Tuesday 30 November 2021

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केपटाउन दक्षिण अफ्रीका में पशुओं के लिए आरक्षित क्षेत्र में ट्रेनिंग लेने गए छात्रों के एक दल को 13 फुट लंबे हाथी के खौफनाक हमले का सामना करना पड़ा। हथिनी के लिए मतवाले 6 टन वजनी हाथी ने पर्यटकों की जीप को पलट दिया। इससे उसमें मौजूद छात्र और अन्‍य लोग दहशत में आ गए और वे चीखने लगे। जान बचाने के लिए छात्रों को अपनी जीप छोड़कर भागना पड़ा। बताया जा रहा है कि यह घटना रविवार को देश के क्रूगर नैशनल पार्क में घटी। डेली मेल की रिपोर्ट के मुताबिक ट्रेनी गाइड को सेलाती गेम रिजर्व से ले जाया जा रहा था। इसी दौरान हथिनी के साथ सेक्‍स के लिए मतवाले हुए हाथी से उनका आमना-सामना हो गया। इस घटना के वीडियो में नजर आ रहा है कि ये छात्र एक खुली छत वाली जीप में थे और संकरी सड़क से गुजर रहे थे। इन लोगों को देखकर हाथी ने चिंघाड़ना शुरू कर दिया और गाड़ी को अपनी सूंड से ढकेलना शुरू कर दिया। इसके बाद हाथी ने जीप को पलट दिया। इसके बाद उस पर सवार 3 छात्राओं को अपनी जान बचाकर भागना पड़ा। इस घटना से छात्राएं बहुत घबरा गईं। उन्‍हें एक सुरक्षित स्‍थान पर ले जाया गया और उन्‍हें इस खौफनाक घटना से उबरने के लिए काउंसलिंग की गई। इस हादसे में कोई घायल नहीं हुआ। सफारी के अधिकारियों ने जीप को वहीं छोड़ दिया और जब हाथी चला गया तब वे उसे वहां से निकालने गए। बताया जा रहा है कि यह हाथी अपनी झुंड में यौन संबंध बनाने वाला नर है और जब जीप झुंड के पास पहुंच गई तो वह भड़क उठा। विशेषज्ञों के मुताबिक जब हाथी यौन संबंध बनाने के लिए तैयार हो जाते हैं तब वे यौन आक्रामकता के स्‍तर पर पहुंच जाते हैं जिसमें उनके हार्मोन का स्‍तर शरीर में 60 गुना तक बढ़ जाता है। इसी वजह से हाथी बहुत आक्रामक हो जाते हैं और कई बार भीषण हिंसा भी करने लगते हैं।


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इस्‍लामाबाद पाकिस्‍तान के करतारपुर में गुरुद्वारा दरबार साहिब में बिना सिर ढंके ही फोटो खिंचवाने वाली पाकिस्‍तानी मॉडल सौलेहा इम्तियाज ने माफी मांग ली है। सौलेहा ने कहा कि वह किसी की धार्मिक भावनाओं को ठेस नहीं पहुंचाना चाह रही थीं लेकिन अगर इसने किसी को आहत किया है तो मैं उससे माफी मांगती हूं। मैं सिख संस्‍कृति और धर्म का बहुत सम्‍मान करती हूं और पूरे सिख समुदाय से माफी मांगती हूं। सौलेहा ने भले ही माफी मांग लिया हो लेकिन इससे भारत और पाकिस्‍तान दोनों ही देशों में तनाव काफी बढ़ गया। आइए जानते हैं कौन हैं पाकिस्‍तानी मॉडल सौलेहा इम्तियाज.... सौलेहा पाकिस्‍तान में मॉडल, ब्‍लॉगर और सोशल मीडिया इंफ्लुएंसर हैं। वह इंस्‍टाग्राम पर काफी सक्रिय रहती हैं और विभिन्‍न ब्रांडों के लिए मॉडलिंग करती हैं। इंस्‍टाग्राम पर उनके 29 हजार से ज्‍यादा फॉलोवर हैं। गुरुद्वारे में बिना सिर ढंके ही तस्‍वीरें खिंचवाने पर सौलेहा ने कहा कि ये तस्‍वीरें केवल यादगार के तौर पर थीं क्‍योंकि मैं वहां गई थी। इससे ज्‍यादा कुछ नहीं। हालांकि मैं भविष्‍य में चीजों को लेकर और ज्‍यादा स्‍पष्‍ट रहूंगी और इस तरह की चीजों से बचूंगी। धार्मिक भावनाओं को आहत करने के लिए आलोचना इससे पहले पाकिस्तान पुलिस ने सोमवार को करतारपुर में गुरुद्वारा दरबार साहिब में कपड़ों के एक ब्रांड के लिए पाकिस्तानी मॉडल सौलेहा के बिना सिर ढंके फोटोशूट कराने की जांच शुरू कर दी थी। पुलिस ने यह जांच तब शुरू की जब एक भारतीय सिख पत्रकार ने तस्वीरों की समुदाय की धार्मिक भावनाओं को आहत करने के लिए आलोचना की। भारतीय सिख स्वतंत्र पत्रकार रविंदर सिंह ने ट्वीट करके उल्लेख किया कि तस्वीरें सोशल मीडिया पर अपलोड की गई हैं और उन्होंने समुदाय के प्रति अनादर को रेखांकित किया। सिंह ने अपने पोस्ट में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान को भी टैग किया था। उन्होंने ट्वीट किया, 'पाकिस्तान में करतारपुर साहिब में गुरुद्वारा श्री दरबार साहिब के परिसर में महिलाओं के कपड़ों के लिए बिना सिर ढंके मॉडलिंग करके लाहौर की एक महिला ने सिखों की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाई है।' गुरुद्वारे में अपना सिर ढकना अनिवार्य है और इसे इस पवित्र स्थान के प्रति सम्मान दिखाने का एक तरीका माना जाता है। पंजाब के मुख्यमंत्री के लिए डिजिटल मीडिया देखने वाले अजहर मशवानी ने सिंह के ट्वीट पर प्रतिक्रिया जताते हुए कहा कि मामला 'कानूनी कार्रवाई के लिए संबंधित अधिकारियों को भेज दिया गया है।' मॉडल के खिलाफ जांच जारी इसके कुछ ही समय बाद पाकिस्‍तान के पंजाब पुलिस ने ट्वीट किया कि वे इस घटना से जुड़े सभी पहलुओं की जांच कर रहे हैं और जिम्मेदार व्यक्तियों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी। इसने ट्वीट किया, 'संबंधित ब्रांड के प्रबंधन और मॉडल के खिलाफ जांच की जा रही है। सभी धर्मों के उपासना स्थल समान रूप से सम्मानित हैं।' समाचारपत्र 'डॉन' की एक खबर के मुताबिक, मॉडल की तस्वीरें ‘मन्नत क्लोदिंग’ नाम के एक परिधान ब्रांड के इंस्टाग्राम पेज पर साझा की गईं, लेकिन आलोचना के बाद इसे हटा दिया गया। पाक मंत्री बोले- सिख समुदाय से मांगे माफी खबर में मशवानी के हवाले से कहा गया है कि पुलिस फोटो खींचने में ब्रांड और मॉडल की भूमिका की पहले जांच करेगी और बाद में मामला दर्ज करेगी। उन्होंने कहा, 'पुलिस इस बात की जांच कर रही है कि मॉडल ने खुद फोटोशूट कराया या फिर ब्रांड ने यह कराया।' सूचना मंत्री फवाद चौधरी ने ट्वीट किया, 'डिजाइनर और मॉडल को तस्वीरों के लिए सिख समुदाय से माफी मांगनी चाहिए।' उन्होंने ट्वीट किया, 'करतारपुर साहिब एक धार्मिक प्रतीक है..।' कंपनी ने इंस्टाग्राम पर मांगी माफी पूरे विवाद पर प्रतिक्रिया जताते हुए 'मन्नत क्लोदिंग' ब्रांड ने इंस्टाग्राम पर एक पोस्ट में माफी मांगी और इस बात से इनकार किया कि उनके अकाउंट पर पोस्ट की गई तस्वीरें उनके द्वारा किए गए किसी भी फोटोशूट का हिस्सा थीं। पोस्ट में कहा गया, 'ये तस्वीरें हमें एक थर्ड पार्टी (ब्लॉगर) ने मुहैया कराई थीं, जिसमें हमारा परिधान पहना गया था।' उसने कहा, 'हालांकि, हम अपनी गलती स्वीकार करते हैं कि हमें इस सामग्री को पोस्ट नहीं करना चाहिए था और हम हर उस व्यक्ति से माफी मांगते हैं जो इससे आहत हुआ है।' भारत में भी शुरू हुआ विरोध भारत में भी इसे लेकर विरोध देखने को मिला। दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमिटी के अध्यक्ष मंजिंदर सिंह सिरसा ने विदेश मंत्री एस जयशंकर को पत्र लिखकर फोटोशूट पर कड़ी आपत्ति जताई थी। उन्होंने लिखा था कि लोग असभ्य कपड़े पहनकर गुरुद्वारा जाते हैं, टिकटॉक वीडियो बनाते हैं और गुरुद्वारा परिसर को एक पिकनिक स्पॉट के रूप में इस्तेमाल करते हैं। उन्होंने ऐसे लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की थी।


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वॉशिंगटन दक्षिण चीन सागर और जापान तट के पास चीन की बढ़ती दादागिरी पर लगाम लगाने के लिए अमेरिका प्रशांत महासागर में स्थित अपने गुआम और ऑस्‍ट्रेलिया में स्थित सैन्‍य अड्डों को आधुनिक बनाने में जुट गई है। अमेरिका के रक्षा मंत्रालय ने अपनी व्‍यापक समीक्षा के बाद फैसला किया है कि चीन और रूस के खतरे से निपटने के लिए बनाए गए बनाए गए सैन्‍य ठिकानों पर सैनिकों की तैनाती को बढ़ाया जाएगा। अमेरिका ईरान पर लगाम लगाने के लिए पश्चिम एशिया में अपने सैनिकों की तैनाती को बरकरार रखेगा। बाइडन प्रशासन ने अपने कार्यकाल के शुरुआत में 'वैश्विक हालत समीक्षा' शुरू कराया था। इस रिपोर्ट को अभी गोपनीय रखा गया है ताकि उसके दोस्‍तों के सीक्रेट प्‍लान का खुलासा न हो सके। हालांकि इसमें पुष्टि की गई है कि अमेरिकी सेना के लिए हिंद प्रशांत क्षेत्र प्राथमिकता वाला क्षेत्र बना रहेगा। इस समीक्षा में कहा गया है कि सहयोगियों और पार्टनर के साथ सहयोग को बढ़ाया जाएगा। इससे क्षेत्र में स्थिरता आएगी और चीन तथा उत्‍तर कोरिया के किसी आक्रामक सैन्‍य अभियान पर रोक लगेगी। ऑस्‍ट्रेलिया में नए फाइटर और बॉम्‍बर की तैनाती पेंटागन की शीर्ष अधिकारी मारा कार्लिन ने कहा कि यूरोप में रूस की आक्रामक कार्रवाई पर लगाम लगाने के लिए विश्‍वसनीय ताकत को बढ़ाया जाएगा ताकि नाटो के सैनिक प्रभावी तरीके से काम कर सकें। मारा ने कहा कि चीन के खतरे से निपटने के लिए गुआम और ऑस्‍ट्रेलिया में सैन्‍य तैनाती को बढ़ाया जाएगा। उन्‍होंने कहा, 'ऑस्‍ट्रेलिया में आप देखेंगे कि नए फाइटर और बॉम्‍बर की तैनाती की जाएगी। आप देखेंगे कि पैदल सेना की ट्रेनिंग बढ़ेगी और सामरिक किलेबंदी में सहयोग बढ़ाया जाएगा।' मारा ने कहा कि गुआम में भी एयरपोर्ट, ईंधन और हथियारों के स्‍टोरेज को बढ़ाया जाएगा। गुआम और ऑस्‍ट्रेलिया में अमेरिका की सैन्‍य किलेबंदी भारत के लिए अच्‍छी खबर है। चीन के आक्रामक रुख से भारत, ताइवान, जापान और दक्षिण पूर्वी एशिया के देश परेशान हैं। चीन लद्दाख से लेकर अरुणाचल प्रदेश की सीमा पर बड़े पैमाने पर हथियारों की तैनाती कर रहा है। चीन के हजारों सैनिक एलएसी पर तैनात हैं। अमेरिका के इस तैनाती से चीन को दोनों ही मोर्चों पर जूझना पड़ेगा।


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मेलबर्न ऑस्‍ट्रेलिया में लोकतंत्र का मंदिर कही जाने वाली संसद महिला कर्मचारियों के साथ यौन उत्‍पीड़न का अड्डा बन गई है। ऑस्‍ट्रेलियाई मानवाधिकार आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक करीब 63 महिला सांसद संसद के अंदर यौन उत्‍पीड़न का शिकार हुई हैं। इनमें ज्‍यादातर महिलाएं हैं। इस रिपोर्ट में 33 अलग-अलग संगठनों के 1723 लोगों ने बताया कि संसद के 33 फीसदी कर्मचारी कम से कम एक बार यौन उत्‍पीड़न का शिकार हुए हैं। वहीं 51 फीसदी प्रताड़ना या रेप की कोशिश के शिकार हुए हैं। सरकार की एक पूर्व सलाहकार के संसद के अंदर रेप का आरोप लगाए जाने के बाद स्‍कॉट मॉरिशन सरकार ने मानवाधिकार आयोग से इसकी जांच कराई थी। इस जांच रिपोर्ट में यह चौका देने वाला खुलासा हुआ है। पूछताछ के दौरान एक पुरुष सांसद ने कहा कि किसी महिला को किस करना, उसे उठाना, उसे छूना, कॉमेंट करना गलत नहीं है। रिपोर्ट में कहा गया है कि इस तरह की घटनाओं का उस महिला और उसकी टीम पर बहुत बुरा असर पड़ता है। इससे संसद का काम प्रभावित होता है। संसद के अंदर शराब के नशे में रहते हैं सांसद प्रधानमंत्री स्‍कॉट मॉरिशन ने इस जांच रिपोर्ट को भयावह करार दिया है। इससे पहले मॉरिशन पर आरोप लगा था कि वह महिला सांसदों के साथ होने वाले यौन उत्‍पीड़न पर चुप्‍पी साधे हुए हैं। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि पुरुष कॉरिडोर में घूमते रहते हैं और महिलाओं को ऊपर नीचे जाते हुए घूरते रहते हैं। वहीं महिलाओं पुरुषों से बचाव के लिए कई तरह के उपाय करना पड़ता है। संसद के अंदर शराब के नशे में सांसद रहते हैं और कई बार अपनी सीमाओं को लांघ जाते हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, ऑस्ट्रेलिया की संसद और संघीय नेताओं के कार्यालयों में काम करने वाले एक-तिहाई लोगों ने यौन उत्पीड़न का सामना किया, लेकिन उनमें से सिर्फ 11 प्रतिशत ने इस बारे में शिकायत दर्ज कराई। इसमें कहा गया है कि रिपोर्ट में एक स्वतंत्र आयोग गठित करने सहित 28 सिफारिशें की गई हैं। मीडिया संस्थान ने कहा कि समीक्षा लैंगिक भेदभाव आयुक्त केट जेनकिंस द्वारा की गई। रिपोर्ट में मौजूद आंकड़ों को भयावह पाया: मॉरिसन दरअसल, पूर्व लिबरल कर्मचारी ब्रिटनी हिगिंस ने एक मंत्री के कार्यालय में एक सहकर्मी द्वारा 2019 में उसके साथ हुए कथित बलात्कार का फरवरी में सार्वजनिक रूप से खुलासा किया था। ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन ने कहा कि उन्होंने रिपोर्ट में मौजूद आंकड़ों को भयावह पाया है। मॉरिसन ने कहा, ‘इस इमारत में काम करने वाले किसी अन्य की तरह मैंने प्रस्तुत किये गये आंकड़ें को भयावह और परेशान करने वाला पाया है। ’ जेनकिंस ने भी कहा कि वह भी रिपोर्ट के खुलासे से स्तब्ध हैं।


