Saturday 31 July 2021

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कुवैत सिटीकुवैत जाने वाले भारतीयों के लिए एक अच्छी खबर है। अब भारत में बनाई गई कोविशील्ड लगवाने के बाद उन्हें कुवैत जाने में किसी तरह की रुकावट का सामना नहीं करना पड़ेगा क्योंकि कुवैत के स्वास्थ्य मंत्रालय ने भारतीय वैक्सीन को मंजूरी दे दी है। भारतीय राजदूत सिबी जॉर्ज ने इस हफ्ते इसकी पुष्टि की। यात्रा में नहीं होगी मुश्किलसिबी जॉर्ज ने बुधवार को दूतावास में एक ओपन हाउस को संबोधित करते हुए कहा कि कोरोना रोकथाम के लिए भारत में बनाई कोविशील्ड वैक्सीन को ने मंजूरी दे दी है, जो ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका वैक्सीन के समान है। कुवैत स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारियों के अनुसार कोविशील्ड एक स्वीकृत वैक्सीन है क्योंकि यह एस्ट्राजेनेका के समान है और कोई भी व्यक्ति, जिसके पास इसका सर्टिफिकेट होगा उसे यात्रा करने में मुश्किलों का सामना नहीं करना पड़ेगा। रैपिड रिस्पांस टीम करेगी मददउन्होंने कहा कि वैक्सीन सर्टिफिकेट पर क्यूआर कोड से जुड़ा मुद्दा भारत और कुवैत दोनों में संबंधित अधिकारियों के साथ उठाया गया है और इस समस्या के जल्द से जल्द हल होने की उम्मीद है। राजदूत ने यात्रा प्रतिबंधों में ढील देने पर कुवैत के नागरिक उड्डयन महानिदेशालय के फैसले का स्वागत किया।भारतीय राजदूत ने कहा कि अगर कोई किसी कारण से एयरपोर्ट पर फंस जाता है तो मदद के लिए वो 'रैपिड रिस्पांस टीम' से संपर्क कर सकता है। नहीं होगी क्वारंटीन की जरूरतराजदूत ने भारतीय नागरिकों से टिकट बुक करने से पहले मामले के और स्पष्ट होने के लिए कुछ दिनों तक इंतजार करने की अपील की। उन्होंने कहा कि यह एक स्वागत योग्य फैसला है क्योंकि यह भारतीयों को कुवैत में प्रवेश की अनुमति देता है। साथ ही यह भी साफ किया जाता है कि यात्रियों के पीसीआर टेस्ट में नेगेटिव पाए जाने पर उन्हें क्वारंटीन में जाने की जरूरत नहीं होगी।


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प्राग धरती पर सबसे ज्यादा मात्रा में मौजूद है पानी और सबसे दुर्लभ है सोना। अब रिसर्चर्स ने पानी से ही ‘सोना’ बना डाला है। प्राग की चेक अकैडमी ऑफ साइंसेज में यह कारनामा फिजिकल केमिस्ट्स ने कर दिखाया है। उन्होंने पानी को सुनहरी, चमकीली धातु में बदल दिया और वह भी अनोखी तकनीक है। आमतौर पर किसी चीज पर बहुत ज्यादा प्रेशर डालने से वह धातु में तब्दील हो सकती है। पानी बन सकता है धातु? इनमें मौजूद ऐटम या मॉलिक्यूल इतने ज्यादा करीब आ जाते हैं कि इनके बाहरी इलेक्ट्रॉन शेयर होते हैं और इनके जरिए बिजली कंडक्ट हो सकती है। ऐसा ही 1.5 करोड़ अटमॉस्फीरिक प्रेशर पानी पर देने से हो सकता है जो मौजूदा लैब तकनीक में मुमकिन नहीं है। नई स्टडी के सह-लेखक पावेल जंगवर्थ ने इसके लिए दूसरा तरीका निकाल लिया। इलेक्ट्रॉन शेयरिंग के लिए उन्होंने alkali metal का इस्तेमाल किया। कैसे किया एक्सपेरिमेंट ये सोडियम-पोटैशियम जैसे रिऐक्टिव एलिमेंट्स का समूह होता है। हालांकि, यही चुनौती भी रही क्योंकि पानी के संपर्क में आने पर ये भयानक विस्फोटक में तब्दील हो जाते हैं। इसके लिए ऐसा एक्सपेरिमेंट तैयार किया गया जिससे रिऐक्शन धीमा हो जाए और विस्फोट न हो। एक सीरिंज को पोटैशियम और सोडियम से भरा गया जो सामान्य तापमान पर तरल होता है और इसे वैक्यूम चेंबर में रख दिया गया। ...और बन गया सोना इसके बाद सीरिंज से इस मिश्रण की बूंदें निकाली गईं जिनमें कम मात्रा में भाप दी गई। इन बूंदों पर पानी कुछ सेकंड के लिए जमा हो गया। जैसी उम्मीद थी, मिश्रण की बूंदों से इलेक्ट्रॉन पानी में चले गए और कुछ सेकंड के लिए पानी सुनहरा हो गया।


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इस्‍लामाबाद दुनिया की सबसे शक्तिशाली संस्‍था संयुक्‍त राष्‍ट्र सुरक्षा परिषद के अध्‍यक्ष के तौर पर भारत की ताजपोशी से पाकिस्‍तान को तीखी मिर्ची लगी है। पाकिस्‍तान के विदेश मंत्रालय ने शनिवार को उम्‍मीद जताई कि भारत अपने कार्यकाल के दौरान निष्‍पक्ष होकर काम करेगा। पाकिस्‍तानी विदेश मंत्रालय के प्रवक्‍ता जाहिद हाफ‍ीज चौधरी ने कहा कि हमें उम्‍मीद है कि भारत अपने कार्यकाल के दौरान प्रासंगिक नियमों और मानकों का पालन करेगा। भारत संयुक्‍त राष्‍ट्र सुरक्षा परिषद का अस्‍थायी सदस्‍य है और दो साल का कार्यकाल है। भारत ने रविवार से 15 सदस्‍यीय संयुक्‍त राष्‍ट्र सुरक्षा परिषद के अध्‍यक्ष के तौर पर कार्यभार संभाल लिया है। भारत का कार्यकाल एक महीने तक चलेगा। सुरक्षा परिषद की अध्‍यक्षता हर महीने अंग्रेजी के वर्णमाला के आधार पर बदलती रहती है। भारत 1 जनवरी 2021 को सुरक्षा परिषद का सदस्‍य बना था और उसे अपने कार्यकाल के दौरान दो बार अध्‍यक्ष बनने का मौका मिलेगा। एक महीने तक कश्‍मीर के मामले पर कोई भी चर्चा नहीं कर पाएगा पाक पाकिस्‍तानी प्रवक्‍ता ने कहा, 'चूंकि भारत ने इस पद को संभाल लिया है, हम उसे एक बार फिर से यह याद दिलाना चाहते हैं कि वह संयुक्‍त राष्‍ट्र सुरक्षा पर‍िषद के जम्‍मू-कश्‍मीर पर प्रस्‍तावों को लागू करे।' बता दें कि भारत ऐसे समय पर सुरक्षा परिषद का अध्‍यक्ष बना है जब अफगानिस्‍तान में पाकिस्‍तान के समर्थन से तालिबान खूनी हिंसा कर रहा है। अफगान सेना के साथ उसकी जंग जारी है। पाकिस्‍तानी अखबार डॉन के मुताबिक भारत के अध्‍यक्ष रहने का मतलब यह है कि पाकिस्‍तान अब एक महीने तक कश्‍मीर के मामले पर कोई भी चर्चा सुरक्षा परिषद में नहीं कर पाएगा। इसी वजह से पाकिस्‍तान को भारत के अध्‍यक्ष बनने पर मिर्ची लग रही है। पाकिस्‍तान जम्‍मू-कश्‍मीर में अनुच्‍छेद 370 को खत्‍म करने का कड़ा विरोध कर रहा है। यही नहीं अगले एक महीने में अफगानिस्‍तान से विदेशी सेनाएं वापस जा रही हैं और ऐसे में अफगानिस्‍तान को लेकर कई बड़े घटनाक्रम हो सकते हैं। सुरक्षा परिषद में चीन और पाकिस्‍तान पर नकेल कसेगा भारत पाकिस्‍तान, तालिबान और चीन की नापाक चाल को भारत सुरक्षा परिषद के जरिए मात दे सकता है। पाकिस्‍तान हमेशा से ही भारत की अफगानिस्‍तान में मौजूदगी का विरोध करता रहा है। सबसे अहम बात यह है कि भारत ने अगले एक महीने के कार्यकाल के दौरान जो 'प्रोग्राम ऑफ वर्क' बनाया है, उसमें चीन और पाकिस्‍तान पर नकेल कसना शामिल है। भारत आतंकवाद विरोधी अभियान और समुद्री नौवहन सुरक्षा पर चर्चा करने जा रहा है। इनसे पाकिस्‍तान और चीन का चिढ़ना तय है।


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हवाई किन्हीं दो चीजों के बीच भारी अंतर को ‘दिन और रात’ का फर्क कहा जाता है लेकिन वैज्ञानिकों ने धरती से 35 प्रकाशवर्ष दूर ऐसे ग्रह की खोज की है जहां दिन और रात एक ही जैसे लगते हैं। बृहस्पति से भी 6 गुना विशाल यह ग्रह Coconuts-2b एक लाल बौने सितारे का चक्कर काट रहा है। सितारे से इसकी दूरी 900 अरब किलोमीटर है। यह धरती और सूरज के बीच की दूरी का 6000 गुना है। इस ग्रह की कक्षा इतनी चौड़ी है और जिस सितारे का यह चक्कर काट रहा है उसका तापमान इतना कम है, कि दिन भी रात जैसा ही दिखता है और सितारा सिर्फ एक चमकीली लाल रोशनी जैसा दिखता है। Coconuts-2b और Coconut-2 सिस्टम को यूनिवर्सिटी ऑफ हवाई के इंस्टिट्यूट ऑफ ऐस्ट्रॉनमी में ग्रैजुएट स्टूडेंट झॉजियान झान्ग ने क्लासिफाई किया था। हमारे सौर मंडल से अलग Coconuts-2b को सबसे पहले साल 2011 में Wide-field Infrared Survey Explorer (WISE) सैटलाइट ने खोजा था लेकिन तब तक यह नहीं पता था कि यह किसी सितारे का चक्कर भी काट रहा है। झान्ग का कहना है कि इतने विशाल ग्रह का इतनी चौड़ी कक्षा में एक ठंडे सितारे का चक्कर काटना, हमारे सौर मंडल से बहुत अलग है। क्यों मुश्किल होती है स्टडी Coconuts-2b दूसरा सबसे ठंडा exoplanet है। इसका तापमान 160 डिग्री सेल्सियस है और सिर्फ इन्फ्रारेड लाइट के जरिए इसे डिटेक्ट किया जा सकता है। झान्ग के थीसिस अडवाइजर का कहना है कि किसी सितारे का चक्कर काट रहे गैस के ग्रह से लाइट को डिटेक्ट या स्टडी करना मुश्किल होता है क्योंकि कक्षा बहुत बड़ी नहीं होती है। इसलिए वे रोशनी में खो जाते हैं। अपनी चौड़ी कक्षा के कारण Coconuts-2b को स्टडी करना बेहद फायदेमंद हो सकता है। इससे युवा गैस के ग्रह के वायुमंडल और बनावट को समझने में मदद मिलेगी।


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बीजिंग चीन के राष्‍ट्रपति शी जिनपिंग ने अपनी सेना पीपल्‍स लिबरेशन आर्मी (PLA) को चेतावनी दी है कि अफगानिस्‍तान में तालिबान राज आ रहा है और वे देश की सीमा पर सशस्‍त्र संघर्ष और सुरक्षा चिंताओं को लेकर तैयार रहें। चीनी सेना के सर्वोच्‍च कमांडर शी जिनपिंग ने पीएलए के नेतृत्‍व से कहा है कि वे कम्‍युनिस्‍ट पार्टी के प्रति अपनी एकजुटता को और ज्‍यादा मजबूत करें। यही नहीं जिनपिंग ने वर्ष 2027 तक चीनी सेना को अमेरिका की टक्‍कर की सेना बनाने का आह्वान किया। चीनी राष्‍ट्रपति ने शनिवार को कहा कि चीन को 'सैन्‍य संघर्ष' के लिए तैयार रहना चाहिए क्‍योंकि अमेरिका इस साल 11 सितंबर तक अफगानिस्‍तान से वापस जा रहा है। पिछले कई महीने से चीनी अधिकारी यह चेतावनी दे रहे हैं कि अमेरिका की अफगानिस्‍तान से वापसी से तालिबान फिर से उभरकर सामने आ रहा है और इससे क्षेत्रीय असंतुलन का खतरा पैदा हो गया है। 'शिंजियांग प्रांत में कम्‍युनिस्‍ट पार्टी पर कर सकते हैं हमले' शी जिनपिंग और चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने इस सप्‍ताह कहा था कि अमेरिका की वापसी से उइगर मुस्लिमों को एक सुरक्षित ठिकाना मिल गया है जो चीन के शिंजियांग प्रांत में कम्‍युनिस्‍ट पार्टी पर हमले कर सकते हैं। वहीं चीन की पूर्वी सीमा पर अमेरिकी और ब्रिटिश नौसेना के युद्धपोतों ने दक्षिण चीन सागर में अपनी उपस्थिति बढ़ा दी है। वे खुलेआम चीन के समुद्री दावे को चुनौती दे रहे हैं। चीन के सेना दिवस की पूर्व संध्या पर जिनपिंग ने शनिवार को कहा कि सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी ‘सर्वेसर्वा’ है और सेना अमेरिका की तर्ज पर 2027 तक विश्व की सर्वश्रेष्ठ सेना बनने के लिए ठोस प्रयास करे। पिछले साल जिनपिंग (68) के नेतृत्व में कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना के सम्मेलन में चीनी सेना को 2027 तक अमेरिका की तर्ज पर एक पूर्ण आधुनिक सेना बनाने संबंधी योजना को अंतिम रूप दिया गया था। ‘पार्टी सर्वेसर्वा है, 2027 तक सर्वश्रेष्ठ सेना बनने के लिए प्रयास करें' पिछले साल अक्टूबर में हुए सीपीसी के पूर्ण अधिवेशन के बाद मीडिया में आईं खबरों में कहा गया था कि चीनी सेना की स्थापना के शताब्दी वर्ष 2027 तक चीन अपनी सेना को पूरी तरह आधुनिक सेना बनाएगा। सीपीसी और केंद्रीय सैन्य आयोग (सीएमसी) के प्रमुख जिनपिंग ने शनिवार को सत्तारूढ़ पार्टी के राजनीतिक ब्यूरो के अध्ययन सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि 2027 में मनाए जाने वाले चीनी सेना के शताब्दी वर्ष तक लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए दृढ़ इच्छाशक्ति एवं समर्पण के साथ कार्य किया जाए। सीएमसी चीनी सेना ‘पीपुल्स लिबरेशन आर्मी’ (पीएलए) का सर्वोच्च संगठन है। गत एक जुलाई को अपना शताब्दी वर्ष मनाने वाली सीपीसी के इतिहास को याद करते हुए जिनपिंग ने कहा, ‘पार्टी सर्वेसर्वा’ है और सेना को 2027 तक विश्व की सर्वश्रेष्ठ सेना बनने के लिए ठोस प्रयास करना चाहिए तथा आधुनिकीकरण की प्रक्रिया को तेज करना चाहिए। सरकारी समाचार एजेंसी शिन्हुआ ने कहा कि जिनपिंग ने एक अगस्त को मनाए जाने वाले सेना के 94वें स्थापना दिवस से पहले शनिवार को हुई बैठक में अधिकारियों, सैनिकों और पीएलए से जुड़े आम लोगों तथा सशस्त्र पुलिस बलों और मिलिशिया तथा आरक्षित सेवाओं के सदस्यों के प्रति सम्मान व्यक्त किया।


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लंदन ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन इस साल फिर से पिता बनने की उम्मीद में हैं। उनकी पत्नी कैरी प्रेग्नेंट हैं और दिसंबर में उनके दूसरे बच्चे का जन्म हो सकता है। कैरी ने इंस्ट्राग्राम पर प्रेग्नेंसी अनाउंस की और बताया कि इस साल उनका मिसकैरेज भी हुआ था। इसलिए उन्होंने अपने होने वाले बच्चे को 'रेनबो बेबी' नाम दिया है। पिछले साल अप्रैल में कपल का पहला बेबी हुआ था। PM और उनकी पत्नी ने इस साल मई में लंदन स्थित वेस्टमिंस्टर कैथेड्रल में आयोजित एक छोटे समारोह में शादी की थी। प्रेग्नेंसी की जानकारी देते हुए कैरी ने पोस्ट में लिखा, 'उम्मीद कर रहे हैं कि इस क्रिसमस पर हमारा रेनबो बेबी आएगा।' उन्होंने लिखा, 'इस साल के शुरुआत में मेरा गर्भपात हुआ था जिससे मेरा दिल टूट गया था। अविश्वसनीय रूप से दोबारा गर्भवती होने से धन्य महसूस कर रही हूं।' रेनबो बेबी ऐसे बच्चों को कहा जाता है जिनसे पहले परिवार में मिसकैरेज हुआ हो या पहले हुए बच्चे की कम उम्र में जान चली गई हो। कैरी ने बताया कि कैसे मिसकैरेज होने पर वह टूट गई थीं लेकिन जब उन्होंने ऐसे ही दूसरे लोगों से बात की जो यह सदमा झेल चुके थे, तो उनका मन काफी हल्का हुआ। उन्होंने बताया कि इसीलिए वह यह खबर शेयर कर रही हैं ताकि उनके जैसे दूसरे पैरंट्स को बेहतरर महसूस हो। प्रधानमंत्री बोरिस की यह सातवीं संतान बताई जा रही है। 57 साल के PM पहले दो बार शादी कर चुके हैं और बच्चों के बारे में खुलकर बात नहीं करते हैं। उनके दूसरी पत्नी मरीना वीलर से चार बच्चे हैं। माना जा रहा है कि इस साल मई में जब उनकी कैरी से शादी हुई तो वह दो महीने की प्रेग्नेंट थीं। (एजेंसी इनपुट समेत)


