Monday 27 December 2021

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रियाद सऊदी अरब के नेतृत्‍व में गठबंधन सेना ने यमन की राजधानी सना में हूती विद्रोहियों के एक शिविर को हवाई हमला करके तबाह कर दिया है। सऊदी अरब ईरान समर्थक हूती विद्रोहियों के खिलाफ लगातार हवाई हमले कर रहा है। सऊदी गठबंधन सेना ने कहा कि उसने विद्रोहियों का हथियारों का गोदाम तबाह कर दिया है। अभी कुछ दिन पहले ही अमेरिका ने हूती विद्रोहियों को भेजी जा रही 1400 एके-47 राइफल को अरब सागर में एक मछली पकड़ने वाली नौका से पकड़ा था। सऊदी प्रेस एजेंसी के मुताबिक हूती विद्रोही अल तशरीफात कैंप में हथियार भेजने की कोशिश कर रहे थे और इसी के जवाब में तत्‍काल हवाई हमला किया गया। यमन में साल 2014 से गृहयुद्ध चल रहा है और वहां सरकार के खिलाफ ईरान समर्थक हूती विद्रोही जंग छेड़े हुए हैं। हूती विद्रोहियों ने देश के ज्‍यादातर उत्‍तरी हिस्‍से को अपने कब्‍जे में कर लिया है। ये विद्रोही अक्‍सर सऊदी अरब पर ड्रोन हमले करते रहते हैं। हूती विद्रोहियों के मिसाइल हमले में सऊदी के दो लोगों की मौत हूती विद्रोहियों के हमले में सऊदी अरब को भारी नुकसान उठाना पड़ा है। सऊदी अरब लंबे समय से आरोप लगाता रहा है कि ईरान हूती व्रिदोहियों को घातक हथियार मुहैया करा रहा है। वहीं हिज्‍बुल्‍ला हूती विद्रोहियों को ट्रेनिंग दे रहा है। ईरान ने सऊदी अरब के इन आरोपों को खारिज किया है। शनिवार को हूती विद्रोहियों के मिसाइल हमले में सऊदी अरब के दो लोगों की मौत हो गई थी। तीन साल में यह अपनी तरह की पहली मौत थी। इसके बाद सऊदी अरब ने हूती विद्रोहियों के खिलाफ बड़ा सैन्‍य अभियान शुरू किया था। इससे पहले भारत से सटे अरब सागर में एके-47 की एक बड़ी तस्करी पकड़ी गई थी। अमेरिकी नौसेना ने पिछले दिनों बताया था कि उसकी पांचवी फ्लीट ने गश्ती के दौरान उत्तरी अरब सागर से 1400 एके-47 राइफलें और गोला--बारूद को बरामद किया है। ये राइफलें एक मछली पकड़ने वाली बोट पर छिपाई गईं थीं। बड़ी बात यह है कि यह बोट किसी भी देश में रजिस्ट्रेशन के बिना समुद्र में घूम रही थी। नौसेना ने दावा किया है कि इन एके-47 राइफलों को यमन में हूती विद्रोहियों को भेजा जा रहा था। शक जताया गया है कि इनका निर्माण ईरान में किया गया है। ईरानी जहाज से असॉल्ट राइफलें, लाइट मशीन गन मिले अधिकारियों ने बताया था कि उन्हें इस जहाज से वाणिज्यिक शिपिंग और उनके नेविगेशन को खतरा पैदा होने का अंदेशा था। ऐसे में आदेश मिलने पर जहाज से चालक दल और हथियारों को हटाकर उसे समुद्र में डूबा दिया गया। इस साल 11 फरवरी को अमेरिकी नौसेना के गाइडेड मिसाइल डिस्ट्रॉयर यूएसएस विंस्टर्न एस चर्चिल ने अंतराष्ट्रीय कानून के अनुसार, सोमालिया के तट पर एक स्टेटलेस शिप से हथियारों की बड़ी बरामदगी की थी। इसमें एके-47 असॉल्ट राइफलें, लाइट मशीन गन, रॉकेट-प्रोपेल्ड ग्रेनेड लॉन्चर और भारी स्नाइपर राइफल सहित कई दूसरे हथियार मिले थे।


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Sunday 26 December 2021

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रोम पोप फ्रांसिस ने कहा है कि कोरोना वायरस महामारी के चलते कुछ पारिवारिक परेशानियां बढ़ गई हैं, लेकिन विवाहित लोगों को विवाह के संबंध में तीन शब्दों 'आग्रह, आभार तथा क्षमा' को सदैव याद रखना चाहिये। फ्रांसिस का विवाहित दंपत्तियों को लिखा एक पत्र रविवार को यीशु के परिवार की स्मृति में एक कैथोलिक उत्सव के दिन जारी हुआ। पोप ने पत्र में लिखा कि लॉकडाउन और पृथकवास के चलते परिवारों को अधिक समय साथ बिताने का अवसर मिला था, लेकिन इस तरह जबरदस्ती साथ रहना कई बार माता-पिता और भाई-बहनों के धैर्य की परीक्षा लेता है और कुछ मामलों में परेशानियों का कारण बनता है। फ्रांसिस ने पत्र में लिखा, 'पहले से व्याप्त परेशानियां और बढ़ गई हैं, जिससे संघर्ष पैदा हो रहे हैं। कुछ मामलों में ये संघर्ष असहनीय हो जाते हैं। कई बार तो रिश्ते में अलगाव तक की नौबत आ जाती है।' उन्होंने लिखा, 'विवाह का टूटना काफी दुखदायी होता है क्योंकि कई आशाएं दम तोड़ देती हैं और गलतफहमियों के चलते टकराव बढ़ता है और इस पीड़ा से आसानी से पार नहीं पाया जा सकता। बच्चों को अपने माता-पिता को अलग-अलग देखकर पीड़ा का सामना करना पड़ता है।' पोप ने कहा, 'याद रखिये, क्षमा हर घाव को भर देती है।' पोप ने कहा कि विवाह के संबंध में तीन महत्वपूर्ण शब्द सदैव याद रखें: 'आग्रह, आभार और क्षमा।'


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मॉस्को रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने रविवार को कहा कि अगर पश्चिमी देश नाटो का विस्तार यूक्रेन तक नहीं करने की सुरक्षा गारंटी की उनकी मांग को पूरा नहीं करते हैं तो वह अन्य विकल्पों पर विचार करेंगे। उल्लेखनीय है कि इस महीने की शुरुआत में मॉस्को ने सुरक्षा दस्तावेज का मसौदा जमा किया था जिसमें मांग की गई थी कि नाटो यूक्रेन और पूर्व सोवियत संघ के देशों को सदस्यता देने से इनकार करे और मध्य एवं पूर्वी यूरोप में सैन्य तैनाती को वापस ले। पुतिन ने आह्वान किया कि पश्चिम उनकी मांगों को जल्द पूरा करे। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर पश्चिमी देश हमारे देश के करीब ‘आक्रमकता’ को जारी रखेंगे तो मॉस्को ‘उचित सैन्य और प्रौद्योगिकीय कदम’ उठाएगा। रूस के सरकारी टेलीविजन चैनल पर पुतिन के बयान का प्रसारण रविवार को किया गया। जब उनसे मॉस्को के संभावित कदम को बताने के लिए कहा गया तो उन्होंने कहा, ‘यह विभिन्न प्रकार के हो सकते’’हैं। पुतिन ने विस्तृत जानकारी दिए बिना कहा कि ‘यह हमारे सैन्य विशेषज्ञों द्वारा मेरे समक्ष पेश किए गए प्रस्ताव पर आधारित होगा।’ उल्लेखनीय है कि अमेरिका और उसके साझेदार रूस को यूक्रेन पर उस तरह की गारंटी देने से इनकार कर चुके हैं जैसा पुतिन चाहते हैं। उन्होंने रेखांकित किया कि अर्हता रखने वाले किसी भी देश के लिए नाटो की सदस्यता खुली है। हालांकि वे रूस की चिंताओं पर चर्चा के लिए उसके साथ अगले महीने वार्ता करने पर सहमत हुए हैं। पुतिन ने कहा कि जिनेवा में अमेरिका के साथ वार्ता होगी। समानांतर वार्ता भी रूस और नाटो के साथ होगी और यूरोप में सुरक्षा और सहयोग के लिए बने इस संगठन के साथ विस्तृत मुद्दों पर चर्चा की उम्मीद है। पुतिन ने कहा कि रूस ने अपनी मांग रख दी है और उम्मीद करता है कि पश्चिम से सकरात्मक जवाब आएगा।


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बीजिंग ताइवान को प्रतिनिधि ऑफिस खोलने की अनुमति देने के बाद चीन ने यूरोप के छोटे से देश लिथुआनिया को 'इतिहास के कचड़े के डिब्‍बे' में भेज देने की धमकी दी है। चीन जहां दुनिया की सबसे अधिक आबादी वाला देश है, वहीं लिथुआनिया की जनसंख्‍या मात्र 30 लाख है। लिथुआनिया के ताइवान को अनुमति देने से चीन लाल हो गया है जो उसे अपना एक हिस्‍सा मानता है। इससे पहले अगस्‍त महीने में लिथुआनिया ने कहा था कि वह ताइवान को उसके अपने नाम से एक कार्यालय को खोलने की अनुमति देगा। इस ऐलान के बाद चीन ने लिथुआनिया से अपने राजदूत को वापस बुला लिया था। चीन ने लिथुआनिया से अपने राजनयिक रिश्‍ते को भी कम कर दिया था। चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्‍ता झाओ लिजिन ने कहा कि लिथुआनिया सार्वभौमिक सिद्धांतों के दूसरी तरफ खड़ा है जिसका कभी सुखद अंत नहीं होगा। लिथुआनिया चीन को लगातार ललकार रहा झाओ ने चेतावनी दी कि जो लोग ताइवान के अलगाववादी ताकतों के साथ मिलकर काम करने पर जोर दे रहे हैं, उन्‍हें इतिहास के कूड़े के डिब्‍बे में भेज दिया जाएगा। बता दें कि लिथुआनिया दुनिया की महाशक्तियों में शुमार चीन को लगातार ललकार रहा है। दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंध आजतक के इतिहास में सबसे निचले स्तर पर हैं। चीन और लिथुआनिया के नेता जुबानी जंग में भी एक दूसरे को कड़ी टक्कर दे रहे हैं। चीन चाहता है कि लिथुआनिया तुरंत ताइवान के साथ अपने संबंधों को खत्म करे, जबकि यह देश इसे संप्रभु फैसला बताते हुए पीछे हटने को तैयार नहीं है। इस बीच चीन की धमकियों की परवाह न करते हुए लिथुआनिया के एक सांसद ने पिछले दिनों बीजिंग को 'पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ कॉमेडी' तक बता दिया था। दरअसल, चीन का पूरा नाम पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना है। यह सांसद कोई और नहीं, बल्कि एक हफ्ते पहले ही ताइवान गए एक आधिकारिक प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करने वाले लिथुआनियाई नेता मातस मालदेइकिस हैं। लिथुआनिया ने इस साल की शुरुआत में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के महत्वकांक्षी मिशन सीईईसी को छोड़ने का ऐलान किया था। ताइवान के साथ राजनयिक संबंध भी बहाल किया इस फोरम को 2012 में चीन ने शुरू किया था। इसमें यूरोप के 17 देश शामिल हैं, जबकि 18वां देश खुद चीन है। लिथुआनिया के विदेश मंत्री गेब्रिलियस लैंड्सबर्गिस ने चीन के सीईईसी फोरम को विभाजनकारी बताया था। इस परियोजना के तहत चीन मध्य और पूर्वी यूरोपीय देशों के साथ अपने व्यापारिक संबंधों को मजबूत करना चाहता है। इतना ही नहीं, लिथुआनिया ने इसके बाद चीन को उकसाने के लिए ताइवान के साथ राजनयिक संबंध भी बहाल किया है।