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लंदन ब्रिटेन के खुफिया प्रमुख ने मंगलवार को एक दुर्लभ सार्वजनिक भाषण में कहा कि चीन, रूस, ईरान और अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद नाटकीय बदलाव के इस दौर में 'बड़े चार' सुरक्षा खतरे हैं। ब्रिटिश विदेशी खुफिया सेवा एमआई6 के प्रमुख रिचर्ड मूर ने कहा कि चीन जैसे देश संप्रभुता और लोकतंत्र को खत्म करने के लिए 'कर्ज के जाल, डेटा खुलासे' का उपयोग कर रहे हैं। पिछले साल कार्यभार संभालने के बाद से अपने पहले सार्वजनिक भाषण में खुफिया प्रमुख ने कहा कि यह खतरों की बदलती प्रकृति है जिसके लिए अधिक खुलेपन की आवश्यकता है, जिसने उन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर 'डिजिटल युग में मानव खुफिया' विषय पर दुर्लभ संबोधन के लिए प्रेरित किया। मूर ने लंदन स्थित इंटरनेशनल इंस्टिट्यूट फॉर स्ट्रेटेजिक स्ट्डीज (आईआईएसएस) में अपने संबोधन में कहा कि रूस, चीन और ईरान लंबे समय से तीन बड़े खतरे रहे हैं तथा चौथा बड़ा खतरा अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद है। चीन ने कर्ज के जाल में युंगाडा को फंसायाउन्होंने अपने भाषण में रूस, ईरान और चीन से विभिन्न तरह के खतरे की प्रकृति का उल्लेख किया। युगांडा सरकार ने कर्ज चुकाने में विफल रहने के कारण अपना प्रमुख हवाई अड्डा चीन के हाथों गंवा दिया है। अफ्रीकी मीडिया की रिपोर्ट से यह जानकारी मिली। टुडे की रिपोर्ट के अनुसार, सरकार चीन के साथ एक लोन एग्रीमेंट को पूरा करने में विफल रही है, जिसमें उसके एकमात्र हवाई अड्डे को संलग्न करने की चुकौती शर्तें थीं। यूक्रेन के लिए खतरा बने रूस को मिली चेतावनीरिपोर्ट में कहा गया है कि एंटेबे अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे और अन्य युगांडा की संपत्तियां कुर्क की गईं और चीनी ऋणदाताओं की ओर से ऋण की मध्यस्थता पर कब्जा करने पर सहमति व्यक्त की गई। वहीं नाटो ने रूस को चेतावनी दी है कि यूक्रेन को अस्थिर करने की कोई भी कोशिश एक महंगी गलती साबित हो सकती है। रूस ने आरोपों से इनकार किया है और इस बात का भी खंडन किया है कि वह यूक्रेन पर हमले की योजना बना रहा है। जर्मनी के विदेश मंत्री हाइको मास ने कहा कि किसी भी तरह के आक्रमण के लिए रूस को भारी कीमत चुकानी होगी।


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रीगा उत्तर अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) के विदेश मंत्रियों ने मंगलवार को रूस को आगाह किया कि यूक्रेन को और अस्थिर करने की कोई भी कोशिश एक महंगी गलती होगी। वहीं, इस बात को लेकर चिंता बढ़ रही है कि मॉस्को अपने पड़ोसी पर हमला करने की तैयारी कर रहा है। नाटो इस बात से परेशान है कि रूस ने यूक्रेन की उत्तरी सीमा के पास भारी संख्या में उपकरण व सैनिकों को तैनात कर दिया है। यह हिस्सा बेलारूस से ज्यादा दूर नहीं है। यूक्रेन ने कहा है कि इस साल के शुरू में पश्चिमी रूस में व्यापक युद्धाभ्यास के बाद से उनकी साझा सीमा पर रूस ने करीब 90 हजार सैनिक तैनात रखे हुए हैं। यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर ज़ेलेंस्की ने पिछले हफ्ते कहा था कि उनके देश की खुफिया एजेंसी ने इसका पता लगाया है कि देश में रूस के समर्थन से सरकार का तख्ता पलटने की साजिश रची जा रही है। ब्लिंकन बोले- सीमा पर गतिविधियों से हम चिंतिंतरूस ने आरोपों से इनकार किया है और इस बात का भी खंडन किया है कि वह यूक्रेन पर हमले की योजना बना रहा है। अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने कहा, 'हमने यूक्रेन की सीमा पर जो गतिविधियां देखी हैं, उसे लेकर हम बहुत चिंतित हैं। हम जानते हैं कि रूस अक्सर उन प्रयासों को किसी देश को अस्थिर करने के आंतरिक प्रयासों के साथ जोड़ता है। यह एक साजिश का हिस्सा है और हम इसे बहुत करीब से देख रहे हैं।' रूस को चुकानी होगी भारी कीमतउन्होंने नाटो में अपने समकक्षों के साथ लातविया के रीगा में वार्ता से पहले कहा कि किसी भी आक्रमण के गंभीर परिणाम होंगे। जर्मनी के विदेश मंत्री हाइको मास ने कहा कि किसी भी तरह के आक्रमण के लिए रूस को भारी कीमत चुकानी होगी।


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पेरिस नीदरलैंड के स्वास्थ्य प्राधिकार ने कहा है कि दो स्थानीय मामलों में कोरोना वायरस का नया स्वरूप ओमीक्रोन करीब 11 दिन पहले के नमूनों में मिला था। इससे यह प्रदर्शित होता है कि पिछले हफ्ते दक्षिण अफ्रीका से खबर आने से पहले से यह पश्चिमी यूरोप में था। आरआईवीएम स्वास्थ्य संस्थान ने कहा कि उसने 19 नवंबर से 23 नवंबर के बीच के नमूनों में ओमीक्रोन स्वरूप को पाया है। पिछले शुक्रवार को दक्षिण अफ्रीका से आए यात्रियों के वायरस के इस नए स्वरूप से संक्रमित होने की पुष्टि हुई थी। उनकी जांच एमस्टरडम के स्कीफोल हवाईअड्डे पर की गई थी। कोरोना वायरस के 'ओमीक्रोन' स्वरूप के बारे में नए निष्कर्षों ने मंगलवार को यह स्पष्ट कर दिया कि यह उभरता हुआ खतरा देशों में बचाव शुरू होने से पहले ही व्यापक रूप से फैल गया है। क्योंकि आज दो देशों ने अपने यहां पहले मामलों की पुष्टि की और तीसरे ने दक्षिण अफ्रीकी अधिकारियों के खतरे की घंटी बजाने से पहले ही इसकी उपस्थिति होने की सूचना दी है। सबसे खराब समय आना अभी बाकीविश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा कि दक्षिण अफ्रीका ने सबसे पहले 24 नवंबर को संयुक्त राष्ट्र की स्वास्थ्य एजेंसी को इस स्वरूप के बारे में सूचना दी। इस बीच, जापान और फ्रांस ने आज अपने यहां वायरस के नए स्वरूप से जुड़े पहले मामलों की सूचना दी जिसने सामान्य स्थिति में लौटने की दुनिया की उम्मीदों को एक बार फिर धूमिल कर दिया है। इससे डर पैदा हो गया है कि सबसे खराब समय आना अभी बाकी है। इस बीच, जर्मन अधिकारियों ने कहा कि उन्हें एक ऐसे व्यक्ति में 'ओमीक्रोन' संक्रमण मिला है जो न तो विदेश गया था और न ही किसी के संपर्क में था। ओमीक्रोन के खिलाफ सबसे बड़ा हथियार वैक्सीनकोरोना वायरस के नए स्वरूप को लेकर आई इस नई जानकारी ने दुनियाभर में अब एक अलग तरह की चिंता पैदा कर दी है। हालांकि अनेक विशेषज्ञों ने डर को यह कहकर कम करने की कोशिश की है कि कोविड रोधी टीके अब भी महामारी के खिलाफ सबसे बड़ा हथियार हैं। विशेषज्ञों ने कहा है कि वर्तमान में ओमीक्रोन वेरिएंट पर सीमित डेटा उलब्ध है। लेकिन शुरुआती संकेत बताते हैं कि घबराने की जरूरत नहीं है।


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सिंगापुर सिंगापुर में एक भारतीय के खिलाफ एक स्टूडियो में योग सिखाते समय पांच महिलाओं के साथ छेड़खानी करने के आरोप में मामला दर्ज किया गया है।‘चैनल न्यूज एशिया’ की खबर के अनुसार, पीड़ितों की पहचान की रक्षा करते हुए एक ‘गैग ऑर्डर’ के तहत व्यक्ति का नाम उजागर नहीं किया जा सकता। उसके खिलाफ जून 2019 और जुलाई 2020 के बीच एक योग स्टूडियो में 24 से 29 वर्ष की आयु की महिलाओं को अनुचित तरीके से छूने का आरोप है। पुलिस के एक पूर्व बयान के अनुसार, व्यक्ति ने कथित तौर पर योग सिखाते समय पीड़िताओं के साथ बदसलूकी की। आरोपी ने जिला अदालत को बताया कि सिंगापुर का एक दोस्त उसकी जमानत देगा और एक वकील के जरिए वह मुकदमा दायर करेगा। आरोपी वीडियो लिंक जरिए अदालत में पेश हुआ और उसे 15,000 सिंगापुर डॉलर पर जमानत दी गई। मामले की सुनवाई फिलहाल 14 दिसंबर तक स्थगित कर दी गई है। छेड़छाड़ करने पर मिलती है बेंत मारने की सजासिंगापुर में छेड़छाड़ के लिए दो साल तक की जेल, जुर्माना, बेंत से मारना या कोई दो दंड देने का प्रावधान है। इससे पहले अमेरिका में एक भारतवंशी को अदालत ने उम्रकैद की सजा सुनाई थी। भारतीय मूल के शख्स ने 2019 में पत्नी और अपने तीन बच्चों की हत्या कर दी थी। आईटी पेशेवर शंकर नगाप्पा हांगुड ने अपना जुर्म कबूल करते हुए कहा था कि उसने यह कदम आर्थिक तंगी की वजह से उठाया था। अपने हाथों से की अपने परिवार की हत्यासजा सुनाए जाने के दौरान हांगुड ने कोई टिप्पणी नहीं की। पुलिस ने बताया था कि पत्नी और बेटियों की हत्या उसने तीन दिनों के दौरान की थी। मृतकों की पहचान हांगुड की 46 वर्षीय पत्नी ज्योति शंकर, 20 साल के बेटे वरूम शंकर, 13 साल के निश्चल हांगुड और 16 साल की बेटी गौर हांगुड के रूप में हुई थी। चारों लोगों का शव पुलिस को अलग-अलग जगहों पर मिला था।


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बर्लिन जर्मनी की एक अदालत ने पांच साल की यजीदी बच्ची की मौत के मामले में इस्लामिक स्टेट समूह के पूर्व सदस्य को मंगलवार को नरसंहार और युद्ध अपराध का दोषी करार दिया। व्यक्ति ने पांच साल की बच्ची को गुलाम के तौर पर खरीदा था और सजा के तौर पर उसे कड़ी धूप में जंजीरों से बांध दिया था जिससे उसकी मौत हो गई थी। फ्रैंकफर्ट की क्षेत्रीय अदालत ने इराकी नागरिक ताहा अल-जे को उम्रकैद की सजा सुनाई और बच्ची की मां को 50,000 यूरो (57,000 अमेरिकी डॉलर) देने का आदेश दिया। दोषी का उपनाम निजता नियमों के कारण सार्वजनिक नहीं किया गया है। जर्मन समाचार एजेंसी 'डीपीए' की खबर के अनुसार, मामले की सुनवाई कर रहे जज क्रिस्टोफर कोल्लर ने कहा कि यजीदी धार्मिक अल्पसंख्यकों का आईएस द्वारा सुनियोजित रूप से दमन किए जाने में भूमिका के लिए पूरी दुनिया में किसी को दोषी करार दिए जाने की यह पहली घटना है। हालांकि, बचाव पक्ष के वकील ने अपने मुवक्किल के खिलाफ आरोपों से इनकार किया था। उक्त दोषी की जर्मन पत्नी को भी इसी मामले में पिछले महीने 10 साल कैद की सजा सुनाई गई। इस्लाम नहीं कबूला तो पुरुषों की हत्या, महिलाओं को बेचासंयुक्त राष्ट्र ने उत्तरी इराक में अपनी ही धरती पर यजीदी समुदाय के लोगों के खिलाफ 2014 में आईएस के हमलों को नरसंहार करार देते हुए कहा था कि 4,00,000 आबादी वाले यजीदी समुदाय के लोग या तो 'भागने पर मजबूर हुए हैं, यह पकड़े गए हैं या फिर उनको मार दिया गया है।' इनमें से हजारों लोगों को आईएस ने पकड़ा। उसने लड़कों को अपने पक्ष में लड़ने पर मजबूर किया, जिन पुरुषों ने इस्लाम नहीं अपनाया उन्हें मार डाला गया और महिलाओं तथा बच्चियों को गुलामी के लिए बेच दिया गया। गुलाम के रूप में मां और बच्ची को खरीदाजर्मन अभियोजकों के अनुसार, अल-जे ने 2015 में सीरिया में आईएस के एक शिविर से एक यजीदी महिला और उसकी पांच साल की बेटी को गुलाम के रूप में खरीदा। दोनों को आतंकवादी संगठन ने 2014 के अगस्त में उत्तरी इराक से पकड़ा था जिसके बाद मां-बेटी को बार-बार खरीदा-बेचा गया। तय आरोप के अनुसार, अल-जे मां-बेटी को अपने साथ इराक के फलुजा शहर में अपने घर ले गया और उन्हें 'मकान की देखभाल करने और कठोर इस्लामिक कानून के अनुरुप रहने को मजबूर किया'। 50 डिग्री सेल्सियस धूप में बांधकर की बच्ची की हत्याइस दौरान उसने मां-बेटी को भर पेट भोजन भी नहीं दिया और सजा के तौर पर लगातार उनकी पिटाई की। अभियोजन पक्ष ने आरोप लगाया कि 2015 के अंत में अल-जे ने बच्ची को 50 डिग्री सेल्सियस की तेज धूप में खिड़की की छड़ से जंजीरों से बांध दिया और इसी सजा के क्रम में बच्ची की मौत हो गई। बच्ची को यह सजा कथित रूप से रात को बिस्तर गीला करने के कारण दी गई थी। तमाम प्रताड़ना झेलने के बाद सुरक्षित बच गई बच्ची की मां ने दोनों ही मुकदमों में गवाही दी है।


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वॉशिंगटन दुनिया के सबसे अमीर शख्स, स्पेसएक्स और टेस्ला के मालिक एलन मस्क की स्पेस में दिलचस्पी किसी से छिपी नहीं है। वह खुद को अंतरिक्ष की रेस से अलग मानते हैं क्योंकि मस्क 'अंतरिक्ष की सीमा' के बजाय मंगल पर जाने का सपना देखते हैं। उनके स्पेस प्रोजेक्ट्स की बड़े पैमाने पर तारीफ भी होती है और आलोचना भी। मस्क के आलोचकों में एक नाम अमेरिकी सांसद बर्नी सैंडर्स का भी है जो अक्सर ट्विटर पर मस्क पर निशाना साधते रहते हैं। इस बार सैंडर्स ने बिना नाम लिए एलन मस्क के स्पेस प्रोजेक्ट पर निशाना साधा है। अपने ट्वीट में उन्होंने लिखा, 'क्या होगा अगर हम अरबपतियों को उनके अंतरिक्ष के शौक को पूरा करने में पैसा देने के बजाय पृथ्वी पर काम करने वाले लोगों में निवेश करें?' ऐसा नहीं है कि मस्क की अंतरिक्ष में दिलचस्पी पहली बार आलोचना का शिकार हुई है। इससे पहले माइक्रोसॉफ्ट के को-फाउंडर बिल गेट्स ने भी स्पेस में निवेश में रूचि नहीं दिखाई थी। बिल गेट्स ने ली एलन मस्क पर चुटकी अमेरिकन टॉक शो में गेट्स ने कहा था कि वह स्पेस के बजाय धरती पर बीमारियों को जड़ से मिटाने में ज्यादा दिलचस्पी रखते हैं। उन्होंने कहा, 'स्पेस? हमारे पास पृथ्वी पर करने को बहुत कुछ है।... मेरा ध्यान मलेरिया और एचआईवी जैसी बीमारियों और उन्हें जड़ से मिटाने के उपायों पर है।' बीते दिनों एलन मस्क ने टेस्ला के कुछ शेयर्स बेच दिए थे जिससे उनके पास 5 अरब डॉलर (करीब 37,176 करोड़ रुपए) कैश आ गया है। हालांकि मस्क ने इस बात का खुलासा नहीं किया है कि वह इस रकम का क्या करेंगे। लेकिन चैरिटी संगठनों में इस बात की चर्चा है कि वह इसका एक बड़ा हिस्सा दान कर सकते हैं। बर्नी बनाम मस्क का इतिहास पुरानाचैरिटी में उनके रेकॉर्ड को देखते हुए माना जा रहा है कि वह टैक्स बचाने के लिए इस तरह का नाटक कर रहे हैं। ट्विटर पर भी इसे लेकर एक बहस शुरू हो गई थी। बर्नी सैंडर्स ने चुटकी लेते हुए अपने ट्विटर पर लिखा था कि अमीर लोगों को अपने हिस्से के टैक्स का भुगतान करना चाहिए। इस पर मस्क ने कहा, 'बर्नी, आप क्या चाहते हैं कि मैं अपने और शेयर बेचूं? इस पर कुछ कहिए।' साथ ही उन्होंने 80 वर्षीय सांसद के बारे में लिखा, 'मैं भूल जाता हूं कि आप अभी भी जिंदा हैं।'


