Thursday 30 September 2021

https://ift.tt/36CAGd7

लिस्बन अफगानिस्तान में तालिबान की वापसी के बाद कई लोग अपना घर और जमीन छोड़ने के लिए मजबूर हुए। अफगान राष्ट्रीय महिला युवा फुटबॉल टीम की खिलाड़ी भी उनमें से एक हैं। 15 साल की फुटबॉल खिलाड़ी सारा कहती हैं कि अपने घर अफगानिस्तान को छोड़ना दर्दनाक था। लेकिन अब वह पुर्तगाल में हैं और सुरक्षित हैं। भविष्य में वह प्रफेश्नल फुटबॉल प्लेयर बनना चाहती हैं। उनका सपना अपने पसंदीदा खिलाड़ी क्रिस्टियानो रोनाल्डो (Cristiano Ronaldo) से मिलने का है। घर लौटूंगी लेकिन आजादी मिली तोपुर्तगाल ने इन खिलाड़ियों को शरण दी है। अपनी मां और साथी खिलाड़ियों के साथ लिस्बन में घूमते हुए सारा कहती हैं कि अब वह आजाद हैं। उन्होंने कहा, 'मैं रोनाल्डो की तरह फुलबॉल प्लेयर और पुर्तगाल की एक बड़ी महिला व्यवसायी बनना चाहती हूं।' सारा को उम्मीद है कि वह एक दिन घर वापस लौट पाएंगी लेकिन इसके लिए 'आजादी' उनकी शर्त है। सारा की मां ने रॉयटर्स ने उनका सरनेम इस्तेमाल न करने की विनती की। तालिबान ने लगाई खेल पर रोकसारा की मां ने तालिबान का पिछला शासन देखा है। उनकी मां को इस बात की कम उम्मीदें हैं कि अब वे कभी अफगानिस्तान लौट पाएंगी। सत्ता पर कब्जा करने से पहले तालिबान ने महिलाओं को उनके अधिकार देने का वादा किया था। लेकिन गुरुवार को खबर आई कि तालिबान ने काबुल यूनिवर्सिटी को बंद कर दिया है और महिला छात्रों व टीचरों को घर वापस भेज दिया। काबुल पर कब्जे के बाद एक वरिष्ठ तालिबानी नेता ने कहा था कि महिलाओं को खेलने की अनुमति नहीं दी जाएगी क्योंकि यह 'गैर-जरूरी' है और इससे उनके शरीर का 'प्रदर्शन' होता है। खेलना जारी रहे इसलिए छोड़ा देशअफगानिस्तान की महिला सीनियर नेशनल टीम की कैप्टन Farkhunda Muhtaj ने कहा कि हम निकासी अभियान में इसलिए शामिल हुए ताकि महिलाएं अपनी पसंद के खेल को खेलना जारी रख सकें। तालिबान के पिछले शासन के दौरान महिलाओं की शिक्षा पर रोक लगा दी गई थी। उनके लिए एक ड्रेसकोड को अनिवार्य कर दिया गया था और पुरुष साथी के बिना घर से बाहर निकलने पर पाबंदी लगा दी गई थी।


from World News in Hindi, दुनिया न्यूज़, International News Headlines in Hindi, दुनिया समाचार, दुनिया खबरें, विश्व समाचार | Navbharat Times https://ift.tt/39TtB8D
via IFTTT

https://ift.tt/36CAGd7

पेरिस फ्रांस ने इस्‍लामिक कट्टरपंथ के खिलाफ कड़ा ऐक्‍शन लेते हुए एक साल के अंदर 30 मस्जिदों को बंद कर दिया है। फ्रांस के गृहमंत्री गेराल्‍ड डारमानिन ने बताया कि 89 मस्जिदों का निरीक्षण किया गया था और इनमें से एक तिहाई को बंद कर दिया गया है। फ्रांस में विवादित मस्जिदों को बंद करने का अभियान नवंबर 2020 में शुरू हुआ। इससे पहले गेराल्‍ड ने कहा था कि 'अलगाववाद विरोधी कानून' को लागू करने से पहले अतिवादियों को शरण देने वाली 650 जगहों को बंद कर दिया गया था। यही नहीं फ्रांसीसी पुलिस ने देश में 24000 जगहों की जांच की थी। तुर्की की न्‍यूज एजेंसी अनाडोलू के मुताबिक गेराल्‍ड ने ताजा बयान में जोर देकर कहा कि कट्टरपंथ को बढ़ावा 89 मस्जिदों की नवंबर 2020 से जांच की गई थी और अब उनमें से एक तिहाई को बंद कर दिया गया है। उन्‍होंने कहा कि वह देश के विभिन्‍न इलाकों में स्थित 6 और मस्जिदों को बंद करने पर विचार कर रहे हैं। 'इयूप सुल्‍तान' मस्जिद के निर्माण का विरोध फ्रांसीसी गृहमंत्री ने बताया कि उन्‍होंने 'इयूप सुल्‍तान' मस्जिद के निर्माण का विरोध किया है। हालांकि स्‍थानीय प्राधिकरण से मस्जिद को बनाने की अनुमति मिली हुई है। उन्‍होंने कहा कि 'राजनीतिक इस्‍लाम' को बढ़ावा देने वाले 5 मुस्लिम संघों को बंद कर दिया गया है। उन्‍होंने कहा कि अलगाववाद रोधी कानून उन्‍हें इससे ज्‍यादा करने की भी अनुमति देता है। उन्‍होंने कहा कि कुल 10 संघों को बंद किया जाना है। उन्‍होंने कहा कि 205 संघों के बैंक खातों को बंद किया गया है और दो इमामों को देश से बाहर निकाला गया है। गेराल्‍ड ने कहा, 'हम उन लोगों में आतंक भरना चाहते हैं जो हमारे खिलाफ आतंक फैलाना चाहते हैं।' उन्‍होंने कहा कि विदेशी धार्मिक अधिकारी वर्ष 2023 से फ्रांस में नहीं आ सकेंगे। यही नहीं जो विदेशी धार्मिक अधिकारी पहले से यहां पर हैं, उनके निवास परमिट को बढ़ाया नहीं जाएगा। कट्टरपंथियों पर लगाम कसने के लिए कई बेहद कड़े प्रावधान फ्रांसीसी गृहमंत्री ने कहा कि नशीले पदार्थों की तस्‍करी और घरेलू हिंसा के आरोपी लोगों का भी निवास परमिट नहीं बढ़ाया जाएगा। यही नहीं फ्रांस ने अल्‍जीरिया, ट्यूनिशिया और मोरक्‍कों के लोगों के लिए वीजा की संख्‍या बहुत सीमित कर दी है ताकि जिन लोगों को फ्रांस ने वापस भेजा है, उनको वे आसानी से अपने यहां वापस ले लें। इससे पहले फ्रांस में शीर्ष संवैधानिक प्राधिकरण ने अलगाववाद विरोधी कानून को स्‍वीकृति दे दी थी। इस बिल को नैशनल असेंबली ने पारित किया था। इस बिल में कट्टरपंथियों पर लगाम कसने के लिए कई बेहद कड़े प्रावधान किए गए हैं।


from World News in Hindi, दुनिया न्यूज़, International News Headlines in Hindi, दुनिया समाचार, दुनिया खबरें, विश्व समाचार | Navbharat Times https://ift.tt/3kUUb7E
via IFTTT

https://ift.tt/36CAGd7

दुबईखाड़ी देशों के बीच पहले वैश्विक मेले 'एक्सपो 2020 दुबई' की गुरुवार को धमाकेदार शुरुआत हुई। बेशकीमती पटाखों की अद्भुत झड़ी, संगीत और स्थायी भविष्य के लिए वैश्विक सहयोग की शक्ति के संदेश के साथ गुरुवार को उद्घाटन समारोह का आयोजन हुआ। इस आयोजन को संयुक्त अरब अमीरात के अलग-अलग शहरों में लोगों ने प्रोजेक्टर पर देखा। कुछ ग्लोबल सिंगर्स ने दुबई की शाम में चार चांद लगा दिए।

Expo Dubai 2020 : संयुक्त अरब अमीरात में खाड़ी देशों के पहले और सबसे बड़े वैश्विक मेले की गुरुवार को धमाकेदार शुरुआत हुई। इस शानदार समारोह में कई ग्लोबल हस्तियों ने हिस्सा लिया।


Expo Dubai 2020: दुबई में खाड़ी के सबसे बड़े मेले की धमाकेदार शुरुआत, 2.5 करोड़ लोगों को आकर्षित करने का लक्ष्य

दुबई

खाड़ी देशों के बीच पहले वैश्विक मेले 'एक्सपो 2020 दुबई' की गुरुवार को धमाकेदार शुरुआत हुई। बेशकीमती पटाखों की अद्भुत झड़ी, संगीत और स्थायी भविष्य के लिए वैश्विक सहयोग की शक्ति के संदेश के साथ गुरुवार को उद्घाटन समारोह का आयोजन हुआ। इस आयोजन को संयुक्त अरब अमीरात के अलग-अलग शहरों में लोगों ने प्रोजेक्टर पर देखा। कुछ ग्लोबल सिंगर्स ने दुबई की शाम में चार चांद लगा दिए।



25 मिलियन यात्राओं को आकर्षित करने का टारगेट
25 मिलियन यात्राओं को आकर्षित करने का टारगेट

एक्सपो 2020 दुबई के उद्घाटन समारोह में इटली के गायक Andrea Bocelli, ब्रिटेन की गायिका Ellie Goulding, चीन के पिअनिस्ट Lang Lang और सऊदी गायक Mohammed Abdu ने हिस्सा लिया। दुबई क्षेत्र का पर्यटन, व्यापार और व्यापार केंद्र है जो कोरोना वायरस के बाद काफी प्रभावित हुआ है। वैश्विक मेले के माध्यम से दुबई 25 मिलियन बिजनेस और टूरिस्ट यात्राओं को आकर्षित कर अपनी अर्थव्यवस्था में सुधार करना चाहता है।



महामारी के चलते टला आयोजन
महामारी के चलते टला आयोजन

व्यापार और निवेश को बढ़ाने के लिए दुबई एक्सपो 2020 पर कई देशों और कंपनियों की नजर है। कोरोना महामारी के बाद यह पहला वैश्विक आयोजन है जिसने अपने दरवाजे पूरी दुनिया के लिए खोल दिए हैं। इसमें यूएई में चल रहे दुनिया के सबसे सफल वैक्सिनेशन प्रोग्राम का भी योगदान है। एक्सपो 2020 दुबई का आयोजन पिछले साल होना था लेकिन महामारी के चलते इसे टाल दिया गया।



200 देशों के कलाकार लेंगे हिस्सा
200 देशों के कलाकार लेंगे हिस्सा

एक्सपो में शुक्रवार से करीब 200 देशों के कलाकार अपनी कला का प्रदर्शन करेंगे। अनुमान लगाया जा रहा है कि इस आयोजन में करीब 6.8 बिलियन डॉलर का खर्च आएगा। इस एक्सपो संस्कृति, टेक्नोलॉजी और वास्तुकला की एक वैश्विक प्रदर्शनी है जिसका संदेश 'विचारों को जोड़ना और भविष्य का निर्माण' है। दुबई चाहता है कि यह आयोजन 'प्रतिभा की प्रदर्शनी' के रूप में पूरी दुनिया में जाना जाए और एक मंच के रूप में सामने आए जहां अर्थव्यवस्था और जलवायु परिवर्तन जैसी वैश्विक चुनौतियां सामूहिक रूप से संबोधित हो सकें।



सार्वजनिक सुरक्षा होगी प्राथमिकता
सार्वजनिक सुरक्षा होगी प्राथमिकता

एक्सपो 2020 दुबई के डायरेक्टर जनरल Reem Al Hashimy ने रॉयटर्स से कहा, 'हमें पूरा विश्वास है... हमारी जिम्मेदारी कोविड की स्थिति से निपटने के साथ-साथ विजिटर्स के लिए एक शानदार कार्यक्रम के आयोजन की भी है। हमें पूरा भरोसा है कि हम सार्वजनिक सुरक्षा को सबसे अधिक प्राथमिकता देंगे। यूएई दुनिया में सबसे ज्यादा वैक्सीन लगाने वाला देश बन गया है। जिसके तहत लोगों को कई प्रतिबंधों से राहत भी मिल गई है।



जारी की गई गाइडलाइंस
जारी की गई गाइडलाइंस

एक्सपो 2020 दुबई के लिए खासतौर पर कुछ गाइडलाइंस जारी की गई हैं। सभी विजिटर्स के लिए फेस मास्क पहनना अनिवार्य होगा। 18 साल से ज्यादा उम्र के लोगों का पूरी तरह से वैक्सीन लगवाना या कोविड-19 टेस्ट में नेगेटिव रिपोर्ट प्राप्त करना अनिवार्य होगा। इस आयोजन में हिस्सा लेने के लिए बड़ी संख्या में भारतीय यात्री दुबई पहुंच रहे हैं जिन्हें कई तरह की राहतें भी दी गई हैं। लेकिन भारत-यूएई हवाई मार्ग पर भीड़ बढ़ने से किराए में आश्चर्यजनक वृद्धि हुई है।





from World News in Hindi, दुनिया न्यूज़, International News Headlines in Hindi, दुनिया समाचार, दुनिया खबरें, विश्व समाचार | Navbharat Times https://ift.tt/3D1zOMu
via IFTTT

https://ift.tt/36CAGd7

कोलंबो भारत ने चीनी ड्रैगन को बड़ा झटका देते हुए श्रीलंका में 70 करोड़ डॉलर का एक रणनीतिक डीप सी कंटेनर टर्मिनल का समझौता किया। माना जा रहा है कि भारत ने श्रीलंका में चीन के बढ़ते प्रभाव को करारा जवाब देने के लिए यह समझौता किया है। द श्रीलंका पोर्ट्स अथॉरिटी और भारत के अडाणी समूह ने यह बड़ा समझौता किया है। यह नया पोर्ट कोलंबो में चीन के बनाए 50 करोड़ डॉलर के चीनी जेटी के पास है। द श्रीलंका पोर्ट्स ने एक बयान जारी करके कहा, 'यह समझौता करीब 70 करोड़ डॉलर का है जो श्रीलंका के बंदरगाह सेक्‍टर में अब तक का सबसे बड़ा विदेशी निवेश है।' इसमें कहा गया है कि अडाणी इस बंदरगाह को स्‍थानीय कंपनी जॉन कील्‍स के साथ मिलकर बनाएगी। इस टर्मिनल में जॉन कील्‍स का हिस्‍सा करीब 34 फीसदी होगा जबकि अडाणी के पास 51 फीसदी की हिस्‍सेदारी होगी। हर साल 32 लाख कंटेनर हैंडल करेगा इस तरह से पूरा पोर्ट अडाणी के नियंत्रण में रहेगा। इसका नाम कोलंबो वेस्‍ट इंटरनैशनल टर्मिनल रखा गया है। यह नया कंटेनर जेटी करीब 1.4 किलोमीटर लंबा है। यह करीब 20 मीटर गहरा है और यह हर साल 32 लाख कंटेनर हैंडल करेगा। इस प्रॉजेक्‍ट के पहले चरण में 600 मीटर टर्मिनल बनाया जाएगा और यह दो साल के अंदर पूरा हो जाएगा। करीब 35 साल बाद यह टर्मिनल फिर से श्रीलंका सरकार के अंडर में चला जाएगा। श्रीलंका के रणनीतिक रूप से बेहद अहम कोलंबो बंदरगाह में भारत को अनुमति देने की पिछले कई साल से चल रही थी लेकिन फरवरी में यह समझौता लटक गया। दरअसल, सत्‍तारूढ़ गठबंधन से जुड़े ट्रेड यूनियन ने भारत को पोर्ट के अंदर आंशिक रूप से बने टर्मिनल को देने का विरोध किया था। श्रीलंका ने पिछले दिनों देश की बिगड़ती अर्थव्यवस्था को बचाने के लिए चीन से फिर 2.2 बिलियन डॉलर (161912080000 रुपये) का नया कर्ज मांगा था। श्रीलंका पर चीन का पहले से ही अरबों डॉलर का कर्ज है। इसके एवज में उसे अपना हंबनटोटा बंदरगाह को 99 साल की लीज पर चीन को सौंपना पड़ा है। श्रीलंका ने हंबनटोटा बंदरगाह चीनी कंपनी को सौंपा श्रीलंका को चीन की कर्ज के जाल में उलझते देख भारत समेत कई पश्चिमी देश परेशान हैं। दरअसल इन देशों को डर है कि कहीं चीन कर्ज के एवज में पूरे श्रीलंका पर कब्जा न कर ले। ऐसी स्थिति में हिंद महासागर में चीन को बड़ी ताकत मिल जाएगी। 2017 में श्रीलंका ने 1.4 अरब डॉलर के लोन के बदले अपना हंबनटोटा बंदरगाह ही चीनी कंपनी को सौंप दिया था। जिसके बाद जब भारत ने आपत्ति जताई तो श्रीलंका ने इस पोर्ट का इस्तेमाल मिलिट्री सर्विस के लिए रोक दिया था।


from World News in Hindi, दुनिया न्यूज़, International News Headlines in Hindi, दुनिया समाचार, दुनिया खबरें, विश्व समाचार | Navbharat Times https://ift.tt/3uuRU6c
via IFTTT

