Monday 31 May 2021

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कोरोना वायरस महामारी से जूझ रहे भारत को सुपर पावर अमेरिका से लेकर छोटे से देश मॉरिसश तक ने बड़ी तादाद में वेंटिलेटर, ऑक्‍सीजन सिलेंडर और कंसंट्रेटर, दवाएं आदि मदद के रूप में दी हैं। महासंकट की इस घड़ी में जिस देश से जो बन पा रहा है, वह भारत की मदद कर रहा है। इस बीच अफ्रीकी देश केन्‍या ने भी मदद के लिए हाथ बढ़ाया और 12 टन चाय, कॉफी और मूंगफली भारत को दान में दिया। केन्‍या के उच्‍चायुक्‍त विली बेट ने कहा कि यह दान अग्रिम मोर्चे पर काम करने वाले लोगों को दिए जाने के लिये है, जो लोगों की जान बचाने के लिए घंटों काम कर रहे हैं। केन्‍या ने कहा कि इस मदद से ऐसे लोगों को 'तरोताजा करने वाला ब्रेक' मिलेगा और वे पूरे उत्‍साह से लोगों की जिंदगियां बचा सकेंगे। केन्‍या की मदद का सोशल मीडिया में काफी मजाक उड़ाया जा रहा है। कहा जा रहा है कि कोरोना को काबू में करने में असफल रहे भारत को अब चाय और मूंगफली ही दान लेना बचा था। सोशल मीडिया पर उड़ रहे मजाक से उलट हमें एक गरीब देश केन्‍या से मिली मदद को 'अनमोल' मानना चाहिए। आइए समझते हैं कि क्‍यों हमें दान नहीं बल्कि दानी का दिल देखना चाहिए....

Kenya Covid 19 Relief India: केन्‍या के भारत को चाय, कॉफी और मूंगफली दान करने पर सोशल मीडिया में खूब मजाक उड़ाया जा रहा है। हालांकि हकीकत इससे उलट है। केन्‍या के लोगों का यह प्‍यार ही है कि वे सुपरपावर अमेरिका को 14 गाय दान दे चुके हैं। आइए जानते हैं पूरी कहानी....


अमेरिका को 'गोदान'...भारत को केन्या का चाय दान, मजाक मत उड़ाइए जनाब! दानी का दिल देखिए

कोरोना वायरस महामारी से जूझ रहे भारत को सुपर पावर अमेरिका से लेकर छोटे से देश मॉरिसश तक ने बड़ी तादाद में वेंटिलेटर, ऑक्‍सीजन सिलेंडर और कंसंट्रेटर, दवाएं आदि मदद के रूप में दी हैं। महासंकट की इस घड़ी में जिस देश से जो बन पा रहा है, वह भारत की मदद कर रहा है। इस बीच अफ्रीकी देश केन्‍या ने भी मदद के लिए हाथ बढ़ाया और 12 टन चाय, कॉफी और मूंगफली भारत को दान में दिया। केन्‍या के उच्‍चायुक्‍त विली बेट ने कहा कि यह दान अग्रिम मोर्चे पर काम करने वाले लोगों को दिए जाने के लिये है, जो लोगों की जान बचाने के लिए घंटों काम कर रहे हैं। केन्‍या ने कहा कि इस मदद से ऐसे लोगों को 'तरोताजा करने वाला ब्रेक' मिलेगा और वे पूरे उत्‍साह से लोगों की जिंदगियां बचा सकेंगे। केन्‍या की मदद का सोशल मीडिया में काफी मजाक उड़ाया जा रहा है। कहा जा रहा है कि कोरोना को काबू में करने में असफल रहे भारत को अब चाय और मूंगफली ही दान लेना बचा था। सोशल मीडिया पर उड़ रहे मजाक से उलट हमें एक गरीब देश केन्‍या से मिली मदद को 'अनमोल' मानना चाहिए। आइए समझते हैं कि क्‍यों हमें दान नहीं बल्कि दानी का दिल देखना चाहिए....



​केन्‍या की मसाई जनजाति ने अमेरिका को दान दी थी 14 गाय
​केन्‍या की मसाई जनजाति ने अमेरिका को दान दी थी 14 गाय

आतंकवादी संगठन अलकायदा के अमेरिका पर 11 सितंबर को किए गए सबसे भीषण हमले के बाद पूरी दुनिया हिल सी गई थी। अमेरिका के साथ एकजुटता द‍िखाने के लिए ब्रिटेन, ऑ‍स्‍ट्रेलिया समेत कई देशों ने अलकायदा से निपटने के लिए अफगानिस्‍तान में अपनी सेना भेज दी थी। इस महासंकट के बीच केन्‍या की मसाई जनजाति ने अमेरिका के लोगों से सहानुभूति जताने के लिए 14 गाय दान में दी थी। इन गायों को लेने के लिए खुद अमेरिकी दूतावास के तत्‍कालीन उप प्रमुख विलियम ब्रानकिक पहुंचे थे। विलियम ने कहा कि मैं जानता हूं कि मसाई लोगों के लिए गाय सबसे महत्‍वपूर्ण चीज है। उन्‍होंने कहा क‍ि गाय का दान देना मसाई लोगों की अमेरिका जनता के प्रति सर्वोच्‍च सहानुभूति और परवाह को दर्शाता है। तंजानिया की सीमा पर बसे केन्‍या के गांव में आयोजित इस कार्यक्रम में मसाई लोगों ने अपने हाथों में तख्‍ती ले रखा था। इसमें ल‍िखा, 'अमेरिका के लोगों के लिए, हम ये गायें दान कर रहे हैं ताकि आपकी मदद हो सके।' मसाई लोग बिना बिजली और टेल‍िफोन के रहते थे और उन्‍हें काफी समय तक 9/11 हमले के बारे में कोई जानकारी ही नहीं थी। उन्‍हें यह भी नहीं पता था कि इतनी ऊंची इमारतें भी होती हैं।



​अमेरिका ने मसाई लोगों के दान को दिया पूरा सम्‍मान
​अमेरिका ने मसाई लोगों के दान को दिया पूरा सम्‍मान

अमेरिका ने मसाई लोगों के इस दान को पूरा सम्‍मान दिया और गायों का दान लेते समय अपना राष्‍ट्रीय गान बजाया था। इन गायों को अमेरिका नहीं ले जाया जा सका और उन्‍हें स्‍थानीय बाजार में बेच दिया गया। इस पैसे मनके खरीदे गए। मसाई लोगों की कलाकृतियों को न्‍यूयॉर्क में डिस्‍प्‍ले के लिए रखा गया। यही नहीं गाय दान करने की खबर ने अमेरिकी लोगों का भी दिल छू लिया और उन्‍होंने मसाई लोगों को धन्‍यवाद दिया। यही नहीं न्‍यूयॉर्क के कुछ लोगों ने सरकार से यहां तक मांग कर दी कि उन्‍हें दान की हुई गाय ही चाहिए। उन्‍होंने कहा कि हमें जो चीजें दान में मिली हैं, उनमें गाय सबसे अद्भुत है। इस तरह का दान अब तक किसी और ने नहीं भेजा है। उन्‍होंने कहा कि अगर मसाई लोग जूलरी देना चाहते तो वह दे सकते थे लेकिन वे चाहते थे कि हमारे यहां गाय हो। उन्‍होंने कहा कि हमें गाय को लाना चाहिए था और फिर उनके बच्‍चे होने पर फिर से मसाई लोगों को गिफ्ट कर देना चाहिए था। पूरे अमेरिका में मसाई लोगों के गाय दान करने की जमकर प्रशंसा हुई।



​गाय की रक्षा के लिए शेर से लड़ जाते हैं मसाई लोग
​गाय की रक्षा के लिए शेर से लड़ जाते हैं मसाई लोग

तंजानिया में तैनात वाराणसी के भूगर्भ वैज्ञानिक रत्नेश पांडे के मुताबिक अफ्रीका के केन्‍या और तंजानिया में पाई जाने वाली मसाई जनजाति पिछले पांच हजार साल से पुरातन तौर-तरीकों के साथ रह रही हैं। यही नहीं, ये आज भी उसी तरह के पर्यावरण और माहौल में रहने की अभ्यस्त हैं। इन समूहों का मुख्य पेशा गायों का पालन है और इसी के इर्द-गिर्द इनकी अर्थव्यवस्था घूमती है। यहां तक कि ये बहादुर लोग जंगलों में अपनी गायों की रक्षा के लिए जंगली शेर और चीते जैसे खूंखार जानवरों से भी लड़ जाते हैं। बिना किसी हथियार के इन खूंखार जानवरों को मार डालते हैं। अफ्रीकन मसाई जनजाति के लोग बहुत बहादुर होते हैं। ये लोग कभी-कभी बिना किसी हथियार के ही जंगली शेरों को मार गिराते हैं। कई बार मसाई योद्धा भूखे होने पर शेरों के मुंह से उसका निवाला भी छीन लेते हैं। अकसर जंगल मे मसाई जनजाति के योद्धा जंगली शेरों पर नजर रखते हैं और जब कोई शेर या शेरों का समूह किसी जंगली भैंस, जिराफ, हाथी आदि का शिकार करता है तो मसाई योद्धा उन शेरों को भगा देते हैं और शेरों के उस निवाले को उठा ले जाते हैं। अपने समुदाय में उसका बंटवारा कर देते है।



​शादी का वादा...बिना हथियार करते हैं शेर का शिकार
​शादी का वादा...बिना हथियार करते हैं शेर का शिकार

मसाई लोगों के रीति-रिवाज भी बहादुरी पर ही आधारित हैं। इस जनजाति के उन्हीं पुरुषों को लोग अपनी बेटियां शादी के लिए सौंपते हैं जो जंगलों में जाकर बिना किसी हथियार के कम से कम एक शेर का खात्मा करते हैं। हालांकि, आजकल सरकार इनके इलाकों में जाकर इन्हें शिक्षित कर रही है कि ये लोग परंपरा के नाम पर जंगली जानवरों की हत्या ना करें। इससे अब काफी हद तक इस प्रथा पर अंकुश लग चुका है। अभी भी विवाह के लिए लड़का पक्ष कम से कम 30 गायों को लड़की पक्ष को उपहार के तौर पर देता है। उसके बाद ही लड़की पक्ष वाले अपनी लड़की का विवाह लड़केवाले के परिवार में करते हैं। मसाई जनजाति की औरतें अपनी कमर के नीचे के हिस्से को कपड़े से ढकती हैं लेकिन कमर का ऊपरी हिस्सा खुला रहता है। ये महिलाएं जब अपनी सखी-सहेलियों से मिलती हैं तो वे एक-दूसरे पर थूकती हैं। यह खास तरीका उनकी संस्कृति में प्यार और सम्मान जताने का प्रतीक होता है। सिर्फ यही नहीं, यहां के लोग नवजात बच्चों को आशीर्वाद भी थूककर ही देते हैं। बेटियों की शादी में पिता उनके माथे पर थूकते हैं। आमतौर पर लोग भी हाथ पर थूकने के बाद सामने वाले से हाथ मिलाते हैं।





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रियाद सऊदी अरब की मस्जिदों में अजान के दौरान लाउडस्पीकर की आवाज कम करने के आदेश से देश में विवाद भड़क उठा है। इस आदेश से जहां मुस्लिम कट्टरपंथी भड़क उठे हैं, वहीं आम जनता ने इसका स्‍वागत किया है। इससे पहले पिछले सप्‍ताह आए सर्कुलर में कहा गया था कि सऊदी अरब की मस्जिदों में अजान के दौरान लाउडस्‍पीकर की आवाज अधिकतम आवाज का एक तिहाई ही होना चाहिए। यही नहीं आदेश में यह भी कहा गया है कि अजान शुरू करने का संकेत देने के बाद लाउडस्‍पीकर को बंद कर देना चाहिए। सऊदी सरकार ने कहा कि पूरी नमाज को लाउडस्‍पीकर पर सुनाने की कोई जरूरत नहीं है। इस आदेश के बाद सऊदी अरब और मुस्लिम देशों में सोशल मीडिया पर विवाद गरम हो गया है। मुस्लिम कट्टरपंथियों ने अब रेस्‍त्रां और कैफे के अंदर तेज आवाज बंद करने का हैशटैग ट्रेंड कराना शुरू कर दिया है। 'तेज आवाज से बच्‍चों की नींद प्रभावित होती है' सोशल मीडिया पर इस अभियान के बाद दबाव में आई सऊदी सरकार ने सफाई दी है। सऊदी अरब के इस्‍लामिक मामलों के मंत्री अब्‍दुललतीफ अल शेख ने कहा कि कई परिवारों ने श‍िकायत की थी कि नमाज के तेज आवाज में काफी देर तक प्रसारित होने की वजह से उनके बच्‍चों की नींद प्रभावित होती है। उन्‍होंने कहा कि जिन लोगों को अजान पढ़ना है, उन्‍हें इमाम के अजान पढ़ने के आह्वान का इंतजार करने की कोई जरूरत नहीं है। माना जा रहा है कि सऊदी अरब में यह बदलाव सार्वजनिक जीवन में धर्म की भूमिका को लेकर प्र‍िंस मोहम्‍मद बिन सलमान की ओर से किए जा रहे सुधार का हिस्‍सा है। मोहम्‍मद सलमान ने कई सामाजिक प्रतिबंधों में ढील दी है। रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक अभी यह कहना जल्‍दीबाजी होगी कि आवाज कम करने के आदेश का सऊदी अरब की मस्जिदों पर कितना असर पड़ेगा। रियाद में रहने वाले कुछ लोगों ने बताया कि कई मस्जिदों में लाउडस्‍पीकर की आवाज कम कर दी गई है। 'घृणा को भड़काना चाहते हैं आलोचना करने वाले' सऊदी अरब के कई लोगों ने इस फैसले का स्‍वागत किया है। हालांकि उन्‍होंने यह भी कहा कि सरकार को रेस्‍त्रां और अन्‍य जगहों पर भी लाउडस्‍पीकर की आवाज को कम करना चाहिए। उधर, मंत्री शेख ने कहा कि इस आदेश की आलोचना वे लोग कर रहे हैं जो घृणा को भड़काना चाहते हैं ताकि समस्‍या पैदा हो। ऐसे लोग सऊदी अरब के दुश्‍मन हैं।


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टोरंटो अंतर‍िक्ष में खतरनाक तरीके से बढ़ रहे मलबे का असर अब साफ तौर पर दिखाई देने लगा है। पृथ्‍वी की कक्षा में चक्‍कर लगा रहे अंतरराष्‍ट्रीय अंतरिक्ष स्‍टेशन से एक छोटा सा मलबा टकरा गया। कनाडाई अंतरिक्ष एजेंसी के मुताबिक स्‍पेस स्‍टेशन की रोबोटिक भुजा से यह मलबा टकराया। इससे रोबोटिक भुजा को नुकसान पहुंचा है और यह बाहर से स्‍पष्‍ट रूप से दिखाई दे रहा है। स्‍पेस एजेंसी ने अपने ब्‍लॉग पोस्‍ट में कहा कि मलबे के टकराने से रोबोटिक भुजा के एक छोटे से हिस्‍से और थर्मल ब्‍लैंकेट को नुकसान पहुंचा है। उसने बताया कि 12 मई को सामान्‍य जांच के दौरान पहली बार उन्‍हें घटना के बारे में पता चला। उसने बताया कि जांच के दौरान इस टक्‍कर का कोई खास असर नहीं दिखाई दिया और रोबोटिक भुजा सामान्‍य तरीके से काम कर रही है। अंतर‍िक्ष में यह घटना ऐसे समय पर हुई है जब वहां पर मलबे का स्‍तर बेहद खतरनाक तरीके से बढ़ता जा रहा है। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के मुताबिक अंतरिक्ष में मलबे के 27 हजार टुकड़ों पर नजर रखी जा रही है। इतनी निगरानी के बाद भी अभी कई ऐसे टुकड़े अंतरिक्ष में तैर रहे हैं जिनके छोटे होने की वजह से निगरानी नहीं रखी जा पा रही है लेकिन उनसे इंसानों की उड़ानों और रोबोटिक मिशन को खतरा पैदा हो सकता है। क्या होता है अंतरिक्ष मलबा दरअसल, मलबा और अंतरिक्ष यान दोनों ही बहुत तेज रफ्तार से यात्रा कर रहे होते हैं और ऐसे में अगर किसी छोटे से टुकड़े से भी टक्‍कर होती है तो परिणाम भयानक हो सकते हैं। अंतरिक्ष मलबा दो प्रकार का होता है। पहला- मानव निर्मित और दूसरा प्राकृतिक। मानव निर्मित अंतरिक्ष मलबे का मतलब ऐसे टुकड़ों से है जो मानव द्वारा भेजे गए स्पेसक्राफ्टस या सैटेलाइट्स के निष्क्रिय हो जाने के बाद गुरुत्वाकर्षण के कारण धरती का चक्कर लगाते रहते हैं। वहीं, प्राकृतिक मलबा छुद्रग्रह, धूमकेतु और उल्कापिंड को कहते हैं।


