Wednesday 31 March 2021

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वॉशिंगटन दुनिया शीर्ष अरबपतियों में शुमार स्‍पेस एक्‍स कंपनी के मालिक एलन मस्‍क की पत्‍नी ग्रिम्‍स भी अपने प्रेमी की तरह से मंगल ग्रह पर बसने के सपने देखती रहती हैं। ग्रिम्‍स ने अपने ताजा इंस्‍टाग्राम पोस्‍ट में कहा कि वह 'मंगल ग्रह पर मरने के लिए तैयार' हैं। ग्रिम्‍स का यह बयान ऐसे समय पर आया है, जब अरबपति एलन मस्‍क मंगल ग्रह पर जाने के लिए अपने स्‍टारशिप रॉकेट का लगातार परीक्षण कर रहे हैं। सिंगर ग्रिम्‍स और एलन मस्‍क का एक बेटा X Æ A-Xii है। ग्रिम्‍स ने इंस्‍टाग्राम पर लिखा कि वह मंगल ग्रह की लाल धूल पर मरने के लिए तैयार हैं। इससे पहले एक सवाल जवाब में ग्रिम्‍स ने कहा था कि वह 50 साल की उम्र में मंगल ग्रह पर जाना चाहती हैं ताकि लाल ग्रह पर इंसानों की बस्‍ती बसाने में मदद की जा सके। ग्रिम्‍स का यह बयान ऐसे समय पर आया है जब एलन मस्‍क ने ऐलान किया है कि वह तीसरे विश्‍वयुद्ध से पहले मंगल ग्रह पर इंसानी बस्तियां बसा देंगे। स्टारशिप SN11 लॉन्च के कुछ ही मिनटों में क्रैश हालांकि एलन मस्‍क को अपने शुरुआती प्रयास में झटका लगा है। मंगल ग्रह पर जाने के लिए अपना खुद का रॉकेट भेजने की कोशिश में लगे Elon Musk की कंपनी SpaceX के हाथ सफलता आते-आते फिर छूट गई। कंपनी के Starship प्रोटोटाइप के SN11 रॉकेट ने टेक्सस में मंगलवार सुबह उड़ान तो भरी लेकिन लैंडिंग से पहले ही ब्लास्ट हो गया। इससे पहले SN10 रॉकेट लैंड भी हुआ था लेकिन कुछ ही मिनट बाद क्रैश हो गया था। SN11 को 24 घंटे की देरी के बाद लॉन्च किया गया था। यह 6.2 मील की ऊंचाई तक गया और फिर लैंडिंग की प्रक्रिया शुरू हुई लेकिन फ्लाइट के 6 मिनट बाद इसके ब्रॉडकास्ट कैमरा कट गया। SpaceX के लॉन्च कमेंटेटर जॉन इंसप्रकर ने कहा कि स्टारशिप 11 अब लौट नहीं रहा, लैंडिंग का इंतजार न किया जाए। इसके साथ ही स्टारशिप सीरीज का एक और रॉकेट फ्लाइट पूरी नहीं कर सका। हालांकि, यहां मौसम साफ न होने के कारण इसमें हुआ ब्लास्ट देखना मुश्किल रहा।


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केपटाउन अक्‍सर लोगों को पादने की दुर्गंध से बहुत परेशानी होती है लेकिन दक्षिण अफ्रीका में एक ऐसा पादरी है जो लोगों के मुंह पर पादता है। यही नहीं इतनी दुर्गंध के बाद भी लोग बड़ी संख्‍या में उसके पास पहुंचते हैं। दरअसल, पादरी कथित रूप से लोगों की सभी आध्‍यात्मिक और शारीरिक दिक्‍कतों को दूर करने के लिए उनके मुंह पर पादता है ताकि वे स्‍वस्‍थ हो सकें। इस पास्‍टर का नाम क्राइस्‍ट पेनेलोप है जो दक्षिण अफ्रीका के सियांदनी गांव में स्थित एक चर्च में पादरी है। स्‍थानीय लोगों के मुंह पर पादने के असामान्‍य तरीके की वजह से यह पादरी अब चर्चा का विषय बन गया है। यही नहीं पादरी के लोगों के मुंह के सामने पादने की तस्‍वीर सोशल मीडिया में वायरल हो गई है। इस चर्च में जाने वाले एक व्‍यक्ति ने इसकी शिकायत की है। पादरी ने बताई मुंह पर पादने की वजह चर्च जाने वाले व्‍यक्ति ने कहा, 'जब हम चर्च आते हैं तो इसका उद्देश्‍य प्रार्थना करना है न कि अपने मुंह पर पादा जाना।' इस बीच पादरी पेनेलोप ने अपने ठीक करने के तरीके का बचाव किया है। उन्‍होंने कहा कि वह केवल ईश्‍वर की ताकत को दर्शा रहे हैं। पादरी ने कहा कि इसकी शुरुआत भगवान यीशू मसीह ने पीटर के ऊपर किया था। यह ईश्‍वर की ताकत का प्रदर्शन है। पादरी ने कहा, 'जिस तरह से भगवान यीशू एडम को गहरी नींद में ले गए, उसी तरह से यह भी है।' उन्‍होंने कहा कि किसी व्‍यक्ति की नाक के पास पादना इसलिए जरूरी है ताकि उसके जरिए 'हिलींग पावर' इंसान के शरीर में घुस सके और अपना काम कर सके। पादरी ने दावा किया कि जब व्‍यक्ति गहरी नींद से उठता है तो वह आपको बताएगा कि उसने कुछ भी महसूस नहीं किया। यह ईश्‍वर की ताकत को द‍िखाता है और जिन्‍हें स्‍वस्‍थ होने की जरूरत है, वे हो जाते हैं।


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लंदन ब्रिटेन के केंट स्थित अंतरिक्ष वैज्ञानिकों के एक दल को अंटार्कटिका की बर्फ की चादर के नीचे 4 लाख 30 हजार साल पुराने उल्‍कापिंड के टुकड़े मिले हैं। इस खोज से वैज्ञानिकों में खुशी की लहर दौड़ गई। उन्‍हें उम्‍मीद है कि इस प्राचीन उल्‍कापिंड की मदद से इस बात का आकलन किया जा सकेगा कि मध्‍यम आकार के ऐस्‍टरॉइड से धरती को किस तरह का खतरा हो सकता है। शोधकर्ताओं के दल ने कहा कि उल्‍कापिंड की मदद से ऐस्‍टरॉइड के टकराने पर होने व‍िनाशकारी परिणामों का भी आकलन किया जा सकेगा। वैज्ञानिकों को यह उल्‍कापिंड के टुकड़े पूर्वी अंटार्कटिका के वालनुम्‍फजेलेट चोटी पर मिले हैं। इस खोज से संकेत मिलता है कि कथित रूप से निचली कक्षा में चक्‍कर लगाने वाला उल्‍कापिंड धरती पर बहुत तेजी से गिरा था। उन्‍होंने बताया कि यह उल्‍कापिंड कम से कम 100 मीटर का रहा होगा। उल्‍कापिंड का प्रभाव करीब 2000 किमी तक यूनिवर्सिटी ऑफ केंट के वैज्ञानिक डॉक्‍टर मैटथिआस वॉन ने कहा कि इस उल्‍कापिंड का प्रभाव करीब 2000 किमी या लगभग एक उपमहाद्वीप तक रहा होगा। साइंस अडवांस जर्नल में प्रकाशित जर्नल में प्रकाशित शोध में कहा गया है कि इस तरह की घटनाओं के साक्ष्‍य जुटाना बेहद अहम है क्‍योंकि इसके जरिए उल्‍कापिंडों के पृथ्‍वी के टकराने के इतिहास और खतरनाक ऐस्‍टरॉइड के खतरनाक प्रभावों को समझा जा सकेगा। डॉक्‍टर वॉन ने कहा कि ऐस्‍टरॉइड के धरती के घनी आबादी वाले इलाके में टकराने की आशंका बहुत ही कम है लेकिन इसका प्रभाव काफी दूर तक हो सकता है। पृथ्‍वी की सतह के केवल 1 प्रतिशत हिस्‍से में घनी आबादी रहती है। वॉन ने कहा कि ऐस्‍टरॉइड के टकराने का असर हजारों क‍िलोमीटर दूर तक महसूस किया जा सकेगा। उन्‍होंने कहा कि इस उल्‍कापिंड की मदद से धरती पर होने वाले असर को समझा जा सकेगा।


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वॉशिंगटन मंगल ग्रह पर एलियन जीवन की तलाश करने निकले नासा के रोवर Perseverance के अंदर मौजूद हेलिकॉप्‍टर Ingenuity ने अपनी पहली उड़ान के लिए तैयारी शुरू कर दी है। नासा के हेलिकॉप्‍टर ने अपने सभी चारों पैरों को नीचे कर लिया है और नासा ने इसकी तस्‍वीर जारी की है। यह हेलिकॉप्‍टर अब इस स्थिति में आ गया है कि लाल ग्रह की सतह को कभी भी छू सकता है। नासा ने कहा कि इस हेलिकॉप्‍टर के 11 अप्रैल के आसपास उड़ान भरने की उम्‍मीद है। नासा अगर अपने मिशन में सफल हो जाता है तो धरती के बाहर दूसरे ग्रह पर किसी हेलिकॉप्‍टर की यह पहली उड़ान होगी। नासा ने ट्वीट करके बताया कि जब हेलिकॉप्‍टर पूरी तरह से तैयार हो जाएगा तो धीरे-धीरे इसे मंगल ग्रह की सतह पर उतारा जाएगा। एजेंसी ने कहा कि इस हेलिकॉप्‍टर के 11 अप्रैल से पहले उड़ान भरने की संभावना नहीं है। इस उड़ान का डेटा 12 अप्रैल को आ जाएगा। Ingenuity ने नासा को क्या बताया? Ingenuity नाम का यह हेलिकॉप्टर यह टेस्ट करने के लिए गया है कि लाल ग्रह की सतह और वायुमंडल में रोटरक्राफ्ट टेक्नॉलजी का इस्तेमाल किया जा सकता है या नहीं। इससे पहले रोवर की सफल लैंडिंग के बाद उसमें लगे इस हेलिकॉप्टर ने अपनी पहली स्टेटस रिपोर्ट भी भेज दी थी। कैलिफोर्निया में NASA की जेट प्रोपल्शन लैबोरेटरी के मिशन कंट्रोल में मंगल के Jezero Crater से भेजा गया सिग्नल रिसीव किया गया था। इसे मंगल का चक्कर काट रहे Mars Reconnaisance Orbiter के जरिए भेजा गया था। अगर उड़ान में सफल रहा तो Ingenuity धरती के अलावा कहीं और ऐसा करने वाला पहला रोटरक्राफ्ट होगा। सिग्नल के मुताबिक हेलिकॉप्टर और रोवर में लगा उसका बेस स्टेशन उम्मीद के मुताबिक ऑपरेट कर रहे हैं। हेलिकॉप्टर रोवर के साथ 30-60 दिन तक अटैच रहेगा। रोवर में ही एक इलेक्ट्रिकल बॉक्स है जो हेलिकॉप्टर और धरती के बीच होने वाले संचार को स्टोर करेगा और रूट करेगा। इसे ही बेस स्टेशन नाम दिया गया है। मंगल पर हेलिकॉप्टर का क्या काम? धरती से काम में लगा मिशन कंट्रोल यहां से यह सुनिश्चित करेगा कि मंगल के बेहद सर्द माहौल में हेलिकॉप्टर के इलेक्ट्रॉनिक चलते रहें। इसके लिए उसमें लगे हीटर्स को ऑन-ऑफ किया जाएगा। इसकी बैटरी को भी चार्ज किया जाएगा ताकि हीटर चल सकें और दूसरे काम किए जा सकें। रोवर में लगे-लगे कुछ दिन के अंतराल पर धीरे-धीरे इन्हें चार्ज किया जाएगा। फिलहाल इन्हें रोवर की पावर सप्लाई से चार्ज मिल रहा है। मंगल की सतह पर इसे लॉन्च करने के बाद बैटरी सोलर पैनल स चार्ज होंगी। NASA के मुताबिक अगर हेलिकॉप्टर टेक ऑफ और कुछ दूर घूमने में सफल रहा तो मिशन का 90% सफल रहेगा। मंगल पर रोटरक्राफ्ट की जरूरत इसलिए है क्योंकि वहां की अनदेखी-अनजानी सतह बेहद ऊबड़-खाबड़ है। मंगल की कक्षा में चक्कर लगा रहे ऑर्बिटर ज्यादा ऊंचाई से एक सीमा तक ही साफ-साफ देख सकते हैं। वहीं रोवर के लिए सतह के हर कोने तक जाना मुमकिन नहीं होता। ऐसे में ऐसे रोटरक्राफ्ट की जरूरत होती है जो उड़ कर मुश्किल जगहों पर जा सके और हाई-डेफिनेशन तस्वीरें ले सके। 2 किलो के Ingenuity को नाम भारत की स्टूडेंट वनीजा रुपाणी ने एक प्रतियोगिता के जरिए दिया था।


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पेरिस फ्रांस में कोरोना वायरस ने फिर अपना प्रकोप दिखान शुरू कर दिया है। कोरोना के खतरे को देखते हुए फ्रांस के राष्ट्रपति इमैन्युएल मैक्रों ने पूरे देश में 4 हफ्ते के लिए लॉकडाउन लगा दिया है। बुधवार को देशव्यापी लॉकडाउन लगाने का आदेश देते हुए राष्ट्रपति मैक्रों ने कहा कि स्कूलों को कम से कमसतीन सप्ताह के लिए बंद किया जाए। फ्रांस में कोरोना वायरस की तीसरी लहर चल रही है। ऐसे में राष्ट्रपति मैक्रों ने कहा कि अगर अभी हमने अभी ठोस कदम नहीं उठाया तो हम कोरोना पर नियंत्रण खो देंगे। फ्रांस में देशव्यापी लॉकडाउन के दौरान केवल जरूरी सामान की दुकानों को खुलने की इजाजत होगी। ऑफिस जाने के बजाय लोग वर्क फ्रॉम होम करेंगे। इस दौरान 10 किमी से ज्यादा दूर जाने पर रोक होगी।