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सोफिया साल 2021 बीत रहा है और कुछ ही दिनों बाद नया साल शुरू हो जाएगा। इस बीच अमेरिका में अलकायदा के 9/11 हमले से लेकर सुनामी तक की सटीक भविष्‍यवाणी करने वाली बुल्‍गारिया की भविष्‍यवक्‍ता बाबा वेंगा ने चेतावनी दी है कि साल 2022 में कोरोना से भी घातक वायरस आएगा। यही नहीं उन्‍होंने यह भी कहा है कि नए साल में एलियन धरती पर हमला कर सकते हैं। टिड्ड‍ियों के हमले से भारत में भुखमरी आ सकती है। बाबा वेंगा को बाल्‍कन क्षेत्र का नास्‍त्रेदमस भी कहा जाता है। बाबा वेंगा असली नाम वेंगेलिया गुश्‍तेरोवा है और उनकी 1996 में मौत हो गई थी। बाबा वेंगा का जन्‍म साल 1911 में हुआ था और उन्‍होंने दावा किया था कि ईश्‍वर ने उन्‍हें भविष्‍य को देखने का दुर्लभ तोहफा दिया है। मात्र 12 साल की उम्र में एक भीषण तूफान में बाबा वेंगा के आंखों की रोशनी चली गई थी। उन्‍होंने खुद अपनी मौत की सटीक भविष्‍यवाणी की थी। बाबा वेंगा ने साल 1996 में मरते समय साल 5079 तक के लिए अपनी भविष्‍यवाणी बता दी थी। बाबा वेंगा की अब तक कई भविष्‍यवाणी सच बाबा वेंगा का मानना था कि साल 5079 में दुनिया का अंत हो जाएगा। वेंगा ने मरने से पहले सोवियत संघ के विघटन, 2001 में वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर हमले, 2004 की सुनामी, अफ्रीकी अमेरिकी मूल के व्यक्ति के अमेरिकी प्रेजिडेंट बनने, ब्रिटेन की राजकुमारी डायना के मौत और 2010 के अरब स्प्रिंग जैसी कई सटीक भविष्यवाणियां की थीं। अब साल 2022 के लिए उनकी भविष्‍यवाणी सामने आ गई है। बाबा वेंगा की साल 2022 के लिए भविष्‍यवाणी टाइम्‍स नाउ की रिपोर्ट के मुताबिक बाबा वेंगा का दावा है कि नए साल में दुनिया में प्राकृतिक आपदाएं आएंगी। ऑस्‍ट्रेलिया और कई एशियाई देशों में भीषण बाढ़ आएगी। उन्‍होंने कहा कि कोरोना से भी खतरनाक वायरस साल 2022 में दस्‍तक दे सकता है। उन्‍होंने कहा कि वैज्ञानिकों का एक दल साइबेरिया में एक नए वायरस को खोज निकालेगा जो अभी तक बर्फ में जमा हुआ था। दुनियाभर में पीने का पानी चिंता का विषय बना हुआ है। बाबा वेंगा का दावा है कि आने वाले साल में दुनिया के कई देशों में पीने के पानी का संकट पैदा हो सकता है। टिड्डी दल के हमले से साल 2021 में दुनिया परेशान थी। बाबा वेंगा का दावा है कि टिड्ड‍ियों का दल भारत में फसलों और खेतों पर भीषण हमला करेगा जिससे भारत में भीषण भुखमरी आ सकती है। बता दें कि भारत में साल 2020 में टिड्ड‍ियों ने राजस्‍थान, गुजरात और मध्‍य प्रदेश में भीषण हमला किया था और फसलों को चट कर दिया था। बाबा वेंगा ने कहा है कि साल 2022 में ऐस्‍टरॉइड Oumuamua को एलियन भेजेंगे ताकि धरती पर जीवन की तलाश की जा सके।


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जोहानिसबर्ग दक्षिण अफ्रीका में नस्ली न्याय और एलजीबीटी अधिकारों के संघर्ष के लिए नोबेल शांति पुरस्कार पाने वाले कार्यकर्ता और केप टाउन के सेवानिवृत्त एंग्लिकन आर्चबिशप डेसमंड टूटू का निधन हो गया है। दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामफोसा ने रविवार को यह जानकारी दी। टूटू 90 वर्ष के थे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने डेसमंड टूटू के निधन पर गहरा दुख जताया है। रंगभेद के कट्टर विरोधी, काले लोगों के दमन वाले दक्षिण अफ्रीका के क्रूर शासन के खात्मे के लिए टूटू ने अहिंसक रूप से अथक प्रयास किए। उत्साही और मुखर पादरी ने जोहानिसबर्ग के पहले काले बिशप और बाद में केप टाउन के आर्चबिशप के रूप में अपने उपदेश-मंच का इस्तेमाल किया और साथ ही घर तथा विश्व स्तर पर नस्ली असमानता के खिलाफ जनता की राय को मजबूत करने के लिए लगातार सार्वजनिक प्रदर्शन किया। टूटू को न केवल दक्षिण अफ्रीका में बल्कि पूरी दुनिया में चर्चित पीएम मोदी ने टूटू के निधन पर गहरा दुख जताया है। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, 'डेसमंड टूटू विश्‍वभर में अ‍नगिनत लोगों के लिए राह दिखाते थे। उनका मानवीय गरिमा और समानता के लिए जोर देना हमेशा याद किया जाएगा।' बता दें कि नोबेल पुरस्‍कार पाने वाले टूटू नस्‍ली समानता के लिए कभी भी सच बोलने से नहीं घबराए। टूटू को न केवल दक्षिण अफ्रीका में बल्कि पूरी दुनिया में काफी चर्चित थे। दक्षिण अफ्रीका के राष्‍ट्रपति रामफोसा ने कहा कि टूटू एक चर्चित आध्‍यात्मिक नेता, रंगभेद के खिलाफ आवाज उठाने वाले कार्यकर्ता और विश्‍वभर में मानवाधिकारों के समर्थक थे। उन्‍होंने टूटू को एक राष्‍ट्रभक्‍त करार दिया जो असाधारण बुद्धिकौशल, निष्‍ठा से भरे हुए थे। साथ ही नस्‍लभेद के शिकार लोगों की मदद करते थे।


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इस्‍लामाबाद पाकिस्तान में अगले आम चुनाव से पहले पीएमएल-एन सुप्रीमो और पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की संभावित वापसी की अफवाहों को लेकर तीखी बहस छिड़ गई है। पीएमएल-एन के अध्यक्ष शहबाज शरीफ, जो पूर्व प्रधानमंत्री के भाई भी हैं, उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि नवाज शरीफ पूरी तरह से ठीक होने तक वापस नहीं आएंगे। नवाज शरीफ की वापसी की अटकलें ऐसे समय पर लगाई जा रही हैं जब कहा जा रहा है कि सेना के साथ उनका तालमेल फिर से ठीक हो गया है। शनिवार को जारी एक बयान में, शहबाज शरीफ ने कहा कि नवाज शरीफ ब्रिटेन में कानूनी रूप से तब तक रह सकते हैं जब तक कि ब्रिटिश गृह कार्यालय द्वारा वीजा बढ़ाने की अस्वीकृति के खिलाफ उनकी अपील पर आव्रजन न्यायाधिकरण नियम नहीं बनाते। इस बीच, पीएमएल-एन की उपाध्यक्ष मरियम नवाज ने एक ट्वीट में कहा , ‘इस नकली सरकार ने नवाज शरीफ से अपनी हार स्वीकार कर ली है, जो पाकिस्तान का वर्तमान और भविष्य है। एक बड़े व्यक्तित्व को निशाना बनाकर, एक पिग्मी का कद ऊंचा नहीं किया जा सकता है।’ चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य घोषित जवाबदेही और आंतरिक बैरिस्टर पर प्रधानमंत्री (एसएपीएम) के विशेष सहायक, शहजाद अकबर ने सवाल किया कि क्या नवाज शरीफ देश की राजनीति में भाग ले सकते हैं, जबकि सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें दोषी घोषित कर दिया और उन्हें जीवन के लिए चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य घोषित कर दिया। साथ ही एक जवाबदेही अदालत ने उन्हें एनएबी मामले में दोषी ठहराया। अकबर ने कहा, ‘नवाज शरीफ को फिर से चुनाव लड़ने में सक्षम करने के लिए यह अफवाह उड़ाई जा रही है कि बार काउंसिल अदालत में याचिका दायर कर रही है। बार काउंसिल के लिए अदालत में याचिका दायर करना उचित नहीं है। मुझे समझ में नहीं आता कि उन्हें चौथी बार पाकिस्तान का प्रधानमंत्री बनाना कानूनी रूप से कैसे व्यवहार्य है।’ उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट बार काउंसिल के अध्यक्ष ने हाल ही में नवाज शरीफ से मुलाकात की थी। उन्होंने कहा, ‘मेरा मानना है कि सुप्रीम कोर्ट बार काउंसिल द्वारा इस मुद्दे को उठाना एक राजनीतिक निर्णय है। सुप्रीम कोर्ट बार एक पेशेवर निकाय है, इसलिए इसे खुद को राजनीतिक मामलों में शामिल होने से बचना चाहिए। नवाज शरीफ के मामले के संबंध में परिषद से एक आवेदन जमा करना उचित नहीं था। उन्होंने अब तक कदम नहीं उठाया है। मैं उनसे समीक्षा करने का आह्वान करता हूं ।’


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Saturday 25 December 2021

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पेरिस ब्रिटेन और अमेरिका के बाद अब फ्रांस में कोरोना वायरस विकराल रूप धारण करता दिख रहा है। स्‍वास्‍थ्‍य मंत्रालय के अधिकारियों के मुताबिक शनिवार को देश में कोरोना वायरस से संक्रमण के 1,04,611 मामले सामने आए। यह लगातार तीसरा दिन है जब फ्रांस में इतनी बड़ी तादाद में कोरोना संक्रमण के मामले सामने आए हैं। इन आंकड़ों के बाद अब फ्रांस के प्रधानमंत्री इमैनुअल मैक्रां और उनकी सरकार के अन्‍य मंत्री सोमवार को एक अहम बैठक करने जा रहे हैं। इसमें कोरोना से बचाव के नए उपायों पर चर्चा हो सकती है। फ्रांस के अधिकारी कोरोना के तेजी से प्रसार करने वाले ओमीक्रोन वेरिएंट को लेकर चिंतित हैं। शुक्रवार को स्‍वास्‍थ्‍य अधिकारियों ने वयस्‍कों को टीका लगने के तीन महीने बाद बूस्‍टर डोज देने की सिफारिश कर दी। फ्रांस में कोविड-19 और ओमीक्रोन के मामले बढ़ने के साथ अस्पतालों पर भी दबाव बढ़ता जा रहा है और ज्यादातर ऐसे मरीज हैं जिन्होंने टीके की खुराक नहीं ली थी। क्रिसमस पर अस्पतालों ने मरीजों के परिवारों को मुलाकात करने की अनुमति दी, लेकिन अपने प्रियजनों की फिक्र में लोग उदास नजर आए। ‘टीका खतरनाक नहीं है, यह जीवन चुनने के समान है’ मार्सेली अस्पताल के गहन चिकित्सा कक्ष (आईसीयू) में भर्ती कोविड-19 के मरीज डेविड डेनियल सेबाग (52) को अफसोस है कि उन्होंने टीके की खुराक नहीं ली थी। उन्होंने कहा, ‘टीका खतरनाक नहीं है। यह जीवन चुनने के समान है।’ आईसीयू के मुख्य डॉक्टर जुलियन कार्वेली ने अपनी टीम के साथ मरीजों का उत्साह बढ़ाया कि वे एक और क्रिसमस देख सकते हैं। ओमीक्रोन स्वरूप के कारण बढ़ते मामलों से अस्पतालों के बेड भरते जा रहे हैं और कर्मचारी भी थक चुके हैं। कार्वेली ने कहा, ‘हमें डर है कि आगे हमारे पास पर्याप्त स्थान नहीं होगा।’ फ्रांस के बड़े अस्पतालों में शुमार मार्सेली के ला तिमोने हॉस्पिटल में भी कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या बढ़ गई है। क्रिसमस की पूर्व संध्या पर अस्पताल के परिसर को सजाया गया और छुट्टियों के बावजूद कार्यरत कर्मचारियों का मनोबल बढ़ाया गया। अस्पताल ने भी आईसीयू में भर्ती मरीजों के परिजन को उनसे मिलने की अनुमति दी। एमिली खयात हर दिन अपने पति लूडो (41) को देखने अस्पताल जाती हैं जो 24 दिन से कोमा में थे और अब श्वसन मशीनों के सहारे जिंदा हैं। एमिली आईसीयू में अपने पति के बेड पर कुछ देर तक बैठी रहीं और उन्हें ढांढस दिया। फ्रांस में 90 प्रतिशत वयस्कों का टीकाकरण हो चुका है और करीब 40 प्रतिशत को बूस्टर खुराक भी लग चुकी है। ला तिमोने हॉस्पिटल में कोरोना वायरस से संक्रमित जितने मरीज भर्ती हैं, उनमें से ज्यादातर ने टीके की खुराक नहीं ली थी। सेबाग ने कहा, ‘मुझे बहुत अफसोस है। मैंने खुद को इन चीजों में फंसा लिया। मुझे लगता था कि टीका लेना जरूरी नहीं है।’ सेबाग की पत्नी इस्तर ने अपने पति की बीमारी की गंभीरता का जिक्र करते हुए कहा, ‘इस सप्ताह हमारी जिंदगी में कोहराम मच गया...मुझे लगा मैं सबकुछ गंवाने वाली हूं।’ ओमीक्रोन से कई स्वास्थ्यकर्मी प्रभावित हुए हैं सेबाग अब भी संक्रमण मुक्त नहीं हुए हैं और ठीक होने का इंतजार कर रहे हैं। सेबाग ने कहा, ‘अगर मैंने टीके की खुराक ली होती तो शायद आईसीयू में आने की जरूरत नहीं होती।’ दुनिया में ओमीक्रोन स्वरूप के प्रसार के साथ फ्रांस में इन दिनों संक्रमण के सर्वाधिक मामले आ रहे हैं। मार्सेली में आईसीयू के प्रमुख कार्वेली ने कहा, ‘हम बहुत तनाव की स्थिति से गुजर रहे हैं। कुछ ही बेड उपलब्ध हैं। हम यह सब देखते देखते थक चुके हैं। इसके बावजूद काम पर ध्यान केंद्रित करने का सर्वश्रेष्ठ प्रयास कर रहे हैं।’ उन्होंने कहा कि पहली बात ये कि ओमीक्रोन से कई स्वास्थ्यकर्मी प्रभावित हुए हैं और वे काम के लिए उपलब्ध नहीं है। वहीं, कुछ कर्मचारी अत्यधिक दबाव के कारण पेशे को अलविदा कह चुके हैं।