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जिनेवा भारत में पहली बार मिले कोरोना वायरस के वैरियंट का नाम डेल्टा रखा गया है। इतना ही नहीं, भारत में मिले दूसरे वैरियंट को कप्पा के नाम से जाना जाएगा। ने कोरोना के इन दोनों नामों का ऐलान करते हुए कहा कि ग्रीक अक्षरों का उपयोग करते हुए यह नामांकरण किया गया है। वैरियंट्स के पुराने वैज्ञानिक नाम नहीं बदलेंगे डब्लूएचओ ने कहा कि कोविड वैरियंट्स के ये नए नाम मौजूदा वैज्ञानिक नामों में परिवर्तन नहीं करेंगे। वे नाम पहले की तरह ही भविष्य के भी वैज्ञानिक अनुसंधान के लिए प्रयोग किए जाते रहेंगे। दरअसल, वैज्ञानिक नाम पूरी दुनिया में एक ही होता है जो उसकी विशेषताओं के आधार पर रखे जाते हैं। कोरोना स्ट्रेन को किसी देश के साथ जोड़ने पर WHO को एतराज डब्लूएचओ के कोविड-19 के तकनीकी विभाग की प्रमुख डॉ मारिया वान केरखोव ने कहा कि किसी भी देश को कोरान स्ट्रेन को लेकर कलंकित नहीं किया जाना चाहिए। डब्लूएचओ की यह सलाह दरअसल कुछ दिनों पहले दुनियाभर के अलग-अलग देशों में मिले कोविड-19 के वैरियंट्स को उन देशों से जुड़ने के बाद आई है। इन नामों को लेकर भारत समेत कई देश आपत्ति जता चुके हैं। भारत में मिले कोरोना वैरियंट्स के वैज्ञानिक नाम भारत में मिले कोरोना वैरियंट्स के वैज्ञानिक नाम B.1.617 और B.1.618 हैं। इसमें B.1.617 वैरियंट सबसे पहले पाया गया था। इसे डबल म्यूटेंट स्ट्रेन भी कहा गया था। कोरोना के इसी वैरियंट का नाम डेल्टा रखा गया है। इसके अलावा B.1.618 वैरियंट को कप्पा के नाम से जाना जाएगा। ओरिजिनल वेरिएंट की तुलना में अधिक संक्रामक हैं ये वैरियंट यह वेरिएंट वायरस के ओरिजिनल वेरिएंट की तुलना में अधिक आसानी से फैल रहा है। कोरोना पर काम कर रही डब्ल्यूएचओ की वैज्ञानिक मारिया वान केरखोव ने कहा था कि कोरोना का B.1.617 वेरिएंट का संक्रमण तेजी से फैल रहा है, इसकी जानकारी उपलब्ध हैं। डब्ल्यूएचओ के अनुसार भारत के B.1.617 वैरिएंट वायरस की संक्रमण क्षमता बहुत ज्यादा है।


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लद्दाख के गलवान वैली में जून 2020 में चीनी के सेना के साथ हुई झड़प के बाद से अबतक लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल पर एक असहज शांति बनी हुई है। अभी भी भारत चीन सीमा पर कई ऐसे पॉइंट्स मौजूद हैं, जहां भारतीय और चीनी सेना आमने-सामने डटी हुई हैं। उधर, लद्दाख के इस अशांत इलाके में जैसे-जैसे बर्फ पिघल रही है, वैसे-वैसे चीनी सेना अपनी मौजूदगी बढ़ा रही है। पिछले साल ठंड की शुरूआत में दोनों देशों की सेनाओं ने कोर कमांडर मीटिंग में बनी सहमति के बाद पैंगोंग त्सो झील के दोनों किनारों से अपने-अपने सैनिकों को हटा लिया था। इस झील के दक्षिणी किनारे पर भारतीय सेना को महत्वपूर्ण रणनीतिक बढ़त हासिल थी। भारत ने तब उम्मीद की थी कि शायद चीन गोगरा-हॉटस्प्रिंग, डेपसांग और डोकलाम से अपने सैनिकों को वापस बुला ले, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। अब एलएसी पर चीनी सेना की फिर से बढ़ती गतिविधियों ने भारत की चिंता को बढ़ा दिया है। जिसके बाद भारत ने भी के-9 वज्र जैसे कई अत्याधुनिक हथियारों को इस क्षेत्र में तैनात कर दिया है। जानिए भारतीय सेना के हथियारों के सामने चीन की क्या है तैयारी?

लद्दाख के गलवान वैली में जून 2020 में चीनी के सेना के साथ हुई झड़प के बाद से अबतक लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल पर एक असहज शांति बनी हुई है। अभी भी भारत चीन सीमा पर कई ऐसे पॉइंट्स मौजूद हैं, जहां भारतीय और चीनी सेना आमने-सामने डटी हुई हैं।


लद्दाख में बर्फ पिघलते ही ऐक्शन में PLA, जानें भारत के इन हथियारों के सामने चीन की क्या तैयारी?

लद्दाख के गलवान वैली में जून 2020 में चीनी के सेना के साथ हुई झड़प के बाद से अबतक लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल पर एक असहज शांति बनी हुई है। अभी भी भारत चीन सीमा पर कई ऐसे पॉइंट्स मौजूद हैं, जहां भारतीय और चीनी सेना आमने-सामने डटी हुई हैं। उधर, लद्दाख के इस अशांत इलाके में जैसे-जैसे बर्फ पिघल रही है, वैसे-वैसे चीनी सेना अपनी मौजूदगी बढ़ा रही है। पिछले साल ठंड की शुरूआत में दोनों देशों की सेनाओं ने कोर कमांडर मीटिंग में बनी सहमति के बाद पैंगोंग त्सो झील के दोनों किनारों से अपने-अपने सैनिकों को हटा लिया था। इस झील के दक्षिणी किनारे पर भारतीय सेना को महत्वपूर्ण रणनीतिक बढ़त हासिल थी। भारत ने तब उम्मीद की थी कि शायद चीन गोगरा-हॉटस्प्रिंग, डेपसांग और डोकलाम से अपने सैनिकों को वापस बुला ले, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। अब एलएसी पर चीनी सेना की फिर से बढ़ती गतिविधियों ने भारत की चिंता को बढ़ा दिया है। जिसके बाद भारत ने भी के-9 वज्र जैसे कई अत्याधुनिक हथियारों को इस क्षेत्र में तैनात कर दिया है। जानिए भारतीय सेना के हथियारों के सामने चीन की क्या है तैयारी?



भारत को कोरोना में फंसा देख सीमा पर चीन ने रची साजिश
भारत को कोरोना में फंसा देख सीमा पर चीन ने रची साजिश

भारत जब कोरोना वायरस के भीषण कहर से जूझ रहा था, तब चीन ने पीपुल्स लिबरेशन आर्मी की वेस्टर्न थिएटर कमांड को पुनर्गठित किया। जिसमें भारत से जुड़ी सीमा की सुरक्षा में तैनात शिनजियांग मिलिट्री डिस्ट्रिक्ट को नए लड़ाकू विमान, तोप, टैंक, रॉकेट सिस्टम जैसे घातक हथियारों से लैस किया गया। परंपरागत रूप से ताइवान के साथ तनाव की तुलना में चीन इस क्षेत्र को ज्यादा अहमियत नहीं देता था, लेकिन अब परिस्थितियां तेजी से बदली हैं। गलवान सैन्य संघर्ष के बाद पीपुल्स लिबरेशन आर्मी ने शिनजियांग सैन्य जिले को तेजी से अपग्रेड किया है। इतना ही नहीं, चीन ने इस इलाके में सेना की कमान संभालने वाले कमांडर को भी बदल दिया है। अब चीनी सेना के सबसे खूंखार मानी जाने वाली एलीट 13वीं ग्रुप आर्मी के कमांडर रहे लेफ्टिनेंट जनरल वांग काई को यह जिम्मेदारी सौंपी गई है। इस एलीट फोर्स को टाइगर्स इन द माउंटेंस के नाम से जाना जाता है, जो पहाड़ी क्षेत्रों में लड़ाई करने में पारंगत है। जिसके बाद से यह अंदेशा जताया जाने लगा है कि चीन कहीं फिर से भारत के साथ धोखा करने प्लान तो नहीं बना रहा।



भारत के के-9 वज्र के जवाब में चीन ने तैनात किया PCL-181
भारत के के-9 वज्र के जवाब में चीन ने तैनात किया PCL-181

भारतीय सेना ने तीन दिन पहले ही दक्षिण कोरिया की तकनीकी पर बनी के-9 वज्र सेल्फ प्रोपेल्ड होवित्जर की लद्दाख में तैनाती वाली तस्वीर जारी की है। चीन ने भी इसके जवाब में पहले से ही 155 एमएम कैलिबर की PCL-181 सेल्फ प्रोपेल्ड होवित्जर तैनात कर रखा है। चीनी मीडिया का दावा है कि कुछ दिनों पहले इसके भी एक उन्नत संस्करण को लद्दाख के पास तैनात किया गया है। यह होवित्जर 122 मिमी-कैलिबर का बताया जा रहा है। K9 वज्र सेना के तोपखाने में शामिल पहली सेल्फ प्रोपेल्ड गन है। यानी इसे ढोने के लिए किसी दूसरे वाहन की जरूरत नहीं पड़ती। यह खुद एक जगह से दूसरी जगह जा सकती है। यह कमजोर जमीन पर धंसती नहीं है और टैंक के साथ-साथ आगे बढ़ती है। 155 एमएम/52 कैलिबर की यह तोप 30 सेकंड में तीन गोले दाग सकती है। इसकी रेंज 38 किलोमीटर तक है।

तस्वीर-भारत का के9 वज्र



भारत के पिनाका के सामने चीन का PHL-03 रॉकेट लॉन्चर
भारत के पिनाका के सामने चीन का PHL-03 रॉकेट लॉन्चर

चीन ने एलएसी पर PHL-03 लॉन्ग-रेंज मल्टीपल रॉकेट लॉन्चर सिस्टम को तैनात किया है। चीनी मीडिया सीसीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार, नए PHL-03 मल्टीपल रॉकेट लॉन्चर्स की 10 यूनिट को लद्दाख के नजदीक तैनाती की गई है। इसके प्रत्येक यूनिट में चार क्रू मेंबर शामिल हैं। इसमें 300 एमएम के 12 लॉन्चर ट्यूब लगे हुए हैं। जबकि, इसके जवाब में भारत की तरफ से पिनाका मल्टी बैरल रॉकेट लॉन्चर सिस्टम को तैनात किया गया है। पिनाका मूल रूप से मल्‍टी-बैरल रॉकेट सिस्‍टम है। इससे सिर्फ 44 सेकेंड्स में 12 रॉकेट दागे जा सकते हैं। पिनाका सिस्‍टम की एक बैटरी में छह लॉन्‍च वीकल होते हैं, साथ ही लोडर सिस्टम, रडार और लिंक विद नेटवर्क सिस्‍टम और एक कमांड पोस्‍ट होती है। एक बैटरी के जरिए 1x1 किलोमीटर एरिया को पूरी तरह ध्‍वस्‍त किया जा सकता है। मार्क-I की रेंज करीब 40 किलोमीटर है जबकि मार्क-II से 75 किलोमीटर दूर तक निशाना साधा जा सकता है। पिनाक रॉकेट का मार्क-II वर्जन एक गाइडेड मिसाइल की तरह बनाया गया है। इसमें नेविगेशन, कंट्रोल और गाइडेंस सिस्‍टम जोड़ा गया है ताकि रेंज बढ़ जाए और सटीकता भी। मिसाइल का नेविगेशन सिस्‍टम सीधे इंडियन रीजनल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्‍टम से जोड़ा गया है। ताजा अपग्रेड्स के साथ, मार्क-II 'नेटवर्क केंद्र‍ित युद्ध' में अहम भूमिका निभा सकता है।

तस्वीर- चीन का पीएचएल-03 रॉकेट



चीनी लाइट टैंक के जवाब में भारत ने तैनात किया भारी-भरकम भीष्म
चीनी लाइट टैंक के जवाब में भारत ने तैनात किया भारी-भरकम भीष्म

चीन ने लद्दाख में टाइप-15 लाइट टैंक को तैनात किया हुआ है। ये टैंक पठारी क्षेत्रों में तेजी से प्रतिक्रिया कर लड़ाई को घातक बना सकते हैं। शिनजियांग और तिब्बत दोनों सैन्य कमान अब इन हल्के टैंकों का संचालन कर रहे हैं। भारत ने लद्दाख में जिन T-90 टैंकों की तैनाती की हैं, वे मूल रूस से रूस में बने हैं। भारत टैंकों का तीसरा सबसे बड़ा ऑपरेटर है। उसके बेड़े में करीब साढ़े 4 हजार टैंक (T-90 और उसके वैरियंट्स, T-72 और अर्जुन) हैं। भारत में इन टैंकों को 'भीष्‍म' नाम दिया गया है। इनमें 125mm की गन लगती होती है। T-72 को भारत में 'अजेय' कहा जाता है। भारत में ऐसे करीब 1700 टैंक हैं। यह बेहद हल्‍का टैंक है जो 780 हॉर्सपावर जेनेरेट करता है। यह न्‍यूक्लियर, बायोलॉजिकल और केमिकल हमलों से बचने के लिए भी बलाया गया है। यह 1970 के दशक में भारतीय सेना का हिस्‍सा बना था। 'अजेय' में 125 एमएम की गन लगी है। साथ ही इसमें फुल एक्‍सप्‍लोसिव रिऐक्टिव आर्मर भी दिया गया है।

तस्वीर-भारत का टी-90 भीष्म



भारत के चिनूक के जवाब में चीन का Z-20 ट्रांसपोर्ट हेलिकॉप्टर
भारत के चिनूक के जवाब में चीन का Z-20 ट्रांसपोर्ट हेलिकॉप्टर

चीन ने भारत के चिनूक ट्रांसपोर्ट हेलिकॉप्टर के जवाब में अपने Z-20 हेलिकॉप्टर को तैनात किया है। चीन का दावा है कि यह हेलिकॉप्‍टर किसी भी मौसम में सैनिकों और सैन्‍य साजो सामान को पहुंचा सकता है। इसके अलावा Z-8G विशाल ट्रांसपोर्ट हेलिकॉप्‍टर तैनात किया गया है। यह हेलिकॉप्‍टर 4500 फुट की ऊंचाई पर भी काम कर सकता है। चीनी समाचार पत्र ग्लोबल टाइम्स ने बताया कि पीएलए ने हथियारों से लैस GJ-2 ड्रोन निगरानी विमान को तिब्‍बत में तैनात कर रखा है। इसे पूरे तिब्‍बत में निगरानी के लिए इस्‍तेमाल क‍िया जा सकता है।

तस्वीर-चीन का जे-20 ट्रांसपोर्ट हेलिकॉप्टर



भारत ने अपाचे तो चीन ने तैनात की जेड-10 ए अटैक हेलिकॉप्टर
भारत ने अपाचे तो चीन ने तैनात की जेड-10 ए अटैक हेलिकॉप्टर