https://ift.tt/36CAGd7

वॉशिंगटनशादी की तस्वीरें खींचने गए एक फोटोग्राफर ने अपने कैमरे में कैद सभी तस्वीरें दूल्हे के सामने ही डिलीट कर दीं। दरअसल फोटोग्राफर बहुत भूखा था और शादी में उसे खाना खाने से रोक दिया गया था। अब फोटोग्राफर ने पूरा मामला सोशल मीडिया पर शेयर कर लोगों से उनकी राय मांगी है। फोटोग्राफर ने लिखा, 'मैं पेशेवर फोटोग्राफर नहीं हूं। मैं कुत्तों को टहलाता हूं और उनकी तस्वीरें खींचता हूं ताकि उन्हें अपने इंस्टाग्राम और फेसबुक अकाउंट पर अपलोड कर सकूं।' दोस्त के जिद करने पर हुआ राजीसोशल मीडिया प्लेटफॉर्म Reddit पर फोटोग्राफर ने लिखा, 'यह मेरा शौक है'। एक दोस्त ने पैसे बचाने के लिए उससे अपनी शादी में फोटोग्राफी करने के लिए कहा, जिस पर उसने इनकार कर दिया और कहा वेडिंग फोटोग्राफी उसका काम नहीं है। दोस्त ने जिद करते हुए कहा कि अगर तस्वीरें 'परफेक्ट' नहीं भी हुईं तो भी उसे कोई परवाह नहीं। इस पर फोटोग्राफर 250 डॉलर के बदले उसकी शादी में तस्वीरें खींचने के लिए राजी हो गया। गर्मी, थकान और भूख के साथ की फोटोग्राफीशादी का फोटोशूट सुबह करीब 11 बजे शुरू हुआ और रात करीब 7:30 बजे तक चला। शाम करीब 5 बजे जब खाना परोसा गया तो फोटोग्राफर के लिए किसी भी टेबल पर जगह नहीं रखी गई। उसे खाना खाने से रोक दिया गया और लगातार तस्वीरें खींचने के लिए कहा गया। फोटोग्राफर ने लिखा, 'मैं बुरी तरह थक चुका था और इस काम को चुनकर अफसोस कर रहा था। शादी में बहुत गर्मी थी। वहां न ही एसी थी और न पानी की उचित व्यवस्था।' थक-हार कर फोटोग्राफर ने अपने दोस्त और दूल्हे से कहा कि उसे खाने-पीने के लिए 20 मिनट का ब्रेक चाहिए। इस पर दूल्हे ने उससे कहा कि या तो वह बिना रुके तस्वीरें खींचता रहे या उसे बिना भुगतान के ही वहां से जाना पड़ेगा। फोटोग्राफर ने कहा, 'भूख, थकान और गर्मी से मैं बहुत परेशान हो चुका था। जब दूल्हे ने मुझसे बिना भुगतान के जाने के लिए कहा तो मैंने उसके सामने सभी तस्वीरें डिलीट की और यह कहकर वहां से चला आया कि अब मैं उसका फोटोग्राफर नहीं हूं।' फोटोग्राफर का कहना है कि अगर मुझे उस वक्त 250 डॉलर मिलते तो मैं उससे सिर्फ एक गिलास पानी खरीदता।


from World News in Hindi, दुनिया न्यूज़, International News Headlines in Hindi, दुनिया समाचार, दुनिया खबरें, विश्व समाचार | Navbharat Times https://ift.tt/3kZtr6e
via IFTTT

https://ift.tt/36CAGd7

पेशावर काबुल एयरपोर्ट पर अमेरिकी सैनिकों की जान लेने वाले आतंकी संगठन इस्‍लामिक स्‍टेट खुरासान प्रांत ने पाकिस्‍तान के पेशावर शहर में गुरुवार को बहुचर्चित सिख हकीम सरदार सतनाम सिंह (खालसा) के हत्‍या की जिम्‍मेदारी ली है। आईएसकेपी के आतंकियों ने 4 गोलियां मारकर सिख हकीम सतनाम की उनके क्लिनिक के अंदर हत्‍या कर दी थी। गोली मारने के बाद हमलावर वहां से फरार हो गए थे। पाकिस्‍तानी मीडिया के मुताबिक आईएसकेपी ने सतनाम सिंह की हत्‍या की जिम्‍मेदारी ली है। सतनाम सिंह फकीराबाद इलाके में रहते थे। पुलिस ने बताया कि 45 वर्षीय हकीम सरदार सतनाम सिंह (खालसा) अपने क्लीनिक पर थे तभी हमलावर उनके केबिन में घुस गये और गोलियां चला दीं। पुलिस ने कहा कि सिंह को चार गोलियां लगीं और उनकी मौके पर मौत हो गयी। पेशावर में करीब 15,000 सिख रहते हैं पेशावर में सिख समुदाय के प्रतिष्ठित सदस्य सतनाम सिंह चरसद्दा रोड पर क्लीनिक चलाते थे। हालांकि एक्सप्रेस ट्रिब्यून अखबार ने खबर दी है कि सिंह को घायल अवस्था में खैबर पख्तूनखवा प्रांत की राजधानी के लेडी रीडिंग अस्पताल ले जाया गया जहां उनकी मौत हो गयी। पुलिस ने बताया कि सिंह एक दिन पहले ही हासन अब्दाल से पेशावर पहुंचे थे। पाकिस्‍तान पुलिस मौके पर पहुंची और इलाके की घेराबंदी कर ली। हत्या के कारणों का अभी पता नहीं चला है। किसी ने हमले की जिम्मेदारी अभी तक नहीं ली है। पेशावर में करीब 15,000 सिख रहते हैं जिनमें अधिकतर कारोबार करते हैं और कुछ फार्मेसी चलाते हैं। पुलिस आतंकवाद की संभावना समेत विभिन्न पहलुओं से मामले की जांच कर रही है। डर के माहौल में जी रहे हैं अल्पसंख्यक पाकिस्तान में हिंदुओं, ईसाइयों, सिख और पारसी समुदाय को भी हिंसा का सामना करना पड़ता रहा है। इस मुद्दे पर हाल ही में आयोजित संयुक्त राष्ट्र महासभा के 76वें सत्र के दौरान भारत की ओर से फर्स्ट सेक्रटरी स्नेहा दुबे ने भी जवाब दिया था। इमरान के भारत पर आरोपों के जवाब में स्नेहा ने कहा था कि आज पाकिस्तान के अल्पसंख्यक सिख, हिंदू और क्रिश्चियन लगातार डर के माहौल में जी रहे हैं और राज्य-प्रायोजित आतंकवाद के जरिए अपने अधिकारों को कुचला जा रहा है। असहमति की आवाज को रोज दबाया जा रहा है। लोगों को गायब किया जा रहा है, एक्स्ट्रा ज्यूडिशियल किलिंग सामान्य है।


from World News in Hindi, दुनिया न्यूज़, International News Headlines in Hindi, दुनिया समाचार, दुनिया खबरें, विश्व समाचार | Navbharat Times https://ift.tt/3AY4EoF
via IFTTT

https://ift.tt/36CAGd7

वॉशिंगटनअमेरिकी रक्षा मंत्रालय पेंटागन ने पुष्टि की है कि अल-कायदा के सीनियर कमांडर सलीम अबू-अहमद को सीरिया में एक ड्रोन हमले में मार दिया गया है। मंत्रालय ने कहा कि इस हमले में किसी भी नागरिक को नुकसान नहीं पहुंचा है। कुछ दिनों पहले अफगानिस्तान में एक एयरस्ट्राइक के बाद अमेरिका को बड़े पैमाने पर आलोचना का सामना करना पड़ा था। रिपोर्ट्स में दावा किया गया था कि इस हमले में 10 नागरिकों की मौत हो गई जिसमें सात बच्चे भी शामिल थे। हमलों और फंडिंग के लिए जिम्मेदारअबू-अहमद पर सीरिया के इदलिब प्रांत में 20 सितंबर को हमला किया गया था। लेकिन आतंकवादी के मारे जाने की पुष्टि गुरुवार को हुई। फिलहाल इसकी जानकारी नहीं मिली है कि अमेरिका ने इस हमले में किस तरह के हथियार का इस्तेमाल किया। CENTCOM के प्रवक्ता आर्मी मेजर John Rigsbee ने गुरुवार को मिलिट्री टाइम्स को बताया कि सलीम अबू-अहमद सीमा पार हमलों की साजिश और फंडिंग के लिए जिम्मेदार था। जारी रहेगा अमेरिका का ऑपरेशनउन्होंने कहा कि हमले में किसी भी नागरिक के हताहत होने की कोई जानकारी नहीं है। अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी नेटवर्क को कमजोर करने और आतंकी समूह के सरगनाओं को निशाना बनाने के लिए अमेरिका के ऑपरेशन जारी रहेंगे। अबू-अहमद के बारे में ज्यादा जानकारी उपलब्ध नहीं है। खबरों के मुताबिक उसका नाम अमेरिका और ब्रिटेन की प्रतिबंधित आतंकवादियों की सूची में शामिल नहीं था। पेंटागन ने कहा कि एक एयर फोर्स जनरल ऑफिसर 29 अगस्त को अफगानिस्तान में हुए हवाई हमलों की जांच करेंगे, जिसमें सात बच्चों समेत एक सहयोगी की मौत हो गई थी। अमेरिकी ड्रोन से भड़का तालिबानबीते दिनों अफगानिस्तान के ऊपर अमेरिकी ड्रोन के उड़ने से तालिबान भड़क गया। तालिबान ने अमेरिका से अफगान हवाई क्षेत्र में ड्रोन संचालन बंद करने के लिए कहा है। तालिबान ने लिखित बयान जारी करते हुए अमेरिका को धमकी भी दी। बयान में कहा गया है कि अमेरिका नियमों का पालन करे नहीं तो उसे बुरी नतीजे भुगतने पड़ेंगे। मंगलवार को स्पुतनिक ने अपनी रिपोर्ट में इसकी जानकारी दी। तालिबान प्रवक्ता ने इस्लामिक अमीरात की ओर जारी बयान को ट्विटर पर भी शेयर किया गया।


from World News in Hindi, दुनिया न्यूज़, International News Headlines in Hindi, दुनिया समाचार, दुनिया खबरें, विश्व समाचार | Navbharat Times https://ift.tt/3ux07H9
via IFTTT

https://ift.tt/36CAGd7

लंदन मशीन लर्निंग भविष्य में पशुओं से मनुष्यों में होने वाले वायरस संक्रमण का अनुमान लगा सकता है। मशीन लर्निंग एक तरह की कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) है। यह जानकारी एक अध्ययन में सामने आई है । ब्रिटेन में यूनिवर्सिटी ऑफ ग्लासगो के शोधकर्ताओं ने कहा कि मनुष्यों में होने वाली ज्यादा संक्रामक बीमारी पशुजन्य हैं जो वायरस के पशुओं से मनुष्यों में आने के कारण होता है। अत्यधिक खतरे वाले वायरसों की पहचान से शोध एवं निगरानी प्राथमिकताओं में सुधार आएगा। बहरहाल, फैलने से पहले ही पशुजन्य बीमारी की पहचान एक बड़ी चुनौती है क्योंकि करीब 16 लाख 70 हजार पशु वायरसों में से कुछ ही मनुष्यों को संक्रमित कर पाने में सक्षम होते हैं। शोधकर्ताओं ने वायरल जीनोम सिक्वेंस का इस्तेमाल कर मशीन लर्निंग प्रारूप विकसित करने के लिए 36 परिवारों से 861 वायरस प्रजातियों का डाटा तैयार किया। इसके बाद उन्होंने मशीन लर्निंग प्रारूप बनाए जिससे वायरस जीनोम के आधार पर मानव संक्रमण की संभावना का पता लगाने का प्रयास किया गया। मशीन लर्निंग कम्प्यूटर एलगोरिद्म का अध्ययन है जिसे अनुभव के माध्यम से स्वत: उन्नत किया जा सकता है। अध्ययन ‘पीएलओएस बायोलॉजी’ पत्रिका में प्रकाशित हुआ है जिसमें पाया गया कि वायरल जीनोम में सामान्यीकरण के गुण हो सकते हैं और इसमें मानवों को संक्रमित करने वाले पूर्व अनुकूलन वायरसों का पता लगाया जा सकता है।


from World News in Hindi, दुनिया न्यूज़, International News Headlines in Hindi, दुनिया समाचार, दुनिया खबरें, विश्व समाचार | Navbharat Times https://ift.tt/3zWrgo6
via IFTTT

https://ift.tt/36CAGd7

बीजिंग चीन ने अफगानिस्तान में की अंतरिम सरकार को तीन करोड़ दस लाख डॉलर की मानवीय सहायता की पहली खेप भेजी है जिसमें कंबलों और जैकेट जैसी आपातकालीन आपूर्ति शामिल है।सरकार संचालित समाचार एजेंसी शिन्हुआ की खबर के अनुसार चीन द्वारा भेजी गई मदद बुधवार रात काबुल अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर पहुंची। अफगानिस्तान में चीन के राजदूत वांग यू और अफगानिस्तान की अंतरिम सरकार के शरणार्थी मामलों के कार्यवाहक मंत्री खलील उर रहमान हक्कानी ने हवाई अड्डे पर मदद मिलने संबंधी समारोह में शिरकत की। वांग ने कहा कि अनेक कठिनाइयों के बावजूद चीन कम समय में अफगानिस्तान के लिए आपातकालीन मानवीय सहायता जुटाने में सफल रहा है जिसमें जैकेट, कंबल और सर्दियों में काम आने वाली अन्य चीजें शामिल हैं जिनकी अफगान लोगों को तत्काल जरूरत है। हक्कानी ने मदद उपलब्ध कराने के लिए चीन का धन्यवाद व्यक्त किया और उसे अच्छा मित्र एवं अच्छा पड़ोसी बताया।


from World News in Hindi, दुनिया न्यूज़, International News Headlines in Hindi, दुनिया समाचार, दुनिया खबरें, विश्व समाचार | Navbharat Times https://ift.tt/2ZFPIO1
via IFTTT

https://ift.tt/36CAGd7

वॉशिंगटन हमारे सौर मंडल के बाहरी हिस्से से ऐसा 'महाधूमकेतु' आ रहा है जिसे उसके आकार के लिए बौना ग्रह माना जा रहा था। यह सूरज के ज्यादा करीब नहीं जाएगा और शनि के पास से गुजर जाएगा। वैज्ञानिक इसे स्टडी करने के लिए बेहद उत्साहित हैं क्योंकि इसका आकार विशाल है और दूरी भी कम है जो दुर्लभ ही होता है। यह धूमकेतु Oort Cloud नाम के हिस्से से आ रहा है जिसे स्टडी करना अपने आप में बेहद अहम है और सौर मंडल के कई रहस्यों को उजागर भी कर सकता है। क्यों अहम है यह धूमकेतु? यह धूमकेतु 30 लाख साल से सौर मंडल में नहीं आया है। सौर मंडल के बाहरी हिस्से के बारे में अभी हमें ज्यादा जानकारी नहीं है। इसलिए वहां से आने वाले ऑब्जेक्ट्स में वैज्ञानिकों की दिलचस्पी ज्यादा रहती है। यूनिवर्सिटी ऑफ पेन्सिलवेनिया के ऐस्ट्रोनॉमर गैरी बर्नस्टीन और उनकी टीम ने इस धूमकेतु की खोज की थी। उन्होंने इसके बारे में और ज्यादा जानकारियां नए पेपर में बताई हैं। पेपर में बताया गया है कि C/2014 UN271 (Bernardinelli-Bernstein) पहले सूरज के 18 ऐस्ट्रोनॉमिकल यूनिट से ज्यादा करीब नहीं आया है। कितनी दूरी पर है? टीम ने अपने अनैलेसिस में पाया है कि इसने 40,400 AU की दूरी पर सूरज की ओर सफर शुरू किया था। यह Oort Cloud में आता है। यह हिस्सा दो हजार से एक लाख AU के बीच जाता है और यहां बर्फीले ऑब्जेक्ट्स रहते हैं। जब इसकी खोज की गई थी तो यह 29AU की दूरी पर था। माना जा रहा है कि यह 10 साल बाद 2031 में सूरज के सबसे करीब 10.97AU पर होगा। क्यों रखी जा रही नजर? इसका आकार 155 किमी डायमीटर का है लेकिन दूरी की वजह से टेलि्कोप्स की मदद से ही दिखेगा। इसे स्टडी करना इसलिए खास है क्योंकि माना जाता है कि ये बर्फीली चट्टानें सौर मंडल के 4.5 अरब साल पहले बनने के बाद से अब तक ज्यादा बदली नहीं है। इसकी केमिकल बनावट के आधार पर शुरुआती सौर मंडल के बारे में भी जानने को मिलेगा। इसे अपनी कक्षा में एक चक्कर पूरा करने में कुछ दिन नहीं, बल्कि 6.12 लाख साल लगते हैं। पिछले सात साल में यह हर साल एक AU की दूरी तय कर रहा है। क्या होते हैं धूमकेतु? धूमकेतु भी (Asteroids) की तरह सूरज का चक्कर काटते हैं लेकिन वे चट्टानी नहीं होते बल्कि धूल और बर्फ से बने होते हैं। जब ये धूमकेतु सूरज की तरफ बढ़ते हैं तो इनकी बर्फ और धूल वेपर यानी भाप में बदलते हैं जो हमें पूंछ की तरह दिखता है। खास बात ये है कि धरती से दिखाई देने वाला कॉमट दरअसल हमसे बेहद दूर होता है। वहीं, Oort Cloud ऐसा क्षेत्र है जहां सौर मंडल का चक्कर काटने वाली गैस और धूल होती है।


from World News in Hindi, दुनिया न्यूज़, International News Headlines in Hindi, दुनिया समाचार, दुनिया खबरें, विश्व समाचार | Navbharat Times https://ift.tt/3FgVUN1
via IFTTT

https://ift.tt/36CAGd7

मायामी अमेरिका में हैरत अंगेज़ घटना में एक उड़ान में सवार व्यक्ति विमान के मायामी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर उतरने के बाद उसका आपातकालीन दरवाजा खोल कर उसके पंखों पर चढ़ गया। अधिकारियों ने यह जानकारी दी। अधिकारियों ने बताया उड़ान 920 कोलंबिया के काली से बुधवार रात मायामी पहुंची थी जिसके बाद यह घटना हुई। रिपोर्ट्स में बताया गया कि प्लेन बस लैंड ही हुआ था और गेट पर पोजिशन ले रहा था। अमेरिकन एयरलाइंस ने एक बयान में कहा, 'ग्राहक को तुरंत कानून प्रवर्तकों ने हिरासत में ले लिया। हम अपनी टीम के सदस्यों और कानून प्रवर्तकों को उनकी पेशेवर और त्वरित कार्रवाई के लिए धन्यवाद देते हैं।' यह शख्स अमेरिका का नागरिक है। तबीयत खराब थी अमेरिकी सीमा शुल्क और सीमा सुरक्षा विभाग के कर्मियों ने व्यक्ति को हिरासत में ले लिया। डब्ल्यूपीएलजी ने बताया है कि घटना की वजह से कोई विलंब नहीं हुआ और अमेरिकन एयरलाइंस 920 विमान में सवार सारे यात्री बिना किसी परेशानी के उतर गए। रिपोर्ट्स के मुताबिक शख्स ने पुलिस को बताया कि वह अच्छा महसूस नहीं कर रहा था। उसे इमर्जेंसी रूम में ले जाया गया तो उसका ब्लड प्रेशर हाई था। उसे इलाज के लिए अस्पताल ले जाया गया और ठीक होने के बाद गिरफ्तार किया जाएगा।