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इस्लामाबाद भारत और पाकिस्तान भले ही एक जमीन के दो टुकड़े हों लेकिन दोनों में जमीन आसमान का अंतर है। चाहें बात संसाधनों की हो, अर्थव्यवस्था की हो या फिर प्रतिभाओं की, भारत के आगे पाकिस्तान का कोई स्थान नहीं है। हाल ही में भारत के पराग अग्रवाल को ट्विटर के सीईओ के रूप में चुना गया है। इसके बाद से ही लोग दुनिया की दिग्गज कंपनियों के सुपरबॉस के रूप में भारतीय प्रतिभाओं का लोहा मान रहे हों फिर चाहें वह गूगल हो या माइक्रोसॉफ्ट। एक ओर अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत को सुंदर पिचाई, पराग अग्रवाल और सत्य नडेला जैसे लोगों की वजह से जाना जाता है। तो वहीं पाकिस्तान की पहचान एक ऐसे मुल्क के रूप में होती है जो आतंकवाद और दहशतगर्दों को पनाह देता है। पाकिस्तान के भी कुछ चेहरे पूरी दुनिया में जाने जाते हैं लेकिन ये न ही युवा हैं और न ही प्रतिभावान। बल्कि इनमें उन मोस्ट वांटेड आतंकवादियों का नाम शामिल है जिन्हें अमेरिका, ब्रिटेन और भारत जैसे देशों में तो आतंकवादी माना जाता है लेकिन पाकिस्तान में ये आजाद घूमते हैं। भारत को गौरवान्वित कर रहे ये चेहरेपत्रकार नाइला इनायत ने एक तस्वीर ट्वीट की जिसमें भारत और पाकिस्तान के कुछ ऐसे चेहरे शामिल हैं जिन्हें पूरी दुनिया जानती है। भारत की ओर से इसमें माइक्रोसॉफ्ट के सीईओ सत्य नडेला, गूगल के सीईओ सुंदर पिचाई, आईबीएम के सीईओ अरविंद कृष्णा, एडोब के सीईओ शांतनु नारायण और ट्विटर के सीईओ पराग अग्रवाल का नाम शामिल है। पाकिस्तान के आतंकवादी दुनियाभर में कुख्यातवहीं पाकिस्तान की ओर से लश्कर-ए-तैयबा की नींव रखने वाला हाफिज सईद, जैश-ए-मोहम्मद का प्रमुख मसूद अजहर, मुंबई हमलों का मास्टरमाइंड जकीउर रहमान लखवी और हिजबुल मुजाहिदीन का मुखिया सैयद सलाहुद्दीन जैसे मोस्ट वांटेड आतंकवादियों का चेहरा इस ट्वीट में देखा जा सकता है। इस ट्वीट पर लोगों ने पाकिस्तान पर कटाक्ष किया और लिखा कि 'आतंकवाद' की कैटेगरी में भारत पाकिस्तान को कभी नहीं हरा पाएगा, 'मुबारक हो'।


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काबुल तालिबान लड़ाकों ने अफगानिस्तान में सत्ता पर काबिज होने के बाद से 100 से अधिक पूर्व पुलिस और खुफिया अधिकारियों को या तो मार डाला है या जबरन 'गायब' कर दिया है। ह्यूमन राइट्स वॉच ने मंगलवार को एक रिपोर्ट में यह बात कही। समूह ने आम माफी घोषित किए जाने के बावजूद अपदस्थ सरकार के सशस्त्र बलों के खिलाफ जवाबी कार्रवाई जारी रखने की ओर इशारा किया। रिपोर्ट में कहा गया है कि तालिबान ने सरकारी रोजगार रिकॉर्ड का उपयोग करते हुए पूर्व अधिकारियों और आत्मसमर्पण करने वालों को निशाना बनाया है। कुछ मामलों में, स्थानीय तालिबान कमांडरों ने लक्षित किए जाने वाले लोगों की सूची यह कहते हुए तैयार की है कि उन्होंने 'अक्षम्य' कृत्य किए हैं। ह्यूमन राइट्स वॉच ने रिपोर्ट में कहा, 'हत्याओं के स्वरूप से पूरे अफगानिस्तान में आतंक पैदा हो गया है, क्योंकि पूर्व सरकार से जुड़ा कोई भी व्यक्ति सुरक्षित महसूस नहीं कर सकता है।' आईएस के समर्थकों को बनाया निशानातालिबान 15 अगस्त को अफगानिस्तान की सत्ता पर काबिज हुआ था जब इसके लड़ाके राजधानी काबुल में घुस गए थे। रिपोर्ट में कहा गया है कि तालिबान ने पूर्वी नांगरहार प्रांत में इस्लामिक स्टेट समूह का समर्थन करने वाले लोगों को भी निशाना बनाया है, जो आईएस के हमलों का केंद्र है। प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि प्रांत की राजधानी जलालाबाद में मंगलवार को उस समय आठ घंटे तक भीषण गोलीबारी हुई जब तालिबान ने आईएस आतंकवादियों के एक संदिग्ध ठिकाने पर धावा बोल दिया। 47 लोगों की हत्या या 'गायब होने' का दस्तावेजीकरणप्रांतीय खुफिया प्रमुख ताहिर मोबारिज़ ने कहा कि संघर्ष के दौरान, घर में एक महिला और एक पुरुष ने आत्मघाती विस्फोट कर लिया और उनकी इसमें मौत हो गई। उन्होंने बताया कि तीसरा व्यक्ति गोलीबारी से मारा गया। उन्होंने बताया कि दो संदिग्ध आतंकवादियों को गिरफ्तार कर लिया गया। ह्यूमन राइट्स वॉच ने गवाहों, रिश्तेदारों, पूर्व सरकारी अधिकारियों, तालिबान अधिकारियों और अन्य लोगों के इंटरव्यू के माध्यम से कहा कि उसने 15 अगस्त और 31 अक्टूबर के बीच चार प्रांतों में 47 पूर्व सशस्त्र बलों के सदस्यों की हत्याओं या 'गायब होने' का दस्तावेजीकरण किया है। उसने कहा कि इसके शोध से संकेत मिलता है कि कम से कम 53 अन्य हत्याओं एवं व्यक्तियों के गायब होने के मामले भी हैं।


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लंदन रोबोट्स विज्ञान की तरक्की का एक जीता-जागता उदाहरण हैं। विज्ञान का दावा है कि आज रोबोट्स ज्यादातर वे काम कर सकते हैं जो इंसान करते हैं, फिर चाहें वह फूड डिलिवरी हो या होम सर्विस। इससे एक कदम आगे बढ़ते हुए दावा किया जा रहा है कि वैज्ञानिकों ने दुनिया का पहला रोबोट बना लिया है जो 'प्रजनन' भी कर सकता है। इन मिलीमीटर आकार की जीवित मशीनों को जेनोबॉट्स 3.0 कहा जा रहा है। जेनोबॉट्स न तो पारंपरिक रोबोट हैं और न ही जानवरों की प्रजाति, बल्कि जीवित प्रोग्राम करने योग्य जीव हैं। मेंढक की कोशिकाओं और कंप्यूटर से डिजाइन किए गए जीवों को एक अमेरिकी टीम ने बनाया है। ये 'पैक-मैन' जैसे अपने मुंह के अंदर एकल कोशिकाओं को इकट्ठा करते हैं और 'शिशुओं' को बाहर निकालते हैं जो अपने माता-पिता की तरह दिखते और गति करते हैं। स्व-प्रतिकृति जीवित जैव-रोबोट दर्दनाक चोट, जन्म दोष, कैंसर, उम्र बढ़ने जैसी चीजों के लिए दवा और इलाज में मददगार साबित हो सकते हैं। पहले भी कमाल कर चुके हैं जेनोबॉट्सजेनोबॉट्स दरअसल टफ्ट्स यूनिवर्सिटी और यूनिवर्सिटी ऑफ वर्मोंट के जीवविज्ञानी और कंप्यूटर वैज्ञानिकों का कमाल है। जेनोबॉट्स 3.0 अपने मूल संस्करण जेनोबॉट्स का अनुसरण करता है जिसे 2020 में 'पहले जीवित रोबोट' के रूप में रिपोर्ट किया गया था। वहीं जेनोबॉट्स 2.0, सिलिया नामक अपने पैरों का इस्तेमाल करके खुद को आगे बढ़ा सकता था और उसमें याद रखने की क्षमता भी थी। खुद के जैसे 'बच्चे' पैदा करने में सक्षमइस रिसर्च के लेखक, कंप्यूटर वैज्ञानिक और वर्मोंट विश्वविद्यालय में रोबोटिक्स विशेषज्ञ जोशुआ बोंगार्ड ने कहा कि हमने देखा कि जेनोबॉट्स चल सकते हैं, हमने देखा कि जेनोबॉट्स तैर सकते हैं और अब हम देखेंगे ऐसे जेनोबॉट्स जो धीरे-धीरे अपनी संख्या को बढ़ा सकते हैं। उन्होंने बताया कि हमने पाया है कि जीवों या जीवित प्रणालियों के भीतर पहले से एक अज्ञात स्थान है। टीम का दावा है कि ज़ेनोबॉट्स कंप्यूटर-डिज़ाइन किए गए जीवों को विकसित करने में मदद करेंगे।


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कोपनहेगन स्वीडन की पहली महिला प्रधानमंत्री चुने जाने के कुछ घंटों बाद ही संसद में बजट प्रस्ताव गिरने पर मेगदालेना एंडरसन ने पिछले हफ्ते पद से इस्तीफा दे दिया था। सोमवार को एक बार फिर एंडरसन को सरकार का प्रमुख चुन लिया गया है। सोशल डेमोक्रेट पार्टी की नेता एंडरसन ने सप्ताह भर के भीतर एक बार फिर प्रधानमंत्री पद पर कब्जा जमाया है। हालांकि, वह एक पार्टी की अल्पमत वाली सरकार बनाएंगी। मंत्रिमंडल के नामों की घोषणा मंगलवार को हो सकती है। पिछले सप्ताह बुधवार को स्वीडन की पहली महिला प्रधानमंत्री चुनी गईं एंडरसन इस पद पर केवल सात घंटे ही रह सकीं और उनके सहयोगी दल द ग्रीन्स ने सरकार से समर्थन वापस ले लिया था। स्वीडन को लैंगिक समानता के मामले में यूरोप के सबसे प्रगतिशील देशों में शुमार किया जाता है, लेकिन अभी तक किसी महिला को देश की बागडोर नहीं सौंपी गई थी। कौन हैं मेगदालेना एंडरसन?ऐसे में मेगदालेना एंडरसन के प्रधानमंत्री बनने को स्वीडन के लिए मील का पत्थर माना जा रहा है। मेगदालेना एंडरसन स्वीडन की सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी की नेता हैं। 54 साल की एंडरसन ने 1996 में अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत गोरान पर्सन की राजनीतिक सलाहकार और फिर योजना निदेशक के रूप में की थी। 2004 में एंडरसन ने वित्त मंत्रालय में राज्य सचिव के रूप में काम करना शुरू किया। प्रवक्ता के रूप में पार्टी का हिस्सा बनींउन्होंने 2012 तक तीन साल तक स्वीडिश टैक्स एजेंसी के उप महानिदेशक का पद भी संभाला। 2012 में वह आर्थिक नीति प्रवक्ता के रूप में स्वीडिश सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी का हिस्सा बनीं। 2014 के स्वीडिश चुनावों में सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी की जीत पर एंडरसन को स्टीफन लोफवेन की कैबिनेट में वित्त मंत्री चुना गया था। एंडरसन 4 नवंबर, 2021 को सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी की मुखिया बनी थीं। सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी की दूसरी महिला नेताएंडरसन का जन्म 23 जनवरी 1967 को हुआ था। वह स्वीडन की पहली महिला प्रधानमंत्री होने के साथ-साथ सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी की दूसरी महिला नेता भी हैं। वह स्टॉकहोम स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स की पूर्व छात्रा हैं। एंडरसन ने रिचर्ड फ्रीबर्ग से शादी की थी, जो स्टॉकहोम स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर हैं और दंपति के दो बच्चे हैं।


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क्वींसलैंड (ऑस्ट्रेलिया) ओमीक्रोन वेरिएंट को समझने के मामले में ये बहुत शुरुआती दिन हैं। जो ज्ञात है वह यह है कि इसमें बड़ी संख्या में उत्परिवर्तन होते हैं, विशेष रूप से स्पाइक प्रोटीन में और लगता है कि यह दुनिया के कुछ खास हिस्सों में तेजी से फैल रहा है। अफ्रीका से मिले बहुत शुरुआती संकेत बताते हैं कि यह विशेष रूप से गंभीर बीमारी का कारण नहीं बनता है (हालांकि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने उपलब्ध सीमित आंकड़ों को देखते हुए सावधानी बरतने का आग्रह किया है)। इस बिंदु पर, यह स्पष्ट नहीं है कि इसमें डेल्टा जैसे अन्य सार्स-कोव-2 उपभेदों की तुलना में टीकों से बचने की कोई बड़ी क्षमता है या नहीं। एक बार आबादी में स्थापित हो जाने के बाद वायरस का कम प्रभावी (अर्थात कम गंभीर बीमारी का कारण) होना बहुत आम है। मायक्सोमैटोसिस इसका श्रेष्ठ उदाहरण है, जिसने पहली बार ऑस्ट्रेलिया में सामने आने पर 99% खरगोशों को मार डाला था, लेकिन अब इसका प्रभाव कम हो चुका है और यह बहुत कम मृत्यु दर का कारण बनता है। कुछ विशेषज्ञों ने भविष्यवाणी की है कि कोविड भी कम गंभीर हो जाएगा क्योंकि यह बीमारी के एक स्थानिक स्तर पर संक्रमण करता है - किसी खास स्थान पर संक्रमण के अनुमानित पैटर्न में बस जाता है। यह संभव है कि ओमिक्रोन संस्करण इस प्रक्रिया में पहला कदम हो। क्यों कुछ संस्करण प्रबल हो जाते हैं क्रमिक विकासवादी जीव विज्ञान से पता चलता है कि यदि वे वर्तमान उपभेदों की तुलना में मानव आबादी में अधिक तेजी से बढ़ते हैं तो वेरिएंट के पनपने की संभावना अधिक होती है। कम गंभीर कोविड लक्षणों वाले वैरिएंट के पनपने की उम्मीद ? इसका मतलब दो चीजें हैं: उच्च आर संख्या वाले उपभेद (मूल प्रजनन संख्या, या एक संक्रामक व्यक्ति द्वारा संक्रमित होने वाले लोगों की औसत संख्या) कम आर संख्या वाले लोगों की जगह लेंगे। इसके अतिरिक्त, ऐसे उपभेद जो मेजबान को पहले संक्रामक बना देते हैं, उन उपभेदों की जगह ले लेंगे जिन्हें संक्रामक होने में अधिक समय लगता है। वायरल स्ट्रेन इवोल्यूशन पर उस विशेष आबादी पर विचार करने की आवश्यकता है जिसमें वैरिएंट दिखाई देता है। टीकाकरण के उच्च स्तर वाले लोगों की तुलना में टीकाकरण के निम्न स्तर वाली आबादी में रोग विकास अलग तरह से काम करने की उम्मीद है। दक्षिण अफ्रीका जैसे बड़े पैमाने पर असंबद्ध आबादी वाला देश, जहां लगभग 25% आबादी को टीका लगाया गया है और जहां पहली बार ओमिक्रॉन संस्करण का पता चला था, उच्च आर संख्या वाले उपभेदों को प्रभावी होने के बेहतर अवसर मुहैया कराता है। लेकिन टीकाकरण की अधिक दर वाली आबादी में, टीके से बचने में सक्षम उपभेदों के हावी होने की संभावना अधिक होगी, भले ही उनके पास बिना टीकाकरण वाले लोगों में कम आर संख्या हो। कम गंभीर लक्षण बीमारी को फैला सकते हैं तो, क्या आप कम गंभीर कोविड लक्षणों वाले वैरिएंट के पनपने की उम्मीद करेंगे? यह वास्तव में लक्षणों और संप्रेषणीयता के परस्पर संबंध पर निर्भर करता है। यदि लक्षण कम गंभीर हैं, तो लोगों के परीक्षण के लिए आगे आने की संभावना कम होती है और इसलिए उनके अलग थलग होने की संभावना भी कम होती है। हो सकता है कि कुछ लोगों को इस बात का एहसास ही न हो कि उन्हें कोविड है। इसलिए, कम विषाणु के साथ एक संस्करण (जिसका अर्थ है कि शरीर में गंभीर लक्षण पैदा करने की क्षमता कम है) अत्यधिक विषाणु वाले उपभेदों की तुलना में अधिक लोगों को संचारित करने में सक्षम हो सकता है। दूसरी ओर, जैसा कि डेल्टा के मामले में प्रतीत होता है, कुछ प्रकार दूसरों की तुलना में उच्च वायरस स्तर का कारण बन सकते हैं - जिसका अर्थ है संक्रमित लोगों के शरीर में वायरस का उच्च स्तर। जितने अधिक वायरस मौजूद होंगे, उतनी ही अधिक संभावना होगी कि व्यक्ति रोग को सफलतापूर्वक प्रसारित करने में सक्षम होगा। वायरल ट्रांसमिशन एक जटिल मल्टीस्टेज प्रक्रिया फिर से, सभी चीजें समान हैं (अभी तक यह जाने बिना कि विशिष्ट उत्परिवर्तन कैसे व्यवहार करते हैं), वायरस के उच्च स्तर से अधिक गंभीर लक्षण होने की संभावना है। यह अभी तक स्पष्ट रूप से नहीं समझा गया है कि कम से कम अफ्रीकी संदर्भ में ओमिक्रोन स्पष्ट रूप से अत्यधिक पारगम्य क्यों है, इसलिए इस स्तर पर हम नहीं जानते कि यह अन्य उपभेदों की तुलना में उच्च स्तर के वायरस पैदा करता है या नहीं। वायरल ट्रांसमिशन एक जटिल मल्टीस्टेज प्रक्रिया है, इसलिए ओमिक्रोन की उच्च संचरण दर के लिए कई चीजें जिम्मेदार हो सकती हैं। देखें और प्रतीक्षा करें आगे क्या होगा यह अभी तय नहीं हुआ है। विशेषज्ञ ओमिक्रोन की संप्रेषणीयता, इससे उत्पन्न होने वाले वायरस के स्तर और पिछले संक्रमण के परिणामस्वरूप मौजूदा टीकों या प्रतिरक्षा प्रतिक्रियाओं से बचने में किस हद तक सक्षम है, इस बारे में अधिक जानकारी की तलाश करेंगे। अधिक टीकाकरण वाली आबादी में ओमिक्रोन काफी अलग तरह से व्यवहार कर सकता है - जैसा कि अब हम ऑस्ट्रेलिया में देख रहे हैं - टीकाकरण के बहुत कम स्तर वाली आबादी की तुलना में जैसा कि अधिकांश उप-सहारा अफ्रीका में हो रहा है। फिर भी, इस नए संस्करण का उभरना इस बात पर जोर देता है कि दुनिया भर में एक प्रभावी टीकाकरण प्रयास कोविड महामारी को दूर करने के लिए आवश्यक है। हामिश मैक्कलम, निदेशक, सेंटर फॉर प्लेनेटरी हेल्थ एंड फूड सिक्योरिटी, ग्रिफ़िथ यूनिवर्सिटी साउथ ईस्ट