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पेइचिंग एक चीनी सैटेलाइट ने कॉमेट लियोनार्ड के एक अद्भुत नजारे को कैमरे में कैद किया जब यह धरती के सबसे नजदीक था। वीडियो में धूमकेतु का अरोरा साफतौर पर देखा जा सकता है। इस साल जनवरी में इसकी खोज की गई थी जिसके बाद से यह करीब 160,000 मील प्रति घंटे की रफ्तार से पृथ्वी और सूर्य की तरफ बढ़ रहा है। यह कॉमेट हमारी पृथ्वी के पास से होकर गुजर रहा है। बीते 12 दिसंबर को यह पृथ्वी के 70,000 सालों में सबसे करीब था, जब यह क्लिप रेकॉर्ड की गई। इस नजारे को यांगवांग 1 (Yangwang 1) ने कैप्चर किया है जो चीन के ग्वांगडोंग में स्थित चीनी प्रौद्योगिकी कंपनी ओरिजिन स्पेस की ओर से लॉन्च किया गया एक छोटा सैटेलाइट है। यांगवांग 1 एक कमर्शियल स्पेस टेलिस्कोप है जिसे इस साल की शुरुआत में पराबैंगनी प्रकाश में ब्रह्मांड की तस्वीरें खींचने के लिए लॉन्च किया गया था। यह धरती के करीब मौजूद ऐस्टरॉइड पर भी खोज कर रहा है जिन्हें संभवतः एक दिन संसाधनों के लिए खनन किया जा सकता है और पृथ्वी पर वापस लाया जा सकता है। 12 दिसंबर को खींची अद्भुत तस्वीरइस स्पेसक्राफ्ट ने 12 दिसंबर 2021 को सितारों से भरे आसमान के बीच कॉमेट लियोनार्ड की तस्वीर खींची थी। इस रंगीन तस्वीर को ओरिजिन स्पेस ने शेयर किया है, जिसमें धूमकेतु को अपनी लंबी पूंछ के साथ रात के आकाश में देखा जा सकता है। इसकी पूंछ तब दिखाई पड़ती है जब यह गैस और पानी की बर्फ जैसी वाष्पशील सामग्री को बाहर की ओर फेंकता है जिससे इसकी चमक लगातार बदलती रहती है। 1 किमी चौड़ी बर्फ और धूल की गेंदधूमकेतु लियोनार्ड 3 जनवरी, 2022 को कई सदियों बाद सूर्य के सबसे करीब पहुंचेगा। उस घटना को कैद करने के लिए नासा और ईएसए ने अपने सैटेलाइट उस दिशा में भेजे हैं। बर्फ और धूल की यह विशालकाय गेंद करीब आधा मील (करीब 1 किमी) चौड़ी है। इससे पहले नासा के सोलर टेरेस्ट्रियल रिलेशंस ऑब्जर्वेटरी एस्पेसक्राफ्ट (STEREO-A) और यूरोपियन स्पेस एजेंसी (ESA) के सोलर ऑर्बिटर ऑब्जर्वेटरी ने इसका वीडियो बनाया था। STEREO-A नवंबर से हरे धूमकेतु पर नजर बनाए हुए है।


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इस्‍लामाबाद पाकिस्तान में ब्लूचिस्तान के ग्वादर आंदोलन से जुड़े नेता मौलाना हिदायतुर रहमान ब्लूच ने इमरान खान सरकार को चेतावनी दी है। बलूच ने कहा है कि चीन-पाकिस्तान आर्थिक कोरिडोर (सीपीईसी) और ब्लूचिस्तान के संसाधनों पर स्थानीय लोगों का अधिकार है। मौलाना रहमान ने ओरमारा में ब्लूच मछुआरों को संबोधित करते हुए कहा कि किसी को भी ब्लूचिस्तान समुद्र से संसाधनों की लूट खसोट नहीं करने दी जाएगी क्योंकि इन पर स्थानीय मछुआरों का हक है। मौलाना बलूच चीनी वाणिज्यिक मछुआरा ट्रालर का जिक्र कर रहे थे जो अरब सागर में बड़े पैमाने पर मछलियां पकड़ रहे हैं। समाचार पत्र द डॉन के मुताबिक उन्होंने पाकिस्तानी नौसेना की ओर से की जा रही तारंबदी का जिक्र करते हुए कहा ‘अगर अब से पाकिस्तान की नौसेना ने तारंबदी की तो उसे ओरमारा के लोगों से इसके बारे में पूछना होगा नहीं तो हम इसे नष्ट कर देंगे।’ रोजगार स्थानीय युवकों के बजाए चीनी नागरिकों को दिए जा रहे बता दें कि जिस क्षेत्र में चीन इस कोरिडोर का निर्माण कर रहा है या नौसैनिक परियोजनाओं में संलग्न हैं , उसके आसपास पाकिस्तानी सेना तारबंदी कर रही है। इसकी वजह से स्थानीय लोगों का इन क्षेत्रों में प्रवेश सीमित हो गया है तथा ब्लूचिस्तान में भी उनकी गतिविधियां सीमित होती जा रही हैं। यहां के लोगों में इस बात को लेकर भी गुस्सा है कि इस परियोजना से जुड़े रोजगार के अवसर स्थानीय युवकों के बजाए चीनी नागरिकों को दिए जा रहे हैं। भौगोलिक और राजनीतिक मामलों के जानकार मार्क किनरा ने बताया कि मौलाना हिदायतुर का वह आंदोलन थोड़ा सफल होने के बाद वह चर्चा में आ गए हैं। वह इस बात को लेकर थोड़ा परेशान हो सकते हैं कि ब्लूच लोगों के अधिकारों के लिए उनका पाकिस्तान सरकार के साथ किया गया समझौता एक तरह से विफल हो गया है क्योंकि अभी भी इस क्षेत्र में चीनी ट्रालर दिखाई दे रहे हैं और कारोबारी रिश्वत मांगे जाने तथा अवैध नाका बिंदुओं की शिकायत कर रहे हैं। एक लाख लोगों के साथ क्वेटा में करेंगे धरना प्रदर्शन मौलाना हिदायतुर ने साफ तौर पर कहा है ‘इस प्रांत के सारे संसाधन हमारे हैं, यह क्षेत्र हमारा है, सीपीईसी, यह तट और बंदरगाह भी हमारा है।' उन्होंने ब्लूचिस्तान के मुख्यमंत्री को चेतावनी देते हुए कहा कि अगर उनकी मांगों को पूरा नहीं किया गया तो वह एक लाख लोगों के साथ क्वेटा में धरना प्रदर्शन करेंगे। उन्होंने कहा जब तक इस क्षेत्र से अवैध नाकाबंदी नहीं हटा दी जाती है और उन ट्रालर की गतिविधियों प्रतिबंध नहीं लगाया जाता तब तक उनका आंदोलन जारी रहेगा।


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ढाका बांग्लादेश के कॉक्स बाजार जिले में एक महिला पर्यटक के साथ कथित तौर पर सामूहिक दुष्कर्म का मामला सामने आया है। महिला से दुष्कर्म के दौरान बदमाशों ने उसके पति और बेटे को बंधक बना लिया था। पुरुषों के एक समूह ने लबोनी प्वाइंट इलाके से पीड़िता के पति और बच्चे को बंधक बना लिया और कथित तौर पर उसके साथ कई बार दुष्कर्म किया। आरएबी-15 के कमांडर लेफ्टिनेंट कर्नल खैरुल इस्लाम ने बताया कि अर्धसैनिक बल की एलीट यूनिट के अधिकारियों ने गुरुवार दोपहर करीब 1.30 बजे पीड़िता को जिया गेस्ट इन से बचाया। बल ने होटल प्रबंधक को हिरासत में लिया और सीसीटीवी कैमरे से वीडियो फुटेज की जांच के बाद अपराधियों की पहचान की। अपराधियों की गिरफ्तारी के लिए छापेमारी शुरू कर दी गई है। शुक्रवार को कानून मंत्री अनीसुल हक ने बताया, ‘कॉक्स बाजार के वरिष्ठ न्यायिक दंडाधिकारी हमीमुन तंजिन ने शाम करीब पांच बजे पीड़िता का बयान दर्ज किया।’ मंत्री ने कहा, ‘अपराध करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।’ शुक्रवार रात तक पुलिस ने किसी की गिरफ्तारी नहीं की थी। महिला अधिकार कार्यकर्ताओं और कानूनी विशेषज्ञों ने बताया कि देश में अभी भी एक मजबूत कानून का अभाव है जो दुष्कर्म के खिलाफ सुरक्षा के रूप में काम करे। विशेषज्ञों ने देश की दुष्कर्म पीड़ितों के लिए न्याय की मांग की और अधिकारियों से कम उम्र से ही यौन शिक्षा शुरू करने का आह्वान किया। लीरहो के कार्यकारी निदेशक नूरजहां खान ने बताया, ‘पिछले 50 वर्षों से, हम महिलाओं के कानूनी अधिकार के लिए लड़ रहे हैं। फिर भी, पुलिस अपराध को नियंत्रित करने के बजाय, दुष्कर्म पीड़िता पर आरोप लगाती है। उन्होंने आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज करने से भी इनकार कर दिया था। हालांकि, हम आभारी हैं आरएबी के। यदि वे नहीं होते तो अपराधियों की पहचान भी नहीं की गई थी।’ हाल के महीनों में दुष्कर्म की घटनाओं ने बांग्लादेश में महिलाओं की सुरक्षा पर गंभीर चिंता जताई है और देश में 2021 के पहले 11 महीनों में रोजाना औसतन तीन मामले सामने आए हैं। जनवरी-नवंबर की अवधि में कम से कम 1,247 महिलाएं दुष्कर्म का शिकार हुईं। उनमें से 46 की मौत हो गई, जबकि नौ ने आत्महत्या कर ली।