from World News in Hindi, दुनिया न्यूज़, International News Headlines in Hindi, दुनिया समाचार, दुनिया खबरें, विश्व समाचार | Navbharat Times https://ift.tt/3uyvd19
via IFTTT

https://ift.tt/36CAGd7

क्वीटो इक्वाडोर के राष्ट्रपति ने एक जेल में दो गिरोहों के बीच झड़प में कम से कम 116 लोगों के मारे जाने और 80 अन्य के घायल होने के बाद जेलों में आपात स्थिति की घोषणा कर दी है। 400 से ज्यादा पुलिसकर्मी इसके बाद जेल में दाखिल हुए और हालात को काबू में करने की कोशिश की। अधिकारियों ने बताया कि देश में जेल में खूनखराबे की अब तक की यह सबसे वीभत्स घटना है। अधिकारियों ने बताया कि हिंसा में मारे गए कम से कम पांच लोगों के सिर धड़ से अलग मिले। राष्ट्रपति गुलेर्मो लासो ने बुधवार को आपात स्थिति की घोषणा की, जिससे सरकार को जेलों के भीतर पुलिस तथा सैनिकों को तैनात करने का अधिकार मिल जाएगा। ग्वायाक्विल में लिटोरल जेल में खूनखराबे के एक दिन बाद यह आदेश आया है। अधिकारियों ने अंतरराष्ट्रीय मादक पदार्थ तस्करी से जुड़े गिरोहों को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया है। जेल पर काबू लासो ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि जेल में जो भी हुआ वह 'बुरा और दुखद' है। उन्होंने यह भी कहा कि वह इस बारे में स्पष्ट रूप से नहीं कह सकते हैं कि प्राधिकारियों ने जेल पर नियंत्रण फिर से हासिल कर लिया है। उन्होंने कहा, 'यह खेदजनक है कि जेल आपराधिक गिरोहों के वर्चस्व की लड़ाई का मैदान बन गई हैं।' उन्होंने कह कि वह लिटोरल जेल में सामान्य स्थिति बहाल करने और हिंसा को अन्य जेलों तक फैलने से रोकने के लिए 'दृढ़ता' से काम करेंगे। अक्सर होता है गैंगवॉर इससे पहले जुलाई में जेल में हुई हिंसा के दौरान भी 100 से ज्यादा कैदियों की मौत हो गई थी। इसके बाद राष्ट्रपति गिलेर्मो लेस्सो ने इक्वाडोर की जेल प्रणाली में आपाताकाल की घोषणा की थी। बता दें कि इक्‍वाडोर में गैंगवार अक्‍सर होता रहता है। पिछले साल दिस‍ंबर महीने में जेलों के अंदर हुई हिंसा में 11 लोगों की मौत हो गई थी और 7 अन्‍य लोग बुरी तरह से घायल हो गए थे। इक्‍वाडोर ही नहीं अन्‍य लैटिन अमेरिकी देशों में भी अक्‍सर जेलों के अंदर हिंसा होती रहती है। इस तरह की हिंसा के वीडियो अक्सर सोशल मीडिया पर खूब शेयर किए जाते हैं।


from World News in Hindi, दुनिया न्यूज़, International News Headlines in Hindi, दुनिया समाचार, दुनिया खबरें, विश्व समाचार | Navbharat Times https://ift.tt/3kTFkuc
via IFTTT

https://ift.tt/36CAGd7

इस्लामाबाद करीब 20 साल पहले अमेरिका 9/11 हमले के दोषियों को सबक सिखाने का मकसद लेकर अफगानिस्तान आया था। करीब 11 साल पहले उसने अल-कायदा सरगना ओसामा बिन-लादेन को ढेर करने का दावा किया और अब वह अफगानिस्तान को तालिबान के हाथों में 'सौंपकर' वापस जा चुका है। अब पाकिस्तानी पत्रकारों का कहना है कि ऑपरेशन नेप्च्यून के तहत मिली जिस जीत का दावा अमेरिका कर रहा है, वह फर्जी है। प्रत्यक्षदर्शियों और पाकिस्तानी पत्रकारों के मुताबिक इस बात का कोई सबूत है ही नहीं कि हमले वाले दिन आसोमा वहां मौजूद था। 'उस दिन वहां लादेन था ही नहीं' रूसी सरकारी न्यूज पोर्टल स्पूतनिक के मुताबिक मई 2011 में ऐबटाबाद से रिपोर्टिंग कर रहे एक पाकिस्तानी पत्रकार सुहैल अब्बासी ने बताया है कि उनके मुताबिक उस दिन जो हुआ वह सिर्फ अंतरराष्ट्रीय समुदाय के सामने अमेरिका की साख बचाने की कोशिश में किया गया नाटक था। वहीं, एक प्रत्यक्षदर्शी राजा हरून का कहना है, 'हम सबको विश्वास है कि उस दिन बिन-लादेन उस इमरात में नहीं था लेकिन उसका परिवार इलाके में कई साल से रह रहा था।' 'समुद्र में फेंकने का दावा बेवकूफाना' हारून ने पूरा ऑपरेशन खुद देखा। वह लादेन की तलाश में निशाना बनाई गई इमारत के पास ही रहते थे। उनका कहना है कि पहले इस बारे में कोई रिपोर्ट या सबूत नहीं दिया गया कि अमेरिकी छापेमारी में किसी की मौत हुई है। बाद में बाकी दुनिया के साथ वे अमेरिकी और पश्चिमी मीडिया रिपर्ट्स के जरिए यह जानकर हैरान थे कि ओसामा को उनके शहर में मार दिया गया। फिर स्थानीय और विदेशी पत्रकार वहां आने लगे। इसके बाद तत्कालीन राष्ट्रपति बराक ओबामा ने बयान और बधाई दी। हारून का कहना है, 'यह बात कि उसका शव समुद्र में फेंक दिया गया, यह बेवकूफाना है।' लादेन के पीछे लगा अमेरिका 1990 के दशक से लादेन अफगानिस्तान में तालिबान की मदद से छिपा हुआ था। 11 सितंबर, 2001 को न्यूयॉर्क के वर्ल्ड ट्रे़ड सेंटर पर हमले के बाद अमेरिका ने लादेन को सौंपने की मांग की लेकिन तालिबान ने इनकार कर दिया। इसके बाद अमेरिका अफगानिस्तान पहुंच गया जिसके बाद 20 साल तक उसकी सेना वहां डटी रही। तालिबान के सरकार से हटने के बाद लादेन अफगानिस्तान से भाग गया और किसी को नहीं पता था कि वह कहां है। वह सिर्फ वीडियो में नजर आता था। 11 साल पहले मौत के घाट उतारा साल 2010 में अमेरिकी जांच एजेंसी (CIA) ने पता लगाया कि वह पाकिस्तान के ऐबटाबाद में है। 1 मई, 2011 को उसे मारने का Operation Neptune लॉन्च किया गया। उसके शव को जलालाबाद के बेस लाया गया। यहां उसकी तस्वरीर ली गई और DNA जांच में पुष्टि की गई कि वह लादेन ही है। फिर USS Carl Vinson पर उसे अरब सागर में लाकर छोड़ दिया गया। 6 मई को अल-कायदा ने भी पुष्टि की लादेन की मौत हो गई है।


from World News in Hindi, दुनिया न्यूज़, International News Headlines in Hindi, दुनिया समाचार, दुनिया खबरें, विश्व समाचार | Navbharat Times https://ift.tt/3kTd8rh
via IFTTT

https://ift.tt/36CAGd7

फ्लोरिडा आमतौर पर वैज्ञानिक जीवन की खोज ऐसे ग्रहों पर करते हैं जो किसी सितारे का चक्कर काट रहे होते हैं। एक नई स्टडी में दावा किया गया है शायद इसी वजह से आज तक कहीं जीवन की खोज की नहीं जा सकी है। इस स्टडी के मुताबिक ऐसे ग्रह जो किसी सितारे का चक्कर नहीं काट रहे हैं, उन पर महासागर छिपे हो सकते हैं। धरती पर जीवन की शुरुआत भी महासागरों से हुई थी तो हो सकता है कि इन ग्रहों पर भी ऐसा मुमकिन हो। कैसे है संभावना? फ्लोरिडा इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नॉलजी के ऐस्ट्रोबायलजिस्ट मानस्वी लिंगम ने अपनी इस रिसर्च में संभावना जताई है कि इन ग्रहों पर अंतरिक्ष की ठंडक और ग्रह के अंदरूनी हिस्से के बीच ऐसे हालात हो सकते हैं जहां जीवन की संभावना हो। उनके मुताबिक ठंडक की वजह से महासागर का पानी जमा रहेगा लेकिन बर्फ की परत ग्रह के बायोस्फीयर को ठंड से बचा लेगी। ग्रह का अंदरूनी हिस्सा जरूरी गर्मी देता रहेगा और तब धरती जैसे महासागरों के बनने की संभावना होगी। स्टडी का ज्यादा मौका मानस्वी का मानना है कि हर सौर मंडल में 30-40 ऐसे ग्रह होंगे जो अंतरिक्ष में घूमते रहते हैं। अमेरिकी स्पेस एजेंसी NASA के मुताबिक आज तक वैज्ञानिकों को 3000 से ज्यादा स्टार सिस्टम मिले हैं जहां सितारे उनका चक्कर काटते हैं। हमारी आकाशगंगा में भी धरती के आकार के ऐसे एक ग्रह की खोज की गई है। साल 2019 में एक स्टडी में बताया गया था कि अकेले Milky Way में ऐसे करीब 50 अरब ग्रह हो सकते हैं। इससे धरती जैसे महासागरों के बारे में पढ़ने का वैज्ञानिकों के पास काफी मौका है। यहां जाना आसान रिसर्चर्स धरती पर जटिल हालात में पनपने वाले जीवन को स्टडी करेंगे और ऐसे सूक्ष्मजीवी (microbes) खोजेंगे जिन्हें सूरज की रोशनी की जरूरत नहीं है। लिंगम का कहना है कि हो सकता है ऐसे ग्रहों पर कुछ दशकों में कभी जाया भी जा सके। वहां से डेटा लेकर धरती पर भेजा गया तो कुछ महीनों पर वहां मौजूद जीवन की संभावना के बारे में पता चल सकेगा। किसी सितारे का चक्कर काट रहे ग्रह की जगह तक ऐसे ग्रहों तक पहुंचना शायद आसान हो सकता है।


from World News in Hindi, दुनिया न्यूज़, International News Headlines in Hindi, दुनिया समाचार, दुनिया खबरें, विश्व समाचार | Navbharat Times https://ift.tt/3okHUeU
via IFTTT

https://ift.tt/36CAGd7

पेशावर भारत पर अंतरराष्ट्रीय मंच से कीचड़ उछालने की कोशिश में लगे पाकिस्तान में अल्पसंख्यक समुदायों के खिलाफ जारी हिंसा का एक और दर्दनाक उदाहरण गुरुवार को पेशावर में देखा गया। यहां सिख समुदाय के एक सदस्य की सिर पर गोली मारकर हत्या कर दी गई। रिपोर्ट्स के मुताबिक पेशावर में यूनानी हकीम सरदार सतनाम सिंह (खालसा) को अज्ञात हमलावरों ने गोली मार दी। पुलिस के मुताबिक उन्हें चार गोलियां मारी गईं जिससे मौके पर ही उनकी मौत हो गई। हमलावर घटना को अंजाम देने के बाद मौके से फरार होने में सफल रहे।स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स में बताया गया है कि सिंह हसनदल के रहने वाले थे और शहर में धर्मांदर दवाखाना चलाते थे। पुलिस की एक टीम मौके पर पहुंची और तलाश करने की कोशिश भी की लेकिन कुछ हाथ नहीं लगा। पुलिस कर रही है जांच पुलिस मामले की जांच कर रही है। सिंह पर आतंकी हमले की संभावना की जांच भी की जा रही है। पाकिस्तान में हिंदुओं, ईसाइयों, सिख और पारसी समुदाय को भी हिंसा का सामना करना पड़ता रहा है। इस मुद्दे पर हाल ही में आयोजित संयुक्त राष्ट्र महासभा के 76वें सत्र के दौरान भारत की ओर से फर्स्ट सेक्रटरी स्नेहा दुबे ने भी जवाब दिया था। डर के माहौल में जी रहे हैं अल्पसंख्यक इमरान के भारत पर आरोपों के जवाब में स्नेहा ने कहा था कि आज पाकिस्तान के अल्पसंख्यक सिख, हिंदू और क्रिश्चियन लगातार डर के माहौल में जी रहे हैं और राज्य-प्रायोजित आतंकवाद के जरिए अपने अधिकारों को कुचला जा रहा है। असहमति की आवाज को रोज दबाया जा रहा है। लोगों को गायब किया जा रहा है, एक्स्ट्रा ज्यूडिशियल किलिंग सामान्य है।


from World News in Hindi, दुनिया न्यूज़, International News Headlines in Hindi, दुनिया समाचार, दुनिया खबरें, विश्व समाचार | Navbharat Times https://ift.tt/3ihU7gM
via IFTTT

https://ift.tt/36CAGd7

काबुल दशकों से अफगानिस्तान पर सारी दुनिया की निगाहें न सिर्फ इसलिए टिकी रहीं क्योंकि यह आतंकियों का गढ़ बनता जा रहा था, बल्कि इसलिए भी क्योंकि दुनिया में सबसे ज्यादा भी यहीं होती है। यहां से अलग-अलग देशों को नशीले पदार्थों की सप्लाई की जाती है। मौजूदा तालिबानी शासन ने इस व्यापार पर प्रतिबंध लगाने का वादा किया था लेकिन हर बार की तरह इस मुद्दे पर भी उसका दावा झूठा साबित हो रहा है। दुनियाभर में चिंता अफगानिस्तान के बाजारों में धड़ल्ले से अफीम की खरीद-फरोख्त जारी है। दक्षिणी अफगानिस्तान में पैदा होने वाली अफीम जल्द ही पड़ोसी देशों और फिर पूरी दुनिया में तस्करी की जाएगी। जाहिर है, इससे पैदा होने वाली चुनौती का सामना भारत को भी करना पड़ेगा जहां कुछ वक्त पहले 21 हजार करोड़ रुपये का कंसाइनमेंट पकड़ा गया था। तालिबान ने एक महीने पहले दावा किया था कि 1900 के दशक में आई उसकी सरकार की तरह इस बार पर इस पर प्रतिबंध लगाएगा। टैक्स से खजाना भरने की तैयारी? वहीं, इससे उलट द टेलिग्राफ को हेलमंद में अफीम की खेती करने वाले किसानों ने बताया है कि वे फसल की तैयारी कर रहे हैं। इससे डर पैदा होने लगा है कि अफीम पर प्रतिबंध लगाना तो दूर, तालिबान इससे मिलने वाले टैक्स की मदद से अपनी तिजोरी भरने की फिराक में है। जब तालिबान की ओर से ऐलान किया गया कि इसे बंद कर दिया जाएगा तो इसकी कीमत भी बझड गई लेकिन जैसे-जैसे किसानों को पता चला कि ऐसा कुछ नहीं होगा, कीमतें भी गिरने लगीं क्यों इतनी अहम है अफीम की खेती? अफगानिस्तान दुनिया में अफीम का सबसे बड़ा सप्लायर है और संयुक्त राष्ट्र कि रिपोर्ट के मुताबिक देश की जीडीपी का 11% हिस्सा इसी व्यापार से आता है। यहां अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने कई बार नकेल लगाने की कोशिश की लेकिन उत्पादन बढ़ता ही रहा है। यह भी माना जा रहा है कि तालिबान ने अगर प्रतिबंध लगाने की कोशिश की तो उसे किसानों से ही विरोध का सामना करना पड़ेगा क्योंकि वे भी अब इस पर निर्भर हो चुके हैं। लोगों की मांग है कि पहले अर्थव्यवस्था सुधरे और नौकरियां पैदा हों, तब उन्हें अफीम की खेती करने की जरूरत नहीं पड़ेगी।


from World News in Hindi, दुनिया न्यूज़, International News Headlines in Hindi, दुनिया समाचार, दुनिया खबरें, विश्व समाचार | Navbharat Times https://ift.tt/3ohR0sZ
via IFTTT

https://ift.tt/36CAGd7

अबू धाबीकोरोना के मामले कम होने के बाद भारत और यूएई के बीच हवाई सेवा एक बार फिर शुरू हो चुकी है। इसी के साथ दोनों देशों के बीच हवाई मार्ग एक बार फिर सबसे व्यस्त एयर रूट्स में से एक बन गया है। उड़ान की भारी मांग का असर फ्लाइट टिकट की कीमतों पर पड़ रहा है। अगले हफ्ते दुबई में 'एक्सपो 2020 दुबई' का उद्घाटन होगा जिसकी वजह से बड़ी संख्या में भारतीय विजिटर्स यूएई पहुंच रहे हैं। फ्लाइट बैन से पैदा हुआ बैकलॉगट्रैवल एजेंसी Al Badie के प्रवक्ता ने कहा कि कमर्शियल उड़ानों पर पांच महीने के बैन ने 'बैकलॉग' को जन्म दिया। भारत में फंसे हुए कई यूएई निवासी जल्द से जल्द वापस आना चाहते हैं। वहीं कई भारतीय नागरिक यूएई से भारत अपने घर या छुट्टियां मनाने के लिए उड़ान भर रहे हैं। साफ है कि फ्लाइट बैन हटने से दोनों तरफ के यात्रियों में हड़बड़ी है। सभी यह सोच रहे हैं कि वे जल्द से जल्द अपने सफर को पूरा कर लें इससे पहले कि उड़ानों पर दोबाना बैन लगने जैसी स्थिति पैदा हो जाए। जुलाई से करीब दोगुने हुए दामनई दिल्ली से दुबई की उड़ान का किराया Dh2,000 से Dh3,000 है। कुछ हफ्ते पहले यह एक सीट के लिए Dh1500 था। मुंबई से दुबई के लिए उड़ान भरना थोड़ा सस्ता है। एक टिकट की कीमत यहां Dh1700 है। वहीं कोच्चि-दुबई रूट पर एक टिकट के लिए Dh1500 खर्च करने पड़ेंगे। जुलाई में ये कीमतें Dh1,000 से कम थीं। करीब 18 महीनों के बाद यूएई को अब मास्क से राहत मिली है। हालांकि सिर्फ कुछ जगहों पर ही मास्क पहनना अनिवार्य नहीं होगा। लेकिन यह संकेत है कि देश अब पुराने दिनों की ओर वापसी कर रहा है। कोरोना से लड़ाई जीत रहा यूएईसंयुक्त अरब अमीरात कोरोना वायरस को सफलतापूर्वक मात दे रहा है। इस लड़ाई में सबसे बड़ी बाधाएं बन रही हैं अफवाहें और फेक न्यूज। एक शीर्ष अधिकारी का कहना है कि देश में कोविड-19 स्थिति को लेकर गलत सूचनाएं और अफवाहें फैलने से अलग-अलग क्षेत्रों को महामारी के असर से उबरने में बाधा आ सकती है। नेशनल इमरजेंसी क्राइसिस एंड डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी मंगलवार को लोगों से सोशल मीडिया पर फैलने वाली खबरों की सटीकता की पुष्टि करने की अपील की।