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वॉशिंगटन अमेरिकी राष्‍ट्रपति जो बाइडन ने दुनियाभर में धार्मिक स्‍वतंत्रता को बढ़ावा देने के लिए भारतीय मूल के अटॉर्नी पर दांव लगाया है। जो बाइडन ने अमेरिकी अटॉर्नी रशद हुसैन को अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता का एंबेसडर-एट-लार्ज नामित किया है। हुसैन किसी महत्वपूर्ण पद के लिए नामित पहले मुस्लिम हैं। वाइट हाउस ने उनकी नियुक्ति की जानकारी दी है। एंबेसडर-एट-लार्ज ऐसा राजदूत होता है जिसे विशेष जिम्मेदारियां दी जाती है लेकिन वह किसी खास देश के लिए नियुक्त नहीं होता है। रशद हुसैन की जड़ें भारत के बिहार राज्‍य से जुड़ी हुई हैं। उन्‍हें 500 प्रभावशाली मुस्लिम लोगों में शामिल किया गया था। हुसैन (41) वर्तमान में राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद में सहयोग और वैश्विक भागीदारी के लिए निदेशक हैं। वाइट हाउस ने शुक्रवार को एक बयान में कहा, ‘आज की यह घोषणा राष्ट्रपति की एक ऐसा प्रशासन बनाने की प्रतिबद्धता को दर्शाती है जिसमें सभी धर्मों के लोगों का समावेश हो। हुसैन पहले मुस्लिम हैं जिन्हें अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता के एंबेसडर-एट-लार्ज के तौर पर सेवा के लिए नामित किया गया है।’ वरिष्ठ वकील के तौर पर सेवा दे चुके हैं रशद हुसैन इससे पहले न्याय विभाग के राष्ट्रीय सुरक्षा खंड में वरिष्ठ वकील के तौर पर सेवा दे चुके हैं। पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा के प्रशासन में वह इस्लामिक सहयोग संगठन (ओआईसी) के लिए विशेष दूत, सामरिक आतंकवाद रोधी संचार के लिए अमेरिका के विशेष दूत तथा डेप्‍युटी असोसिएट वाइट हाउस काउंसल के तौर पर सेवा दे चुके हैं। दूत के रूप में अपनी भूमिकाओं में हुसैन ने बहुपक्षीय संगठनों जैसे ओआईसी और संयुक्त राष्ट्र, विदेशी सरकारों और नागरिक समाज संगठनों के साथ शिक्षा, उद्यमिता, स्वास्थ्य, अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा, विज्ञान और प्रौद्योगिकी और अन्य क्षेत्रों में साझेदारी बढ़ाने के लिए काम किया। हुसैन ने येल लॉ स्कूल से ज्यूरिस डॉक्टर की डिग्री प्राप्त की, जहां उन्होंने येल लॉ जर्नल के संपादक के रूप में कार्य किया और हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से लोक प्रशासन (कैनेडी स्कूल ऑफ गवर्नमेंट) और अरबी एवं इस्लामी अध्ययन में मास्टर डिग्री प्राप्त की। उन्होंने जॉर्ज टाउन लॉ सेंटर और जॉर्ज टाउन स्कूल ऑफ फॉरेन सर्विस में कानून के सहायक प्रोफेसर के रूप में भी अध्यापन का कार्य किया है। वह उर्दू, अरबी और स्पेनिश भाषा के जानकार हैं। लिपस्टाड यहूदी मामलों की एक प्रसिद्ध विद्वान राष्ट्रपति बाइडन ने हुसैन के अलावा पाकिस्तानी मूल के अमेरिकी खिज्र खान को अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता पर अमेरिकी आयोग के आयुक्त के रूप में नामित किया है। वाइट हाउस के अनुसार, डेबोरा लिपस्टाड को यहूदी मामलों के मॉनिटर एंड कॉम्बैट एंटी सेमिटिज्म के लिए विशेष दूत के रूप में नामित किया गया है जो राजदूत के पद के समान है। इसके अलावा शेरोन क्लेनबाम को यूएससीआईआरएफ आयुक्त के रूप में नामित किया गया है। वाइट हाउस ने बताया कि लिपस्टाड यहूदी मामलों की एक प्रसिद्ध विद्वान हैं।


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लंदन ब्रिटेन की सरकार ने महामारी के बाद देश भर में सक्रिय परिवहन को बढ़ावा देने के लक्ष्य से साइकिल चलाने और पैदल चलने की आदत को प्रोत्साहित करने का फैसला किया है। इसके लिए ब्रिटिश सरकार ने 33.8 करोड़ ब्रिटिश पाउंड (करीब 3.5 हजार करोड़ रुपये) के पैकेज की घोषणा भी की है। ब्रिटेन के परिवहन मंत्री ग्रांट शैप्स ने बुनियादी ढांचे को आधुनिक बनाने, हाई-वे कोड में बदलाव और सक्रिय परिवहन योजनाओं को प्रभावी बनाने के लिए नयी जरुरतों के साथ-साथ इस योजना की भी घोषणा की। ब्रिटेन में साइकिल चलाने वालों की संख्या बढ़ी गौरतलब है कि ब्रिटेन में शुक्रवार को ‘समर ऑफ साइक्लिंग एंड वाकिंग’ दस्तावेज जारी किया गया। पिछले 20 वर्षों के मुकाबले पिछले एक साल में साइकिल चलाने वालों की संख्या में काफी वृद्धि हुई है और ब्रिटेन के लोगों ने इस दौरान पांच अरब मील साइकिल चलाई है। परिवहन विभाग ने कहा कि ब्रिटेन नवंबर में जलवायु परिवर्तन पर सीओपी26 सम्मेलन की मेजबानी करने की तैयारियों में जुटा हुआ है, ऐसे में सरकार के यह कदम उसके लिए महत्वपूर्ण और सहायक सिद्ध होंगे। परिवहन मंत्री ने बताया क्यों लिया फैसला शैप्स ने कहा कि पिछले एक साल में लाखों लोगों को पता चला कि कैसे साइकिल चलाने और पैदल चलने से व्यक्ति को स्वस्थ रहने में मदद मिलती है, सड़कों पर जाम कम लगता है और आप पर्यावरण की भी कुछ मदद कर पाते हैं। महामारी के बाद, जब हम पर्यावरण हितैषी कदम उठा रहे हैं, ऐसे में सभी के लिए यात्रा को आसान और सुरक्षित बनाए रखने के लिहाज से इस ट्रेंड (साइकिल और पैदल चलने) को बनाए रखना महत्वपूर्ण है। 3.5 हजार करोड़ रुपये का पैकेज परिवहन मंत्री ने कहा कि 33.8 करोड़ ब्रिटिश पाउंड का यह पैकेज सरकार के उस कदम की शुरुआत है जिसमें उसने गर्मियों की शुरुआत साइकिल चलाने, पैदल चलने और ज्यादा से ज्यादा लोगों को परिवहन के पर्यावरण हितैषी साधनों का उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित करने की बात की है, ताकि सभी को स्वच्छ हवा और हरे-भरे शहर मिल सकें।


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पेइचिंग कोरना वायरस का डेल्टा वैरियंट अब चीन में भी कहर बरपा रहा है। राजधानी पेइचिंग समेत कई क्षेत्रों में कोरोना के मामलों में तेजी देखी गई है। चीन के एक स्वास्थ्य अधिकारी ने चेतावनी दी है कि कोरोना वायरस का घातक डेल्टा वैरियंट देश के और अधिक क्षेत्रों में तेजी से फैल सकता है। इस वैरियंट का सबसे पहला मामला नानजिंग हवाई अड्डे पर आया था। जिसके बाद चीनी सरकार ने पूरे एयरपोर्ट को ही बंद कर दिया था। लाखों की संख्या में चीनियों ने इस एयरपोर्ट से किया सफर नानजिंग चीन का सबसे व्यस्त रहने वाले एयरपोर्ट में से एक है। गर्मी में बड़ी संख्या में चीनी पर्यटक इस एयरपोर्ट के जरिए यात्रा करते हैं। ऐसे में संभावना जताई जा रही है कि हो सकता है कि इस वायरस के चपेट में कुछ और लोग आए हों जो देश के अलग-अलग हिस्सों में गए हैं। चीनी प्रशासन नानजिंग शहर के अलावा उस एयरपोर्ट से यात्रा करने वाले लोगों की टेस्टिंग कर रहा है। चीनी अधिकारी ने दी और तबाही की चेतावनी चीन के राष्ट्रीय स्वास्थ्य आयोग के वरिष्ठ अधिकारी एच किंघुआ ने संवाददाताओं से कहा कि पूर्वी चीन में जिआंग्सु प्रांत के नानजिंग शहर में डेल्टा स्वरूप की नयी लहर का अल्पकालिक अवधि में और अधिक क्षेत्रों तक फैलना जारी रह सकता है। उन्होंने सरकारी समाचारपत्र ग्लोबल टाइम्स से बात करते हुए बताया कि कोरोना वायरस के नए मामलों के लिए डेल्टा वैरियंट जिम्मेदार है। चीन में अभी तक कोरोना के सिर्फ 92930 मामले चीन ने पिछले साल से लेकर अब तक अपने यहां कोरोना वायरस संक्रमण के कुल मामलों की संख्या 92,930 बताई है जिनमें से 971 मरीज उपचाराधीन हैं। देश ने महामारी से मृतकों की कुल संख्या 4,636 बताई है। अमेरिका सहित दुनिया के कई देशों ने चीन के इन आंकड़ों पर संदेह जताया था। कोरोना का सबसे पहला मामला चीन के वुहान शहर में ही मिला था।


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सिडनी ऑस्ट्रेलिया से थोड़ी दूर स्थित दुनिया का 29वां सबसे छोटा देश सामोआ ने चीन को करारा झटका दिया है। सामोआ के प्रधानमंत्री ने पुष्टि की है कि उन्होंने चीन के पैसों से बनाए जा रहे पोर्ट प्रॉजेक्ट को रद्द करने का फैसला किया है। चीन का सपना सामोआ के रास्ते प्रशांत महासागर के एक प्रमुख व्यापारिक रूट पर कब्जा करने का था। वह इस पोर्ट के सहारे प्रशांत महासागर में अमेरिकी प्रभुत्व को भी चुनौती देने की कोशिश में जुटा था। सामोआ के पश्चिम में अमेरिकन सामोआ द्वीप है, जहां अमेरिकी नौसेना के जंगी जहाज हमेशा तैनात रहते हैं। अमेरिका और चीन के बीच मोहरा बना सामोआ सामोआ विश्व की दो महाशक्तियों अमेरिका और चीन के बीच मोहरा बना हुआ है। अमेरिकन सामोआ के कारण अगर सामोआ में चीन का प्रभाव बढ़ता है तो यह वॉशिंगटन के लिए सीधा खतरा होगा। ऐसे में सामोआ की नई प्रधानमंत्री फिएमे नाओमी मताफा ने इशारा किया है कि वह केवल उन निवेशों को स्वीकृति देंगी जिनका उनके देश के लिए स्पष्ट लाभ होगा। यह भी कहा जा रहा है कि सामोआ में चीन के निवेश को पूरी तरह से बंद नहीं किया गया है। अमेरिकी उदासीनता से चीन को मिला मौका सामोआ में जारी राजनीतिक संकट के बीच पीएम मताफा ने कहा कि प्रशांत महासागर के इस क्षेत्र से अमेरिका के दूरी बनाने के कारण चीन की दिलचस्पी बढ़ी है। उन्होंने कहा कि चीन की प्रशांत क्षेत्र में एक नए सिरे से दिलचस्पी दिखाई दे रही है, जो एक अच्छी बात हो सकती है, लेकिन जरूरी नहीं है कि ऐसा ही हो। सामोआ पर्यटन, मछली, नारियल उत्पाद निर्यात पर निर्भर हैं। यहां के लोग दुनियाभर के देशों में नौकरी कर वहां से बड़ी मात्रा में पैसा सामोआ भेजते हैं। द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद सामोआ का महत्व बढ़ा द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान सामोआ की रणनीतिक प्रभाव से दुनिया के सभी बड़े देश आश्चर्यचकित हो गए थे। यही कारण है कि चीन ने जब भी इस देश में दखल देने की कोशिश की है, तब-तब अमेरिका और उसके सहयोगी देशों ने विरोध किया है। इस देश में बंदरगाहों और हवाई पट्टियों जैसे महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे में किसी भी विदेशी देश की हिस्सेदारी विशेष रूप से संवेदनशील मानी जाती है। सामोआ में दखल क्यों चाहता है चीन सामोआ का क्षेत्रफल 2842 किलोमीटर स्क्वायर है, जबकि हॉन्ग कॉन्ग का क्षेत्रफल 2754 किलोमीटर स्क्वायर है। प्रशांत महासागर में महत्वपूर्ण रणनीतिक स्थिति के कारण चीन इस देश में अपना प्रभाव बढ़ाने के लिए दिन-रात मेहनत कर रहा है। चीन का ऑस्ट्रेलिया के साथ भी विवाद है। ऐसे में अगर सामोआ को भी चीन ने श्रीलंका और पाकिस्तान की तरह कर्ज देकर अपना शागिर्द बना लिया तो यह उसकी बड़ी कूटनीतिक सफलता मानी जाएगी। सामोआ के कुल कर्ज में चीन का हिस्सा 40 फीसदी सामोआ ने दुनियाभर से जितना कर्ज लिया है उसमें 40 फीसदी हिस्सा चीन का है। चीन ने सामोआ को लगभग 160 मिलियन डॉलर का कर्ज दिया है। पहले भी कई विशेषज्ञ सामोआ को दिए जा रहे चीनी कर्ज को लेकर चिंता जता चुके हैं। मताफा को 23 जुलाई को समोआ की पहली महिला प्रधान मंत्री के रूप में मान्यता दी गई थी।


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वॉशिंगटन अमेरिका में एक महिला के नाम दुनिया में सबसे ज्यादा बड़ा मुंह खोलने का रिकॉर्ड दर्ज हुआ है। ने बताया कि इस महिला का माउथ गैप दुनिया की दूसरी किसी भी महिला से ज्यादा मापा गया है। जिसके बाद इस महिला का नाम गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड में शामिल किया गया है। रिकॉर्ड बनाने वाली महिला की पहचान 31 साल की सामंथा राम्सडेल के रूप में हुई है। सामंथा के मुंह का गैप 2.56 इंच सामंथा राम्सडेल अमेरिका के कनेक्टिकट स्टेट की रहने वाली हैं। गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स के अनुसार, सामंथा के मुंह का कैपेसिटिव गैप 6.52 सेमी यानी 2.56 इंच मापा गया है। इसी के साथ उन्हें दुनिया का सबसे बड़ा माउथ गैप रिकॉर्ड होल्डर होने के मामले में सर्टिफिकेट भी दिया गया है। सामंथा ने बाकी लोगों को भी अपने शरीर या कुछ अनोखा होने पर गिनीज बुक में नाम दर्ज करवाने का आग्रह किया। तस्वीर- गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स टिकटॉक पर 10 लाख फॉलोअर सामंथा राम्सडेल टिकटॉक पर वीडियो भी शेयर करती हैं। उनके 10 लाख से भी अधिक फॉलोअर बताए जा रहे हैं। उन्होंने सोशल मीडिया पर पोस्ट किए गए कई वीडियो में अपने मुंह के असामान्य रूप से विशाल आकार को दिखाया भी है। उनके असामान्य मुंह के कारण ही सोशल मीडिया में बड़ी फॉलोइंग भी है। सामंथा ने कहा कि हमें अपने सपनों का पीछा करना चाहिए। हमें अपने शरीर पर गर्व करना चाहिए और इसे अपनी सबसे बड़ी संपत्ति बनाना चाहिए। यह आपकी महाशक्ति है, यही वह चीज है जो आपको विशेष बनाती है। विश्व रिकॉर्ड कैसे हुआ कायम सामंथा को पहले यह पता नहीं था कि उनके मुंह के बीच का गैप दुनिया में सबसे ज्यादा है। इसके लिए सामंथा ने साउथ नॉरवॉक में अपने स्थानीय दंत चिकित्सक डॉ एल्के चेउंग से मुलाकात की। डॉक्टर ने एक गिनीज एडजुडिकेटर के सामने सामंथा के मुंह के गैप को नापा। डॉ चेउंग ने डिजिटल कॉलिपर्स का इस्तेमाल करके उपर के होठ से नीचे के होठ तक की दूरी मापी जो 2.56 इंच आई। मुंह के कारण प्रसिद्धि के बारे में सोचा नहीं था सामंथा ने गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स से बात करते हुए बताया कि 31 साल की उम्र में मेरे लिए ऐसा रिकॉर्ड बनाना सुरक्षित नहीं था। उन्होंने यह भी कहा कि कई मामलों में यह रिकॉर्ड अच्छा भी है क्योंकि अब यह मेरे बारे में सबसे बड़ी, सबसे अच्छी चीजों में से एक है। मैंने कभी नहीं सोचा था कि मेरे मुंह के कारण मुझे प्रसिद्धि मिलेगी। यह अविश्वसनीय है।