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टोरंटो कनाडा पिछले 700 दिन से कोरोना वायरस वैश्विक महामारी की मार झेल रहा है और अब भी इस आपदा की स्थिति गंभीर और हतोत्साहित करने वाली है। कनाडा में 22 दिसंबर को संक्रमण के 12,114 नए मामले सामने आए, जो वैश्विक महामारी की शुरुआत से अब तक के सर्वाधिक दैनिक मामले हैं। कनाडा में यह लगातार दूसरा साल है, जब वैश्विक महामारी के कारण त्योहारी सीजन में प्रतिबंध लगाए गए हैं, कई गतिविधियों का पैमाना छोटा किया गया है और कई कार्यक्रम रद्द कर दिए गए हैं। कोविड-19 के कारण मारे गए लोगों की संख्या बढ़कर 30,000 से अधिक हो गई है। इस समय, इस आपदा से बाहर निकलने का तरीका खोजना संघीय एवं प्रांतीय सरकारों के बस की बात नहीं है। ऐसे में कनाडा के लोगों को वैश्विक महामारी से अपने संबंधों पर पुनर्विचार करना होगा और निकट भविष्य में निरंतर आपदा की स्थिति में रहना सीखना होगा। विरोधाभासी संदेश संघीय सरकार के कई संवाददाता सम्मेलनों में (कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन) ट्रुडो प्रशासन ने सावधानी से काम लेने का संकेत दिया है। कनाडा का दृष्टिकोण, अमेरिका के दृष्टिकोण से पूरी तरह विपरीत है। आपदा प्रबंधन योजना में चार चरणीय आपदा चक्र का इस्तेमाल अमेरिका का दृष्टिकोण है कि ओमीक्रोन के कारण घबराए बिना छुट्टियों का आनंद लेने की कोशिश की जाए। संवाददाताओं द्वारा सवाल किए जाने के बाद ट्रुडो सरकार ने अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन के इस संदेश की आलोचना की कि टीकाकरण करा चुके लोग ओमीक्रोन फैलने के बावजूद छुट्टियों के लिए एकत्र हो सकते हैं। आपदा चक्र आपदा प्रबंधन योजना में अकसर चार चरणीय आपदा चक्र का इस्तेमाल किया जाता है: न्यूनीकरण, तैयारी, प्रतिक्रिया और आपदा से उबरना। चार चारणीय आपदा चक्र, आपदाओं से निपटने और उन्हें बेहतर तरीके से समझने में कई बार मददगार साबित होता है और भविष्य की आपदाओं के प्रबंधन के लिए सीख भी देता है। कोविड-19 के संदर्भ में हम अब भी आपदा के आपातकाल दौर में है। चार चरणीय आपदा चक्र का कोई लाभ नजर नहीं आ रहा और महामारी से उबरने का दौर अभी दिखाई नहीं दे रहा। लोग इतना थक चुके हैं कि उनके लिए महामारी से निपटने के लिए खुद को लगातार तैयार रखना मुश्किल हो गया है। महामारी का न्यूनीकरण इस चरण पर अब भी दूर की कौड़ी नजर आ रहा है। जोखिम प्रबंधन संबंधी हालिया अनुसंधान बताते हैं कि आपदाएं बहुआयामी होती हैं और इनसे निपटने के लिए जो कदम उठाए जाते हैं, वे उनके अनुसार स्वयं में बदलाव करती हैं। कोविड-19 जैसी आपदाओं से निपटने के लिए एक बहुआयामी दृष्टिकोण अपनाना अहम है। हमारे पास इस आपदा से निपटने का फिलहाल कोई रास्ता नहीं मुश्किल स्थिति से दृढ़ता और आत्मसंयम से निपटने की आवश्यकता मौजूदा आपदा से निपटने के लिए दृढ़ इच्छाशक्ति की आवश्यकता है। हमारे पास और कोई विकल्प नहीं है। इतिहासकारों के अनुसार, महामारियों का अंत आमतौर पर दो प्रकार से होता है। पहला चिकित्सकीय अंत होता है, यानी जब संक्रमण और मौत के मामलों में गिरावट आती है। दूसरा सामाजिक अंत होता है, जब थकान या अन्य कारणों से लोग फैसला करते हैं कि महामारी उनके लिए समाप्त हो गई है, भले ही विज्ञान कुछ भी कहे। अब यह स्वीकार करने का समय आ गया है कि हमारे पास इस आपदा से निपटने का फिलहाल कोई रास्ता नहीं है। इसलिए हमें आत्मसंयम बरतते हुए इसके साथ जीना सीखना होगा-हमारे पास और कोई विकल्प नहीं है। (जैक एल रोज्दिलस्की: आपदा एवं आपात प्रबंधन के एसोसिऐट प्रोफेसर, यॉर्क यूनिवर्सिटी, कनाडा)


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ल्‍हासा लद्दाख में भारतीय सैनिकों से कड़े प्रतिरोध का सामना रहे चीन ने अब तिब्बितयों को भारत से लड़ाने की तैयारी शुरू कर दी है। चीनी अधिकारियों ने तिब्‍बती बच्‍चों को विशेष शिविरों में भेजना शुरू कर दिया है ताकि इन बच्‍चों को चीन के नजरिए से दुनिया के बारे में बताया जा सके। चीन इन बच्‍चों को हथियारों का मूलभूत प्रशिक्षण दे रहा है ताकि उन्‍हें मिलिश‍िया में शामिल किया जा सके। चीन ऐसे समय में इन तिब्‍बती बच्‍चों को शामिल कर रहा है जब लद्दाख में उसके सैनिक भीषण ठंड का सामना नहीं कर पा रहे हैं। हिंदुस्‍तान टाइम्‍स की रिपोर्ट के मुताबिक इन शिविरों में ज्‍यादातर बच्‍चे अभी किशोर हैं लेकिन भारतीय सुरक्षा एजेंसियों के मुताबिक ऐसी भी खबरें हैं कि इन शिविरों में 8 से 9 साल के बच्‍चों को भी भेजा गया है। इन शिव‍िरों में बच्‍चों के दिमाग को भरने की कोशिश की गई है ताकि स्‍थानीय लोग तिब्‍बतियों को भर्ती करने का विरोध नहीं कर सकें। इससे पहले इसी महीने तिब्‍बती एक्‍शन इंस्‍टीट्यूट ने एक रिपोर्ट जारी करके कहा कि चीनी अधिकारियों ने तिब्‍बत में बोर्डिंग स्‍कूलों का एक व्‍यापक नेटवर्क तैयार किया है ताकि वहां के बच्‍चों को उनके मां बाप से अलग किया जा सके। 9 लाख तिब्‍बती बच्‍चे सरकारी स्‍कूलों में पढ़ रहे इन स्‍कूलों के जरिए बच्‍चों को उनके तिब्‍बती भाषा और संस्‍कृति से दूर किया जा सकेगा। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि 9 लाख तिब्‍बती बच्‍चे जिनकी उम्र 6 से लेकर 18 साल के बीच है, सरकारी स्‍कूलों में पढ़ रहे हैं। इन स्‍कूलों में लाखों तिब्‍बती बच्‍चों को चीनी नागरिकों की तरह से बनाया जा रहा है ताकि वे चीन की कम्‍युनिस्‍ट पार्टी के प्रति वफादार बन सकें। उन्‍हें परिवार से अलग कर दिया गया है और चीनी भाषा पढ़ाई जा रही है। उन्‍हें अपने धर्म को भी नहीं मानने दिया जा रहा है। भारतीय सुरक्षा एजेंसियों का कहना है कि इन शिविरों में बच्‍चों को तिब्‍बती बौद्ध संस्‍कृति से घृणा करना सीखाया जा रहा है और उन्‍हें सैनिक के रूप में तैयार किया जा रहा है। चीन ने न्यिंगत्रि में सैन्‍य प्रशिक्षण शिविर स्‍थापित किया है। यह इलाका भारत के अरुणाचल प्रदेश राज्‍य से बिल्‍कुल सटा हुआ है। इसे दक्षिणी तिब्‍बत कहा जाता है। माना जा रहा है कि चीन की कम्‍युनिस्‍ट पार्टी के इशारे पर इस तरह से सैन्‍य प्रशिक्षण शिविर बनाए जा रहे हैं। चीनी मीडिया के मुताबिक इस सैन्‍य प्रशिक्षण वाले अड्डे को वर्ष 2021 के शुरुआत में बनाया गया है। युवाओं को स्‍कूल की छुट्टी के दौरान प्रशिक्षण दिया जा रहा चीनी सेना के शिव‍िर की तरह से बनाए गए इन प्रतिष्‍ठानों में तिब्‍बती युवाओं को स्‍कूल की छुट्टी के दौरान प्रशिक्षण दिया जा रहा है। तिब्‍बतियों पर नजर रखने वाली वेबसाइट फ्री तिब्‍बत के मुताबिक इस शिविर को ऐसी जगह पर बनाया गया है जहां पर पहले ही बड़े पैमाने पर सेना तैनात है। उधर, चीनी मीडिया का दावा है कि इन केंद्रों का निर्माण तिब्‍बती युवाओं को राष्‍ट्रीय रक्षा शिक्षा देना है ताकि उनके अंदर चीन के प्रति प्‍यार आ सके और देशभक्ति की भावना पैदा हो। वे अपने देश की सीमाओं की रक्षा कर सकें।


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वॉशिंगटन/नई दिल्‍ली सैकड़ों परमाणु बमों से लैस चीन-पाकिस्‍तान के खतरे का सामना कर रहे भारत के अग्नि पी मिसाइल परीक्षण की गूंज दुनियाभर में सुनी जा रही है। अमेरिकी विशेषज्ञों का कहना है कि भारत की नई पीढ़ी की यह मिसाइल मात्र कुछ सेकंड में पाकिस्‍तान को तबाह करने की बेजोड़ ताकत रखती है। उन्‍होंने कहा कि इस मिसाइल की सबसे बड़ी खासियत इसका कनस्‍तर के अंदर बंद होना है। टिन के डब्‍बे में बंद होने की वजह से इस मिसाइल में परमाणु बम को फिट करने में लगने वाला समय नहीं लगता है और भारत बहुत जल्‍द भीषण हमला करने में सक्षम हो गया है। फेडरेशन ऑफ अमेरिकन साइंटिस्‍ट की ताजा रिपोर्ट में अग्नि पी की खासियत के बारे में बताया गया है। इसमे कहा गया है कि अग्नि पी मिसाइल के अंदर अग्नि -4 और अग्नि-5 की तकनीकों को शामिल किया गया है। इसमें नए रॉकेट मोटर्स, नेविगेशन सिस्‍टम और अन्‍य उपकरणों को लगाया गया है। यह मिसाइल अब अग्नि 1 मिसाइल की जगह लेगी। इसमें लगाया गया लॉन्‍चर इसे आसानी से एक जगह से दूसरी जगह पर ले जा सकता है। ऐसी भी खबरें हैं कि अग्नि पी और अग्नि 5 मिसाइलें एक साथ कई परमाणु बम गिराने में सक्षम हैं। हालांकि अभी इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है। कुछ सेकंड में ही दुश्‍मन के खिलाफ परमाणु बम से पलटवार अमेरिकी वैज्ञानिकों ने कहा कि कनस्‍तर में सील बंद होने की वजह से अग्नि पी मिसाइल एक जगह से दूसरी जगह पर ले जाए जाते समय वातावरण के प्रभाव में नहीं आती है। इस संस्‍करण में परमाणु बम को मिसाइल के अंदर ही लगाकर रखा जाता है। इससे संकट के समय में भारत मात्र कुछ सेकंड में ही दुश्‍मन के खिलाफ परमाणु बम से पलटवार कर सकता है। रक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि भारत ने इस मिसाइल को पाकिस्‍तान को लक्ष्‍य करके बनाया है। वैज्ञानिकों ने बताया कि अगर परमाणु बम को कनस्‍तर में बंद मिसाइलों के अंदर फिट करके रखा जाता है तो इसे परमाणु संकट के समय दुश्‍मन के लिए पकड़ पाना आसान नहीं होगा। उन्‍होंने कहा कि भारत अब बहुत कम समय में जवाबी हमला कर सकता है। भारत के पास नई अग्नि 5 मिसाइल है जो 5 हजार किमी तक मार कर सकती है। यह मिसाइल कनस्‍तर से लैस है और उसी को अब अग्नि पी में फिट किया गया है। कम मिसाइलों से ज्‍यादा लक्ष्‍यों को तबाह कर सकेगा भारत रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत एक मिसाइल से कई परमाणु बम गिराने की तकनीक पर भी काम कर रहा है। इसे MIRV तकनीक कहा जाता है और चीन के पास यह तकनीक पहले से ही मौजूद है। ऐसी अफवाह थी कि भारत ने जून 2021 में किए गए अपने टेस्‍ट में MIRV तकनीक का परीक्षण किया था लेकिन भारतीय रक्षा सूत्रों का कहना है कि इस तकनीक को बनाने और परीक्षण करने में अभी दो और साल लगेंगे। वैज्ञानिकों ने कहा क‍ि अगर भारत MIRV क्षमता हासिल कर लेता है तो वह कम मिसाइलों से ज्‍यादा लक्ष्‍यों को तबाह कर सकेगा। अमेरिकी वैज्ञानिकों ने कहा कि भारत के शत्रु चीन के पास पहले से ही यह तकनीक है और इसी वजह से भारत MIRV तकनीक हासिल करने के लिए प्रेरित हुआ है। उन्‍होंने कहा कि दोनों देशों के बीच MIRV तकनीक को लेकर मची होड़ से इस इलाके पर गंभीर प्रभाव पड़ सकते हैं। भारत इससे भविष्‍य में और ज्‍यादा परमाणु बम बनाने के लिए प्रेरित हो सकता है। उन्‍होंने कहा क‍ि भारत परमाणु हथियारों का पहले इस्‍तेमाल नहीं करने नीति पर चलता है लेकिन चीन के बढ़ते खतरे के बीच इसे बदलने की मांग उठ रही है।