from World News in Hindi, दुनिया न्यूज़, International News Headlines in Hindi, दुनिया समाचार, दुनिया खबरें, विश्व समाचार | Navbharat Times https://ift.tt/3A08FHz
via IFTTT

https://ift.tt/36CAGd7

संयुक्त राष्ट्र/ जिनेवा भारत बायोटेक की कोविड-19 वैक्‍सीन कोवैक्‍सीन (Covaxin) के लिए विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन (WHO) की मंजूरी का इंतजार खत्‍म होने का नाम नहीं ले रहा है। इसे लेकर अब एक और नई डेट आ गई है। डब्‍लूएचओ ने कहा है कि अक्टूबर में की को हरी झंडी मिल सकती है। इसके पहले जुलाई में कहा गया था कि अगस्‍त के शुरुआत में ऐसा हो सकता है। फिर अगस्‍त के अंत तक इसे मंजूरी मिलने की बात कही जाने लगी। डब्लूएचओ ने यह भी कहा है कि कोवैक्सीन के आकलन की प्रक्रिया जारी है। अक्टूबर में मंजूरी पर फैसला डब्ल्यूएचओ की वेबसाइट पर 'डब्ल्यूएचओ ईयूएल/पीक्यू आकलन प्रक्रिया के तहत कोविड-19 रोधी टीकों के दर्जे’ संबंधी 29 सितंबर के नए दस्तावेज में कहा गया है कि भारत बायोटेक की कोवैक्सीन पर फैसला अक्टूबर 2021 में किया जाएगा। डब्ल्यूएचओ ने कहा कि उसने टीके संबंधी आंकड़ों की समीक्षा छह जुलाई को आरंभ कर दी थी। वैक्सीन के प्रभाव को बताएगा डब्लूएचओ डब्लूएचओ के अनुसार, पूर्व अर्हता के लिए डब्ल्यूएचओ से किए जाने वाले अनुरोध या आपात स्थिति में इस्तेमाल के तहत टीकों को सूचीबद्ध करने की प्रक्रिया गोपनीय होती है। यदि आकलन के लिए जमा कराया गया उत्पाद सूचीबद्ध किए जाने के वास्ते आवश्यक मापदं डों को पूरा करता है, तो डब्ल्यूएचओ व्यापक रूप से परिणाम प्रकाशित करेगा। एजेंसी के अनुसार, ईयूएल प्रक्रिया की अवधि टीका निर्माता द्वारा प्रस्तुत किए गए आंकड़ों की गुणवत्ता और डब्ल्यूएचओ के मानदंडों को पूरा करने वाले आंकड़ों पर निर्भर करती है। भारत बॉयोटेक ने डब्लूएचओ को सौंपे हैं आंकड़े भारत बायोटेक की कोवैक्सीन और एस्ट्राजेनेका एवं ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी का कोविशील्ड टीका भारत में व्यापक रूप से इस्तेमाल किए जाने वाले दो टीके हैं। भारत बायोटेक ने इस महीने की शुरुआत में कहा था कि उसने आपातकालीन उपयोग सूची (ईयूएल) के लिए वैक्सीन से संबंधित सभी आंकड़े डब्ल्यूएचओ को सौंप दिए हैं और अब उसे वैश्विक स्वास्थ्य संगठन के जवाब का इंतजार है। कंपनी ने ट्वीट भी किया भारत बायोटेक ने ट्वीट किया था, ‘‘कोवैक्सीन का नैदानिक परीक्षण डेटा जून 2021 में पूरी तरह से संकलित और उपलब्ध था। विश्व स्वास्थ्य संगठन को आपातकालीन उपयोग सूची (ईयूएल) आवेदन के लिए सभी डेटा जुलाई की शुरुआत में सौंप दिए गए। हमने डब्ल्यूएचओ द्वारा मांगे गए स्पष्टीकरण का जवाब दिया है और आगे की फीडबैक की प्रतीक्षा कर रहे हैं।’’ भारत बायोटेक ने कहा कि कंपनी जल्द से जल्द डब्ल्यूएचओ ईयूएल पाने के लिए पूरी कोशिश कर रही है।


from World News in Hindi, दुनिया न्यूज़, International News Headlines in Hindi, दुनिया समाचार, दुनिया खबरें, विश्व समाचार | Navbharat Times https://ift.tt/3kUit1F
via IFTTT

https://ift.tt/36CAGd7

पेरिस फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति को 2012 में फिर से चुनाव लड़ने के असफल प्रयास के लिए गैरकानूनी फंडिंग का दोषी पाया गया है। कोर्ट ने उन्हें एक साल की सजा भी सुनाई है। इस साल की शुरुआत में सरकोजी को भ्रष्टाचार और प्रभाव का गलत इस्तेमाल के लिए तीन साल की जेल की सजा सुनाई गई थी। हालांकि, इसमें से दो साल की सजा को निलंबित कर दिया गया था। इसी के साथ वे 1945 के बाद से जेल की सजा पाने वाले पहले फ्रांसीसी राष्ट्राध्यक्ष बन गए। पहले भी मिल चुकी है जेल की सजा अदालत ने तब कहा था कि सरकोजी घर पर हिरासत में रहने का अनुरोध कर सकेंगे और उन्हें इलेक्ट्रॉनिक पट्टी पहननी होगी। हालांकि, दो साल जेल की सजा निलंबित होने से उनके जेल जाने की संभावना कम है। वहीं, उनके पास फैसले के खिलाफ अपील करने के लिए 10 दिन का वक्त है। जज को नौकरी की पेशकश की थी अभियोजन पक्ष ने यह साबित किया कि सरकोजी ने जज गिलबर्ट ऐजिबर्ट को मोनाको में एक नौकरी की पेशकश की थी। इसके बदले में लॉरियाल की लिलियन बेटेनकोर्ट से अवैध रकम लेने के मामले के आरोप की जांच के बारे में गुप्त जानकारी मांगी थी। सरकोजी पर 2007 के चुनावी कैंपेन के लिए ये पैसे लेने का आरोप था। लीबिया के पूर्व तानाशाह से लिए थे पैसे वकीलों ने बताया कि यह बात तब सामने आई जब सरकोजी और उनके वकील थिएरी हरजॉग के बीच बातचीत को टैप किया जा रहा था। उनके फोन को उसी कैंपेन में लीबियाई फाइनैंसिंग के आरोपों की जांच के लिए टैप किया जा रहा था। आरोप था कि लीबिया के पूर्व तानाशाह मुअम्मर गद्दाफी ने सरकोजी को नोटों से भरा बैग दिया था।


from World News in Hindi, दुनिया न्यूज़, International News Headlines in Hindi, दुनिया समाचार, दुनिया खबरें, विश्व समाचार | Navbharat Times https://ift.tt/3F5adnC
via IFTTT

https://ift.tt/36CAGd7

पेइचिंग चीन इस समय कोयले की जबरदस्त किल्लत से जूझ रहा है। उत्तर चीन की स्थिति सबसे खराब है। आलम यह है कि बिजली की कमी से कंपनियों में काम ठप है। घरों से बत्ती गुल है। सबसे बुरी तरह प्रभावित जिलिन प्रांत में तो फैक्ट्रियों के बंद होने के साथ-साथ ट्रैफिक सिग्नल्स डाउन हैं, आवासीय इलाकों में लिफ्ट बंद हैं और 3 जी मोबाइल फोन का कवरेज भी बंद है। वॉटर सप्लाई बंद होने की नौबत आ गई है। कोयले के सबसे बड़े उत्पादक चीन के लिए इस वक्त यही कमजोर नस बन गई है, जिसके दबने से ड्रैगन रात के अंधेरे में तड़प रहा है। दुनिया का सबसे बड़ा कोयला उत्पादक उसकी कमी से कराह रहा चीन दुनिया का सबसे बड़ा कोयला उत्पादक है। यह अकेले दुनिया में कुल कोयले उत्पादन का करीब आधे का उत्पादन करता है। कोयले की कीमत में बेतहाशा इजाफा हुआ है फिर भी चीन किसी भी कीमत पर कोयले की डिमांड को पूरी करने के लिए छटपटा रहा है। लेकिन यह आसान नहीं है। घरेलू प्रोडक्शन के साथ इम्पोर्ट भी बढ़ाया लेकिन यह भी नाकाफी अगस्त तक चीन में पिछले साल के मुकाबले 14 प्रतिशत ज्यादा बिजली उत्पादन हुआ है। कोयले उत्पादन में भी 4.4 प्रतिशत बढ़ोतरी हुई है। जून के बाद से कोयले के आयात भी 20 प्रतिशत बढ़ा है। इसके बाद भी चीन को मौजूदा संकट दूर करने के लिए और ज्यादा कोयले की जरूरत है। घरेलू उत्पादन अपने चरम पर पहुंच चुका है लिहाजा उसके जरिए यह गैप भरना बहुत मुश्किल है। आगे ठंड का मौसम है, इस वजह से कोयले की डिमांड अभी और बढ़ेगी लेकिन आपूर्ति मुश्किल है। ऑस्ट्रेलिया से पंगे में दब गई कमजोर नस! चीन और ऑस्ट्रेलिया के बीच तनाव का असर ट्रेड पर भी पड़ा है। पिछले साल चीन ने ऑस्ट्रेलिया से कोयला नहीं खरीदने का फैसला किया। आज वह फैसला उलटा पड़ता दिख रहा है। ऑस्ट्रेलिया से आयात बंद करने की भरपाई के खातिर चीन ने कुछ दक्षिण एशियाई देशों और यूरोप से कोयले का आयात बढ़ा दिया और दक्षिण अफ्रीका से खरीद शुरू कर दी। इसके बाद भी कोयले की पर्याप्त सप्लाई नहीं हो पा रही। यूरोप खुद ऊर्जा संकट से बचने के लिए ऑस्ट्रेलिया से कोयले की खरीद बढ़ा दी है।


from World News in Hindi, दुनिया न्यूज़, International News Headlines in Hindi, दुनिया समाचार, दुनिया खबरें, विश्व समाचार | Navbharat Times https://ift.tt/39P0qUn
via IFTTT

https://ift.tt/36CAGd7

ट्यूनिश के रूप में Najla Bouden Romdhane को नामित किया गया है। राष्ट्रपति ने उनके पूर्वाधिकारी को बर्खास्त किए जाने के बाद एक अंतरिम सरकार का नेतृत्व करने के लिए 63 साल की इंजीनियरिंग स्कूल की टीचर को चुना है। Romdhane को बुधवार को नई सरकार बनाने का काम सौंपा गया। उन्हें यह जिम्मेदारी ऐसे समय पर मिली है देश में भीषण असंतोष फैला हुआ है। इंजीनिरिंग कॉलेज में प्रफेसरपहली महिला पीएम Romdhane का जन्म देश के केंद्रीय प्रांत कैरौआन में हुआ था। वह नेशनल स्कूल ऑफ इंजीनियर्स में Geology की प्रफेसर हैं। आधिकारिक ट्यूनीशियाई न्यूज एजेंसी के मुताबिक प्रधानमंत्री बनने से पहले उच्च शिक्षा और वैज्ञानिक अनुसंधान मंत्रालय ने उन्हें विश्व बैंक के साथ मिलकर कार्यक्रमों को लागू करने की जिम्मेदारी सौंपी थी। 2011 में उन्हें उच्च शिक्षा मंत्रालय में 'गुणवत्ता' के लिए महानिदेशक के पद पर नियुक्त किया गया। राजनीति से दूर-दूर तक कोई संबंध नहींAnadolu एजेंसी के मुताबिक इंजीनियरिंग की जानकार प्रफेसर का दूर-दूर तक राजनीतिक से कोई संबंध नहीं है। अरब देशों में महिलाओं की स्थिति के चलते Romdhane के प्रधानमंत्री बनने से सभी हैरान हैं। फिलहाल उनकी नियुक्ति पर ट्यूनीशिया के शक्तिशाली जनरल लेबर यूनियन या अन्य राजनीतिक दलों की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। उनके प्रधानमंत्री बनने से देश को उम्मीदें हैं। मिलेंगी पहले से कम शक्तियांट्यूनीशिया के राष्ट्रपति कैस सईद ने आधिकारिक फेसबुक पेज से एक वीडियो शेयर करते हुए कहा कि ट्यूनीशिया के इतिहास में पहली बार एक महिला सरकार का नेतृत्व करेगी। उन्होंने कहा कि वह Romdhane के साथ मिलकर दृढ़ इच्छाशक्ति और संकल्प के साथ काम करेंगे ताकि कई सरकारी संस्थानों में व्याप्त भ्रष्टाचार और अराजकता को खत्म किया जा सके। 2014 के संविधान के मुताबिक Romdhane के पास पिछले प्रधानमंत्रियों की तुलना में कम शक्ति होंगी क्योंकि पिछले हफ्ते सईद ने कहा था कि आपातकाल के दौरान सरकार राष्ट्रपति के प्रति जिम्मेदार होगी। जनता को हैं ढेरों उम्मीदेंलोग नजला की ओर आशा भरी नजरों से देख रहे हैं। उनके प्रधानमंत्री बनने से लोगों में उम्मीद जगी है कि अब सब कुछ ठीक हो सकता है। ट्यूनीशिया के एक बैंकर अमीन बेन सलेम ने कहा कि यह एक सकारात्मक संकेत है कि एक महिला सरकार का नेतृत्व करेगी। मुझे उम्मीद है कि वह तुरंत देश को दिवालियेपन के खतरे से बचाना शुरू कर देंगी। उन्होंने कहा कि पीएम को जल्द से जल्द लोगों की समस्याओं को देखना शुरू कर देना चाहिए।


from World News in Hindi, दुनिया न्यूज़, International News Headlines in Hindi, दुनिया समाचार, दुनिया खबरें, विश्व समाचार | Navbharat Times https://ift.tt/2WvMknS
via IFTTT

https://ift.tt/36CAGd7

इस्लामाबाद बनवाना पाकिस्तान के लिए भारी पड़ता दिखाई दे रहा है। तालिबान के काबुल पर कब्जे के बाद पाकिस्तान में आतंकवादी हमले तेजी से बढ़े हैं। इन हमलों ने पिछले चार साल का रिकॉर्ड तक तोड़ दिया है। इसके बावजूद पाकिस्तानी सेना और सरकार अवाम की परवाह किए बिना तालिबान की तरफदारी में जुटी है। पाकिस्तान में तेजी से बढ़े आतंकी हमले साउथ एशिया टेररिस्ट पोर्टल के आंकड़ों के अनुसार, अफगानिस्तान पर तालिबान का नियंत्रण होने के बाद आतंकवादी घटनाएं बिजली की तेजी से बढ़ी हैं। रिपोर्ट से पता चला है कि अमेरिकी सेना के अफगानिस्तान से वापसी के बाद पाकिस्तान में आतंकवादी हमले चार साल उच्चतम स्तर पर पहुंच गए हैं। विशेषज्ञों ने भी चेतावनी दी है कि अस्थिर अफगानिस्तान इस्लामाबाद के लिए बड़ा खतरा बन सकता है। पाकिस्तान में एक महीने में 35 आतंकी वारदात ब्लूमबर्ग के लेटेस्ट रिव्यू में बताया गया है कि पाकिस्तान ने अकेले अगस्त में कम से कम 35 आतंकवादी हमले हुए हैं। इसमें 52 से अधिक लोगों की मौत भी हुई है। यह आंकड़ा फरवरी 2017 के बाद से सबसे अधिक है। इनमें से अधिकांश हमलों को तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) को जिम्मेदार ठहराया गया है। टीटीपी तालिबान का ही एक विंग है, जो पाकिस्तान में काम करता है। द साउथ एशिया टेररिस्ट पोर्टल ने दी जानकारी द साउथ एशिया टेररिस्ट पोर्टल दक्षिण एशिया में आतंकवाद और झड़पों को रिपोर्ट करने वाली एक वेबसाइट है। यह वेबसाइट सभी आतंकवादी घटनाओं की रिसर्च और एनलॉसिस भी करती है। इसी वेबसाइट ने अब पाकिस्तान में पिछले एक महीने में हुई आतंकवादी घटनाओं की जानकारी दी है। तालिबान के आने से पाकिस्तान भी चिंतित लंदन स्थित रॉयल यूनाइटेड सर्विसेज इंस्टीट्यूट के एक विजिटिंग फेलो उमर करीम ने ब्लूमबर्ग को बताया कि पिछले एक साल में अलग-अलग आतंकी समूहों के एकजुट होने से अफगानिस्तान में चरमपंथी गुट और अधिक मजबूत हुए हैं। यूनाइटेड स्टेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ पीस के एक वरिष्ठ विशेषज्ञ असफंदयार मीर ने कहा कि भले ही पाकिस्तान इसके बारे में खुलकर बात नहीं कर रहा है, लेकिन इस्लामाबाद पाकिस्तानी तालिबान के खतरे के फिर से उभरने को लेकर चिंतित है।