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काबुल अफगानिस्तान से नाटो सेना की वापसी के बाद से तालिबान की बढ़ती ताकत को लेकर अमेरिका दुनियाभर के निशाने पर है। चीन और रूस समेत कई देशों ने अफगानिस्तान में जारी हिंसा को अमेरिका की देन बताया है। जिसके बाद से अमेरिकी वायु सेना ने एयरस्ट्राइक कर पाकिस्तानी सीमा के नजदीक स्थित स्पिन बोल्डक इलाके में 8 तालिबान लड़ाकों को मार गिराया है। बड़ी बात यह है कि सीमा पर अमेरिकी वायु सेना की बमबारी के दौरान पाकिस्तान की हिम्मत नहीं हुई कि वह कुछ भी बोले। अफगानी विमानों को पाकिस्तान ने यहीं से खदेड़ा था पाकिस्तान-अफगानिस्तान सीमा पर स्थित स्पिन बोल्डक वही इलाका है जहां कुछ दिनों पहले तालिबान ने कब्जा कर लिया था। इन लड़ाकों को खदेड़ने के लिए अफगान वायु सेना ने जब हवाई हमला करने के लिए अपने विमान भेजे तो उसे पाकिस्तानी वायु सेना ने जवाबी कार्रवाई की चेतावनी देकर खदेड़ दिया था। अब अमेरिका ने जब हवाई हमला किया है तो पाकिस्तान की हिम्मत नहीं हुई कि वह कोई जवाबी कार्रवाई करे। अमेरिकी लड़ाकू विमानों ने तालिबान के टैंक को उड़ाया ओरबैंड न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, अफगान सेना से जुड़े सूत्रों ने बताया कि शुक्रवार को अमेरिकी वायु सेना के लड़ाकू विमानों ने कंधार प्रांत के स्पिन बोल्डक जिले में तालिबान के एक बख्तरबंद टैंक को निशाना बनाया। बताया जा रहा है कि यह टैंक सोवियत संघ के जमाने का था, जिसे मोडिफाई कर तालिबानी आतंकी इस्तेमाल कर रहे थे। इस हमले में तालिबान के आठ लड़ाके मारे गए हैं। कंधार में अस्थायी रूप से तैनात है अमेरिकी वायु सेना इस रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि अमेरिकी वायु सेना ने तालिबान के बढ़ते हमलों को देखते हुए कंधार हवाई अड्डे पर डेरा जमा लिया है। अमेरिकी वायु सेना यहीं से अफगानिस्तान के दक्षिणी और पश्चिमी इलाके में अफगान सुरक्षा बलों के समर्थन में हवाई हमले कर रही है। अधिकारी ने कहा कि अगर कंधार शहर को किसी बड़े जोखिम का सामना करना पड़ता है, तो अमेरिकी वायु सेना स्थिति को नियंत्रित करने के लिए बी52 विमान का इस्तेमाल करेगी। एक हफ्ते में अमेरिका का चौथा हवाई हमला बी-52 अमेरिका का सबसे घातक बमवर्षक विमान है, जो कहीं भी परमाणु बम सहित पारंपरिक बमों को गिराने की क्षमता रखता है। यह विमान एक ही उड़ान में लंबी दूरी तय कर अपने बमों के जरिए किसी भी बड़े शहर को बर्बाद कर सकता है। पिछले एक हफ्ते में यह अमेरिकी वायु सेना का चौथा हवाई हमला है। तालिबान ने अभी तक इस मामले पर कोई टिप्पणी नहीं की है।


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वॉशिंगटन दुनिया के शीर्ष विश्वविद्यालयों में से एक हार्वर्ड के प्रोफेसर ने को लेकर सनसनीखेज दावा किया है। उन्होंने कहा कि यूएफओ अंतरिक्ष में मौजूद प्राचीन सभ्यता से पृथ्वी पर आने वाले एलियन के आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) युक्त ड्रोन हो सकते हैं। कई बार यह सवाल उठ चुका है कि क्या मनुष्य ब्रह्मांड में अकेले हैं? अब इसी का जवाब ढूंढने के लिए हार्वर्ड एस्ट्रोफिजिसिस्ट प्रोफेसर एवी लोएब ने इस सवाल का जवाब देने का प्रयास करने के लिए एक नया मिशन शुरू किया है। 'प्रॉजेक्ट गैलीलियो' से खोज रहे एलियन से जुड़ी चीज डेली स्टार की रिपोर्ट के अनुसार, प्रोफेसर एवी लोएब ने ने इस प्रॉजेक्ट को गैलीलियो नाम दिया है। इस प्रॉजेक्ट का उद्देश्य विज्ञान का उपयोग करके हमारे आसमान में ऐसी किसी भी चीज की संभावित पहचान करना है जिसे 100 फीसदी एलियन से जुड़ा हुआ कहा जा सकता है। उन्होंने अपने कुछ वैज्ञानिक साथियों को को भी इस मिशन में लगाया है। ये सभी वैज्ञानिक अपने अध्ययन में अलौकिक जीवन के स्पष्ट प्रमाण की तलाश कर रहे हैं। 'आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से लैस हैं UFO' उन्होंने कहा कि यह धरती पर कृत्रिम बुद्धिमत्ता के साथ रसायनिक रूप से चलने वाले अंतरिक्ष यान भेजने के लिए पर्याप्त समय है। ये विमान स्वायत्ता के साथ उडडान भरने में सक्षम भी हैं। यह आवश्यक है क्योंकि सितारों के बीच की दूरी बहुत लंबी है और इसके लिए विमान को ऑटोमेटिक मोड में चलने की आवश्यक्ता हो सकती है। उन्होंने कहा कि मैं उन उपकरणों की कल्पना कर सकता हूं जो एक अरब साल पहले सभ्यताओं द्वारा लगाए गए थे। ओउमुआमुआ को बताया था एलियन स्पेसक्राफ्ट का टुकड़ा प्रोफेसर लोएब उस समय चर्चा में आए थे जब उन्होंने 2018 में सुझाव दिया था कि पृथ्वी के पास से गुजरने वाली स्पेस ऑडिटी ओउमुआमुआ दरअसल एलियन के स्पेसक्राफ्ट का एक टुकड़ा है, जो कबाड़ के रूप में हमारी धरती के पास घूम रहा है। उन्होंने सन ऑनलाइन को बताया कि यह एक अलौकिक दुनिया से कुछ हो सकता है। करोड़ों साल पहले के मानवीय सभ्यताओं की कल्पना करें। यह सूर्य से पहले बनने वाले अधिकांश सितारों के भी पहले का है। अमेरिकी रिपोर्ट में भी यूएफओ की मौजूदगी से इनकार नहीं प्रोफेसर लोएब की टिप्पणी अमेरिकी रक्षा मंत्रालय पेंटागन के उस रिपोर्ट के बाद आई है, जिसमें एलियंस और यूएफओ की संभावना ने इनकार नहीं किया गया था। यूएफओ की जांच करने वाले एक अमेरिकी कार्य बल की रिपोर्ट ने इस विचार की न तो पुष्टि की थी और न ही इसे खारिज किया था कि इस तरह की चीजों का दिखाई देना पृथ्वी पर एलियंस के आने का संकेत हो सकते हैं। टाइम ट्रैवलर के दावा- आ रहे 7 फीट के एलियन एक टाइम ट्रैवलर ने दावा किया है कि अगले साल धरती पर सात फीट लंबे एलियन उतरेंगे। यह टाइम ट्रैवलर खुद को वर्ष 2491 से होने का दावा करता है। फ्यूचरटाइम ट्रैवलर नाम से ब्लॉग चलाने वाले इस शख्स ने विचित्र तरीके से दावा किया कि वे धरती पर रहने वाले इंसानों के साथ युद्ध करेंगे। फ्यूचरटाइम ट्रैवलर ने अपने वीडियो के कैप्शन में लिखा है कि 'जिसे आप एलियंस कहते हैं, वह अगले साल पृथ्वी पर अपनी पहली उपस्थिति बनाएगा। उन्हें पहली बार देखे जाने की सही तारीख 24 मई, 2022 है।'


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शार्लोट्सविले अमेरिका में, हर आठ में से एक करीब एक दंपति बांझपन का शिकार है। दुर्भाग्य से, रिप्रोडक्टिव मेडिसिन में विशेषज्ञता प्राप्त चिकित्सक करीब 30 से 50 प्रतिशत मामलों में पुरुषों में बांझपन का कारण नहीं समझ पाते। बांझपन का पता चलने के बाद कई दंपति लगभग एक ही तरह के सवाल पूछते हैं, “क्या काम का, उनके फोन का, हमारे लैपटॉपों का, इन सारे प्लास्टिकों का कोई असर पड़ता है? आपको लगता है कि इन सबके कारण बांझपन हुआ है? आजकल मरीज पुरुष प्रजनन स्वास्थ्य को लेकर सबसे बड़ा सवाल यह पूछ रहे हैं कि क्या पर्यावरण में मौजूद विषैले पदार्थ प्रजनन क्षमता पर असर डाल रहे हैं? पुरुषों की घटती प्रजनन क्षमता बांझपन एक साल तक नियमित तौर पर शारीरिक संबंध बनाने के बावजूद गर्भधारण करने की अक्षमता को कहा जाता है। ऐसे मामलों में, चिकित्सक इसका निर्धारण करने के लिए दोनों साथियों का आकलन करते हैं। पुरुषों के लिए, प्रजनन का मूल्यांकन का आधार वीर्य का विश्लेषण होता है और शुक्राणओं का आकलन करने के कई तरीके होते हैं। शुक्राणुओं की संख्या- पुरुष द्वारा उत्पन्न शुक्राणुओं की कुल संख्या और शुक्राणु सांद्रता यानी प्रति मिलीलीटर वीर्य में शुक्राणुओं की संख्या- आम तरीके हैं लेकिन वे प्रजनन क्षमता के सबसे सटीक मानक नहीं हैं। ज्यादा बेहतर तरीके में कुल गतिशील शुक्राणुओं को देखा जाता है जो तैरने और चलने में सक्षम शुक्राणुओं के अंशों का मूल्यांकन करता है। प्रजनन क्षमता को प्रभावित करते हैं कई कारक कई कारक- मोटापे से लेकर हार्मोनों का असंतुलन और आनुवंशिक बीमारियां प्रजनन क्षमता को प्रभावित कर सकती हैं। कई पुरुषों को इलाज से मदद मिल सकती है। लेकिन 1990 के दशक की शुरुआत में अनुसंधानकर्ताओं ने चिंताजनक प्रवृत्ति देखी। कई जोखिम कारकों को नियंत्रित करने के बावजूद, पुरुषों की प्रजनन क्षमता दशकों से घटती दिख रही है। विभिन्न अध्ययनों में इस निष्कर्ष पर पहुंचा गया कि आज पुरुषों में पूर्व की तुलना में कम शुक्राणु बन रहे हैं और वे कम सेहतमंद हैं। अब सवाल उठता है कि किस कारण से क्षमता प्रभावित हो रही है। पर्यावरणनीय विषैलापन और प्रजनन वैज्ञानिकों को कई वर्षों से जानकारी थी कि कम से कम जानवरों के मॉडल में, पर्यावरणीय विषाक्तता के संपर्क में आने से हार्मोनों का संतुलन बिगड़ता है और प्रजनन क्षमता प्रभावित होती है। मनुष्यों को परिणाम जानने के लिए जान-बूझकर इन खतरनाक पदार्थों के संपर्कों में नहीं रखा गया लेकिन स्थिति को समझने के लिए अनुसंधानकर्ताओं ने वातावरण में खतरनाक रसायनों पर गौर करना शुरू किया। हालांकि, उन्हें किसी खास रसायन को निर्धारित करने में मदद नहीं मिली लेकिन साक्ष्य बढ़ते जा रहे हैं। इस अनुसंधान में पाया गया कि प्लासिटिसाइजर (ज्यादातर प्लास्टिक में मिलने वाला) के साथ ही कीटनाशक, शाकनाशी, भारी धातु, जहरीली गैसें और अन्य सिंथेटिक सामग्रियां इन खतरनाक रसायनों में शामिल है। इसके अलावा वायु प्रदूषण के लिए जिम्मेदार अति सूक्ष्म कण, सल्फर डाईऑक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइड और अन्य पदार्थों के कारण शुक्राणु की गुणवत्ता प्रभावित होती है। अनियंत्रित रसायनों का इस्तेमाल आज कई रसायनों का प्रयोग हो रहा है और सभी का पता लगाना बहुत मुश्किल है। राष्ट्रीय विष विज्ञान कार्यक्रम के पास 80 हजार से ज्यादा रसायन पंजीकृत हैं। मौजूदा नियमन प्रणालियों के तहत रसायनों को बहुत कम जांच के साथ बाजार में उतार लिया जाता है और नुकसान साबित होने के बाद ही वापस लिया जाता है। और इसमें दशकों लग सकते हैं। अनुसंधानकर्ता इसे चिंता की घड़ी बताते हैं और वैश्विक प्रजनन स्वास्थ्य पर अभी और भविष्य में अधिक जन जागरुकता की जरूरत बताते हैं। (रयान पी स्मिथ, यूनिवर्सिटी ऑफ वर्जीनिया) शार्लोट्सविले (अमेरिका)


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टोक्यो जापान में कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों को रोकने के लिए सरकार ने 31 अगस्त तक के लिए आपातकाल का ऐलान कर दिया है। यह आपातकाल टोक्यो, सैतामा, चिबा, कानागावा, ओसाका और ओकिनावा प्रान्त पर लागू होगा। इन राज्यों के अलावा होक्काइडो, इशिकावा, क्योटो, ह्योगो और फुकुओका प्रान्त में भी कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के लिए प्राथमिकता के आधार पर उपायों को लागू किया जाएगा। इस समय टोक्यो में ओलिंपिक का आयोजन किया जा रहा है, जिसमें दुनियाभर के हजारों शीर्ष खिलाड़ी हिस्सा ले रहे हैं। जापानी प्रधानमंत्री कार्यालय ने किया ट्वीट जापान के प्रधानमंत्री कार्यालन ने ट्वीट कर बताया कि जापान सरकार 31 अगस्त तक टोक्यो, सैतामा, चिबा, कानागावा, ओसाका और ओकिनावा प्रान्तों में आपातकाल की स्थिति की घोषणा को लागू करती है। इसके अलावा होक्काइडो, इशिकावा, क्योटो, ह्योगो और फुकुओका प्रान्तों में कोरोना के प्रसार को रोकने के लिए प्राथमिकता के उपायों को लागू करती है। टोक्यो और ओकिनावा में पहले से ही आपातकाल लागू है जो 22 अगस्त को खत्म होने वाला था। जापान में कोरोना का कहर रिकॉर्ड लेवल पर जापानी मीडिया एनएचके वर्ल्ड ने बताया कि सरकार ने यह फैसला पूरे देश में तेजी से बढ़ते कोरोना वायरस के मामलों को देखते हुए लिया है। टोक्यो मेट्रोपॉलिटन सरकार ने 29 जुलाई को 3865 नए मामलों की पुष्टि की थी, जबकि पूरे जापान में उस दिन 10,699 नए मामले दर्ज किए गए थे। यह दोनों आंकड़े महामारी के शुरू होने के बाद से सबसे ज्यादा हैं। सरकार के तमाम एहतियाती उपायों के बावजूद जापान में कोरोना संक्रमण की रफ्तार धीमी नहीं पड़ रही है। जापानी प्रधानमंत्री ने दी जानकारी जापान के प्रधानमंत्री योशीहिदे सुगा ने कहा कि 31 अगस्त तक की अवधि के लिए, हमने टोक्यो, सैतामा, चिबा, कानागावा, ओसाका और ओकिनावा प्रान्तों में आपातकाल की घोषणा को लागू करने और होक्काइडो, इशिकावा, क्योटो, ह्योगो और फुकुओका प्रान्त में बीमारी के प्रसार को रोकने के लिए प्राथमिकता के उपायों को लागू करने का निर्णय लिया है। पैरालिंपिक गेम को देखते हुए लिया गया निर्णय रिपोर्ट के अनुसार, टोक्यो और ओकिनावा में पहले से जारी आपातकाल 22 अगस्त को खत्म होने वाला था। इन प्रतिबंधों को ओलिंपिक और Obon holiday को ध्यान में रखकर लागू किया गया था। लेकिन, अब तेजी से बढ़ते मामलों के कारण परिस्थिति बिगड़ गई है। अब ओलिंपिक की समाप्ति के बाद टोक्यो में पैरालिंपिक गेम भी होने हैं, जो 24 अगस्त से शुरू होकर 5 सितंबर तक चलेगा।