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मेलबर्न के नाम से लोगों को डर लगता होगा या घिन आती होगी लेकिन हाल ही में इस जीव की ऐसी प्रजाति पाई गई है जो दिखने में बेहद प्यारी है। रंगीन डांसिंग पीकॉक स्पाइडर का चेहरा नारंगी है जिसपे सफेद धारियां बनी हैं। ऑस्ट्रेलियन फटॉग्रफर शेरिल हॉलिडे ने पिछले साल इसकी तस्वीर ली थी जिसे मेलबर्न के म्यूजियम्स विक्टोरिया में स्पाइडर टैक्सॉनमिस्ट जोसेफ शूबर्ट ने देखा। इस पर उन्होंने एक पेपर लिखा है और इसकी खूबियां बताई हैं। साथ ही यह भी चिंता जताई है कि इन जीवों की प्रजातियों की खोज तेज करने की जरूरत है। वरना ये पहले ही विलुप्त हो जाएंगी। शूबर्ट ने बताया कि उन्हें तस्वीर देखकर लगा कि यह एक नई प्रजाति हो सकती है। उन्होंने हॉलिडे से संपर्क किया जिन्होंने कुछ स्पेसिमेन शूबर्ट को भेजे। हॉलिडे को माउंट गैंबियार में एक वेटलैंड ईकोसिस्टम में ये मकड़ी दिखी और उन्होंने चार नर और एक मादा मकड़ी को कलेक्ट कर लिया। शूबर्ट ने मकड़ी के बारे में इवल्यूशनरी सिस्टमैटिक्स जर्नल में रिपोर्ट छापी जिसमें उन्होंने इस मकड़ी को फेमस कार्टून कैरेक्टर 'नीमो' क्लाउन फिश जैसा बताया और इसका नाम भी Maratus nemo रखा। M.nemo के रंग सिर्फ नर में दिखते हैं जबकि ज्यादातर भूरी मादाएं दूसरी प्रजाति की होती हैं। मकड़े का शरीर भूरा होता है और उस पर सफेद निशान होते हैं। उनके पैरों के पास नारंगी सा होता है। उनके चेहरे नारंगी होते हैं और आंखों के नीचे सफेद धाकियां और सिर पर खड़ी धारियां होती हैं। हर मकड़ी का आकार चावल के दाने के बराबर होता है। पीकॉक स्पाइडर मेल्स को मादा को रिझाने के लिए नृत्य करने के लिए जाना जाता है और M.nemo भी यही करते हैं। अब तक रिसर्चर्स ने ऑस्ट्रेलियन पीकॉक स्पाइडर की 92 प्रजातियों को पहचाना है। इनमें से 76 2010 के बाद पहचानी गई हैं। ऑस्ट्रेलिया में जंगलों के कटने और कीटनाशकों के इस्तेमाल के कारण कई प्रजातियों को खतरा पैदा हो गया है। ऐसे में उन्हें बचाने के लिए पहचान करने की भी जरूरत है। शूबर्ट का कहना है कि ऑस्ट्रेलिया की सिर्फ 30% विविधता को डॉक्युमेंट किया गया है। ऐसे में डर है कि कहीं ये खूबसूरत जीव खोजे जाने से पहले विलुप्त न हो जाएं।


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वॉशिंगटन आने के बाद भी एक बड़ा सवाल बच्चों पर असरदार वैक्सीन को लेकर बना था। ज्यादातर कैंडिडेट्स को वयस्कों पर टेस्ट किया गया था और उन्हीं का वैक्सिनेशन शुरू भी हुआ था। ऐसे में बच्चों की सुरक्षा को लेकर चिंता कायम थी। अब अमेरिकी कंपनी Pfizer ने एक बड़ी राहत की खबर देते हुए बताया है कि कोविड-19 का उसका टीका 12 साल से ज्यादा उम्र के बच्चों को सुरक्षित करता है। इसके साथ ही बच्चों के स्कूल खुलने का वक्त करीब आने से पहले उन्हें वैक्सिनेट करने की उम्मीद भी जगी है। अभी तक ज्यादातर वैक्सीन 16 साल या उससे ज्यादा उम्र के लोगों को दी जा रही थीं। फाइजर का यह ऐलान बच्चों में वैक्सीन के विस्तारित इस्तेमाल के लिए दरवाजा खोल सकता है। 12-15 साल के 2,260 वॉलंटिअर्स पर किए गए टेस्ट के डेटा में पाया गया कि पूरे वैक्सिनेशन के बाद कोरोना इन्फेक्शन का कोई केस नहीं पाया गया। यानी वैक्सीन 100% असरदार बताई गई। ऐंटीबॉडीज से जगी उम्मीद यह स्टडी अभी पब्लिश नहीं हुई है और ज्यादा बड़ी संख्या में वॉलंटिअर्स पर टेस्ट भी नहीं किया गया था लेकिन उम्मीद जगने का एक बड़ा काम बच्चों में मिलीं ऐंटीबॉडीज हैं। वायरस से लड़ने वाली ऐंटीबॉडी बच्चों में बड़ों की तुलना में ज्यादा मिलीं। हालांकि, उन पर साइड इफेक्ट भी बड़ों की तरह दिखे जिनमें दर्द, बुखार, थकान शामिल हैं। स्टडी के लिए अभी दो साल तक वॉलंटिअर्स को ट्रैक किया जाएगा और लंबे वक्त तक सुरक्षा और असर को स्टडी किया जाएगा। फाइजर और उसके जर्मन पार्टनर BioNTech ने आने वाले हफ्तों में अमेरिकी फूड ऐंड ड्रग ऐडमिनिस्ट्रेशन और यूरोपीय रेग्युलेटरों से इमर्जेंसी में 12 साल तक के बच्चों को वैक्सीन देने की इजाजत मांगने का प्लान बनाया है। कंपनी की कोशिश है कि बच्चों का अगला सत्र शुरू होने से पहले उन्हें वैक्सिनेट किया जाए। कई कंपनियां मैदान में फाइजर के अलावा Moderna भी 12-17 साल के बच्चों पर वैक्सीन टेस्ट कर रही है और जल्द ही उसके नतीजे भी सामने आ सकते हैं। खास बात यह है कि FDA ने दोनों कंपनियों के अब तक के नतीजों पर भरोसा जताते हुए 11 साल तक के बच्चों पर भी वैक्सीन टेस्ट करने की इजाजत दे दी है। पिछले महीने AstraZeneca ने 6 से 17 साल तक के बच्चों पर ब्रिटेन में स्टडी शुरू की है। वहीं, Johnson & Johnson भी स्टडी कर रही है। चीन की Sinovac ने 3 साल तक के बच्चों पर भी अपनी वैक्सीन को असरदार बताया है।


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वॉशिंगटन धरती के चक्कर काट रहे स्पेसक्राफ्ट्स का काम खत्म होने के बाद उनका क्या होता है? जब वे अपना पूरा जीवन जी लेते हैं तो उन्हें कहां रखा जाता है? इसका जवाब मिलता है प्रशांत महासागर की गहराइयों में। यहां है एक ऐसा ठिकाना जहां पुरानी सैटलाइट्स को दफन कर दिया जाता है। यहां तक कि इस जगह का नाम भी 'स्पेसक्राफ्ट का कब्रिस्तान' रख दिया गया है। यह जगह है जो धरती की सबसे दूरस्थ जगह है। दक्षिण प्रशांत महासागर की यह जगह अपनी सबसे करीबी जमीन से 1400 नॉटिकल मील दूर है। चार किलोमीटर नीचे दिलचस्प बात यह है कि इस जगह का नाम क्लासिक साई-फाई नॉवेल '20,000 लीग्स अंडर द सी' के कैरेक्टर डीप-सी डाइविंग कैप्टन के नाम पर रखा गया है। NASA के मुताबिक महासागर के इस इलाके में किसी स्पेस मलबे के गिरने की संभावना 10,000 में से एक है। स्पेसक्राफ्ट का कब्रिस्तान महासागर की सतह के चार किलोमीटर नीचे है और यहां पुराने और खराब सैटलाइट, ईंधन के टैंक और कचरे के फ्रीट रखी जाती हैं। ISS भी यहीं पहुंचेगा यहां सूरज की रोशनी नहीं पहुंचती और सिर्फ स्पंज, वाइपरफिश, स्किवड, ऑक्टोपाई और वेल रहते हैं। स्पेस एजेंसीज 1971 से यहां अपनी खराब सैटलाइट में फेंक रही हैं। चार दशक से ज्यादा समय के बाद 160-300 सैटलाइट यहं डंप की जा चुकी हैं। सबसे ज्यादा रूस से आती हैं। मलबे में रूस के 6 Salyut स्पेस स्टेशन, यूरोपियन स्पेस एजेंसी के पांच ट्रांसफर वीइकल, जापान के चार HTV कार्गो क्राफ्ट और 145 स्वायत्त रूसी सप्लाई शिप डंप किए जा चुके हैं। रूसी स्पेस स्टेशन Mir को 2001 में यहां डाला गया। अब से 3 साल बाद जब इंटरनैशनल स्पेस स्टेशन का काम पूरा हो जाएगा तब उसे भी यहीं डाला जाएगा।


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पेइचिंग अमेरिका की अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने भारत, चीन, संयुक्त अरब अमीरात (UAE) और यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी के साथ अपने वर्तमान मंगल मिशन का डेटा साझा किया है, ताकि लाल ग्रह पर किसी टक्कर के जोखिम से बचा जा सके क्योंकि इन देशों के अंतरिक्ष यान भी मंगल का चककर लगा रहे हैं। यह जानकारी बुधवार को मीडिया में आई एक रिपोर्ट में दी गई। हांगकांग आधारित ‘साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट’ ने नासा के हवाले से अपनी खबर में लिखा है भारत, चीन, यूएई और यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी के यान भी लाल ग्रह का चक्कर लगा रहे हैं, इसलिए यानों के बीच किसी टक्कर के जोखिम को कम करने के लिए डेटा का आदान-प्रदान किया गया। नासा ने एक बयान में कहा, 'हमारे संबंधित अभियानों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए नासा भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो), यूएई, यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी और चाइना नेशनल स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन के साथ समन्वय कर रहा है क्योंकि इन सभी के यान मंगल की कक्षा में चक्कर लगा रहे हैं।' भारत का मंगलयान 2014 से मंगल की कक्षा में लगातार चक्कर लगा रहा है। नासा के मौजूदा यान का लैंडर पिछले महीने मंगल पर उतरा था और इसने अपना अनवेषण कार्य शुरू कर दिया है। वहीं, चीन का यान ‘तियानवेन-1’ मंगल ग्रह की कक्षा में चककर लगा रहा है और यह मई या जून में लाल ग्रह पर उतरने की तैयारी कर रहा है। संयुक्त अरब अमीरात का यान ‘होप’ मंगल की कक्षा में केवल चक्कर लगा रहा है और यह वहां उतरने की कोशिश नहीं करेगा। यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी के दो यान मंगल का चक्कर लगा रहे हैं। अखबार ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि नासा ने चीन के साथ डेटा साझा करने के लिए अमेरिकी कांग्रेस से अनुमति मांगी थी और चाइना नेशनल स्पेस एडमनिस्ट्रेशन से बात की जिसकी अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी ने सोमवार को पुष्टि की।


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वॉशिंगटन NASA के Curiosity रोवर ने मार्च की शुरुआत से मंगल ग्रह पर एक चट्टान पर काम करना शुरू कर दिया है। इसे Mont Mercou नाम दिया गया है। 6 मीटर ऊंची चट्टान की तस्वीर रोवर ने एक सेल्फी में ली है। सेल्फी में रोवर चट्टान के सामने दिख रहा है और एक सैंपल चट्टान Nontron पर नया ड्रिल का छेद भी दिख रहा है। यह रोवर का 30वां सैंपल है। यह सेल्फी 60 तस्वीरों से बनी है जिन्हें मार्स हैंड लेंस इमेजर (MAHLI) ने लिया है। यह रोवर के रोबॉटिक आर्म पर लगा है। इन तस्वीरों को मास्टकैम से ली गईं 11 तस्वीरों के साथ मिलाया गया। इससे पहले रोवर के मास्टकैम ने कुछ पैनोरमा तस्वीरें भी ली थीं। Curiosity ने सैंपल को लेने के बाद पाउडर में तब्दील किया और सुरक्षित रख लिया। इनकी मदद से टीम चट्टान की बनावट को स्टडी करेगी और यह पता लगाने की कोशिश करेगी कि मंगल का इतिहास कैसा रहा। Mont Mercou फ्रांस में Nontron नाम के गांव के पास स्थित एक जगह है। मंगल पर वैज्ञानिकों को ऐसा मिट्टी का खनिज Nontronite मिला जो Nontron में पाया जाता है। इसी लिए इस जगह का नाम Nontron से जुड़ा हुआ रख दिया गया। कुछ दिन पहले Curiosity ने मंगल के बादलों का वीडियो भेजा था। ये नजारे उसके ऊपर लगे कैमरों में कैद हुए थे। आठ नई तस्वीरों में नैविगेशन कैमरे की नजर से पांच मिनट के नजारे देखे गए। ये धरती के बादलों की तरह ही चलते हुए दिखे। इन्हें उत्तर कैरोलीना स्टेट यूनिवर्सिटी के साइंटिस्ट पॉल ब्राइर्न ने शेयर किया था।


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कैनबेरा और महाविशाल ब्लैक होल के बीच में आते हैं इंटरमीडिएट मास ब्लैक होल (IMBH)। वैज्ञानिकों ने एक ऐसे ही ब्लैक होल का पता लगाया है जो करीब 3 अरब साल पहले हुए एक विस्फोट से पैदा हुई रोशनी में चमकता मिला है। IMBH का सबूत मिलना बेहद मुश्किल होता है। यहां तक कि कुछ वैज्ञानिक इनके अस्तित्व पर भी सवाल उठाते हैं। ऐसे में यह खोज काफी अहम है। ऑस्ट्रेलिया की यूनिवर्सिटी ऑफ मेलबर्न में ऐस्ट्रोफिजिसिस्ट और जेम्स पेनटर का कहना है कि अगर कोई ब्लैक होल आसपास का मैटर नहीं खा रहा होता है तो उसे डिटेक्ट करना मुश्किल हो जाता है। उनके गुरुत्वाकर्षण के असर से ही उनकी मौजूदगी का पता चलता है। साइंस टीम ने ग्रैविटेशनल लेंसिंग की मदद से ही इसे खोजा है। यह ऐसा तरीका होता है जिसमें कोई ऑब्जेक्ट कहीं दूर से आ रही लाइट के रास्ते को मोड़ता है। इस केस में विस्फोट से आ रही रोशनी को ब्लैक होल ने मोड़ दिया। दुर्लभ नहीं होते ये ब्लैक होल रिसर्च में शामिल ऐस्ट्रोनॉमर रेचल वेबस्टर ने बताया कि IMBH की इस तरह खोज से पता चलता है कि ये इतने दुर्लभ भी नहीं हैं जितना समझे जाते हैं। उन्होंने कहा, 'अगर वे बेहद दुर्लभ होते तो ग्रैविटेशनल लेंसिंग के जरिए एक का दिखना भी मुश्किल होता। यह पूरा स्टेटिस्टिक्स और प्रॉबबिलिटी की बात है।' इस खोज से न सिर्फ IMBH बल्कि महाविशाल ब्लैक होल (Supermassive Black Holes) के बारे में पता चल सकेगा। कैसे बनते हैं SMBH? एक थिअरी के तहत माना जाता है कि बिग-बैंग के साथ ही ये SMBH पैदा हुए थे, जिस प्रक्रिया को Direct Collapse (डायरेक्ट कोलैप्स) कहा गया है। इसके मुताबिक तय न्यूनतम आकार के विशाल SMBH पैदा हुए जिनका mass हमारे सूरज से लाखों गुना ज्यादा था। दूसरी थिअरी के मुताबिक SMBH बिग-बैंग के काफी बाद ऐसे ब्लैकहोल से पैदा हुए जो किसी विशाल तारे के मरने से बना हो। इस केस में शुरुआत में SMBH सूरज से mass में कुछ हजार गुना ज्यादा होंगे और बाद में आसपास के सितारों और गैस के इनमें समाने से यह और विशाल होते चले गए।