from World News in Hindi, दुनिया न्यूज़, International News Headlines in Hindi, दुनिया समाचार, दुनिया खबरें, विश्व समाचार | Navbharat Times https://ift.tt/3F6Agec
via IFTTT

https://ift.tt/36CAGd7

ट्यूनिश ट्यूनिशिया के राष्ट्रपति ने बुधवार को एक ऐतिहासिक ऐलान किया। उन्होंने देश की पहली महिला प्रधानमंत्री को नामित किया। राष्ट्रपति ने उनके पूर्वाधिकारी को बर्खास्त किए जाने के बाद एक अंतरिम सरकार का नेतृत्व करने के लिए इंजीनियरिंग स्कूल की टीचर 63 साल की को इस पद के लिए चुना है। अरब देशों में यह पहली बार है जब किसी महिला को देश की कमान संभालने के लिए मिली है। शायद इसीलिए इन देशों में महिलाएं खुद पूरी तरह से स्वतंत्र नहीं हैं क्योंकि उनका नेतृत्व हमेशा से पुरुषों ने किया। खैर.. जो सुर्खियां बनीं उनमें इसे 'हैरान करने वाला फैसला' बताया। आज जानेंगे कि क्या वाकई अरब की दुनिया में महिलाओं की स्थिति इतनी बुरी हो चुकी है कि एक महिला का प्रधानमंत्री बनना सभी को हैरान कर रहा है? ट्यूनीशिया में क्या हाल हैं? उत्तरी अफ्रीका का देश ट्यूनीशिया संकटों से जूझ रहा है। करीब 10 साल पहले ट्यूनीशिया में एक जनक्रांति हुई थी, जिसे 'अरब क्रांति' कहा गया। इस दौरान लोगों ने लंबे समय से देश पर शासन कर रहे तानाशाह जीन अल अबिदीन बेन अली को सत्ता से बेदखल कर दिया था। इसके बाद 'अरब बसंत' का उदय हुआ और एक लोकतांत्रिक बदलावों की उम्मीद जगी थी। लेकिन आज सवाल यह है कि उस क्रांति का हासिल क्या है, जिसकी शुरुआत एक युवा के खुद को आग लगाने से हुई थी। आए दिन ट्यूनीशिया विरोध प्रदर्शनों का सामना कर रहा है। लोगों के पास नौकरियां नहीं है और जो नौकरी में हैं उन्हें सैलरी नहीं मिल रही। भ्रष्टाचार अपने चरम पर है और चारों तरफ सिर्फ भ्रम और संघर्ष फैला हुआ है। लोगों में निराशा फैली हुई है कि 'अरब बसंत' शायद अब कभी नहीं आएगा। राजनीतिक पटल पर देश लंबे समय से उथल-पुथल से जूझ रहा है। जनता ने तानाशाह को कुर्सी से तो हटा दिया लेकिन उसके बाद लगातार गिरती अर्थव्यवस्था से देश अभी तक उभर नहीं पाया है। बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक 10 सालों में ट्यूनीशिया में 12 बार सरकार बदल चुकी है। सरकारी सुविधाएं पूरी तरह से चौपट हो चुकी हैं, ऐसे में Romdhane के लिए यह जिम्मेदारी आसान नहीं होगी। क्या सच में बुरी है?दुनिया के विकसित देशों के साथ कदमताल करने के लिए कुछ अरब देश महिलाओं के लिए अवसर के दरवाजे खोज रहे हैं। हालांकि इसके पीछे इन देशों का स्वार्थ भी छिपा हुआ है। कर्मचारियों और मजदूरों को लेकर अरब देश आत्मनिर्भर होना चाहते हैं। सऊदी अरब ने 2030 तक 30 फीसदी महिला कर्मचारियों का लक्ष्य रखा है ताकि इसके लिए उन्हें प्रवासियों पर निर्भर न होना पड़े। कुवैत में महिला कर्मचारियों की संख्या पुरुषों से ज्यादा है। वहीं खाड़ी में उच्च शिक्षा में महिलाएं की आबादी पुरुषों से अधिक है। महिलाओं की बेहतर स्थिति को लेकर जिस अरब की हम बात कर रहे हैं उसका मतलब खाड़ी क्षेत्र (GCC) से है। जहां महिलाएं सरकार में शामिल होती हैं और राजनीतिक फैसले लेती हैं। महिलाओं की दूसरी तस्वीर जो मिडिल ईस्ट से नजर आती है वह इससे काफी अलग है। आज भी महिलाएं यहां कई तरह के सामाजिक और कानूनी प्रतिबंधों का सामना कर रही हैं। The Conversation की एक रिपोर्ट में पाया गया कि आज भी वे घरों पर 'पारंपरिक महिलाओं' की भूमिकाएं निभाने की मजबूर हैं। खाड़ी अरब में महिलाओं की स्थिति में सुधार के लिए 1930 में हुई तेल की खोज को काफी हद तक जिम्मेदार माना जा सकता है। पश्चिमी देशों की यूएई और सऊदी अरब जैसे मुल्कों में दिलचस्पी बढ़ी और उन पर दबाव बनाया गया कि वे अपने नियमों व कानूनों का आधुनिकीकरण करें। अंतरराष्ट्रीय व्यापार और ग्लोबल छवि के दवाब में आकर खाड़ी देशों ने सुधार किया लेकिन आर्थिक रूप से कमजोर और चरमपंथियों के कब्जे वाले अरब देश पीछे रह गए। सऊदी अरब में महिलाओं ने मांगे अपने अधिकारGCC देशों और मिडिल ईस्ट देशों में महिलाओं की स्थिति में जमीन और आसमान का अंतर है जिसका प्रमुख कारण व्यापार, विदेशी निवेश और पर्यटन को माना जा सकता है। GCC के भीतर भी अलग-अलग देशों में महिलाओं को अलग-अलग अधिकार हासिल हैं जिसका निर्धारण इन देशों की सरकारें करती हैं। यूएई की तुलना में सऊदी अरब में महिलाओं को कम अधिकार हासिल हैं। हाल ही में महिलाओं ने जब अपने हक के लिए आवाज उठाई तो सऊदी अरब में उन्होंने गाड़ी चलाने का अधिकार दिया गया। 2018 के बाद से महिलाएं बिना किसी पुरुष संरक्षण के गाड़ी चला सकती हैं। महिलाओं को अकेले घूमने और खुद पासपोर्ट के लिए आवेदन करने की अनुमति भी दी गई है। महिलाओं ने ये अधिकार कुछ सालों पहले ही हासिल किए हैं क्योंकि सरकार अपने लक्ष्य 2030 को पूरा करना चाहती हैं और पर्यटन को बढ़ावा देना चाहती है। 2015 में मिला वोटिंग का अधिकारभारत या अन्य लोकतांत्रिक देशों की तरह सऊदी अरब में मूलभूत अधिकार महिलाओं को जन्म से नहीं मिले। इसके लिए उन्हें लंबा संघर्ष करना पड़ा। 1961 में लड़कियों के लिए पहला सरकारी स्कूल खुला और 1970 में पहली यूनिवर्सिटी। 2005 में देश ने जबरन विवाद पर रोक लगाई और 2009 में पहली सरकारी मंत्री की नियुक्ति की गई। साल 2012 में ओलंपिक की टीम में महिला एथलीट्स को जगह दी गई और वे बिना स्कार्फ के मैदान पर उतरीं। 2013 में उन्हें साइकिल चलाने के लिए मंजूरी मिली लेकिन इस दौरान उनके साथ किसी पुरुष का होना और पूरे कपड़े पहने होना जरूरी था। सऊदी अरब में महिलाओं को वोट डालने का अधिकार भी 2015 में मिला था। ये बदलाव महिलाओं के संघर्ष और अरब देशों के विकास यात्रा को दिखाते हैं क्योंकि पर्यटन या इमारतें किसी देश के विकास का दम तब तक नहीं भर सकती जब तक वहां की महिलाएं स्वतंत्र न हों।


from World News in Hindi, दुनिया न्यूज़, International News Headlines in Hindi, दुनिया समाचार, दुनिया खबरें, विश्व समाचार | Navbharat Times https://ift.tt/39Xcx1r
via IFTTT

https://ift.tt/36CAGd7

सियोल उत्तर कोरिया के तानाशाह की बहन को दक्षिण कोरिया और अमेरिका को धमकाने का इनाम मिला है। सरकारी न्यूज एजेंसी केसीएन ने बताया है कि किम जोंग उन की प्रभावशाली बहन को देश के शीर्ष सरकारी निकाय में नियुक्त किया गया है। अभी तक किम यो जोंग अपने भाई और उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग उन की सलाहकार के पद पर काबिज थीं। स्टेट अफेयर्स कमीशन की चीफ बनीं किम यो जोंग को अब उत्तर कोरिया की स्टेट अफेयर्स कमीशन का प्रमुख बनाया गया है। देश की रबर स्टैंप संसद सुप्रीम पीपुल्स असेंबली ने भी उनकी नियुक्ति को अपनी मंजूरी दे दी है। कुछ दिन पहले ही इस आयोग के कम से कम नौ सदस्यों को बर्खास्त किया गया था। इसमें स्टेट अफेयर्स कमीशन की वाइस प्रेसीडेंट और राजनयिक चो सोन हुई भी शामिल हैं। सरकारी मीडिया ने दी जानकारी डोनाल्ड ट्रंप के कार्यकाल में चो सोन हुई ने ही अमेरिका के साथ बातचीत में बड़ी भूमिका निभाई थी। वह उत्तर कोरिया में शीर्ष पद पर पहुंची दुर्लभ महिला अधिकारियों में से एक हैं। उत्तर कोरिया के सरकारी अखबार रोडोंग सिनमुन ने गुरुवार को आठ नई नियुक्तियों की तस्वीर भी प्रकाशित की थी। इसमें इन लोगों के साथ किम यो जोंग नजर आईं थीं। इस कमीशन में वह एकमात्र महिला हैं। साथ-साथ पढ़े हैं किम जोंग उन और किम यो जोंग किम यो जोंग को अक्सर अपने भाई के नजदीक देखा जाता रहा है। इन दोनों ने एक साथ स्विट्जरलैंड में पढ़ाई भी की है। पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और दक्षिण कोरियाई राष्ट्रपति मून जे-इन के साथ शिखर बैठकों में भी किम यो जोंग शामिल हुई थीं। उत्तर कोरिया में उनकी सटीक राजनीतिक भूमिका लंबे समय से रहस्य रही है। कई बार ऐसा भी दावा किया गया है कि वह अपने भाई के बाद देश की अगली प्रमुख हो सकती हैं। अमेरिका और दक्षिण कोरिया को कई बार धमका चुकी हैं किम जोंग उन की बहन अक्सर अपने कड़े बयानों को लेकर चर्चा में रहती हैं। उन्होंने अमेरिका और दक्षिण कोरिया को कई बार खुले तौर पर धमकी भी दी है। उनके ही आदेश पर कुछ महीने पहले उत्तर और दक्षिण कोरिया के बॉर्डर पर बने लाइजिंग ऑफिस को विस्फोटकों से उड़ा दिया गया था। इस बिल्डिंग को दक्षिण कोरिया ने अपने पैसों से बनवाया था।


from World News in Hindi, दुनिया न्यूज़, International News Headlines in Hindi, दुनिया समाचार, दुनिया खबरें, विश्व समाचार | Navbharat Times https://ift.tt/3m4Gh24
via IFTTT

https://ift.tt/36CAGd7

मॉस्को/इस्लामाबाद रूस ने ऐलान किया है कि वह पाकिस्तान के साथ द्विपक्षीय सैन्य सहयोग को बढ़ाएगा। इसी मुद्दे को लेकर रूस के उप रक्षा मंत्री जनरल अलेक्जेंद्र वी फोमिन ने पाकिस्तान के अधिकारियों से बातचीत की है। पिछले एक महीने में पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान रूसी राष्ट्रपति जो बाइडन से दो बार बात भी कर चुके हैं। इस बीच पाकिस्तानी सेना इन दिनों रूस में युद्धाभ्यास भी कर रही है। ऐसे में पाकिस्तान और रूस के बढ़ते रिश्ते भारत के लिए बड़ी परेशानी का कारण बन सकते हैं। खुफिया जानकारी शेयर करेंगे रूस-पाक पाकिस्तान की तरफ से रूस के साथ बातचीत की अगुवाई रक्षा सचिव लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) मियां मुहम्मद हिलाल हुसैन ने की। दोनों देशों ने बताया कि इस बातचीत में रूस और पाकिस्तान के बीच द्विपक्षीय सैन्य सहयोग बढ़ाने के तरीकों पर चर्चा की। इसमें दोनों देशों के बीच संयुक्त अभ्यास, खुफिया जानकारी साझा करना और क्षेत्रीय सुरक्षा पर विचारों का आदान-प्रदान शामिल है। भारत-रूस तनाव से जोड़ा जा रहा संबंध इस बातचीत को भारत और रूस के साथ संबंधों में आई खटास से भी जोड़कर देखा जा रहा है। रूसी समाचार एजेंसी ताश ने बताया कि रूसी और पाकिस्तानी रक्षा मंत्रालय ने इस बात की पुष्टि की है कि दोनों मुल्क रक्षा सहयोग बढ़ाने के लिए तैयार हैं। एजेंसी ने यह भी कहा कि पिछले कुछ समय से दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग बढ़ाने पर सहमति बनी है। पुतिन से एक महीने में दो बार बात कर चुके इमरान पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान ने पिछले एक महीने में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ दो बार फोन पर बात की है। दोनों नेताओं के बीच पहली बातचीत 25 अगस्त को हुई थी। इसमें रूस और पाकिस्तान के बीच शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) में सहयोग बढ़ाने को लेकर सहमति बनी थी। दूसरी बातचीत 14 सितंबर को अफगानिस्तान के मुद्दे पर हुई थी। इमरान ने पुतिन को दिया है पाकिस्तान यात्रा का निमंत्रण पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने कुछ दिनों पहले ही रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से बात की थी। अफगानिस्तान के हालात के नाम पर किए गए इस फोन कॉल में इमरान खान ने पुतिन को पाकिस्तान आने का न्यौता तक दे डाला। रूस ने कुछ महीने पहले ही कहा था कि उसने रूस के कासूर शहर से पाकिस्‍तान के कराची शहर तक पाइपलाइन बिछाने के लिए एक समझौते पर हस्‍ताक्षर किया है। जिससे दोनों देशों के बीच आर्थिक संबंधों के बढ़ने के कयास लगाए गए थे। 50 साल पुरानी भारत-रूस दोस्ती पर संकट रूस और भारत के संबंधों को स्थापित हुए 50 साल पूरे हो चुके हैं। 9 अगस्त 1971 को भारत और तत्कालीन सोवियत संघ (वर्तमान रूस) ने चिरंजीवी दोस्ती के कागजों पर हस्ताक्षर किए थे। दोनों देशों के संबंधों की ताकत इतनी थी कि इसने तत्कालीन विश्व के समीकरण में आमूल परिवर्तन कर दिए। इतना ही नहीं, इससे न केवल दक्षिणी एशिया बल्कि अमेरिका और यूरोपीय देशों की विदेश नीति को भी प्रभावित किया था। अब पाकिस्तान के साथ दोस्ती से भारत-रूस संबंधों पर बुरा असर पड़ने का अंदेशा जताया जा रहा है। भारत के मुश्किल वक्त में रूस ने निभाई दोस्ती 1971 में भारत के लिए हालात बिल्कुल भी अनुकूल नहीं थे। एक तरफ जहां तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान (वर्तमान बांग्लादेश) में पाकिस्तानी सेना के अत्याचारों से त्रस्त जनता भारत में शरण लेने के लिए घुसी जा रही थी। वहीं, पाकिस्तान, अमेरिका और चीन का गठबंधन मजबूत होता जा रहा था। ऐसे में तीन दिशाओं से घिरे भारत की सुरक्षा को बड़ा खतरा पैदा हो गया था। अमेरिका और चीन दोनों ही प्रतिबंधों के बावदूद पाकिस्तान को चोरी-छिपे हथियार देकर सैन्य मदद कर रहे थे। रूसी विदेश मंत्री ने भारत आकर किए थे समझौते पर हस्ताक्षर ऐसे में सोवियत संघ के विदेश मंत्री अंद्रेई ग्रोमिको भारत आए और 1971 को आज ही के दिन उन्होंने भारत के तत्कालीन विदेश मंत्री सरदार स्वर्ण सिंह के साथ सोवियत-भारत शांति, मैत्री और सहयोग संधि पर हस्ताक्षर किए। यह संधि दोनो देशों के दोस्ताना संबंधों में एक मील का पत्थर बन गई। इस संधि के तुरंत बाद सोवियत संघ ने ऐलान किया था कि भारत पर हमला उसके ऊपर हमला माना जाएगा। यही वह कारण है जिससे 1971 युद्ध के दौरान अमेरिकी नौसैनिक बेड़े को भारत के ऊपर हमला करने की हिम्मत नहीं हुई। अब भारत और रूस के संबंधों पर उठ रहे सवाल इन दिनों अंतराष्ट्रीय कूटनीति में जारी उतार-चढ़ाव को देखते हुए भारत और रूस के संबंधों पर सवाल उठाए जा रहे हैं। रूस ने हाल में ही अफगानिस्तान में लगातार बिगड़ते हालात को लेकर बुलाई गई एक बड़ी बैठक में आमंत्रित नहीं किया है। इस बैठक में रूस के अलावा पाकिस्तान, चीन और अमेरिका के शामिल होने की संभावना है। कतर में आयोजित होने वाली इस बैठक का नाम विस्तारिक ट्रोइका है। इससे पहले भी अफगानिस्तान को लेकर हुई बैठक में रूस ने भारत को नहीं बुलाया था। उस समय भी भारत-रूस संबंधों को लेकर तरह-तरह के कयास लगाए गए थे। क्या भारत-रूस में सबकुछ ठीक नहीं? पिछले कई साल से भारत रूस संबंधों की मजबूती पर सवाल उठते रहे हैं। इसी साल की शुरूआत में दोनों देशों के बीच भारत-रूस शिखर सम्मेलन प्रस्तावित था। लेकिन, कोरोना वायरस के कारण इसे रद्द कर दिया गया। इस बैठक में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन खुद शामिल होने वाले थे। वर्ष 2000 के बाद यह पहला मौका है जब भारत और रूस के बीच शिखर सम्मेलन को टाला गया है। यह बैठक पिछले 20 सालों से लगातार आयोजित की जा रही थी। अमेरिका पर भारत से दोस्ती तोड़ने का आरोप रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने पिछले साल दिसंबर में कहा था कि अमेरिका के नेतृत्व वाले पश्चिमी देशों के कारण रूस के साथ भारत की करीबी साझेदारी एवं विशेष संबंध कमजोर हो रहे हैं। रूस की सरकारी थिंक टैंक रशियन इंटरनेशनल अफेयर्स काउंसिल के एक कार्यक्रम में लावरोव ने आरोप लगाया था कि अमेरिका के कारण भारत हमसे दूर होता जा रहा है।