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वॉशिंगटन की खोज में जुटे वैज्ञानिकों की उम्मीद को झटका लग सकता है। दरअसल, यहां जिन्हें पानी की झील माना जा रहा था, अब संभावना जताई गई है कि वे जमी हुई क्ले मिट्टी हो सकती हैं। प्लैनेटरी साइंस इंस्टिट्यूट के रिसर्च साइंटिस्ट आइसक स्मिथ का कहना है कि कि यूरोपियन स्पेस एजेंसी के Mars Express में लगे MARSIS की मदद से 2018 में लिया गया रेडार डेटा की संभावना पर सवाल करता है। पानी नहीं तो क्या? स्मिथ का कहना है कि जमी हुई क्ले क्रायोजेनिक तापमान पर रिफ्लेक्शन पैदा कर सकती है। उनका कहना है कि पानी को लिक्विड की शक्ल में रहने के लिए जितनी मात्रा में तापमान और नमक चाहिए होगा, उससे लगता है कि यह दरअसल, पानी नहीं बल्कि smectites नाम का खनिज है। यह एक तरह की चिकनी मिट्टी होती है जो ज्वालामुखी की चट्टानों जैसी होती है और मंगल पर काफी ज्यादा पाई जाती है। रिसर्चर्स ने इन smectites को -42 डिग्री सेल्सियस तक ठंडा किया और इस तापमान पर पानी इनके ऊपर हो तो वैसा ही दिखता है जैसा MARSIS को दिखा। साल 2018 में MARSIS ने मंगल के दक्षिण ध्रुव की बर्फ के नीचे पानी की झील की मौजूदगी का दावा किया था। दो साल बाद रिसर्चर्स को करीब 6 मील की कई नमकीन झीलें मिलीं। हर कोई नहीं सहमत स्मिथ का कहना है कि पानी का लिक्विड की शक्ल में मिलना मुश्किल है लेकिन उनकी बात से NASA JPL के जेफ्री प्लॉट समेत कई लोग सहमत नहीं हैं। उनका कहना है कि ओरिजिनल पेपर में यह साबित नहीं किया गया कि वहां पानी है और नए पेपर यह साबित नहीं करते कि पानी नहीं है लेकिन हम सहमति बनाने के लिए संभावनों को एक करने की कोशिश करते हैं।


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मेक्सिको सिटी कोरोना वायरस महामारी से मानवता को बचाने के लिए पूरी दुनिया में वैक्सीनेशन अभियान चलाए जा रहे हैं। वैक्सीनेशन सेंटरों पर लोगों की भारी भीड़ भी उमड़ रही है। दुनियाभर में उपलब्ध कोरोना वायरस की सभी वैक्सीन इंजेक्शन से ही दी जाने वाली हैं। इंजेक्शन से वैक्सीन की डोज लेने के दौरान कई लोग डर के मारे अजीब-अजीब हरकतें भी करते हुए कैमरों में कैद हो रहे हैं। ऐसा ही एक वीडियो मेक्सिको से आया है, जिसमें एक शख्स वैक्सीन की डोज लेने के दौरान अचानक चिल्लाने लगता है। वैक्सीन लगवाने के दौरान डरकर चीखने लगा था शख्स वायरल हो रहा यह वीडियो इसी हफ्ते सोशल मीडिया पर पहली बार देखा गया है। इसे मेक्सिको के चिहुआहुआ शहर के एक वैक्सीनेशन सेंटर पर रिकॉर्ड किया गया है। इस वीडियो में दिखाई दे रहा है कि एक 30 वर्षीय शख्स वैक्सीन की डोज लेने के दौरान थोड़ा घबराया हुआ है और बार-बार डर के मारे चिल्ला रहा है। इस वीडियो को सबसे पहले टिकटॉक यूजर @sebastian_buenomx ने शेयर किया था। टिकटॉक पर 35 लाख लोगों ने देखा उन्होंने अपने फेसबुक अकाउंट पर भी इस वीडियो को शेयर किया है। जिसे 13 हजार से अधिक लोगों ने देखा है। वहीं, टिकटॉक पर उनके इस वीडियो को 35 लाख से अधिक लोग देख चुके हैं। वैक्सीनेशन सेंटर पर लोगों के बीच बैठे इस व्यक्ति को नर्स जैसे ही इंजेक्शन लगाने के लिए आगे बढ़ती है, वह जोर-जोर से चिल्लाने लगता है। इस दौरान वहां मौजूद दूसरे लोग हंसते हुए भी नजर आते हैं। लोगों ने शख्स की तारीफ की सेंटर पर मौजूद लोगों ने उस व्यक्ति को वैक्सीन लगवाने के बाद बधाई भी दी। लोगों का कहना था कि उसने डर लगने के बावजूद वैक्सीन को लिया, जो अपने आम में बहुत बहादुरी का काम है। ऐसे ही हौसला आफजाई करने से बाकी लोग भी वैक्सीन लेने के लिए प्रेरित होंगे। मेक्सिको में तेजी से बढ़ रहे कोरोना के मामले मेक्सिको में कोरोना वायरस के मामले एक बार फिर तेजी से बढ़ रहे हैं। 30 जुलाई को मेक्सिको में कोरोना वायरस के 19346 नए केस दर्ज किए गए। जो 5 फरवरी के बाद के बाद अब तक का सबसे ज्यादा आंकड़ा है। मेक्सिको में कोरोना वायरस के कुल मामलों की संख्या 2,829,443 तक पहुंच गई है, जबकि इस वायरस के मरने वालों की तादाद 240,456 है।


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त्रिपोलीलीबिया पर शासन कर चुके तानाशाह मुअम्मर अल गद्दाफ़ी के बेटे सैफ़ अल इस्लाम राजनीति में वापसी करना चाहते हैं। अमेरिकी अखबार न्यूयॉर्क टाइम्स के साथ बात करते हुए उन्होंने कहा कि वो देश में एक बार फिर एकता बहाल करना चाहते हैं। इंटरव्यू में उन्होंने दावा किया कि अब वो आजाद हैं और उन्हें कैद करने वाले अब उनके दोस्त बन चुके हैं। इस्लाम के पिता गद्दाफ़ी की 2011 में पीट-पीटकर हत्या कर दी गई थी और राजधानी त्रिपोली पर विद्रोहियों ने कब्जा कर लिया था। अतीत में लौटने का समय आ चुका हैइस्लाम राष्ट्रपति चुनाव भी लड़ सकते हैं। उन्होंने इसकी संभावना से भी इनकार नहीं किया। गद्दाफ़ी के शासनकाल में इस्लाम को उनका उत्तराधिकारी माना जाता था। लीबिया के नेताओं पर निशाना साधते हुए इस्लाम ने कहा, '10 साल में लीबिया के लोगों को सिर्फ दुख मिला है। अब समय आ गया है कि अतीत में लौटा जाए क्योंकि देश में न ही पैसा है और न सुरक्षा।' आसान नहीं होगी राजनीति में वापसी की राहलंबे समय बाद सामने आए इस्लाम का कहना है कि लीबियाई विद्रोहयों ने स्वीकार कर लिया है कि वो उनके सबसे ताकतवर साथी बन सकते हैं। हालांकि इस्लाम का सक्रिय राजनीति में लौटना आसान नहीं है। वो न सिर्फ अंतरराष्ट्रीय कोर्ट में मानवता के खिलाफ युद्ध जैसे गंभीर अपराधों में मुकदमे का सामना कर रहे हैं बल्कि त्रिपोली कोर्ट की सजा भी अभी बरकरार है। हालांकि उनका विश्वास है कि अगर लीबिया की जनता बहुमत से उन्हें अपना नेता चुन ले तो वो इन कानूनी चुनौतियों से भी निपट लेंगे। लीबिया के बिना मर जाएंगेइंटरव्यू के दौरान उनके पूछा गया कि 2011 में अपनी जान बचाने के लिए लीबिया में लोगों के घरों में छिपना उन्हें अजीब नहीं लगा? इस्लाम ने कहा कि लीबिया उनके लिए एक समंदर जैसा है और वो एक मछली की तरह हैं। वो यहीं छिपते हैं और यहीं लड़ते हैं। उन्होंने कहा कि लीबिया के बिना वो मर जाएंगे। कोर्ट सुना चुका है मौत की सजालंदन स्कूल ऑफ़ इकोनॉमिक्स से पीएचडी कर चुके इस्लाम की तलाश अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायालय को भी थी। 2011 में उन्हें तीन महीने फरार रहने के बाद कैद कर लिया गया था। 2017 में उनकी रिहाई की खबर आई जिसके बाद से वो लापता हो गए और उनकी जानकारी सामने नहीं आई। 2015 में त्रिपोली कोर्ट ने उन्हें मौत की सजा सुनाई थी लेकिन चमरपंथी समूह ने उन्हें सौंपने से इनकार कर दिया था।


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काबुलअफगानिस्तान में तालिबान लगातार अपने पैर पसार रहा है और एक के बाद एक जिलों पर कब्जा कर रहा है। आतंकी संगठन के खिलाफ अब मुजाहिदीन के पूर्व नेता और जमीयत-ए-इस्लामी पार्टी के एक वरिष्ठ सदस्य मोहम्मद इस्माइल खान ने हथियार उठाए है। 70 वर्षीय इस्माइल खान ने अफगानिस्तान के पश्चिम में हेरात प्रांत में अपने सैकड़ों वफादारों को तैनात किया है। सच नहीं होने देंगे तालिबान के सपनेप्रांत के कई जिलों पर कब्जा करते हुए तालिबान अब हेरात शहर के करीब आ गया है लेकिन यहां आतंकी संगठन के लिए कब्जा करना इतना आसान नहीं होगा। इस्माइल खान का कहना है, 'हम युद्ध के मोर्चे बनाएंगे। हम हेरात शहर को उन लोगों से बचाएंगे जो इसे लूटने आए हैं। हम हेरात को लूटने के उनके सपने को सच नहीं होने देंगे। हम उन्हें हेरात के लोगों पर बुरी नजर नहीं डालने देंगे।' हेरात के बाद दूसरे जिलों की ओर बढ़ेंगेइस्माइल खान हेरात की सुरक्षा करने के साथ-साथ अन्य जिलों को तालिबान के कब्जे से मुक्त कराना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि हेरात शहर के आसपास सुरक्षा बनाए रखने के बाद, सेना का प्रयास प्रांत के अन्य जिलों को तालिबान के कब्जे से मुक्त कराना होगा। इस्माइल खान ने कहा, 'जल्द ही आप शहर के अलग-अलग हिस्सों और हेरात के जिलों में विद्रोही बलों की मौजूदगी देखेंगे। हेरात में शांति स्थापित करने के बाद हम पश्चिमी क्षेत्र की ओर बढ़ेंगे।' हेरात निवासी तालिबान से जंग को तैयारटोलो न्यूज की रिपोर्ट के मुताबिक पिछले 24 घंटों में तालिबान ने इस्लाम कला और तोरघुंडी सीमावर्ती शहरों सहित हेरात प्रांत के आठ जिलों पर कब्जा कर लिया है। हेरात के निवासी फिरोज अहमद ने कहा, 'हम तालिबान को हेरात शहर में कभी दाखिल नहीं होने देंगे। हम लोगों को आश्वस्त करते हैं कि शहर में तालिबान की घुसपैठ नहीं होने दी जाएगी। एक दूसरे निवासी अब्दुल लतीफ ने कहा कि अगर तालिबान ने लड़ने पर जोर दिया तो हम भी हथियार उठाएंगे और अगर वो दोस्ती का हाथ बढ़ाएंगे तो हम भी इस दिशा में आगे बढ़ेंगे। UN के ऑफिस में लगी आगसंयुक्त राष्ट्र ने जानकारी दी कि पश्चिमी अफगानिस्तान में यूएन के एक ऑफिस में शुक्रवार को आग लग गई और तालिबान और अफगान बलों के बीच भयंकर मुठभेड़ में एक गार्ड की मौत हो गई। हेरात प्रांत की राजधानी से करीब 10 किलोमीटर दूर, हेरात प्रांत के गुजरा जिले में झड़प हो रही थी। हालांकि अभी यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि यूएन के ऑफिस में आग के लिए कौन सा पक्ष जिम्मेदार है। कहा जा रहा है कि इस झड़प में इस्माइल खान और उनके लड़ाकों ने ही तालिबान से लोहा लिया था।


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इलिनॉई वैज्ञानिकों को पहली बार 31 करोड़ साल पुराना एक केकड़े का जीवाश्म मिला है। नई स्टडी के मुताबिक इस खोज से इस अनोखे जीव, जिसे या अश्वनाल केकड़ा कहा जाता है, इसके विकास से जुड़े कई रहस्य खोले जा सकते हैं। इस जीव का नाम भले ही केकड़े पर है लेकिन यह मकड़ों और बिच्छुओं के ज्यादा करीब है। यह जीवाश्म जिस प्रजाति का है वह विलुप्त हो चुकी है। इसे अमेरिका के इलिनॉई में मेजन क्रीक में पाया गया। ये ऐसी कंडीशन्स में मिला जहां सॉफ्ट टिशू को अच्छी तरह से संरक्षित किया जा सका। बेहद दुर्लभ है खोज इस केकड़े की चार प्रजातियां बाकी हैं। इन सबके सख्त स्केलेटन, 10 पैर और यू-शेप का सिर है। इनके जीवाश्म पहले भी मिले हैं लेकिन प्राचीन सिर के बारे में पता नहीं चला। स्टडी के लेखक रसेल बिकनेल के मुताबिक पहली बार इसके दिमाग का सबूत मिला है। उन्होंने लाइव साइंस को बताया है कि दिमाग का जीवाश्म मिलने की संभावना 10 लाख में एक बार से भी ज्यादा दुर्लभ होती है क्योंकि सॉफ्ट टिशू बहुत तेजी से खराब होते हैं। दिमाग जैसा खांचा इनके संरक्षण के लिए बहुत खास जियॉलजिकल कंडीशन्स या ऐंबर चाहिए होता है। इस जीव के सॉफ्ट टिशू कई साल तक प्रिजर्व रहे जिससे दिमाग की एक कॉपी तैयार हो गई। बिकनल ने बताया है कि मेजन क्रीक में दिमाग का खांचा जैसा दिखा है क्योंकि यहां आयरन कार्बोनेट से जीवाश्म संरक्षित रहते हैं। दिमाग डीकंपोज हो जाता है लेकिन उसकी जगह क्ले मिनरल kaolinite का खांचा तैयार हो जाता है। इस तरह की कंडीशन्स में दूसरे जीवाश्मों की खोज की जाएगी। मेजन क्रीक इसके लिए बेहद खास है। स्टडी में पाया गया है कि यह दिमाग आज के horseshoe crab से काफी मिलता-जुलता है। यह स्टडी 26 जुलाई को जियॉलजी जर्नल में छपी थी।


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वॉशिंगटन करीब 4.5 अरब साल पहले हमारे सौर मंडल में पिघली हुई चट्टान से बनने लगा एक ग्रह जिसने धरती की शक्ल ली। यह प्रक्रिया लंबे वक्त तक चली और आज हम अपने ग्रह को जिस तरह देखते हैं, वहां तक पहुंचने में इसने कई दौर देखे। आर्टिस्ट और कंप्यूटर साइंटिस्ट डेविड रॉबर्ट्स ने इस सफर को एक वीडियो में दिखाया है जिसमें अरबों साल की कहानी 4 मिनट में खुलती है। कभी आग का धधकता गोला थी सबसे पहले एक प्रोटोप्लैनेट दिखता है जो बेहद गर्म है और गड्ढों यानी क्रेटर्स (Craters) से भरा है। फिर करीब 3 अरब साल प्लेट टेक्टॉनिक बनते दिखाई देते हैं। धीरे-धीरे इस चट्टान पर रंग भरता है पानी और महाद्वीप भी नजर आने लगते हैं। आखिर में दुनियाभर के महाद्वीप रोशन होते दिखते हैं और पता चलता है कि कैसे कभी गर्म धधकता गोला रही धरती आज इंसानों का घर है। पानी आया, फिर महाद्वीप सबसे पहले धरती आज के शुक्र ग्रह (Venus) जैसी दिखती है। इसका क्रस्ट अस्थिर था और ऐस्टरॉइड-धूमकेतु टकराते रहते थे। इसकी वजह से गर्म तापमान लाखों साल तक बना रहा। करीब दो-तीन अरब साल पहले टेक्टॉनिक प्लेटें बनने लगीं। फिर पानी के आने के साथ धरती स्थिर होने लगी। 3.8 अरब साल जब हाइड्रोजन और मीथेन जैसी गैसें ठंडी होने लगीं तो पानी बनने लगा और फिर धीरे-धीरे महासागर बने। फिर महाद्वीप बने और करीब 30 करोड़ साल पहले Pangea नाम का अतिविशाल महाद्वीप अलग-अलग टुकड़ों में बंट गया। इनसे हमारे आज के महाद्वीप बने। इसके साथ ही वायुमंडल में बदलाव और जलवायु के कारण जीवन पैदा होने लगा। बारिश, मौसमों के पैटर्न से जीवन की विविधता हुुई और फिर इन्हें खाने वाले जटिल जीव बनने लगे। इस वीडियो में दिखता है कि कैसे कभी बंजर और सुनसन रहा ग्रह आज रोशनी में डूबा है। सभ्यता और तकनीक से हम कहां पहुंच गए लेकिन जीवाश्म ईंधन ने धरती को प्रदूषण की चादर ओढ़ा दी। इसके कारण बनाया हुआ हमारा भविष्य भी रॉबर्ट दिखाते हैं लेकिन उनका कहना है कि यह बहुत ज्यादा एक्सट्रीम नतीजा है जिसे टाला जा सकता है।