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ढाका बांग्लादेश में उग्रवादी संगठन ‘हिफाजत-ए-इस्लाम’ के नायब-ए-अमीर और हिफाजत की नारायणगंज इकाई के प्रमुख अब्दुल अवाल ने इस्‍तीफे का ऐलान किया है। बताया जा रहा है कि अवाल ने अपने संगठन के कार्यकर्ताओं के देशभर में जगह-जगह तीन दिनों तक हिंसक कार्रवाई को अंजाम देने के कारण नाराजगी जताते हुए कथित तौर पर अपने पद से इस्तीफा देने की घोषणा की है। अवाल ने नारायणगंज में डीआईटी वाणिज्यिक क्षेत्र की रेलवे मस्जिद में सोमवार रात शब-ए-बारात के मौके पर अपने संबोधन में इसकी घोषणा की। भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बांग्लादेश यात्रा के विरोध के नाम पर हिफाजत-ए-इस्लाम के कार्यकर्ताओं ने ढाका, नारायणगंज, सिलहट, ब्राह्मणबेरिया, चटगांव सहित पूरे देश में हिंसा, तोड़फोड़ और आगजनी की। उग्रवादी संगठन ने सरकारी प्रतिष्ठानों में तोड़फोड़ और आगजनी करने के लिए कौमी मदरसों के बच्चों का इस्तेमाल किया। साथ ही इसने ब्राह्मणबेरिया और चटगांव के सभी सरकारी कार्यालयों, पुलिस स्टेशनों और मंदिरों में तोड़फोड़ की। उन्होंने सार्वजनिक वाहनों और पुलिस पर ईंटों से हमला किया। दो जिलों में स्थिति को नियंत्रण में रखने के लिए पुलिस ने उन पर गोलियां भी चलाईं। झड़प के दौरान कम से कम 60 पुलिसकर्मी घायल हो गए और 14 लोगों की मौत हो गई। वीडियो क्लिप वायरल होने के बाद से इस्तीफे को लेकर चर्चाओं का दौर इस बीच, कई बार प्रयास करने के बावजूद हिफाजत नेता से फोन पर संपर्क नहीं हो पाया। लेकिन, उनके खादिम (निजी सहायक) मेहदी हसन ने पुष्टि की कि अवाल ने इस्तीफे की घोषणा की है और उन पर कोई दबाव नहीं था। संगठन के प्रचार सचिव मुफ्ती मुहम्मद अब्दुल मुमीन ने दावा किया कि हिफजात के नेताओं के बीच कुछ गलतफहमी है...यह कोई आधिकारिक इस्तीफा नहीं था। उन्होंने कहा, ‘शायद नायब-ए-अमीर कुछ गलतफहमी के कारण संगठन छोड़ना चाहते थे। स्थानीय नेताओं के साथ उनके कुछ मुद्दे हो सकते हैं। हालांकि, वायरल वीडियो क्लिप प्रामाणिक है।’ गौरतलब है कि नायब-ए-अमीर का वीडियो क्लिप वायरल होने के बाद से उनके इस्तीफे को लेकर चर्चाओं का दौर शुरू हो गया।


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ज्‍यूरिख स्विटजरलैंड के इतिहास पहली बार महिला सैनिकों को बड़ी राहत मिली है। स्विस सेना की महिला सैनिकों को अब पुरुषों के अं‍डरव‍ियर पहनने से मुक्ति मिल गई है। स्विटजरलैंड सरकार ने यह फैसला ऐसे समय पर लिया है जब वह महिला सैनिकों की भर्ती बढ़ाने पर जोर दे रही है। वर्तमान व्‍यवस्‍था में महिला सैनिकों को पहनने के लिए केवल पुरुषों के अं‍डरव‍ियर मिलते हैं। बीबीसी ने स्‍थानीय स्विस मीडिया के हवाले से यह जानकारी दी है। स्विस राष्‍ट्रीय परिषद के एक सदस्‍य मरिअन्‍न बिंदेर ने कहा, 'सेना के कपड़े पुरुषों के लिए डिजाइन किए गए हैं लेकिन अगर सेना वास्‍तव में और ज्‍यादा नारी सुलभ बनेगी तो समुचित कदम उठाने होंगे।' उन्‍होंने कहा कि महिलाओं के कपड़े उन्‍हें सेना में शामिल होने के लिए प्रोत्‍साहित कर सकते हैं। स्विटजरलैंड में महिला और पुरुष सैनिक एक जैसी ड्यूटी कर रहे अब तक स्विटजरलैंड की सेना महिला सैनिकों को लूज फिटिंग वाले अं‍डरव‍ियर देती रही है। यह स्विस महिला सैनिकों के लिए काफी परेशानी भरा हो सकता है। सेना के प्रवक्‍ता ने बताया कि आने वाले बदलावों में गर्मी के मौसम में 'शॉर्ट अंडरवियर' और सर्दी के मौसम में 'लंबे अंडरवियर' शामिल हैं। उन्‍होंने कहा कि वर्तमान कपड़े महिला सैनिकों के लिए पुराने हो गए हैं। वर्तमान समय में स्विटजरलैंड की सेना में एक प्रतिशत महिला सैनिक हैं। आने वाले 20 साल तक स्विटजरलैंड महिला सैनिकों की संख्‍या को 10 फीसदी की दर से बढ़ाना चाहता है। देश की रक्षा मंत्री विओला अमहर्ड ने महिला सैनिकों के लिए अलग अंडरवियर बनाने की योजना स्‍वागत किया है। वर्ष 2004 से स्विटजरलैंड में महिला और पुरुष सैनिक एक जैसी ड्यूटी कर रहे हैं। एक महिला सैनिक ने कहा कि नए अंडरवियर के मिलने पर उन्‍हें भारी वजन लेकर चढ़ने में आसानी होगी।


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इस्‍लामाबाद पाकिस्‍तान की इमरान खान सरकार ने भारत से कॉटन और चीनी के आयात को मंजूरी दे दी है। पाकिस्‍तान की कैबिनेट आर्थिक समन्‍वय समिति ने बुधवार को भारत के साथ व्‍यापार को फिर से शुरू करने को मंजूरी दे दी। पाकिस्‍तान 30 जून 2021 से भारत से कॉटन का आयात करेगा। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक पाकिस्‍तान सरकार ने निजी क्षेत्र को भारत से चीनी के आयात को मंजूरी दे दी है। पाकिस्‍तान ने वर्ष 2016 में भारत से कॉटन और अन्‍य कृषि उत्‍पादों के आयात पर रोक दिया था। सूत्रों के मुताबिक पाकिस्‍तान में चीनी की बढ़ती कीमतों और संकटों से जूझ रहे कपड़ा उद्योग को बचाने के लिए पाकिस्‍तान की इमरान खान सरकार ने भारत के साथ व्‍यापार की फिर से शुरुआत करने को मंजूरी दी है। दोनों देशों में तनावपूर्ण रिश्‍तों के बीच यह पाकिस्‍तान का भारत के साथ संबंधों को सुधारने की दिशा में पहला बड़ा प्रयास माना जा रहा है। इससे पहले अगस्‍त 2019 में जम्‍मू-कश्‍मीर का विशेष दर्जा खत्‍म करने के बाद पाकिस्‍तान ने भारत के साथ रिश्‍ते को तोड़ लिया था। पाकिस्‍तान सरकार चीनी और कॉटन का आयात ऐसे समय पर करने जा रही है जब इन दोनों के लिए पाकिस्‍तान को काफी मशक्‍कत करनी पड़ रही है। पाकिस्‍तान सरकार का यह फैसला दोनों देशों के बीच सामान्‍य होते रिश्‍तों की शुरुआत माना जा रहा है। इमरान खान ने पीएम मोदी को लिखा पत्र इस बीच पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने अपने भारतीय समकक्ष नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिख कर कहा है कि जम्मू कश्मीर मुद्दा सहित दोनों देशों के बीच लंबित सभी मुद्दों का समाधान करने को लेकर सार्थक और नतीजे देने वाली वार्ता के लिए अनुकूल माहौल बनाना जरूरी है। खान ने यह पत्र पाकिस्तान दिवस के मौके पर पिछले सप्ताह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा उन्हें भेजी गई बधाइयों के जवाब में लिखा है। पीएम मोदी ने अपने पत्र में कहा था कि पाकिस्तान के साथ भारत सौहार्द्रपूर्ण संबंधों की आकांक्षा करता है, लेकिन विश्वास का वातावरण, आतंक और बैर रहित माहौल इसके लिए ‘अनिवार्य’ है। प्रधानमंत्री मोदी के पत्र के जवाब में खान ने उनका शुक्रिया अदा किया और कहा कि पाकिस्तान के लोग भारत सहित सभी पड़ोसी देशों के साथ शांतिपूर्ण सहयोगी संबंध की आकांक्षा करते हैं। आतंक मुक्त माहौल पर खान ने कहा कि शांति तभी संभव है, यदि कश्मीर जैसे सभी लंबित मुद्दों का समाधान हो जाए। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने 29 मार्च को लिखे पत्र में कहा, ‘हम इस बात से सहमत हैं कि खासतौर पर जम्मू कश्मीर विवाद जैसे भारत और पाकिस्तान के बीच लंबित सभी मुद्दों के समाधान पर दक्षिण एशिया में टिकाऊ शांति एवं स्थिरता निर्भर करती है।


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मैनहटन अमेरिका में एशियाई मूल के लोगों के खिलाफ नस्‍ली हमले रुकने का नाम नहीं ले रहे हैं। दिनदहाड़े हुई ताजा घटना में मैनहटन शहर में चर्च जा रही एक बुजुर्ग एशियाई महिला को एक गोरे शख्‍स ने जमीन पर गिरा दिया और बुरी तरह से पीट दिया। इस घटना के दौरान सोमवार को वहां दो सुरक्षाकर्मी मौजूद थे लेकिन उन्‍होंने एशियाई महिला को बचाने के लिए कुछ नहीं किया। महिला पर हमले का वीडियो अब वायरल हो गया है। वीडियो में नजर आ रहा है कि 65 साल की पीड़‍ित महिला को हमलावर ने फर्श पर गिरा दिया और उसके सिर पर कई बार वार किए। महिला की मदद नहीं करने पर दोनों सुरक्षाकर्मियों को निलंबित कर दिया गया है। इन सुरक्षाकर्मियों के खिलाफ जांच चल रही है। गोरे हमलावर ने महिला पर नस्‍ली टिप्‍पणी भी की। अमेरिका में पिछले कुछ दिनों में एशियाई लोगों के नस्‍ली हमले में बहुत तेजी आई है। न्‍यूयॉर्क पुलिस के मुताबिक इस साल एशियाई लोगों के खिलाफ हिंसा के 33 मामले सामने आए हैं। बाइडन ने हिंसा से निपटने के लिए कदमों की घोषणा की अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने एशियाई अमेरिकियों के खिलाफ हिंसा तथा विदेशियों से नफरत की भावना से निपटने के लिए अतिरिक्त कदमों की घोषणा की है। मंगलवार को हुई इन घोषणाओं में एशियाई अमेरिकी और प्रशांत द्वीपसमूह निवासियों पर वाइट हाउस की पहल को फिर से शुरू और मजबूत करना शामिल है। इस पहल का मकसद एशियाई लोगों के खिलाफ भेदभाव और हिंसा से निपटना है। बाइडन ने ट्वीट किया, ‘हम एशियाई अमेरिकियों के खिलाफ हिंसा बढ़ने के बीच चुप नहीं बैठ सकते इसलिए आज मैं एशियाई विरोधी अपराधों से निपटने के लिए न्याय विभाग में एक पहल शुरू करने समेत अतिरिक्त कदम उठा रहा हूं। ये हमले गलत हैं, अमेरिका की भावना के विरुद्ध हैं तथा इन्हें रोकना होगा।’ बाइडन ने कहा कि एशियाई लोगों के खिलाफ हिंसा और विदेशियों से घृणा की भावना गलत है तथा इसे रोकना होगा। साथ ही उन्होंने एशियाई अमेरिकियों के खिलाफ नफरत की भावना को खत्म करने के लिए कोविड-19 निष्पक्षता कार्य बल समिति गठित करने की भी घोषणा की। उपराष्ट्रपति कमला हैरिस ने ट्वीट किया, ‘हममें से किसी एक को भी नुकसान पहुंचाना हम सभी को नुकसान पहुंचाना है।’ हैरिस ने कहा, ‘राष्ट्रपति और मैं चुप नहीं बैठेंगे और इसलिए हमारा प्रशासन एशियाई अमेरिकी समुदाय के खिलाफ बढ़ती हिंसा से निपटने के लिए कदम उठा रहा है जिसमें एशियाई लोगों के खिलाफ हिंसा से निपटने की एक पहल शामिल है।’


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पिरामिडों के देश मिस्र में पिछले कुछ दिनों से एक के बाद एक दुर्भाग्‍यपूर्ण हादसे हो रहे हैं। मिस्र में 26 मार्च को ट्रेन हादसे में 32 लोगों की मौत हो गई और 100 से ज्‍यादा लोग घायल हो गए। इसके ठीक अगले दिन 27 मार्च को एक इमारत के गिरने से 18 लोगों की जान चली गई और 24 लोग घायल हो गए। इन हादसों से अभी मिस्र उबरा नहीं था कि स्‍वेज नहर में विशालकाय मालवाहक जहाज फंस गया। एक के बाद एक हो रहे इन हादसों पर ट्टिवटर पर लोग सवाल उठा रहे हैं और कह रहे हैं कि मिस्र को सबसे ताकतवर राजा फिरौन का श्राप लगा है। उनका कहना है कि मिस्र में ये हादसे ऐसे समय पर हो रहे हैं जब प्रशासन आगामी तीन अप्रैल को 22 शाही ममी को राजधानी काहिरा के एक चर्चित म्‍यूजियम में स्‍थानांतरित करने की योजना बना रहा है। आइए जानते हैं क्‍या है पूरा मामला और राजा फिरौन का श्राप....

स्‍वेज नहर में जाम, ट्रेन दुर्घटना...मिस्र में एक के बाद एक कई हादसों से सोशल मीडिया में अटकलों का बाजार गरम हो गया है कि क्‍या इस देश को उसके सबसे ताकतवर प्राचीन बादशाह फिरौन का श्राप लगा है?


Suez Canal Pharaoh Curse: स्‍वेज में जाम, ट्रेन हादसा...क्‍या शाही ममी को हटाने पर मिस्र को लगा राजा फिरौन का प्राचीन श्राप?