from World News in Hindi, दुनिया न्यूज़, International News Headlines in Hindi, दुनिया समाचार, दुनिया खबरें, विश्व समाचार | Navbharat Times https://ift.tt/39TwI0t
via IFTTT

https://ift.tt/36CAGd7

लंदनसाल 2017 में इंटरनेट पर एक मीम तेजी से वायरल हुआ जिसका नाम 'Salt Bae' था। वायरल फोटो में एक शेफ मीट के ऊपर अलग अंदाज में नमक झिड़कता हुआ नजर आ रहा था। यह तस्वीर और कुछ क्लिप इंटरनेट पर इतनी तेजी से शेयर की गईं कि तुर्की के Nusret Gokce रातों-रात सुपरस्टार बन गए। इसके बाद Nusret Gokce ने एक रेस्तरां फ्रेंचाइजी की शुरुआत की, जिसके आउटलेट्स आज दुनिया के कई देशों में मौजूद हैं। दुनिया के 'दिल' में खोला रेस्तरांहाल ही उन्होंने अपना एक और रेस्तरां लंदन में खोला है जिसका उद्घाटन 23 सितंबर 2021 को हुआ। उन्होंने इंस्टाग्राम पर एक पोस्ट शेयर कर अपने नए रेस्तरां के बारे में जानकारी दी। कैप्शन में उन्होंने लिखा, 'दुनिया के दिल में उद्घाटन (रेस्तरां का) कर दिया 23.09.2021'। शेफ के इंस्टाग्राम हैंडल पर शेयर किए गए फोटो और वीडियो में Nusr-Et रेस्तरां को देखा जा सकता है। एक प्लेट के लिए 1.80 का बिलरेस्तरां में शेफ ग्राहकों के बीच अपने खास अंदाज में मीट काटते और नमक छिड़कते नजर आ रहे हैं। एक ओर रेस्तरां की चर्चा उसके आलीशान इंटीरियर, लजीज खाने और सुविधाओं के लिए हो रही है तो वहीं कुछ ट्विटर यूजर इसे ट्रोल भी कर रहे हैं। ट्विटर पर एक ग्राहक ने खाने का बिल शेयर किया जिसके बाद लोगों ने रेस्तरां को ट्रोल करना शुरू कर दिया। रेस्तरां में एक प्लेट खाने के लिए ग्राहक को 1800 पाउंड का बिल देना पड़ा यानी करीब 1.80 लाख रुपए। लोगों ने किया महंगे खाने के लिए ट्रोलशेफ के बेहद महंगे रेस्तरां का बिल देखकर लोग चौंक गए। रेस्तरां में एक steak की कीमत 630 पाउंड है। कुछ यूजर्स ने महंगी ड्रिंक्स को लेकर भी सवाल उठाए। वहीं कुछ ने इसे आमतौर पर लंदन में मिलने वाले खाने का दाम बताया। शेफ Gokce का यह पहला रेस्तरां नहीं है जिसे लोग महंगी कीमत के लिए ट्रोल कर रहे हैं। इससे पहले मियामी के आउटलेट पर भी लोगों ने खाने के महंगे दामों को लेकर सवाल उठाए थे।


from World News in Hindi, दुनिया न्यूज़, International News Headlines in Hindi, दुनिया समाचार, दुनिया खबरें, विश्व समाचार | Navbharat Times https://ift.tt/3opQARr
via IFTTT

Wednesday 29 September 2021

https://ift.tt/36CAGd7

वॉशिंगटन अमेरिका ने पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई और तालिबान के संबंधों पर खुलकर बोलने से इनकार किया है। अमेरिकी सीनेट की आर्म्ड सर्विस कमेटी के सामने पेश हुए रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन ने सीनेटरों से कहा है कि तालिबान के साथ पाकिस्तान और उसकी खुफिया एजेंसी आईएसआई के संबंधों पर केवल बंद कमरों के भीतर ही चर्चा की जा सकती है। इस बैठक में उनके साथ अमेरिकी सेना के दो टॉप रैंक के जनरल भी मौजूद थे। अमेरिकी रक्षा मंत्री बोले- बंद कमरे में करेंगे बातचीत ऑस्टिन ने सीनेट की आर्म्ड सर्विस कमेटी के सामने कहा कि पाकिस्तान के बारे में एक गहरी बातचीत शायद यहां एक बंद कमरे में उचित होगी। उनके दो जनरलों, यूएस ज्वाइंट चीफ्स ऑफ स्टाफ के प्रमुख जनरल मार्क मिले और यूएस सेंट्रल कमांड के कमांडर जनरल फ्रैंक मैकेंजी ने भी यही कहा। मिले ने कहा कि मैंने पिछले कुछ साल में और हाल ही में पाकिस्तानियों के साथ कई बार बातचीत की है और मेरे दिमाग में कोई सवाल नहीं है कि पाकिस्तान और तालिबान के बीच संबंध तेजी से जटिल होते जा रहे हैं। अमेरिका क्यों नहीं खुलकर बोल रहा? अमेरिकी संसद में एक दिन पहले ही 22 सांसदों ने तालिबान और उसके सहयोगी देशों पर प्रतिबंध लगाने वाला बिल पेश किया है। अगर यह बिल पास हो जाता है तो इससे बने कानून के जरिए तालिबान के सहयोगी देशों को प्रतिबंधित करना पड़ेगा। अमेरिका यह बखूबी जानता है कि तालिबान को शरण देने के पीछे खुले तौर पर पाकिस्तान का हाथ है। ऐसे में अगर सार्वजनिक रूप से बाइडन प्रशासन इस बात को स्वीकार करता है तो उसे न चाहते हुए भी पाकिस्तान पर नए प्रतिबंध लगाने होंगे। तालिबान के साथ बातचीत का बैक चैनल बंद होने का डर अमेरिका को डर है कि अगर उसने पाकिस्तान पर कार्रवाई की तो इसका असर अफगानिस्तान में उसके हितों पर पड़ेगा। अफगानिस्तान से अमेरिकी फौज की वापसी के बाद बाइडन प्रशासन अब पाकिस्तान की मदद से तालिबान के साथ संपर्क में है। अगर पाकिस्तान ने प्रतिबंधों के कारण अपना पल्ला झाड़ लिया तो तालिबान के साथ बातचीत का रास्ता भी बंद हो जाएगा। दूसरी बड़ी बात कि पाकिस्तान तालिबान को अमेरिका के खिलाफ और ज्यादा भड़का सकता है। पाकिस्तान पर कार्रवाई से चीन को होगा फायदा अमेरिका यह जानता है कि अगर उसने पाकिस्तान पर प्रतिबंध लगाए तो इसका सीधा फायदा चीन को होगा। चीन तेजी से अफगानिस्तान में खाली हुई अमेरिका की जगह को भर रहा है। उसने तालिबान सरकार को हजारों करोड़ रुपए की आर्थिक सहायता भी दी है। ऐसे में प्रतिबंधों के कारण पाकिस्तान अमेरिका के विरोध में चीन की और ज्यादा मदद करेगा। पाकिस्तान में अमेरिकी सेना के मिशन को होगा नुकसान यूएस सेंट्रल कमांड (सेंटकॉम) के शीर्ष जनरल फ्रैंक मैकेंजी ने सीनेट के सामने कबूला था कि अमेरिकी सेना पाकिस्तान के साथ काम कर रही है। उन्होंने कहा कि हमने पिछले 20 साल में अफगानिस्तान से पश्चिमी पाकिस्तान में जाने के लिए रास्ता बनाया है। उस क्षेत्र में कुछ कम्यूनिकेशन के लिए कुछ लैंडलाइंस भी मौजूद हैं। हम अगले कुछ दिन या हफ्ते पाकिस्तानियों के साथ काम करेंगे। हम यह देखना चाहते हैं कि पाकिस्तान के साथ काम करने के परिणाम क्या निकलते हैं। ऐसे में अगर पाकिस्तान पर प्रतिबंध लगते हैं तो इससे अमेरिकी सेना के ऑपरेशन को भी नुकसान पहुंचेगा। पाकिस्तान की दखलअंदाजी से तालिबान दो फाड़ तालिबान में मुल्ला बरादर और मुल्ला यूसुफ के नेतृत्व वाला गुट पाकिस्तान की बढ़ती दखलअंदाजी से चिढ़ा हुआ है। यही कारण है कि अफगानिस्तान में इस्लामिक अमीरात सरकार के ऐलान के बाद भी ये दोनों नेता काबुल से दूरी बनाए हुए हैं। मुल्ला बरादर को तालिबान सरकार में उप प्रधानमंत्री और मुल्ला यूसुफ को रक्षा मंत्री बनाया गया है। मुल्ला यूसुफ तालिबान सरगना मुल्ला उमर का बेटा और मुल्ला बरादर का भांजा है। पाकिस्तान के इशारों पर चल रहा हक्कानी पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई का गुलाम हक्कानी नेटवर्क काबुल में किसी भी अन्य समुदायों के साथ सत्ता साझा नहीं करना चाहता। वह अपनी सरकार में महिलाओं की भागीदारी को पहले ही सिरे से खारिज कर चुका है। हक्कानी नेटवर्क इस समय पूरी तरह से आईएसआई के इशारों पर चल रहा है। ऐसे में विरोधी गुट के नेता काबुल छोड़कर तालिबान की जन्मस्थली कंधार में बैठे हुए हैं।


from World News in Hindi, दुनिया न्यूज़, International News Headlines in Hindi, दुनिया समाचार, दुनिया खबरें, विश्व समाचार | Navbharat Times https://ift.tt/3zSG2w3
via IFTTT

https://ift.tt/36CAGd7

काबुल तालिबान के अधिकारियों ने पिछले हफ्ते कहा था कि अफगानिस्तान की सरकारी यूनिवर्सिटी में महिलाओं के पढ़ने और पढ़ाने पर प्रतिबंध लगाया जाएगा, जब तक उन्हें पुरुषों से अलग नहीं कर दिया जाता। लेकिन काबुल यूनिवर्सिटी को महिलाओं और पुरुष दोनों के लिए बंद कर दिया गया है। बुधवार को यूनिवर्सिटी कैंपस में सन्नाटा पसरा रहा और छात्र व छात्राओं को घर वापस भेज दिया गया। सभी क्लास सस्पेंड कर दी गईं और सिर्फ पुरुष कर्मचारियों को ही ऑफिस और रिसर्च संबंधी काम करने की छूट दी गई। इस्लामिक वातावरण में मिलेगी अनुमतिकाबुल यूनिवर्सिटी का अचानक बंद होना तालिबान की कठोर शिक्षा नीति को दिखाता है। जिसके मुताबिक महिलाओं को सिर्फ पारंपरिक कपड़ों में ही कॉलेज आने की अनुमति दी जाएगी और उन्हें पुरुषों से अलग रखा जाएगा। तालिबान की ओर से नियुक्त काबुल यूनिवर्सिटी के नए कुलपति ने इस हफ्ते ट्वीट कर कहा, 'जब तक सभी के लिए एक इस्लामिक वातावरण नहीं बनाया जाता, महिलाओं को न ही यूनिवर्सिटी में आने की इजाजत नहीं दी जाएगी। उन्होंने कहा, 'इस्लाम सबसे पहले'। घर वापस भेजे गए छात्र व टीचरसरकार के प्रवक्ता बिलाल करीमी ने कहा कि अधिकारी महिला छात्रों के लिए एक शांतिपूर्ण वातावरण सुनिश्चित करने की योजना पर काम कर रहे हैं। वॉशिंगटन पोस्ट से बात करते हुए करीमी ने कहा कि योजना को अंतिम रूप दिए जाने के बाद उन्हें उनकी पढ़ाई जारी रखने की अनुमति दी जाएगी। बुधवार को काबुल यूनिवर्सिटी की कई महिला छात्रों और टीचरों को घर वापस भेज दिया गया। उन्होंने तालिबान के इस फैसले पर चिंता जताई। तालिबान ने बदल दिए अफगानिस्तान के कॉलेजतालिबान ने अफगानिस्तान के कॉलेज और यूनिवर्सिटी की तस्वीर को पूरी तरह से बदल दिया है। नियमों की एक लंबी सूची जारी की गई है जिसका पालन करते हुए कई प्राइवेट कॉलेज अलग-अलग क्लास चलाने को मजबूर हैं या लड़के व लड़कियों के बीच पर्दा लगाकर उन्हें पढ़ा रहे हैं। तालिबान ने लड़के और लड़कियों के आने-जाने के समय से लेकर रास्तों तक को अलग करने के लिए कहा है ताकि उन्हें एक-दूसरे से घुलने-मिलने से रोका जा सका।


from World News in Hindi, दुनिया न्यूज़, International News Headlines in Hindi, दुनिया समाचार, दुनिया खबरें, विश्व समाचार | Navbharat Times https://ift.tt/3zU6SUC
via IFTTT

https://ift.tt/36CAGd7

इस्लामाबाद बलूचिस्तान प्रांत में पाकिस्तान विरोधी विद्रोहियों के लगातार बढ़ते हमलों से इमरान खान सरकार डरी हुई है। ऐसे में सरकारी अधिकारियों को पाकिस्तान के प्रति निष्ठा जताने के लिए अजीबोगरीब निर्देश भी दिए जा रहे हैं। बलूचिस्तान सरकार ने अपने अधिकारियों को 'पाकिस्तान जिंदाबाद' का कॉलरट्यून लगाने का निर्देश दिया है। इतना ही नहीं, जारी किए आदेश में इस कॉलरट्यून को लगाने का तरीका भी बताया गया है। बलूचिस्तान राज्य ने जारी किया आदेश बलूचिस्तान सरकार के ह्यूमन रिसोर्स डिपार्टमेंट ने बयान जारी कर कहा है कि राज्य के चीफ सेक्रेटरी, साइंस और इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी डिपार्टमेंट के साथ हुई बैठक में लगाने का फैसला किया गया है। बलूचिस्तान राज्य के सभी कर्मचारियों को यह कॉलरट्यून लगाना अनिवार्य होगा। इसके लिए किसी भी कंपनी का सिम इस्तेमाल कर रहे कर्मचारी इन नंबरों पर मैसेज करें। क्यों डरा हुआ है पाकिस्तान बलूचिस्तान में विद्रोहियों के हमले लगातार बढ़ते जा रहे हैं। राजधानी क्वेटा में कुछ दिन पहले ही एक पुलिसचौकी को निशाना बनाकर आत्मघाती हमला किया गया था। इस हमले में कई पुलिसकर्मियों के अलावा सात लोगों की मौत हुई थी। सेरेना होटल के बाहर दो बार हमले किए जा चुके हैं। पाक सरकार चाहकर भी बलूचिस्तान में हमले नहीं रोक पा रही। ऐसे में वह इस राज्य के लोगों को अब देशभक्ति का पाठ पढ़ाने की कोशिश में जुटा है। चीन-पाक के सीपीईसी का विरोध करते हैं बलूच बलूचिस्तान के लोगों ने हमेशा से चीन पाकिस्तान आर्थिक कॉरिडोर का विरोध किया है। कई बार बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी के हथियारबंद विद्रोहियों के ऊपर पाकिस्तान में काम कर रहे चीनी नागरिकों को निशाना बनाए जाने का आरोप भी लगे हैं। 2018 में इस संगठन पर कराची में चीन के वाणिज्यिक दूतावास पर हमले के आरोप भी लगे थे। आरोप हैं कि पाकिस्तान ने बलूच नेताओं से बिना राय मशविरा किए बगैर सीपीईसी से जुड़ा फैसला ले लिया। स्पेशल फोर्स बनाने के बावजूद नहीं रुके हमले 60 बिलियन अमेरिकी डॉलर के लागत वाले इस परियोजना की सुरक्षा को लेकर पाकिस्तान ने एक स्पेशल फोर्स का गठन किया है, जिसमें 13700 स्पेशल कमांडो शामिल हैं। इसके बावजूद इस परियोजना में काम कर रहे चीनी नागरिकों पर हमले लगातार बढ़ते जा रहे हैं। जून में कराची के स्टॉक एक्सचेंज पर हुए हमले की जिम्मेदारी बलूच लिबरेशन आर्मी की माजिद ब्रिग्रेड ने ली थी। बलूचिस्तान की रणनीतिक स्थिति पाक के लिए अहम बलूचिस्तान पाकिस्तान का सबसे महत्वपूर्ण रणनीतिक सूबा है। पाक से सबसे बड़े प्रांत में शुमार बलूचिस्तान की सीमाएं अफगानिस्तान और ईरान से मिलती है। वहीं कराची भी इन लोगों की जद में है। चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर का बड़ा हिस्सा इस प्रांत से होकर गुजरता है। ग्वादर बंदरगाह पर भी बलूचों का भी नियंत्रण था जिसे पाकिस्तान ने अब चीन को सौंप दिया है।


from World News in Hindi, दुनिया न्यूज़, International News Headlines in Hindi, दुनिया समाचार, दुनिया खबरें, विश्व समाचार | Navbharat Times https://ift.tt/3zUsgJe
via IFTTT