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Friday 24 December 2021

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इस्लामाबाद रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कहा है कि पैगंबर मोहम्मद के अपमान को 'अभिव्यक्ति की आजादी' नहीं माना जा सकता। गुरुवार को अपनी वार्षिक प्रेस कान्फ्रेंस में पुतिन ने कहा कि पैगंबर का अपमान 'धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन और इस्लाम को मानने वाले लोगों की पवित्र भावनाओं के खिलाफ है। अब पुतिन के इस बयान के समर्थन में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान उतर आए हैं। इमरान खान खुद को मुसलमानों का सबसे बड़ा हमदर्द बताते हैं, हालांकि उइगरों पर होते अत्याचार पर उनके मुंह से एक शब्द भी नहीं निकलता। इमरान खान ने ट्विटर पर लिखा, 'मैं राष्ट्रपति पुतिन के उस बयान का स्वागत करता हूं जो मेरे संदेश की पुष्टि करता है कि हमारे पवित्र पैगंबर पीबीयूएच (PBUH) का अपमान करना 'अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता' नहीं है। हम मुसलमानों और खासकर मुस्लिम नेताओं को इस संदेश को गैर-मुस्लिम देशों के नेताओं तक पहुंचाना चाहिए ताकि इस्लामोफोबिया से मुकाबला किया जा सके।' इमरान खान एक ऐसे मुल्क में बैठकर यह बयान दे रहे हैं जहां पैगंबर का अपमान तो दूर की बात ऐसी अफवाह भी किसी की जान ले सकती है। 'चार्ली हेब्दो' मैग्जीन का दिया उदाहरणपुतिन ने अपने बयान में वेबसाइटों पर नाजियों की तस्वीरें पोस्ट करने की भी आलोचना की। उन्होंने कहा कि इस तरह के काम चरमपंथ को जन्म देते हैं। पुतिन ने उदाहरण के तौर पर पेरिस में चार्ली हेब्दो मैग्जीन के संपादकीय कार्यालय पर हुए हमले का हवाला दिया जिसने पैगंबर के कार्टून प्रकाशित किए थे। 'कलात्मक स्वतंत्रता' की तारीफ करते हुए पुतिन ने कहा कि इसकी कुछ सीमाएं हैं और इसे अन्य स्वतंत्रता का उल्लंघन नहीं करना चाहिए। ईशनिंदा कानून के दुरुपयोग वाला देश- पाकिस्तान पाकिस्तान में ईशनिंदा पर कड़ा कानून लागू है जिसके लिए दोषी को मौत की सजा दिए जाने का भी प्रावधान है। लेकिन पाकिस्तान में ईशनिंदा के मामलों में 'फैसला' ज्यादातर कोर्ट के बाहर भीड़ ही कर देती है। हाल ही में हुई श्रीलंकाई नागरिक की हत्या समेत ऐसे कई मामले सामने आ चुके हैं जिनमें सिर्फ ईशनिंदा के शक के चलते भीड़ ने संदिग्ध की पीट-पीटकर मार दिया। पाकिस्तान में चरमपंथी हिंदू और बौद्ध मंदिरों को भी निशाना बनाते रहते हैं लेकिन उन मामलों में ईशनिंदा कानून के तहत कोई सख्त कार्रवाई नहीं की जाती।


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पेइचिंग चीन तकनीक के मामले में दुनिया के सबसे विकसित देशों में शामिल है। चीन की तकनीक और वैज्ञानिक कितने उन्नत हैं इसके कई उदाहरण हैं जिनमें से 'कृत्रिम सूर्य परियोजना' एक है। हाल ही में चीन ने अपनी इस परियोजना को आगे बढ़ाने के लिए परमाणु संलयन (Nuclear Fusion) का इस्तेमाल किया है। चीन के हेफेई इंस्टीट्यूट ऑफ फिजिकल साइंसेज ने एक्सपेरिमेंटल एडवांस्ड सुपरकंडक्टिंग टोकामक (EAST) हीटिंग सिस्टम प्रोजेक्ट की शुरुआत की है। न्यूज एजेंसी सिन्हुआ ने अपनी रिपोर्ट में इसकी जानकारी दी। माना जा रहा है कि यह कदम कृत्रिम सूर्य को और ज्यादा टिकाऊ और गर्म बनाए रखने में मदद करेगा। अब तक चीन अपने कृत्रिम सूर्य या टोकामक के निर्माण में पैसा पानी की तरह खर्च कर चुका है। टोकामक एक इंस्टॉलेशन है जो प्लाज्मा में हाइड्रोजन आइसोटोप को उबालने के लिए उच्च तापमान का इस्तेमाल करता है। यह एनर्जी को रिलीज करने में मदद करता है। 2040 तक बिजली निर्माण चीन का मिशनरिपोर्ट के मुताबिक इसके सफल इस्तेमाल से बहुत कम ईंधन का इस्तेमाल होगा और लगभग 'शून्य' रेडियोएक्टिव कचरा पैदा होगा। इंस्टीट्यूट ऑफ प्लाज्मा फिजिक्स के डेप्युटी डायरेक्टर सांत यूंताओ ने कहा कि आज से पांच साल बाद हम अपना फ्यूजन रिएक्टर बनाना शुरू करेंगे, जिसके निर्माण में और 10 साल लगेंगे। उसके बनने के बाद हम बिजली जनरेटर का निर्माण करेंगे और करीब 2040 तक बिजली पैदा करना शुरू कर देंगे। असली से 10 गुना ज्यादा गर्म चीन का नकली सूर्यइस आर्टिफिशियल सिस्टम में इस्तेमाल किया गया परमाणु संलयन पहली बार 2006 में संचालित किया गया था। इस सिस्टम ने जून 2021 में 12 करोड़ डिग्री सेल्सियस पर पहुंचकर और सूर्य से 10 गुना ज्यादा गर्म होकर रेकॉर्ड बनाया था। चीन के आर्टिफिशियल सूर्य में लगे न्यूक्लियर फ्यूजन (Nuclear Fusion) रिएक्टर ने शुरू होते ही विश्व रिकॉर्ड बना दिया था। इस रिएक्टर ने 100 सेकेंड तक 12 करोड़ डिग्री सेल्सियस का तापमान पैदा किया था।


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लंदन दिसंबर के आखिरी हफ्ते में हर कोई जश्न मनाने का बहाना ढूंढ़ता है क्योंकि मौका होता है पहले क्रिसमस और फिर नए साल का। ब्रिटेन में भी कुछ कर्मचारियों ने क्रिसमस से पहले एक सीक्रेट पार्टी का आयोजन किया। लेकिन इस पार्टी में किसी कर्मचारी ने अपने बॉस को नहीं बुलाया। बॉस को पार्टी का पता तब चला जब वह रात को सीसीटीवी कैमरे चेक करने बैठे। दरअसल क्रिसमस पार्टी करते कर्मचारी मस्ती में कैमरे बंद करना भूल गए थे। पॉल गैलाघेर और उनका भाई बोल्टन में एक बार के मालिक हैं। रात को जब वह बार सीसीटीवी चेक करने बैठे तो हैरान हो गए। उन्होंने देखा कि बार में पार्टी चल रही है। बार के 10 कर्मचारी सांता टोपी पहनकर और शराब हाथ में पकड़े हुए क्रिसमस पार्टी कर रहे हैं जिसमें उनको नहीं बुलाया गया है। बॉस ने अपने कर्मचारियों की सीक्रेट पार्टी का भंडाफोड़ करने के लिए उनके सेलिब्रेशन की तस्वीरें फेसबुक पर पोस्ट कर दीं। पार्टी के लिए बॉस को नहीं दिया न्यौताद सन से बात करते हुए पॉल ने कहा कि मैं अक्सर सुरक्षा के लिए चीजों पर नजर रखता हूं और सीसीटीवी चेक करता रहता हूं। उस रात जब मैंने लॉग इन किया तो देखा कि मेरे कर्मचारी सांता की टोपी पहनकर पार्टी कर रहे हैं। इस पार्टी में हम आमंत्रित नहीं थे। कर्मचारी जानते थे कि सोमवार की रात होने के चलते बार जल्दी बंद हो जाएगा इसलिए उन्होंने पार्टी करने का फैसला लिया। इसके लिए उन्होंने एक सीक्रेट सांता और म्यूजिशियन को भी बुलाया था। स्टाफ की पार्टी को देखकर हंस पड़े बॉसपॉल ने बताया कि जब उन्हें एहसास हुआ कि वे सीसीटीवी बंद करना भूल गए हैं। तो कैमरे पर क्रिसमस कैप लगाने से पहले उन्होंने पॉल को अश्लील इशारे किए और ताना मारा। भले ही स्टाफ ने अपने बॉस को इस पार्टी में न बुलाया हो लेकिन उन्हें इसका बिल्कुल बुरा नहीं लगा। पॉल ने कहा कि मैं चाहता था कि वे ज्यादा न पिएं क्योंकि एक बड़ा हफ्ता आने वाला है। स्टाफ की पार्टी को देखकर मुझे बहुत हंसी आई।


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दुबई ड्रग्स का जाल पूरी दुनिया में फैला हुआ है, जिसे रोकने के लिए सभी देश लगातार संदिग्धों पर नजर बनाए रखते हैं। लेकिन नशीली दवाओं के तस्कर भी ड्रग्स की स्मगलिंग के लिए अजीबोगरीब तरीके ढूंढ़ निकालते हैं। ताजा मामला संयुक्त अरब अमीरात का है जहां पुलिस अधिकारियों ने 'नींबू में से ड्रग्स' बरामद किया है। गुरुवार को दुबई पुलिस ने बताया कि उन्होंने 'अरब की नागरिकता' वाले चार लोगों को गिरफ्तार किया है। ये लोग प्लास्टिक के नींबू में छिपाकर लाखों डॉलर की कैप्टागन गोलियों की यूएई में तस्करी का प्रयास कर रहे थे। कैप्टागन एक एम्फैटेमिन प्रकार का ड्रग्स है जो ज्यादातर लेबनान और संभवतः इराक और सीरिया में बनाया जाता है। इसका ज्यादातर हिस्सा तस्करी के माध्यम से सऊदी अरब में लाया जाता है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक जब्त किए गए ड्रग्स की स्ट्रीट वैल्यू 15.8 मिलियन डॉलर (1 अरब 18 करोड़ रुपए से भी ज्यादा) है। पुलिस को सूत्रों ने इस तस्करी के बारे में जानकारी दी थी। पुलिस मेजर जनरल खलील इब्राहिम अल मंसूरी ने इस बारे में जानकारी दी। रेफ्रिजेरेटेड कंटेनर के भीतर नींबू के 3,840 डिब्बेपाकिस्तान के जियो टीवी के मुताबिक कुल 1,160,500 गोलियां जब्त की गई हैं। मंसूरी ने कहा कि अवैध गोलियां 'नकली नींबू में एक रेफ्रिजेरेटेड कंटेनर के अंदर शिपमेंट में छिपी हुई थीं। गिरफ्तार किए गए चारों संदिग्ध 'एक ही अरब देश के नागरिक' हैं और यूएई के ही रहने वाले हैं। पुलिस ने बताया कि रेफ्रिजेरेटेड कंटेनर के भीतर नींबू के 3,840 डिब्बे थे, जिनमें से 66 डिब्बों में नकली नींबू और उनमें नशे की गोलियां थीं। ड्रग्स का स्रोत लेबनान बना अरब देशों के लिए सिरदर्द पुलिस ने एक वीडियो भी जारी किया है जिसमें लेबनान के चिन्हों वाला एक बॉक्स दिखाई दे रहा है। लेबनान अक्सर ड्रग्स के खिलाफ लड़ाई में सहयोग न करने के चलते खाड़ी देशों के निशाने पर रहता है, खासकर कैप्टागन पिल्स को लेकर। अप्रैल में सऊदी अरब ने घोषणा की थी कि वह लेबनान के फलों और सब्जियों के आयात को निलंबित करेगा क्योंकि 50 लाख से अधिक कैप्टागन गोलियां फलों से बरामद की गई थीं।