पिरामिडों के देश मिस्र में पिछले कुछ दिनों से एक के बाद एक दुर्भाग्‍यपूर्ण हादसे हो रहे हैं। मिस्र में 26 मार्च को ट्रेन हादसे में 32 लोगों की मौत हो गई और 100 से ज्‍यादा लोग घायल हो गए। इसके ठीक अगले दिन 27 मार्च को एक इमारत के गिरने से 18 लोगों की जान चली गई और 24 लोग घायल हो गए। इन हादसों से अभी मिस्र उबरा नहीं था कि स्‍वेज नहर में विशालकाय मालवाहक जहाज फंस गया। एक के बाद एक हो रहे इन हादसों पर ट्टिवटर पर लोग सवाल उठा रहे हैं और कह रहे हैं कि मिस्र को सबसे ताकतवर राजा फिरौन का श्राप लगा है। उनका कहना है कि मिस्र में ये हादसे ऐसे समय पर हो रहे हैं जब प्रशासन आगामी तीन अप्रैल को 22 शाही ममी को राजधानी काहिरा के एक चर्चित म्‍यूजियम में स्‍थानांतरित करने की योजना बना रहा है। आइए जानते हैं क्‍या है पूरा मामला और राजा फिरौन का श्राप....



​मिस्र में निकलेगी ममी की शाही परेड, सता रहा डर
​मिस्र में निकलेगी ममी की शाही परेड, सता रहा डर

मिस्र में आगामी 3 अप्रैल को एक रॉयल परेड आयोजित की जाएगी और कई प्राचीन ममी को तहरीर स्‍क्‍वायर पर स्थित नैशनल म्‍यूजियम से काहिरा में स्थित नैशनल म्‍यूजियम में भेजा जाएगा। इन ममियों में राजा रामसेस द्वितीय, सेती प्रथम, रानी हटशेपसूट आदि शामिल हैं। मिस्र सरकार का कहना है कि काहिरा के म्‍यूजियम में सारी ममी को एक साथ रखने से पर्यटक उन्‍हें एक ही जगह देख सकते हैं। साथ ही पैसे के संकट से जूझ रही सरकार को उम्‍मीद है कि पर्यटक बड़ पैमाने पर आएंगे और इससे कोरोना काल में उसकी आय में वृद्धि होगी। उधर, मिस्र में लगातार हो रहे हादसों के बीच ट्विटर पर दावा किया जा रहा है कि इन घटनाओं के पीछे राजा फराओ का श्राप लगा है। उनका कहना है कि मिस्र के ममी के शाही परेड से ठीक पहले इतनी घटनाओं ने कई सवाल पैदा कर दिए हैं। साद अबेदीन लिखते हैं, 'इन सबको देखने के बाद लगता है कि फराओ का श्राप वास्‍तविक है।'



​जानें क्‍या है मिस्र के प्राचीन बाहशाह फिरौन का श्राप
​जानें क्‍या है मिस्र के प्राचीन बाहशाह फिरौन का श्राप

डेली मेल के मुताबिक इस प्राचीन श्राप में कहा गया था कि जो व्‍यक्ति राजा फराओ की शांति में खलल डालेगा, उसके पास मौत बहुत तेजी से आएगी। ट्विटर यूजर फ्रेडी बेंजामिन कहते हैं, 'फिरौन के श्राप या ममी के श्राप में कहा गया है कि यह उसे लगेगा जो प्राचीन मिस्र के ममियों खासतौर पर फिरौन की ममी की शांति को भंग करेगा। यह श्राप चोरों और पुरातत्‍वविदों में कोई भेद नहीं करता है और दावा किया जाता है कि इससे लोगों का भाग्‍य बिगड़ जाता है, उन्‍हें बीमारी होती है या उनकी मौत हो जाती है।' शरीफ अहमद ने लिखा कि मिस्र के प्रसिद्ध देवता होरुस ने कहा था कि उन्‍होंने मिस्र के राजाओं और रानियों की आत्‍मा से संपर्क किया है और उन्‍होंने आश्‍वासन दिया है कि यह उनका काम नहीं है। इन घटनाओं के पीछे उन देशों और समूहों का हाथ है जो मिस्र से घृणा करते हैं। इस तरह ट्विटर पर मिस्र के श्राप को लेकर कई दावे किए जा रहे हैं।



​मिस्र के पुरातत्‍वविदों ने खारिज किया श्राप का दावा
​मिस्र के पुरातत्‍वविदों ने खारिज किया श्राप का दावा

इस बीच पुरातत्‍वविदों ने ट्विटर पर चल रहे दावों को खारिज कर दिया है। उन्‍होंने कहा कि मिस्र में हो रही इस तरह की घटनाएं केवल एक संयोग मात्र हैं। मिस्र के पूर्व मंत्री अल नाहर ने कहा कि ममी के एक जगह से दूसरी जगह भेजे जाने का इन हादसों से कोई संबंध नहीं है। चर्चित पुरातत्‍वविदों ने श्राप के दावे को आधारहीन बताया है और कहा कि इन ममी को दूसरी जगह भेजे जाने से उनका सम्‍मान ही बढ़ेगा। बता दें कि फिरौन मिस्र का सबसे ताकतवर बादशाह था, जिसने 16वीं शताब्दी ईसा पूर्व में शासन किया था। कहा जाता है कि विदेशी आक्रमणकारी हक्सोस राजवंश के साथ लड़ाई में पकड़े जाने के बाद फिरौन को मौत के घाट उतार दिया गया था। तब से फिरौन को ममी बनाकर थेब्स में नेक्रोपोलिस के भीतर दफना दिया गया था। इस ममी की खोज 1881 में की गई थी। तब यह पता नहीं चल सका था कि उनके शरीर पर कई जानलेवा चोट के निशान थे। अब जब उनके सिर का सीटी स्कैन किया गया है तो वैज्ञानिकों को कई गंभीर घाव के निशान दिखाई दिए हैं।



​राजा फिरौन की मौत एक बार फिर से विवादों में घिरी
​राजा फिरौन की मौत एक बार फिर से विवादों में घिरी

राजा फिरौन की मौत एक बार फिर से विवादों में घिर गई है। वैज्ञानिकों का दावा है कि फिरौन के सिर पर लगी चोटों को जानबूझकर छिपाया गया था। यह भी पता लगा है कि मरने के समय फिरौन के हाथ को उनकी पीठ के पीछे करके बांधा गया था। इस रिसर्च टीम के प्रमुख काहिरा यूनिवर्सिटी के सलारामोलॉजिस्ट सहर सलीम ने कहा कि इससे पता चलता है कि फिरौन वास्तव में मिस्र को आजाद कराने के लिए अपने सैनिकों के साथ अग्रिम पंक्ति में थे। शोधकर्ताओं ने यह भी पता लगाया है कि फिरौन को कई अलग-अलग हथियारों के जरिए एक से ज्यादा हमलावरों ने मारा था। क्योंकि, उनके शरीर पर पांच अलग-अलग तरह के हथियारों से बने चोट के निशान मिले हैं। दावा किया गया है कि अगर एक हमलावर ने मारा होता तो वह अलग-अलग ऐंगल से एक ही हथियार का प्रयोग किया होता, लेकिन इसमें चोट के निशान बताते हैं कि हथियार एक से ज्यादा थे।





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Tuesday 30 March 2021

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वॉशिंगटन कुत्‍ते पालने के शौकिन अमेरिकी राष्‍ट्रपति जो बाइडेन के लिए उनका यह शौक अब दूसरों पर भारी पड़ रहा है। बाइडेन के जर्मन शेफर्ड कुत्‍ते मेजर ने वाइट हाउस में एक और अधिकारी को काट लिया है। यह अधिकारी नैशनल पार्क सर्विस का कर्मचारी है। बताया जा रहा है कि सोमवार दोपहर में वाइट हाउस साउथ लॉन में काम कर रहे कर्मचारी को कुत्‍ते मेजर ने काट लिया। घायल कर्मचारी का तत्‍काल वाइट हाउस की मेडिकल यूनिट ने इलाज किया। अमेरिका की प्रथम महिला जिल बाइडेन की प्रेस सचिव मिशेल ला रोसा ने सीएनएन से कहा कि मेजर अभी हाल ही में वाइट हाउस आया है और अभी वह खुद को ढाल नहीं पाया है। उन्‍होंने कहा कि मेजर वॉल्‍क के दौरान किसी को काट लिया था। घायल कर्मचारी का तत्‍काल इलाज किया गया और वह अब काम पर लौट आए हैं। बाइडेन ने तीन साल के मेजर को वर्ष 2018 में गोद लिया था नैशनल पार्क सर्विस ने तत्‍काल अभी कोई बयान नहीं दिया है। बाइडेन ने तीन साल के मेजर को वर्ष 2018 में गोद लिया था। पिछले 2 सप्‍ताह में उसे काफी ट्रेनिंग भी दी गई है। इससे पहले भी मेजर ने इसी महीने एक अन्‍य व्‍यक्ति को काट लिया था। बताया जा रहा है कि सोमवार शाम को मेजर को साउथ लॉन एक वाइट हाउस का कर्मचारी घुमाने ले गया था। सीएनएन के मुताबिक 8 मार्च को मेजर की वजह से वाइट हाउस में तैनात सीक्रेट सर्विस का कर्मचारी जख्‍मी हो गय था और उसका मेडिकल टीम ने इलाज किया था। उस समय वाइट हाउस की प्रेस सेक्रेटर जेन पास्‍की ने सीक्रेट सर्विस के जवान को हल्‍की चोट लगी है। उन्‍होंने कहा कि मेजर को नए माहौल के मुताबिक ढालने के लिए ट्रेनिंग दी जा रही है। उन्‍होंने कहा कि मेजर अनजान व्‍यक्ति को देखकर आश्‍चर्य में आ गया था।


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रियो डी जिनेरियो ब्राजील में राष्‍ट्रपति जेयर बोलसोनारो ने भारत और चीन के साथ रिश्‍ते बेहतर करके कोरोना वायरस वैक्‍सीन हासिल करने में असफल रहने पर अपने विदेश मंत्री एर्नेस्टो अरॉजो को हटा दिया है। कोरोना वायरस के कहर से जूझ रहे ब्राजील में राष्‍ट्रपति बोलसोनारो ने सेना, नौसेना और वायुसेना प्रमुख से इस्‍तीफा ले लिया है। वहीं रक्षा मंत्री ने राष्‍ट्रपति के इस कदम को सेना पर अत्‍यधिक नियंत्रण का प्रयास मानते हुए विरोध स्‍वरूप अपने पद से इस्‍तीफा दे दिया है। सोमवार को विदेश मंत्री और रक्षा मंत्री के इस्‍तीफा देने के बाद राष्‍ट्रपति बोलसोनारो को मंत्र‍िमंडल में भारी फेरबदल के लिए मजबूर होना पड़ा। राष्‍ट्रपति ने ट्विटर पर बताया कि उन्होंने नए न्याय एवं जन सुरक्षा मंत्री तथा सरकारी सचिव को नियुक्त करने का फैसला किया है। उन्होंने फेरबदल के लिए कोई वजह नहीं बताई। राष्ट्रपति ने इससे पहले स्वास्थ्य मंत्री को बदला था जो देश में कोविड-19 से 3,14,000 लोगों की मौत होने के बाद आलोचना के घेरे में आए थे। भारत के साथ रिश्‍ते बेहतर करने में असफल रहे अरॉजो हाल ही में तब आलोचनाओं के शिकार बने, जब उनके प्रतिद्वंद्वियों ने कहा कि उन्होंने कोरोना वायरस रोधी टीका तेजी से हासिल करने के प्रयासों को बाधित किया है। यही नहीं अरॉजो अमेरिका, चीन और भारत के साथ रिश्‍ते बेहतर करने में असफल रहे जिसकी वजह से देश को कम कोरोना वायरस वैक्‍सीन मिली। अरॉजो का स्थान कार्लोस फ्रांका ने लिया है जो एक राजनयिक हैं। वह बोलसोनारो के सलाहकार हैं। इससे पहले ब्राजील के राष्ट्रपति ने कोरोना वायरस महामारी फैलने के बाद से चौथी बार अपने स्वास्थ्य मंत्री को बदलते हुए मार्सेलो क्वेरोगा को इस पद पर नियुक्त किया था। क्वेरोगा एडवर्डो पैजुएलो की जगह लेंगे। सैन्य जनरल पैजुएलो को स्वास्थ्य के क्षेत्र का कोई अनुभव नहीं होने के बावजूद पिछले साल मई में स्वास्थ्य मंत्री नियुक्त किया गया था। पैजुएलो के पूर्ववर्ती दो स्वास्थ्य मंत्रियों ने बोल्सोनारो से मतभेदों के चलते अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। क्वेरोगा फिलहाल देश की कार्डियोलॉजी सोसायटी के प्रमुख हैं।


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इस्‍लामाबाद पाकिस्‍तान में चीनी की बढ़ती कीमतों और संकटों से जूझ रहे कपड़ा उद्योग को बचाने के लिए पाकिस्‍तान की इमरान खान सरकार आज भारत के साथ व्‍यापार की फिर से शुरुआत कर सकती है। दोनों देशों में तनावपूर्ण रिश्‍तों के बीच यह पाकिस्‍तान का भारत के साथ संबंधों को सुधारने की दिशा में पहला बड़ा प्रयास हो सकता है। सूत्रों के मुताबिक आज इमरान सरकार भारत के साथ व्‍यापारिक संबंधों को बहाल करने को मंजूरी दे सकती है। पाकिस्‍तान की आर्थिक मामलों की कैबिनेट कमिटी बुधवार सुबह बैठक करेगी जिसमें भारत से चीनी और कॉटन के आयात पर फैसला किया जाएगा। इससे पहले अगस्‍त 2019 में जम्‍मू-कश्‍मीर का विशेष दर्जा खत्‍म करने के बाद पाकिस्‍तान ने भारत के साथ रिश्‍ते को तोड़ लिया था। पाकिस्‍तान सरकार चीनी और कॉटन का आयात ऐसे समय पर करने जा रही है जब इन दोनों के लिए पाकिस्‍तान को काफी मशक्‍कत करनी पड़ रही है। इमरान खान ने पीएम मोदी को लिखा पत्र इस बीच पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने अपने भारतीय समकक्ष नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिख कर कहा है कि जम्मू कश्मीर मुद्दा सहित दोनों देशों के बीच लंबित सभी मुद्दों का समाधान करने को लेकर सार्थक और नतीजे देने वाली वार्ता के लिए अनुकूल माहौल बनाना जरूरी है। खान ने यह पत्र पाकिस्तान दिवस के मौके पर पिछले सप्ताह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा उन्हें भेजी गई बधाइयों के जवाब में लिखा है। पीएम मोदी ने अपने पत्र में कहा था कि पाकिस्तान के साथ भारत सौहार्द्रपूर्ण संबंधों की आकांक्षा करता है, लेकिन विश्वास का वातावरण, आतंक और बैर रहित माहौल इसके लिए ‘अनिवार्य’ है। प्रधानमंत्री मोदी के पत्र के जवाब में खान ने उनका शुक्रिया अदा किया और कहा कि पाकिस्तान के लोग भारत सहित सभी पड़ोसी देशों के साथ शांतिपूर्ण सहयोगी संबंध की आकांक्षा करते हैं। आतंक मुक्त माहौल पर खान ने कहा कि शांति तभी संभव है, यदि कश्मीर जैसे सभी लंबित मुद्दों का समाधान हो जाए। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने 29 मार्च को लिखे पत्र में कहा, ‘हम इस बात से सहमत हैं कि खासतौर पर जम्मू कश्मीर विवाद जैसे भारत और पाकिस्तान के बीच लंबित सभी मुद्दों के समाधान पर दक्षिण एशिया में टिकाऊ शांति एवं स्थिरता निर्भर करती है। ’ कमर जावेद बाजवा ने भारत की तरफ शांति का हाथ बढ़ाया इमरान खान ने कहा कि सार्थक एवं नतीजे देने वाली वार्ता के लिए अनुकूल माहौल बनाना जरूरी है। उन्होंने कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई में भारत के लोगों को शुभकमानाएं भी दीं। हाल ही में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री और सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा ने भारत की तरफ शांति का हाथ बढ़ाते हुए कहा था कि वक्त आ गया है कि दोनों पड़ोसी देश अतीत को भुला दें और आगे बढ़ें।