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लंदन धरती पर हिमालय जैसे विशाल पहाड़ कैसे पैदा हुए, यह सदियों से रहस्‍य बना हुआ है। अब एक ताजा वैज्ञानिक शोध में खुलासा हुआ है कि समुद्र में करीब 2 अरब साल पहले हुए जोरदार विस्‍फोट से पहाड़ों के निर्माण में मदद मिली। इसमें हिमालय भी शामिल हैं जिसकी चोटी एवरेस्‍ट दुनिया में सबसे ऊंची है। शोध में कहा गया है कि विस्‍फोट के बाद बड़ी मात्रा में प्‍लवक चिकना करने वाली वस्‍तु में बदल गया, इससे चट्टानें एक-दूसरे के ऊपर चिपकती चली गईं। स्‍कॉटलैंड के यूनिवर्सिटी ऑफ अबेरदीन के वैज्ञानिकों ने अपने शोध में पाया कि करीब 2.3 अरब साल पहले ऑक्‍सीजन की मात्रा बहुत ज्‍यादा बढ़ गई जिससे समुद्र पोषक पदार्थों से भर गया। इससे प्‍लवक का जन्‍म हुआ। एक बार जब प्‍लवक की मौत हो गई तो वे समुद्र की तलहटी में गिर गए और ग्रेफाइट का निर्माण हुआ। इस ग्रेफाइट ने पत्‍थरों को आपस में जोड़ने में महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाई। बड़े पहाड़ों की श्रृंखला 2 अरब साल पहले बननी शुरू हुई इसके बाद करोड़ों सालों में विशालकाय पत्‍थर की पाटिया एक-दूसरे के ऊपर चिपकती चली गई। इसी से आगे चलकर विशालकाय पहाड़ों का जन्‍म हुआ। इस रिसर्च को करने वाले प्रफेसर जॉन पारनेल ने कहा कि पहाड़ धरती का आवश्‍यक हिस्‍सा है लेकिन बड़े पहाड़ों की श्रृंखला 2 अरब साल पहले बननी शुरू हुई। उन्‍होंने कहा इस काल के भूगर्भीय साक्ष्‍य इसके सबूत देते हैं। पहाड़ों का निर्माण सामान्‍य तौर पर टेक्टानिक प्‍लेट की टक्‍कर से जुड़ा हुआ है जिससे पत्‍थर के विशाल पाटिया बने और वे आकाश की ओर बढ़े। शोधकर्ताओं ने बताया कि प्‍लवक ने प्राकृतिक ढांचे को बनाने में महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाई। महान ऑक्‍सीकरण की घटना वह समय काल है जब पृथ्‍वी के वातावरण और उथले समुद्र में ऑक्‍सीजन की मात्रा में बढ़ोत्‍तरी हुई। यह घटना 2.3 अरब साल पहले हुई थी। यह शोध नेचर जर्नल में प्रकाशित हुआ है।


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बाथ (इंग्लैंड) विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने सार्स-कोव-2 की वंशावली के नये वायरस बी.1.1.1.529 को ओमिक्रोन के नाम के साथ वायरस के चिंतित कर देने वाले एक प्रकार (वीओसी) के रूप में नामित किया है। इस वेरिएंट के बारे में माना जाता है कि यह दक्षिणी अफ्रीका में उभरा है। इस निर्णय ने वैश्विक स्तर पर महामारी प्रबंधन में प्राथमिकताओं में व्यापक बदलाव की शुरुआत कर दी है। डब्ल्यूएचओ ने अन्य बातों के अलावा, निगरानी बढ़ाने की सिफारिश की है। विशेष रूप से वायरस जीनोम अनुक्रमण, इस संस्करण से उत्पन्न खतरों को समझने के लिए केंद्रित अनुसंधान और इसको रोकने के उपायों जैसे मास्क अनिवार्य रूप से पहनना तेज करने को कहा है। ब्रिटेन और कई अन्य देशों में अंतरराष्ट्रीय यात्रा पर पहले से ही अधिक प्रतिबंध लागू हो चुके हैं। दरअसल, जापान ने सभी विदेशी पर्यटकों के लिए अपनी सीमाएं बंद कर दी हैं। वायरस के इस संस्करण को वीओसी घोषित करने में जो तेजी दिखाई गई है, वह हैरान करने वाली है। बोत्सवाना और दक्षिण अफ्रीका में इस वायरस के पहले ज्ञात संक्रमण के बाद से दो सप्ताह से थोड़ा अधिक समय ही बीता है। इसकी तुलना डेल्टा संस्करण से करें जो वर्तमान में यूरोप और दुनिया के कई अन्य हिस्सों में सक्रिय है। इस संस्करण का पहला मामला भारत में अक्टूबर 2020 में सामने आया था, लेकिन देश में (साथ ही अन्य कई देशों में) मामलों में जबरदस्त उछाल के बावजूद, इसे वीओसी का दर्जा मिलने में कम से कम छह महीने का समय लगा था। नए वेरिएंट से क्‍यूं घबराया हुआ है डब्ल्यूएचओ डेल्टा द्वारा उत्पन्न खतरे को पहचानने में निश्चित रूप से सुस्ती दिखाई गई थी, और इसमें कोई संदेह नहीं है कि वायरस के खतरनाक नए रूपों के बारे में जल्द से जल्द दुनिया को बताने के महत्व के बारे में सबक सीखा गया है, लेकिन यह देरी नये संस्करण की क्षमताओं के संबंध में पुख्ता सबूत देने में आने वाली कठिनाइयों को भी प्रतिबिंबित करती है। तीन प्रकार के लक्षण होते हैं जो एक नए संस्करण द्वारा उत्पन्न खतरे को निर्धारित करते हैं। ये हैं संप्रेषणीयता (जिस दर पर यह एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलता है), विषाणु (बीमारी के लक्षणों की गंभीरता) और प्रतिरक्षा प्रणाली (एक व्यक्ति को टीके या प्राकृतिक संक्रमण से सुरक्षा की डिग्री) को भेदने की शक्ति। इन तीन फेनोटाइप के बीच अंतर्निहित आनुवंशिकी और विकासवादी प्रक्रिया जटिल हैं, और इसका पता लगाने के लिए प्रयोगशाला में विस्तृत नैदानिक और महामारी विज्ञान डेटा और सावधानीपूर्वक प्रयोग दोनों की आवश्यकता होती है। अब सवाल यह पैदा होता है कि ओमिक्रोम संस्करण में ऐसा क्या है, जिसने डब्ल्यूएचओ और दुनिया भर के कई विशेषज्ञों को इतने कम डेटा के साथ इसे वीओसी घोषित करने की दिशा में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया है - और क्या उनकी यह चेतावनियां उचित हैं कि यह संस्करण अब तक सामने आए तमाम संस्करणों में ‘सबसे चिंताजनक’? अभी तक ऐसी कोई बात सामने नहीं आई है, जिससे यह अनुमान लगाया जा सके कि ओमिक्रोन अधिक गंभीर बीमारी का कारण बनता है, लेकिन इस बारे में लगभग कोई डेटा उपलब्ध नहीं है। ओमिक्रोन संस्करण अन्य प्रकारों की तुलना में अधिक तेजी से फैलता है दक्षिण अफ्रीका से आने वाली इन सूचनाओं की सटीकता को परखना अभी बाकी है कि वायरस के इस संस्करण से बीमार होने पर हलके लक्षण उभरते हैं। फिर भी संप्रेषणीयता और प्रतिरक्षा प्रणाली को भेदने की इसकी क्षमता चिंता का स्पष्ट कारण है। एक नए संस्करण की बढ़ी हुई संप्रेषणीयता को कम करना मुश्किल हो सकता है, क्योंकि इसके बेतरतीब प्रभाव वायरल आनुवंशिकी में किसी भी अंतर्निहित परिवर्तन की आवश्यकता के बिना मामलों की दरों में खतरनाक वृद्धि कर सकते हैं। आम सहमति यह है कि ओमिक्रोन संस्करण संभवतः अन्य प्रकारों की तुलना में अधिक तेजी से फैलता है। माना जाता है कि दक्षिण अफ्रीकी प्रांत गौटेंग में, ओमिक्रोन के आने के बाद आर संख्या (एक संक्रमित व्यक्ति द्वारा औसतन वायरस से संक्रमित होने वाले अन्य लोगों की संख्या) को लगभग 1.5 से लगभग 2 तक बढ़ा दिया गया है, जो यदि सत्य है तो एक महत्वपूर्ण बदलाव है। अप्रत्याशित रूप से, इसे ब्रिटेन, इज़राइल, बेल्जियम, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, नीदरलैंड और ऑस्ट्रिया सहित दक्षिणी अफ्रीका के बाहर के कई देशों में भी बढ़ाया जा रहा है। परेशान करने वाला तथ्य ओमिक्रोन संस्करण की सबसे परेशान करने वाली विशेषता यह है कि यह बहुत तेजी से रूप बदलकर क्रमिक विकास करता है, जो इसके जीनोम में उत्परिवर्तन की अभूतपूर्व संख्या से परिलक्षित होता है। यह कैसे हुआ यह निरंतर अटकलों का विषय है लेकिन, गंभीर रूप से, 32 उत्परिवर्तन ने स्पाइक प्रोटीन को प्रभावित किया है, जिनमें से कई को यह बदलने के लिए जाना जाता है कि वायरस टीकों या पूर्व संक्रमण द्वारा उत्पादित एंटीबॉडी के साथ कैसे संपर्क करता है। यह तेजी से फैलने की दर के साथ, बढ़ी हुई प्रतिरक्षा से बचने की क्षमता है, जो इतनी चिंता का कारण बन रही है। लेकिन अकेले जीनोम अनुक्रम से एक वायरस के संभावित व्यवहार के बारे में भविष्यवाणी करना एक सटीक विज्ञान नहीं है। और वायरस के एक संस्करण में उत्परिवर्तन की संख्या और इससे उत्पन्न होने वाले खतरों के बीच कोई सीधा संबंध नहीं है। फैलाव को रोकने के लिए निगरानी और वैश्विक शोध उपायों की जरूरत ओमिक्रोन संस्करण के फैलाव को रोकने के लिए निश्चित रूप से करीबी निगरानी और वैश्विक शोध उपायों की जरूरत है। ऐसे में यह कहना जल्दबाजी होगी कि हम किस तरह की चुनौती का सामना कर रहे हैं। आने वाले हफ्तों में जैसे जैसे सुबूत आते जाएंगे एक स्पष्ट तस्वीर सामने आनी चाहिए। इस बीच, दुनिया को दक्षिण अफ़्रीकी और बोत्सवाना के वैज्ञानिकों और सार्वजनिक स्वास्थ्य अधिकारियों की सतर्कता और खुलेपन के लिए उनका आभारी होना चाहिए, और वायरस के इस नये संस्करण के सामने आने को दुनियाभर में टीके के समान और त्वरित वितरण की हमारी कोशिशों को फिर से दोगुना करने के एक नये आह्वान के तौर पर देखना चाहिए। एड फील, द मिलनर सेंटर फॉर इवोल्यूशन, यूनिवर्सिटी ऑफ बाथ में माइक्रोबियल इवोल्यूशन के प्रोफेसर


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लीमा लैटिन अमेरिकी देश पेरू में एक भूमिगत मकबरे से 1200 साल पुरानी रहस्‍यमय ममी मिली है। इस ममी का पूरा शरीर रस्सियों से बंधा हुआ है और हाथों से चेहरे को ढंका गया है। यह ममी महिला या पुरुष की है, अभी इसका खुलासा नहीं हो पाया है। इसे काजामारकिला पुरातात्विक स्‍थल से खुदाई में निकाला गया है। यह पुरास्‍थल राजधानी लीमा से कुछ किलोमीटर की दूरी पर है। शोधकर्ताओं के दल ने बताया कि यह ममी 1200 से 800 साल पुरानी है और इंका सभ्‍यता से पहले की है। यह सभ्‍यता पेरू के तट और पहाड़ों पर विकसित हुई थी। काजामारकिला पुरातात्विक स्‍थल पर खुदाई का नेतृत्‍व कैलिफोर्निया स्‍टेट यूनिवर्सिटी सान मार्कोस के पुरातत्‍वविद पीटर वान डालेन लूना कर रहे हैं। इस ममी की मुख्‍य विशेषता यह है कि इसका पूरा शरीर रस्सियों से बंधा हुआ है और चेहरे को हांथों से ढंका गया है। पत्‍थर के औजार, सेरामिक बर्तन भी मिले पीटर वान कहते हैं कि यह शरीर को बांधना स्‍थानीय अंत‍िम संस्‍कार के तरीके का एक हिस्‍सा हो सकता है। उन्‍होंने बताया कि यह ममी बनाया गया व्‍यक्ति इंका सभ्‍यता के उदय से 600 से 200 साल पहले अंदियान इलाके में रहता होगा जो आधुनिक पेरू है। वान ने कहा, 'रेडियोकॉर्बन डेटिंग और ज्‍यादा ठीक-ठीक जानकारी दे सकती है।' इस भूमिगत मकबरे के अंदर अंतिम संस्‍कार से जुड़ी अन्‍य चीजें भी बरामद हुई हैं। पुरातत्‍वविदों ने बताया कि पत्‍थर के औजार, सेरामिक बर्तन भी मिले हैं जिसके अंदर सब्जियों के अवशेष मिले हैं। इस टीम ने बताया कि यह इलाका कई जातियों वाला हो सकता है। पेरू में हजारों की तादाद में पुरातात्विक स्‍थल हैं जो इंका सभ्‍यता के पहले और बाद में विकसित हुई हैं। दक्षिण अमेरिका में एक समय में इंका सभ्‍यास के लोग सबसे ज्‍यादा होते थे। ये लोग इक्‍वाडोर, कोलंबिया, मध्‍य चिली और पेरू में पाए जाते थे। स्‍पेन के हमलावरों के हमले के बाद इंका सभ्‍यता का पतन हो गया।


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वॉशिंगटन अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने ऐलान किया है कि इस साल का एकमात्र पूर्ण सूर्यग्रहण अगले हफ्ते लगने जा रहा है। अगर आप इस दुर्लभ खगोलीय घटना को साक्षात देखना चाहते हैं, तो इसके लिए आपको काफी दूर जाना होगा। नासा के मुताबिक यह पूर्ण सूर्यग्रहण 4 दिसंबर को अंटारकटिका पर देखा जाएगा। इसके अलावा सेंट हेलेना, साउथ जॉर्जिया, फाल्‍कलैंड आइलैंड, चिली, न्‍यूजीलैंड और ऑस्‍ट्रेलिया में आंशिक सूर्यग्रहण देखा जा सकता है। भारत में यह सूर्यग्रहण नहीं देखा जाएगा। नासा ने कहा कि सूर्यग्रहण तब लगता है जब चंद्रमा सूरज और हमारी धरती के बीच आ जाता है। इससे धरती पर चंद्रमा की छाया पड़ने लगती है। इससे धरती पर कई इलाकों में सूर्य की रोशनी या तो पूरी तरह से नहीं आती है या फिर आंशिक रूप से ही आ पाती है। एक पूर्ण सूर्यग्रहण रविवार को लग सकता है जब सूरज, चंद्रमा और पृथ्‍वी एक सीधी लाइन में आ जाते हैं। पूर्ण सूर्यग्रहण भारतीय समयानुसार 4 दिसंबर को सुबह करीब 11 बजे शुरू हो जाएगा। दोपहर में 1 बजकर 3 मिनट पर सूर्यग्रहण अपने चरम पर पहुंच जाएगा। नासा ने बताया, कैसे देखें ऑनलाइन अंटारकटिका के पास रोने आइस सेल्‍फ से पूर्ण सूर्यग्रहण का सबसे अच्‍छा नजारा देखने को मिल सकता है। नासा ने बताया कि अगला सूर्यग्रहण अब 8 अप्रैल, 2024 को लगेगा और उसे कनाडा, मेक्सिको, अमेरिका समेत दुनिया के विभिन्‍न हिस्‍सों में देखा जाएगा। वहीं यूरोप में इस सदी में पूर्ण सूर्यग्रहण नहीं द‍िखाई देगा। भारत में भले ही सूर्यग्रहण नहीं दिखाई देगा लेकिन लोग इसे ऑनलाइन देख सकते हैं। नासा इसे अंटारकटिका के यूनियन ग्‍लेशियर से लाइव प्रसारित करेगा। इसे यूट्यूब पर और nasa.gov/live पर दिखाया जाएगा। भारतीय समयानुसार दोपहर में 12 बजे इसका प्रसारण शुरू हो जाएगा। नासा ने लोगों को चेतावनी दी है कि वे नंगी आंखों से सूर्यग्रहण को न देखें। इससे उनकी आंखें खराब हो सकती हैं। पूर्ण सूर्यग्रहण उस स्थिति को कहते हैं, जब चांद कुछ वक्त के लिए सूरज के पूरी तरह सामने आ जाता है और एक छ्ल्ले जैसा आसमान में दिखता है।