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पेइचिंगचीन में कोविड -19 के डेल्टा वेरिएंट के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। चीन की राजधानी सहित 15 शहर संक्रमण के मामलों से जूझ रहे हैं। सरकारी मीडिया ने इसे दिसंबर 2019 में वुहान में वायरस के प्रकोप के बाद सबसे 'बुरी स्थिति' करार दिया है। ‘ग्लोबल टाइम्स’ ने बताया कि कोविड-19 मामलों में नई बढ़ोतरी पूर्वी चीन के जिआंगसु प्रांत की राजधानी नानजिंग के एक एयरपोर्ट से शुरू हुई और पांच अन्य प्रांतों और पेइचिंग में फैल गई है। डेल्टा वेरिएंट ने बढ़ाई चिंतारिपोर्ट में कहा गया है कि नानजिंग शहर ने कई एयरपोर्ट कर्मचारियों के संक्रमित पाए जाने के बाद सभी उड़ानों को सस्पेंड कर दिया है। तेजी से फैलने वाले डेल्टा वेरिएंट के मामले 15 चीनी शहरों से सामने आए हैं। डेल्टा वेरिएंट की सबसे पहले पहचान भारत में हुई थी। हालांकि नए मामलों की संख्या अभी भी कुछ सैकड़ों में हैं लेकिन अलग-अलग प्रांतों में संक्रमण के तेजी से फैलने के चलते चिंताएं बढ़ गई हैं। पेइचिंग में अचानक बढ़े मामलेपेइचिंग में कोरोना के मामले 175 दिनों से अधिक समय के बाद सामने आए हैं. इतने लंबे समय के बाद संक्रमण का बढ़ना ही अधिकारियों के लिए चिंता का कारण बना हुआ है। लगभग 2.2 करोड़ की आबादी वाले शहर की स्थानीय सरकार ने 1 जुलाई को आयोजित होने वाले चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीसी) के शताब्दी समारोह के लिए कई महीनों तक शहर का कोविड-19 से बचाव किया। यहां राष्ट्रपति शी जिनपिंग सहित वरिष्ठ नेताओं के आवास स्थित हैं। दूसरे शहर जाते हैं पेइचिंग आने वाले यात्रीचीन की ओर से भारत और कई अन्य देशों से हवाई यात्रा अभी शुरू किया जाना बाकी है। पेइचिंग आने वाली ज्यादातर अंतरराष्ट्रीय उड़ानों को दूसरे शहरों में भेजा जाता है, जहां यात्रियों को देश की राजधानी में प्रवेश करने से पहले 21 दिनों के आइसोलेशन से गुजरना पड़ता है। चीन के राष्ट्रीय स्वास्थ्य आयोग के अनुसार, गुरुवार तक की स्थिति के अनुसार चीन के मुख्य भूभाग में कोविड-19 के सामने आए मामलों की कुल संख्या 92,875 थी। अब तक 4,636 लोगों ने गंवाई जानइसमें 932 ऐसे मरीज हैं, जिनका इलाज चल रहा है, जिनमें से 25 की हालत गंभीर है। देश में पिछले साल से अब तक कोरोना वायरस ने 4,636 लोगों की जान ली है। आधिकारिक मीडिया के अनुसार, चीन ने अब तक अपनी लगभग 40 प्रतिशत आबादी का टीकाकरण किया है। कोरोना वायरस का पहली बार 2019 के आखिर में वुहान में पता चला था। इसके बाद यह चीन और दुनिया भर में तेजी से फैल गया और मार्च 2020 में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इसे एक महामारी घोषित कर दिया।


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प्योंगयांग ज्यादातर अपनी ‘क्रूरता’ के लिए चर्चित उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग की नई तस्वीरें, इस बार अलग ही वजह से लोगों का ध्यान खींच रही हैं। दरअसल, किम जोंग ने इस साल कम से कम 20 किलो वजन कम कर लिया है। हाल ही में उनकी सैन्य अफसरों का अभिवादन करते हुए तस्वीरें सामने आई थीं। इन्हें देखकर लग रहा था कि वजन कम होने के बाद उनका ट्रेडमार्क माओ सूट ढीला हो गया है। दिलचस्प बात यह है कि एक महीने पहले सरकारी मीडिया ने किम की सेहत पर चिंता जताई थी। आमतौर पर किम की सेहत के बारे में चर्चा नहीं की जाती और इससे जुड़ीं जानकारियां सीक्रेट रखी जाती हैं लेकिन अब उनके वजन पर चर्चा भी होने लगी है और चिंता भी जताई जा रही है। कोरियन पीपल्स आर्मी के कमांडरों और पुलिस ऑफिसर्स की पहली वर्कशॉप में किम काफी पतले नजर आए हैं। इससे उनके बीमार होने की अटकलें भी लगने लगी हैं। 'किम की हालत देखकर टूटे' पिछले महीने सरकारी KCTV ने एक आम नागरिक के हवाले से दावा किया था कि देश में लोग किम की हालत देखकर टूट गए हैं। उत्तर कोरिया में आर्थिक हालात पहले से ही खस्ताहाल थे और कोरोना वायरस के कारण देश तंगहाली के दौर से गुजर रहा है। खाने का संकट भी पैदा हो चुका है और सीमा से जुड़े नियमों के चलते अर्थव्यवस्था चरमरा गई है। पहली बार सेहत पर चर्चा वहीं, उत्तर कोरिया के जानकारों का कहना है कि सरकारी टीवी का इस तरह किम की सेहत पर चर्चा करना एक पीआर एक्सरसाइज है। उनकी तबीयत के बारे में दुनिया को बताकर शासन चाहता है कि सांत्वना भी बटोरी जाए और लोगों को बताया जाए कि ऐसे हालात में भी किम जोंग उनके लिए जुटे हैं। पहले भी कई बार किम की सेहत को लेकर खबरें आती रहीं और मौत तक के दावे किए जाते रहे लेकिन कुछ हफ्ते या महीने गायब रहने के बाद किम सामने आते हैं और किसी को नहीं पता चलता कि वह गए कहां थे।


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दोहा कतर (Qatar) के स्वास्थ्य मंत्रालय ने कोरोना वायरस के संबंध में बांग्लादेश, भारत, नेपाल, पाकिस्तान, फिलीपींस, श्रीलंका से आने वाले यात्रियों के लिए नए नियम जारी किए हैं। नए नियमों के मुताबिक कतर में कोरोना वैक्सीन लगवा चुके या कोरोना वायरस से रिकवर हो चुके यात्रियों को, जिन्होंने इन देशों की यात्रा की है, दो दिनों के लिए होटल क्वारंटीन में रहना पड़ेगा। दूसरे दिन नेगेटिव पीसीआर टेस्ट रिजल्ट आने के बाद क्वारंटीन को खत्म कर दिया जाएगा। रहना पड़ सकता है 10 दिनों के होटल क्वारंटीन मेंनए नियमों के तहत इन देशों से आने वाले सभी यात्रियों को 10 दिनों के लिए भी होटल क्वारंटीन में रहना पड़ सकता है। मंत्रालय ने ग्रीन, येलो और रेड लिस्ट में शामिल किए गए देशों की सूची को भी अपडेट किया है। वहीं हवाई यात्रा प्रतिबंधों में छूट मिलने के बाद एयर इंडिया ने विभिन्न देशों के लिए अतिरिक्त अंतरराष्ट्रीय उड़ानों की घोषणा की है। एयर इंडिया ने कहा कि भारत से कतर और मालदीव जैसे देशों के लिए सीधी उड़ानें संचालित की जाएगी। एयर इंडिया ने शुरू कीं उड़ानेंकंपनी ने घोषणा की है कि 1 अगस्त से 29 अक्टूबर 2021 तक कतर और भारत के बीच नॉन-स्टॉप उड़ानें हैं। एयर इंडिया के अनुसार भारत के मुंबई, हैदराबाद, कोच्चि और कतर में दोहा के बीच हफ्ते में दो अतिरिक्त उड़ानें संचालित की जाएंगी। एयर इंडिया मंगलवार और गुरुवार को दोहा-कोच्चि की फ्लाइट्स का संचालन करेगी और कोच्चि-दोहा उड़ान का संचालन बुधवार और शुक्रवार को किया जाएगा।


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Friday 30 July 2021

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वॉशिंगटन अगस्त की शुरुआत स्काईवॉर्चर्स और ऐस्ट्रोनॉमर्स के लिए बेहद खास होने वाली है। अगले हफ्ते सोमवार को, यानी 2 अगस्त की रात आसमान में एक खूबसूरत नजारा दिखेगा। दरअसल, इस दिन हमारे सौर मंडल का एक खास हिस्सा धरती के सबसे करीब होगा। हम बात कर रहे हैं छल्लों से सजे शनि ग्रह की। यह नजारा इसलिए खास होगा क्योंकि बिना किसी इंस्ट्रुमेंट के सीधे आंखों से दिखने वाले शनि हमसे सबसे दूर स्थित ग्रह है। क्या है खास? इस दौरान धरती, सूरज और शनि के बीचोंबीच होगी और इस खगोलीय घटना को नाम दिया गया है- Opposition। ब्रिटेन की रॉयल ऐस्ट्रोनॉमिकल सोसायटी के डॉ. रॉबर्ट मेसी के मुताबिक शनि को देखना आसान होगा क्योंकि यह आसमान के खाली हिस्से में होगा। यह एक पीले सितारे के जैसा होगा लेकिन इसकी रोशनी टिमटिमाती नहीं बल्कि स्थिर होगी। यह दूसरे सितारों से ज्यादा चमकीला भी होगा। कब और कैसे दिखेगा? इसे स्पॉट करने के लिए किसी उपकरण की जरूरत नहीं होगी लेकिन इसके छल्ले साफ-साफ देखने हों तो टेलिस्कोप की मदद लेनी पड़ सकती है। वहीं, रात के काले आसमान में शनि देखा जा सकेगा लेकिन बादल और बारिश का मौसम होने से कुछ दिक्कत हो सकती हैं। हालांकि, यह नजारा पूरे महीने बना रहेगा इसलिए इसे देखने के कई मौके आएंगे। सोमवार को यह सबसे करीब और साफ होगा। अगस्त का महीना बेहद खास अगस्त का महीने ऐसी शानदार खगोलीय घटनाओं के लिए बेहद खास है। 11 अगस्त को चांद और शुक्र ग्रह एक-दूसरे के बेहद करीब होंगे (Venus-Moon Conjunction) जिन्हें सूरज ढलने के बाद देखा जा सकेगा। इसी के आसपास 11-12 अगस्त के बीच Perseid Meteor Shower भी अपने पीक पर होगा। 19 अगस्त को बृहस्पति Opposition में होगा यानी यह सूरज से ठीक उल्टी दिशा में धरती के सबसे करीब होगा। इस वजह से यह बेहद चमकीला दिखेगा। इसके बाद 20 अगस्त को चांद और शनि Conjunction में होंगे। 22 अगस्त को Full Sturgeon Moon या Blue Moon दिखेगा। इसी दिन चांद और बृहस्पति भी Conjunction में होंगे।


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अबू धाबीकोरोना वायरस का मुकाबला करने के लिए वैक्सीन सबसे बड़ा हथियार है। कई देश बड़े पैमाने पर वैक्सिनेशन कर काफी हद तक वायरस से बचाव को सुनिश्चित कर चुके हैं। इनमें संयुक्त अरब अमीरात (UAE) का नाम भी शामिल है, जिसका वैक्सिनेशन रेट 70 फीसदी पहुंच चुका है। हालांकि डेल्टा वेरिएंट के सामने आने और कई देशों में इसके फैलने के बाद नागरिकों से सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने के लिए कहा गया है। 10 में 8 को लग चुकी है वैक्सीनखलीज टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक एक ओर जहां दुनिया में 10 में से 8 लोगों को अभी तक वैक्सीन की डोज नहीं मिल पाई है, वहां यूएई में हालात इसके ठीक विपरीत हैं। देश में करीब 10 में 8 लोगों को आंशिक या पूरी तरह से वैक्सीन लग चुकी है। रॉयटर्स की एक स्टडी के अनुसार वैश्विक स्तर पर ज्यादातर मौतें बिना वैक्सिनेशन वाले लोगों की हुई हैं। अच्छी खबर यह है कि 2021 में टीकों पर लोगों का संदेह अब कम हो रहा है। वैक्सीन लगवाने के बाद मिला सुकूनरिपोर्ट के मुताबिक जुलाई के दूसरे सप्ताह में फाइजर वैक्सीन की पहली डोज लेने वाली भारतीय प्रवासी अनम खान ने कहा, 'शुरू में मुझे वैक्सिनेशन को लेकर संदेह था क्योंकि मैंने कोरोना टीकों के साइड इफेक्ट के बारे में सुना था। मुझे खुशी है कि मैं यूएई में रह रही हूं जहां की सरकार यह सुनिश्चित करती है कि वह अपने लोगों को 'बेस्ट' के अलावा कुछ न दे।' उन्होंने कहा कि वैक्सीन लगवाने के बाद जब वह काम के लिए घर से बाहर निकलती हैं तो उन्हें मानसिक शांति मिलती हैं। एकमात्र बचाव है टीकायूएस सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (CDC) के हवाले से रिपोर्ट में कहा गया है कि डेल्टा वेरिएंट चिकनपॉक्स की तरह फैल सकता है और गंभीर बीमारी का कारण बन सकता है। वहीं विशेषज्ञ मानते हैं कि गंभीर बीमारी, अस्पताल में भर्ती होने और मौतों को रोकने के लिए कोरोना के टीके बेहद प्रभावी उपाय हैं।


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अबू धाबीज्यादातर भारतीय जो विदेशों में काम करना चाहते हैं, संयुक्त अरब अमीरात (UAE) उनकी पहली पसंद है। विदेश राज्य मंत्री ने गुरुवार को इसकी जानकारी भारतीय संसद को दी। सरकार के आव्रजन ब्यूरो के पिछले पांच सालों के आंकड़ों का हवाला देते हुए विदेश राज्य मंत्री वी मुरलीधरन ने लोकसभा को बताया कि जीसीसी () क्षेत्र भारतीय पेशेवरों और ब्लू कॉलर्स वर्कर्स दोनों के लिए विदेशों में काम करने के लिए टॉप 5 में जगहों में शामिल है। टॉप-5 देशों में शामिल चार खाड़ी देशमंत्री ने बताया कि पहली पांच जगहों में अमेरिका एकमात्र गैर-खाड़ी देश है। उन्होंने यह जानकारी डॉ मनोज राजोरिया के साथ साझा की, जिन्होंने उन देशों की सूची मांगी थी जहां भारतीय नौकरी के लिए सबसे ज्यादा यात्रा करते हैं। इस लिस्ट में पहले नंबर पर यूएई फिर सऊदी अरब, कतर, अमेरिका और ओमान शामिल हैं। सरकार ने की ई-माइग्रेट पोर्टल की स्थापनामुरलीधरन ने बताया कि युवाओं, खासतौर पर समाज के कमजोर वर्ग, को विदेशों में सुरक्षित कानूनी विदेशी रोजगार की सुविधा देने के लिए सरकार ने देश में रजिस्टर्ड भर्ती एजेंट्स की जानकारी के साथ ई-माइग्रेट पोर्टल की भी स्थापना की है। उन्होंने बताया कि यह पोर्टल अलग-अलग राज्यों में काम कर रहे अवैध एजेंट्स के बारे में भी जानकारी देता है, जिससे नौकरी की इच्छा रखने वाले युवा धोखाधड़ी का शिकार होने से बच सकें। यूएई में खुला भारत का पहला 'ट्रेनिंग सेंटर' विदेश राज्यमंत्री साल की शुरुआत में संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) में भारतीय श्रमिकों के लिए भारत सरकार के पहले 'कौशल एवं प्रशिक्षण केंद्र' का उद्घाटन कर चुके हैं। यह कौशल केंद्र दिल्ली पब्लिक स्कूल (डीपीएस), जेबेल अली में शुरू किया गया था। इस केंद्र पर दुबई में काम कर रहे भारतीय श्रमिकों को अरबी, अंग्रेजी और कंप्यूटर एप्लिकेशन का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। उद्घाटन के दौरान मंत्री ने इस बात पर खुशी जताई थी कि महिला कामगार इसमें काफी रुचि ले रही हैं।