https://ift.tt/36CAGd7

मैड्रिड कुछ दिनों पहले सोशल मीडिया पर एक घर की तस्वीर शेयर की गई थी। लोग इसे 'चमत्कारी घर' कह रहे थे क्योंकि चारों तरफ से धधकते लावा से घिरे होने के बावजूद इस घर को कोई नुकसान नहीं पहुंचा था। घर के मालिकों ने अब एक बुरी खबर दी है। उनका कहना है कि La Palma (ला पाल्मा) ज्वालामुखी विस्फोट के बाद से निकल रहे लावा ने आखिरकार 'चमत्कारी घर' को भी निगल लिया है। 'सब खत्म हो चुका है'घर के मालिक रिटायर्ड डेनिश दंपति Inge और Ranier Cocq ने मंगलवार को पुष्टि करते हुए बताया कि यह घर लावा की चपेट में आ चुका है। स्पेन के अखबार El Mundo से बात करते हुए उन्होंने कहा, 'सब खत्म हो चुका है'। यह घर उन्होंने छुट्टियां मनाने के लिए बनवाया था। वह स्थायी रूप से डेनमार्क में रहते हैं। Cocq ने कहा, 'हम इस प्यारे द्वीप पर अपना सब कुछ खो दिया। यह बहुत दुखद है। मैं और Inge पूरी तरह से टूट चुके हैं।' लावा में समाया जमीन का टुकड़ासोशल मीडिया पर शेयर किए जाने के बाद घर की तस्वीरें पूरी दुनिया में सुर्खियां बन गई थीं। लोगों ने इसे 'साहस' का प्रतीक बताया क्योंकि ज्वालामुखी से निकलते लावा ने सैकड़ों घरों और कई एकड़ की खेती को जलाकर राख कर दिया है। यह घर लावा की एक नदी के बीच मौजूद छोटे से टीले पर स्थित था। धीरे-धीरे लावा का प्रवाह बढ़ता गया और जमीन का छोटा टुकड़ा भी अंगारों की चपेट में आ गया। इलाके के अन्य घरों की तरह यह घर भी आग के दरिया में समा गया। अटलांटिक महासागर तक पहुंचा लावास्पेन के ला पाल्मा द्वीप पर हुए ज्वालामुखी विस्फोट के बाद निकल रहा लावा अटलांटिक महासागर तक पहुंच गया है। इस घटना के बाद से जहरीली गैसों के निकलने की भी आशंका है जिससे स्थानीय निवासियों को घरों के अंदर ही रहने को मजबूर होना पड़ा। ज्वालामुखी फटने के बाद 19 सितंबर को लावा निकलना शुरू हुआ था और अधिकारियों ने स्थिति सामान्य होने के लिए एक सप्ताह तक इंतजार किया लेकिन अब क्षेत्र को खाली कराया जा रहा है। इससे लगभग 656 इमारतें नष्ट हो गई है। जहरीली गैसों की चेतावनीविशेषज्ञों ने चेतावनी दी थी कि समुद्र में लावा के आने से छोटे विस्फोट होने की आशंका है और जहरीली गैसें निकलती हैं जो फेफड़ों को नुकसान पहुंचा सकती हैं। अधिकारियों ने 3.5 किलोमीटर (2.1 मील) की सुरक्षा परिधि स्थापित की और क्षेत्र के निवासियों को जहरीली गैसों के प्रभाव में आने से बचने के लिए खिड़कियों को बंद करके घरों के अंदर रहने के लिए कहा। कैनरी द्वीप के क्षेत्रीय अध्यक्ष एंजेल विक्टर टोरेस ने ‘कोप रेडियो’ से कहा कि उनकी सरकार उन लोगों को मकान देने का काम कर रही है, जिन्होंने अपने मकानों को खो दिया है। अधिकारियों की योजना वर्तमान में खाली पड़े 100 से अधिक मकानों को खरीदने की है।


from World News in Hindi, दुनिया न्यूज़, International News Headlines in Hindi, दुनिया समाचार, दुनिया खबरें, विश्व समाचार | Navbharat Times https://ift.tt/3m8ypwJ
via IFTTT

https://ift.tt/36CAGd7

काठमांडू भारत से जारी तनाव के बीच पाकिस्तान अब नेपाल को अपने पाले में करने की कोशिश में जुटा है। बुधवार देर शाम नेपाल में पाकिस्तान के उप उच्चायुक्त अदनान जावेद खान ने नेपाली आर्मी चीफ प्रभुराम शर्मा से मुलाकात की। अदनान जावेद नेपाल में पाकिस्तानी दूतावास के प्रभारी भी हैं। एक राजनयिक की किसी देश के सेना प्रमुख से सीधी मुलाकात आमतौर पर बहुत कम देखी जाती है। ऐसे में पाकिस्तान की इस चाल को भारत के लिए भी खतरा माना जा रहा है। मुलाकात पर क्या बोली नेपाली सेना? नेपाली सेना ने इस मुलाकात को लेकर बाकायदा बयान भी जारी किया है। इसमें बताया गया है कि इस बैठक के दौरान दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय और आपसी सहयोग के मुद्दों पर चर्चा हुई। नेपाल सेना का मानना है कि इस तरह की बैठक से दोनों देशों के बीच संबंधों को और मजबूत करने में मदद मिलेगी। 2018 में नेपाल के तत्कालीन आर्मी चीफ जनरल राजेंद्र छेत्री ने पाकिस्तान का दौरा भी किया था। पाकिस्तान का मकसद क्या है? ऐसा माना जा रहा है कि भारत को काउंटर करने के लिए पाकिस्तान हर कीमत पर नेपाल के साथ दोस्ती करना चाहता है। वह जानता है कि आपसी संबंधों को विकसित करने के लिए उसके पास सेना को छोड़कर कोई भी साधन नहीं है। ऐसे में पाकिस्तान ने नेपाली सेना के साथ सीधे तौर पर दोस्ती का हाथ बढ़ाया है। पाकिस्तानी सेना भारतीय सीमा के नजदीक नेपाल के साथ संयुक्त युद्धाभ्यास करने की प्लानिंग में भी है। नेपाली सरकार से क्यों नहीं मिले पाकिस्तानी राजदूत? पाकिस्तान यह जानता है कि नेपाल की सरकार किसी भी कीमत पर भारत से बैर मोल नहीं लेगी। नेपाली कांग्रेस से प्रमुख और प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा का पहले से ही भारत के साथ अच्छे संबंध हैं। वे जानते हैं कि पाकिस्तान से दोस्ती करने में नेपाल को कोई लाभ नहीं है। इससे भारत नाराज होगा और सीधा नुकसान उनके देश को होगा। भारत पर दबाव बनाने की चाल तो नही पाकिस्तानी राजदूत का नेपाली सेना प्रमुख से मिलना एक चाल भी हो सकती है। कोरोना महामारी के बाद आर्थिक संकट में घिरे नेपाल में पाकिस्तान को मौका नजर आ रहा है। वह अपने सदाबहार दोस्त चीन की मदद से भारत के सबसे नजदीक के पड़ोसी में में से एक देश के साथ दोस्ती करना चाहता है। ऐसे में पाकिस्तान, नेपाल के साथ मिलकर भारत पर चौतरफा दबाव बनाने के लिए कूटनीतिक चाल चल रहा है।


from World News in Hindi, दुनिया न्यूज़, International News Headlines in Hindi, दुनिया समाचार, दुनिया खबरें, विश्व समाचार | Navbharat Times https://ift.tt/3mdCUpI
via IFTTT

https://ift.tt/36CAGd7

क्विटोइक्वाडोर के तटीय शहर ग्वायाकिल में जेल में दो गुटों के बीच हुई हिंसक झड़प में मरने वालों का आंकड़ा बढ़ता ही जा रहा है। अब तक कम से कम 100 कैदियों की मौत और 52 अन्य घायल हो चुके हैं। अधिकारियों ने यह जानकारी दी। पुलिस कमांडर फाबियान बस्तोस ने मीडिया को बताया कि करीब पांच घंटों के बाद पुलिस और सेना ने अभियान चलाकर जेल पर फिर से नियंत्रण किया। बंदूकों और चाकू से हुआ हमलाउन्होंने कहा कि कई हथियार भी जब्त किए गए हैं। अधिकारियों ने कहा कि जेल के ‘लॉस लोबोस’ और ‘लॉस चोनेरोस’ गिरोह के बीच हुए विवाद के बाद शुरू हुई हिंसा के दौरान बंदूकों और चाकूओं का इस्तेमाल किया गया और धमाके भी किए गए। टेलीविजन पर प्रसारित तस्वीरों में कैदी जेल की खिड़कियों से गोलियां चलाते दिखाई दे रहे थे और इस दौरान धुआं उठ रहा था और गोलियां चलने व विस्फोटों की आवाज भी आ रही थी। अक्सर होता रहता है गैंगवारगुआस सरकार ने अपने ट्विटर अकाउंट पर भी कुछ तस्वीरें साझा कीं, जिसमें जेल के एक हिस्से से छह रसोइयों को निकाले जाते देखा जा सकता है। इससे पहले जुलाई में जेल में हुई हिंसा के दौरान भी 100 से ज्यादा कैदियों की मौत हो गई थी। इसके बाद राष्ट्रपति गिलेर्मो लेस्सो ने इक्वाडोर की जेल प्रणाली में आपाताकाल की घोषणा की थी। बता दें कि इक्‍वाडोर में गैंगवार अक्‍सर होता रहता है। लैटिन अमेरिका की जेलों में हिंसापिछले साल दिस‍ंबर महीने में जेलों के अंदर हुई हिंसा में 11 लोगों की मौत हो गई थी और 7 अन्‍य लोग बुरी तरह से घायल हो गए थे। इक्‍वाडोर ही नहीं अन्‍य लैटिन अमेरिकी देशों में भी अक्‍सर जेलों के अंदर हिंसा होती रहती है। इस तरह की हिंसा के वीडियो अक्सर सोशल मीडिया पर खूब शेयर किए जाते हैं।


from World News in Hindi, दुनिया न्यूज़, International News Headlines in Hindi, दुनिया समाचार, दुनिया खबरें, विश्व समाचार | Navbharat Times https://ift.tt/3ojoc3b
via IFTTT

https://ift.tt/36CAGd7

लंदन कहा जाता है कि ठंडे पानी से नहाने से कई तरह के लाभ होते हैं। इसके बावजूद कई लोगों के लिए ठंडे पानी से नहा कर दिन की शुरुआत करना कठिन हो सकता है। फिर भी वे इस आदत को अपनाने की कोशिश करते रहते हैं। ऐसा कहा जाता है कि ठंडे पानी से नहाने के संभवत कई शारीरिक एवं मानसिक लाभ होते हैं। अब इसे लेकर ब्रिटेन के हर्टफोर्डशायर यूनिवर्सिटी में रीडर इन एक्सरजाइज एंड हेल्थ साइकोलॉजी की लिंडे बॉटम्स हैटफील्ड ने रोचक जानकारी शेयर की है। यूरोप में 19वीं सदी मे हुई थी ठंडे पानी से नहाने की शुरुआत उन्होंने बताया कि स्वास्थ्य कारणों से ठंडे पानी से नहाने की शुरुआत 19वीं सदी के शुरुआत में की गई थी। तब डॉक्टरों ने गर्म और उग्र दिमागों को शांत करने, तीव्र इच्छाओं को काबू करने और डर पैदा करने के लिए जेल के कैदिया और शरणार्थियों के लिए यह तरीका इस्तेमाल करने की सिफारिश की थी। इसके अलावा सिलिकॉन वैली जैसी कई जगहों पर लोग स्वास्थ्य कारणों से ठंडे पानी से स्नान करने को प्राथमिकता देते हैं। लेकिन सबूत क्या दर्शाते हैं? नीदरलैंड के एक व्यापक अध्ययन में पाया गया कि ठंडे जल से स्नान करने वाले लोगों ने गर्म पानी से नहाने वाले लोगों की तुलना में बीमारी के कारण कम छुट्टियां कम लीं। तीन हजार से अधिक लोगों को चार समूहों में बांट दिया गया। एक समूह को हर रोज गर्म पानी से नहाने को कहा गया, दूसरे समूह को 30 सेकंड के लिए ठंडे पानी से नहाने, तीसरे समूह को 60 सेकंड के लिए ठंडे जल से स्नान करने और चौथे समूह को 90 सेकंड के लिए ठंडे पानी से नहाने को कहा गया। प्रतिभागियों ने एक महीने तक ऐसा करने को कहा गया। (हालांकि 64 प्रतिशत लोगों ने ठंडे पानी से नहाना जारी रखा, क्योंकि उन्हें यह बहुत अच्छा लगा।) ठंडे पानी से नहाने वालों ने बीमारी की छुट्टियां कम लीं अध्ययन में पाया गया कि जिस समूह ने ठंडे जल से स्नान किया था, उनके बीमारी के कारण काम से छुट्टी लेने के मामलों में 29 प्रतिशत की कमी आई। दिलचस्प बात यह है कि ठंडे पानी से नहाने के समय से कोई अंतर नहीं पड़ा। ठंडे जल से स्नान करने वाले लोगों के कम बीमार पड़ने का कारण अभी स्पष्ट नहीं है, लेकिन कुछ अनुसंधानकर्ताओं का मानना है कि इसका कारण रोग प्रतिरोधी क्षमता बढ़ना हो सकता है। चेक गणराज्य के एक अध्ययन में बताया गया कि जब ‘‘युवा एथलीटों’’ को छह सप्ताह के लिए हर सप्ताह तीन बार ठंडे पानी से नहलाया गया तो इससे उनकी प्रतिरोधी क्षमता में थोड़ा सुधार हुआ। वैसे, इस बात की पुष्टि के लिए और व्यापक अध्ययनों की आवश्यकता है। ठंडे पानी से सक्रिय रहता है तंत्रिका तंत्र ठंडा पानी अनुकंपी तंत्रिकातंत्र को भी सक्रिय करता है। यह तंत्रिका तंत्र ‘लड़ो या भागो’ की प्रतिक्रिया (खतरनाक, तनावपूर्ण या भयावह मानी जाने वाली किसी घटना को लेकर एक स्वत: शारीरिक प्रतिक्रिया) को नियंत्रित करता है। जब ठंडे पानी से स्नान जैसी गतिविधियों से यह तंत्रिका तंत्र सक्रिय होता है, तो नॉरएड्रेनालाइन हार्मोन में वृद्धि होती है। जब लोग ठंडे पानी से नहाते हैं, तो हृदय गति और रक्तचाप में वृद्धि का सबसे बड़ा कारण यही हार्मोन होता है, जिससे स्वास्थ्य में सुधार होता है। खून के प्रवाह में भी होता है सुधार ठंडे पानी से नहाने से रक्त प्रवाह में सुधार के संकेत भी मिलते हैं। ठंडे पानी के संपर्क में आने पर त्वचा में रक्त का प्रवाह कम हो जाता है। जब ठंडा पानी शरीर पर पड़ना बंद हो जाता है, तो शरीर को खुद को गर्म करना पड़ता है, इसलिए त्वचा की सतह पर रक्त के प्रवाह में वृद्धि होती है। कुछ वैज्ञानिक मानते हैं कि इससे रक्त प्रवाह में संभवत: सुधार होता है। व्यायाम के बाद ठंडे पानी से स्नान करने संबंधी अध्ययन में पाया गया है कि चार सप्ताह के बाद मांसपेशियों में रक्त प्रवाह में सुधार हुआ। वजन कम करने में भी मिलती है मदद कुछ सबूत यह भी दर्शाते है कि ठंडे पानी से नहाने से वजन कम करने में भी मदद मिलती है। एक अध्ययन में पाया गया कि 14 डिग्री सेल्सियस तापमान वाले ठंडे पानी से नहाने से चयापचय में 350 प्रतिशत की वृद्धि होती है। शारीरिक लाभों के अलावा ठंडे पानी से नहाने से मानसिक स्वास्थ्य को भी लाभ हो सकता है। एक विचारधारा है कि ठंडे पानी से नहाने से ‘लड़ो या भागो’ प्रतिक्रिया की उत्तेजना के कारण मानसिक सतर्कता बढ़ जाती है। वृद्ध वयस्कों के मस्तिष्क के कार्य में सुधार के लिए चेहरे और गर्दन पर ठंडे पानी का इस्तेमाल मददगार होता है। ठंडे पानी से नहाना अवसाद से निपटने में भी सहायक हो सकता है। ठंडे पानी से नहाना स्वास्थ्य के लिए लाभदायक इस बात को साबित करने के काफी साक्ष्य है कि ठंडे पानी में डुबकी लगाना या ठंडे पानी से नहाना आपके स्वास्थ्य के लिए लाभकारी है - भले ही इसके कारण अभी अस्पष्ट हैं, लेकिन ठंडे जल से स्नान आरंभ करने से पहले आपको पता होना चाहिए कि इसके कुछ जोखिम भी हैं। अचानक पड़ने वाला ठंडा पानी शरीर को झटका देता है और यह हृदय रोग से पीड़ित लोगों के लिए खतरनाक हो सकता है तथा इससे दिल का दौरा भी पड़ सकता है या हृदयगति में अनियमितता पैदा हो सकती है।


from World News in Hindi, दुनिया न्यूज़, International News Headlines in Hindi, दुनिया समाचार, दुनिया खबरें, विश्व समाचार | Navbharat Times https://ift.tt/3F1Plh4
via IFTTT