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इस्लामाबाद पूरी दुनिया इस वक्त कोरोना के कहर से परेशान है। कोरोना संक्रमण से बचने के लिए तमाम देशों में पाबंदियां लगाई गई हैं। हालांकि कई बार ऐसा होता है कि इन पाबंदियों का पालन कराने के दौरान प्रशासन खुद हास्यास्पद गलतियां कर बैठता है। ऐसा ही कुछ इस बार पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान में हुआ है। सोशल डिस्टेंसिंग के उल्लंघन पर जेल के एक ही सेल में बंद किया दरअसल, पाकिस्तान के एक शहर फालिया में करीब 20 लोगों को कोरोना वायरस SOPs यानी सोशल डिस्टेंसिंग का उल्लंघन करने के लिए जेल में डाल दिया गया, लेकिन दिलचस्प बात यह है कि इन लोगों को एक साथ ही एक ही सेल में डाल दिया गया। यह तस्वीर पाकिस्तानी पत्रकार नायला इनायत ने ट्वीट किया है। सोशल मीडिया पर लोग लेने लगे मजे एक यूजर ने कमेंट किया कि कोरोना अभी तक गिरफ्तार नहीं हुआ है, ऐसे में जेल की सेल में उसके होने का सवाल ही नहीं उठता है। वहीं, एक अन्य यूजर ने लिखा कि कोरोना कभी भी पाकिस्तान की पुलिस सिक्यॉरिटी और जेल की रेलिंग को नहीं पार कर सकता है। पाकिस्तान में अबतक कोरोना के 6.63 लाख मामले पाकिस्तान में मंगलवार को कोविड-19 के 24 घंटे के अंदर 4,084 नए मामले सामने आए और इससे महामारी के मामलों की कुल संख्या बढ़कर 6,63,200 हो गई है। वहीं, महामारी से 100 और मरीजों की मौत के बाद मृतकों की कुल संख्या बढ़कर 14,356 हो गई है जबकि एक दिन में 2,081 लोगों के संक्रमण से उबरने के बाद ठीक हो चुके लोगों की कुल संख्या 600,278 हो गई है। (न्यूज एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)


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बर्लिन जर्मनी में स्वास्थ्य अधिकारियों ने मंगलवार को घोषणा की कि 60 साल से कम उम्र के लोगों के लिए एस्ट्राजेनेका टीके के उपयोग को एक बार फिर निलंबित किया जा रहा है। हाल ही में टीका लेने वाले लोगों में असामान्य रूप से रक्त का थक्का जमने की खबरें सामने आने के बाद यह कदम उठाया गया है।बर्लिन, म्यूनिख और पूर्वी प्रांत ब्रांडेनबर्ग के अधिकारियों ने अस्थायी रूप से टीकाकरण को रोकने का फैसला लिया। इस संबंध में जर्मनी के 16 राज्यों के प्रतिनिधियों की मंगलवार को बैठक होने वाली है। देश के चिकित्सा नियामक ने कहा कि 29 मार्च तक एस्ट्राजेनेका टीका लेने लोगों में रक्त का थक्का जमने की कुल 31 रिपोर्टें प्राप्त हुईं। उनमें से नौ लोगों की मृत्यु हो गई और ज्यादातर मामलों में लोगों की उम्र 20 से 63 वर्ष के बीच थी। इस बीच चांसलर एंजेला मर्केल और स्वास्थ्य मंत्री जेन्स स्पैन राज्यों के साथ अपनी बैठक के परिणाम पर मंगलवार देर रात संवाददाता सम्मेलन कर सकते हैं। इससे पहले कनाडा ने सोमवार को आक्सफोर्ड एस्ट्राजेनेका द्वारा विकसित कोविड-19 टीका 55 साल से कम उम्र के लोगों को लगाने पर रोक लगा दी। सरकार ने यह फैसला इस आयु वर्ग के लोगों में खून के थक्के जमने की दुलर्भ घटना का संबंध टीके की वजह से होने की आशंका के मद्देनजर उठाया।


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वॉशिंगटन चांद और सूरज पर जाने के लिए अपना खुद का रॉकेट भेजने की कोशिश में लगे की कंपनी SpaceX के हाथ सफलता आते-आते फिर छूट गई। कंपनी के Starship प्रोटोटाइप के SN11 रॉकेट ने टेक्सस में मंगलवार सुबह उड़ान तो भरी लेकिन लैंडिंग से पहले ही ब्लास्ट हो गया। इससे पहले SN10 रॉकेट लैंड भी हुआ था लेकिन कुछ ही मिनट बाद क्रैश हो गया था। SN11 को 24 घंटे की देरी के बाद लॉन्च किया गया था। यह 6.2 मील की ऊंचाई तक गया और फिर लैंडिंग की प्रक्रिया शुरू हुई लेकिन फ्लाइट के 6 मिनट बाद इसके ब्रॉडकास्ट कैमरा कट गया। SpaceX के लॉन्च कमेंटेटर जॉन इंसप्रकर ने कहा कि स्टारशिप 11 अब लौट नहीं रहा, लैंडिंग का इंतजार न किया जाए। इसके साथ ही स्टारशिप सीरीज का एक और रॉकेट फ्लाइट पूरी नहीं कर सका। हालांकि, यहां मौसम साफ न होने के कारण इसमें हुआ ब्लास्ट देखना मुश्किल रहा। इससे पहले फेडरल एविएशन ऐडमिनिस्ट्रेशन के इंस्पेक्टर के लॉन्च पर समय से न पहुंचने के कारण इसे आगे बढ़ा दिया गया था। वहीं, पहले SN10 बिना नष्‍ट हुए ही धरती पर लैंड कर गया था। SN10 रॉकेट धरती से करीब 6 मील की ऊंचाई तक गया। इस बीच उतरने के करीब 10 मिनट बाद यह रॉकेट अपने पूर्ववर्ती प्रोटोटाइप एसएन8 और SN9 की तरह से ही आग के शोलों में बदल गया। स्‍पेसएक्‍स के सीईओ एलन मस्‍क ने राकेट के बिना नष्‍ट हुए लैंडिंग करने के लिए उसकी तारीफ की है। एसएन8 और एसएन9 लैंड करते समय विस्‍फोट के बाद नष्‍ट हो गए थे। एसएन10 रॉकेट में तीन इंजन लगे थे और अंतरिक्ष की ओर बढ़ते समय इनमें से दो इंजन एक-एक करके अलग हो गए। मात्र 4 मिनट में एसएन10 रॉकेट आकाश में 6 मील की ऊंचाई तक पहुंच गया।


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पेइचिंग/जेनेवा कोरोना वायरस की उत्पत्ति की जांच करने वाले () के विशेषज्ञों की टीम ने कहा है कि घातक विषाणु के स्रोत का अब तक पता नहीं चला है और सवालों के जवाब पाने के लिए आगे और अध्ययन की जरूरत है। अंतरराष्ट्रीय टीम की रिपोर्ट मंगलवार को प्रकाशित हुई। इस टीम ने 14 जनवरी से 10 फरवरी तक चीन के वुहान शहर का दौरा किया था जहां दिसंबर 2019 में वायरस का सबसे पहला मामला सामने आया था। WHO के महानिदेशक डॉक्टर टेड्रोस अधानोम गेब्रेयेसस ने कहा, 'जहां तक विश्व स्वास्थ्य संगठन का संबंध है, सभी विचार सामने हैं। रिपोर्ट बहुत महत्वपूर्ण शुरुआत है। हमें अभी वायरस के स्रोत का पता नहीं चला है और हमें विज्ञान का अनुसरण जारी रखना चाहिए और हमें कोई कोर कसर बाकी नहीं छोड़नी चाहिए।' उन्होंने कहा कि वायरल लैब से लीक हुआ था, इसकी गहन जांच की जरूरत है। टीम की रिपोर्ट में इसकी संभावना कम जताई गई थी लेकिन टेड्रोस ने जांच की जरूरत बताई है। उन्होंने कहा कि चीन में टीम को जरूरी डेटा नहीं मिल सका और उन्होंने भविष्य में बेहतर डेटा शेयरिंग की जरूरत बताई।


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स्वेज करीब एक हफ्ते तक स्वेज नहर में फंसे रहे जहाज को आखिरकार आजाद करा लिया गया। इस जहाज ने दुनिया के सबसे व्यस्त कमर्शल रास्तों में से एक को बंद कर रखा था और इसलिए यह पूरा मामला काफी चर्चित रहा। अब जब जहाज आजाद हो गया है तो इसके ताजा वीडियो ने फिर लोगों का ध्यान खींचा है। दरअसल, सोशल मीडिया पर शेयर किए गए वीडियो के मुताबिक इस जहाज के हॉर्न से बॉलिवुड फिल्म 'धूम' की धुन निकल रही थी। यह वीडियो सोशल मीडिया पर खूब छाया हुआ है। इसमें सुनाई दे रहा है कि Evergreen कंपनी के Ever Given जहाज के हॉर्न से बॉलिवुड की सुपरहिट मूवी 'धूम' की धुन बजाई गई। हालांकि इस वीडियो की पुष्टि नहीं की गई है लेकिन ऐसा हुआ होगा, यह मानना मुश्किल नहीं है। दरअसल, इस जहाज का पूरा स्टाफ भारतीय था। इस पर सवार 25 क्रू सदस्य भारत के थे। आपको बता दें कि एशिया और यूरोप के बीच माल लेकर जाने वाला, पनामा के ध्वज वाला एवर गिवेन (Ever Given) नामक मालवाहक जहाज मंगलवार को स्‍वेज नहर में फंस गया था। इससे स्‍वेज नहर के दोनों तरफ समुद्र में जाम लग गया था और 350 से ज्‍यादा मालवाहक जहाज फंस गए थे। 193.3 किलोमीटर लंबी स्वेज नहर भूमध्य सागर को लाल सागर से जोड़ती है। इसी रास्‍ते से दुनिया के करीब 30 फीसदी शिपिंग कंटेनर गुजरते हैं। पूरी दुनिया के 12 फीसदी सामानों की ढुलाई भी इसी नहर के जरिए होती है।


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इस्लामाबाद पाकिस्तान नैशनल डे के मौके पर भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पाकिस्तान के PM को खत लिखकर शुभकामनाएं दीं जिनका जवाब अब इमरान ने दिया है। एक खत लिखकर इमरान ने भारत समेत सभी देशों के साथ शांति की बात की है और साथ ही कश्मीर का मुद्दा उठाया है। इसके अलावा इमरान ने कोरोना से जंग के लिए भारत के लोगों को शुभकामनाएं दी हैं। 'पाकिस्तान दिवस पर बधाई के लिए आपका धन्यवाद। पाकिस्तान के लोग इस दिन राष्ट्र-निर्माताओं की दूरदृष्टि और विवेक को श्रद्धांजलि देकर मनाते हैं, जिन्होंने एक स्वतंत्र और संप्रभु देश का सपना देखा था जहां वे आजादी में रहते हुए अपनी पूरी क्षमता को समझते थे। पाकिस्तान के लोग भारत समेत सभी पड़ोसी देशों के साथ शांति और सहयोग चाहते हैं।' 'हमें विश्वास है कि दक्षिण एशिया में शांति और स्थिरता के लिए भारत और पाकिस्तान सभी मुद्दों को सुलझा लेंगे, खासकर जम्मू-कश्मीर विवाद। सकारात्मक और समाधान लायक बातचीत के लिए अनुकूल माहौल का बनना जरूरी है।' 'मैं इस मौके पर भारत के लोगों को कोविड-19 से लड़ने की लड़ाई के लिए शुभकामनाएं देना चाहता हूं।' पीएम मोदी ने शुभकामनाओं के साथ आतंकवाद के मुद्दे पर नसीहत भी दे डाली। इसमें उन्होंने शुभकामनाएं देते हुए कहा कि भारत पाकिस्तान से सद्भावपूर्ण संबंध की इच्छा रखता है। इसके लिए परस्पर विश्वास और आतंक के खात्मे का होना जरूरी है। इससे पहले इमरान खान के कोविड पॉजिटिव होने के बाद पीएम मोदी ने उनके जल्दी स्वस्थ होने के लिए कामना भी की थी


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अबु धाबी में विशाल हिंदू मंदिर की नींव का निर्माण अप्रैल के अंत तक हो जाएगा। मंदिर प्रबंधन ने पारंपरिक पत्थर से बनने वाले इस मंदिर को लेकर यह जानकारी दी है। बोचासनवासी अक्षर पुरुषोत्‍तम स्वामीनारायण संस्‍था (BAPS) संगठन 450 दिरहम यानी करीब 888 करोड़ रुपये की लागत से यह मंदिर निर्माण करा रहा है। इसकी नींव रखने के काम को दिखाता एक वीडियो कुछ दिन पहले ही शेयर किया गया है। यह अबु धाबी के अबु मुरेखाह इलाके में 27 एकड़ क्षेत्र में बनवाया जा रहा है।

UAE Hindu Temple: संयुक्त अरब अमीरात में एक विशाल हिंदू मंदिर का निर्माण किया जा रहा है। बोचासनवासी अक्षर पुरुषोत्‍तम स्वामीनारायण संस्‍था (BAPS) संगठन 450 दिरहम यानी करीब 888 करोड़ रुपये की लागत से यह मंदिर निर्माण करा रहा है।


UAE Hindu Temple: ₹888Cr के भव्य हिंदू मंदिर में लगेंगे भारत से गए पत्थर, महाग्रंथों की कहानी और अरब कलाकारी का संगम

अबु धाबी में विशाल हिंदू मंदिर की नींव का निर्माण अप्रैल के अंत तक हो जाएगा। मंदिर प्रबंधन ने पारंपरिक पत्थर से बनने वाले इस मंदिर को लेकर यह जानकारी दी है। बोचासनवासी अक्षर पुरुषोत्‍तम स्वामीनारायण संस्‍था (BAPS) संगठन 450 दिरहम यानी करीब 888 करोड़ रुपये की लागत से यह मंदिर निर्माण करा रहा है। इसकी नींव रखने के काम को दिखाता एक वीडियो कुछ दिन पहले ही शेयर किया गया है। यह अबु धाबी के अबु मुरेखाह इलाके में 27 एकड़ क्षेत्र में बनवाया जा रहा है।