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Monday 29 November 2021

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ब्रिजटाउन कैरेबियाई देश बाराबडोस ने करीब 400 साल तक अंग्रेजों की गुलामी के प्रतीक को ढोने के बाद अंतत: खुद को आजाद कर लिया है। बाराबडोस ने खुद को एक गणतंत्र घोषित किया है और ब्रिटेन के राजतंत्र को अपने यहां से खत्‍म कर दिया है। ब्रिटेन से पहले जहाज के बराबडोस आने के करीब 400 बाद इस देश ने अपने आखिरी औपनिवेश‍िक रिश्‍ते को भी खत्‍म कर लिया है। औपनिवेशिक आजादी मिलने के बाद बाराबडोस के लोग आधी रात को हजारों की तादाद में राजधानी में स्थित चेंब‍रलिन पुल पर उतर आए और जमकर जश्‍न मनाया। गणराज्‍य बनने के बाद 21 तोपों की सलामी दी गई और भीड़ से भरे हीरोज स्‍क्‍वायर पर देश का राष्‍ट्रगान बजाया गया। इस दौरान ब्रिटेन के राजकुमार चार्ल्‍स गंभीरतापूर्वक खड़े रहे। इस बदलाव के बाद अब यह उम्‍मीद की जा रही है कि वे पूर्व उपनिवेश रह चुके देश भी ब्रिटिश राजतंत्र को खारिज कर सकते हैं जहां पर अभी भी महारानी एलिजाबेथ द्वितीय अभी संप्रभु हैं। इस ऐलान के बाद बाराबडोस के लोगों ने परंपरागत नृत्‍य किया और संगीत बजाया। सांद्रा मसोन को देश की पहली राष्‍ट्रपति बनीं यही नहीं लोगों ने औपनिवेश‍िक शासन के खात्‍मे के बाद जमकर भाषण भी दिए। बाराबडोस के गणराज्‍य बनने के बाद सांद्रा मसोन को देश की पहली राष्‍ट्रपति बनाया गया। मसोन को पिछले हफ्ते ही संसद के दोनों सदनों की संयुक्‍त बैठक में चुना गया था। इस कार्यक्रम में बाराबडोस के कव‍ि विन्‍स्‍टन फारेल ने कहा, 'औपनिवेशिक काल का अंत हुआ।' अलजजीरा की लैटिन अमेरिका एटिडर लूसिया न्‍यूमैन कहती हैं, 'यह व्‍यवहारिक की बजाय बहुत ही भावुक करने वाला, ऐतिहासिक, सांकेतिक फैसला है।' वहीं स्‍थानीय लोगों ने इसे पूरी तरह से संप्रभु बनने की दिशा में अगले चरण का एक तार्किक फैसला करार दिया है। अपने भाषण में राष्‍ट्रपति मसोन ने कहा कि अपने औपनिवेशिक भूतकाल को पीछे छोड़ देने का यह समय आ गया है। बाराबडोस के लोग चाहते हैं कि उनके देश का आदमी देश का प्रमुख बने।' उधर, ब्रिटेन के प्रिंस चार्ल्‍स ने कहा कि इस संवैधानिक बदलाव के बाद भी ब्रिटेन और बाराबडोस के बीच र‍िश्‍ते गर्मजोशी से भरे बने रहेंगे।


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लंदन ब्रिटेन की विदेशी खुफिया एजेंसी MI 6 के मुखिया रिचर्ड मूर ने जासूसी की दुनिया में हो रहे बदलावों पर गंभीर चेतावनी दी है। रिचर्ड मूर ने कहा कि चीन और रूस जिस तरह से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर महारत हासिल कर रहे हैं, आने वाले 10 वर्षों में भूराजनीति में क्रांतिकारी बदलाव कर सकते हैं। मूर एमआई 6 का चीफ बनने के बाद मंगलवार को अपना पहला भाषण देने जा रहे है और इसके कुछ अंश पहले ही जारी कर दिए गए हैं। मूर अपने भाषण में क्‍वांटम इंजीनियरिंग, इंजीनियर्ड बॉयोलॉजी, बड़े पैमाने पर पैदा हो रहे डेटा और कंप्‍यूटर की दुनिया में तेजी से हो रहे बदलावों से पैदा होने वाले खतरों के बारे में अपनी बात रखेंगे। मूर के भाषण के पहले ही जारी किए गए अंश में कहा गया है, 'हमारे शत्रु आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, क्‍वांटम कंप्‍यूट‍िंग, सिंथेटिक बॉयोलॉजी पर महारत हासिल करने के लिए जमकर पैसा बहा रहे हैं और उनका ऐसा करने का इरादा भी है। वे (चीन और रूस) यह जानते हैं कि इन तकनीकों पर महारत हासिल करना उन्‍हें मदद कर सकता है।' 'उदार लोकतंत्रों के लिए रूस-चीन की खुफिया एजेंसियां चिंता का सबब' मूर बहुत कम बोलते हैं और जब वह बोल‍ते हैं तो वह वर्तमान खतरों के बारे में अपनी राय रखते हैं। मूर का यह बयान ऐसे समय पर आया है जब दुनियाभर के जासूस अत्‍याधुनिक तकनीकों पर महारत हासिल कर रहे हैं जिससे अब तक इंसानों के जरिए होने वाले जासूसी अभियानों को चुनौती मिल रही है। अब तक हजारों साल से जासूसों के जरिए ही दुनिया में जासूसी को अंजाम दिया जाता रहा है। मूर एक राजनयिक रह चुके हैं और अक्‍टूबर 2020 में एमआई 6 के चीफ रह चुके हैं। मूर ने कहा कि एक समाज के रूप में हमने अभी तक इस सामने खड़े खतरे और उसके वैश्विक भूराजनीति पर पड़ने वाले असर के बारे में आकलन नहीं किया है। लेकिन यह एमआई 6 के लिए अत्‍यधिक फोकस का विषय बना हुआ है। दुनिया के उदार लोकतंत्रों के लिए रूस और चीन की खुफिया एजेंसियां चिंता का विषय हैं। चीन उभरती हुई तकनीकों पर हासिल कर सकता है बादशाहत इन दोनों ही देशों की खुफिया एजेंसियां अत्‍याधुनिक तकनीकों की ताकत पर कब्‍जा करने के लिए खुद को तैयार कर रही हैं। कई बार तो वे पश्चिमी देशों से ज्‍यादा तेजी से ऐसा कर रहे हैं। पश्चिमी देशों की खुफिया एजेंसियों को डर है कि चीन अगले आने वाले दशकों में सभी उभरती हुई प्रमुख तकनीकों खासतौर पर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, क्‍वांटम कंप्‍यूट‍िंग, जेनेटिक्‍स पर बादशाहत हासिल कर सकता है।


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केपटाउन कोरोना वायरस के ओमीक्रोन वेरिएंट से दुनियाभर की टेंशन बढ़ गई है। डब्ल्यूएचओ ने कहा है कि ओमीक्रोन स्वरूप से वैश्विक खतरा ‘बेहद अधिक’ है, और इससे ‘गंभीर परिणाम’ हो सकते हैं। इस चेतावनी के बीच ओमीक्रोन वेरिएंट के भयावहता के लक्षण तेजी से सामने आने लगे हैं। दक्षिण अफ्रीका के जिस प्रांत से ओमीक्रोन वेरिएंट सबसे पहले सामने आया था, वहां अस्‍पतालों में मरीजों की संख्‍या 330 फीसदी बढ़ गई है। दक्षिण अफ्रीका के गौटेंग प्रांत में आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक इस सप्‍ताह कोरोना से पीड़‍ित लोगों को अस्‍पताल में भर्ती कराए जाने के 580 मामले सामने आए हैं। अगर दो सप्‍ताह के आंकड़ों पर गौर करें तो करीब 330 फीसदी की वृद्धि हुई है। गौटेंग प्रांत में ही दक्षिण अफ्रीका की राजधानी जोहानिसबर्ग भी आती है। इस प्रांत के केवल 40 फीसदी लोगों को ही कोरोना वैक्‍सीन का कम से कम एक डोज लगा है। 'अब तक मामलों में लक्षण बहुत हल्के रहे' इस इलाके में पिछले साल ओमीक्रोन वेरिएंट के 77 मामले सामने आए थे और दुनिया के कई विशेषज्ञों को यह डर सता रहा है कि ओमीक्रोन सबसे ज्‍यादा संक्रामक वेरिएंट हो सकता है। यही नहीं यह वेरिएंट अपने बहुत ज्‍यादा म्‍यूटेशन की वजह से वैक्‍सीन को भी मात दे सकता है। इस बीच दक्षिण अफ्रीका के चिकित्सकों का कहना है कि कोरोना वायरस के नये ओमीक्रोन स्वरूप के चलते संक्रमण के मामलों में जो तेज वृद्धि देखी जा रही है, उनमें से अधिकतर में लक्षण हल्के हैं। गौतेंग प्रांत के एक चिकित्सक डॉ. उनबेन पिल्लै का कहना है कि उन्होंने पिछले 10 दिनों में कोविड-19 के नये मामलों में तेज वृद्धि देखी है। देश में नये मामलों में से 81 प्रतिशत मामले गौतेंग प्रांत में सामने आए हैं। उन्होंने कहा कि अब तक मामलों में लक्षण बहुत हल्के रहे हैं। उन्होंने कहा कि मरीजों में फ्लू जैसे लक्षण, सूखी खांसी, बुखार, रात को पसीना आना, शरीर में दर्द होना शामिल है। उन्होंने कहा कि ज्यादातर का इलाज घर पर ही किया गया है। बोत्सवाना में अब तक ओमिक्रॉन वैरिएंट के 19 मामलों की पुष्टि डॉक्‍टर उनबेन ने यह भी कहा कि संक्रमितों में से टीका ले चुके लोगों की स्थिति टीका नहीं लेने वालों से बहुत बेहतर है। दक्षिण अफ्रीका में कोविड-19 के मामलों में हालिया वृद्धि युवाओं में सामने आयी है। चिकित्सक इस बात पर जोर देते हैं कि युवाओं में कोविड-19 के लक्षण अक्सर हल्के होते हैं। उधर, बोत्सवाना में अब तक कोविड के नए खोजे गए ओमिक्रॉन वैरिएंट के कुल 19 मामलों की पुष्टि हो चुकी है। स्वास्थ्य मंत्री एडविन डिकोलोटी ने रविवार शाम को एक ब्रीफिंग में कहा कि पिछले सप्ताह चार विदेशियों के संक्रमित घोषित किए जाने के बाद, अन्य पॉजिटिव कोविड नमूनों के अतिरिक्त आकलन और विश्लेषण के बाद रविवार सुबह ओमिक्रॉन वैरिएंट के 15 और मामले सामने आए हैं।


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वॉशिंगटन कोरोना वायरस के नए वेर‍िएंट ओमीक्रोन से दुनिया दहशत में है। विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन ने चेतावनी दी है कि इस वेरिएंट से पूरी दुनिया को बहुत ज्‍यादा खतरा है। इस बीच अमेरिकी राष्‍ट्रपति जो बाइडन ने लोगों को सलाह दी है कि इस वेरिएंट को चिंता का कारण मानना चाहिए न कि घबराने का कारण। उन्‍होंने लोगों से अपील की कि वे तेजी से कोरोना वायरस वैक्‍सीन को लगवाएं। ओमीक्रोन के म्‍यूटेशन को लेकर अमेरिका के स्‍वास्‍थ्‍य विभाग के अधिकारी वैक्‍सीन बनाने वाले विशेषज्ञों से बात कर रहे हैं ताकि ओमीक्रोन के म्‍यूटेशन को लेकर तैयारी की जा सके। हालांकि उन्‍होंने जोर देकर कहा कि अमेरिका बिना लॉकडाउन या यात्रा बैन लगाए ही ओमीक्रोन वेरिएंट पर काबू पाने में सक्षम है। अमेरिका ने अभी 8 अफ्रीकी देशों से यात्रा पर कई तरह की रोक लगाई हैं। वर्तमान वैक्‍सीन कोरोना के नए वेरिएंट पर भी कारगर बाइडन ने कहा, 'यह वेरिएंट चिंता का विषय है न कि घबराने का विषय। अगर आप टीका लगवा चुके हैं लेकिन इसके बाद भी चिंतित हैं तो आप बूस्‍टर शॉट लगवा लें। अगर आपने टीका नहीं लगवाया है तो टीका लगवाएं। पहला टीका लें।' उन्‍होंने अमेरिका के मुख्‍य मेडिकल सलाहकार डॉक्‍टर एंथनी फाउची के हवाले कहा कि वर्तमान वैक्‍सीन कोरोना के नए वेरिएंट पर भी कारगर होंगी। साथ बूस्‍टर डोज से सुरक्षा बढ़ जाएगी। इससे पहले डब्ल्यूएचओ ने कहा था कि प्रारंभिक साक्ष्य के आधार पर कोरोना वायरस के ओमीक्रोन स्वरूप से वैश्विक खतरा ‘बेहद अधिक’ है, और इससे ‘गंभीर परिणाम’ हो सकते हैं। संयुक्त राष्ट्र की स्वास्थ्य एजेंसी ने सदस्य देशों को एक तकनीकी ज्ञापन में कहा कि नए संस्करण के बारे में ‘काफी अनिश्चितता’ बनी हुई है। कोविड-19 का नया स्वरूप पहली बार दक्षिणी अफ्रीका में पाया गया था। संगठन ने कहा कि दुनियाभर में इसके और फैलने की आशंका अधिक है।


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लाहौर पाकिस्तान पुलिस ने सोमवार को करतारपुर में गुरुद्वारा दरबार साहिब में कपड़ों के एक ब्रांड के लिए पाकिस्तान की एक मॉडल के बिना सिर ढके फोटोशूट कराने की जांच शुरू का दी है। पुलिस ने यह जांच तब शुरू की जब एक भारतीय सिख पत्रकार ने तस्वीरों की समुदाय की धार्मिक भावनाओं को आहत करने के लिए आलोचना की। भारतीय सिख स्वतंत्र पत्रकार रविंदर सिंह ने ट्वीट करके उल्लेख किया कि तस्वीरें सोशल मीडिया पर अपलोड की गई हैं और उन्होंने समुदाय के प्रति अनादर को रेखांकित किया। सिंह ने अपने पोस्ट में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान को भी टैग किया। उन्होंने ट्वीट किया, 'पाकिस्तान में करतारपुर साहिब में गुरुद्वारा श्री दरबार साहिब के परिसर में महिलाओं के कपड़ों के लिए बिना सिर ढके मॉडलिंग करके लाहौर की एक महिला ने सिखों की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाई है।' गुरुद्वारे में अपना सिर ढकना अनिवार्य है और इसे इस पवित्र स्थान के प्रति सम्मान दिखाने का एक तरीका माना जाता है। पंजाब के मुख्यमंत्री के लिए डिजिटल मीडिया देखने वाले अजहर मशवानी ने सिंह के ट्वीट पर प्रतिक्रिया जताते हुए कहा कि मामला 'कानूनी कार्रवाई के लिए संबंधित अधिकारियों को भेज दिया गया है।' मॉडल के खिलाफ जांच जारीइसके कुछ ही समय बाद पंजाब पुलिस ने ट्वीट किया कि वे इस घटना से जुड़े सभी पहलुओं की जांच कर रहे हैं और जिम्मेदार व्यक्तियों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी। इसने ट्वीट किया, 'संबंधित ब्रांड के प्रबंधन और मॉडल के खिलाफ जांच की जा रही है। सभी धर्मों के उपासना स्थल समान रूप से सम्मानित हैं।' समाचारपत्र 'डॉन' की एक खबर के मुताबिक, मॉडल की तस्वीरें ‘मन्नत क्लोदिंग’ नाम के एक परिधान ब्रांड के इंस्टाग्राम पेज पर साझा की गईं, लेकिन आलोचना के बाद इसे हटा दिया गया। पाक मंत्री बोले- सिख समुदाय से मांगे माफीखबर में मशवानी के हवाले से कहा गया है कि पुलिस फोटो खींचने में ब्रांड और मॉडल की भूमिका की पहले जांच करेगी और बाद में मामला दर्ज करेगी। उन्होंने कहा, 'पुलिस इस बात की जांच कर रही है कि मॉडल ने खुद फोटोशूट कराया या फिर ब्रांड ने यह कराया।' सूचना मंत्री फवाद चौधरी ने ट्वीट किया, 'डिजाइनर और मॉडल को तस्वीरों के लिए सिख समुदाय से माफी मांगनी चाहिए।' उन्होंने ट्वीट किया, 'करतारपुर साहिब एक धार्मिक प्रतीक है..।' कंपनी ने इंस्टाग्राम पर मांगी माफी पूरे विवाद पर प्रतिक्रिया जताते हुए 'मन्नत क्लोदिंग' ब्रांड ने इंस्टाग्राम पर एक पोस्ट में माफी मांगी और इस बात से इनकार किया कि उनके अकाउंट पर पोस्ट की गई तस्वीरें उनके द्वारा किए गए किसी भी फोटोशूट का हिस्सा थीं। पोस्ट में कहा गया, 'ये तस्वीरें हमें एक थर्ड पार्टी (ब्लॉगर) ने मुहैया कराई थीं, जिसमें हमारा परिधान पहना गया था।' उसने कहा, 'हालांकि, हम अपनी गलती स्वीकार करते हैं कि हमें इस सामग्री को पोस्ट नहीं करना चाहिए था और हम हर उस व्यक्ति से माफी मांगते हैं जो इससे आहत हुआ है।' भारत में भी शुरू हुआ विरोधभारत में भी इसे लेकर विरोध देखने को मिला। दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमिटी के अध्यक्ष मंजिंदर सिंह सिरसा ने विदेश मंत्री एस जयशंकर को पत्र लिखकर फोटोशूट पर कड़ी आपत्ति जताई थी। उन्होंने लिखा था कि लोग असभ्य कपड़े पहनकर गुरुद्वारा जाते हैं, टिकटॉक वीडियो बनाते हैं और गुरुद्वारा परिसर को एक पिकनिक स्पॉट के रूप में इस्तेमाल करते हैं। उन्होंने ऐसे लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की थी।


