
National Science Day: नोबेल विजेता सर सीवी रमन की खोज Raman Effect का इस्तेमाल NASA का Perseverance Rover मंगल पर करेगा। इसकी मदद से वहां जीवन की खोज की जाएगी।

28 फरवरी, 1928 को महान वैज्ञानिक सर सीवी रमन (CV Raman) ने जब Raman Effect की खोज की थी तो उन्होंने एक बार फिर साबित कर दिया था कि भारत का कौशल मानव सभ्यता को ऊंचाई पर ले जाने के लिए कितना अहम है। इसने उन्हें पहली बार नोबेल पुरस्कार जीतने वाला भारतीय तो बनाया है, आज इसी तकनीक के सहारे धरती के बाहर जीवन की खोज की जा रही है। अमेरिकी स्पेस एजेंसी NASA ने मंगल पर जो Perseverance Rover उतारा है, उसके अंदर लगा खास इंस्ट्रुमेंट SHERLOC जो Raman Effect की मदद से ही यह पता लगाएगा कि क्या लाल ग्रह पर कभी जीवन था।
एक सवाल का जवाब खोलेगा दूसरे रास्ते

SHERLOC के प्रिंसिपल इन्वेस्टिगेटर लूथर बीगल के मुताबिक रमन जहाज से सफर करते वक्त यह समझना चाहते थे कि समुद्र का रंग नीला क्यों होता है। उन्हें लगा है कि सतह पर लाइट की बीम लगाई जाए तो उससे बिखरने वाली लाइट की वेवलेंथ सतह के मटीरियल के हिसाब से बदल जाती है। इसे Raman Scattering कहते हैं। डीप-UC Raman इंस्ट्रुमेंट का इस्तेमाल NASA और अमेरिका का रक्षा मंत्रालय कई साल से फार्मा, वेस्टवॉटर से लेकर वायरस की टेस्टिंग तक में करते आ रहे हैं। Scanning Habitable Environments with Raman and Luminescence for Organics and Chemicals यानी SHERLOC इंस्ट्रुमेंट के अंदर एक फोटॉन सिस्टम लेजर की मदद से मंगल पर ऐसे निशान देखे जा सकते हैं जो पहले देखना मुश्किल था।
मुमकिन होगी जीवन की खोज

डीप-UV फोटॉन कई मटीरियल्स से इंटरैक्ट करते हैं। खासतौर पर ऑर्गैनिक मॉलिक्यूल। इससे डिटेक्शन इन्फ्रारेड या विजिबल लाइट लेजर की तुलना में ज्यादा सेंसिटिव होता है और ज्यादा सटीकता से किया जा सकता है। रमन स्पेक्ट्रोस्कोपी उस लाइट को ऑब्जर्व करती है जो मॉलिक्यूल से टकराकर बिखरती है जिसे Raman Scattering कहते हैं। मॉलिक्यूल के असर से इसका कुछ हिस्सा अलग वेवलेंथ पर होता है। वेवलेंथ में बदलाव के आधार पर सैंपल में मौजूद मटीरियल की पहचान की जा सकती है। UV लाइट के ज्यादा एनर्जी वाले फोटॉन ऑर्गैनिक मॉलिक्यूल में कम फ्रीक्वेंसी वाली लाइट की तुलना में ज्यादा Raman Scattering पैदा करते हैं।
जजेरो में ढूंढेगा जीवन

SHERLOC में UV Raman स्पेक्ट्रोमीटर, लेजर और कैमरा लगा है जो Jezero Crater में ऑर्गैनिक मैटर और मिनरल की खोज करेगा। इनकी मदद से वैज्ञानिक यहां पहले कभी मौजूद रहे जीवन की खोज करेंगे और चट्टानों में इसके बायोसिग्नेचर ढूंढेंगे। SHERLOC फ्लोरसेंस और Raman स्पेक्ट्रोस्कोपी की मदद से मंगल की सतह पर मटीरियल्स का अनैलेसिस करेंगे। इससे ऐसे हालात के बारे में जाना जा सकेगा जब Jezero पानी से भरा हुआ करता था। मिनरल और ऑर्गैनिक मैप दूसरे एलिमेंट्स के साथ मिलकर सैंपल इकट्ठा करने में अहम योगदान देंगे। इन सैंपल्स को बाद के मिशन के जरिए धरती पर लाया जाएगा।
मंगल पर है उम्मीद

गॉडार्ड प्रिंसिपल इन्वेस्टिगेटर आंद्रेज ग्रूबीसिक को RAman-Mass Spectrometer (RAMAS) के लिए तीन साल का PICASSO अवॉर्ड मिला है। रमन स्पेक्ट्रोस्कोपी और मास स्पेक्ट्रोस्कोपी अनैलिटिकल केमिस्ट्री तकनीकें हैं जो अलग-अलग मॉलिक्यूल के जरिए खास मिनरल को पहचाना जा सकता है। इसकी मदद से सौर मंडल के दूसरे ग्रहों पर जीवन की खोज की जा सकेगी। टीम को मंगल पर बैक्टीरिया मिलने की उम्मीद तो कम है लेकिन सतह के पास किसी ऑर्गैनिक निशान को SHERLOC से खोजा जा सकेगा।
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