तेजी से चल रहा काम
तेजी से चल रहा काम

प्रॉजेक्ट इंजिनियर अशोक खोंडेटी इस प्रॉजेक्ट की क्वॉलिटी और विकास को मॉनिटर कर रहे हैं। उनका कहना है कि निर्माणकार्य बुनियाद के आखिरी चरण में है जो जमीन से 4.5 मीटर नीचे है। उन्होंने बताया कि जनवरी के बाद से 4500 क्यूबिक मीटर कॉन्क्रीट डाला जा चुका है। इस नींव में दो टनल बने हैं जिनके लिए पत्थर भारत से पहुंचाए गए हैं। जल्द ही इन्हें लगाने का काम शुरू होगा। नींव का काम अप्रैल में पूरा होने के बाद मई के आखिर में पत्थर का काम भी शुरू हो जाएगा।



हाथ से की नक्काशी
हाथ से की नक्काशी

गल्फ न्यूज को प्रशासन ने बताया कि दो टनल लोगों को लिफ्ट तक ले जाने और पुजारियों को मंदिर तक ले जाने के लिए बनाए गए हैं। नींव का काम पूरा होने के बाद नक्काशीदार पत्थर और मार्बल को ऊपर लगाकर मंदिर का आकार दिया जाएगा। गल्फ न्यूज कि रिपोर्ट के मुताबिक पारंपरिक पत्थर के मंदिर की फाइनल डिजाइन और हाथ से नक्काशी किए गए पत्थर के स्तंभ की तस्वीरें नवंबर में जारी की गई थीं जिन्हें भारत में बनाया गया है।



हिंदू महाग्रंथों की कहानियां
हिंदू महाग्रंथों की कहानियां

भारत में राजस्थान और गुजरात के कलाकारों ने इन्हें बनाया है। मंदिर में राजस्थान के गुलाबी पत्थर और इटली के मैसेडोनिया के मार्बल का इस्तेमाल किया गया है। इस मंदिर पर हिंदू महाग्रंथों की तस्वीरें और कहानियां होंगी और अरब देशों की कलाकारी भी। इसमें एक पुस्तकालय, एक कक्षा, एक मजलिस और एक सामुदायिक केंद्र भी होगा। झरने और जलाशय इसकी सुंदरता बढ़ाएंगे।





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दुशांबे भारत ने में हिंसा और रक्तपात पर 'गंभीर चिंता' जताते हुए मंगलवार को कहा कि युद्धग्रस्त अफगानिस्तान में स्थायी शांति सुनिश्चित करने के लिए देश के भीतर और इसके आस-पास शांति होना आवश्यक है। भारत ने वार्ता के पक्षकारों से कहा कि वे अच्छी नीयत के साथ और किसी राजनीतिक समाधान तक पहुंचने के प्रति गंभीर प्रतिबद्धता के साथ बातचीत करें। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने ताजिकिस्तान की राजधानी दुशांबे में यहां नौवें ‘हार्ट ऑफ एशिया’ मंत्रिस्तरीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि भारत अंतर अफगान वार्ता सहित अफगानिस्तान सरकार और तालिबान के बीच बातचीत को आगे बढ़ाने की दिशा में सभी प्रयासों का समर्थक रहा है। जयशंकर ने कहा, 'अफगानिस्तान में स्थायी शांति के लिए हमें सच्चे अर्थों में ‘दोहरी शांति’ यानी अफगानिस्तान के भीतर और इसके आस-पास अमन की आवश्यकता है। इसके लिए देश के भीतर और इसके आस-पास सभी के हित समान होने आवश्यक हैं।' इस सम्मेलन में अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी, पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी और अन्य नेताओं ने भी भाग लिया। जयशंकर ने कहा, 'यदि शांति प्रक्रिया को सफल बनाना है, तो यह सुनिश्चित करना आवश्यक होगा कि वार्ता कर रहे पक्ष अच्छी नीयत के साथ और किसी राजनीतिक समाधान तक पहुंचने के प्रति गंभीर प्रतिबद्धता के साथ बातचीत करें।' जयशंकर ने कहा कि अफगानिस्तान में होने वाली हर घटना का पूरे क्षेत्र पर निश्चित ही असर पड़ेगा। उन्होंने कहा कि वार्ता में भले ही काफी कुछ दांव पर है, लेकिन इससे निकलने वाले परिणाम बहुत महत्वपूर्ण होंगे। उन्होंने कहा, 'एक स्थिर, सम्प्रभु और शांतिपूर्ण अफगानिस्तान वास्तव में हमारे क्षेत्र में शांति और प्रगति का आधार है, इसलिये सामूहिक रूप से यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि यह आतंकवाद, हिंसक कट्टरपंथ, मादक पदार्थों और आपराधिक गिरोहों से मुक्त हो।' जयशंकर ने कहा, 'हम आज एक ऐसा समावेशी अफगानिस्तान बनाने की कोशिश कर रहे हैं, जो दशकों के संघर्ष से पार पा सके, लेकिन ऐसा तभी संभव होगा, यदि हम उन सिद्धांतों के प्रति ईमानदार रहें, जो ‘हार्ट ऑफ एशिया’ का लंबे समय से हिस्सा रहे हैं। सामूहिक सफलता भले ही आसान नहीं हो, लेकिन इसका विकल्प केवल सामूहिक असफलता है।' अफगानिस्तान सरकार और तालिबान 19 साल से चल रहे युद्ध को समाप्त करने के लिए सीधे वार्ता कर रहे हैं। इस युद्ध में हजारों लोगों की जान चली गई और देश के कई हिस्से तबाह हो गए। भारत अफगानिस्तान में शांति और स्थिरता के प्रयासों में बड़ा भागीदार रहा है। जयशंकर ने अफगानिस्तान में स्थिति पर 'गंभीर चिंता जताते’’ हुए कहा कि वादे चाहे जो भी किये गए हों, लेकिन हिंसा और खून-खराबा दैनिक वास्तविकता हैं और संघर्ष में कमी के बहुत कम संकेत दिख रहे हैं । विदेश मंत्री ने कहा, '2021 में भी स्थिति बेहतर नहीं हुई है। अफगानिस्तान में विदेशी लड़ाकों की मौजूदगी खास तौर पर परेशान करने वाली है।' उन्होंने कहा कि ऐसे में ‘हार्ट आफ एशिया’ के सदस्यों और इसका समर्थन करने वाले देशों को हिंसा में तत्काल कमी लाने के लिये दबाव बनाने को प्राथमिकता देनी चाहिए ताकि स्थायी और समग्र संघर्षविराम हो सके। अफगानिस्तान पाकिस्तान पर आतंकवादियों को पनाहगाह देकर आतंकवाद और हिंसा को समर्थन देने का आरोप लगाता रहा है। जयशंकर ने कहा कि भारत अफगानिस्तान में स्थायी और समग्र संघर्ष विराम तथा सच्चे अर्थों में राजनीतिक समाधान की दिशा में हर कदम का स्वागत करता है। उन्होंने कहा, 'भारत संयुक्त राष्ट्र के तत्वावधान में होने वाली क्षेत्रीय प्रक्रिया का समर्थन करता है।' जयशंकर ने कहा कि अफगानिस्तान में पिछले दो दशक में हुई उल्लेखनीय प्रगति वह लोकतांत्रिक रूपरेखा है, जिसके तहत चुनाव कराए गए। उन्होंने कहा , 'हम ऐसे समय में मिल रहे हैं, जो न केवल अफगानिस्तान के लोगों के लिये बल्कि हमारे वृहद क्षेत्र के लिये भी महत्वपूर्ण है। अफगानिस्तान और इस वृहद क्षेत्र में जो कुछ घटित हो रहा है, उसे देखते हुए हमें ‘हार्ट आफ एशिया’ शब्दावली को हल्के में नहीं लेना चाहिए।' उन्होंने कहा कि पिछले कुछ महीनों में आम लोगों को निशाना बनाकर उनकी हत्या किए जाने की घटनाएं बढ़ी हैं और 2019 की तुलना में 2020 में नागरिकों की मौत के मामलों में 45 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है। उन्होंने कहा कि भारत परिवर्तन के इस दौर में अफगानिस्तान का पूरी तरह से समर्थन करने को प्रतिबद्ध है और उसने अफगानिस्तान के विकास में तीन अरब डॉलर का योगदान दिया है। उन्होंने कहा कि काबुल के लिए और पेयजल का वादा भी इस सूची में शामिल है। जयशंकर ने कहा कि हार्ट ऑफ एशिया-इस्तांबुल प्रक्रिया (एचओए-आईपी) के तहत व्यापार, वाणिज्य और निवेश सीबीएम में अग्रणी देश होने के नाते भारत अफगानिस्तान की बाहरी दुनिया के साथ कनेक्टविटी (संपर्क सुविधा) सुधारने के लिए काम करना जारी रखेगा। जयशंकर ने पिछले सप्ताह कहा था कि भारत स्पष्ट रूप से ऐसा सम्प्रभु, लोकतांत्रिक और समावेशी अफगानिस्तान देखना चाहता है जो अपने देश के अल्पसंख्यकों का ख्याल रखता हो।


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टोरंटो कनाडा ने सोमवार को आक्सफोर्ड एस्ट्राजेनेका द्वारा विकसित कोविड-19 टीका 55 साल से कम उम्र के लोगों को लगाने पर रोक लगा दी। सरकार ने यह फैसला इस आयु वर्ग के लोगों में खून के थक्के जमने की दुलर्भ घटना का संबंध टीके की वजह से होने की आशंका के मद्देनजर उठाया। सोमवार को इस आयु वर्ग के लोगों में एस्ट्राजेनेका के टीके लगाने के कार्यक्रम को स्थगित करने की घोषणा करते हुए कहा गया कि टीकाकरण पर बनी राष्ट्रीय परामर्श समिति ने सुरक्षा कारणों से टीकाकरण रोकने की अनुशंसा की है। टीकाकरण पर राष्ट्रीय परामर्श समिति की अध्यक्षा डॉ.शेली डिक ने कहा, '55 साल से कम उम्र के लोगों को एस्ट्राजेनेका के टीके देने से होने वाले संभावित खतरे के मुकाबले इसके लाभ को लेकर काफी अनिश्चितता है।' डिन ने यह अनुशंसा यूरोप से आए आंकड़ों के बीच की है जिसके मुताबिक टीके से खून के थक्के जमने की आशंका प्रत्येक एक लाख में से एक मामले में है जो पूर्व में प्रत्येक दस लाख में एक घटना के पूर्वानुमान से कहीं अधिक है। उन्होंने कहा कि यूरोप में एस्ट्राजेनेका का टीका लेने वाले जिन लोगों में खून का थक्का जमने की शिकायत हुई उनमें अधिकतर 55 साल से कम उम्र की महिलाएं हैं और उनमें मृत्यु दर 40 प्रतिशत है।


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दुशांबे भारत ने मंगलवार को रेखांकित किया कि युद्धग्रस्त अफगानिस्तान में स्थायी शांति सुनिश्चित करने के लिए देश के भीतर और इसके आस-पास शांति होना आवश्यक है। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने ताजिकिस्तान की राजधानी दुशांबे में यहां नौवें ‘’ मंत्रिस्तरीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए इस बात को रेखांकित किया। उन्‍होंने कहा कि अफगानिस्तान में शांति के लिए वहां देश के भीतर और इसके आस-पास सभी के हित समान होने आवश्यक हैं। जयशंकर ने ट्वीट किया, ‘अफगानिस्तान में स्थायी शांति के लिए हमें सच्चे अर्थों में दोहरी शांति यानी अफगानिस्तान के भीतर और इसके आस-पास शांति की आवश्यकता है। इसके लिए देश के भीतर और इसके आस-पास सभी के हित समान होने आवश्यक हैं।’ उन्होंने लिखा, ‘यदि शांति प्रक्रिया को सफल बनाना है, तो यह सुनिश्चित करना आवश्यक होगा कि वार्ता कर रहे पक्ष अच्छी नीयत के साथ और किसी राजनीतिक समाधान तक पहुंचने के प्रति गंभीर प्रतिबद्धता के साथ बातचीत करें।’ जयशंकर ने कहा, ‘हम आज एक ऐसा समावेशी अफगानिस्तान बनाने की कोशिश कर रहे हैं, जो दशकों के संघर्ष से पार पा सके, लेकिन ऐसा तभी संभव होगा, यदि हम उन सिद्धांतों के प्रति ईमानदार रहें, जो हार्ट ऑफ एशिया का लंबे समय से हिस्सा रहे हैं।’ उन्होंने कहा, ‘सामूहिक सफलता भले ही आसान नहीं हो, लेकिन इसका विकल्प केवल सामूहिक असफलता है।’ इस सम्मेलन में अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी और पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने भी भाग लिया। जयशंकर ने ‘हार्ट आफ एशिया-इस्तांबुल’ प्रक्रिया के नौवें मंत्रिस्तरीय सम्मेलन में कहा, ‘हम ऐसे समय में मिल रहे हैं, जो न केवल अफगानिस्तान के लोगों के लिये बल्कि हमारे वृहद क्षेत्र के लिये भी महत्वपूर्ण है। अफगानिस्तान और इस वृहद क्षेत्र में जो कुछ घटित हो रहा है, उसे देखते हुए हमें हार्ट आफ एशिया शब्दावली को हल्के में नहीं लेना चाहिए।’ उन्होंने कहा, ‘एक स्थिर, सम्प्रभु और शांतिपूर्ण अफगानिस्तान वास्तव में हमारे क्षेत्र में शांति एवं प्रगति का आधार है।’ विदेश मंत्री ने कहा कि इसलिये सामूहिक रूप से यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि यह आतंकवाद, हिंसक कट्टरपंथ, मादक पदार्थों एवं आपराधिक गिरोहों से मुक्त हो। उन्होंने अफगानिस्तान में स्थिति पर गंभीर चिंता जताते हुए कहा कि वादे चाहे जो भी किये गए हों, लेकिन हिंसा एवं खून-खराबा दैनिक वास्तविकता हैं और संघर्ष में कमी के काफी कम संकेत दिख रहे हैं। उन्होंने कहा कि पिछले कुछ महीनों में आम लोगों को निशाना बनाकर उनकी हत्या किए जाने की घटनाएं बढ़ी हैं और 2019 की तुलना में 2020 में नागरिकों की मौत के मामलों में 45 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है। विदेश मंत्री ने कहा, ‘2021 में भी स्थिति बेहतर नहीं हुई है। अफगानिस्तान में विदेशी लड़ाकों की मौजूदगी खास तौर पर परेशान करने वाली है।’ उन्होंने कहा कि ऐसे में हार्ट आफ एशिया के सदस्यों एवं इसका समर्थन करने वाले देशों को हिंसा में तत्काल कमी लाने के लिये दबाव बनाने को प्राथमिकता देनी चाहिए ताकि स्थायी और समग्र संघर्षविराम हो सके। जयशंकर ने कहा कि भारत अंतर अफगान वार्ता सहित अफगानिस्तान सरकार और तालिबान के बीच बातचीत को आगे बढ़ाने की दिशा में सभी तरह के प्रयासों का समर्थक रहा है। विदेश मंत्री ने कहा कि भारत अफगानिस्तान में स्थायी एवं समग्र संघर्ष विराम तथा सच्चे अर्थो में राजनीतिक समाधान की दिशा में किसी भी कदम का स्वागत करता है। उन्होंने कहा, ‘भारत परिवर्तन के इस दौर में अफगानिस्तान का पूरी तरह से समर्थन करने को प्रतिबद्ध है। अफगानिस्तान के विकास में हमने तीन अरब डॉलर का योगदान दिया है।’ जयशंकर ने पिछले सप्ताह कहा था कि भारत स्पष्ट रूप से ऐसा सम्प्रभु, लोकतांत्रिक और समावेशी अफगानिस्तान देखना चाहता है जो अपने देश के अल्पसंख्यकों का ख्याल रखता हो। उन्होंने कहा था, ‘शांति और मेल-मिलाप की एक प्रक्रिया होती है और सभी यह कह रहे हैं कि तालिबान प्रयास कर रहा है और बदल रहा है। फिलहाल इंतजार करते हैं, फिर देखते हैं।’ जयशंकर के, यात्रा के दौरान सम्मेलन से इतर अन्य देशों के नेताओं से मिलने की संभावना है। तालिबान और अफगानिस्तान सरकार 19 साल से चल रहे युद्ध को समाप्त करने के लिए सीधे वार्ता कर रहे हैं। इस युद्ध में हजारों लोगों की जान चली गई और देश के कई हिस्से तबाह हो गए। भारत अफगानिस्ताान में शांति एवं स्थिरता के प्रयासों में बड़ा भागीदार रहा है।