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मेलबर्न / स्टॉकहोम साल का अंत होने के साथ ऑफिसों में साथियों के बीच पार्टियां, क्रिसमस लंच और नए साल के स्वागत में समारोहों का सिलसिला शुरू हो जाता है। खासकर पश्चिमी देशों में इस मौके पर युवाओं को शराब पीने का भरपूर मौका भी मिलता है। लेकिन इस सदी की शुरुआत के बाद से कुछ अप्रत्याशित हुआ है। ऑस्ट्रेलिया, यूके, नॉर्डिक देशों और उत्तरी अमेरिका में युवा अपने माता-पिता, जब वह उनकी उम्र के थे, की पीढ़ी की तुलना में औसतन काफी कम शराब पी रहे हैं। कोविड लॉकडाउन के दौरान, कुछ सर्वेक्षणों से पता चलता है कि इस रूख में और भी गिरावट आई है। मेलबर्न की ला ट्रोब यूनिवर्सिटी के सारा जे मैक्लीन, एमी पेनी, गेब्रियल कैलुजी, शेफील्ड यूनिवर्सिटी के जॉन होम्स और स्टॉकहोम यूनिवर्सिटी के जुक्का टोरोनन ने इस विषय पर व्यापक रिसर्च की है। उन्होंने कहा कि हमारे शोध से पता चलता है कि इस बात की संभावना तो कम ही है कि युवाओं के शराब पीने में कटौती का यह चलन सरकारी प्रयासों के कारण आया होगा। व्यापक सामाजिक, सांस्कृतिक, तकनीकी और आर्थिक परिवर्तन इन गिरावटों की वजह लगते हैं। कई देशों में युवा लोगों के साथ साक्षात्कार-आधारित अध्ययन करने वाले शोधकर्ताओं ने युवाओं में शराब पीने में गिरावट के चार मुख्य कारणों की पहचान की है। ये हैं: अनिश्चितता और भविष्य के बारे में चिंता, स्वास्थ्य के बारे में चिंता, प्रौद्योगिकी और अवकाश में परिवर्तन, और माता-पिता के साथ संबंधों में बदलाव। अनिश्चित भविष्य आज विकसित देशों में युवा होना पिछली पीढ़ियों की तुलना में बहुत अलग है। जलवायु परिवर्तन से लेकर करियर की योजना बनाने और घर खरीदने में सक्षम होने तक, युवा जानते हैं कि उनका भविष्य अनिश्चित है। अकादमिक रूप से बेहतर प्रदर्शन करने का दबाव बहुत पहले से शुरू हो जाता है और मानसिक अस्वस्थता की दर बढ़ रही है। कई युवा भविष्य के बारे में उन तरीकों से सोच रहे हैं जिनके बारे में सोचने की पिछली पीढ़ियों को आवश्यकता नहीं थी। वे अपने जीवन पर नियंत्रण की भावना हासिल करने और उस भविष्य को सुरक्षित करने की कोशिश कर रहे हैं जिसकी वे आकांक्षा रखते हैं। कुछ दशक पहले, नशे में होना कई युवा लोगों द्वारा वयस्कता में पहुंचने की निशानी के रूप में व्यापक रूप से माना जाता था और काम और अध्ययन की दिनचर्या से समय निकालने का एक अच्छा तरीका था। अब, युवा लोगों को कम उम्र में जिम्मेदार और स्वतंत्र होने का दबाव महसूस होता है और कुछ लोग शराब की आदत न लग जाए इस डर से कम पीते हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि अगर ऐसा हुआ तो वह खुद पर से अपना नियंत्रण खो देंगे जो उनके भविष्य की योजनाओं को खतरे में डाल देगा। भविष्य की योजनाओं पर इस जोर का मतलब है कि युवा पार्टी और शराब पीने में कितना समय बिताना है, उसकी एक सीमा तय करके रखते हैं। युवा हैं स्वास्थ्य के प्रति जागरूक युवा लोगों के लिए स्वास्थ्य और सेहत के प्रति महत्व भी तेजी से बढ़ता प्रतीत होता है। 15-20 साल पहले के शोध में पाया गया कि उस समय के युवा लोग ज्यादा शराब पीने से होने वाले प्रभावों (उल्टी, बेहोशी) को सकारात्मक रूप से देखते थे या उसे ज्यादा महत्व नहीं देते थे। हाल के अध्ययनों से पता चलता है कि इस संबंध में युवाओं का रवैया बदल गया है। अब युवा शराब पीने से मानसिक स्वास्थ्य को होने वाली हानि और इसके लगातार इस्तेमाल से सेहत पर पड़ने वाले असर को लेकर चिंतित हैं। हालांकि, ऑस्ट्रेलियाई और स्वीडिश शोध में यह भी पाया गया कि कुछ युवा शराब पीने के सामाजिक लाभों को अपने लिए महत्वपूर्ण मानते हैं। हालांकि, कई युवाओं ने शराब की मध्यम खपत पर जोर दिया, जबकि 1990 और 2000 के दशक की शुरुआत में लोग जमकर पीते थे। क्या होगा यदि मेरे ऑफिस के अधिकारियों ने देख लिया तो? प्रौद्योगिकी ने, शराब पीने के विरोधाभासी प्रभावों के साथ, युवाओं के सामाजिकरण का स्वरूप बदल दिया है। सोशल मीडिया शराब कंपनियों को अपने उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए नए (कम विनियमित) रास्ते प्रदान किए हैं। किसी पार्टी में जश्न मनाते हुए एक ड्रिंक के साथ सोशल मीडिया पर दिखना एक सामान्य बात है। फिर भी, युवा अपनी ऑनलाइन छवियों को प्रबंधित करने में भी सावधानी बरतते हैं। हमारे शोध में पाया गया कि युवा इस बात को लेकर चिंतित हैं कि सोशल मीडिया (जैसे दोस्त, परिवार और भविष्य के नियोक्ता) पर उनकी तस्वीरें कौन देख सकता है, जो इस पीढ़ी के लिए अपनी तरह का नया जोखिम है। इंटरनेट युवा लोगों को संभावनाओं की एक विस्तृत श्रृंखला पेश करता है, जिसमें नए दृष्टिकोण शामिल हैं जिससे वे शराब पीने की बजाय कोई बेहतर विकल्प चुन सकें। यह सामाजिक विकल्प भी प्रदान करता है जिसमें वीडियो गेम और अन्य डिजिटल मीडिया सहित शराब पीने की संभावना कम होती है। पारिवारिक रिश्ते बदलना किशोरों की परवरिश और शराब के लिए उनके परिचय को प्रबंधित करने की शैलियाँ एक पीढ़ी के दौरान अधिक विकसित हुई हैं। कई माता-पिता अपने बच्चों की नाइट आउट के दौरान निगरानी करते हैं और पिछली पीढ़ियों की तुलना में उनके पीने की अधिक बारीकी से निगरानी करते हैं, जो अधिकांश युवा लोगों के मोबाइल फोन के द्वारा संभव है। युवक भी अपने माता-पिता के साथ अब अधिक समय बिताते हैं, परस्पर संवाद पर आधारित अधिक बेहतर संबंध विकसित करते हैं जो उनके शराब पीने और विद्रोह करने की आवश्यकता को कम करते हैं। शराब पीना अब 'कूल' नहीं रहा ऐसे कई अन्य कारण भी हैं जिनकी वजह से युवा लोग शराब की खपत को सीमित करते हैं, जिसमें संस्कृति और धार्मिक जुड़ाव, स्वास्थ्य की स्थिति और व्यक्तिगत प्रेरणा शामिल हैं। कुल मिलाकर, इन परिवर्तनों का मतलब है कि बहुत से युवा अब नशे में झूमने को ‘‘कूल’’ नहीं मानते हैं और अब इसे स्वतंत्रता और वयस्कता की प्रमुख निशानी के रूप में नहीं देखते हैं। शराब का सेवन कम मात्रा में करने के साथ-साथ युवा लोगों में शराब का सेवन अधिक सामाजिक रूप से स्वीकृत हो गया है। बेशक, कुछ युवा बहुत अधिक पीना पसंद करते रहेंगे और क्रिसमस तथा नए साल की पूर्व संध्या जैसी छुट्टियों के आसपास शराब के नशे में झूमते दिखाई देंगे। लेकिन यह तो तय है कि युवा लोगों में शराब की खपत कम करते रहने का चलन अगर चलता रहा तो यह उनके अपने जीवन के व्यापक संदर्भों की वजह से है, उनकी सरकारों द्वारा लागू की गई नीतियों के कारण नहीं।


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ढाका दक्षिणी बांग्लादेश में शुक्रवार को लोगों को ले जा रही एक नौका में आग लगने से कम से कम 40 लोगों की मौत हो गई और कम से कम 200 लोग झुलस गए। अधिकारियों ने यह जानकारी दी। यह आग, बारगुना जा रही नौका एमवी अभिजन-10 के इंजन कक्ष में स्थानीय समयानुसार शुक्रवार को तड़के तीन बजे लगी। यह नौका ढाका से रवाना हुई थी। द ढाका ट्रिब्यून ने अपनी एक खबर में कहा कि अधिकारियों ने झलकथी में सुगंधा नदी पर जा रही नौका से जले हुए कम से कम 40 शव बरामद किए हैं। यह स्थान राजधानी ढाका से 250 किलोमीटर दक्षिण में है। खबर में नौका प्रशासन, पुलिस और दमकल कर्मियों के हवाले से बताया गया कि घटना में कम से कम 200 लोग झुलस गए हैं और स्थानीय अस्पताल में उनका उपचार चल रहा है।


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न्यूयॉर्क संयुक्त राष्ट्र (UN) ने तालिबान के आंतरिक मंत्रालय को अफगानिस्तान की सुरक्षा के लिए 60 लाख डॉलर की मदद देने की पेशकश की है। अफगान सरकार के इस मंत्रालय की जिम्मेदारी खूंखार आतंकवादी और हक्कानी नेटवर्क के सरगना के पास है। सिराजुद्दीन अमेरिका और यूएन के प्रतिबंधित आतंकियों की लिस्ट में शामिल है। अमेरिकी जांच एजेंसी एफबीआई इस मोस्ट वॉन्टेड आतंकी को कई साल से ढूंढ रही है। यूएन के पैसों से क्या करेगा तालिबान? यूएन से मिलने वाले इस पैसे का इस्तेमाल अफगानिस्तान में संयुक्त राष्ट्र के कार्यालयों की सुरक्षा करने वाले तालिबान लड़ाकों को वेतन देने में किया जाएगा। इसके अलावा इन पैसों से तालिबान लड़ाकों को खाने-पीने की चीजे भी मुहैया करवाई जाएंगी। अगस्त में तालिबान के कब्जे के बाद अफगानिस्तान की आर्थिक स्थिति लगातार बिगड़ती जा रही है। लोगों को खाने के लिए अपने घरों की चीजों को सड़कों पर बेचना पड़ रहा है। संयुक्त राष्ट्र ने किया अपने प्रस्ताव का बचाव संयुक्त राष्ट्र के उप प्रवक्ता फरहान हक ने दायित्वों का हवाला देते हुए इस फंडिंग को सही ठहराया। उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान में हमारे कार्यालय होने के कारण यह कर्तव्य बनता है कि हम मेजबान देश की क्षमता को बढ़ाएं। हम संयुक्त राष्ट्र के कर्मचारियों की सुरक्षा के लिए इस पैसों को दे रहे हैं। इस फंडिंग के प्रस्ताव के बाद से अमेरिका समेत कई पश्चिमी देशों में बवाल मचा हुआ है। विशेषज्ञों ने यूएन से पूछे ये सवाल कई विशेषज्ञों ने सवाल उठाया है कि संयुक्त राष्ट्र क्या अपने खुद के और अमेरिका के लगाए प्रतिबंधों का उल्लंघन करेगा। उन्होंने यह भी पूछा कि क्या संयुक्त राष्ट्र तालिबान को दिए पैसों को ट्रेस कर सकता है। अगर इसका गलत इस्तेमाल किया जाता है तो यूएन के पास इसे रोकने के क्या उपाय हैं। इससे भी बड़ा सवाल यह है कि क्या अमेरिका संयुक्त राष्ट्र को तालिबान की मदद करने देगा। कौन है सिराजुद्दीन हक्कानी? सिराजुद्दीन हक्कानी दुनिया के सबसे खूंखार आतंकी संगठनों में से एक हक्कानी नेटवर्क का सरगना है। उसे तालिबान का नई सरकार में अफगानिस्तान का आंतरिक मंत्री बनाया गया है। यह पद किसी दूसरे देश के गृह मंत्री के बराबर माना जाता है। सिराजुद्दीन मुजाहिदीन कमांडर जलालुद्दीन हक्कानी का बेटा है। हक्कानी समूह पाकिस्तान-अफगानिस्तान सीमा पर तालिबान की वित्तीय और सैन्य संपत्ति की देखरेख करता है। अमेरिका का मोस्ट वॉन्टेड है सिराजुद्दीन हक्कानी अमेरिका ने सिराजुद्दीन को मोस्ट वॉन्टेड घोषित कर रखा है। कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि हक्कानी ने ही अफगानिस्तान में आत्मघाती हमलों की शुरुआत की थी। हक्कानी नेटवर्क को अफगानिस्तान में कई हाई-प्रोफाइल हमलों के लिए जिम्मेदार माना जाता है। उसने तत्कालीन अफगान राष्ट्रपति हामिद करजई की हत्या का प्रयास भी किया था। इसके अलावा हक्कानी नेटवर्क ने भारतीय दूतावास पर आत्मघाती हमला भी किया था। माना जाता है कि सिराजुद्दीन हक्कानी का उम्र 40 से 50 के बीच में है।