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लंदन करीब डेढ़ साल से पूरी दुनिया में कोहराम मचाने वाले कोरोना वायरस का और भी ज्यादा घातक रूप सामने आ सकता है। आने वाले समय में इसका नया वेरियंट इतना खतरनाक होगा कि तीन में से एक इंसान की जान भी जा सकती है। ऐसी आशंका जताई है ब्रिटेन की सरकार के शीर्ष वैज्ञानिकों ने। ब्रिटेन के साइंटिफिक अडवाइजरी ग्रुप फॉर इमर्जेंसीज (SAGE) की एक रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि इस नए वायरस के कारण मृत्युदर 35% हो सकता है। जल्दी लानी होगी बूस्टर वैक्सीन इस समूह में शामिल एक्सपर्ट्स का कहना है जब वायरस कहीं बहुत ज्यादा वक्त के लिए रहता है तो उसमें म्यूटेशन की संभावना सबसे ज्यादा होती है। ऐसा ही ब्रिटेन में हो रहा है। वैज्ञानिकों का कहना है कि ब्रिटेन को सर्दियों तक बूस्टर वैक्सीन लानी होगी, विदेश से वायरस के नए वेरियंट आने से रोकना होगा और ऐसे जानवरों को मारना भी पड़ सकता है जिनमें वायरस रह सकता है। मृत्युदर बढ़ने की आशंका वैज्ञानिकों ने आने वाले समय की संभावनाओं पर एक पेपर रिलीज किया है जिसमें इस ‘सुपर-म्यूटेंट’ वेरियंट का खतरा बताया गया है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि अगर आने वाला स्ट्रेन दक्षिण अफ्रीका में मिले बीटा और केंट में मिले आल्फा या भारत में मिले डेल्टा वेरियंट से मिलकर बना तो यह वैक्सीन्स को भी बेअसर कर देगा। इसकी वजह से मृत्युदर बढ़ने की भी आशंका है। हालांकि, टीम का कहना है वैक्सीन को बेअसर करने के लिए किसी बेहद शक्तिशाली वेरियंट की ही जरूरत होगी। अभी वायरस से पीछा छूटा नहीं इस रिपोर्ट के आधार पर ब्रिटेन में लॉकडाउन के प्रतिबंध को खत्म करने की सरकार की तैयारियों को लेकर एक्सपर्ट्स ने एक बार फिर चेताया है। उनका कहना है कि SAGE की रिपोर्ट से पता चलता है कि वायरस से पीछा अभी छूटा नहीं है। इसलिए सरकार को इसे लेकर ज्यादा अलर्ट होना चाहिए। एक्सपर्ट्स ने जानवरों को वायरस का रेजर्वॉयर बनने से रोकने की सलाह दी है। उन्होंने डॉक्टरों से भी कहा है कि कुछ दवाएं संभालकर इस्तेमाल करने के लिए कहा है। जरूरत से ज्यादा इस्तेमाल पर वायरस इनके खिलाफ रेजिस्टेंस पैदा कर सकता है।


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पेइचिंग चीन में सीमा शुल्क अधिकारियों ने अक्साई चिन और अरूणाचल प्रदेश को भारत का हिस्सा दिखाने वाली विश्व नक्शे की एक बड़ी खेप जब्त की है। इन नक्शों को चीन से बाहर निर्यात किया जाना था। चीन, अरूणाचल प्रदेश के दक्षिण तिब्बत का हिस्सा होने का दावा करता है, जिसे भारत सिरे से खारिज करता आ रहा है। भारत का कहना है कि अरूणाचल प्रदेश इसका अभिन्न और अविभाज्य हिस्सा है। शंघाई में चीनी कस्टम ने जब्त किए नक्शे चीनी समाचार पत्र द पेपर डॉट सीएन की खबर में कहा गया है कि ये नक्शे करीब 300 निर्यात खेप में बेडक्लोथ के नाम से लपेट कर रखे गये थे। इन्हें शंघाई पुदोंग हवाईअड्डा पर सीमा शुल्क विभाग ने जब्त कर लिया। यह कोई पहली घटना नहीं है जब चीन ने ऐसे नक्शों को जब्त किया है। इससे पहले 2019 में चीन ने अरुणाचल प्रदेश और ताइवान को अलग दिखाए जाने पर 30 हजार नक्शों को नष्ट कर दिया था। चीन ने 2019 में कानून बनाकर लगाया है प्रतिबंध गौरतलब है कि चीन ने 2019 में एक नया कानून पारित कर देश में छापे और बेचे जाने तथा निर्यात किये जाने वाले सभी नक्शों को चीनी नक्शे के आधिकारिक प्रारूप के अनुसार रखे जाने को अनिवार्य बना दिया था। आधिकारिक प्रारूप में अरूणाचल प्रदेश, ताईवान और दक्षिण चीन सागर पर चीन के दावे को प्रदर्शित किया गया है। चीन और भारत में क्या है विवाद चीन और भारत के बीच मैकमोहन रेखा मौजूद है। इसे ही आधिकारिक तौर पर अंतरराष्ट्रीय रेखा माना जाता है। लेकिन, चीन इसे मानने से इनकार करता रहा है। चीन का कहना है कि अरुणाचल प्रदेश दक्षिणी तिब्बत का हिस्सा है। चीन ने 1950 के दशक में तिब्बत पर जबरन कब्जा करने के बाद 1962 के युद्ध में भी उसने भारत की सैकड़ों किलोमीटर की जमीन कब्जा कर रखी है।


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काबुल अफगानिस्तान में स्थित संयुक्त राष्ट्र के मुख्यालय पर हुए आतंकी हमले में कम से कम एक व्यक्ति के मारे जाने की खबर है। अफगानिस्तान में संयुक्त राष्ट्र सहायता मिशन (यूएनएएमए) ने कहा कि सरकार विरोधी तत्वों ने शुक्रवार को पश्चिमी प्रांत हेरात की राजधानी में संयुक्त राष्ट्र के मुख्य परिसर पर हमला किया। मिशन ने इस घटना में तालिबान लड़ाकों के शामिल होने की पुष्टि नहीं की है। यूएन ने बताया कि इस हमले में विरोधी तत्वों ने रॉकेट से लैस ग्रेनेड दागे और गोलियां चलाईं। हेरात में भारत का भी काउंसलेट है। हेरात में तालिबान के घुसने के बाद हुआ हमला यह हमला हेरात प्रांत में तालिबान लड़ाकों के घुसने के कुछ घंटे बाद हुआ है। बताया जा रहा है कि यूएन मुख्यालय के पास आतंकियों और अफगान सेना के बीच भी भारी झड़पें भी हुईं। हमले के बाद एक बयान में, संयुक्त राष्ट्र ने कहा कि वह इस घटना के बारे में पूरी तस्वीर साफ करने के लिए संबंधित पक्षों के संपर्क में है। अभी तक तालिबान ने इस हमले में अपना हाथ स्वीकार नहीं किया है। सभी दूतावासों को हाई अलर्ट पर रखा गया हमले के बाद यह स्पष्ट नहीं हो सका है कि इसमें किसका हाथ है। किन पश्चिमी सुरक्षा अधिकारी ने बताया कि इस घटना के बाद शहर के सभी राजनयिक परिसरों को हाई अलर्ट पर रखा गया है। UNAMA ने कहा कि हमला परिसर के प्रवेश द्वारों पर किया गया। ऐसे में स्पष्ट रूप से माना जा रहा है कि हमलावर कैंपस के अंदर घुसने की कोशिश कर रहे थे। यूएन ने की हमले की निंदा अफगानिस्तान के लिए संयुक्त राष्ट्र महासचिव के विशेष प्रतिनिधि डेबोरा लियोन ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र के खिलाफ यह हमला निंदनीय है और हम इसकी कड़े शब्दों में निंदा करते हैं। UNAMA ने कहा कि घटना में संयुक्त राष्ट्र का कोई भी कर्मी घायल नहीं हुआ है। अभी तक हमलावर यूएन के कैंपस के अंदर नहीं घुस सके हैं। तालिबान बोला- यह क्रास फायरिंग, नहीं किया हमला तालिबान के प्रवक्ता जबीहुल्ला मुजाहिद ने ट्विटर पर कहा कि यह संभव है कि यूएन के मुख्यालय के पास हो रही लड़ाई के कारण क्रास फायरिंग हुई हो। झड़प वाले स्थल से नजदीक होने के कारण गार्ड को गोली लगने की घटना हो सकती है। उन्होंने बताया कि घटना की जानकारी मिलते ही तालिबान लड़ाके मौके पर पहुंच गए और परिसर अब किसी भी खतरे में नहीं है। ईरान ने भी बढ़ाई चौकसी तालिबान ने शुक्रवार को राजधानी में प्रवेश करने से पहले ही ईरान की सीमा से लगे हेरात प्रांत पर कब्जा कर लिया है। एक उच्च पदस्थ विदेशी सुरक्षा अधिकारी ने बताया कि हेरात पर तालिबान के कब्जे के बाद ईरानी सीमा रक्षक बल हाई अलर्ट पर हैं। उन्हें डर है कि तालिबान के आतंक से उनके देश में बड़े पैमाने पर शरणार्थियों की बाढ़ आ सकती है। अधिकारी ने कहा कि शहर के सभी दूतावास कार्यालयों में विदेशी कर्मचारियों को सख्त लॉकडाउन का पालन करने की सलाह दी गई है।


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वॉशिंगटन अंतरिक्ष में वैज्ञानिक प्रयोगों के लिए बनाया गया अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन (आईएसएस) गुरुवार को रूस की लापरवाही के कुछ समय के लिए आउट ऑफ कंट्रोल हो गया था। जिसके बाद अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी के वैज्ञानिकों ने बड़ी मुश्किल से पर दोबारा नियंत्रण स्थापित किया। यह घटना तब हुई जब गुरुवार को रूस की नउका लैब मॉड्यूल आईएसएस से कनेक्ट हो रहा था। इस दौरान मॉड्यूल के जेट थ्रस्टर्स को अनजाने में कुछ घंटों तक ऑन रखा गया। जिससे पूरा अंतरिक्ष स्टेशन ही अपने पथ से भटक गया। दुर्घटना के समय मौजूद थे 7 अंतरिक्षयात्री नासा और रूस की सरकारी समाचार एजेंसी आरआईए ने बताया है कि इस घटना से आईएसएस पर मौजूद अंतरिक्षयात्रियों को कोई खतरा नहीं हुआ। इस समय आईएसएस पर चालक दल के सदस्यों के साथ कुल सात अंतरिक्षयात्री मौजूद हैं। इनमें दो रूसी अंतरिक्ष यात्री, तीन नासा के अंतरिक्ष यात्री, एक जापानी अंतरिक्ष यात्री और एक फ्रांस से एक यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी का अंतरिक्ष यात्री शामिल हैं। नासा का स्टारलाइन मिशन स्थगित इस दुर्घटना के कारण नासा ने 3 अगस्त को लॉन्च किए जाने वाले बोइंग के नए सीएसटी -100 स्टारलाइनर कैप्सूल के परीक्षण को टालने का फैसला किया है। यह मानवरहित कैप्सूल आईएसएस से जाकर जुड़ने वाला था। स्टारलाइनर को फ्लोरिडा के कैनेडी स्पेस सेंटर से शुक्रवार को एटलस वी रॉकेट के जरिए प्रक्षेपित करने के लिए तैयार किया गया था। रूसी माड्यूल के कनेक्ट होने से हुआ हादसा नासा ने बताया कि यह दुर्घटना रूस के नउका साइंस माड्यूल के अंतरिक्ष स्टेशन पर कनेक्ट होने के तीन घंटे बाद शुरू हुई। इस दौरान रूसी स्पेस एजेंसी के वैज्ञानिक मॉड्यूल को डॉक किए जाने के बाद कुछ रिकनफिगरेशन का काम कर रहे थे। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी के अधिकारियों ने कहा कि मॉड्यूल के जेट बेवजह फिर से शुरू हो गए, जिससे पूरा स्टेशन पृथ्वी से लगभग 250 मील ऊपर अपनी सामान्य उड़ान की स्थिति से बाहर निकल गया। स्पेसक्राफ्ट इमरजेंसी का करना पड़ा ऐलान इस घटना के कारण मिशन फ्लाइट डायरेक्टर को स्पेसक्राफ्ट इमरजेंसी तक का ऐलान करना पड़ा। नासा के अंतरिक्ष स्टेशन कार्यक्रम के प्रबंधक जोएल मोंटालबानो के अनुसार,स्टेशन के इस अप्रत्याशित बहाव का पता स्वचालित ग्राउंड सेंसर के जरिए चला। जिसके बाद नासा के वैज्ञानिकों ने कई अन्य थ्रस्टर्स को शुरू कर आईएसएस को फिर से उसकी कक्षा पर लेकर आए।


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पेइचिंग भारत से तनाव के बीच चीन पश्चिमी रेगिस्तान में बने अपने परमाणु टेस्टिंग साइट का तेजी से विस्तार कर रहा है। नई सैटेलाइट इमेज में दावा किया गया है कि चीन लोप नूर में बने अपने परमाणु परीक्षण स्थल के पास नई सुरंग को खोद रहा है। इतना ही नहीं, इस साइट को नई-नई सड़कों से भी जोड़ा जा रहा है। चीन ने 16 अक्टूबर 1964 को इसी जगह पर 22 किलोटन के अपने पहले परमाणु बम का परीक्षण किया था। जिसके बाद चीन ने इस जगह पर अबतक कुल 45 परमाणु परीक्षण किए हैं। बड़ा सवाल- सुरंगों का कैसे इस्तेमाल करेगा चीन? इस सुरंग को सबसे पहले प्राइवेट भू-स्थानिक एनलसिस फर्म ऑलसोर्स एनालिसिस ने प्लैनेट की सैटेलाइट तस्वीरों का विश्लेषण कर पता लगाया था। बाद में अमेरिकी एनजीओ मीडिया एनपीआर से बातचीत करते हुए ऑलसोर्स एनालिसिस में विश्लेषण और संचालन के उपाध्यक्ष रेनी बाबियारज ने कहा कि यह उन क्षेत्रों से जुड़ा नया निर्माण है, जहां अतीत में परमाणु परीक्षण किया गया है। उन्होंने यह भी कहा कि अभी तक यह स्पष्ट नहीं है कि इन सुरंगों का इस्तेमाल कैसे किया जाएगा। 1996 के बाद से चीन ने नहीं किया है कोई परमाणु परीक्षण चीन ने 1996 के बाद से पूर्ण पैमाने पर परमाणु परीक्षण नहीं किया है। इस दौरान दुनिया के कई प्रमुख परमाणु शक्ति संपन्न देशों ने नए परीक्षणों पर खुद ही रोक लगा दी थी। हालांकि, बाद में भी अमेरिका, चीन और रूस समय समय पर परमाणु हथियारों के गैर परमाणु पार्ट्स का परीक्षण करते रहे हैं। कई बार तो इन परीक्षणों को जमीन के नीचे आयोजित किया गया है, जिससे बाकी दुनिया को इसके बारे में पता न चल सके। चीनी दूतावास ने टिप्पणी से किया इनकार इस सुरंग को लेकर एनपीआर के सवाल पर वॉशिंगटन स्थित चीनी दूतावास के प्रवक्ता लियू पेंग्यू ने कोई भी टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। हालांकि, उन्होंने यह जरूर कहा कि चीन परमाणु परीक्षण स्थगन के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने अमेरिका के उन आरोपों पर भी आपत्ति जताई जिसमें दावा किया गया था कि चीनी सरकार किसी भी तरह से व्यापक परीक्षण प्रतिबंध संधि को कमजोर करने की कोशिश कर रही थी दो जगह परमाणु मिसाइल ठिकाने बना रहा चीन नई सुरंग की खबर चीन के दो अलग-अलग हिस्सों में परमाणु मिसाइलों के लिए ठिकाने बनाने के बीच आई है। रिपोर्ट में बताया गया था कि चीन शिनजियांग प्रांत के हामी शहर के पास रेगिस्‍तान में 110 परमाणु मिसाइल साइलो का निर्माण कर रहा है। सबसे खतरनाक बात यह है कि किलर मिसाइल साइलो भारत से मात्र 2000 किमी की दूरी पर स्थित है। चीन के पास ऐसी कई मिसाइलें हैं जिनकी रेंज में समूचा भारत आता है। साइलो एक तरह से स्टोरेज कंटेनर होते हैं, जिनके अंदर लंबी दूरी तक मार करने वाली मिसाइलें रखी जाती हैं। युमेन शहर के पास चीनी मिसाइलों का दूसरा ठिकाना इससे पहले चीन के उत्तर-पश्चिमी शहर युमेन के पास रेगिस्तान में इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइलों के लिए 100 नए साइलो का निर्माण करने का खुलासा हुआ था। फेडरेशन ऑफ अमेरिकन साइंटिस्‍ट ने ताजा तस्‍वीरों के आधार पर बताया कि चीन ने दूसरे मिसाइल साइलो के लिए खुदाई शुरू कर दी है। अमेरिकी वैज्ञानिकों ने कहा कि इस विस्‍तार से चीन की परमाणु हमला करने की ताकत काफी बढ़ जाएगी। चीन में हामी और यूमेन दोनों ही ऐसी जगहें हैं जहां पर अमेरिका अपनी परंपरागत क्रूज मिसाइलों के जरिए हमला नहीं कर सकता है। ऐसे में अमेरिका को इन्‍हें तबाह करने के लिए खासतौर पर अपनी परमाणु मिसाइलों का इस्‍तेमाल करना होगा। दुनिया को ताकत दिखा रहा चीन वैज्ञानिकों ने बताया कि 800 वर्ग किलोमीटर के इलाके में सड़कों का जाल बिछा दिया गया है। उन्‍होंने कहा कि मिसाइल साइलो का निर्माण इसी साल शुरू हुआ है। चीन ने कई साल तक चुप्‍पी साधने के बाद अब दुनिया को अपनी ताकत का अहसास कराना शुरू कर दिया है। वर्ष 1960 के दशक में परमाणु बम का परीक्षण करने के बाद चीन ने कई दशक तक न्‍यूनतम परमाणु प्रतिरोधक क्षमता को बनाए रखने पर बल दिया था।