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नई पई ताव म्यांमार में 1 फरवरी को हुए सैन्य तख्तापलट के खिलाफ चल रहे प्रदर्शनों में मरने वाले लोकतंत्र समर्थक प्रदर्शनकारियों की संख्या 500 से अधिक हो गई है। एक निगरानी समूह ने मंगलवार को यह जानकारी दी। डीपीए समाचार एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, सोमवार को सुरक्षा बलों के हाथों 14 अन्य लोगों की जान चली गई और असिस्टेंट एसोसिएशन फॉर पॉलिटिकल प्रिजनर्स (एएपीपी) ने अभी तक देशव्यापी मौत का आंकड़ा 510 बताया है। समाचार एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक अब लोग सड़कों पर कूड़ा फेंककर सविनय अवज्ञा आंदोलन कर रहे हैं। म्यांमार में बिगड़ती स्थिति अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को चिंतित कर रही है। विशेष रूप से 27 मार्च को एक ही दिन में 110 लोगों की मौत के बाद चिंता काफी बढ़ गई है। यूरोपीय संघ ने इसे ‘आतंक का दिन’ करार दिया है। लोकतंत्र समर्थकों पर हालिया बड़ा अत्याचार यांगून के दक्षिण डगन टाउनशिप में देखने को मिला है। यहां अपने आंखों से खौफनाक मंजर देखने वाले लोगों का कहना है कि पिछले दो दिनों के दौरान इलाके में सेना ने एक विशेष मुहिम को अंजाम दिया है, जिससे पूरा मोहल्ला दहशत में आ गया है। आंग सान सू ची 1 फरवरी से नजरबंद विरोध प्रदर्शनों के प्रमुख समूहों में से एक द जनरल स्ट्राइक कमेटी ऑफ नेशनलिटीज ने सोमवार को म्यांमार के जातीय सशस्त्र समूहों से प्रदर्शनकारियों के पक्ष में खड़े होने का आग्रह किया। मंगलवार को इस तरह के तीन समूहों ने इस आह्रान का संज्ञान लिया है। एक संयुक्त बयान में उन्होंने सेना के कार्यों की द्दढ़ता से निंदा की और कहा कि वे म्यांमार के लिए लड़ रहे लोगों के परिवार के सदस्यों के साथ अपनी सहानुभूति साझा करते हैं। म्यांमार नेशनल डेमोक्रेटिक अलायंस आर्मी, पलाउंग स्टेट लिबरेशन फ्रंट और अराकान आर्मी ने एक बयान में कहा, ‘सेना को तुरंत अपने हमलों को रोकना चाहिए और राजनीतिक बातचीत में शामिल होना चाहिए।’ दक्षिण-पूर्व एशियाई देश में फिलहाल सेना ने अपना नियंत्रण स्थापित कर लिया है और सत्तारूढ़ नैशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी पार्टी की प्रमुख आंग सान सू ची को 1 फरवरी से नजरबंद करके रखा गया है।


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लंदन ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन एक बड़े विवाद में घिर गए हैं। एक महिला उद्योगपति जेनिफर अर्करी ने खुलासा किया है कि उनका प्रधानमंत्री जॉनसन के साथ यौन संबंध था। यही नहीं दोनों सेक्‍सी फोटो भी शेयर करते थे। इस पूरे मामले को लेकर ब्रिटिश पीएम के खिलाफ जांच शुरू हो गई है। जेनिफर ने दावा किया है कि उनका पीएम जॉनसन के साथ प्‍यार करीब 4 साल तक चला। उन्‍होंने यह भी बताया कि एक समय में बोरिस की पत्‍नी मरिना घर पर नहीं थीं तो वह उनके घर में सोई थीं। पीएम जॉनसन से 21 साल छोटी महिला उद्योपति ने बताया कि वे एक फ्लैट में एक साथ सोते थे जहां पर पोल डांसर के लिए पोल भी बना हुआ था। जेनिफर ने कहा कि जब उनका प्‍यार अपने उफान पर था तब दोनों सप्‍ताह में एक बार जरूर‍ मिलते थे। मैंने बोरिस जॉनसन को अपनी टॉपलेस प‍िक्‍चर भी भेजी थी। उन्‍होंने कहा, 'मैं उन्‍हें प्‍यार करती हूं। मैं उन्‍हें बहुत ज्‍यादा पसंद करती हूं।' वर्ष 2012 से लेकर 2016 तक चला प्‍यार जेनिफर ने दावा किया कि दोनों के बीच शारीरिक और बौद्धिक आकर्षण था। बोरिस उनके जिस्‍म और दिमाग को पसंद करते थे और मेरे ऊपर से अपना हाथ हटा नहीं पाते थे। उन्‍होंने बताया कि बोरिस जॉनसन उस समय लंदन के मेयर थे और यह प्‍यार वर्ष 2012 से लेकर 2016 तक चला था। जेनिफर और बोरिस के बीच रिश्‍तों को लेकर उस समय सवाल उठे जब तीन बार जेनिफर बोरिस जॉनसन के साथ ट्रेड मिशन पर करदाताओं के पैसे से गईं। इन यात्राओं से साफ हो गया है कि बोरिस जॉनसन और जेनिफर के बीच में करीबी रिश्‍ता था लेकिन उन्‍होंने अब तक इसका खुलासा नहीं किया था। हालांकि उन्‍होंने यह भी कहा कि जिस बोरिस को वह वर्ष 2016 तक प्‍यार करती थीं, वह अब नहीं हैं। उन्‍होंने बताया कि बोरिस ने एक रेस्‍त्रां में शराब पी और मुझसे कहा कि मैं तुम्‍हारे से साथ डेट करना चाहता हूं। हम दोनों ने पहली बार फ्लैट पर संबंध बनाए थे।


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अंकारा कहते हैं कि मां से ज्‍यादा बच्‍चे का कष्‍ट कोई नहीं समझ सकता है, फिर चाहे वह इंसान हो या जानवर। कुछ ऐसा ही नजारा देखने को मिला तुर्की के एक अस्‍पताल में जहां एक ब‍िल्‍ली अपने बच्‍चे की जान बचाने के लिए डॉक्‍टर के पास पहुंच गई। बिल्‍ली के मुंह में मासूम बच्‍चे को देखकर डॉक्‍टरों का दिल पिघल गया। अब इस घटना का वीडियो इंटरनेट पर जमकर शेयर किया जा रहा है। यह वीडियो तुर्की के इज्मिर जिले के कराबगलर के एक अस्‍पताल का है। इस वीडियो में नजर आ रहा है कि एक बिल्‍ली अपने बच्‍चे को मुंह में लेकर अस्‍पताल में घुस रही है। वीडियो में आवाज आ रही है कि लोग बिल्‍ली को डॉक्‍टरों के पास तक जाने के लिए रास्‍ता देने को कह रहे हैं। अस्‍पताल के कर्मचारियों ने इससे पहले भी बिल्ली को खाना और पानी देकर उसकी मदद की थी। नर्स ने ब‍िल्‍ली की आंख में दवा डाला बिल्‍ले के बच्‍चे की जांच के बाद डॉक्‍टरों और नर्स ने पाया कि बिल्‍ली के बच्‍चे की आंख में इंफेक्‍शन है। इसके बाद पशुओं के डॉक्‍टर से सलाह ली गई और उनकी मदद मांगी गई। वीडियो में नजर आ रहा है कि एक नर्स ने ब‍िल्‍ली की आंख में दवा डाला ताकि उसे राहत मिल सके। स्‍थानीय मीडिया से बातचीत एक हेल्‍थ वर्कर ने कहा, 'हम मां बिल्‍ली को खाना और पानी देते रहे हैं जो यहां सड़कों पर रहती है। हालांकि हमें यह नहीं पता था कि उसने बच्‍चों को जन्‍म दिया है।' हेल्‍थ वर्कर ने कहा कि जब हमने सुबह में मरीजों को देखना शुरू किया तो बिल्‍ली ने अपने बच्‍चों को दिखाया। उसने मदद मांगी और लंबे समय तक म्‍याऊं करती रही। हम आश्‍चर्य में आ गए।' उन्‍होंने बताया जब बच्‍चे की जांच की गई तो पाया कि संक्रमण की वजह से उसकी आंख नहीं खुल रही है। हमने पशुओं के डॉक्‍टर से सलाह ली और उनकी बताई दवा दी। कुछ समय बाद जब बच्‍चे ने अपनी आंख खोली तो हम खुशी से उछल पड़े। मां और बच्‍चे दोनों को केयर होम में भेजा गया है। ऐसा पहली बार हमारे साथ हुआ है।


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काठमांडू भारत-नेपाल के तनावपूर्ण रिश्‍तों से इतर भारतीय सेना ने बड़ा दिल दिखाते हुए नेपाली सेना को एक लाख कोरोना वायरस वैक्‍सीन गिफ्ट की है। नेपाली सेना को यह वैक्‍सीन रविवार को दी गई। वैक्‍सीन की यह खेप नेपाल के त्रिभुवन हवाई अड्डे पर पहुंचने पर नेपाली सेना के सैनिक उसके स्‍वागत के लिए खडे़ थे। भारत और नेपाल की सेना के बीच संबंध हमेशा से अच्‍छे रहे हैं और पिछले दिनों भारतीय सेना के प्रमुख को नेपाल में सम्‍मानित भी किया गया था। भारत की ओर से नेपाली सेना को यह टीका वैक्‍सीन मैत्री अभियान के तहत दिया गया है। इससे पहले भारत ने नेपाल को कोरोना वायरस वैक्‍सीन की 10 लाख डोज दी थी। इसकी सराहना नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने भी की थी जो कभी बेहद तीखे तेवर अपना रहे थे। यही नहीं भारत में नेपाल के राजदूत नीलांबर आचार्य ने भी भारत को धन्यवाद देते हुए कहा है कि दोनों देशों को अपने संबंध बरकरार रखने के बारे में सोचना चाहिए, दूसरी चीजों के बारे में नहीं। आचार्य ने कहा, 'हम कोरोना वायरस वैक्सीन की 10 लाख खुराकें देने के लिए भारत सरकार के आभारी हैं। हमें भरोसा है कि हमें और खुराकें मिलेंगी जिनका हमने ऑर्डर दिया है। हम भारत की सरकार और लोगों को धन्यवाद देते हैं, वे अच्छे पड़ोसी और दोस्त हैं।' आचार्य ने यह भी कहा है कि भारत और नेपाल के करीबी सांस्कृतिक, ऐतिहासिक और समाजिक संबंध हैं। दोनों देश कई मूल्य साझा करते हैं और एक ही सभ्यता से दोनों देश आए हैं। चीन ने भी नेपाल को दी कोविड वैक्सीन की 8 लाख खुराक नेपाल सेना द्वारा सद्भावना के संकेत के रूप में अपने भारतीय समकक्षों से कोविड वैक्सीन की 100,000 खुराक प्राप्त करने के एक दिन बाद चीन की ओर से दान की गई 800,000 खुराक सोमवार को काठमांडू पहुंची। नेपाल में चीनी राजदूत होउ यान्की ने त्रिभुवन अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर एक समारोह में नेपाल के स्वास्थ्य मंत्री ह्रदयेश त्रिपाठी को वैक्सीन शिपमेंट सौंपी। रविवार शाम को नेपाल की सेना को कोविड-19 वैक्सीन की 100,000 खुराक मिली थी, जिसे ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका द्वारा विकसित किया गया है और इन्हें स्थानीय रूप से भारत के सीरम संस्थान की ओर से निर्मित किया गया है। रविवार को प्रदान किए गई वैक्सीन केवल नेपाली सेना के जवानों को दी जाएगी।


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दुनियाभर के लिए संकट का सबब बना महाविशालकाय मालवाहक जहाज एवर गिवेन 6 दिन की कड़ी मेहनत के बाद अब पूरी तरह से निकल चुका है और अपने सफर पर रवाना हो गया है। एशिया और यूरोप के बीच माल लेकर जाने वाला, पनामा के ध्वज वाला एवर गिवेन (Ever Given) नामक मालवाहक जहाज मंगलवार को स्‍वेज नहर में फंस गया था। इससे स्‍वेज नहर के दोनों तरफ समुद्र में जाम लग गया था और 350 से ज्‍यादा मालवाहक जहाज फंस गए थे। इस कंटेनर शिप को चला रहे चालक दल के सभी 25 सदस्‍य भारतीय हैं। एवर गिवेन को निकालने के लिए रात-दिन चली इस कार्रवाई में दो चीजों का सबसे महत्‍वपूर्ण हाथ था। पहला सुपरमून और दूसरा दैत्‍याकार जहाज Mashhour। आइए जानते हैं कैसे निकला एवर गिवेन जहाज...