https://ift.tt/36CAGd7

इस्लामाबाद कश्मीर पर नापाक नजर गड़ाए बैठा पाकिस्तान श्रीनगर से 155 किलोमीटर की दूरी पर स्कर्दू एयरबेस को अपग्रेड कर रहा है। हाल में ली गई सैटेलाइट तस्वीर से खुलासा हुआ है कि पाकिस्तानी एयरफोर्स ने स्कर्दू एयरबेस पर दूसरे रनवे का काम लगभग पूरा कर लिया है। पाकिस्तान ने इस एयरबेस पर जेएफ-17 लड़ाकू विमानों की स्क्वाड्रन को तैनात किया हुआ है। दूसरे रनवे का काम लगभग पूरा ओपन सोर्स इंटेलिजेंस एनॉलिस्ट Detresfa की सैटेलाइट तस्वीर में बताया गया है कि स्कर्दू एयरबेस पर दूसरे रनवे का काफी काम हो चुका है। मई 2020 में Detresfa ने ही इस एयरबेस के अपग्रेडेशन को लेकर पहली बार जानकारी दी थी। स्कर्दू एयरबेस के संचालन में चीन का भी साथ लेती है। इस एयरबेस पर चीन के कई एयरक्राफ्ट भी देखे जा चुके हैं। रणनीतिक रूप से अहम है स्कर्दू एयरपोर्ट रणनीतिक रूप से पीओके के स्कर्दू में स्थित पाकिस्तानी वायुसेना के इस एयरपोर्ट का बड़ा महत्व है। यहां से श्रीनगर और लेह की दूरी मात्र 200 किलोमीटर है। यहां से उड़ान भरने के बाद पाकिस्तानी लड़ाकू विमान मुश्किल से 5 मिनट में भारतीय वायुसीमा में प्रवेश कर सकते हैं। हालांकि सीमा पर तैनात भारतीय एयर डिफेंस को वे भेद नहीं सकते। फ्यूल स्टेशन और हथियार डिपो भी बनाया स्कर्दू के इस नए एयरपोर्ट पर अंडरग्राउंड फ्यूल स्टेशन और हथियार डिपो का भी निर्माण किया गया है। पाकिस्तान यहां से चीन-पाक इकोनॉमिक कॉरिडोर की भी निगरानी करना चाहता है। बता दें कि स्कर्दू में पाकिस्तान का सिविल एयरपोर्ट पहले से ही मौजूद है। चीनी विमानों के तैनाती की आशंका यह भी आशंका जताई जा रही है कि सीपीईसी की सुरक्षा के लिए पीओके में स्थित इस एयरबेस का इस्तेमाल चीनी वायुसेना भी कर सकती है। इससे भारत की सुरक्षा संबंधी चिंता भी बढ़ेगी। पहले भी कई चीनी एयरक्राफ्ट और यूएवी इस एयरपोर्ट पर देखे जा चुके हैं। मिन्हास एयरफोर्स बेस पर तैनात किया अवाक्स पाकिस्तान ने मिन्हास एयरफोर्स बेस पर स्वीडन के साब एयरोस्पेस से हाल में ही खरीदे गए अवाक्स (एयरबोर्न वॉर्निंग ऐंड कंट्रोल सिस्टम्स) के नए बेड़े की तैनाती की है। यह एयरबेस भारत के श्रीनगर से 222 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। ऐसे में पाकिस्तान की चाल कश्मीर और लद्दाख में भारत के ऑपरेशनल उड़ानों पर नजर रखने की हो सकती है। क्या होता है अवाक्स सिस्टम अवाक्‍स या एयरबॉर्न अर्ली वॉर्निंग ऐंड कंट्रोल सिस्‍टम एयरक्राफ्ट आधुनिक युद्धशैली का बहुत अहम हिस्‍सा हैं। जब तक ग्राउंड बेस्‍ड रेडार हमलावर फाइटर प्‍लेन, क्रूज मिजाइल, और ड्रोन को खोज पाएं ये उनसे पहले ही उन्‍हें ढूंढ़ लेते हैं। इसके अलावा ये दुश्‍मन और दोस्‍त फाइटर प्‍लेन्‍स के बीच आसानी से अंतर कर पाते हैं। इनकी मदद से दुश्‍मन की हर हरकत पर नजर रखी जा सकती है।


from World News in Hindi, दुनिया न्यूज़, International News Headlines in Hindi, दुनिया समाचार, दुनिया खबरें, विश्व समाचार | Navbharat Times https://ift.tt/3zUQL9j
via IFTTT

https://ift.tt/36CAGd7

तेल अवीव इजरायल के मशहूर कुमरान गुफाओं में मिली हस्तलिखित पांडुलिपियों का रहस्य सुलझाने का दावा किया गया है। हजारों साल पुरानी इन हस्तलिखित पांडुलिपियों की खोज 1947 में बकरी ढूंढने निकले एक गडरिए ने की थी। इस प्राचीन यहूदी और हिब्रू धार्मिक पांडुलिपियों को मानव आबादी से दूर कुमरान के प्राकृतिक गुफाओं में रखा गया था। इन पांडुलिपियों को के नाम से भी जाना जाता है। वैज्ञानिक आजतक यह पता नहीं कर सके थे कि आखिर ये इस वीरान और सुनसान जगह कैसे पहुंची। हस्तलिखित पांडुलिपियों का रहस्य सुलझा अब एक दस्तावेज के हवाले से दावा किया गया है कि प्राचीन पांडुलिपियों को मृत सागर के पास रखने की पहली को सुलझा लिया गया है। इस दस्तावेज में यह भी बताया गया है कि क्यों यहूदी और हिब्रू पांडुलिपियों को मानव आबादी से इतनी दूर सुनसान जगह पर रखा गया था। यह दस्तावेज भी एक हजार साल पुराना बताया जा रहा है, जिसे मिस्र की राजधानी काहिरा में रखा गया है। जर्नल में प्रकाशित हुई कुमरान गुफाओं पर की गई स्टडी रिलीजन्स नाम के जर्नल में प्रकाशित एक लेख में बताया गया है कि इस साल की शुरुआत में इजरायली नेगेव के बेन-गुरियन विश्वविद्यालय के एक पुरातत्वविद् डैनियल वैनस्टब ने इस रहस्य को सुलझाया है। उन्होंने बताया कि कुमरान वह स्थान हो सकता है, जहां रहस्यमय यहूदी एसेन्स के एक बड़े सालाना समारोह की मेजबानी की गई थी। कुमरान में होती थीं सालाना धार्मिक सभा इस रहस्यमय समारोह में यहूदी धर्म के लोग इजरायल के शहरों और ग्रामीण क्षेत्रों से बड़ी संख्या में शामिल होते थे। इस समारोह को कन्वेंट या रिनिवल के नाम से भी जाना जाता था। इस स्टडी में यह बताया गया है कि कुमरान का निर्माण भी इसी समारोह का आयोजन करने के लिए किया गया था। मृत सागर स्क्राल के कुछ हिस्सों में इसी तरह के समारोह का उल्लेख किया गया है। यहूदी कैलेंडर के तीसरे महीने में होता था आयोजन लाइव साइंस को दिए हाल के इंटरव्यू में वैनस्टब ने कहा कि यह सभा यहूदी कैलेंडर के तीसरे महीने में आयोजित की गई थी। इसे सिवन कहा जाता था, जो वर्तमान के मई या जून महीने में पड़ती थी। यह समारोह बहुत ही सुव्यवस्थित और बड़े स्तर पर आयोजित किया जाता था। इस समारोह को लेकर विस्तृत और स्पष्ट नियम भी बनाए गए थे। वैंस्टब ने अपने अध्ययन में यह भी बताया है कि कुमरान इस सालाना समारोह का स्थान था जो दमिश्क दस्तावेज या दमिश्क वाचा में लिखे गए धार्मिक समुदाय के नियमों के एक संस्करण पर आधारित था।


from World News in Hindi, दुनिया न्यूज़, International News Headlines in Hindi, दुनिया समाचार, दुनिया खबरें, विश्व समाचार | Navbharat Times https://ift.tt/3CXEi6Q
via IFTTT

https://ift.tt/36CAGd7

दुबई शरीर की चकाचक सफाई के लिए हम साबुन का इस्तेमाल करते हैं। आम तौर पर मीडियम रेंज की साबुन 30 से 40 रुपये में आसानी से बाजार में मिल जाती है। लेकिन, आज हम आपको दुनिया के सबसे महंगे साबुन के बारे में बताने जा रहे हैं। जी हां, हीरे और सोने से बने इस साबुन की कीमत करीब 2 लाख रुपये है। इसे उत्तरी लेबनान के शहर त्रिपोली में बनाया जाता है। 2 लाख रुपये है इस साबुन की कीमत त्रिपोली का नाम सुनकर आफ कंफ्यूज मत होइएगा। यह लीबिया की राजधानी ही नहीं बल्कि लेबनान में एक शहर का भी नाम है। इसी त्रिपोली में रहने वाले एक परिवार का दावा है कि उसकी फैक्ट्री में दुनिया के सबसे महंगे साबुन बार को बनाया जाता है। 2,800 डॉलर (लगभग 2,07,800 रुपये) है। यह परिवार 15वीं शताब्दी से साबुन बनाने का दावा करता है। को हाथों से बनाया जाता है दुनिया के सबसे महंगे साबुन का नाम खान अल सबौन साबुन है। इसे बनाने वाली कंपनी बदर हसन एंड संस का कहना है कि वे अलग-अलग तरह के कई लग्जरी साबुन और स्कीनकेयर प्रॉडक्ट को भी बनाते हैं। उन्होंने कहा कि वे अपने प्रॉडक्ट में प्राकृतिक तेल और फ्रेगरेंस का इस्तेमाल करते हैं। यूएई के चुनिंदा दुकानों में बिकती है यह साबुन हाथों से बनाए गए ये लग्जरी साबुन यूएई के कुछ चुनिंदा दुकानों में ही बेचें जाते हैं। कंपनी ने यह भी कहा कि उनके सबसे महंगे प्रॉडक्ट को केवल कुछ बहुत महत्वपूर्ण लोगों और अन्य स्पेशल गेस्ट को ही पेश किया जाता है। रिपोर्ट्स के अनुसार, सबसे पहले 2013 में बनाया गया था। तब इसे कतर की फर्स्ट लेडी को गिफ्ट किया गया था। इस साबुन में सोने और हीरा का पाउडर डाला जाता है। पहले चीज की तरह दिखता था बाद में डिजाइन बदली गई दुनिया का यह सबसे महंगा साबुन शुरुआत में चीज (cheese) के एक टुकड़े की तरह दिखता था। बाद में इसकी डिजाइन में काफी फेरबदल किया गया। एक वायरल वीडियो में बदर हसन एंड संस के सीईओ आमिर हसन बहरीन की हीरोइन और इंस्टाग्राम सुपरस्टार शैला सब्त के साथ दुनिया के सबसे महंगे साबुन को लॉन्च करते दिखाई देते हैं। इस साबुन पर 24 कैरेट सोने के वर्क से कवर किया गया था।


from World News in Hindi, दुनिया न्यूज़, International News Headlines in Hindi, दुनिया समाचार, दुनिया खबरें, विश्व समाचार | Navbharat Times https://ift.tt/2Zw7rr5
via IFTTT

https://ift.tt/36CAGd7

लंदन ब्रिटेन में एक युवक ने अपनी गर्लफ्रेंड के साथ क्रूरता की हदें पार कर दी। उसने पहले तो अपनी गर्लफ्रेंड को पीट-पीटकर मार डाला। बाद में उसके शव के टुकड़े-टुकड़े कर उसे कूड़ेदान में फेंक दिया। इतना ही नहीं, हत्यारे ने बाकायदा अपने चचेरे भाई को फेसबुक पर मैसेज भेजकर अपनी की जानकारी दी थी। बाद में पुलिस ने आरोपी को घटनास्थल से गिरफ्तार कर लिया। अब कोर्ट ने हत्यारे युवक को कम से कम 28 साल की सजा सुनाई है। 2018 में कोर्ट ने सुनाई थी 28 साल की सजा डेली मेल की रिपोर्ट के अनुसार, प्रेमिका की पहचान 32 साल की किर्बी सिमोन नोडन के रूप में हुई है। किर्बी की हत्या उसके बॉयफ्रेंड डीन लोव ने पश्चिम कॉर्नवाल के मैराजियन में स्थित अपने घर में कर दी थी। लोव को मई 2018 में ट्रू क्राउन कोर्ट में लंबी सुनवाई के बाद 28 साल के कारावास की सजा सुनाई गई थी। एक जांच में अब पता चला है कि लोव ने कैसे अपनी गर्लफ्रेंड किर्बी सिमोन नोडन की हत्या 11 से 14 जनवरी 2017 के बीच मराजियन के वन बेडरूम के फ्लैट में की गई थी। सोमवार को सुनवाई में जांच अधिकारी ने बताई पूरी घटना सोमवार को हुई सुनवाई में इस केस की तहकीकात कर रहे डिटेक्टिव सार्जेंट क्रिस्टोफर रूनी ने कोर्ट को इस घटना का सिलसिलेवार ब्योरा दिया। उन्होंने कहा कि किर्बी और लोव पहले से एक दूसरे को जानते थे। वे मराजियन जाने से पहले कुछ समय टोरक्वे में भी रहे थे। पुलिस अधिकारी ने बताया कि किर्बी मूल रूप से चेशायर की रहने वाली थी। लेकिन, अपने बॉयफ्रेंड से मिले अल्टीमेटम के कारण उसके संबंध अपने परिवारवालों से टूट गए थे। इस जोड़े के बच्चे भी, पर नशे के कारण किया गया था अलग पुलिस अधिकारी ने यह भी कहा कि उन्हें जांच में पता चला है कि इस जोड़े के बच्चे भी हैं। लेकिन, इन दोनों के नशीली दवाओं के इंजेक्शन लेने के कारण बच्चों को दूर कर दिया गया था। पुलिस ने बताया कि किर्बी और लोव दोनों एक साथ ही नशा किया करते थे। ये दोनों बाद में टोरक्वे से मराजियन में तहखाने में बने एक वन बीएचके के फ्लैट में आकर रहने लगे। फेसबुक पर मैसेज भेज बताई थी हत्या की बात घटना के दिन हत्यारे डीन लोव ने फेसबुक पर अपने चचेरे भाई टोनी-ऐनी बार्लो को मैसेज भेजकर इसकी जानकारी दी थी। उनके कहा था कि मैंने अपनी गर्लफ्रेंड को मारकर डस्टबीन में डाल दिया है। उसने खून से भरे जगह की तस्वीर भी भेजी थी। जिसके बाद उसके चचेरे भाई ने इसकी सूचना मर्सीसाइड पुलिस को दी। पुलिस ने स्थानीय टीम को घटनास्थल पर भेजा तो उन्हें हत्यारा डीन लोव और प्रेमिका की कटी हुई लाश बरामद हुई।


from World News in Hindi, दुनिया न्यूज़, International News Headlines in Hindi, दुनिया समाचार, दुनिया खबरें, विश्व समाचार | Navbharat Times https://ift.tt/3kP8vhT
via IFTTT

https://ift.tt/36CAGd7

वॉशिंगटन अमेरिकी सेना के दो शीर्ष जनरलों ने पाकिस्तान के परमाणु हथियारों की सुरक्षा को लेकर चिंता जताई है। दोनों अधिकारियों ने सीनेट आर्म्ड सर्विस कमेटी के सामने अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन को लेकर भी बड़ा दावा किया है। उन्होंने कहा कि हमने राष्ट्रपति बाइडन को चेतावनी दी थी कि अफगानिस्तान से जल्दबाजी में वापसी से पाकिस्तान के परमाणु हथियारों और सुरक्षा को खतरा हो सकता है। इससे पहले पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के कार्यकाल में अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार रहे जॉन बोल्टन ने भी पाकिस्तानी परमाणु हथियारों के तालिबान के हाथ में पड़ने को लेकर चेतावनी दी थी। 'तालिबान को पाकिस्तान में शरण मामले की हो जांच' ज्वाइंट चीफ ऑफ स्टाफ के चेयरमैन जनरल मार्क मिले ने मंगलवार को सीनेट की आर्म्ड सर्विस कमेटी को बताया कि हमने अनुमान लगाया था कि जल्दीबाजी में वापसी से क्षेत्रीय अस्थिरता, पाकिस्तान की सुरक्षा और उसके परमाणु शस्त्रागार के जोखिम बढ़ जाएंगे। जनरल ने साफ कहा कि तालिबान ने 20 साल तक अमेरिकी सैन्य दबाव को कैसे झेला यह अब भी बड़ा सवाल बना हुआ है। हमें पाकिस्तानी पनाहगाह की भूमिका की गहराई से जांच करने की जरूरत है। तालिबान के साथ पाकिस्तान के संबंध खराब हो रहे जनरल मिले यूएस सेंट्रल कमांड (सेंटकॉम) के शीर्ष जनरल फ्रैंक मैकेंजी ने भी चेतावनी दी थी कि तालिबान अब तक पाकिस्तान से जैसे डील करता था वह अब बदल गए हैं। अफगानिस्तान में सरकार बनाने के बाद दोनों देशों के संबंध लगातार जटिल होते जा रहे हैं। सेंटकॉम चीफ जनरल मैकेंजी ने यह भी साफ किया कि अमेरिका और पाकिस्तान, अफगानिस्तान तक पहुंचने के लिए एक एयरस्पेस के लिए बातचीत कर रहे थे। पाकिस्तान के साथ काम कर रही अमेरिकी सेना उन्होंने कहा कि हमने पिछले 20 साल में अफगानिस्तान से पश्चिमी पाकिस्तान में जाने के लिए रास्ता बनाया है। उस क्षेत्र में कुछ कम्यूनिकेशन के लिए कुछ लैंडलाइंस भी मौजूद हैं। हम अगले कुछ दिन या हफ्ते पाकिस्तानियों के साथ काम करेंगे। हम यह देखना चाहते हैं कि पाकिस्तान के साथ काम करने के परिणाम क्या निकलते हैं। हालांकि दोनों जनरलों ने पाकिस्तान के परमाणु हथियारों के बारे में अपनी चिंताओं और आतंकवादियों के हाथों में पड़ने की संभावना पर अधिक चर्चा करने से इनकार कर दिया। रक्षा मंत्री बोले- हम अफगान राष्ट्र के निर्माण में फेल हुए इन अधिकारियों ने कहा कि वे सीनेटरों के साथ एक क्लोज्ड सेशन में इस मुद्दे और पाकिस्तान पर चर्चा करने को तैयार हैं। इससे पहले सुनवाई में, अमेरिकी रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन ने सीनेटरों से कहा कि अमेरिका ने एक राज्य बनाने में मदद की, लेकिन वे अफगान राष्ट्र का निर्माण करने में विफल रहे। अफगानिस्तान से अमेरिका की वापसी के बाद सबसे लंबे समय से जारी अफगान युद्ध के खत्म होने के बाद शीर्ष सैन्य अधिकारियों की यह पहली पेशी थी।


from World News in Hindi, दुनिया न्यूज़, International News Headlines in Hindi, दुनिया समाचार, दुनिया खबरें, विश्व समाचार | Navbharat Times https://ift.tt/2Y0aIhv
via IFTTT

https://ift.tt/36CAGd7

रियाद सऊदी अरब के नेतृत्‍व में गठबंधन सेना ने यमन की राजधानी सना में हूती विद्रोहियों के एक शिविर को हवाई हमला करके तबाह कर दिया है। सऊदी...