई वास्ता नहीं है। चीन बार-बार ऐसे बयान देकर दुनिया की नजर में खुद को पाक-साफ पेश करने की कोशिश कर रहा है। हालांकि, जमीनी स्तर पर वह अब भी विवाद को हल करने के लिए कोई भी ठोस कदम नहीं उठा रहा। सीमा विवाद का द्विपक्षीय संबंधों पर असर नहीं: चीन चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियान ने भारतीय विदेश मंत्री के हाल में ही भारत चीन संबंधों पर दिए गए बयान पर कहा कि सीमा विवाद के मुद्दे को नई दिल्ली के साथ समग्र संबंधों के विकास के साथ नहीं जोड़ा जाएगा। हम भारत के साथ अपने द्विपक्षीय रिश्तों को मजबूत करने की दिशा में काम कर रहे हैं। चीनी प्रवक्ता ने यह भी कहा कि भारतीय विदेश मंत्री के बयान का महत्व हमारे द्विपक्षीय रिश्तों से जुड़ा हुआ है। क्या कहा था एस जयशंकर ने गुरुवार को चीनी अध्ययन पर 13वें अखिल भारतीय सम्मेलन को डिजिटल माध्यम से संबोधित करते हुए जयशंकर ने कहा था कि पूर्वी लद्दाख में पिछले वर्ष हुई घटनाओं ने दोनों देशों के संबंधों को गंभीर रूप से प्रभावित किया है। साथ ही उन्होंने स्पष्ट किया कि वास्तविक नियंत्रण रेखा का कड़ाई से पालन और सम्मान किया जाना चाहिए और यथास्थिति को बदलने का कोई भी एकतरफा प्रयास स्वीकार्य नहीं है। जयशंकर ने कहा था कि भारत और चीन के संबंध दोराहे पर हैं और इस समय चुने गए विकल्पों का न केवल दोनों देशों बल्कि पूरी दुनिया पर प्रभाव पड़ेगा । चीन आखिर क्या समझाना चाहता है भारत के साथ सीमा विवाद को भड़काकर चीन फंसा हुआ है। आर्थिक स्तर पर चीन ने भारत में बड़े पैमाने पर निवेश कर रखा था। हालांकि, लद्दाख में तनाव बढ़ने के बाद भारत ने एक के बाद एक चीन को आर्थिक मोर्चे पर कई झटके दिए हैं। यहां तक कि चीन के कई ऐप्स को भी भारत ने स्थायी तौर पर प्रतिबंधित कर दिया था। अब चीन चाहता है कि भारत के साथ अपने रिश्तों को सामान्य कर वह आर्थिक स्तर पर बड़े नुकसान से बच जाए। चीन को 4.9 लाख करोड़ के निर्यात की है चिंता भारत और चीन के बीच हर साल करीब 6 लाख करोड़ का द्विपक्षीय व्यापार होता है। सीमा विवाद के बाद से इस व्यापार में भारी कमी देखने को मिल रही है। चीन हर साल भारत को करीब 4.9 लाख करोड़ रुपये का निर्यात करता है। जबकि भारत चीन को केवल 1.2 लाख करोड़ का निर्यात ही कर पाता है। ऐसे में अबतक चीन फायदे में था। लेकिन निर्यात गड़बड़ाने से चीन की आर्थिक व्यवस्था पर गहरा प्रभाव देखने को मिल रहा है। भारत की दर्जनों कंपनियों में चीन का भारी निवेश चीन की कंपनियों ने भारत में दर्जनों कंपनियों ने निवेश किया है। टेंशेट ने भारत की 19 कंपनियों में, शुनवाई कैपिटल ने 16 कंपनियों में, स्वास्तिका 10 कंपनियों में, शाओमी 8 कंपनियों में, फोसुन RZ कैपिटल 6 कंपनियों में, हिलहाउस कैपिटल ग्रुप 5 कंपनियों में, एनजीपी कैपिटल 4 कंपनियों में, अलीबाबा ग्रुप 3 कंपनियों में, ऐक्सिस कैपिटल पार्टनर्स 3 कंपनियों में और BAce ने 3 कंपनियों में निवेश किया है। शायद इसी डर के कारण सरकार ने पिछले दिनों चीन से आने वाले FDI के नियम में बदलाव कर दिया है।


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