
कैनबेरा और महाविशाल ब्लैक होल के बीच में आते हैं इंटरमीडिएट मास ब्लैक होल (IMBH)। वैज्ञानिकों ने एक ऐसे ही ब्लैक होल का पता लगाया है जो करीब 3 अरब साल पहले हुए एक विस्फोट से पैदा हुई रोशनी में चमकता मिला है। IMBH का सबूत मिलना बेहद मुश्किल होता है। यहां तक कि कुछ वैज्ञानिक इनके अस्तित्व पर भी सवाल उठाते हैं। ऐसे में यह खोज काफी अहम है। ऑस्ट्रेलिया की यूनिवर्सिटी ऑफ मेलबर्न में ऐस्ट्रोफिजिसिस्ट और जेम्स पेनटर का कहना है कि अगर कोई ब्लैक होल आसपास का मैटर नहीं खा रहा होता है तो उसे डिटेक्ट करना मुश्किल हो जाता है। उनके गुरुत्वाकर्षण के असर से ही उनकी मौजूदगी का पता चलता है। साइंस टीम ने ग्रैविटेशनल लेंसिंग की मदद से ही इसे खोजा है। यह ऐसा तरीका होता है जिसमें कोई ऑब्जेक्ट कहीं दूर से आ रही लाइट के रास्ते को मोड़ता है। इस केस में विस्फोट से आ रही रोशनी को ब्लैक होल ने मोड़ दिया। दुर्लभ नहीं होते ये ब्लैक होल रिसर्च में शामिल ऐस्ट्रोनॉमर रेचल वेबस्टर ने बताया कि IMBH की इस तरह खोज से पता चलता है कि ये इतने दुर्लभ भी नहीं हैं जितना समझे जाते हैं। उन्होंने कहा, 'अगर वे बेहद दुर्लभ होते तो ग्रैविटेशनल लेंसिंग के जरिए एक का दिखना भी मुश्किल होता। यह पूरा स्टेटिस्टिक्स और प्रॉबबिलिटी की बात है।' इस खोज से न सिर्फ IMBH बल्कि महाविशाल ब्लैक होल (Supermassive Black Holes) के बारे में पता चल सकेगा। कैसे बनते हैं SMBH? एक थिअरी के तहत माना जाता है कि बिग-बैंग के साथ ही ये SMBH पैदा हुए थे, जिस प्रक्रिया को Direct Collapse (डायरेक्ट कोलैप्स) कहा गया है। इसके मुताबिक तय न्यूनतम आकार के विशाल SMBH पैदा हुए जिनका mass हमारे सूरज से लाखों गुना ज्यादा था। दूसरी थिअरी के मुताबिक SMBH बिग-बैंग के काफी बाद ऐसे ब्लैकहोल से पैदा हुए जो किसी विशाल तारे के मरने से बना हो। इस केस में शुरुआत में SMBH सूरज से mass में कुछ हजार गुना ज्यादा होंगे और बाद में आसपास के सितारों और गैस के इनमें समाने से यह और विशाल होते चले गए।
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