भारत के अपाचे के जवाब में चीन ने लद्दाख में जेड-10 ए अटैक हेलिकॉप्टर को तैनात किया हुआ है। पिछले साल चीन ने इस हेलिकॉप्टर के लाइव फायर ड्रिल को भी आयोजित किया था। जेड-10 ए अटैक हेलिकॉप्टर को चाइना एयरक्राफ्ट इंडस्ट्रियल ग्रुप और चाइना हेलीकॉप्टर रिसर्च एंड डेवलपमेंट इंस्टीट्यूट ने विकसित किया है। जबकि इस हेलिकॉप्टर का निर्माण चांगे एयरक्राफ्ट इंडस्ट्रीज कॉरपोरेशन ने किया है। जेड-10 हेलिकॉप्टर को मुख्य रूप से दुश्मन के इलाके में घुसकर हमला करने के लिए विकसित किया गया है। जो एंटी टैंक और एयर टू एयर मिसाइलों से लैस है। इस हेलिकॉप्टर को चीन ने पहली बार 2003 में प्रदर्शित किया था। इस हेलिकॉप्टर में गनर आगे की सीट पर जबकि पायलट पीछे की सीट पर बैठा रहता है। पायलट और गनर को बचाने के लिए हेलिकॉप्टर में बुलेट प्रूफ ऑर्मर का भी इस्तेमाल किया गया है। जिसमें बैठा गनर 20 एमएम या 30 एमएम की ऑटो कैनन गन से दुश्मनों पर फायर कर सकता है। इसमें आठ की संख्या में एजजे-10 एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल और आठ टीवाई-19 एयर टू एयर मिसाइलें भी लगी होती हैं। इसके अलावा चार पीएल-5, पीएल-7 और पीएल-9 एयर टू एयर मिसाइलें भी तैनात होती हैं।

तस्वीर-चीन का जेड-10 अटैक हेलिकॉप्टर





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लंदन ब्रिटेन में दुर्लभ प्रजाति की दो झींगा मछलियों (लॉबस्टर) के मिलने से वैज्ञानिकों में खासा उत्साह है। इस प्रजाति के झींगा करोड़ो में एक होते हैं। ये झींगा मछलियां ब्रिटेन के लैंडलॉक काउंटी में एक मछुआरे को मिली हैं। जो जानकारी के अभाव में इन्हें बेचने के लिए सी फूड मार्केट लेकर पहुंचा था। इस दुर्लभ झींगे की पहचान उस मॉर्केट में खरीदारी करने पहुंचे एक कैटरर ने की। ऑरेंज कैनेडियन लॉबस्टर देख चौंके खरीदार 47 साल के कैटरर जोसेफ ली लैंडलॉक काउंटी के मैक्रो होलसेल मॉर्केट में खरीदारी के लिए पहुंचे थे। अचानक उन्हें एक मछली विक्रेता के पास ऑरेंज कलर के दो कैनेडियन लॉबस्टर दिखाई दिए। ये इतने दुर्लभ होते हैं कि 3 करोड़ झींगों में से केवल एक को ही पकड़ा जाता है। उनमें से दो नारंगी रंग के झींगों को एक साथ देखना भी एक अत्यंत दुर्लभ मौका है। मछुआरे ने मछलीघर को दान दिया जोसेफ ने इन झींगों को देखकर उस मछुआरे से संपर्क कर उसे न बेंचने के लिए मनाया। यह मछुआरा इन झींगों को 25.50 पाउंड (2628.86 रुपये) में बेचना चाहता था। जोसेफ की सलाह के बाद इस मछुआरे ने इन दुर्लभ झींगों को एक मछलीघर को दान में दे दिया। कच्चे झींगों का नारंगी दिखना दुर्लभ जोसेफ ने कहा कि मैं अपने कैटरिंग बिजनेस के लिए अपनी सामान्य खरीदारी करने गया था। मैंने इन दो नारंगी झींगा मछलियों को दूर से देखा और सोचा कि वे खिलौने हैं, क्योंकि केवल यही ऐसा मौका है जब मैंने उन्हें पकाए जाने के अलावा नारंगी रंग में देखा है। मुझे पता था कि वे बेंचने के लिए पके हुए झींगे को नहीं रखेंगे, क्योंकि आपको झींगा मछलियों को एक विशेष टैंक में सात डिग्री सेंटीग्रेड से नीचे बहते पानी में रखने की जरूरत होती है। एक साथ दो दुर्लभ झींगों को देख लोग भी हैरान उन्होंने कहा कि मैंने सोचा था कि कोई मजाक कर रहा है और टैंक में कुछ नारंगी ट्वॉय लॉबस्टर डाल दिया है। मैं करीब गया और देखा कि वे जीवित थे। मुझे अपनी आंखों पर विश्वास नहीं हो रहा था। मैं दस साल से मैक्रों जा रहा हूं और खुद एक मछुआरा रहा हूं, लेकिन मैंने पहले कभी ऐसा कुछ नहीं देखा। टैंक में सिर्फ एक नहीं बल्कि दो ऐसे झींगों का होना अकल्पनीय है।


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मेलबर्न भारत में सीरम इंस्टीट्यूट की कोविशील्ड वैक्सीन को लगवाने की गाइडलाइन में सरकार बार-बार बदलाव कर रही है। यही कारण है कि लोगों में वैक्सीनेशन को लेकर खासा असमंजस है। कोरोना वायरस के नए स्ट्रेन और वैक्सीन की आपूर्ति में बाधा के बीच बहुत से लोग यह सोच रहे हैं कि क्या वे कोविड-19 की अलग-अलग वैक्सीन को मिक्स एंड मैच करके ले सकते हैं। इसका मतलब यह है कि कोई व्यक्ति पहली खुराक के रूप में एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन और दूसरी खुराक के रूप में फाइजर की वैक्सीन ले सकते हैं या नहीं। इतना ही नहीं, कई लोगों के मन में यह सवाल भी है कि क्या बूस्टर डोज के रूप में किसी और कंपनी की वैक्सीन लगवाई जा सकती है? लोगों के मन में उठ रहे ऐसे ही कई सवालों के जवाब मेलबर्न विश्वविद्यालय के फियोना रसेल और मर्डोक चिल्ड्रन रिसर्च इंस्टीट्यूट के जॉन हार्ट ने द कन्वरसेशन में दिया। उन्होंने बताया कि इसे लेकर चल रहे कई अध्ययन के बीच, हाल ही में स्पेन और ब्रिटेन में वैक्सीन को मिला जुलाकर लेने से जुड़े आंकड़े जारी किए गए हैं और यह आंकड़े बहुत आशाजनक हैं, और बताते हैं कि मिक्स एंड मैच शेड्यूल एक ही टीके की दो खुराक की तुलना में उच्च एंटीबॉडी स्तर दे सकता है। ऑस्ट्रेलिया के औषधि नियामक, थेरेप्यूटिक गुड्स एडमिनिस्ट्रेशन (टीजीए) ने अभी तक मिक्स एंड मैच कोविड-19 टीकाकरण कार्यक्रम को मंजूरी नहीं दी है, कुछ देश पहले से ही ऐसा कर रहे हैं। तो यह कैसे काम करता है, और यह एक अच्छा विचार क्यों हो सकता है? दो वैक्सीन को लेने से क्या फायदा? अगर कोविड-19 के वैक्सीनेशन कार्यक्रम में वैक्सीन के मिश्रण की इजाजत हो तो इससे सुविधा बढ़ेगी और एक सुविधाजनक टीकाकरण कार्यक्रम होने से हम वैश्विक आपूर्ति बाधाओं का सामना करने में सक्षम होंगे। यदि एक टीके की कमी है, तो आपूर्ति के लिए प्रतीक्षा करने के लिए पूरे कार्यक्रम को रोकने के बजाय, कार्यक्रम एक अलग टीके के साथ जारी रख सकते हैं, भले ही किसी को पहली खुराक के रूप में कोई भी टीका दिया गया हो। यदि एक टीका वायरस के एक निश्चित प्रकार के खिलाफ दूसरे की तुलना में कम प्रभावी है, तो मिक्स एंड मैच शेड्यूल यह सुनिश्चित कर सकता है कि जिन लोगों को पहले से ही कम प्रभावी टीके की एक खुराक मिली है, उन्हें एक वैक्सीन के साथ बूस्टर मिल सकता है जो कि वायरस के उस संस्करण के खिलाफ अधिक प्रभावी है। कुछ देश पहले से ही मिक्स एंड मैच वैक्सीन शेड्यूल का उपयोग कर रहे हैं, क्योंकि एस्ट्राजेनेका वैक्सीन के बारे में सिफारिशों को बदलने के बाद खून के थक्के जमने/खून बहने की स्थिति का एक बहुत ही दुर्लभ दुष्प्रभाव है। यूरोप के कई देश अब युवाओं को सलाह दे रहे हैं कि इस वैक्सीन की पहली खुराक लेने के बाद अब उन्हें दूसरी खुराक के रूप में एक वैकल्पिक टीका लेना चाहिए, आमतौर पर फाइजर जैसा एमआरएनए टीके। जर्मनी, फ्रांस, स्वीडन, नॉर्वे और डेनमार्क उन देशों में शामिल हैं जो इस कारण से मिश्रित टीकाकरण कार्यक्रम की सलाह दे रहे हैं। क्या दो वैक्सीन को मिलाकर लेना सुरक्षित है? मई में प्रसिद्ध साइंस जर्नल द लैंसेट में प्रकाशित यूके मिक्स एंड मैच स्टडी में, 50वर्ष से अधिक उम्र के 830 वयस्कों को पहले फाइजर या एस्ट्राजेनेका के टीके लगाने के लिए औचक रूप से चुना गया, फिर बाद में दूसरा टीका लगाया गया। इस प्रयोग के बाद यह पाया गया कि जिन लोगों ने मिश्रित वैक्सीन ली, उनमें एक ही तरह की दोनो वैक्सीन लेने के बाद के प्रभावों की गैर मानक अनुसूची के मुकाबले टीके की दूसरी खुराक के बाद हल्के से मध्यम लक्षण विकसित होने की संभावना अधिक थी, जिसमें इंजेक्शन स्थल पर ठंड लगना, थकान, बुखार, सिरदर्द, जोड़ों में दर्द, अस्वस्थता, मांसपेशियों में दर्द शामिल थे। हालांकि, ये प्रतिक्रियाएं अल्पकालिक थीं और कोई अन्य सुरक्षा चिंताएं नहीं थीं। शोधकर्ता अब यह जानने का प्रयास कर रहे हैं कि क्या पेरासिटामोल के शुरुआती और नियमित उपयोग से इन प्रतिक्रियाओं की आवृत्ति कम हो जाती है। स्पेन में एक अन्य समान अध्ययन (जिसकी अभी समीक्षा नहीं की गई) में पाया गया कि अधिकांश दुष्प्रभाव हल्के या मध्यम और अल्पकालिक (दो से तीन दिन) थे, और एक ही टीके की दो खुराक लेने से होने वाले दुष्प्रभावों के समान थे। क्या यह प्रभावी है? स्पेन के अध्ययन में पाया गया कि एस्ट्राजेनेका की प्रारंभिक खुराक के बाद, फाइजर बूस्टर प्राप्त करने के 14 दिनों के बाद लोगों में एंटीबॉडी का स्तर काफी अधिक था।ये एंटीबॉडी लैब टेस्ट में कोरोनावायरस को पहचानने और निष्क्रिय करने में सक्षम थे। पहले के परीक्षण के आंकड़ों के अनुसार, एस्ट्राजेनेका वैक्सीन की दो खुराक प्राप्त करने के मुकाबले फाइजर बूस्टर की यह प्रतिक्रिया अधिक असरकारक प्रतीत होती है। फाइजर के बाद एस्ट्राजेनेका लेने की प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया अभी ज्ञात नहीं है, लेकिन ब्रिटेन के पास जल्द ही इस संयोजन के परिणाम भी उपलब्ध होंगे। कोविड-19 को रोकने में मिक्स एंड मैच शेड्यूल कितने प्रभावी हैं, इस पर अभी तक कोई आंकड़ा उपलब्ध नहीं है। लेकिन संभावना है कि इसके परिणाम अच्छे ही होंगे।