Suez Canal Blockage Cleared: करीब 6 दिनों तक रात-दिन चली मेहनत के बाद स्‍वेज नहर से मालवाहक जहाज एवर गिवेन निकल गया है। एक समय में बचाव दल इस विशाल मालवाहक जहाज के निकलने की उम्‍मीद खो चुका था लेकिन सुपरमून और दैत्‍याकार जहाज ने खेल को पलट दिया।


Suez Unblocked: सुपरमून, दैत्याकार जहाज...स्‍वेज नहर से यूं निकला विशालकाय जहाज, लदे थे सेक्‍स टॉय

दुनियाभर के लिए संकट का सबब बना महाविशालकाय मालवाहक जहाज एवर गिवेन 6 दिन की कड़ी मेहनत के बाद अब पूरी तरह से निकल चुका है और अपने सफर पर रवाना हो गया है। एशिया और यूरोप के बीच माल लेकर जाने वाला, पनामा के ध्वज वाला एवर गिवेन (Ever Given) नामक मालवाहक जहाज मंगलवार को स्‍वेज नहर में फंस गया था। इससे स्‍वेज नहर के दोनों तरफ समुद्र में जाम लग गया था और 350 से ज्‍यादा मालवाहक जहाज फंस गए थे। इस कंटेनर शिप को चला रहे चालक दल के सभी 25 सदस्‍य भारतीय हैं। एवर गिवेन को निकालने के लिए रात-दिन चली इस कार्रवाई में दो चीजों का सबसे महत्‍वपूर्ण हाथ था। पहला सुपरमून और दूसरा दैत्‍याकार जहाज Mashhour। आइए जानते हैं कैसे निकला एवर गिवेन जहाज...



​सुपरमून से समु्द्र में आया ज्‍वार, एवर गिवेन को मिला रास्‍ता
​सुपरमून से समु्द्र में आया ज्‍वार, एवर गिवेन को मिला रास्‍ता

स्‍वेज नहर में फंसे जहाज को निकालने के लिए बचाव दल दिन-रात मेहनत कर रहा था लेकिन एवर गिवेन के जल्‍द निकलने की कोई उम्‍मीद नहीं दिखाई दे रही थी। करीब 400 मीटर लंबे और 59 मीटर चौड़े इस विशालकाय जहाज ने स्‍वेज नहर के दोनों तरफ के रास्‍तों को ब्‍लॉक कर दिया था। 193.3 किलोमीटर लंबी स्वेज नहर भूमध्य सागर को लाल सागर से जोड़ती है। इसी रास्‍ते से दुनिया के करीब 30 फीसदी शिपिंग कंटेनर गुजरते हैं। पूरी दुनिया के 12 फीसदी सामानों की ढुलाई भी इसी नहर के जरिए होती है। इस महासंकट के बीच सुपरमून बचाव दल के लिए वरदान साबित हुआ और इसकी वजह से समुद्र में ज्‍वार आ गया। ज्‍वार की वजह से समुद्र में पानी बढ़ने से एवर‍ गिवेन जहाज को रास्‍ता मिल गया और वह फिर से पानी में तैरने लगा। एवर गिवेन के निकलने से दुनिया ने चैन की सांस ली है। जहाज के फंसने से दुनिया में कई सामानों के किल्‍लत होने का खतरा पैदा हो गया था। यही नहीं समुद्र में फंसे जहाजों में कई जिंदा जानवर भी लदे हुए थे जिससे उनके मरने का खतरा पैदा हो गया था।



​दैत्‍याकार जहाज ने स्‍वेज से निकाली लाखों क्‍यूबिक मीटर बालू
​दैत्‍याकार जहाज ने स्‍वेज से निकाली लाखों क्‍यूबिक मीटर बालू

एवर गिवेन के निकलने में सुपरमून के साथ-साथ दैत्‍याकार जहाज Mashhour का भी बहुत बड़ा योगदान रहा। इस जहाज ने प्रतिघंटे 70 हजार क्‍यूबिक मीटर की दर से बालू को स्‍वेज नहर से हटाया। इस जहाज को गुरुवार को काम पर लगाया गया था। स्‍वेज नहर प्राधिकरण के चीफ ओसामा रबिए ने कहा कि इस दैत्‍याकार Mashhour जहाज ने एवर गिवेन के नीचे से बालू निकालने का ज्‍यादातर काम किया। उन्‍होंने कहा कि यह काम कर गया और इसके बाद जहाजों को खींचने वाले टगबोट को एवर गिवेन को खींचने का मौका मिल गया। इसके अलावा कई छोटे-छोटे जहाजों की मदद से एवर गिवेन के तलछट से रेत और कीचड़ को निकाला गया। कुल 27 हजार क्‍यूबिक मीटर बालू और कीचड़ को फंसे हुए जहाज के आसपास से हटाया गया। इस शानदार सफलता के बाद अब Mashhour अब मशहूर हो गया है। एवर गिवेन के निकलने के बाद Mashhour के चालक दल ने जश्‍न मनाया और कहा कि हम नंबर वन हैं।



​मालवाहक जहाज पर लदे थे 20 कंटेनर सेक्‍स टॉय
​मालवाहक जहाज पर लदे थे 20 कंटेनर सेक्‍स टॉय

एवर गिवेन जहाज को ऐसे समय पर निकाला गया जब वर्कर इसके सामानों को उतारने की तैयारी कर रहे थे ताकि उसके वजन को हल्‍का किया जा सके। इस जहाज पर कुल 18300 कंटेनर लदे हुए थे। इनमें 20 कंटेनर तो केवल सेक्‍स टॉय भरे हुए थे। इन सेक्‍स टॉय को क्रिसमस और वेलेंटाइन डे के लिए बेचा गया था। सेक्‍स टॉय को बनाने वाली कंपनी ईडीसी रिटेल ने कहा कि उन्‍हें करोड़ों रुपये का नुकसान होता अगर इनको अफ्रीका का चक्‍कर लगाकर भेजा जाता। इससे 5 से 7 दिन ज्‍यादा भी लगते। उन्‍होंने कहा कि ज्‍यादा पैसा लगने के बाद भी खतरा था क्‍योंकि सर्दियों में दक्षिण अफ्रीका के आसपास समुद्र में बहुत ज्‍यादा हलचल होती है। यही नहीं इन इलाकों में समुद्र डाकू भी बहुत ज्‍यादा सक्रिय हैं। इस बीच एवर गिवेन के निकलने से सोमवार शाम से स्‍वेज नहर फिर से खुल गई है।



​एवर गिवेन के फंसने से हर द‍िन हो रहा था इतना नुकसान
​एवर गिवेन के फंसने से हर द‍िन हो रहा था इतना नुकसान

इस व्‍यस्‍ततम समुद्री मार्ग पर एवर गिवेन के फंसने से हर दिन 9.6 अरब डॉलर का नुकसान हो रहा था। हर साल इस रास्‍ते से 19 हजार जहाज गुजरते हैं। यही नहीं करोड़ों बैरल कच्‍चा तेल और एलएनजी भी इसी रास्‍ते से ढोया जाता है। चीन में बने फर्निचर, कपडे़, सुपरमार्केट के सामान स्‍वेज नहर के रास्‍ते ही यूरोप तक जाते हैं। अगर यह नहर बंद हो जाय तो उन्‍हें 5000 किमी का चक्‍कर लगाकर अफ्रीका के रास्‍ते से यूरोप जाना होगा। इस जाम की वजह से खाड़ी देशों से तेल का निर्यात रुक गया था जिससे तेल और अन्‍य सामानों के दाम बढ़ने लगे थे। कंटेनर शिप एवर गिवेन चीन से माल लादने के बाद नीदरलैंड के पोर्ट रॉटरडैम के लिए जा रहा था। इस दौरान उसने हिंद महासागर से यूरोप में जाने के लिए स्वेज नहर का रास्ता अपनाया। जो मंगलवार की सुबह स्थानीय समयानुसार लगभग 07:40 पर स्वेज पोर्ट के उत्तर में फंस गया। इस जहाज को 2018 में बनाया गया था, जिसे ताइवानी ट्रांसपोर्ट कंपनी एवरग्रीन मरीन संचालित करती है।





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Monday 29 March 2021

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ढाका भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पिछले सप्ताह बांग्‍लादेश की राजधानी ढाका यात्रा से दो दिन पहले खुफिया विभाग की ओर से बड़े पैमाने पर हिंसा की चेतावनी दी गई थी। बांग्लादेश की खुफिया रिपोर्ट में कहा गया था कि पुलिस, मीडिया और सरकारी प्रतिष्ठानों पर व्यापक रूप से रक्तपात और बड़े पैमाने पर हमले की तैयारी की गई थी। रिपोर्ट में कहा गया था कि प्रतिबंधित कट्टरपंथी संगठन जमात-ए-इस्लामी ने बड़े पैमाने पर हमले करने के लिए भारी मात्रा में धन का भुगतान किया था। रिपोर्ट में कहा गया है कि जमात की कोशिश थी कि मोदी की यात्रा के दौरान शेख हसीना के नेतृत्व वाली सरकार पर कानून एवं व्यवस्था की स्थिति पर सवाल उठाए जा सके। पीएम मोदी 26-27 मार्च को बांग्लादेश के दौरे पर थे। खुफिया रिपोर्ट में जमात-ए-इस्लामी और हिफाजत-ए-इस्लाम के नेताओं के स्वामित्व वाले सभी आवासीय होटलों में छापेमारी करने की भी सिफारिश की गई थी। 60 प्रतिशत अनुयायियों को राजधानी ढाका भेजा इसमें कहा गया था, 'यदि आवश्यक हो, तो कुछ गिरफ्तारियां की जानी चाहिए। जमात के स्वामित्व वाली अचल संपत्ति, अस्पतालों, बीमा, मदरसों, वाणिज्यिक इमारतों में छानबीन की जानी चाहिए। सभी व्यावसायिक प्रतिष्ठानों को बंद करने के लिए कहना चाहिए।' रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि जमात-ए-इस्लाम के लोगों ने मोदी की यात्रा के मद्देनजर अपने 60 प्रतिशत अनुयायियों को राजधानी ढाका में स्थानांतरित होने के लिए कहा था। नतीजतन इस्लामी छत्री संगठन, जमात की महिला विंग और इस्लामिक शैडो संगठन (महिलाओं और बच्चों सहित) के सदस्यों ने ढाका में प्रवेश किया था। जमात-ए-इस्लामी के नेता और कार्यकर्ता, जो ढाका के बाहर से आए थे, उन्हें तीन समूहों में विभाजित किया गया था। खुफिया रिपोर्ट से पता चला है कि उनकी योजना के अनुसार, जमात के छात्रसंघ अध्यक्ष शिबीर सहित पहले समूह को मोदी विरोधी विभिन्न कार्यक्रमों में शामिल होना था। दूसरा समूह लेफ्ट शेड संगठन के साथ मोदी विरोधी रैली में शामिल होना था, जबकि योजना के अनुसार, तीसरा समूह हिफाजत के छह इस्लामी राजनीतिक दलों के प्रदर्शन में शामिल होना था। प्रधानमंत्री शेख हसीना सरकार को गिराने की साजिश इस बीच एक अन्य खुफिया रिपोर्ट में कहा गया है कि जमात, हिफाजत और विपक्षी बांग्लादेश नैशनलिस्ट पार्टी प्रधानमंत्री शेख हसीना को गिराने की साजिश रच रहे हैं। सिविल-सोसाइटी के सदस्यों ने आरोप लगाया है कि जिस तरह से ये संगठन विरोध प्रदर्शनों को अंजाम दे रहे हैं, उनके मकसद का स्पष्ट पता चलता है और वे देश की शांति और प्रगति में बाधा चाहते हैं। सिविल-सोसाइटी के सदस्यों ने कहा कि जिस तरह से वे विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं वह अनुचित है और उन अपराधियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए। उन्होंने आगे दावा किया कि बांग्लादेश के देशभक्त लोग चल रहे असाधारण सामाजिक-आर्थिक विकास में बाधा डालकर अस्थिरता पैदा करने के किसी भी प्रयास को विफल कर देंगे। सरकार ने कानून और व्यवस्था बनाए रखने के लिए ढाका और देश के अन्य हिस्सों में बॉर्डर गार्ड बांग्लादेश (बीजीबी) सैनिकों को तैनात किया है।


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प्‍योंगयांग दक्षिण कोरियाई राष्‍ट्रपति मून जेई इन के उत्‍तर कोरिया के मिसाइल परीक्षण करने की आलोचना करने पर तानाशाह किम जोंग उन की शक्तिशाली बहन किम यो जोंग भड़क गई हैं। किम यो जोंग ने उत्‍तर कोरिया के 'आत्‍मरक्षा' में उठाए कदम की आलोचना करने पर मून के मंशा को लेकर सवाल उठाया। किम यो जोंग ने बयान को 'गैंगस्‍टर जैसा तर्क' करार दिया और कहा कि मून 'अमेरिका के पाले हुए तोते हैं।' इससे पहले मून ने कहा था कि उत्‍तर कोरिया के कदम बातचीत के लिए सकारात्‍मक माहौल बनाने में कठिनाई डाल रहे हैं। मून ने कहा, 'मैं जानता हूं कि नॉर्थ कोरिया के मिसाइल परीक्षण करने से लोग बहुत ज्‍यादा चिंतित हैं। उत्‍तर और दक्षिण कोरिया तथा अमेरिका के लिए अब समय आ गया है कि हमारी बातचीत को जारी रखने के लिए काम करें।' किम यो जोंग ने मून के इस बयान की कड़ी आलोचना की और कहा कि यह निर्लज्‍जता की पराकाष्‍ठा है। उत्‍तर कोरियाई नेता ने कहा कि मून कहना चाहते हैं कि राष्‍ट्रीय सुरक्षा को मजबूत करने के लिए हमारे द्वारा उठाए कदम दक्षिण कोरिया के लोगों के मन में चिंता पैदा करते हैं। जबकि यह हमारा वैधानिक अधिकार है। 'तर्कहीन और बेशर्मी से भरा दक्षिण कोरिया का व्‍यवहार' तानाशाह की बहन किम यो जोंग ने कहा, 'इस तरह का तर्कहीन और बेशर्मी से भरा दक्षिण कोरिया का व्‍यवहार ठीक उसी तरह से है जैसे अमेरिका का है जो उत्‍तर कोरिया के आत्‍मरक्षा के अधिकार में कमी निकालता है। यह संयुक्‍त राष्‍ट्र के प्रस्‍तावों का उल्‍लंघन है और अंतरराष्‍ट्रीय समुदाय के लिए धमकी है।' इससे पहले दक्षिण कोरिया और जापान ने दावा किया था कि उत्तर कोरिया ने गुरुवार को पूर्वी चीन सागर में दो मिसाइलों को फायर किया है। पिछले शनिवार को भी उत्तर कोरिया ने कई दूसरी मिसाइलों का टेस्ट किया था। माना जा रहा है कि उत्तर कोरिया अमेरिका के साथ संबंधों में आए गतिरोध के बाद बाइडन प्रशासन पर दबाव बनाने के लिए इन परीक्षणों को कर रहा है। उत्तर कोरियाई तानाशाह किम जोंग उन की अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ फरवरी 2019 में दूसरी शिखर वार्ता नाकाम होने के बाद गतिरोध पैदा हुआ। उस वार्ता में अमेरिका ने उत्तर कोरिया की उस मांग को खारिज कर दिया था जिसमें उसने अपने परमाणु कार्यक्रम को आंशिक रूप से बंद करने के बदले में उस पर लगाए प्रमुख प्रतिबंधों को हटाने के लिए कहा था।


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रियाद सऊदी अरब के नेतृत्‍व में गठबंधन सेना ने यमन की राजधानी सना में हूती विद्रोहियों के एक शिविर को हवाई हमला करके तबाह कर दिया है। सऊदी...