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मॉस्को रूस के राष्ट्रपति ने अपने सालाना प्रेस कांफ्रेंस में चीन के साथ दोस्ती की खुलकर तारीफ की है। उन्होंने चीन को एशिया का निर्विवाद नेता तक करार दिया है। पुतिन ने खुलासा किया कि रूस और चीन साथ मिलकर कई हाई-टेक हथियारों को बना रहे हैं। पुतिन के इस बयान को भारत के लिए बड़ी टेंशन बताया जा रहा है। अमेरिका के खिलाफ चीन और रूस के करीब आने से एशिया में शक्ति संतुलन के भी बिगड़ने का खतरा है। हाई-टेक हथियार बना रहे दोनों देश पुतिन ने कहा कि रूस और चीन अंतरिक्ष और एविएशन सेक्टर में भी सहयोग कर रहे हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि चीनी सेना बड़े पैमाने पर कई अडवांस हथियारों से लैस है। हम साथ मिलकर हाई-टेक हथियारों को विकसित कर रहे हैं। इसमें विमान और हेलिकॉप्टर भी शामिल हैं। उन्होंने कहा कि दोनों देशों की सेनाओं के बीच भी नजदीकी सहयोग है। दोनों देश कई संयुक्त सैन्य अभ्यास और इंटरनेशनल वॉर गेम्स में भागीदारी के साथ-साथ समुद्र और हवा में संयुक्त गश्त भी लगा रहे हैं। पुतिन ने चीन को एशिया का निर्विवाद नेता बताया रूस के राष्ट्रपति ने चीन के प्रीमियर शी जिनपिंग की खुलकर तारीफ भी की। उन्होंने जिनपिंग के साथ बहुत भरोसेमंद व्यक्तिगत संबंध होने की बात भी कही। उन्होंने कहा कि चीन हमारे साथ व्यापार में काफी मदद करता है। रूसी राष्ट्रपति ने मॉस्को और बीजिंग के बीच आर्थिक सहयोग बढ़ाने की ओर इशारा करते हुए कहा कि एशिया तेजी से विकसित हो रहा है और इस प्रक्रिया में चीन निर्विवाद नेता है। पुतिन बोले- चीन की साझेदारी का कोई उदाहरण नहीं पुतिन ने कहा कि मॉस्को और बीजिंग पहले ही 100 बिलियन डॉलर से अधिक का कारोबार कर चुके हैं। दोनों पक्ष अलग-अलग क्षेत्रों में अपने व्यापार को बढ़ाने के लिए और काम कर रहे हैं। इसमें परमाणु ऊर्जा, अंतरिक्ष और मानवाधिकार से जुड़े क्षेत्र शामिल हैं। उन्होंने चीन और रूस के रणनीतिक साझेदारी की तारीफ करते हुए कहा कि इतिहास में ऐसा कोई उदाहरण नहीं है। समुद्र में संयुक्त नौसैनिक और हवाई गश्त कर रहे दोनों देश प्रशांत महासागर में अमेरिका और पश्चिमी देशों की बढ़ती मौजूदगी को देखते हुए रूस और चीन एक साथ गश्त कर रहे हैं। एक समय यह दोनों देश आपसी सीमा विवाद के कारण एक दूसरे के खून के प्यासे रहते थे। लेकिन, बाद के वर्षों में चीन और रूस ने बड़ी सूझबूझ के साथ अपने विवादों को सुलझाया और अब अमेरिका जैसी वैश्विक महाशक्ति को मात देने के लिए एकजुट हुए हैं। रूस और चीन में दोस्ती हुई मजबूत पिछले कुछ साल में अमेरिका के साथ बढ़ते तनाव के कारण रूस और चीन काफी तेजी से एकसाथ आए हैं। कुछ महीने पहली ही रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने बीजिंग की यात्रा कर चीन से सहयोग बढ़ाने पर बात की थी। इतना ही नहीं, दोनों देशों ने डॉलर के खिलाफ एक साझी रणनीति बनाने पर भी चर्चा की थी। चीन और अमेरिका में भी कई मुद्दों पर तनाव चरम पर है। इसमें ताइवान, साउथ चाइना सी, तिब्बत और उइगुर जैसे मुद्दे शामिल हैं। वहीं, अमेरिका और रूस तो शीतयुद्ध के जमाने से एक दूसरे के जॉनी दुश्मन हैं। भारत के लिए कितना टेंशन चीन और रूस के करीब आने से भारत की टेंशन बढ़ना लाजमी है। भारत का रूस के साथ नजदीकी रक्षा और व्यापारिक संबंध हैं। वहीं, चीन के साथ भारत का सीमा विवाद भी जग जाहिर है। 2020 से ही भारत और चीन की सेनाएं पूर्वी लद्दाख सहित कई इलाकों में आमने-सामने डटी हुई हैं। ऐसी स्थिति में आर्थिक महाशक्ति बनने को तैयार चीन ने रूस को अपने पाले में कर लिया तो यह भारत की चिंता को बढ़ा सकता है।


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भारत से सटे अरब सागर में एके-47 की एक बड़ी तस्करी पकड़ी गई है। अमेरिकी नौसेना ने बताया है कि उसकी पांचवी फ्लीट ने गश्ती के दौरान उत्तरी अरब सागर से 1400 एके-47 राइफलें और गोला--बारूद को बरामद किया है। ये राइफलें एक मछली पकड़ने वाली बोट पर छिपाई गईं थीं। बड़ी बात यह है कि यह बोट किसी भी देश में रजिस्ट्रेशन के बिना समुद्र में घूम रही थी। नौसेना ने दावा किया है कि इन एके-47 राइफलों को यमन में हूती विद्रोहियों को भेजा जा रहा था। शक जताया गया है कि इनका निर्माण ईरान में किया गया है।

अमेरिकी नौसेना ने अरब सागर में 1400 AK-47 राइफलें और 226000 राउंड गोला-बारूद जब्त किया है। ये हथियार एक स्टेटलेस शिप पर छिपाकर ले जाया जा रहा था। अमेरिकी नौसेना ने हथियारों और शिप पर सवार लोगों को निकालकर उसे वहीं डूबो दिया। जानें पूरी घटना...


1400 AK-47 राइफलें और 226000 राउंड गोला-बारूद... जानिए कहां तबाही मचाने जा रहा था यह जखीरा

भारत से सटे अरब सागर में एके-47 की एक बड़ी तस्करी पकड़ी गई है। अमेरिकी नौसेना ने बताया है कि उसकी पांचवी फ्लीट ने गश्ती के दौरान उत्तरी अरब सागर से 1400 एके-47 राइफलें और गोला--बारूद को बरामद किया है। ये राइफलें एक मछली पकड़ने वाली बोट पर छिपाई गईं थीं। बड़ी बात यह है कि यह बोट किसी भी देश में रजिस्ट्रेशन के बिना समुद्र में घूम रही थी। नौसेना ने दावा किया है कि इन एके-47 राइफलों को यमन में हूती विद्रोहियों को भेजा जा रहा था। शक जताया गया है कि इनका निर्माण ईरान में किया गया है।



अमेरिकी नौसेना ने जहाज को समुद्र में डुबाया
अमेरिकी नौसेना ने जहाज को समुद्र में डुबाया

अधिकारियों ने बताया कि उन्हें इस जहाज से वाणिज्यिक शिपिंग और उनके नेविगेशन को खतरा पैदा होने का अंदेशा था। ऐसे में आदेश मिलने पर जहाज से चालक दल और हथियारों को हटाकर उसे समुद्र में डूबा दिया गया। इस साल 11 फरवरी को अमेरिकी नौसेना के गाइडेड मिसाइल डिस्ट्रॉयर यूएसएस विंस्टर्न एस चर्चिल ने अंतराष्ट्रीय कानून के अनुसार, सोमालिया के तट पर एक स्टेटलेस शिप से हथियारों की बड़ी बरामदगी की थी। इसमें एके-47 असॉल्ट राइफलें, लाइट मशीन गन, रॉकेट-प्रोपेल्ड ग्रेनेड लॉन्चर और भारी स्नाइपर राइफल सहित कई दूसरे हथियार मिले थे।



मछली पकड़ने वाली बोट पर कैसे हुआ शक
मछली पकड़ने वाली बोट पर कैसे हुआ शक

अमेरिकी नौसेना ने बताया कि अरब सागर के उत्तरी इलाके में यूएसएस टेम्पेस्ट (पीसी 2) और यूएसएस टाइफून (पीसी 5) के गश्ती के दौरान एक संदिग्ध मछली पकड़ने वाली बोट दिखाई दी। इस बोट पर किसी भी देश का झंडा नहीं लगा हुआ था। समुद्री ट्रैफिक पर नजर रखने वाली संस्थाओं के पास भी इस बोट का कोई रजिस्ट्रेशन नहीं था। ऐसे में बोट की संदिग्ध गतिविधि को देखकर जब अमेरिकी नौसेना के जवान तलाशी के लिए पहुंचे तो उन्हें 1400 एके-47 असॉल्ट राइफलें और कम से कम 226,000 राउंड गोला-बारूद मिलीं।



कहां भेजा जा रहा था हथियारों का जखीरा
कहां भेजा जा रहा था हथियारों का जखीरा

अमेरिकी नौसेना ने बताया कि उत्तरी अरब सागर के अंतरराष्ट्रीय समुद्री कानून के अनुसार, हर जहाज को गश्त के दौरान ध्वज फहराना अनिवार्य होता है। लेकिन इस मछली पकड़ने वाली नौका पर कोई भी झंडा नहीं लगा हुआ है। जहाज पर पकड़े गए पांच चालक दल के सदस्यों की पहचान यमन के नागरिकों के रूप में की गई है। नौसेना ने कहा है कि इन लोगों को संबंधित देश को लौटा दिया जाएगा। इन हथियारों को यमन में सक्रिय हूती विद्रोहियों को भेजा जा रहा था। यमन के ये आतंकी ईरान के सहयोग से पिछले कई साल से पूरे देश में आतंक मचाए हुए हैं। सऊदी अरब की सेना इन गुटों के खिलाफ जंग भी लड़ रही है।





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Thursday 23 December 2021

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लंदन ब्रिटेन में 35 साल की एक महिला से लंदन के एक पार्क में हुए बलात्कार का मामला तुल पकड़ता जा रहा है। दबाव में आई लंदन पुलिस ने इस मामले में एक 13 साल के बच्चे को आरोपी बताते हुए गिरफ्तार किया है। दरअसल, इस आरोपी को घटनास्थल पर कुत्ते को घूमा रहे एक शख्स ने पकड़ लिया था। जबकि, दूसरा आरोपी मौका-ए-वारदात से फरार होने में कामयाब रहा था। एक संदिग्ध को कुत्ता टहला रहे शख्स ने पकड़ा पुलिस ने बताया कि महिला ने अपनी रिपोर्ट में लिखा था कि लंदन के प्लमस्टेड में विन्न्स कॉमन में मंगलवार रात 11 बजे दो संदिग्धों ने उसके साथ बलात्कार किया था। मौके पर मौजूद एक डॉग वॉकर ने एक संदिग्ध को पकड़ लिया था। उस आदमी के कुत्ते ने संदिग्ध पर हमला बोलकर उसकी उंगलियों को काट लिया था। इस मामले में भागे हुए आरोपी की तलाश की जा रही है। आरोपी को कुत्ते ने काटा, अस्पताल में भर्ती माई लंदन न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, लड़के को बलात्कार के संदेह में गिरफ्तार किया गया। पुलिस ने उसके हाथ में कुत्ते के काटने की चोट के कारण उसे अस्पताल में भर्ती करवाया था। मेट्रोपॉलिटन पुलिस के एक प्रवक्ता ने बताया कि 21 दिसंबर को रात 11 बजे से कुछ समय पहले पुलिस को दो पुरुषों द्वारा एक महिला के साथ बलात्कार की रिपोर्ट के लिए लेकडेल रोड, SE18 पर बुलाया गया था। दूसरे आरोपी को तलाश रही पुलिस उन्होंने आगे बताया कि मौके पर जब पुलिस पहुंची तो बताया गया कि लेकडेल रोड एसई18 के पास झाड़ियों में 35 वर्षीय महिला के साथ दो पुरुषों ने दुष्कर्म किया। एक आम आदमी जो घटनास्थल पर अपने कुत्ते को टहला रहा था। उसने एक संदिग्ध को पकड़ने में पुलिस की मदद की। पुलिस ने कहा कि हम पकड़े गए आरोपी से पूछताछ कर रहे हैं और जल्द ही भागे हुए आरोपी को भी पकड़ लेंगे।