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ब्रिटेन कोरोना संकट ने आम आदमी को इस कदर परेशान कर दिया है कि पूरी दुनिया में लोगों को मुस्कुराने के लिए अब कारण खोजना पड़ रहा है। हममें से ज्यादातर लोगों को पिछले 12 महीनों के दौरान एक अच्छी सी मुस्कुराहट और खुलकर ठहाके लगाने की जरूरत महसूस होती रही। यही वजह है कि पहले लॉकडाउन के समय पर नेटफ्लिक्स पर डरावनी फिल्मों की तलाश करने वालों की संख्या में गिरावट आई और अब स्टैंड-अप कॉमेडी से जुड़े कार्यक्रमों के दर्शकों में भारी उछाल देखा गया। मजाक उड़ाने वाले सोशल अकाउंट्स को फॉलो कर रहे लोग ब्रिटेन के ब्रिस्टल विश्वविद्यालय की रिसर्चर लूसी रेफील्ड ने द कन्वरसेशन में लिखा कि सोशल मीडिया की दुनिया में, वायरस से जुड़ी बातों का मजाक उड़ाने वाले अकाउंट को भी बहुत लोगों ने फॉलो किया है जैसे क्वेंटिन क्वारेंटिनो और रेडिट थ्रेड कोरोना आदि। कोरोनावायरसमीम्स जैसे अकाउंट की लोकप्रियता पिछले एक साल में बढ़ी है। हमने जूम मीटिंग्स, हाथ धोने के गाने और घर में ही बाल काटने को लेकर मजाक करने में काफी समय बिताया है। लेकिन ऐसा क्या है कि हम एक पल में मरने वालों की बढ़ती संख्या के बारे में जानकर घबरा जाते हैं और दूसरे ही पल दोस्त द्वारा भेजा वीडियो देखकर हंसने लगते हैं, यह परिवर्तन कैसे होता है? पुराने समय में भी प्रमुख हथियार था हास्य लूसी रेफील्ड ने कहा कि अपने करियर का अधिकांश समय हंसी और हास्य का अध्ययन करने में बिताने वाले एक विद्वान के रूप में, मुझे अक्सर हास्य से जुड़े आश्चर्यजनक पहलू देखने को मिलते हैं। मैंने 16वीं सदी के फ़्रांस में इतालवी कॉमेडी और इसकी स्वीकार्यता, धर्म के युद्धों में हंसी के राजनीतिक परिणाम और आज के हास्य के मुख्य सिद्धांतों के ऐतिहासिक पूर्व अनुभवों का अध्ययन किया है। उन्होंने कहा कि मेरे अधिकांश शोधों से मजेदार बातों का खुलासा होता है कि कैसे कठिनाई के समय में हास्य हमें लुभाता है। लेकिन महामारी के इस समय ने वास्तव में उन भूमिकाओं को बढ़ा दिया है जो कॉमेडी निभा सकती है और यही वजह है कि हास्य पर हमारी निर्भरता बढ़ गई। प्राचीन रोम में हास्य का दिया उदाहरण आपदा के समय हंसने की हमारी जरूरत कोई नई बात नहीं है। प्राचीन रोम में, ग्लैडिएटर अपनी मृत्यु के लिए जाने से पहले बैरक की दीवारों पर विनोदी भित्तिचित्र छोड़ देते थे। प्राचीन यूनानियों ने भी घातक बीमारी पर हंसने के नए तरीके खोजे। और १३४८ में ब्लैक डेथ महामारी के दौरान, इतालवी गियोवन्नी बोकाशियो ने डेकैमेरोन लिखा, जो मजेदार कहानियों का एक संग्रह है। अरस्तू ने भी दर्द को भूलने के लिए हंसने की दी थी सलाह हास्य के साथ उपहास से बचने की आवश्यकता भी उतनी ही प्राचीन है। 335 ईसा पूर्व में, अरस्तू ने किसी भी दर्दनाक या विनाशकारी चीज पर हंसने के खिलाफ सलाह दी थी। रोमन शिक्षक क्विंटिलियन ने भी हँसी और उपहास के बीच बहुत महीन रेखा की बात कही थी। इसे अभी भी आम तौर पर एक सामान्य स्थिति के रूप में स्वीकार किया जाता है कि हास्य से किसी को चोट नहीं पहुंचानी चाहिए, विशेष रूप से तब जब हंसने की वजहें पहले से ही कमजोर हों। जब हंसी और उपहास के बीच की सीमा का सम्मान किया जाता है, तो हास्य हमें आपदा से उबरने में मदद करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। यह ऐसे लाभ प्रदान करता है जो गंभीर परिस्थितियों में हास्य की तलाश करने की हमारी प्रवृत्ति की व्याख्या करते हैं, विशेष रूप से शारीरिक और मानसिक सेहत को ठीक रखने की हमारी भावना को बढ़ाने के संदर्भ में। संकट के समय हास्य कैसे मदद करता है हंसी एक महान कसरत के रूप में कार्य करती है (सौ बार हंसने से उतनी ही कैलोरी नष्ट होती हैं, जितनी 15 मिनट व्यायाम बाइक चलाने से नष्ट होती हैं), हंसी हमारी मांसपेशियों को आराम देने और रक्त संचार बढ़ाने में मदद करती है। व्यायाम और हँसी का संयोजन - जैसे कि तेजी से लोकप्रिय हो रहा लाफ्टर योग- अवसाद के रोगियों को भी महत्वपूर्ण लाभ प्रदान कर सकता है। हंसी का यह है वैज्ञानिक कारण हंसी तनाव हार्मोन को भी कम करती है और एंडोर्फिन को बढ़ाती है। कठिन समय में, जब हमारे पास एक दिन में हजारों विचार होते हैं, तो हंसी-मजाक हमारे दिमाग को वह राहत प्रदान करता है जिसकी हमें सख्त जरूरत होती है। ठीक उसी तरह, हम संकट में हास्य तलाश करते हैं क्योंकि एक ही समय में डर और खुशी महसूस करना मुश्किल होता है, और अक्सर, इन भावनाओं के संयोजन से हमें रोमांच महसूस होता है खौफ नहीं। सिगमंड फ्रायड ने 1905 में तथाकथित ‘राहत सिद्धांत’ को संशोधित करते हुए इसकी खोज की, यह सुझाव देते हुए कि हँसी अच्छी लगती है क्योंकि यह हमारी ऊर्जा प्रणाली को शुद्ध करती है। लॉकडाउन के दौरान रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचा अकेलापन अब बात करते हैं पिछले बरस की सर्दियों की, जब लॉकडाउन के दौरान अकेलेपन का स्तर रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गया (नवंबर में, ब्रिटेन में हर चार वयस्क में से एक ने अकेलापन महसूस करने की सूचना दी), हंसी भी लोगों को एक साथ लाने में महत्वपूर्ण रही है। यह न केवल आम तौर पर एक सामूहिक गतिविधि है - कुछ वैज्ञानिकों का मानना है कि हमारे मानव पूर्वज जब बोल नहीं पाते थे तब भी समूहों में हंसते थे - यह जम्हाई लेने से भी अधिक संक्रामक है। यह देखते हुए कि अमूमन हम उन विषयों पर हंसते हैं, जो खुद से जुड़े लगते हैं, हास्य ने लोगों को लॉकडाउन के दौरान एक दूसरे को पहचानने में मदद की। यह बदले में जुड़ाव और एकजुटता की भावना पैदा करता है, जिससे हमारी अलगाव की भावना कम हो जाती है। साहित्यिक विद्वान और लेखक जीना बैरेका का कहना है कि ‘‘छुए बिना आप किसी के जितने करीब आ सकते हैं, मिलकर हंसना आपको उतने करीब ले आता है। हंसी हमारी चिंताओं को कम करने का एक साधन भी हो सकती है। एक डर के बारे में मजाक करना, विशेष रूप से एक महामारी के दौरान, हमें बेहतर तरीके से इसका मुकाबला करने के लायक बना देता है। हंसने से हमारी शक्ति का भाव बढ़ जाता है हम हंसते हैं क्योंकि हम खुद को उस वायरस से श्रेष्ठ, निर्भय और नियंत्रक मानते हैं। इस तरह किसी वायरस के बारे में मज़ाक करने से उस पर हमारी शक्ति का भाव बढ़ जाता है और चिंता दूर हो जाती है। मजाक भी उपयोगी हो सकता है क्योंकि यह हमें हमारी समस्याओं के बारे में बात करने और अपने डर को व्यक्त करने में सक्षम बनाता है जो शब्दों में बयां करना मुश्किल हो सकता है। हंसना संकट के समय सबसे ज्यादा प्रभावी हालांकि हम में से कई लोगों ने महामारी में हास्य की तलाश के लिए एक अपराधबोध का अनुभव भी किया है, लेकिन हमें इसे अपनी चिंताओं में शामिल नहीं करना है। निश्चित रूप से हमारी स्थिति हमेशा हंसी का विषय नहीं हो सकती। लेकिन हंसी अपने आप में मायने रखती है, और जब इसका उचित उपयोग किया जाता है, तो यह संकट के दौरान हमारे सबसे प्रभावी प्रतिरक्षा तंत्रों में से एक हो सकती है, जिससे हम दूसरों के साथ, खुद के साथ और यहां तक कि हमारे नियंत्रण से परे की घटनाओं के साथ एक स्वस्थ संतुलन स्थापित कर सकते हैं।


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वॉशिंगटन भारत के किसान आंदोलन को लेकर ट्वीट करने वाली पॉर्न स्टॉर अब इजरायल फिलिस्तीन विवाद में कूद पड़ी हैं। उन्होंने नाजियों के जमाने का शराब पीते हुए एक फोटो ट्वीट कर लिखा कि मेरी शराब आपके रंगभेद 'राज्य' से भी पुरानी है। मई के शुरुआती हफ्ते में पूर्वी जेरूसलम पर कब्जे को लेकर इजरायल और फिलिस्तीन के बीच हिंसा भड़क उठी थी। जिसके बाद 28 साल की इस पॉर्न स्टॉर ने फिलिस्तीन के समर्थन में सोशल मीडिया पर आवाज उठाई है। नाजी फ्रांस में बनी शराब की बोतल ट्वीट की मिया खलीफा ने इस ट्वीट में शराब की जिन बोतलों को दिखाया है, उसपर 1943 लिखा हुआ है। इसका मतलब यह शराब तब बनाई गई थी जब फ्रांस पर हिटलर के नाजी सेना का कब्जा था। उस समय इजरायल का अस्तित्व भी नहीं था। मिया खलीफा ने एक तरह से नाजी फ्रांस में बनी शराब को शेयर कर इजरायल को चिढ़ाने की कोशिश की है। क्योंकि, नाजियों ने उस दौरान 20 लाख से अधिक यहूदियों का नरसंहार किया था। मिया खलीफा के ट्वीट पर बढ़ा बवाल इस ट्वीट के बाद लेबनान में जन्मी यह अमेरिकी पॉर्न स्टार सोशल मीडिया यूजर्स के निशाने पर भी आ गई। यहूदी ट्विटर यूजर हेन मैजिग ने लिखा कि आप 1943 में नाजी कब्जे वाले फ्रांस में बनी शराब पी रही हैं, जबकि हमारी पैतृक मातृभूमि में हजारों साल के यहूदी इतिहास को नकार रही हैं। खुशी है कि आपको अपने यहूदी-विरोधी के लिए एकदम सही जोड़ी मिली! ब्रिटिश कमेंटेटर डैरेन ग्रिम्स ने लिखा: 'उसे गाजा में शराब पीने की कोशिश करनी चाहिए और देखना चाहिए कि वह कितनी तेजी से तेल अवीव भाग जाती है।' भारत के किसान आंदोलन में भी टांग अड़ा चुकी हैं मिया खलीफा ऐसा नहीं है कि मिया खलीफा पहली बार किसी दूसरे देश के मामलों में कूदी हैं, जिनसे उनका कोई वास्ता नहीं है। फरवरी में इस पॉर्न स्टार ने रिहाना, ग्रेटा थनबर्ग और अमेरिकी उपराष्ट्रपति कमला हैरिस की भतीजी के साथ भारत के किसान आंदोलन के समर्थन में ट्वीट किया था। खलीफा ने इंस्टाग्रामपर लिखा था कि किसानों के विरोध के बीच भारत ने नई दिल्ली के आसपास इंटरनेट काट दिया है, यह क्या चल रहा है?'


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मॉस्को संयुक्त राष्ट्र में इजरायल के खिलाफ वोट करने वाले रूस ने फिलिस्तीन की मदद के लिए बड़ा कदम उठाया है। रूस की कोरोना वायरस वैक्सीन बनाने वाली रशियन डॉयरेक्ट इंवेस्टमेंट बोर्ड ने ऐलान किया है कि फिलिस्तीन के स्वास्थ्य मंत्रालय ने सिंगल डोज वाली स्पुतनिक लाइट वैक्सीन को मंजूरी दे दी है। स्पुतनिक लाइट वैक्सीन स्पुतनिक वी का फस्ट कंपोनेंट है। स्पुतनिक की सिंगल डोज वैक्सीन 79 फीसदी प्रभावी! रूस का दावा है कि उसकी स्पूतनिक लाइट वैक्सीन का इंजेक्शन लगाने के 28 दिनों के बाद विश्लेषण किए गए आंकड़ों के अनुसार 79.4 फीसदी प्रभावी है। 5 दिसंबर, 2020 से लेकर 15 अप्रैल 2021 के बीच बड़े पैमाने पर टीकाकरण कार्यक्रम के दौरान किसी भी कारण से दूसरा डोज नहीं लगवाने वाले रूसियों से यह डेटा इकट्ठा किया गया है। इतना ही नहीं, रूस का यह भी कहना है कि स्पूतनिक सिंगल डोज वैक्सीन दुनियाभर में मौजूद दो डोज वाली कई कोरोना वैक्सीन से ज्यादा प्रभावी है। को पहले ही मिल चुकी है मंजूरी फिलिस्तीन ने जनवरी 2021 में ही रूस में बनी हुई दो डोज वाली स्पुतनिक वी वैक्सीन को आपातकालीन इस्तेमाल के लिए मंजूरी दे दी थी। आरडीआईएफ ने बताया है कि स्पुतनीक वी वैक्सीन को अबतक दुनियाभर के 65 देशों में मंजूरी दी जा चुकी है। इन देशों में कुल मिलाकर 3.2 अरब से अधिक लोग रहते हैं। रूस का दावा- अस्पताल में भर्ती होने वाले मरीज होंगे कम रूसी प्रत्यक्ष निवेश कोष के सीईओ किरिल दिमित्रीव ने कहा कि सिंगल डोज वाली स्पुतनिक लाइट वैक्सीन का उपयोग करने से अस्पताल में भर्ती होने वाले गंभीर मामलों की संभावना काफी कम हो जाती है। उन्होंने फिलिस्तीन में स्पुतनिक लाइट को मंजूरी दिए जाने के लिए अधिकारियों को धन्यवाद भी दिया। किरिल ने कहा कि इस वैक्सीन के कारण वहां के लोग कोरोना वायरस महामारी के खिलाफ जल्द से जल्द हर्ड इम्यूनिटी को पा सकेंगे। कैसे काम करती है यह वैक्सीन रूस की वैक्सीन सामान्य सर्दी जुखाम पैदा करने वाले adenovirus पर आधारित है। इस वैक्सीन को आर्टिफिशल तरीके से बनाया गया है। यह कोरोना वायरस SARS-CoV-2 में पाए जाने वाले स्ट्रक्चरल प्रोटीन की नकल करती है जिससे शरीर में ठीक वैसा इम्यून रिस्पॉन्स पैदा होता है जो कोरोना वायरस इन्फेक्शन से पैदा होता है। यानी कि एक तरीके से इंसान का शरीर ठीक उसी तरीके से प्रतिक्रिया देता है जैसी प्रतिक्रिया वह कोरोना वायरस इन्फेक्शन होने पर देता लेकिन इसमें उसे COVID-19 के जानलेवा नतीजे नहीं भुगतने पड़ते हैं। मॉस्को की सेशेनॉव यूनिवर्सिटी में 18 जून 2020 से क्लिनिकल ट्रायल शुरू हुए थे।


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अमेरिका और चीन इन दिनों अंतरिक्ष की दुनिया में एक दूसरे को कड़ी टक्कर देते दिखाई दे रहे हैं। अप्रैल के आखिरी हफ्ते में ही चीन ने अपने स्वदेशी स्पेस स्टेशन के लिए पहला मॉड्यूल रवाना किया था। माना जा रहा है कि चीन इस स्टेशन के जरिए अंतरिक्ष में अमेरिकी बादशाहत को चुनौती देना चाहता है। इतना ही नहीं, यह दोनों देश अब चंद्रमा को लेकर भी एक दूसरे से कड़ी प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं। चीन ने बीते एक दशक में चंद्रमा पर चार बार से अधिक सफलतापूर्वर लैंडिंग कर अपना परचम फहराया है। वहीं, अमेरिका इकलौता ऐसा देश है, जिसने चांद पर इंसान को उतारा है। 14 दिसंबर, 1972 को नासा के अंतरिक्ष यात्री यूजीन सर्नन ने अपोलो 17 के लूनर मॉड्यूल चैलेंजर में बैठकर चंद्रमा की सतह से धरती के लिए उड़ान भरी थी। तब से लेकर अबतक किसी भी देश ने चंद्रमा पर इंसान को नहीं भेजा है। अब चीन इस तैयारी में जुटा है कि वह अपने स्पेस स्टेशन के ऐक्टिव होते ही चंद्रमा पर अंतरिक्षयात्रियों को भेजने का मिशन शुरू करेगा। ऐसा नहीं है कि केवल चीन ही चांद पर इंसानों को भेजना चाहता है, बल्कि इस दौड़ में अमेरिका, रूस, भारत कनाडा और दक्षिण कोरिया भी जी-जान से जुटे हुए हैं।

कोल्ड वॉर के बाद दुनियाभर के देशों में फिर से एक बार स्पेस रेस शुरू हो गई है। इस बार की दौड़ में अंतर बस इतना है कि रूस की जगह चीन ने ले ली है। दुनियाभर के सभी देश आने वाले वर्षों में चांद पर बस्तियां बसाने की योजना पर काम कर रहे हैं। लेकिन, बड़ा सवाल यह उठ रहा है कि आखिर चांद पर ऐसा क्या है कि अमेरिका, रूस चीन ही नहीं बल्कि दुनिया के सभी देश इस बंजर और वीरान उपग्रह पर पहुंचना चाहते हैं?