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ताइपे ताइवान का एक व्यक्ति सुपरमार्केट से अस्पताल जाने के लिए कई बार एम्बुलेंस बुला चुका है। उसका इरादा इलाज कराने का नहीं बल्कि एम्बुलेंस का इस्तेमाल 'फ्री टैक्सी' के रूप में करने का है। वह चाहता है कि एम्बुलेंस उसे सुपरमार्केट से पिक करे क्योंकि वह 'घर तक पैदल चलकर नहीं जाना चाहता', जो अस्पताल के ठीक बगल में है। ऐसे में सवाल ये भी उठ सकते हैं कि उसके घर से सुपरमार्केट कितनी दूर है? ये दूरी सिर्फ 200 मीटर की है। ग्लोबल टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक जब पिछले साल रेकॉर्ड की जांच की गई तो पता चला कि वांग सरनेम वाला व्यक्ति साल में 39 बार मुफ्त टैक्सी के रूप में एम्बुलेंस का इस्तेमाल कर चुका है। वांग ने बार-बार बीमार होने का बहाना बनाकर उसे अस्पताल ले जाने के लिए एम्बुलेंस बुलाई। वांग के नाटक का खुलासा तब हुआ जब अस्पताल ने देखा कि वह हर बार एम्बुलेंस बुलाने के बाद बिना चेक-अप कराए ही अपने आप अस्पताल से चला गया। पुलिस ने दी चेतावनीचिकित्सा कर्मचारियों ने पुलिस को वांग के सार्वजनिक सेवाओं का गलत इस्तेमाल करने के बारे में सूचित किया। इस पर वांग ने पुलिस को अपशब्द कहे। पुलिस ने उसे चेतावनी दी है कि अगर वह एक बार फिर अपनी सुविधा के लिए सामाजिक संसाधनों का गलत इस्तेमाल करता है तो उस पर जुर्माना लगाया जाएगा। आपातकालीन रोगियों को ताइवान में निकटतम अस्पताल ले जाने के लिए एम्बुलेंस को नि: शुल्क बुलाया जा सकता है। जब स्ट्रेचर से उठकर भागा शख्सइससे पहले जुलाई में एक शख्स का स्ट्रेचर से उठकर एम्बुलेंस से भगाने का वीडियो सोशल मीडिया पर शेयर किया गया था। लोगों ने दावा किया था कि शख्स बेहद नशे में था लेकिन वह मेडिकल हेल्प नहीं चाहता था। हालांकि यह साफ नहीं हुआ था कि व्यक्ति एम्बुलेंस से क्यों भागा लेकिन वीडियो पर लोगों ने कमेंट कर दावा किया था कि वह किसी भी तरह के मेडिकल फीस का भुगतान करने से बच रहा था।


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इस्लामाबादपाकिस्तान के कोरोना वायरस रोधी कार्यबल के प्रमुख असद उमर ने सोमवार को यह चेतावनी देते हुए लोगों से कोविड-19 रोधी टीका लगवाने की अपील की है कि देश में कोविड-19 के नए वेरिएंट ओमीक्रोन के पहुंचने में कुछ ही हफ्ते का समय बचा है। इस नए स्वरूप को लेकर पूरी दुनिया में चिंता है। संघीय योजना मंत्री असद उमर राष्ट्रीय कमान एवं नियंत्रण केंद्र (एनसीओसी) के प्रमुख भी हैं जिसे महामारी से निपटने का काम सौंपा गया है। उन्होंने कहा कि दुनिया आपस में इतनी जुड़ी हुई है कि जब दुनिया में यह फैलना शुरू हो गया है तो नए वेरिएंट को रोकना असंभव है। उमर ने लोगों से कोविड -19 के ओमीक्रोन स्वरूप के खिलाफ एहतियात के तौर पर टीका लगवाने का आग्रह किया। उन्होंने कहा, 'यह स्वरूप (ओमीक्रोन) पाकिस्तान में आएगा और हमारे पास इसके खतरे को कम करने के लिए 2-3 सप्ताह हैं।' वैक्सिनेशन से ही टलेगा खतराउमर ने कहा कि टीकाकरण ही खतरे को कम करने का एकमात्र तरीका है क्योंकि प्रारंभिक जानकारी से पता चलता है कि खतरनाक होने के बावजूद टीकाकरण ओमीक्रोन के खिलाफ प्रभावी होगा। मंत्री ने यह भी घोषणा की है कि अगले 2-3 दिनों में कोविड-19 के खिलाफ एक बड़ा टीकाकरण अभियान शुरू किया जाएगा। उमर ने कहा, 'मेरी पाकिस्तानियों से अपील है, विशेष रूप से उनसे जिन्होंने एक खुराक ली है और जिन्हें दूसरी खुराक लेनी है क्योंकि यह एक प्रभावी चीज है जो हमें इस प्रकार के खतरे से खुद को बचाने के लिए है।' बूस्टर डोज को लेकर अंतिम निर्णय आना बाकीमंत्री ने कहा कि अत्यधिक जोखिम वाले लोगों को बूस्टर डोज देने के लिए परामर्श प्रक्रिया मंगलवार तक पूरी कर ली जाएगी। पाकिस्तान छह अफ्रीकी देशों और हांगकांग पर यात्रा प्रतिबंध लगा चुका है। ओमीक्रोन का पहला केस साउथ अफ्रीका में ही सामने आया था जहां से देखते ही देखते यह पूरी दुनिया में फैल गया। यूरोप के बाद अब यह ब्रिटेन में अपने पैर पसार रहा है जहां ओमीक्रोन के कुल 9 मामले हो चुके हैं।


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वॉशिंगटन कुछ दिनों की राहत के बाद दुनिया में एक बार फिर हाहाकार मच गया है। जब पूरी दुनिया आम दिनों की ओर लौट रही थी तब एक हफ्ते के भीतर 'टैवल बैन', 'चेतावनी' और 'नए वेरिएंट' जैसे शब्द एक बार फिर सुर्खियों में आ गए। अब सभी देश एक बार फिर प्रतिबंध लागू कर रहे हैं। कोरोना के नए वेरिएंट ओमीक्रोन ने पूरे माहौल को बदल दिया है। सोमवार को डब्ल्यूएचओ ने इसे लेकर चेतावनी भी जारी कर दी। लेकिन इसी बीच एक अमेरिकी विशेषज्ञ ने 'गुड न्यूज' दी है। यूनिवर्सिटी ऑफ मैरीलैंड में संक्रामक रोगों के प्रमुख फहीम यूनुस ने कहा है कि ओमीक्रोन डेल्टा वेरिएंट से ज्यादा घातक नहीं होगा। उन्होंने covariants.org के हवाले से यह दावा किया है। अपने ट्वीट में उन्होंने एक तस्वीर शेयर की जिसमें 21I (डेल्टा), 21J (डेल्टा) और 21K (ओमीक्रोन) के ग्राफ को देखा जा सकता है। यूनुस ने लिखा, 'डेल्टा बनाम ओमीक्रोन वेरिएंट की मौजूदा वैश्विक आवृति। कई कारकों के आधार पर, मेरा मानना है कि ओमीक्रोन डेल्टा से ज्यादा नहीं फैलेगा। और यह एक अच्छी खबर होगी।' 'महामारी 2.0' की चेतावनीइससे पहले महामारी विज्ञानियों ने चेतावनी दी थी कि यह वेरिएंट बेहद 'चिंताजनक' है और 'महामारी 2.0' को बढ़ावा दे सकता है। विशेषज्ञों की इसी चेतावनी के बाद ही न्यूयॉर्क में 'आपातकाल की स्थिति' की घोषणा कर दी गई थी। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने सोमवार को चेतावनी दी है कि कोरोना के नए वेरिएंट ओमीक्रोन से संबंधित जोखिम 'बहुत अधिक' है। डब्ल्यूएचओ ने कहा कि बी.1.1.529 स्ट्रेन, जो पहली बार दक्षिण अफ्रीका में पाया गया था, 'बहुत अलग' है और इसके अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बहुत तेजी से फैलने की संभावना है। ब्रिटेन में पैर पसार रहा ओमीक्रोनडब्ल्यूएचओ ने कहा कि संभवतः इसके 'गंभीर परिणाम' हो सकते हैं। ओमीक्रोन में कई स्पाइक म्यूटेशन हैं जो यूरोप और अब ब्रिटेन में तेजी से फैल रहा है। स्कॉटलैंड में ओमीक्रोन के छह मामले सामने आए हैं जिससे ब्रिटेन में इसके कुल मामले बढ़कर अब नौ हो गए हैं। इससे पहले ब्रिटेन में ओमीक्रोन के तीन मामले सामने आए थे। स्कॉटलैंड सरकार ने बताया कि चार मामले लनार्कशायर में और दो ग्रेटर ग्लासगो और क्लाइड क्षेत्र में सामने आए हैं।


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लंदन ब्रिटेन की क्वीन एलिजाबेथ द्वितीय दुनिया की कुछ सबसे ताकतवर शख्सियतों में से एक हैं। 95 साल की उम्र में भी वह सोशल मीडिया पर सक्रिय रहती हैं। लेकिन सोशल मीडिया के अलावा वह अपने फोन का इस्तेमाल किस से बात करने के लिए करती हैं? शाही परिवार की जानकारी रखने वाले एक पत्रकार ने बताया है कि क्वीन ज्यादातर अपने मोबाइल फोन का इस्तेमाल सिर्फ दो लोगों से बात करने के लिए करती हैं और इनमें उनके कोई बेटे शामिल नहीं हैं। एक ब्रिटिश पत्रकार जोनाथन सैकरडोटी, जिन्होंने शाही परिवार से संबंधित समाचारों को व्यापक रूप से कवर किया है, ने 'रॉयल्टी अस' पॉडकास्ट के एक हालिया एपिसोड के दौरान इसका खुलासा किया। उन्होंने बताया कि क्वीन एक सैमसंग मोबाइल का इस्तेमाल करती हैं जो 'एंटी-हैकर एन्क्रिप्शन' के साथ आता है ताकि कोई भी उनके फोन को हैक न कर सके। क्वीन ज्यादातर फोन पर सिर्फ दो लोगों से बात करती हैं। सिर्फ इन दो लोगों का फोन उठाती हैं क्वीनतो वे दो खुशकिस्मत लोग कौन हैं जिनसे क्वीन मोबाइल पर बात करती हैं? सैकरडोटी ने बताया कि वह अपने मोबाइल फोन पर सिर्फ अपनी बेटी राजकुमारी ऐनी और अपने रेसिंग मैनेजर जॉन वॉरेन के कॉल का जवाब देती हैं। तो जाहिर है कि ये दो लोग कभी भी रानी से बात कर सकते हैं। क्वीन दुनिया में कहीं भी हों, अगर इन दोनों में से किसी का फोन आता है तो वह उस कॉल का जवाब देती हैं। क्वीन को लेकर पहले भी किए जा चुके हैं खुलासेरेसिंग मैनेजर जॉन वॉरेन क्वीन के दोस्त के दामाद हैं। वॉरेन क्वीन के ब्लडस्टॉक और रेसिंग एडवाइजर के प्रतिष्ठित पद पर हैं। इससे पहले भी क्वीन को लेकर कई चौंकाने वाले खुलासे किए जा चुके हैं। कहा जाता है कि क्वीन के पास पासपोर्ट नहीं है क्योंकि वह पूरी दुनिया में कहीं भी यात्रा कर सकती हैं। इसके अलावा उनके पास ड्राइविंग लाइसेंस भी नहीं है क्योंकि ब्रिटेन में सिर्फ क्वीन एलिजाबेथ को गाड़ी चलाने के लिए लाइसेंस की जरूरत नहीं है।


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पेइचिंग चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने सशस्त्र बलों के तेजी से आधुनिकीकरण में मदद करने और भविष्य में युद्ध जीतने के लिए नई प्रतिभाओं की भर्ती की जरूरत पर जोर दिया है। सेना की ओर से अग्रिम पंक्ति के पदों के लिए तीन लाख कर्मियों को भर्ती करने की प्रतिबद्धता जताए जाने की खबरों के बीच यह जानकारी सामने आई है। सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना (सीपीसी) के अलावा सेना का नेतृत्व करने वाले राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने शुक्रवार से रविवार तक आयोजित सैन्य प्रतिभा संबंधी कार्यों पर आधारित एक सम्मेलन में इसकी जानकारी दी। उन्होंने कहा कि प्रतिभा ही उच्च गुणवत्ता के साथ चीनी सशस्त्र बलों की प्रगति, सैन्य प्रतिस्पर्धा में जीत हासिल करने और भविष्य के युद्धों में बढ़त लेने की कुंजी है। चीनी सेना 209 अरब डॉलर के वार्षिक सैन्य बजट के साथ तेजी से आधुनिकीकरण की ओर बढ़ रही है। साथ ही संगठनात्मक सुधार के अलावा वह आधुनिक हथियार प्रणालियों से लैस भी हो रही है। शताब्दी वर्ष के लक्ष्य पूरा करेंगे युवा चीन की सरकारी समाचार एजेंसी 'शिन्हुआ' की खबर के अनुसार, शी ने कहा कि पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के 2027 में होने वाले शताब्दी वर्ष के लिए निर्धारित लक्ष्यों को पूरा करने के वास्ते ठोस समर्थन देने के लिए नई प्रतिभाओं की जरूरत है। चीनी राष्ट्रपति ने कहा, 'लड़ने व जीतने की क्षमताओं को मजबूत करना सैन्य प्रतिभा का प्रारंभिक बिंदु और अंतिम लक्ष्य होना चाहिए।' तीन लाख सैनिकों के लिए संसाधन बढ़ेउन्होंने सैन्य कर्मियों के वैज्ञानिक ज्ञान और आधुनिक युद्ध जीतने की उनकी क्षमता में सुधार के उद्देश्य से तकनीकी जानकारी में सुधार के लिए प्रयास किए जाने का भी आह्वान किया। इस बीच, हांगकांग के 'साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट' ने सोमवार को अपनी खबर में बताया कि चीनी सेना ने युवा पेशेवरों को पीएलए में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित करने के मद्देनजर अग्रिम पंक्ति की भूमिकाओं के वास्ते तीन लाख सैनिकों के लिए संसाधनों में वृद्धि की है।