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दुबई ईरान के साथ जारी तनाव के बीच इजरायल के एक तेल टैंकर पर फिर हमला हुआ है। बताया जा रहा है कि यह टैंकर इजरायल के एक अरबपति व्यापारी का है। यह हमला अरब सागर में ओमान के तट के नजदीक हुआ है। इस हमले में टैंकर के चालक दल में शामिल दो लोगों की मौत हुई है। दोनों मृतक ब्रिटेन और रोमानिया के निवासी बताए जा रहे हैं। हमले पर ओमान और अमेरिकी नौसेना ने साधी चुप्पी रिपोर्ट के अनुसार, हमला गुरुवार रात को तेल टैंकर मेरसर स्ट्रीट को निशाना बना कर किया गया। यह घटना गुरुवार देर रात को ओमान के मासिरा द्वीप के उत्तरपूर्व में हुई। यह स्थान ओमान की राजधानी मस्कट से 300 किलोमीटर से अधिक की दूरी पर है। ओमान ने तत्काल हमले की बात नहीं स्वीकारी है। पश्चिम एशिया के समुद्री क्षेत्र में गश्त करने वाले अमेरिकी नौसेना के पांचवें बेड़े ने भी इस बारे में अभी कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। हमले की टाइमिंग को लेकर उठ रहे सवाल इजराइल के अधिकारियों ने घटना की पुष्टि नहीं की है। हालांकि यह कथित घटना ऐसे वक्त हुई है जब इजराइल और ईरान के बीच तनाव बहुत बढ़ गया है और विश्व शक्तियों के साथ तेहरान के परमाणु समझौते पर गतिरोध बना हुआ है। बीते महीनों में इजराइल से संबंधित अन्य पोतों पर भी हमले हुए हैं। दोनों देशों के बीच छद्म युद्ध जारी है और इजराइल के अधिकारियों ने इन हमलों के पीछे ईरान को जिम्मेदार ठहराया है। ब्रिटिश सेना ने दी हमले की जानकारी ब्रिटेन की सेना की इकाई ‘यूनाइटेड किंगडम मैरीटाइम ट्रेड ऑपरेशन्स’ की ओर से जारी वक्तव्य में कहा गया कि घटना की जांच चल रही है। इसमें बताया गया कि यह घटना बृहस्पतिवार देर रात को ओमान के मासिरा द्वीप के उत्तरपूर्व में हुई। बयान में इससे ज्यादा जानकारी नहीं दी गई है, लेकिन अन्य सूत्रों के अनुसार उन्हें हमले में समुद्री डकैती होने का संदेह नहीं है। बृहस्पतिवार को ब्रिटेन की सेना के समूह ने कहा था कि वह इसी इलाके में एक और घटना की जांच कर रहा है। इजरायली कंपनी ने भी हमले के बारे में बताया इजरायल के अरबपति ऐयर ऑफेर के जोडिएक समूह के लंदन स्थित जोडिएक मैनेजमेंट की ओर से वक्तव्य जारी करके कहा गया कि पोत ‘मेरसर स्ट्रीट’ नाम का तेल टैंकर है और यह जापान का है। इससे पहले ब्रिटेन के रक्षा मंत्रालय ने पोत के मालिकों के बारे में जो जानकारी दी थी वह गलत थी। जोडिएक मैरीटाइम ने हमले के बारे में विस्तार से जानकारी दिए बगैर इसे समुद्री डकैती बताया। वक्तव्य में कहा गया कि घटना के वक्त पोत उत्तरी हिंद सागर में था और दार ए सलाम से फुजैरा जा रहा था। इस पर माल नहीं लदा था। ईरान के साथ परमाणु समझौते को लेकर जारी है तनाव यह घटना ऐसे समय में हुई है, जब ईरान के परमाणु समझौते को लेकर तनाव बढ़ गया है और इसे बहाल करने को लेकर विएना में चल रही बातचीत रुक गई है। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप 2018 में एकपक्षीय तरीके से समझौते से हट गए थे जिसके बाद से क्षेत्र में जहाजों पर अनेक हमले हुए हैं और इनका संदेह तेहरान पर जाता रहा है। ईरानी मीडिया में भी हमले की खबर ईरान की मीडिया ने हमले के बारे में विदेशी खबरों का हवाला दिया है, लेकिन विस्तार से जानकारी नहीं दी है। हमला उस रात हुआ है जब अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने कुवैत में ईरान को चेतावनी दी कि वियना में परमाणु समझौते को लेकर वार्ता अनिश्चित काल तक नहीं चल सकती है।


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वॉशिंगटन की अल्ट्रा फास्ट लगातार दूसरे टेस्ट में भी फेल हो गई है। इस बार तो यह मिसाइल अपने कैरियर विमान बोइंग बी-52 स्ट्रैटोफोर्ट्रेस से सुरक्षित तरीके से लॉन्च भी हो गई। लेकिन, एन मौके पर मिसाइल में लगा रॉकेट इंजन ऑन नहीं हुआ। जिस कारण मिसाइल गोते खाती हुई काफी ऊंचाई से धरती पर आ गिरी। इस मिसाइल के लगातार दो परीक्षणों के विफल होने से अमेरिकी हाइपसोनिक मिसाइल कार्यक्रम को तगड़ा झटका लगा है। पिछली बार विमान के विंग से अलग ही नहीं हुई थी मिसाइल टेस्ट की जा रही हाइपरसोनिक मिसाइल का नाम AGM-183A एयर-लॉन्च्ड रैपिड रिस्पांस वेपन (ARRW) है। अप्रैल में इस मिसाइल का पहला परीक्षण आयोजित किया गया था। तब यह मिसाइल कैलिफोर्निया के एडवर्ड्स एयर फोर्स बेस से उड़ान भरने वाले बी-52 विमान के विंग से रिलीज ही नहीं हो सकी थी। जिसके बाद विमान की सकुशल लैंडिंग करवा ली गई थी। अमेरिकी वायु सेना ने दावा किया है कि इस असफल प्रक्षेपण ने अभी भी मूल्यवान परीक्षण डेटा प्रदान किया है। बी-52 बमवर्षक 28 जुलाई को किया गया था दूसरा टेस्ट अमेरिकी वायु सेना ने टेस्ट रिजल्ट की घोषणा करते हुए बताया कि यह परीक्षण 28 जुलाई को दक्षिणी कैलिफोर्निया के तट पर प्रशांत महासागर में प्वाइंट मुगु सी रेंज पर हुआ था। वायु सेना ने पहले ही बताया था कि वह जुलाई के आखिरी हफ्ते में इस मिसाइल के दूसरे टेस्ट को आयोजित करने जा रही है। इस टेस्ट में भी कैलिफोर्निया के एडवर्ड्स एयर फोर्स बेस पर तैनात 419वीं फ्लाइट टेस्ट स्क्वाड्रन और ग्लोबल पावर बॉम्बर कंबाइंड टेस्ट फोर्स ने हिस्सा लिया। रॉकेट मोटर ऑन न होने से फेल हुआ मिशन वायु सेना ने बताया कि टेस्ट के दौरान मिसाइल विमान के विंग से अच्छे तरीके से अलग हुआ। इस दौरान जीपीएस एक्वाजिशन, विमान से मिसाइल तक पॉवर का ट्रांसफर और पूरी तरीके से अलग होने वाले सभी अनुक्रम सफलतापूर्वक पूरे किए गए। मिसाइल ने फिन ऑपरेशन और डी-कॉन्फ्लेक्शन मनूवर को भी पूरा किया। यह प्रक्रिया बमवर्षक विमान और उसके एयरक्रू के सेफ्टी के लिए जरूरी होता है। विमान से सफलतापूर्वक अलग होने के बाद मिसाइल का रॉकेट मोटर प्रज्वलित नहीं हो पाया। आवाज से 20 गुना तेज उड़ने वाली मिसाइल बनाने की तैयारी इस नई मिसाइल को एजीएम -183 ए एयर-लॉन्च रैपिड रिस्पॉन्स वेपन (एआरआरडब्ल्यू) कहा जाता है। संभावना जताई जा रही है कि अगले कुछ समय में इसे एयरफोर्स में कमीशन किया जा सकता है। इस परीक्षण को मिसाइल की क्षमता को प्रदर्शित करने के उद्देश्य से किया गया था ताकि हाइपरसोनिक स्पीड प्राप्त की जा सके। पेंटागन इस मिसाइल के जरिए आवाज की रफ्तार से 20 गुना तेज चलने वाली मिसाइल को बनाने पर काम कर रहा है। अमेरिका को चीन की DF-17 मिसाइल से है खतरा अमेरिका को चीन की डीएफ-17 हाइपरसोनिक मिसाइल से खतरा है। इस कारण वह अपनी मिसाइल डिफेंस टेक्नोलॉजी को अपग्रेड करने की कोशिशों में जुटा है। यह हाइपरसोनिक मिसाइल लंबी दूरी तक सटीक निशाना लगाने में माहिर है। ऐसे में अगर चीन हमला करता है तो अमेरिका को गुआम या जापान में मौजूद अपने बेस की सुरक्षा के लिए तगड़े इंतजाम करने पड़ेंगे। चीन की DF-17 मिसाइल 2500 किलोमीटर दूर तक हाइपरसोनिक स्पीड से अपने लक्ष्य को भेद सकती है। टेस्ट के फेल होने के बाद भी क्या होती हैं हाइपरसोनिक मिसाइलें हाइपरसोनिक मिसाइल आवाज की रफ्तार (1235 किमी प्रतिघंटा) से कम से कम पांच गुना तेजी से उड़ान भर सकती है। ऐसी मिसाइलों की न्यूनतम रफ्तार 6174 किमी प्रतिघंटा होती है। ये मिसाइलें क्रूज और बैलिस्टिक मिसाइल दोनों के फीचर्स से लैस होती हैं। लॉन्चिंग के बाद यह मिसाइल पृथ्वी की कक्षा से बाहर चली जाती है। जिसके बाद यह टारगेट को अपना निशाना बनाती है। तेज रफ्तार की वजह से रडार भी इन्हें पकड़ नहीं पाते हैं।


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मेलबर्न अगर आप 18 साल या उससे ज्यादा हैं और एक ऐसे इलाके में हैं, जहां कोविड-19 का प्रकोप है तो आपके लिए वही वैक्सीन सर्वश्रेष्ठ है तो आपको तुरंत मिल जाए। इसका सीधा मतलब है कि आपको एस्ट्राजेनेका का टीका लगवाना चाहिए, क्योंकि फाइजर की आपूर्ति तो अभी कम है। यह सलाह ऑस्ट्रेलियाई सरकार के विशेषज्ञ वैक्सीन सलाहकार निकाय एटीएजीआई (प्रतिरक्षा पर ऑस्ट्रेलियाई तकनीकी सलाहकार समूह) द्वारा 24 जुलाई को दी गई थी। महीनों पहले युवाओं को फाइजर को प्राथमिकता देने की सलाह के बाद निकाय ने उन्हें यह नई सलाह क्यों दी? क्या डेल्टा संस्करण युवाओं के लिए अधिक खतरनाक? दरअसल, आस्ट्रेलिया में महामारी के नये प्रकोप, जहां डेल्टा संस्करण का प्रभाव ज्यादा है, के दौरान अधिक युवाओं को अस्पताल में और आईसीयू में भर्ती कराया जा रहा है और मरने वालों में भी युवाओं की तादाद ज्यादा है। अब यह बहस का विषय हो सकता है कि क्या डेल्टा संस्करण युवाओं के लिए अधिक खतरनाक है और या फिर युवा लोग इसलिए इसकी चपेट में ज्यादा आ रहे हैं क्योंकि वृद्धों को तो पहले ही वैक्सीन देकर सुरक्षित किया जा चुका है। हालांकि, इसमें बहस की कोई गुंजाइश नहीं है कि डेल्टा स्ट्रेन अधिक संक्रामक है, यही वजह है कि हम जितनी जल्दी हो सके अपनी आबादी का टीकाकरण करना चाहते हैं। इसलिए यदि आप 18 वर्ष या उससे अधिक उम्र के हैं और अभी तक टीका नहीं लगाया गया है, तो आप पूछ रहे होंगे कि क्या अभी एस्ट्राजेनेका का टीका लगवाना आपके लिए सही काम है। इसका उत्तर देने के लिए हमें एस्ट्राजेनेका टीकाकरण के लाभों और जोखिमों पर विचार करने की आवश्यकता है। टीके से क्या हासिल होना चाहिए? किसी भी कोविड-19 वैक्सीन को लगवाने से क्या हासिल होना चाहिए, इसके बारे में सोचते समय, प्राथमिकता का क्रम होता है। सबसे पहले, तो इसे कोविड का शिकार होने वाले लोगों को मरने से रोकना चहिए। दूसरा, इसे गंभीर बीमारी (इतने बुरे लक्षण कि आईसीयू उपचार की आवश्यकता हो) के जोखिम को कम करना चाहिए । तीसरा, अस्पताल में भर्ती कम होना चाहिए। अगर कोई वैक्सीन इन तीन चीजों से ज्यादा काम कर रही है, तो यह एक बोनस है। हम बहुत खुशकिस्मत हैं कि एस्ट्राजेनेका और फाइजर के टीके न केवल यह तीनों काम करते हैं, वह किसी भी प्रकार की बीमारी (हल्के लक्षणों सहित) से पीड़ित लोगों की संख्या को भी कम करते हैं, और संभवतः संचरण को भी कम करते हैं (कोविड -19 की चपेट में आने वाले लोग कम संक्रामक हो जाते हैं)। क्या टीके डेल्टा संस्करण के खिलाफ काम करते हैं? चूंकि डेल्टा दुनिया भर में कोविड-19 का प्रमुख स्ट्रेन बन गया है, शोधकर्ता यह देखने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं कि वर्तमान टीके इसके खिलाफ कितना अच्छा प्रदर्शन करते हैं। अब तक, खबर अच्छी है। आइए सबूत देखें। वैक्सीन लगे इंसान पर डेल्टा का कम असर ब्रिटेन में जहां डेल्टा संस्करण इस समय अधिकांश संक्रमणों का कारण है, फरवरी और जुलाई के बीच 229218 कोविड संक्रमण थे। इनमें से 12.5% पूरी तरह से टीकाकृत थे। इन्हें सफल संक्रमण के रूप में जाना जाता है (क्योंकि वे टीके की सुरक्षा को ‘तोड़’ देते हैं)। उन सफल संक्रमणों में से, 3.8% को ईडी के पास जाने की जरूरत पड़ी। केवल 2.9% को अस्पताल में भर्ती होना पड़ा, और 1% से कम की मृत्यु हुई। जान बचा रही कोरोना वैक्सीन इसका मतलब यह है कि भले ही टीके लोगों को बीमारी से पूरी तरह से नहीं बचा पाए, लेकिन उन्होंने अपना प्राथमिक उद्देश्य हासिल किया: लोगों की जान बचाना और लोगों को अस्पताल जाने से बचाए रखना। ब्रिटेन में एक और अध्ययन जो डेल्टा तनाव के साथ अस्पताल में भर्ती होने वालों तक सीमित था, ने निष्कर्ष निकाला कि एस्ट्राजेनेका दो खुराक के बाद अस्पताल में भर्ती होने के खिलाफ 92% प्रभावी है। अन्य अध्ययनों ने लक्षण वाले रोग में 60% से 67% की कमी दिखाई है। हालांकि एस्ट्राजेनेका डेल्टा स्ट्रेन की संक्रामकता को कम करने के लिए काम करती है, फिर भी टीकाकरण वाले लोग इसे दूसरों तक बीमारी पहुंचा सकते हैं। इसलिए टीका लगाए गए लोगों के लिए यह बहुत महत्वपूर्ण है कि वे अभी भी अन्य सभी साक्ष्य-आधारित तरीकों का पालन करें, जिसमें मास्क पहनना, सामाजिक दूरी और लॉकडाउन प्रतिबंध शामिल हैं - कम से कम जब तक हमारे पास समुदाय में पर्याप्त लोगों का टीकाकरण नहीं हो जाता। लेकिन जोखिम क्या हैं? बेशक एस्ट्राजेनेका वैक्सीन से संभावित जोखिम हैं: इंजेक्शन के स्थान पर दर्द, थकान, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, बुखार और ठंड लगना सबसे अधिक सूचित दुष्प्रभाव हैं। इनमें से अधिकतर हल्के और अस्थायी होते हैं, जो एक से दो दिनों में ठीक हो जाते हैं। दुर्लभ लेकिन गंभीर दुष्प्रभाव भी हैं: एनाफिलेक्सिस (प्रति मिलियन लोगों में दो से पांच), और थ्रोम्बोसाइटोपेनिया (टीटीएस) के साथ घनास्त्रता। नताशा येट्स, असिस्टेंट प्रोफेसर, जनरल प्रैक्टिस, बॉन्ड यूनिवर्सिटी रोबिना (ऑस्ट्रेलिया)