Moon Gold Rush: चंद्रमा पर ऐसा क्या है जिसके लिए बेताब हुए अमेरिका-चीन, कोल्ड वॉर के बाद शुरू हुई नई स्पेस रेस

अमेरिका और चीन इन दिनों अंतरिक्ष की दुनिया में एक दूसरे को कड़ी टक्कर देते दिखाई दे रहे हैं। अप्रैल के आखिरी हफ्ते में ही चीन ने अपने स्वदेशी स्पेस स्टेशन के लिए पहला मॉड्यूल रवाना किया था। माना जा रहा है कि चीन इस स्टेशन के जरिए अंतरिक्ष में अमेरिकी बादशाहत को चुनौती देना चाहता है। इतना ही नहीं, यह दोनों देश अब चंद्रमा को लेकर भी एक दूसरे से कड़ी प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं। चीन ने बीते एक दशक में चंद्रमा पर चार बार से अधिक सफलतापूर्वर लैंडिंग कर अपना परचम फहराया है। वहीं, अमेरिका इकलौता ऐसा देश है, जिसने चांद पर इंसान को उतारा है। 14 दिसंबर, 1972 को नासा के अंतरिक्ष यात्री यूजीन सर्नन ने अपोलो 17 के लूनर मॉड्यूल चैलेंजर में बैठकर चंद्रमा की सतह से धरती के लिए उड़ान भरी थी। तब से लेकर अबतक किसी भी देश ने चंद्रमा पर इंसान को नहीं भेजा है। अब चीन इस तैयारी में जुटा है कि वह अपने स्पेस स्टेशन के ऐक्टिव होते ही चंद्रमा पर अंतरिक्षयात्रियों को भेजने का मिशन शुरू करेगा। ऐसा नहीं है कि केवल चीन ही चांद पर इंसानों को भेजना चाहता है, बल्कि इस दौड़ में अमेरिका, रूस, भारत कनाडा और दक्षिण कोरिया भी जी-जान से जुटे हुए हैं।



क्यों चांद पर जल्द से जल्द पहुंचना चाहते हैं ये देश
क्यों चांद पर जल्द से जल्द पहुंचना चाहते हैं ये देश

चांद के वीरान और उजाड़ सतह के नीचे कई बहुमूल्य धातुएं मौजूद हैं। ऐसा माना जाता है कि सोने और प्लेटिनम का खजाना चंद्र सतह के ठीक नीचे दबी हुई हैं। इसके अलावा धरती पर मिलने वाले कई अन्य धातुएं जैसे टाइटेनियम, यूरेनियम, लोहा भी प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है। दावा यह भी है कि चंद्रमा पर पृथ्वी की दुर्लभ कई धातुएं हैं जो अगली पीढ़ी के इलेक्ट्रॉनिक्स को शक्ति प्रदान करेंगी। यही कारण है कि सभी देश जल्द से जल्द इस वीरान, उबड़-खाबड़ और अमानवीय जलवायु वाले उपग्रह पर पहुंचना चाहते हैं। चंद्रमा पर नॉन-रेडियोएक्टिव हीलियम गैस भी एक महत्वपूर्ण मात्रा में उपलब्ध है। यह गैस एक दिन धरती पर परमाणु फ्यूजन (nuclear fusion) रिएक्टरों को शक्ति प्रदान कर सकती है। विशेषज्ञों का तो दावा यहां तक है कि चंद्रमा पर पानी भी मौजूद है। एक दिन ऐसा आएगा जब इस उपग्रह की पानी के लिए सभी देशों के बीच होड़ मचेगी।



बस्तियां बसाकर अंतरिक्ष में उत्‍खनन करना चाहते हैं देश
बस्तियां बसाकर अंतरिक्ष में उत्‍खनन करना चाहते हैं देश

विशेषज्ञों के मुताबिक, विश्‍वभर की महाशक्तियों की योजना चांद पर बस्तियां बसाने की है। इसी को देखते हुए चीन ने लंबी अवधि की योजना पर काम करते हुए अपना चंद्रमा उत्‍खनन कार्यक्रम शुरू किया है। उसकी कोशिश वर्ष 2036 तक चंद्रमा पर एक स्‍थायी ठिकाना बनाने की है। चीन चंद्रमा के टाइटेनियम, यूरेनियम, लोहे और पानी का इस्‍तेमाल रॉकेट निर्माण के लिए करना चाहता है। अंतरिक्ष में यह रॉकेट निर्माण सुविधा वर्ष 2050 तक अंतरिक्ष में लंबी दूरी तक उत्‍खनन करने की उसकी योजना के लिए बेहद जरूरी है। चीन क्षुद्र ग्रहों का भी उत्‍खनन करना चाहता है। साथ ही उसकी योजना भू समकालिक कक्षा में सोलर पॉवर स्‍टेशन बनाने की है। चीन के अंतरिक्ष कार्यक्रम के प्रमुख झांग केजिन ने घोषणा की है कि चीन अगले 10 साल में चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर अपना शोध केंद्र स्‍थापित करेगा।



चंद्रमा पर अड्डा बनाना चाहता है अमेरिका, मंगल पर नजर
चंद्रमा पर अड्डा बनाना चाहता है अमेरिका, मंगल पर नजर

चीन की इन पुख्‍ता तैयारियों को देखते हुए ही 2019 में डोनाल्ड ट्रंप के कार्यकाल में तत्कालीन अमेरिकी उपराष्‍ट्रपति माइक पेंस ने भी कहा था, 'हम इन दिनों एक स्‍पेस रेस में जी रहे हैं जैसाकि वर्ष 1960 के दशक में हुआ था और दांव पर उस समय से ज्‍यादा लगा है। चीन ने रणनीतिक रूप से महत्‍वपूर्ण चंद्रमा के सुदूरवर्ती इलाके में अपना अंतरिक्ष यान उतारा है और इस पर कब्‍जा करने की योजना का खुलासा किया है।' चंद्रमा के खनिजों का तेजी के साथ खनन अमेरिका के लिए भी बेहद महत्‍वपूर्ण हो गया है। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा एक ऐसे रोबॉट पर काम कर रही है जो प्राकृतिक संसाधनों का पता लगाने के लिए चंद्रमा की मिट्टी को निकालकर उसकी जांच कर सकता है। नासा भी वर्ष 2028 तक चंद्रमा पर एक अड्डा बनाना चाहती है। नासा के ऐडमिनिस्‍ट्रेटर जिम ब्राइडेनस्‍टाइन ने पिछले दिनों कहा था कि हम चांद पर इसलिए जाना चाहते हैं क्‍योंकि हम मानव के साथ मंगल ग्रह पर जाना चाहते हैं।



चांद पर पहुंचने के प्रोग्राम में प्राइवेट स्पेस एजेंसियां भी पीछे नहीं
चांद पर पहुंचने के प्रोग्राम में प्राइवेट स्पेस एजेंसियां भी पीछे नहीं

नासा के इस काम में ऐमजॉन कंपनी के मालिक जेफ बेजोस मदद कर रहे हैं। उनकी एक कंपनी ब्‍लू ओरिजिन एक नए रॉकेट पर काम कर रही है। बेजोस की योजना पृथ्‍वी पर स्थित सभी विशालकाय उद्योगों को अंतरिक्ष में ले जाने की है। चीन और बेजोस दोनों की योजना अंतरिक्ष में मानव बस्तियां बसाने और औद्योगीकरण की है। चीन की सोच है कि धरती पर स्थित परंपरागत ऊर्जा स्रोतों पर अगर उसकी अर्थव्‍यवस्‍था निर्भर रहेगी तो यह लंबे समय के लिए ठीक नहीं होगा। इसीलिए वह अंतरिक्ष के संसाधनों के इस्‍तेमाल पर काम कर रहा है। बेजोस भी मानते हैं कि मानव के रहने के लिए पृथ्‍वी के संसाधन सीमित हैं, इसलिए अंतरिक्ष में रहने की संभावना पर काम करना होगा। बेजोस ने अपने एक भाषण में कहा था कि चंद्रमा के पानी का इस्‍तेमाल ईंधन के रूप में किया जा सकता है।





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दुबई संयुक्‍त अरब अमीरात ने देश में काम कर रहे लाखों भारतीयों को झटका दिया है। यूएई की वायुसेवा प्रदाता एमिरेट्स ने दक्षिण एशियाई देश में कोविड-19 महामारी की स्थिति के मद्देनजर भारत से अपनी यात्री उड़ानों के निलंबन को 30 जून तक बढ़ाने की घोषणा की है। दुबई स्थित एयरलाइन ने 24 अप्रैल को भारत में महामारी की विनाशकारी दूसरी लहर के रूप में निलंबन की घोषणा की थी। पिछले हफ्ते, इसने निलंबन को कम से कम 14 जून तक बढ़ा दिया था। रविवार को जारी एक बयान में, एयरलाइन ने कहा, ‘इसके अलावा, पिछले 14 दिनों में भारत से गुजरने वाले यात्रियों को किसी अन्य बिंदु से संयुक्त अरब अमीरात की यात्रा करने की अनुमति नहीं दी जाएगी।' यूएई के नागरिक, यूएई गोल्डन वीजा धारक और राजनयिक मिशन के सदस्य जो संशोधित प्रकाशित कोविड -19 प्रोटोकॉल का पालन करते हैं, उन्हें यात्रा के लिए छूट दी जाएगी।’ सऊदी अरब ने 11 देशों से ट्रैवल प्रतिबंध हटाने का फैसला किया भारत से संयुक्त अरब अमीरात में आने वाले यात्री यातायात का निलंबन 24 अप्रैल से शुरू हुआ। इससे पहले कोरोना वायरस के ज्यादा संक्रामक और खतरनाक स्ट्रेन से खतरे को देखते हुए सऊदी अरब ने भी कई देशों से उड़ानें बंद की थीं। अब उसने 11 देशों से ट्रैवल प्रतिबंध हटाने का फैसला किया है। जिन देशों में कोविड-19 के हालात में स्थिरता देखी गई है, उन्हें लेकर यह कद उठाया गया है। फिलहाल इन देशों से आने वाले लोगों को क्वारंटीन से जुड़े नियमों का पालन करना होगा। वहीं, भारत समेत 13 देश अभी भी 'रेड लिस्ट' में हैं। जिन देशों के यात्रियों के लिए ट्रैवल प्रतिबंध खत्म किए गए हैं, उनमें संयुक्त अरब अमीरात, जर्मनी, अमेरिका, आयरलैंड, इटली, पुर्तगाल, ब्रिटेन, स्वीडन, स्विजरलैंड, फ्रांस और जापान शामिल हैं। वहीं, जिन 13 देशों पर बैन कायम है उनमें भारत, लीबिया, सीरिया, लेबनान, यमन, ईरान, तुर्की, आर्मीनिया, सोमालिया, डेमोक्रैटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो, अफगानिस्तान, वेनेजुएला और बेलारूस शामिल हैं। इन देशों के लोगों को ट्रैवलिंग के लिए पहले से इजाजत लेनी होगी।


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इस्लामाबाद पाकिस्तान के प्रधानमंत्री अब लोकतंत्र का चौथा स्तंभ कहे जाने वाले मीडिया का गला घोंटना शुरू कर दिया है। पाकिस्तान के वरिष्ठ पत्रकार को सेना और सरकार के खिलाफ आवाज उठाने और सवाल पूछने के कारण न्यूज पढ़ने से रोक दिया गया है। पाकिस्तान के जिओ न्यूज के लिए काम करने वाले पत्रकार हामिद मीर इन दिनों एक दूसरे पत्रकार की गिरफ्तारी के खिलाफ जमकर आवाज उठा रहे थे। कुछ दिनों पहले उन्होंने एक रैली का भी नेतृत्व किया था जिसमें उन्होंने इमरान खान सरकार और सेना के खिलाफ तीखी बयानबाजी की थी। हामिद मीर के टॉक शो का प्रसारण रोका गया रिपोर्ट्स के अनुसार, हामिद मीर के लोकप्रिय टॉक शो को अचानक ऑफ एयर कर दिया गया है। हामिद मीर ने खुद ट्वीट कर बताया कि उन्हें ऐसा होने का पहले से ही अंदेशा था। उन्होंने कहा कि इस तरह का प्रतिबंध उनके लिए नया नहीं है क्योंकि उन पर पहले भी दो बार प्रतिबंध लगाया जा चुका है। यही कारण है कि उन्हें दो बार अपनी नौकरी तक खोनी पड़ी है। हामिद मीर के परिवार को दी जा रही धमकी हामिद मीर ने इस प्रतिबंध के बाद कहा कि मेरी हत्या करने का भी प्रयास किया गया थाा, लेकिन मैं बच गया। वे संविधान में दिए गए अधिकारों के लिए आवाज उठाना बंद नहीं कर सकते। इस बार मैं किसी भी परिणाम के लिए तैयार हूं और किसी भी हद तक जाने के लिए तैयार हूं क्योंकि वे मेरे परिवार को धमकी दे रहे हैं। पाकिस्तान में हामिद के समर्थन में उठी आवाज हामिद मीर के कार्यक्रम पर लगे प्रतिबंधों के खिलाफ पाकिस्तान के कई पत्रकारों ने आवाज उठाई है। पाकिस्तानी सोशल मीडिया में हामिद मीर टॉप ट्रेंड में बने हुए हैं। एक टीवी टॉक शो की होस्ट अस्मा शेराजी ने कहा कि जिओ चैनल प्रबंधन को अपनी स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए। कई दूसरे पत्रकारों ने भी इस फैसले के खिलाफ बयान दिया है। हामिद मीर से क्यों चिढ़े इमरान खान बताया जा रहा है कि हाल ही में पत्रकार असद तूर के समर्थन में एक रैली में हामिद मीर की कठोर टिप्पणी ने सरकार और सेना में भय पैदा कर दिया था। यही कारण है कि सरकार के आदेश पर जिओ प्रबंधन ने उनके कार्यक्रम के प्रसारण को बिना कोई कारण बताए बंद कर दिया है। जिओ एडमिनिस्ट्रेशन के सूत्रों के मुताबिक हामिद मीर को कुछ दिनों के लिए छुट्टी पर भेज दिया गया है।