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जिनेवाविश्व स्वास्थ्य संगठन ने सोमवार को चेतावनी दी है कि कोरोना के नए वैरिएंट ओमीक्रोन से संबंधित जोखिम 'बहुत अधिक' है। डब्ल्यूएचओ ने कहा कि बी.1.1.529 स्ट्रेन, जो पहली बार दक्षिण अफ्रीका में पाया गया था, 'बहुत अलग' है और इसके अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बहुत तेजी से फैलने की संभावना है और संभवतः इसके 'गंभीर परिणाम' हो सकते हैं। ओमीक्रोन में कई स्पाइक म्यूटेशन हैं जो यूरोप और अब ब्रिटेन में तेजी से फैल रहा है। डब्ल्यूएचओ का यह बयान चिंताजनक है, जिसमें कहा गया है कि ओमीक्रोन से संबंधित समग्र वैश्विक जोखिम का आकलन बहुत अधिक है। यूरोप के बाद ओमीक्रोन अब ब्रिटेन में अपने पैर पसार रहा है। स्कॉटलैंड में ओमीक्रोन के छह मामले सामने आए हैं जिससे ब्रिटेन में इसके कुल मामले बढ़कर अब नौ हो गए हैं। इससे पहले ब्रिटेन में ओमीक्रोन के तीन मामले सामने आए थे। स्कॉटलैंड सरकार ने बताया कि चार मामले लनार्कशायर में और दो ग्रेटर ग्लासगो और क्लाइड क्षेत्र में सामने आए हैं। 'कुछ भी कहना अभी जल्दबाजी'स्कॉटलैंड के उप प्रथम मंत्री जॉन स्वीनी ने कहा, 'कुछ मामलों में, हम जानते हैं कि उनमें कोई यात्रा इतिहास शामिल नहीं है। तो इससे हमें पता चलता है कि वायरस के इस विशेष स्वरूप का कुछ सामुदायिक संचरण हुआ है।' उन्होंने हालांकि यह भी कहा कि यह कहना अभी जल्दबाजी होगी कि क्या इस नए स्वरूप के खिलाफ और भी कड़े सामाजिक दूरी के मानदंडों की आवश्यकता है जिसके संभावित रूप से अत्यधिक संक्रामक होने की आशंका है। ब्रिटेन ने 'रेड लिस्ट' में शामिल किए अफ्रीकी देशउन्होंने साथ ही यह भी कहा कि वर्तमान टीकों के प्रति इसकी प्रतिक्रिया का अभी पता लगाया जाना बाकी है। ओमीक्रोन का सबसे पहले दक्षिण अफ्रीका में पता चला था और इसके मामले बाद में ऑस्ट्रेलिया, जर्मनी, इजरायल और हांगकांग सहित दुनिया भर के देशों में सामने आए थे। ब्रिटेन ने दक्षिणी अफ्रीका के दस देशों को ब्रिटेन की यात्रा प्रतिबंध 'लाल सूची' में जोड़ा है और मंगलवार से ब्रिटेन आने वाले सभी विदेशी यात्रियों को पीसीआर जांच कराने की आवश्यकता होगी।


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यरुशलम दुनिया में एडल्ट टॉय्स का एक बहुत बड़ा बाजार है, जिसमें ब्लो-अप डॉल जैसे खिलौने भी शामिल हैं। भले ही ये खिलौने खुलेआम न बिकते हों लेकिन दूसरी चीजों की तरह इन्हें भी विज्ञापन की जरूरत होती है। ब्लो-अप डॉल्स के चेहरे बनाना निर्माताओं के लिए एक बड़ी चुनौती होती है। क्योंकि वे किसी महिला के चेहरे को उसकी अनुमति के बिना इस्तेमाल नहीं कर सकते हैं। कुछ निर्माताओं ने जब ऐसा किया तो महिला ने इस पर कड़ी आपत्ति जताते हुए इसकी शिकायत दर्ज कराई। महिला ने अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर शिकायत की कि एक सेक्स डॉल कंपनी ने उसकी अनुमति के बिना सेक्स डॉल के चेहरे पर उसका इस्तेमाल किया। इजरायल डिफेंस फोर्सेस की एक पूर्व सैनिक 25 वर्षीय येल कोहेन एरिस सोशल मीडिया पर काफी मशहूर हैं और उनके लाखों फॉलोवर्स हैं। उन्होंने अपने इंस्टाग्राम पोस्ट में लिखा, 'मुझे पता चला कि एक बड़ी कंपनी ने मेरी अनुमति के बिना या मुझे जाने बिना मेरे जैसी एक सेक्स डॉल बनाई है।' कंपनी ने कॉपी किया बर्थमार्कउन्होंने लिखा, 'यह कोई मजाक नहीं है, यह सच है। उन्होंने गुड़िया का नाम 'येल' रखा है। मैं हैरान हूं, मुझे नहीं पता कि क्या करना चाहिए। येल ने लिखा, 'आपने मेरी स्टोरी पर देखा होगी कि यह मेरे देश में टीवी पर आ रही है। अब मैं इसे आप लोगों के साथ शेयर कर रही हूं।' निर्माता कंपनी 'डॉल स्टूडियो' ने बिना येल की अनुमति के उनका चेहरा इस्तेमाल किया है। इतना ही नहीं कंपनी ने येल के होठों के नीचे बने बर्थमार्क को भी कॉपी किया है। कानूनी कार्रवाई पर कर रहीं विचारडेली स्टार से बात करते हुए येल ने कहा कि शुरुआत में जब उन्हें इसके बारे में पता चला तो वह हैरान हुईं क्योंकि उसका चेहरा बहुत जाना-पहचाना था। लेकिन तब उन्होंने इस पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया और इसके बारे में भूल गईं। बेहद नाराज येल ने कहा कि उन्होंने कंपनी से संपर्क किया है और गुड़िया को हटाने की मांग की है। वह कानूनी कार्रवाई पर भी विचार कर रही हैं।


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इस्लामाबाद पाकिस्तान ने एक बार फिर अफगानिस्तान को मिलने वाली भारतीय मानवीय सहायता में अड़ंगा लगा दिया है। भारत का कहना है कि उसने 7 अक्टूबर को अफगानिस्तान को मानवीय राहत के रूप में करीब 50,000 मीट्रिक टन गेहूं और दवाओं की पेशकश की थी। अफगानिस्तान तक मानवीय सहायता पहुंचाने के मार्ग को लेकर पाकिस्तान और भारत के बीच विवाद शुरू हो गया था। पाकिस्तान पहले इसके लिए तैयार हुआ था लेकिन अब उसने कई शर्तें भारत के सामने रख दी हैं। तालिबान ने 20 अक्टूबर को 'मॉस्को फॉर्मेट' वार्ता के इतर भारतीय अधिकारियों और तालिबान अधिकारियों के बीच एक बैठक के बाद नई दिल्ली की ओर से सहायता की पेशकश की औपचारिक रूप से पुष्टि की थी। एक्सप्रेस ट्रिब्यून की एक रिपोर्ट के अनुसार पाकिस्तानी अधिकारियों ने इस्लामाबाद में भारतीय उच्चायोग को सूचित किया है कि वे सिर्फ यूएन के संरक्षण में संचालित पाकिस्तानी ट्रकों को भारतीय आपूर्ति को अफगानिस्तान ले जाने की अनुमति देंगे। पाकिस्तान बोला- 30 दिनों में पूरी करें सप्लाईपाकिस्तान ने यह भी प्रस्ताव दिया है कि अफगानिस्तान जाने वाली सप्लाई के परिवहन के लिए शिपमेंट शुल्क भारत सरकार की ओर से वहन किया जाना चाहिए। एक शर्त यह भी है कि भारत सीमा से पहला ट्रक भेजे जाने के बाद पूरे 50,000 मीट्रिक टन गेहूं का परिवहन 30 दिनों के भीतर पूरा किया जाना चाहिए। पाकिस्तान ने कहा है कि भारत के पंजाब में वाघा बॉर्डर पर ट्रकों पर गेहूं और दूसरी सप्लाई लादी जानी चाहिए। इस्लामाबाद का अनुमान है कि भारतीय गेहूं के परिवहन के लिए लगभग 1200 ट्रकों की जरूरत होगी। 'मानवीय सहायता के लिए शर्तें नहीं होनी चाहिए'भारत ने इन मांगों को खारिज कर दिया है। भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा, 'हम मानते हैं कि मानवीय सहायता शर्तों के अधीन नहीं होनी चाहिए।' पाकिस्तान का यह कदम उसके दोगले चरित्र को उजागर करता है। इससे पहले पाकिस्तान के विदेश कार्यालय ने 24 नवंबर को कहा था कि इस्लामाबाद 'भाई' जैसे अफगान लोगों के प्रति सद्भावना के रूप में नई दिल्ली की ट्रांजिट की मांग पर सहमत हो गया है। मदद के लिए तैयार हुआ था पाकिस्तानबयान में कहा गया था कि वह मानवीय उद्देश्यों के लिए 'असाधारण आधार पर' नई दिल्ली के अनुरोध को स्वीकार कर रहा है। तालिबान सरकार में विदेश मंत्री आमिर खान मुत्तकी के साथ पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान की बैठक के बाद खान ने भी ट्वीट कर कहा था कि मानवीय उद्देश्यों के लिए पाकिस्तान के माध्यम से भारत की ओर से प्रस्तावित गेहूं के परिवहन के लिए अफगान भाइयों के अनुरोध पर पाकिस्तान 'विचार' करेगा।


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संयुक्त राष्ट्र/जिनेवा संयुक्त राष्ट्र के एक शीर्ष मानवाधिकार विशेषज्ञ ने विवादित तीनों कृषि कानूनों को निरस्त करने के भारत सरकार के फैसले का स्वागत किया। उन्होंने आशा जताई कि कृषि सुधारों के संबंध में भविष्य में लिए जाने वाले फैसले देश की मानवाधिकार प्रतिबद्धताओं के अनुरूप होंगे और किसानों, समुदायों और संघों के साथ सकारात्मक बातचीत के बाद लिए जाएंगे। भारत सरकार ने सोमवार को संसद के शीतकालीन सत्र के पहले दिन ही कृषि कानून वापसी विधेयक को लोकसभा और राज्यसभा से पारित करवा लिया है। पीएम मोदी ने 19 नवंबर को किया था ऐलान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरु नानक जयंती, 19 नवंबर, के अवसर पर देश को संबोधित करते हुए घोषणा की थी कि उनकी सरकार ने तीनों कृषि कानूनों को निरस्त करने का फैसला लिया है। गौरतलब है कि किसान इन कानूनों के खिलाफ पिछले एक साल से आंदोलन कर रहे हैं। प्रधानमंत्री ने घोषणा करने के साथ ही किसानों से अपने-अपने घर लौटने का भी आह्वान किया था। आंदोलन खत्म कर लोगों से घर वापस जाने की अपील पीएम मोदी ने इस बात पर जोर दिया था कि ये कानून किसानों के हित में थे और सरकार साफ दिल और साफ नियत होने के बावजूद यह बात किसानों के एक धड़े को नहीं समझा सकी। जिसके बाद उन्होंने किसानों से आंदोलन खत्म कर घर जाने की अपील भी की। यूएन के विशेष दूत ने जताई खुशी भोजन के अधिकार मामलों पर संयुक्त राष्ट्र के विशेष दूत माइकल फाखरी ने कहा कि इन कानूनों के कारण भारत की पूरी खाद्य व्यवस्था दांव पर लगी थी। आशा करते हैं कि कृषि सुधारों के संबंध में भविष्य में लिए जाने वाले फैसले देश की मानवाधिकार प्रतिबद्धताओं के अनुरूप होंगे और किसानों, समुदायों तथा संघों के साथ सकारात्मक बातचीत के बाद लिए जाएंगे। यूएन के दूत ने 'शांतिपूर्ण' विरोध प्रदर्शन की तारीफ की उन्होंने शुक्रवार को कहा कि मैं कानून बनाने के लिए पूरी की गई लंबी प्रक्रिया की इज्जत करता हूं, लेकिन पिछले एक साल में जो भी हुआ है वह सैकड़ों हजारों लोगों के भीतर के गहरे असंतोष को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि यह दर्शाता है कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता लोगों को प्रदर्शन और शांतिपूर्ण विरोध के माध्यम से नीतिगत बदलाव को प्रभावित करने के लिए सशक्त बनाने का महत्वपूर्ण हथियार है।


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बीजिंग चीन ने सीमा विवाद को लेकर अब अपने से कहीं ज्यादा छोटे देश भूटान को धमकाना शुरू कर दिया है। 1984 से भूटान के साथ बातचीत करने के बावजूद चीन अभी तक सीमा विवाद को सुलझाने में विफल रहा है। अब लगभग चार दशकों बाद चीन ने एक बार फिर भूटान के साथ सीमा वार्ता को तेज करने के लिए एक नए समझौते पर हस्ताक्षर करने के बाद ढोल पीट रहा है। कुछ दिन पहले ही खुलासा हुआ है कि चीन ने भूटान की जमीन पर कम से कम चार गावों का निर्माण किया है। इस इलाके में चीन के बढ़ते इंफ्रास्ट्रक्टर से भारत की चिंता भी बढ़ती जा रही है। चीन का सिर्फ भारत और भूटान के साथ सीमा विवाद चीन की 22457 किलोमीटर लंबी सीमा 14 देशों से लगी है लेकिन सिर्फ भारत और भूटान के साथ ही उसका सीमा विवाद है। भूटान और चीन के बीच 477 किलोमीटर लंबी सीमा है। चीन और भूटान सीमा पर मुख्य रूप से दो इलाके ऐसे हैं, जिसपर विवाद ज्यादा है। भूटान के साथ समझौता ज्ञापन से यह भी स्पष्ट हो गया है कि दूसरों की जमीन कब्जाने की ताक में बैठे चीन ने दुनिया के सबसे कम आबादी और सैन्य नेतृत्व रूप से कमजोर मुल्क की जमीन पर भी कब्जा किया हुआ है। भूटान से चीन क्या चाहता है? चीन हर हाल में भूटान के साथ सीमा विवाद को खत्म करना चाहता है। इसके जरिए वह पूरी दुनिया को झूठा संदेश देने की कोशिश में है कि सिर्फ भारत के साथ ही उसका सीमा विवाद है और वह भारतीय नेताओं की हठधर्मिता के कारण समझौता नहीं कर पा रहा है। इतना ही नहीं, चीन चाहता है कि भूटान तिब्बत से सटे एक बड़े भूभाग को ले ले और इसके बदले में डोकलाम के पास रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण इलाके को उसे सौंप दे। भारत जानता है कि अगर भूटान ने यह इलाका चीन को सौंपा तो इससे को खतरा हो सकता है। चीन-भूटान समझौते से भारत की मुश्किलें क्यों बढ़ेंगी? दरअसल, चीन ने सिलीगुड़ी कॉरिडोर के नजदीक भूटानी जमीन पर सड़कों और सैन्य प्रतिष्ठानों का जाल सा बुन दिया है। चीन का यह निर्माण सिलीगुड़ी कॉरिडोर के नजदीक है। इतना ही नहीं, यह इलाका डोकलाम के नजदीक है, जहां 2017 में भारत और चीन के बीच कई महीनों तक सैन्य तनाव बना हुआ था। सिलीगुड़ी कॉरिडोर को ही चिकन नेक के रूप में जाना जाता है। यह गलियारा ही शेष भारत को पूर्वोत्तर के राज्यों के साथ जोड़ता है। यह कॉरिडोर तिब्बत, नेपाल, भूटान और बांग्लादेश से सटा हुआ है। कई जगहों पर इस कॉरिडोर की चौड़ाई बमुश्किल 22 किलोमीटर की है। गलवान हिंसा के बाद भारत सतर्क गलवान में हिंसा और लद्दाख में जारी तनाव के बाद भारत सतर्क है। यही कारण है कि भारतीय सेना ने लद्दाख से लेकर अरुणाचल प्रदेश तक चीन से लगी सीमा पर कई बुनियादी ढांचों का निर्माण किया है। इतना ही नहीं, इन इलाकों में भारतीय सेना की माउंटेन कोर, हल्के तोप, बख्तरबंद गाड़ियां, ठंड में सुरक्षा प्रदान करने वाले टेंट समेत कई एहतियाती कदम उठाए हैं। माओ के विस्तारवाद को बढ़ा रहे जिनपिंग भूटान की जमीन के अंदर बने हुए चीनी गांव यह बता रहे हैं कि शी जिनपिंग माओत्से तुंज की विस्तारवादी नीति को ही आगे बढ़ा रहे हैं। 1950 में जब चीन ने तिब्बत पर कब्जा किया, तब उसकी धर्म और संस्कृति ने भूटान को बहुत अधिक प्रभावित किया। हैपिनेस इंडेक्स में शीर्ष पर काबिज भूटान की खुशी चीन के आक्रमणकारी रवैये के कारण दबती जा रही है।