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न्यूयॉर्क कोरोना वायरस के डेल्टा वैरियंट को लेकर अमेरिकी सरकार की एक रिपोर्ट में डराने वाली चेतावनी जारी की गई है। इस रिपोर्ट में लिखा है कि डेल्टा वैरियंट वायरस के अन्य सभी ज्ञात वैरियंट की तुलना में अधिक गंभीर बीमारी का कारण बन सकता है। इतना ही नहीं, रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि डेल्टा वैरियंट चेचक की तरह आसानी से फैल सकता है। वैक्सीन ले चुके लोग भी फैला सकते हैं डेल्टा वैरियंट अमेरिकी स्वास्थ्य प्राधिकार के एक आंतरिक दस्तावेज में कहा गया है कि रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र (सीडीसी) के दस्तावेज में अप्रकाशित आंकड़ों के आधार पर दिखाया गया है कि टीके की सभी खुराकें ले चुके लोग भी बिना टीकाकरण वाले लोगों जितना ही डेल्टा स्वरूप को फैला सकते हैं। सबसे पहले भारत में डेल्टा स्वरूप की पहचान की गयी थी। वैक्सीन लेने और न लेने वालों में वायरस की मौजूदगी एक जैसी सबसे पहले ‘द वाशिंगटन पोस्ट’ ने इस दस्तावेज के आधार पर रिपोर्ट प्रकाशित की। सीडीसी की निदेशक डॉ. रोशेल पी वालेंस्की ने मंगलवार को माना कि टीका ले चुके लोगों की नाक और गले में वायरस की मौजूदगी उसी तरह रहती है जैसे कि टीका नहीं लेने वालों में। आंतरिक दस्तावेज में वायरस के इस स्वरूप के कुछ और गंभीर लक्षणों की ओर इशारा किया गया है। डेल्टा वैरियंट चेचक की तरह संक्रामक दस्तावेज के अनुसार, डेल्टा स्वरूप, ऐसे वायरस की तुलना में अधिक फैलता है जो मर्स, सार्स, इबोला, सामान्य सर्दी, मौसमी फ्लू और बड़ी माता का कारण बनता है, और यह चेचक की तरह ही संक्रामक है। दस्तावेज की एक प्रति ‘न्यूयॉर्क टाइम्स’ ने भी हासिल की है। सीडीसी द्वारा 24 जुलाई तक एकत्र किए गए आंकड़ों के अनुसार, अमेरिका में 16.2 करोड़ लोगों का टीकाकरण हो चुका है और हर सप्ताह लक्षण वाले करीब 35,000 मामले आ रहे हैं। लेकिन एजेंसी मामूली या बिना लक्षण वाले मामलों की निगरानी नहीं करती है, इसलिए वास्तविक मामले अधिक हो सकते हैं। रिपोर्ट से अमेरिकी वैज्ञानिकों की चिंताएं भी बढ़ीं दस्तावेज के मुताबिक बी.1.617.2 यानी डेल्टा स्वरूप और गंभीर बीमारी पैदा कर सकता है। ‘न्यूयॉर्क टाइम्स’ ने एक संघीय अधिकारी का हवाला देते हुए कहा कि दस्तावेज के निष्कर्ष ने डेल्टा स्वरूप को लेकर सीडीसी के वैज्ञानिकों की चिंताएं बढ़ा दी हैं। अधिकारी ने कहा कि सीडीसी डेल्टा स्वरूप को लेकर आंकड़ों से बहुत चिंतित है। यह स्वरूप गंभीर खतरे का कारण बन सकता है, जिसके लिए अभी कदम उठाने की आवश्यकता है।


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तेल अवीव इजरायल ने कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों को रोकने के लिए कोरोना वायरस वैक्सीन की तीसरी खुराक यानी बूस्टर डोज देनी शुरू कर दी है। वैक्सीन की तीसरी डोज 60 साल के अधिक उम्र के नागरिकों को ही दी जाएगी। इस अभियान के शुरुआत इजरायल के राष्ट्रपति इसहाक हर्जोग ने तीसरी डोज लगवाकर की है। 60 साल के हर्जोग ने तेल अवीव के पास स्थित रमत गन के शेबा मेडिकल सेंटर में फाइजर बायोएनटेक की कोविड वैक्सीन की बूस्टर डोज ली। इजरायल के राष्ट्रपति ने पत्नी संग लगवाई बूस्टर शॉट इस अवसर पर इजरायली राष्ट्रपति ने कहा कि उन्हें बूस्टर वैक्सीनेशन इनिशिएटिव शुरू करने पर गर्व है। उन्होंने यह भी कहा कि इस चुनौतीपूर्ण महामारी के दौरान जीवन की सामान्य परिस्थितियों को यथासंभव सक्षम करने के लिए तीसरी डोज बहुत महत्वपूर्ण है। इजरायली राष्ट्रपति के साथ उनकी पत्नी मीकल को भी वैक्सीन की तीसरी डोज दी गई। इजरायली पीएम ने लोगों से वैक्सीन लगवाने की अपील की इजरायली राष्ट्रपति के साथ इस कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नफ्ताली बेनेट भी मौजूद थे। उन्होंने 60 साल के अधिक उम्र के सभी लोगों से कोरोना वायरस वैक्सीन की तीसरी डोज लगवाने का आग्रह भी किया। इजरायली पीएम ने यह भी कहा कि इजरायल सार्वजनिक वैक्सीनेशन कार्यक्रम से मिली सभी सूचनाओं को साझा करेगा। बेनेट ने कहा कि इजरायल 60 साल से अधिक उम्र वाले लोगों के लिए वैक्सीन की तीसरी डोज शुरू करने वाला पहला देश है। COVID महामारी के खिलाफ लड़ाई एक वैश्विक लड़ाई है। COVID को हराने का एकमात्र तरीका एकजुटता है। बूस्टर शॉट शुरू करने वाला दुनिया का पहला देश बताया जा रहा है कि इजरायल में लोगों को दी जा रही बूस्टर शॉट बाकी देशों के लिए एक अध्ययन का भी काम करेगा। इससे मिले अनुभवों से अमेरिका समेत बाकी देश भी सीख सकेंगे। अमेरिका और ब्रिटेन समेत दुनियाभर के कई देशों में फाइजर की वैक्सीन का इस्तेमाल हुआ है। अगर तीसरा डोज 60 साल के अधिक उम्र के लोगों को वायरस के संक्रमण से बचाता है तो बाकी देश भी इस पहल की शुरुआत कर सकते हैं। इजरायल में 57 फीसदी लोगों को मिली दोनों डोज बूस्टर शॉट कार्यक्रम को शुरू करने से एक दिन पहले पीएम बेनेट ने कहा था कि इजरायल में पहले ही 2000 लोगों को तीसरी खुराक दी जा चुकी है। इस दौरान किसी भी व्यक्ति पर वैक्सीन का कोई भी गंभीर प्रभाव देखने को नहीं मिला। इजरायल दुनिया में कोरोना वैक्सीन का इस्तेमाल करने वाले सबसे पहले देशों की कतार में शामिल है। अभी तक इजरायल की 93 लाख की आबादी में 57 फीसदी लोगों को वैक्सीन की दोनों डोज लगाई जा चुकी है। वहीं 60 से अधिक उम्र वालों में यह आंकड़ा 87 फीसदी का है।


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इस्लामाबाद अफगानिस्तान में की बढ़ती हिंसा के बीच पाकिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अपने अमेरिकी समकक्ष जेक सुलिवन से मुलाकात की है। यह मुलाकात इसलिए भी अहम बताई जा रही है क्योंकि पिछले कुछ महीनों से अमेरिका और पाकिस्तान के संबंधों में खटास देखी जा रही थी। माना जा रहा है कि इमरान खान ने इसी खटास को दूर करने के लिए अपने सबसे खास और भरोसेमंद मोईद यूसुफ को वॉशिंगटन भेजा था। मोईद यूसुफ और जेक सुलिवन ने इससे पहले मार्च में जिनेवा में भी मुलाकात की थी। घंटो बाद दोनों पक्षों ने मुलाकात का किया खुलासा पाकिस्तानी एनएसए मोईद यूसुफ और उनके अमेरिकी समकक्ष जेक सुलिवन ने अपनी मुलाकात का औपचारिक ऐलान कई घंटे बाद किया। यूसुफ ने अपने ट्वीट में कहा, आज वाशिंगटन में एनएसए जेक सुलिवन के साथ सकारात्मक फॉलोअप बैठक हुई। हमारी जिनेवा बैठक के बाद से हुई प्रगति का जायजा लिया और आपसी हित के द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर चर्चा की। यूसुफ ने यह भी कहा कि दोनों पक्ष पाकिस्तान-अमेरिका द्विपक्षीय सहयोग में गति को बनाए रखने के लिए सहमत हुए। पाकिस्तानी एनएसए ने तालिबान पर चर्चा को छिपाया पाकिस्तानी एनएसए ने बैठक में चर्चा किए गए मुद्दों में अफगानिस्तान का जिक्र नहीं किया लेकिन सुलिवन ने अपने ट्वीट का आधा हिस्सा अफगान मुद्दे को समर्पित कर दिया। उन्होंने कहा कि मैंने आज पाकिस्तान के एनएसए से क्षेत्रीय संपर्क और सुरक्षा और आपसी सहयोग के अन्य क्षेत्रों पर परामर्श करने के लिए मुलाकात की। हमने अफगानिस्तान में हिंसा में कमी की तत्काल आवश्यकता और संघर्ष के लिए बातचीत के जरिए राजनीतिक समाधान पर चर्चा की। अमेरिका से आर्थिक सहायता फिर पाना चाहता है पाक पाकिस्तान इन दिनों मुफलिसी में जिंदगी गुजार रहा है। उसकी अर्थव्यवस्था पहले से ही खराब थी, बाकी बची कसर को कोरोना महामारी ने पूरा कर दिया। इसलिए पाकिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार मुईद यूसुफ अमेरिका के साथ संबंधों में महत्वपूर्ण बदलाव की कोशिशों को लेकर जेक सुलिवन से मुलाकात की है। इस उच्च स्तरीय बैठक में पाकिस्तानी और अमेरिकी एनएसए ने द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर व्यापक बातचीत हुई है। ट्रंप ने 2018 में रोकी थी पाकिस्तान को आर्थिक मदद जहां तक अमेरिका के साथ रिश्तों की बात है तो पाकिस्तान अपने रुख में महत्वपूर्ण बदलाव कर रहा है। हालांकि, इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि अमेरिका पाकिस्तान को आर्थिक सहायता फिर से शुरू करेगा कि नहीं। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने जनवरी 2018 में यह कहते हुए पाकिस्तान के साथ सभी सुरक्षा सहयोग निलंबित कर दिए थे कि वह आतंकवाद के खिलाफ इस्लामाबाद के सहयोग और लड़ाई में उसकी भूमिका से संतुष्ट नहीं है। पाक को अफगानिस्तान में इस्तेमाल करना चाहता है अमेरिका हाल में ही भारत दौरे पर आए अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने हमारे सहयोगी प्रकाशन टाइम्स ऑफ इंडिया के साथ बातचीत में कहा था कि तालिबान पर पाकिस्तान का महत्वपूर्ण प्रभाव है और संयुक्त राज्य अमेरिका चाहता है कि इस्लामाबाद वह भूमिका निभाए। तालिबान के साथ अपने प्रभाव का उपयोग करने में पाकिस्तान की महत्वपूर्ण भूमिका है ताकि वह यह सुनिश्चित कर सके कि तालिबान देश को बलपूर्वक लेने की कोशिश न करे। इसका एक प्रभाव है और इसकी एक भूमिका भी है। हमें उम्मीद है कि पाकिस्तान इसे निभाएगा।


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काबुल। अफगानिस्तान के विदेश मंत्रालय ने दावा किया है कि पाकिस्तान में देश के राजदूत की बेटी का अपहरण किया गया और फिर उसे इस्लामाबाद में शारीरिक और मानसिक रूप से प्रताड़ित किया गया। मंत्रालय के मुताबिक एक जांच में इसका खुलासा हुआ है। मंत्रालय के अनुसार, मेडिकल रिपोर्ट और संबंधित सबूतों से संकेत मिलता है कि सिलसिला अलीखेल के साथ मारपीट की गई और फिर 17 जुलाई को उसे प्रताड़ित किया गया। अपराध को उचित नहीं ठहराया जा सकतापाकिस्तानी राजधानी में अपनी बेटी के अपहरण को लेकर राजदूत नजीब अलीखेल ने याचिका दायर की थी। मंत्रालय ने आगे कहा कि मेडिकल रिपोर्ट और अन्य सबूतों के आधार पर इस प्रकार के अपराध को कभी भी उचित नहीं ठहराया जा सकता है और पाकिस्तानी सरकार अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों के आधार पर राजनयिकों और उनके परिवार के सदस्यों को सुरक्षा प्रदान करने के लिए बाध्य है। जांच के लिए पाकिस्तान भेजी जाएगी टीमउन्होंने दोहराया कि पाकिस्तान सरकार को अपनी जांच में तेजी लानी चाहिए और अपराधियों को न्याय के कटघरे में लाना चाहिए। अफगानिस्तान मामले की संयुक्त जांच करने और प्रासंगिक जानकारी और सबूत साझा करने के लिए एक प्रतिनिधिमंडल पाकिस्तान भेजने के लिए तैयार है। मंत्रालय के दावे पाकिस्तान के आंतरिक मंत्री शेख राशिद द्वारा इस घटना को एक नाटक करार दिए जाने और इस्लामाबाद के खिलाफ रची गई एक बड़ी साजिश के बाद आए हैं।


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रॉटर्डम स्‍वेज नहर में जाम लगाकर समुद्री व्‍यापार पर ब्रेक लगाने वाला विशालकाय जहाज एवर गिवेन 4 महीने की मशक्‍कत के बाद अंतत: अपने ठिकाने नीदरलैंड के रॉटर्डम शहर पहुंच गया है। एवर गिवेन की वजह से समुद्र में एक सप्‍ताह तक 42 अरब पाउंड का व्‍यापार ठप पड़ गया था। इस जहाज को भारतीय चालक दल चला रहा था और अब रॉटर्डम पहुंचने पर इसके माल को उतारा जा रहा है। अब अमजोनेहवेन पहुंचा है जो उसके वास्‍तविक समय से काफी लेट है। पनामा के झंडे वाला यह जहाज 23 मार्च को स्‍वेज नहर में फंस गया था। इसे निकालने में एक सप्‍ताह का समय लग गया था। इसकी वजह से समुद्र में ही सैकड़ों जहाजों को खड़ा होना पड़ गया था। रॉटर्डम बंदरगाह के डायरेक्‍टर ने कहा कि एवर गिवेन को देखकर उन्‍हें बहुत राहत मिली है। अब इसके विशालकाय सामान को उतार सकेंगे। यह जहाज अभी सोमवार तक यही पर रहेगा, इसके बाद फ्रांस जाएगा जहां इसकी जांच की जाएगी। तीन सप्‍ताह पहले एवर गिवेन जहाज ग्रेट बिटर लेक के नहर में खड़ा था। वित्‍तीय विवाद के कारण करीब 3 महीने तक यह जहाज यहीं पर खड़ा रहा। इस जहाज के जापानी मालिक ने स्‍वेज नहर के प्रशासन से एक समझौता किया, उसके बाद जहाज को जाने दिया गया। दोनों पक्षों ने यह नहीं बताया कि कितने पैसे में समझौता हुआ है। एवर गिवेन जहाज को 25 भारतीय चला रहे थे। 193.3 किलोमीटर लंबी स्वेज नहर भूमध्य सागर को लाल सागर से जोड़ती है। इसी रास्‍ते से दुनिया के करीब 30 फीसदी शिपिंग कंटेनर गुजरते हैं। पूरी दुनिया के 12 फीसदी सामानों की ढुलाई भी इसी नहर के जरिए होती है। इस नहर से रोजाना नौ अरब डॉलर का कारोबार होता रहा है। जहाज के फंसने से वैश्विक परिवहन और व्यापार पर बहुत बुरा असर पड़ा था। विश्‍व के व्‍यस्‍ततम समुद्री रास्‍तों में से एक मिस्र के स्‍वेज नहर में विशाल कंटेनर श‍िप एवर गिवेन के फंसने से दुनियाभर के 300 से ज्‍यादा मालवाहक जहाज और तेल कंटेनर फंस गए थे।


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रियाद सऊदी अरब के नेतृत्‍व में गठबंधन सेना ने यमन की राजधानी सना में हूती विद्रोहियों के एक शिविर को हवाई हमला करके तबाह कर दिया है। सऊदी...