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कोलकाता/थिंपू भूटान के पूर्वी समद्रुप जोंगखर क्षेत्र में पिछले हफ्ते एक 12 वर्षीय लड़की ने एक बच्चे को जन्म दिया था, जिससे छोटे हिमालयी देश में सामाजिक तूफान खड़ा हो गया। वांगफू गेवोग में एक स्थानीय प्रशासक ने बताया कि लड़की के परिवार ने गर्भावस्था को गुप्त रखा था और चुपचाप घर पर प्रसव की व्यवस्था की। प्रशासक ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, ‘लेकिन परिवार अब दावा करता है कि उन्हें गर्भावस्था के बारे में पता नहीं था। स्थानीय स्कूल में शिक्षकों, जहां लड़की पढ़ती थी, ने भी कहा कि उन्हें पता नहीं था। हमें यह अजीब लगता है।’ स्‍थानीय प्रशासक ने कहा कि प्रशासन को तब पता चला जब बच्चे को वांगफू बेसिक हेल्थ यूनिट (बीएचयू) ले जाया गया, जिसने ‘गेवोग’ (गांव क्लस्टर) के अधिकारियों को इसकी सूचना दी। गेवोग ने पुलिस को अलर्ट किया, जिसने एक 35 वर्षीय व्यक्ति को इस सिलसिले में गिरफ्तार किया। मां बनने वाल स्कूली लड़की ने दावा किया कि उसने उसके साथ दुष्कर्म किया था। केंद्रीय संकलन के बाद, भूटान सरकार के गेवोग रिकॉर्ड ने 2020 में अकेले 18 'द्जोंगखग' (प्रशासनिक उप-मंडल) में किशोर गर्भधारण के 237 मामलों की ओर इशारा किया। 'किशोर गर्भावस्था की वास्तविक वार्षिक घटनाएं बहुत अधिक' हा और त्सिरंग जोंगखग के आंकड़े उपलब्ध नहीं थे। सबसे अधिक मामले थिम्पू (55) में दर्ज किए गए, उसके बाद चुखा (30) और ट्रैशिगंग (20) में दर्ज किए गए। अधिकारियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं को संदेह है कि किशोर गर्भावस्था की वास्तविक वार्षिक घटनाएं बहुत अधिक हो सकती हैं क्योंकि अधिकांश परिवार रिपोर्ट नहीं करते हैं। भूटानी रिपोर्टों को जांचने पर पता चलता है कि 2020 में, लगभग 8 लाख लोगों के छोटे से हिमालयी राष्ट्र में 12 वर्ष से अधिक उम्र के बच्चों के साथ दुष्कर्म के 33 मामले और 12 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के पांच मामले थे। अटॉर्नी जनरल के कार्यालय को 2020 में 12 साल से अधिक उम्र के बच्चों के दुष्कर्म के 37 मामले मिले। भूटान के स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारी इस बारे में पूछे जाने पर टालमटोल कर रहे थे। महिलाओं और बच्चों को सशक्त बनाने के लिए समर्पित एक भूटानी गैर-लाभकारी संगठन आरईएनईडब्ल्यू ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि बच्चों के लिए सुरक्षा प्रणाली, चाहे वह घर पर हो, स्कूल हो या सार्वजनिक स्थान, कमजोर है। इसके एक अधिकारी ने कहा, ‘माता-पिता और देखभाल करने वालों की लापरवाही के कारण अधिकांश किशोर गर्भधारण की सूचना मिली है, क्योंकि अधिकांश बच्चों की स्थिति के बारे में केवल उन्नत अवस्था में ही जानते हैं।’ 'कुछ ही शिक्षक यौन उत्पीड़न के मामलों को गंभीरता से लेते हैं' अधिकारी ने कहा, ‘कुछ माता-पिता और देखभाल करने वाले भी सामाजिक कलंक और पड़ोसियों से प्रतिकूल प्रतिक्रिया के डर से बच्चों की गर्भावस्था को छिपाने की कोशिश करते हैं।’ एक शीर्ष सामाजिक कार्यकर्ता ने बताया कि केवल कुछ समर्पित स्वास्थ्य अधिकारी और शिक्षक यौन उत्पीड़न और बाल शोषण के मामलों को गंभीरता से लेते हैं। उन्होंने कहा कि जहां कुछ शिक्षक मामले को गंभीरता से लेते हैं और पुलिस को मामले की रिपोर्ट करते हैं, वहीं स्कूल की प्रतिष्ठा और छवि की रक्षा के लिए अधिकांश इसे पारस्परिक रूप से हल करते हैं। सामाजिक कार्यकता ने कहा, ‘यह पूरी तरह से कानून के खिलाफ है और किसी को भी आपसी मामलों को सुलझाने का अधिकार नहीं है लेकिन ऐसा अक्सर हो रहा है।’ ऐसे मामले हैं जहां नाबालिगों, जिनके साथ उनके देखभाल करने वालों या परिवार के सदस्यों द्वारा कथित रूप से दुष्कर्म किया जाता है, ने इसके बारे में स्कूल काउंसलर को बताया है, लेकिन प्रिंसिपल ने मामले को पारस्परिक रूप से सुलझा लिया है। सामाजिक कार्यकर्ता ने कहा, ‘कोई जवाबदेही नहीं है।’ संगठन के एक अधिकारी ने बताया कि जब कोई बच्चा यौन उत्पीड़न के बाद अस्पताल जाता है, तो स्वास्थ्य अधिकारियों को डर होता है कि इस तरह के मामलों की पुलिस को रिपोर्ट करने से बच्चे स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ उठाने से हतोत्साहित होंगे। बच्चों की सुरक्षा के लिए हैं कानून अधिकारी ने कहा, ‘हालांकि मामला आपराधिक है, अधिकांश स्वास्थ्य अधिकारी इसकी रिपोर्ट नहीं करते हैं। हम उन लोगों के आभारी हैं जो ऐसा करते हैं।’ किशोर गर्भावस्था और बच्चों के खिलाफ यौन हमले को भूटानी दंड संहिता के तहत एक अपराध के रूप में वर्गीकृत किया गया है। बच्चों की सुरक्षा के लिए अन्य कानून हैं। लेकिन लिंग आधारित हिंसा पर मानक संचालन प्रक्रियाओं (एसओपी) में खामियां हैं।


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पेइचिंग चीन के प्रशासन ने देश की लगातार बूढ़ी होती आबादी से परेशान होकर अब नागरिकों को तीन बच्‍चों को पैदा करने की अनुमति दे दी है। चीन की सरकारी समाचार एजेंसी शिन्‍हुआ ने बताया कि देश की बूढ़ी आबादी को देखते हुए बच्‍चे पैदा करने के नियम में ढील दी गई है। इस ऐतिहासिक फैसले को चीन के राष्‍ट्रपति शी जिनपिंग की अध्‍यक्षता में हुई एक बैठक में लिया गया। सिन्‍हुआ ने बताया कि शी जिनपिंग की अध्‍यक्षता में पोलित ब्‍यूरो की बैठक में यह फैसला लिया गया। दरअसल, चीन की आबादी 2019 की तुलना में 0.53 प्रतिशत बढ़कर 1.41178 अरब हो गई है। 2019 में आबादी 1.4 अरब थी। हालांकि इसके अगले साल की शुरुआत से घटने का अनुमान है। चीन की सरकार की तरफ से मंगलवार को जारी की गई सातवीं राष्ट्रीय जनसंख्या जनगणना के अनुसार, चीन के सभी 31 प्रांत, स्वायत्त क्षेत्र और नगरपालिका की आबादी 1.41178 अरब थी। राष्ट्रीय सांख्यिकी ब्यूरो (एनबीएस) के अनुसार, नई जनगणना के आंकड़ों से पता चलता है कि चीन जिस संकट का सामना कर रहा था, उसके और गहराने की उम्मीद है, क्योंकि देश में 60 वर्ष से अधिक लोगों की आबादी बढ़कर 26.4 करोड़ हो गई है। एनबीएस ने एक बयान में कहा कि जनसंख्या औसत आयु बढ़ने से दीर्घकालिक संतुलित विकास पर दबाव बढ़ेगा। देश में 89.4 करोड़ लोगों की उम्र 15 से 59 वर्ष के बीच है, जो कि 2010 की तुलना में 6.79 प्रतिशत कम है। चीन के नेताओं ने जनसंख्या को बढ़ने से रोकने के लिए 1980 से जन्म संबंधी सीमाएं लागू की थीं, लेकिन अब उन्हें इस बात की चिंता है कि देश में कामकाजी आयु वर्ग के लोगों की संख्या तेजी से कम हो रही है और इसके कारण समृद्ध अर्थव्यवस्था बनाने के प्रयास बाधित हो रहे हैं। चीन में जन्म संबंधी सीमाओं में ढील दे दी गई है, लेकिन दंपती महंगाई, छोटे आवास और मांओं के साथ नौकरी में होने वाले भेदभाव के कारण बच्चों को जन्म देने से कतराते हैं।


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भारतीय बैंकों से करीब 13500 करोड़ रुपये 'लूटकर' फरार चल रहे अरबपति हीरा व्‍यापारी मेहुल चोकसी पर भारत सरकार का शिकंजा कसता जा रहा है। मेहुल चोकसी कैरिबियाई देश डोमिनिका के एक अस्‍पताल में भर्ती है और उसके भारत प्रत्‍यर्पण की कानूनी प्रक्रिया चल रही है। मेहुल चोकसी को एक अन्‍य कैरेबियाई देश ऐंटीगा ऐंड बारबुडा की नागरिकता प्राप्‍त है जहां वह अपनी गर्लफ्रेंड बबारा जराबिका के साथ ऐश कर रहा था। ऐंटीगा और बारबुडा के प्रधानमंत्री गैस्टन ब्राउन के मुताबिक चोकसी अपनी गर्लफ्रेंड (Babara Jarabica) को डिनर कराने या 'अच्छा वक्त' बिताने यॉट के जरिए पड़ोसी देश डोमिनिका गया था और वहीं पर पकड़ा गया है। मेहुल के पकड़े जाने के बाद अब उसकी गर्लफ्रेड बबारा जराबिका भी लापता हो गई है। आइए जानते हैं कौन है मेहुल चोकसी की रहस्‍यमय गर्लफेंड बबारा जराबिका....

Mehul Choksi Girlfriend Pictures: ऐंटीगा ऐंड बारबुडा में ऐश कर रहा भगोड़ा हीरा कारोबारी मेहुल चोकसी डोमिन‍िका में बुरी तरह से फंस गया है। मेहुल डोमिन‍िका में अपनी रहस्‍यमय गर्लफ्रेंड बबारा जराबिका (Babara Jarabica) के साथ 'अच्‍छा वक्‍त' बिताने गया था।


Mehul Choksi Girlfriend: दुनिया के लिए 'रहस्‍य' बनी भगोड़े मेहुल चौकसी की हॉट 'गर्लफ्रेंड', सामने आई पहली तस्‍वीर

भारतीय बैंकों से करीब 13500 करोड़ रुपये 'लूटकर' फरार चल रहे अरबपति हीरा व्‍यापारी मेहुल चोकसी पर भारत सरकार का शिकंजा कसता जा रहा है। मेहुल चोकसी कैरिबियाई देश डोमिनिका के एक अस्‍पताल में भर्ती है और उसके भारत प्रत्‍यर्पण की कानूनी प्रक्रिया चल रही है। मेहुल चोकसी को एक अन्‍य कैरेबियाई देश ऐंटीगा ऐंड बारबुडा की नागरिकता प्राप्‍त है जहां वह अपनी गर्लफ्रेंड बबारा जराबिका के साथ ऐश कर रहा था। ऐंटीगा और बारबुडा के प्रधानमंत्री गैस्टन ब्राउन के मुताबिक चोकसी अपनी गर्लफ्रेंड (Babara Jarabica) को डिनर कराने या 'अच्छा वक्त' बिताने यॉट के जरिए पड़ोसी देश डोमिनिका गया था और वहीं पर पकड़ा गया है। मेहुल के पकड़े जाने के बाद अब उसकी गर्लफ्रेड बबारा जराबिका भी लापता हो गई है। आइए जानते हैं कौन है मेहुल चोकसी की रहस्‍यमय गर्लफेंड बबारा जराबिका....



​जानें कौन है मेहुल की गर्लफ्रेंड बबारा जराबिका
​जानें कौन है मेहुल की गर्लफ्रेंड बबारा जराबिका

कैरिब‍ियाई मीडिया के मुताबिक बबारा जराबिका एक प्रॉपर्टी इन्‍वेस्‍टमेंट सलाहकार है और उसने लंदन स्‍कूल ऑफ इकनॉमिक्‍स से पढ़ाई की है। चोकसी के वकीलों का कहना है कि मेहूल का ऐंटिगा और भारतीय एजेंसियों की ओर से अपहरण किया गया है। ऐंटिगा के चोकसी के वकीलों का कहना है कि उनके मुवक्किल 23 मई को अपनी गर्लफ्रेंड बबारा जराबिका से मुलाकात करने वाले थे। इसी दौरान जॉली हार्बर इलाके से ऐंटिगा पुलिस और भारतीय अधिकारियों ने उनका अपहरण कर लिया। उन्‍होंने कहा कि बबारा जराबिका और मेहूल चोकसी की मुलाकात नहीं हो सकी क्‍योंकि जब वह रेस्‍त्रां जा रहा था, उसी दौरान हीरा कारोबारी का अपहरण कर लिया गया। वकीलों ने दावा किया कि मेहुल और बबारा दोनों ही पिछले एक साल से दोस्‍ती में थे और अक्‍सर ऐंटिगा और बारबुडा के आसपास मिलते रहते थे। हालांकि उन्‍होंने यह नहीं बताया कि मेहुल और बबारा जराबिका के बीच बिजनस, दोस्‍ती या किसी निवेश से संबंधित रिश्‍ता था।



​आलीशान जिंदगी जीती है बबारा जराबिका
​आलीशान जिंदगी जीती है बबारा जराबिका

मेहुल चोकसी की हॉट गर्लफ्रेंड बबारा जराबिका एक बेहद आलीशाल जिंदगी जीती है। उसके इंस्‍टाग्राम अकाउंट से पता चलता है कि वह लग्‍जरी यॉट के जरिए समुद्र की लहरों पर मौज करती रहती है। उसने बुडापेस्‍ट के एक महंगे होटल में रुकने की तस्‍वीर भी डाली है। एक अन्‍य तस्‍वीर में बबारा जराबिका हेलीकॉप्‍टर में बैठे दिखाई दे रही है। बबारा जराबिका को खुद को ट्रेवेल, बिजनस और स्‍पोर्ट्स की शौकिन बताती है। इससे पहले ऐंटीगा और बारबुडा के प्रधानमंत्री गैस्टन ब्राउन ने खुलासा किया था कि शायद चोकसी अपनी गर्लफ्रेंड को डिनर कराने या 'अच्छा वक्त' बिताने यॉट के जरिए पड़ोसी देश डोमिनिका गया था। ‘ऐंटीगा न्यूज रूम’ के मुताबिक, ब्राउन ने यह भी कहा कि डोमिनिका की सरकार और कानून लागू करने वाली एजेंसियां उसे भारत को प्रत्यर्पित कर सकती हैं क्योंकि वह एक भारतीय नागरिक है। उन्होंने कहा, 'हमें मिल रही सूचना के मुताबिक, मेहुल चोकसी शायद अपनी गर्लफ्रेंड को डिनर कराने या अच्छा वक्त बिताने डोमिनिका गया और वहां पकड़ा गया। यह एक ऐतिहासिक गलती होगी क्योंकि ऐंटीगा में चोकसी एक नागरिक है और हम उसे प्रत्यर्पित नहीं कर सकते।'



​मेहुल चोकसी के भारत प्रत्यर्पण को लेकर अटकलें तेज
​मेहुल चोकसी के भारत प्रत्यर्पण को लेकर अटकलें तेज

ऐंटीगा और बारबुडा के पीएम ब्राउन ने कहा, 'समस्या यह है कि अगर चोकसी को इसलिए वापस भेजा जाता है कि वह ऐंटीगा का नागरिक है जबकि भले ही उसकी नागरिकता अस्थिर है, फिर भी उसे संवैधानिक और वैधानिक संरक्षण प्राप्त है। हमें इस बात में कोई संदेह नहीं है कि आखिरकार चोकसी की नागरिकता रद्द की जाएगी क्योंकि उसने अपने बारे में जानकारी का खुलासा नहीं किया था।' ‘ऐंटीगा न्यूज रूम’ के मुताबिक कतर एयरवेज का एक निजी विमान डोमिनिका में डगलस-चार्ल्स हवाई अड्डे पर उतरा, जिसके बाद चोकसी के प्रत्यर्पण को लेकर अटकलें लगने लगी हैं। ऐंटीगा और बारबुडा से रहस्यमय परिस्थितियों में लापता हुए चोकसी को पड़ोस के डोमिनिका में पकड़ा गया था। ब्राउन ने रेडिशा शो में बताया कि चोकसी के प्रत्यर्पण के लिए जरूरी दस्तावेज लेकर विमान भारत से आया है। कतर की एक्जीक्यूटिव उड़ान ए7सीईई के सार्वजनिक तौर पर उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक इस विमान ने 28 मई को तड़के तीन बजकर 44 मिनट पर दिल्ली हवाई अड्डे से उड़ान भरी और उसी दिन स्थानीय समयानुसार दिन में एक बजकर 16 मिनट पर डोमिनिका पहुंचा।



​मेहुल चोकसी ने पीएनबी को लगाया 13500 करोड़ का चूना
​मेहुल चोकसी ने पीएनबी को लगाया 13500 करोड़ का चूना

इस बीच डोमिनिका के उच्च न्यायालय ने चोकसी को उसके यहां से ले जाने पर रोक लगा दी है और इस मामले में दो जून को खुली अदालत में सुनवाई के बाद ही आगे की कार्रवाई पर फैसला होगा। चोकसी ने आरोप लगाया है कि ऐंटीगा और भारतीय की तरह दिखने वाले पुलिसकर्मियों ने उसे ऐंटीगा और बारबुडा में जॉली बंदरगाह से अगवा किया और उसे डोमिनिका ले गए। डोमिनिका से चोकसी की कई तस्वीरें सामने आयी हैं जिसमें उसकी आंखें सूजी हुई थीं और उसके हाथ पर खरोंच के निशान थे। चोकसी और उसके भांजे नीरव मोदी ने पंजाब नेशनल बैंक से 13,500 करोड़ रुपये की धनराशि का कथित तौर पर गबन किया। नीरव मोदी लंदन की एक जेल में बंद है और वह भारत प्रत्यर्पित किए जाने के खिलाफ मुकदमा लड़ रहा है। चोकसी ने 2017 में ऐंटीगा ऐंड बारबुडा की नागरिकता ली थी और जनवरी 2018 के पहले हफ्ते में भारत से भाग गया था। इसके बाद ही यह घोटाला सामने आया था। दोनों ही सीबीआई जांच का सामना कर रहे हैं।