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तेहरान ईरान और इजरायल में जारी तनाव के बीच धमकियों का सिलसिला भी शुरू हो चुका है। ईरान के परमाणु ऊर्जा संगठन के प्रमुख मोहम्मद एस्लामी ने अपने परमाणु केंद्रों पर हमले की धमकी को लेकर इजरायल को खुली चेतावनी दी है। उन्होंने यमनी टेलीविजन नेटवर्क अल-मसीरा को दिए इंटरव्यू में कहा कि इजरायल पहले खुद को आईने में देखे और धमकी देने से पहले अपनी क्षमताओं की जांच कर ले। ईरानी सुरक्षा परिषद के चीफ ने भी धमकाया इससे पहले ईरान की सर्वोच्च राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के सचिव अली शामखानी ने धमकी देते हुए कहा था कि अगर इजरायल इस्लामिक गणराज्य पर हमला करने की हिम्मत करता है तो उसे गंभीर आर्थिक कीमत चुकानी पड़ेगी। शामखानी ने ट्वीट कर कहा था कि ईरान के खिलाफ अत्याचारों के लिए 1.5 बिलियन डॉलर का बजट आवंटित करने के बजाय यहूदी शासन को ईरान की चौंकाने वाली प्रतिक्रिया के कारण होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए दसियों हजार बिलियन डॉलर की फंडिंग पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। ईरान पर हमला करने के लिए इजरायल ने बढ़ाया बजट! दरअसल, इजरायली मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया था कि इजरायल ने ईरान की परमाणु सुविधाओं पर हमला करने की तैयारी के लिए 1.5 बिलियन डॉलर की फंडिंग को मंजूरी दी थी। इस रिपोर्ट में बताया गया था कि इस बजट को लड़ाकू विमान और खुफिया जानकारी एकत्र करने के साथ ही भूमिगत हथियार केंद्रों पर हमले के लिए हथियारों को बनाने में इस्तेमाल किया जाएगा। ईरान से प्रतिबंध हटाने के खिलाफ इजरायल एस्लामी ने इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के बयान पर प्रतिक्रिया दी है। नफ्ताली बेनेट ने कहा था कि इजरायल विश्व की शक्तियों के परमाणु समझौते को लेकर ईरान के ऊपर से प्रतिबंध हटाने की आशंका को लेकर चिंतित है। उन्होंने शनिवार को कैबिनेट की बैठक में कहा कि हम अमेरिका और बाकी देशों के साथ अपनी चिंताओं को साझा कर रहे हैं। अगले साथ अप्रैल में फिर शुरू होगी वार्ता ईरान के साथ परमाणु समझौते को लेकर ऑस्ट्रिया की राजधानी वियना में अगले साल अप्रैल में फिर से बातचीत शुरू होने की संभावना है। ज्वाइंट कंपरिहेंसिव प्लान ऑफ एक्शन के नाम वाले इस समूह में चीन, फ्रांस,जर्मनी,रूस और यूके शामिल हैं। अमेरिका भी अपने पर्यवेक्षकों को इस बैठक में ऑब्जर्वर्स के रूप में भेजने को तैयार है।


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ताइपे चीन के 27 लड़ाकू विमानों ने एक बार फिर ताइवान के हवाई क्षेत्र में घुसपैठ किया है। जिसके बाद गुस्साए ताइवान ने इन घुसपैठियों को खदेड़ने के लिए अपने लड़ाकू विमानों को भेजा। रविवार को ही चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के शीर्ष जनरलों से मुलाकात की थी। चीनी लड़ाकू विमानों हालिया घुसपैठ को ताइवान की खाड़ी में बढ़ते तनाव से जोड़कर देखा जा रहा है। 27 विमानों ने ताइवान में की घुसपैठ ताइवान के रक्षा मंत्रालय ने कहा कि चीन के 27 विमानों ने रविवार को उसके एयर डिफेंस बफर जोन में प्रवेश किया। चीन की इस हरकत का जवाब देते हुए हमने भी अपने लड़ाकू विमानों को रवाना कर चीनी विमानों को चेतावनी दी। मंत्रालय ने बताया कि हवाई क्षेत्र में प्रवेश करने वालों में 18 लड़ाकू विमान, पांच एच-6 बमवर्षक विमान और ईंधन भरने वाला एक वाई-20 शामिल था। लंबी दूरी तक विमानों को उड़ाने की ट्रेनिंग कर रहा चीन ताइवान की ओर से साझा की गयी जानकारी के मुताबिक चीनी विमानों ने ताइवान के दक्षिणी भाग के पास उसके वायु रक्षा क्षेत्र में प्रवेश किया और चीन लौटने से पहले प्रशांत महासागर में उड़ान भरी। इस दौरान वे ताइवान के दक्षिण में बाशी चैनल में गए। यह चैनल ताइवान को फिलीपींस से अलग करता है। दावा यहां तक किया गया है कि लंबी दूरी तक उड़ान के दौरान चीनी लड़ाकू विमानों ने एरियल रिफ्यूलिंग भी की। खतरनाक है चीन का H-6K स्ट्रैटजिक बॉम्बर चीन का H-6K विमान बेहद खतरनाक है। यह विमान परमाणु हमला करने में भी सक्षम है। इसमें तेजी से उड़ने वाले ड्रोन से लेकर एंटी शिप मिसाइलों को ले जाने के लिए बनाया गया है। यह विमान क्रूज मिसाइलें भी दागने में सक्षम है। चीन ने इस बमवर्षक विमान का उन्‍नत संस्‍करण H-6N को भी विकसित किया है। H-6K सोवियत संघ के Tu-16 बमवर्षक विमान पर आधारित है। चीन ने अब अपने H-6N विमान के लिए हवा से दागे जाने में सक्षम हाइपरसोनिक मिसाइलें बना रहा है। एयरक्राफ्ट कैरियर किलर है एच-6 बमवर्षक चीन ने एच-6एन स्ट्रैटजिक बॉम्बर्स में नए एवियोनिक्स और हथियारों के अलावा कई बुनियादी बदलाव किए हैं। इसमें चालक दल की संख्या 5 से घटाकर तीन कर दी गई है। इसके अलावा इन पायलटों के लिए इजेक्शन सीट भी लगाया गया है। जिससे ये पायलट विमान के दुर्घटनाग्रस्त होने के दौरान सुरक्षित बाहर निकल सकते हैं। इस विशाल बॉम्बर से दुनिया की सबसे बड़ी हवा में दागी जाने वाली मिसाइल को फायर किया जा सकता है। इस मिसाइल का सबसे बड़ा शिकार एयरक्राफ्ट कैरियर्स को माना जा रहा है। चीन में इस मिसाइल को कैरियर किलर के नाम से जाना जाता है। सबसे ज्यादा चीन के इस विमान ने की घुसपैठ ताइवान के रक्षा मंत्रालय के अनुसार, घुसपैठ करने वाले चीन के जहाजों में वाई-8 एंटी सबमरीन प्लेन सबसे ज्यादा बार शामिल रहा है। ये विमान समुद्र में सतह के ऊपर और पानी के नीचे की गतिविधियों को ट्रैक करने में माहिर हैं। हालांकि, अमेरिका के पास कई ऐसी पनडुब्बियां हैं जिनका पता चीन का कोई भी एंटी सबमरीन वारफेयर सिस्टम नहीं लगा सकता है। रविवार सुबह को भी चीन के एक विमान ने ताइवान में घुसपैठ की थी।


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Sunday 28 November 2021

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कोरोना वायरस के नए वैरियंट ओमीक्रोन से पूरी दुनिया टेंशन में है। अमेरिका, ब्रिटेन समेत कई देशों ने विदेशों से खासकर अफ्रीका से आने वाले यात्रियों पर प्रतिबंध तक लगा दिया है। इस नए वैरियंच की पहचान सबसे पहले दक्षिण अफ्रीका में की गई थी। जिसके बाद यह ब्रिटेन, इजरायल, ऑस्ट्रेलिया समेत कई देशों में पहुंच चुका है। दक्षिण अफ्रीका के सबसे आबादी वाली प्रांत गोतेंग में ओमीक्रोन वैरियंट ने तो तबाही मचाई हुई है। इस प्रांत के सभी अस्पताल ओमीक्रोन से संक्रमित मरीजों से भरे हुए हैं। ओमीक्रोन के बारे में सबकुछ जानिए...
  1. कोविड-19 का नया वैरियंट ओमीक्रोन कहां पैदा हुआ?ओमीक्रोन को सबसे पहले दक्षिण अफ्रीका के डॉक्टरों ने पहचाना है। इसके बावजूद अभी तक अस्पष्ट है कि यह वैरियंट किस देश में पैदा हुआ है। यह ठीक वैसे ही है, जैसा कोरोना की उत्पत्ति को लेकर चीन को जिम्मेदार ठहराया जाता है। दक्षिण अफ्रीका के वैज्ञानिकों ने हाल के दिनों में विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) को ओमीक्रोन वैरियंट को लेकर सतर्क किया है। अब ऑस्ट्रेलिया, इजरायल, नीदरलैंड सहित कई देशों में भी इसके मामले सामने आ रहे हैं।
  2. ओमीक्रोन पर विश्व स्वास्थ्य संगठन ने क्या कहा?डब्ल्यूएचओ ने शुक्रवार को इसे चिंताजनक स्वरूप बताया और ओमीक्रोन नाम दिया। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी कहा है कि यह बताने के लिए पर्याप्त डेटा नहीं है कि कोरोना वायरस का ओमीक्रोन वैरियंट, डेल्टा वन की तुलना में अधिक खतरनाक है। डब्लूएचओ ने ओमीक्रोन पर वैक्सीन की प्रभावकारिता को लेकर भी ऐसी की शंका जताई है। डब्लूएचओ ने यह भी कहा है कि अभी तक स्पष्ट नहीं है कि ओमीक्रोन स्ट्रेन से संक्रमित लोगों को खतरा ज्यादा है कि नहीं।
  3. ओमीक्रोन वैरियंट के खिलाफ कोविड वैक्सीन कितना प्रभावी?डब्लूएचओ ने कहा है कि अभी तक यह स्पष्ट नहीं हुआ है कि ओमीक्रोन वैरियंट के खिलाफ कोविड वैक्सीन कितनी प्रभावी है। प्रारंभिक आंकड़ों से पता चला है कि दक्षिण अफ्रीका में अस्पताल में भर्ती होने की दर बढ़ रही है। ऐसे में ओमीक्रोन वैरियंट लोगों की कुल संख्या में वृद्धि के कारण हो सकता है। डब्ल्यूएचओ तकनीकी विशेषज्ञों के एक समूह के साथ भी काम कर रहा है ताकि यह पता लगाया जा सके कि क्या नया स्ट्रेन मौजूदा टीकों और अन्य स्वच्छता उपायों की प्रभावशीलता को प्रभावित कर सकता है।
  4. कोरोना के नये वैरियंट को लेकर क्यों चिंतित हैं वैज्ञानिक?डेटा का आकलन करने के लिए विशेषज्ञों के एक समूह को बुलाने के बाद, डब्ल्यूएचओ ने कहा कि अन्य प्रकारों की तुलना में प्रारंभिक साक्ष्य इस स्वरूप से फिर से संक्रमण के बढ़ते जोखिम का सुझाव देते हैं। इसका मतलब है कि जो लोग संक्रमण से उबर चुके हैं, वे भी इसकी चपेट में आ सकते हैं। समझा जाता है कि इस नये स्वरूप में कोरोना वायरस के स्पाइक प्रोटीन में सबसे ज्यादा, करीब 30 बार परिवर्तन हुए हैं जिससे इसके आसानी से लोगों में फैलने की आशंका है।
  5. ओमीक्रोन वैरियंट को लेकर विशेषज्ञों ने क्या कहा?ब्रिटेन के कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में कोविड-19 की जीनोम सीक्वेंसिंग की अगुवाई करने वाली शेरोन पीकॉक ने कहा कि अब तक के आंकड़ों से पता चलता है कि नये स्वरूप में परिवर्तन बढ़े हुए प्रसार के अनुरूप है, लेकिन "कई परिवर्तनों के असर" का अब भी पता नहीं चल पाया है। वारविक विश्वविद्यालय के विषाणु विज्ञानी लॉरेंस यंग ने ओमीक्रोन को कोविड-19 का अब तक का सबसे अधिक परिवर्तित स्वरूप" बताया, जिसमें संभावित रूप से चिंताजनक परिवर्तन शामिल हैं जो पहले कभी भी एक ही वायरस में नहीं देखे गए थे।
  6. ओमीक्रोन वैरियंट के बारे में क्या पता है और क्या नहीं?वैज्ञानिकों को पता चला है कि ओमीक्रोन, बीटा और डेल्टा स्वरूप सहित पिछले स्वरूपों से आनुवंशिक रूप से अलग है, लेकिन यह नहीं पता चल पाया कि क्या ये आनुवंशिक परिवर्तन इसे और अधिक संक्रामक या घातक बनाते हैं। अब तक, कोई संकेत नहीं मिले हैं कि स्वरूप अधिक गंभीर बीमारी का कारण बन सकता है। यह पता करने में संभवत हफ्तों लग सकते हैं कि क्या ओमीक्रोन अधिक संक्रामक है और क्या टीके इसके खिलाफ प्रभावी हैं या नहीं। इंपीरियल कॉलेज लंदन में प्रायोगिक चिकित्सा के प्रोफेसर पीटर ओपेनशॉ ने कहा कि यह काफी हद तक असंभव है कि वर्तमान टीके काम ना करें। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि टीके कई अन्य स्वरूपों के खिलाफ प्रभावी हैं।
  7. कोरोना का नया ओमीक्रोन वैरियंट कैसे उभरा?कोरोना वायरस संक्रमण फैलने के साथ ही अपना रूप बदलता रहता है और इसके नए स्वरूप सामने आते हैं, जिनमें से कुछ काफी घातक होते हैं लेकिन कई बार वे खुद ही खत्म भी हो जाते हैं। वैज्ञानिक उन संभावित स्वरूपों पर नजर रखते हैं, जो अधिक संक्रामक या घातक हो सकते हैं। वैज्ञानिक यह भी पता लगाने की कोशिश करते हैं कि क्या नया स्वरूप जन स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकता है या नहीं।


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बीजिंग चीन ने ब्रिटेन से जारी तनाव के बीच बोरिस जॉनसन सरकार को बड़ा झटका देने की तैयारी कर ली है। चीन ने पिछले 16 साल में ब्रिटेन के प्रभाव वाले 42 राष्ट्रमंडल देशों में 913 बिलियन डॉलर से अधिक का निवेश किया है। राष्ट्रमंडल देशों में चीन की बढ़ती दिलचस्पी को लेकर ब्रिटेन सकते में है। ब्रिटेन और चीन के बीच हॉन्ग कॉन्ग, उइगुर और ताइवान को लेकर पहले से ही विवाद है। राष्ट्रमंडल में वे देश शामिल हैं, जो कभी न कभी ब्रिटेन के उपनिवेश रहे हैं। 16 साल में बांटे अरबों डॉलर के कर्ज वाशिंगटन डीसी स्थित थिंक टैंक अमेरिकन एंटरप्राइज इंस्टीट्यूट ने आंकड़ों के आधार पर बताया है कि चीन ने 2005 से अब तक 42 राष्ट्रमंडल देशों में 913 बिलियन डॉलर का निवेश किया है। इसमें कैरिबियाई देश बारबाडोस और जमैका भी शामिल हैं। सोमवार को गणतंत्र बनने के लिए तैयार बारबाडोस में चीन ने 667 मिलियन डॉलर जबकि पड़ोसी जमैका में 3.4 बिलियन डॉलर का निवेश किया है। बारबाडोस और जमैका को दिया सबसे अधिक कर्ज आंकड़ों से पता चलता है कि पिछले सोलह वर्षों में, चीन ने बारबाडोस में सड़कों, घरों, सीवरों और एक होटल में लगभग 667 मिलियन डॉलर का निवेश किया है। जमैका में चीन ने 3.4 बिलियन डॉलर का निवेश किया है। जमैका की जीडीपी 21.8 बिलियन डॉलर की है। जिससे कैरिबियाई देशों में चीनी निवेश के मामले में जमैका पहले स्थान पर पहुंच गया है। ब्रिटेन ने भी राष्ट्रमंडल देशों को अधिक पैसा देने का ऐलान किया ब्रिटेन के विदेश सचिव लिज ट्रस ने बुधवार को कॉमनवेल्थ डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन को ब्रिटिश इंटरनेशनल इन्वेस्टमेंट के साथ बदलने की योजना की घोषणा की। उन्होंने आशा जताई कि नई बॉडी 2025 तक राष्ट्रमंडल देशों में प्रति वर्ष निवेश में 10 बिलियन डॉलर की राशि प्रदान करेगा। यह बॉडी प्राइवेट सेक्टर और दूसरे पश्चिमी देशों को राष्ट्रमंडल देशों में अधिक निवेश के लिए प्रोत्साहित करेगा। आलोचक बोले- ब्रिटेन ने माहौल भांपने में देरी की आलोचकों का कहना है कि उन्हें आश्चर्य है कि ब्रिटेन को ब्रिटिश इंटरनेशनल इन्वेस्टमेंट पर कदम उठाने में इतना समय क्यों लगा। प्राग में सिनोप्सिस प्रोजेक्ट के एक सीनियर नॉन रेजीडेंट फेलो दीदी कर्स्टन टैटलो ने कहा कि हम दशकों से एक ही ढर्रे पर चल रहे हैं। हमने मूल रूप से गलत समझा कि चीनी कम्युनिस्ट पार्टी क्या है, और वह क्या चाहती है। हमने इस परिदृश्य में गलती की है। राष्ट्रमंडल देशों को नियंत्रित करना चाहता है चीन उन्होंने कहा कि वे अपने काफी वित्तीय संसाधनों का उपयोग समाज में रणनीतिक निर्भरता बनाने के लिए कर रहे हैं। चीन जहां भी ऐसा कर सकता है वह उस देश में कर भी रहा है। इस तरह आप दुनिया को नियंत्रित करना शुरू करते हैं। इससे अधिनायकवाद के फैलने का खतरा लगातार बढ़ता जा रहा है क्योंकि देश इसके बारे में कुछ भी करने का जोखिम नहीं उठा सकते हैं।


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रियाद सऊदी अरब के नेतृत्‍व में गठबंधन सेना ने यमन की राजधानी सना में हूती विद्रोहियों के एक शिविर को हवाई हमला करके तबाह कर दिया है। सऊदी...