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कराची कहते हैं कि किसी इंसान की किस्‍मत कब पलट जाए कहा नहीं जा सकता है। कुछ ऐसा ही हुआ पाकिस्‍तान के एक मछुआरे के साथ। पाकिस्‍तान के ग्‍वादर इलाके में एक मछुआरे को जेवानी के तट पर अरब सागर में एक दुर्लभ मछली हाथ लगी है। बताया जा रहा है कि 48 किलोग्राम वजनी इस मछली की कीमत 72 लाख रुपये है। यह मछली बेहद दुर्लभ कहे जाने वाले क्रोआकेर प्रजाति की है। लाखों रुपये की इस मछली पकड़ने वाली नौका के मालिक साजिद हाजी अबाबकर ने डॉन अखबार को बताया कि जब इस मछली को पकड़ा गया तो उस समय नौका की कप्‍तानी पिश्‍कान के रहने वाले वाहिद बलोच इसकी कप्‍तानी कर रहे थे। उधर, ग्‍वादर के मत्‍स्‍य पालन मामलों के उप निदेशक अहमद नदीम ने इस बात की पुष्टि की कि उन्‍होंने इससे ज्‍यादा महंगी मछली पहले कभी नहीं देखी थी। विशाल क्रोकर मछली की मांग चीन और यूरोप में बहुत ज्‍यादा करीब 48 किलोग्राम वजनी यह मछली 72 लाख रुपये में बिकी है। अबाबकर ने बताया कि मछली की नीलामी के दौरान एक बार तो उसकी कीमत 86 लाख रुपये तक पहुंच गई थी। उन्‍होंने कहा, 'हम अपने ग्राहकों को छूट देते रहे हैं और इसी परंपरा का पालन करते हुए हमने मछली की कीमत 72 लाख रुपये तय की है। पाकिस्‍तान मरीन बॉयालॉजिस्‍ट अब्‍दुल रहीम बलोच ने कहा कि विशाल क्रोकर मछली की मांग चीन और यूरोप में बहुत ज्‍यादा है। बलोच ने कहा, 'यह दुर्लभ मछली अपने मांस के कारण बेशकीमती है। इस मछली के हिस्‍सों का इस्‍तेमाल दवा और सर्जरी के लिए किया जाता है।' इससे पहले कुछ समय पहले ही अब्‍दुल हक नामक मछुआरे ने एक क्रोआकर मछली पकड़ी थी। यह मछली सात लाख 80 हजार पाकिस्‍तानी रुपये में बिकी थी। इस मछली के मिलने से मछुआरा समुदाय में खुशी का माहौल है।


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Sunday 30 May 2021

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तेलअवीव हमास के साथ जंग रोककर विवादों में आए इजरायल के प्रधानमंत्री की कुर्सी पर अब बड़ संकट मंडराने लगा है। नेतन्‍याहू को सत्‍ता से बेदखल करने के लिए इजरायल के विपक्षी दल साथ आ गए हैं। इजरायल के राष्‍ट्रवादी नेता नफ्ताली बेनेट ने ऐलान किया है कि वह गठबंधन सरकार में शामिल हो सकते हैं। इससे देश के सबसे लंबे समय तक शासन करने वाले प्रधानमंत्री नेतन्‍याहू का शासन काल खत्‍म हो सकता है। बेनेट ने अपनी पार्टी की बैठक में कहा, 'मैं अपने मित्र यैर लेपिड के साथ मिलकर एकता सरकार बनाने के लिए सबकुछ करूंगा ताकि ईश्‍वर की इच्‍छा से हम दोनों मिलकर देश को एक अनियंत्रित गिरावट से रोक सकेंगे। साथ ही इजरायल को वापस रास्‍ते पर लाएंगे।' लैपिड को बुधवार तक नई सरकार बनाने का कार्यभार दिया गया है। इससे पहले दोनों ही नेताओं को एक डील पर सहमति जतानी होगी। पिछले करीब 12 साल से सत्‍ता पर काबिज हैं नेतन्‍याहू माना जा रहा है कि दोनों नेता बारी-बारी से दो-दो साल तक पीएम रह सकते हैं। बेनेट की इस घोषणा के साथ ही पिछले करीब 12 साल से सत्‍ता पर काबिज नेतन्‍याहू के शासन के खत्‍म होने की अटकलें तेज होने लगी हैं। बेनेट पहले नेतन्‍याहू के सहयोगी थे लेकिन बाद में वे विरोधी हो गए। उन्‍होंने कहा कि इजरायल को दो साल में लगातार पांचवीं बार चुनाव से बचाने के लिए यह फैसला लिया है। उधर, विरोध‍ियों के एकजुट होने पर नेतन्‍याहू भड़क उठे हैं। उन्‍होंने इस गठबंधन को सदी का सबसे बड़ा धोखा करार दिया है। नेतन्‍याहू ने कहा, 'देश में एक भी ऐसा शख्‍स नहीं है जो बेनेट को वोट देगा। यह सदी का सबसे बड़ा धोखा है।' उन्‍होंने कहा कि इस गठबंधन के बाद वामपंथी दल सत्‍ता में आए जाएंगे। उन्‍होंने कहा कि इस सरकार के बनने पर इजरायल कमजोर हो जाएगा। नेतन्‍याहू ने दावा किया कि देश में अभी भी दक्षिणपंथी सरकार संभव है।


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इस्‍लामाबाद पाकिस्‍तान को अपना 'आयरन ब्रदर' बताने वाले चीनी ड्रैगन की पोल अब खुलती नजर आ रही है। कंगाली की हालत से गुजर रहे पाकिस्‍तान ने चीन से अपने 3 अरब डॉलर के कर्ज को पुनर्गठित करने का अनुरोध किया था। चीन ने पाकिस्‍तान के इस अनुरोध को खारिज कर दिया है। दरअसल, पाकिस्‍तान चाहता था कि चीन सीपीईसी के तहत बने ऊर्जा प्रॉजेक्‍ट के लिए दिए गए लोन को माफ कर दे। एशिया टाइम्‍स की रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्‍तान में बनाए ऊर्जा प्‍लांट पर चीन ने करीब 19 अरब डॉलर का निवेश किया है। चीन ने पाकिस्‍तान के ऊर्जा खरीद पर हुए समझौते को पुनर्गठित करने के अनुरोध को खारिज कर दिया और कहा कि कर्ज में किसी भी राहत के लिए चीनी बैंकों को अपने नियम और शर्तों में बदलाव करना होगा। चीनी बैंक पाकिस्‍तान सरकार के साथ पहले हुए समझौते के किसी भी शर्त को बदलने के लिए तैयार नहीं हैं। कर्ज के बोझ के तले दबे पाकिस्‍तान के ड‍िफाल्‍ट होने का खतरा पाकिस्‍तान के पीएम इमरान खान की पार्टी पीटीआई के सीनेटर और उद्योगपति नौमान वजीर ने कहा कि नैशनल इलेक्ट्रिक पॉवर रेगुलेटरी अथॉरिटी ने जिस समय निजी क्षेत्र को ऊर्जा उत्‍पादन की अनुमति प्रदान की थी, उस समय टैरिफ बहुत ज्‍यादा रखा गया। उन्‍होंने कहा कि इसका खुलाा पाकिस्‍तान के पॉवर सेक्‍टर को लेकर हुए एक जांच में हुआ। कर्ज के बोझ के तले दबे पाकिस्‍तान के ड‍िफाल्‍ट होने का खतरा मंडरा रहा है। पाकिस्‍तान पर 30 दिसंबर 2020 तक कुल 294 अरब डॉलर का कर्ज था जो उसकी कुल जीडीपी का 109 प्रतिशत है। आर्थिक विशेषज्ञों का कहना है कि कर्ज और जीडीपी का यह अनुपात वर्ष 2023 के अंत तक 220 फीसदी तक हो सकता है। यह वही साल है जब इमरान खान सरकार के पांच साल पूरे हो जाएंगे। इमरान खान ने सत्‍ता संभालने से पहले चुनाव प्रचार में वादा किया था कि वह एक नया पाकिस्‍तान बनाएंगे जो दुनिया से कर्ज के लिए भीख नहीं मांगेगा। इमरान खान भीख मांगने का कटोरा लेकर घूम रहे: बिलावल अपने दावे से उलट इमरान खान पाकिस्‍तान को कर्ज के जाल में फंसा चुके हैं। इसी वजह से वह अब विपक्षी दलों के निशाने पर भी हैं। पाकिस्‍तान पीपुल्‍प पार्टी के चेयरमैन बिलावल भुट्टो जरदारी ने पिछले दिनों प्रधानमंत्री इमरान खान पर जोरदार हमला बोला। बिलावल ने कहा कि प्रधानमंत्री इमरान खान भीख मांगने का कटोरा लेकर दुनिया की चौखट पर घूम रहे हैं और पूरे पाकिस्‍तान की प्रतिष्‍ठा को मिट्टी में मिला रहे हैं। उन्‍होंने कहा कि इमरान खान ने पाकिस्‍तान को अंतरराष्‍ट्रीय कर्जदाता देशों और संगठनों का गुलाम बना दिया है। बिलावल ने गुरुवार को कहा कि इमरान खान के इस कदम से देश का भविष्‍य दांव पर लग गया है। पीपीपी नेता ने कहा, 'पीएम इमरान खान 'भीख मांगने का कटोरा' लेकर वॉशिंगटन, रियाद, दुबई और पेइचिंग जा रहे हैं। इससे देश की प्रतिष्‍ठा बर्बाद हो गई है।' उन्‍होंने कहा कि इमरान खान कर्ज लेकर देश की अर्थव्‍यवस्‍था को चला रहे हैं जिससे कई पीढ़‍ियों के लिए खतरा पैदा हो गया है। पीपीपी नेता बिलावल ने कहा कि वर्ष 2021 में ही इमरान खान ने 10 अरब डॉलर का लोन लिया है जिससे कुल कर्ज 35 फीसदी बढ़ गया है। इमरान खान के कार्यकाल में पाकिस्‍तान का बाहरी कर्ज 95 अरब डॉलर से बढ़कर 116 अरब डॉलर हो गया है।


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रोसेउ भारतीय बैंकों से करोड़ों रुपये की धोखाधड़ी करके फरार चल रहा हीरा कारोबारी मेहुल चोकसी कैरेब‍ियाई देश डोमिनिका के अस्‍पताल में भर्ती हो गया है। मेहुल की कोरोना रिपोर्ट निगेटिव आई है। बताया जा रहा है कि मेहुल चोकसी को डोमिनिका के चाइना फ्रेंडशिप हॉस्पिटल ले जाया गया है। मेहुल के वकील ने भी अपने मुवक्किल के अस्‍पताल में भर्ती कराए जाने की पुष्टि की है। भगोड़े कारोबारी के इस ताजा दांव से उसके जल्‍द भारत प्रत्‍यर्पण की संभावना पर पानी फिरता नजर आ रहा है। मेहुल चोकसी को क्‍यों अस्‍पताल ले जाया गया है, इसका अभी तक पता नहीं चल पाया है। इस बीच कहा जा रहा है कि मेहुल चौकसी के अपहरण में कथित रूप से शामिल दो भारतीय एजेंट अब डोमिनिका से बाहर चले गए हैं। बताया जा रहा है कि भंडल गुरजीत और सिंह गुरमीत नामक ये एजेंट कोर्ट में मामला जाने के बाद अब डोमिनिका छोड़ चुके हैं। इससे पहले ऐंटीगा और बारबुडा के प्रधानमंत्री गैस्टन ब्राउन ने एक नया खुलासा किया था। उनका कहना था कि शायद चोकसी अपनी गर्लफ्रेंड को डिनर कराने या 'अच्छा वक्त' बिताने यॉट के जरिए पड़ोसी देश डोमिनिका गया था। 'गर्लफ्रेंड को डिनर कराने या अच्छा वक्त बिताने डोमिनिका गया' ‘ऐंटीगा न्यूज रूम’ के मुताबिक, ब्राउन ने कहा कि डोमिनिका की सरकार और कानून लागू करने वाली एजेंसियां उसे भारत को प्रत्यर्पित कर सकती हैं क्योंकि वह एक भारतीय नागरिक है। उन्होंने कहा, 'हमें मिल रही सूचना के मुताबिक, मेहुल चोकसी शायद अपनी गर्लफ्रेंड को डिनर कराने या अच्छा वक्त बिताने डोमिनिका गया और वहां पकड़ा गया। यह एक ऐतिहासिक गलती होगी क्योंकि ऐंटीगा में चोकसी एक नागरिक है और हम उसे प्रत्यर्पित नहीं कर सकते।' ब्राउन ने कहा, 'समस्या यह है कि अगर चोकसी को इसलिए वापस भेजा जाता है कि वह ऐंटीगा का नागरिक है जबकि भले ही उसकी नागरिकता अस्थिर है, फिर भी उसे संवैधानिक और वैधानिक संरक्षण प्राप्त है। हमें इस बात में कोई संदेह नहीं है कि आखिरकार चोकसी की नागरिकता रद्द की जाएगी क्योंकि उसने अपने बारे में जानकारी का खुलासा नहीं किया था।' चोकसी को पड़ोस के डोमिनिका में पकड़ा गया ‘ऐंटीगा न्यूज रूम’ के मुताबिक कतर एयरवेज का एक निजी विमान डोमिनिका में डगलस-चार्ल्स हवाई अड्डे पर उतरा, जिसके बाद चोकसी के प्रत्यर्पण को लेकर अटकलें लगने लगी हैं। ऐंटीगा और बारबुडा से रहस्यमय परिस्थितियों में लापता हुए चोकसी को पड़ोस के डोमिनिका में पकड़ा गया था। ब्राउन ने रेडिशा शो में बताया कि चोकसी के प्रत्यर्पण के लिए जरूरी दस्तावेज लेकर विमान भारत से आया है। भारतीय प्राधिकारों ने इस बारे में हालांकि आधिकारिक तौर पर पुष्टि नहीं की है। कतर की एक्जीक्यूटिव उड़ान ए7सीईई के सार्वजनिक तौर पर उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक इस विमान ने 28 मई को तड़के तीन बजकर 44 मिनट पर दिल्ली हवाई अड्डे से उड़ान भरी और उसी दिन स्थानीय समयानुसार दिन में एक बजकर 16 मिनट पर डोमिनिका पहुंचा।


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लंदन दुनियाभर में लाखों लोगों की जान ले चुकी कोरोना वायरस महामारी स्‍वाभाविक रूप से पैदा नहीं हुई थी बल्कि इसे चीन के वुहान लैब में चीनी वैज्ञानिकों ने पैदा किया था। चीनी वैज्ञानिकों ने वायरस के इंजीनियरिंग वर्जन को छिपाने का प्रयास किया ताकि यह इस तरह से लगे जैसे कोरोना चमगादड़ों से स्‍वाभाविक रूप से पैदा हुआ है। कोरोना के उत्‍पत्ति को लेकर हुए महत्‍वपूर्ण शोध में शोधकर्ताओं के एक दल ने यह जानकारी दी है। ब्रिटिश अखबार डेली मेल की रिपोर्ट के मुताबिक शोधकर्ताओं ने अपने 22 पन्‍ने के शोध में वुहान लैब में वर्ष 2002 से 2019 के बीच हुए प्रयोगों के फॉरेंसिक विश्‍लेषण के आधार यह निष्‍कर्ष निकाला है। उन्‍होंने पाया कि SARS कोरोना वायरस-2 का कोई प्राकृतिक पूर्वज नहीं है। इससे इस बात पर कोई संदेह नहीं है कि वायरस वुहान की लैब में गड़बड़ी करके बनाया गया है। 'स्‍वाभाविक तरीके से निकलने के संभावना बहुत कम' शोधपत्र में यह भी आरोप लगाया गया है कि कोरोना वायरस नमूनों में 'विशेष फिंगरप्रिंट' केवल प्रयोगशाला में तोड़-मरोड़ करने से निकला। इसके प्राकृतिक तरीके से निकलने के संभावना बहुत कम है। वैज्ञानिकों ने कहा, 'एक स्‍वाभाविक वायरस महामारी धीरे-धीरे म्‍यूटेट होती है और यह संक्रामक तो ज्‍यादा होती है लेकिन रोगजनक कम होती है। यही लोग कोरोना वायरस महामारी में भी अपेक्षा कर रहे थे लेकिन ऐसा होता नहीं द‍िख रहा है।' वैज्ञानिकों ने कहा कि हमारे ऐतिहासिक पुनर्निमाण का असर यह है कि हम यह बिना किसी संदेह के मान रहे हैं कि इस वायरस का निर्माण किसी खास उद्देश्‍य से किया गया था। हालांकि उन्‍होंने यह भी कहा कि विस्‍तृत सामाजिक प्रभाव की वजह से इन फैसलों को केवल शोध वैज्ञानिकों पर नहीं छोड़ा जा सकता है।' इस र‍िपोर्ट में कहा गया है कि ब्रिटिश विशेषज्ञों दालगले‍इश और सोरेंसन ने लिखा था कि प्रथमदृष्‍टया यह वायरस चीन के रिवर्स इंजीन‍ियरिंग का परिणाम है। हालांकि उनके इस सिद्धांत को अन्‍य विद्वानों ने खारिज कर दिया था। कोरोना महामारी के उत्‍पत्ति का पता लगाने की जरूरत: वैज्ञानिक कई विशेषज्ञों ने हाल तक वुहान की लैब से कोरोना वायरस के निकलने के सिद्धांत को खारिज किया था। उनका दावा था कि कोरोना वायरस स्‍वाभाविक तरीके से पशुओं से इंसानों में आया है। हालांकि अब इसमें बदलाव देखा जा रहा है। अमेरिका, कनाडा, ब्रिटेन और स्विटजरलैंड के 18 वैज्ञानिकों के दल ने जर्नल साइंस पत्रिका में एक पत्र लिखा है और दलील दी है कि कोरोना महामारी के उत्‍पत्ति का पता लगाने की जरूरत है। अमेरिका के शीर्ष संक्रामक रोग विशेषज्ञ डॉक्‍टर एंथनी फाउची ने भी कहा है कि वह इससे सहमत नहीं है कि कोरोना वायरस स्‍वाभाविक तरीके से पैदा हुआ है।


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पेरिस फ्रांस में हुई एक स्टडी में सामने आया है कि की कोरोना वैक्सीन कम प्रभावी है लेकिन भारत में फैले कोरोना के स्ट्रेन से बचाव करने में सक्षम है। फ्रांस का पाश्चर संस्थान ने यह स्टडी की है। संस्थान के निदेशक और स्टडी के सह-लेखक ओलिवियर श्वार्ट्ज ने कहा, 'थोड़ी कम प्रभावकारिता के बावजूद, Pfizer वैक्सीन भारत में मिले वैरिएंट के खिलाफ रक्षा करता है।' इस स्टडी के लिए ऑरलियंस शहर के 28 स्वास्थ्यकर्मियों का सैंपल लिया गया। इनमें से 16 को Pfizer वैक्सीन की दो खुराक मिली थी, जबकि 12 को AstraZeneca वैक्सीन की एक खुराक मिली थी। स्टडी के मुताबिक जिन लोगों ने Pfizer की दो खुराक प्राप्त की थी उनमें कोरोना के बी.1.617 वैरिएंट के खिलाफ एंटीबॉडी में तीन गुना कमी देखी गई, लेकिन फिर भी वे सुरक्षित थे। स्टडी में कहा गया है, 'AstraZeneca वैक्सीन के साथ स्थिति अलग थी, इसने विशेष रूप से बी.1.617 वैरिएंट को बेअसर करने के लिए एंटीबॉडी के निम्न स्तर को प्रेरित किया।' श्वार्ट्ज ने कहा कि जिन मरीजों को पिछले एक साल के भीतर कोविड-19 था और जिन लोगों का Pfizer की दो खुराक के साथ टीकाकरण किया था उनमें बी.1.617 वैरिएंट के खिलाफ पर्याप्त एंटीबॉडी थीं लेकिन ब्रिटेन में मिले वैरिएंट के खिलाफ तीन से छह गुना कम एंटीबॉडी मिलीं। श्वार्ट्ज ने कहा कि स्टडी से पता चलता है कि इस वैरिएंट ने एंटीबॉडी के लिए आंशिक प्रतिरोध हासिल कर लिया है। चीन में 2019 के आखिर में पहली बार उभरने के बाद से SARS-CoV-2 वायरस ने कोरोना के कई वैरिएंट बना लिए हैं।


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रोसेउ भारतीय बैंक से कर्ज धोखाधड़ी के मामले में वॉन्टेड भगोड़े हीरा कारोबारी के बारे में ऐंटीगा और बारबुडा के प्रधानमंत्री गैस्टन ब्राउन ने एक नया खुलासा किया है। उनका कहना है कि शायद चोकसी अपनी गर्लफ्रेंड को डिनर कराने या 'अच्छा वक्त' बिताने यॉट के जरिए पड़ोसी देश डोमिनिका गया था। ‘ऐंटीगा न्यूज रूम’ के मुताबिक, ब्राउन ने कहा कि डोमिनिका की सरकार और कानून लागू करने वाली एजेंसियां उसे भारत को प्रत्यर्पित कर सकती हैं क्योंकि वह एक भारतीय नागरिक है। उन्होंने कहा, 'हमें मिल रही सूचना के मुताबिक, मेहुल चोकसी शायद अपनी गर्लफ्रेंड को डिनर कराने या अच्छा वक्त बिताने डोमिनिका गया और वहां पकड़ा गया। यह एक ऐतिहासिक गलती होगी क्योंकि ऐंटीगा में चोकसी एक नागरिक है और हम उसे प्रत्यर्पित नहीं कर सकते।' ब्राउन ने कहा, 'समस्या यह है कि अगर चोकसी को इसलिए वापस भेजा जाता है कि वह ऐंटीगा का नागरिक है जबकि भले ही उसकी नागरिकता अस्थिर है, फिर भी उसे संवैधानिक और वैधानिक संरक्षण प्राप्त है। हमें इस बात में कोई संदेह नहीं है कि आखिरकार चोकसी की नागरिकता रद्द की जाएगी क्योंकि उसने अपने बारे में जानकारी का खुलासा नहीं किया था।' ‘ऐंटीगा न्यूज रूम’ के मुताबिक कतर एयरवेज का एक निजी विमान डोमिनिका में डगलस-चार्ल्स हवाई अड्डे पर उतरा, जिसके बाद चोकसी के प्रत्यर्पण को लेकर अटकलें लगने लगी हैं। ऐंटीगा और बारबुडा से रहस्यमय परिस्थितियों में लापता हुए चोकसी को पड़ोस के डोमिनिका में पकड़ा गया था। ब्राउन ने रेडिशा शो में बताया कि चोकसी के प्रत्यर्पण के लिए जरूरी दस्तावेज लेकर विमान भारत से आया है। भारतीय प्राधिकारों ने इस बारे में हालांकि आधिकारिक तौर पर पुष्टि नहीं की है। कतर की एक्जीक्यूटिव उड़ान ए7सीईई के सार्वजनिक तौर पर उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक इस विमान ने 28 मई को तड़के तीन बजकर 44 मिनट पर दिल्ली हवाई अड्डे से उड़ान भरी और उसी दिन स्थानीय समयानुसार दिन में एक बजकर 16 मिनट पर डोमिनिका पहुंचा। डोमिनिका के उच्च न्यायालय ने चोकसी को उसके यहां से ले जाने पर रोक लगा दी है और इस मामले में दो जून को खुली अदालत में सुनवाई के बाद ही आगे की कार्रवाई पर फैसला होगा। चोकसी ने आरोप लगाया है कि ऐंटीगा और भारतीय की तरह दिखने वाले पुलिसकर्मियों ने उसे ऐंटीगा और बारबुडा में जॉली बंदरगाह से अगवा किया और उसे डोमिनिका ले गए। डोमिनिका से चोकसी की एक तस्वीर सामने आयी है जिसमें उसकी आंखें सूजी हुई थीं और उसके हाथ पर खरोंच के निशान थे। चोकसी और उसके भांजे नीरव मोदी ने पंजाब नेशनल बैंक से 13,500 करोड़ रुपये की धनराशि का कथित तौर पर गबन किया। नीरव मोदी लंदन की एक जेल में बंद है और वह भारत प्रत्यर्पित किए जाने के खिलाफ मुकदमा लड़ रहा है। चोकसी ने 2017 में ऐंटीगा ऐंड बारबुडा की नागरिकता ली थी और जनवरी 2018 के पहले हफ्ते में भारत से भाग गया था। इसके बाद ही यह घोटाला सामने आया था। दोनों ही सीबीआई जांच का सामना कर रहे हैं।


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कैनबेरा ऑस्ट्रेलिया में कुछ वैज्ञानिकों ने एक अनोखे की है। न्यू गिनी के वर्षावनों में यह मेंढक पाया गया है। खास बात यह है कि पेड़ पर रहने वाले मेंढकों की त्वचा आमतौर पर हरी होती है लेकिन इस मेंढक का रंग भूरा है। इसलिए इसे 'चॉकलेट फ्रॉग' नाम दिया गया है। सेंटर फॉर प्लैनेटरी हेल्थ ऐंड फूड सिक्यॉरिटी और क्वींसलैंड म्यूजियम के पॉल ऑलिवर ने ऑस्ट्रेलियन जर्नल ऑफ जूलॉजी में लिखे पेपर में इस मेंढक के बारे में चर्चा की है। ऑस्ट्रेलिया और न्यू गिनी कभी एक-दूसरे से जुड़े हुए थे लेकिन अब न्यू गिनी में वर्षावन ज्यादा हैं और ऑस्ट्रेलिया में सवाना। हरे रंग के पेड़ वाले मेंढक Litoria caerulea उत्तरी और पूर्वी ऑस्ट्रेलिया और न्यू गिनी में पाए जाते हैं। ऑस्ट्रेलियाई वैज्ञानिकों ने 2016 में नई प्रजाति की खोज की और माना गया है कि ये पूरे न्यू गिनी में होंगे। स्टडी के सह-रिसर्चर स्टीव रिचर्ड्स ने बताया है कि ये मेंढक बेहद गर्म और दलदली इलाके में रहते हैं जहां काफी मगरमच्छ होते हैं। इसलिए यहां ज्यादा खोज नहीं की जाती है। इस नई प्रजाति को Litoria Mira नाम दिया गया है जिसका लैटिन में मतलब होता है 'हैरानी भरा'। इसे ऑस्ट्रेलिया में आमतौर पर पाए जाने वाले मेंढक से मिलता-जुलता देखकर हैरानगी के चलते यह नाम दिया गया है। इस क्षेत्र की रिसर्च काफी दिलचस्प है क्योंकि इसमें समझा जाता है कि कैसे ये दोनों क्षेत्र अलग-अलग तरह से विकसित हुए, ये कैसे बढ़े और कैसे घटे। करीब 53-26 लाख साल पहले यहां की प्रजातियां एक दूसरे से जुड़ी थीं।


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ब्रह्मांड का 27% हिस्सा डार्क मैटर से बना है। यह हमें दिखता नहीं और आज तक इसे समझा भी नहीं जा सका है। फिर भी इसकी मौजूदगी साबित करने के लिए इसका असर ही काफी है। यह इतना शक्तिशाली होता है कि गैलेक्सीज तक को मोड़ सकता है। अब वैज्ञानिकों ने डार्क मैटर का सबसे बड़ा मैप तैयार किया है। दिलचस्प बात यह है कि इस मैप से ऐल्बर्ट आइंस्टाइन की सबसे मशहूर थिअरी ऑफ रिलेटिविटी (Theory of Relativity) पर कुछ हद तक सवाल खड़ा होता दिखा है।

यह मैप Monthly Notices of the Royal Astronomical Society में छपेगा। इससे यह भी समझने में मदद मिलेगी कि ब्रह्मांड कैसे बना है और कैसे विकसित हुआ।


Dark Matter Map: ब्रह्मांड में डार्क मैटर का सबसे बड़ा मैप तैयार, ग्रैविटी पर आइंस्टाइन की थिअरी उलझी

ब्रह्मांड का 27% हिस्सा डार्क मैटर से बना है। यह हमें दिखता नहीं और आज तक इसे समझा भी नहीं जा सका है। फिर भी इसकी मौजूदगी साबित करने के लिए इसका असर ही काफी है। यह इतना शक्तिशाली होता है कि गैलेक्सीज तक को मोड़ सकता है। अब वैज्ञानिकों ने डार्क मैटर का सबसे बड़ा मैप तैयार किया है। दिलचस्प बात यह है कि इस मैप से ऐल्बर्ट आइंस्टाइन की सबसे मशहूर थिअरी ऑफ रिलेटिविटी (Theory of Relativity) पर कुछ हद तक सवाल खड़ा होता दिखा है।



कैसे डिटेक्ट होता है डार्क मैटर?
कैसे डिटेक्ट होता है डार्क मैटर?

वैज्ञानिकों ने अंतरिक्ष की ऐसी खाली जगहों को मैप पर दिखाया है जहां फिजिक्स के सिद्धांत लागू नहीं होते। धरती पर दूसरी गैलेक्सीज से आने वाली रोशनी के आधार पर ऐस्ट्रोनॉमर डार्क मैटर को डिटेक्ट करते हैं। अगर रोशनी में डिस्टॉर्शन हो तो इसका मतलब है कि पीछे कुछ ऐसा है जो रोशनी रास्ते में मोड़ रहा है। आर्टिफिशल इंटेलिजेंस की मदद से 10 करोड़ गैलेक्सीज की तस्वीरों का अनैलेसिस किया गया। इंटरनैशनल डार्क एनर्जी सर्वे की टीम ने धरती से रात के वक्त में देखे जाने वाले आसमान के आठवें हिस्से का मैप तैयार किया है।



पहले कभी नहीं देखे गए ये हिस्से
पहले कभी नहीं देखे गए ये हिस्से

गुलाबी, बैंगनी और काले पैच के साथ तैयार मैप में सबसे चकीले हिस्सों में डार्क मैटर सबसे घना है क्योंकि यहां गैलेक्सीज सुपरक्लस्टर में हैं। खाली जगहें ऐसी हैं जहां कुछ नहीं है। यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन और École Normale Supérieure, पेरिस के डॉ. नियाल जेफ्री ने बताया है, 'इसमें हमें ब्रह्मांड के ऐसे हिस्से दिखते हैं, जो कभी नहीं देखे गए। हमें कॉस्मिक वेब (cosmic web) दिखते हैं जिसमें कॉस्मिक वॉइड्स (cosmic void) हैं। ये ऐसे क्षेत्र होते हैं जहां बहुत कम गैलेक्सी और मैटर होता है।'



आइंस्टाइन की थिअरी पर सवाल?
आइंस्टाइन की थिअरी पर सवाल?

वैज्ञानिकों को इन्हें लेकर उत्सुकता होती है क्योंकि यहां ग्रैविटी अलग तरह से होती है। मैप में इनका आकार और लोकेशन होने से आगे की स्टडीज के लिए मदद मिल सकती है। यह मैप मंथली नोटिसेज ऑफ द रॉयल ऐस्ट्रोनॉमिकल सोसायटी में छपेगा। इससे यह भी समझने में मदद मिलेगी कि ब्रह्मांड कैसे बना है और कैसे विकसित हुआ। आइंस्टाइन की थिअरी ऑफ रिलेटिविटी में ब्रह्मांड के विस्तार में ग्रैविटी की भूमिका समझाई गई है। इसी वजह से कॉस्मिक वेब बनता है लेकिन मैप में दखने से पता चलता है कि आइंस्टाइन का मॉडल पूरी तरह फिट नहीं होता। मैटर काफी सपाट भी नजर आता है।





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रियाद सऊदी अरब के नेतृत्‍व में गठबंधन सेना ने यमन की राजधानी सना में हूती विद्रोहियों के एक शिविर को हवाई हमला करके तबाह कर दिया है। सऊदी...