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सियोल दक्षिण कोरिया में कोविड-19 से पिछले 24 घंटे में 109 लोगों की मौत हुई है, जो कि नया दैनिक रिकॉर्ड है। देश के अस्पतालों में कई सप्ताह से मरीजों की संख्या में वृद्धि से बिस्तरों की समस्या पैदा हो गई है। कोरिया बीमारी नियंत्रण एवं रोकथाम एजेंसी ने गुरुवार को बताया कि पिछले 24 घंटे में 109 लोगों की मौत हुई। इसके साथ ही कुल मृतक संख्या बढ़कर 5,015 हो गई। देश में संक्रमण के 6,919 नए मामले सामने आए हैं। ज्यादातर मामले कोरोना वायरस के डेल्टा स्वरूप के हैं। इस साल नवंबर की शुरुआत में दक्षिण कोरिया ने महामारी प्रतिबंधों में बड़ी छूट प्रदान की थी ताकि महामारी के पहले जैसी स्थिति बहाल हो सके। लेकिन अब संक्रमण के मामलों मे वृद्धि के बाद शनिवार को स्वास्थ्य अधिकारियों ने सामाजिक दूरी के कड़े नियम और रेस्तरां तथा कैफे में रात्रिकालीन कर्फ्यू लागू किए हैं। चीन में लौटा कोरोनादूसरी ओर चीन ने कोरोना वायरस संक्रमण के मामलों में वृद्धि के बाद 1.3 करोड़ लोगों की आबादी वाले उत्तरी शहर शिआन में लॉकडाउन लगाने का आदेश दिया है। शीतकालीन ओलंपिक की मेजबानी से कुछ हफ्ते पहले देश में संक्रमण के मामले बढ़ने से चिंता बढ़ गई है। सरकारी मीडिया ने बताया कि शहर के अधिकारियों ने सभी निवासियों को घर पर रहने का आदेश दिया है। लोगों से कहा गया है कि जब तक कि उनका घर से बाहर निकलना बहुत जरूरी न हो और वे सड़कों पर न निकलें। सिर्फ एक व्यक्ति को घर से निकलने की छूटविशेष मामलों के अलावा शहर से आने-जाने वाले परिवहन के सभी साधनों को बंद कर दिया गया है। आदेश में कहा गया है कि प्रत्येक घर के एक व्यक्ति को हर दो दिन में घरेलू जरूरत का सामान खरीदने के लिए बाहर जाने की अनुमति दी जाएगी। आदेश बुधवार की मध्यरात्रि से प्रभावी हुआ। इसे कब हटाया जाएगा, इस पर कुछ नहीं कहा गया है। शिआन शांक्सी प्रांत की राजधानी है। यहां गुरुवार को संक्रमण के स्थानीय प्रसार के 63 मामले सामने आए हैं।


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कैनबरा अंतरिक्ष आश्चर्यों का महासागर है जहां अनेक चौंकाने वाली चीजें रहती हैं। इसमें 'ब्लैक होल' का अपना महत्व है जिसे लेकर कई रहस्य अभी भी बरकरार हैं। वैज्ञानिकों ने कहा कि कर्टिन यूनिवर्सिटी के खगोलविदों ने एक अंतरराष्ट्रीय टीम के हिस्से के रूप में पृथ्वी के सबसे निकट सक्रिय ब्लैक होल की 'सबसे बड़ी' तस्वीरें खींची हैं। यह रिसर्च नेचर एस्ट्रोनॉमी जर्नल में प्रकाशित हुई है। गुरुवार को यह खोज सार्वजिनक रूप से जारी की गई जिसके लिए वैज्ञानिकों ने लगभग 12 मिलियन प्रकाश वर्ष दूर आकाशगंगा 'सेंटोरस ए' के केंद्र में स्थित ब्लैक होल में गहरा गोता लगाया है। न्यूज एजेंसी सिन्हुआ ने अपनी रिपोर्ट में इसकी जानकारी दी। आकाशगंगा की धरती से अच्छी खासी दूरी होने के बावजूद यह ब्लैक होल 16 पूर्ण चंद्रमाओं के बराबर फैला हुआ दिखाई देता है। हालांकि नग्न आंखों से इसे देखना संभव नहीं है। पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया में मर्चिसन वाइडफील्ड एरे (एमडब्ल्यूए) टेलिस्कोप का इस्तेमाल करके इन तस्वीरों को खींचा गया है। यह टेलिस्कोप उत्सर्जित रेडियो तरंगों का पता लगाने और फोटो खींचने में सक्षम है। सूर्य से 55 मिलियन गुना ज्यादा द्रव्यमानअध्ययन के प्रमुख लेखक बेंजामिन मैकिन्ले ने कहा कि ये रेडियो तरंगें आकाशगंगा के बीच में 'सुपरमैसिव ब्लैक' होल से आती हैं। जब सूर्य के द्रव्यमान से 55 मिलियम गुना बड़े ब्लैक होल में विस्फोट होता है तो इसमें से गैस और सामग्री प्रकाश की गति से निकलती है। इससे 'रेडियो बबल' बाहर की ओर फैलते हैं। मैकिन्ले ने कहा कि यह ब्लैक होल के चारों ओर एक डिस्क बनाता है। जैसे-जैसे सामग्री ब्लैक होल के करीब आती है, डिस्क के दोनों ओर शक्तिशाली जेट बनते हैं, यह ज्यादातर सामग्री को अंतरिक्ष में वापस निकाल देता है। अंतरिक्ष के साथ फैल रहे ब्लैक होलमैकिन्ले ने कहा कि यही कारण है कि तस्वीरों का केंद्र चमकदार दिखाई देता है। इससे पहले एस्ट्रोफिजिकल जर्नल लेटर्स में इस महीने प्रकाशित एक नई रिसर्च में, वैज्ञानिकों ने प्रस्तावित दिया था कि ब्रह्मांड के विस्तार से ब्लैक होल अधिक विशाल हो सकते हैं। ब्लैक होल अपनी ओर आने वाले प्रकाश को अवशोषित कर लेते हैं इसलिए उन्हें नंगी आंखों नहीं देखा जा सकता। कुछ ब्लैक होल का आकार सूर्य से 50 से 100 गुना बड़ा हो सकता है।


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मॉस्को दुनिया का सबसे लंबा शख्स रूस जा पहुंचा है। उसे तलाश है अपने लिए नई पत्नी की जिसके साथ मिलकर वह संतान को जन्म दे सके। 39 साल के सुल्तान कोसेन तुर्की के एक किसान हैं जिनका ट्यूमर उनकी पिट्यूटरी ग्रंथि को प्रभावित कर रहा है। इसी वजह से उनका आकार असाधारण रूप से ज्यादा है जो तब होता है जब पिट्यूटरी ग्रंथि बहुत अधिक 'वृद्धि हार्मोन' का उत्पादन करती है। अपनी आश्चर्यजनक लंबाई के चलते उनका नाम 8 फीट 3 इंच की ऊंचाई के साथ 'सबसे लंबे जीवित व्यक्ति' के रूप गिनीज वर्ल्ड रेकॉर्ड में शामिल है। कुर्द मूल के कोसेन बताते हैं कि अब उन्हें इस लंबाई की आदत हो गई है। लेकिन कभी-कभी इसके चलते उन्हें कई कठिनाइयों और असुविधाओं का सामना करना पड़ता है। उन्होंने 2013 में 29 वर्षीय मर्व डिबो नाम की 5 फीट 9 इंच लंबी सीरियाई महिला से शादी की थी। तलाक के बाद कोसेने ने फिर किया शादी का इरादाएक इंटरव्यू में उन्होंने कहा था कि उनकी पत्नी के साथ उनकी सबसे बड़ी समस्या 'कम्युनिकेशन' था क्योंकि वह तुर्की बोलते थे जबकि उनकी पत्नी सिर्फ अरबी बोलती थीं। बातचीत में समस्या के बावजूद दोनों की शादी कई सालों तक चली, जब तक कि दंपति ने हाल ही में तलाक नहीं लिया। अकेले होने के बाद कोसेन ने एक बार फिर शादी का इरादा किया है। वह दिसंबर की शुरुआत में रूस पहुंचे थे जहां वह अपने लिए नई पत्नी की तलाश कर रहे हैं। 'रूस की महिलाओं को पसंद विनम्र पुरुष'डेलीस्टार की रिपोर्ट के मुताबिक उन्होंने कहा, 'मैं अपनी नई पत्नी को अपने साथ वापस तुर्की ले जाना चाहता हूं। मैं एक समुद्र से दूर दक्षिण-पूर्व में एक ऐतिहासिक जगह पर रहता हूं। मैंने सुना है कि रूस की महिलाओं को विनम्र पुरुष पसंद होते हैं तो यह काफी आसान होगा।' कोसेन ने कहा कि रूसी महिला अपने पति को हमेशा प्यार करेगी। अभी यह स्पष्ट नहीं है कि कोसेन अपनी नई पत्नी की तलाश में रूस में कितने समय तक रहेंगे।


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अबुजा दुनिया में कोरोना वैक्सीन को लेकर एक असंतुलन पैदा हो रहा है। यह असंतुलन लोगों तक वैक्सीन की पहुंच को लेकर है। कोरोना का नया वेरिएंट ओमीक्रोन सामने आने के बाद वैक्सीन की मांग और ज्यादा बढ़ गई है। कुछ देश अपने निवासियों को एक और दो बूस्टर डोज लगा रहे हैं तो कई जगह अभी लोगों को पहली खुराक का ही इंतजार है। इस बीच खबर आई कि नाइजीरिया ने बुधवार को एस्ट्राजेनेका कोरोना वैक्सीन की 1 मिलियन से अधिक खराब हो चुकीं खुराकों को नष्ट कर दिया। अधिकारियों ने कहा कि उनकी अंतिम तिथि के बाद उन्हें इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है। नाइजीरिया की NPHCDA (National Primary Health Care Development Agency) के प्रमुख फैसल शुएब ने कहा कि अफ्रीका के सबसे अधिक आबादी वाले देश में स्वास्थ्य अधिकारियों के पास दान में दी गई खुराकों को लेकर बहुत कम विकल्प बचे थे। इन खुराकों की शेल्फ लाइफ बहुत ज्यादा नहीं बची थी। सिर्फ दो फीसदी को लगी है वैक्सीनउन्होंने कहा कि विकसित देशों ने इन टीकों की खरीद की और इन्हें जमा किया। जब ये खराब होने वाले थे तो इन्हें दूसरे देशों को दान कर दिया। पिछले हफ्ते शुएब ने कहा था कि नाइजीरिया अब इस तरह के दान को स्वीकार नहीं करेगा। नाइजीरिया के 20 करोड़ 60 लाख लोगों में से केवल 2 प्रतिशत लोगों को पूरी तरह से टीका लगाया गया है। स्वास्थ्य अधिकारियों ने फरवरी तक एक चौथाई से अधिक आबादी का टीकाकरण करने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित किया है। WHO ने दी चेतावनीविश्व स्वास्थ्य संगठन प्रमुख ने चेतावनी दी है कि अमीर देशों में धड़ल्ले से बूस्टर खुराक लगाए जाने से कोविड-19 महामारी के लंबे समय तक रहने की संभावना बनेगी। साथ ही, कहा कि कोई भी देश इस तरीके से महामारी की गिरफ्त से बाहर नहीं निकल पाएगा। डब्ल्यूएचओ महानिदेशक द्रोस अदहानोम गेब्रेयेसस ने बुधवार को कहा कि इस साल टीके ने कई लोगों की जान बचाई है लेकिन उनके असमान वितरण ने कई लोगों की जान ले भी ली। लगने वाली सिर्फ 20 फीसदी डोज बूस्टरद्रोस ने इससे पहले स्वस्थ वयस्कों को इस साल के अंत तक बूस्टर खुराक देने पर रोक लगाने की अपील की थी ताकि असमान वैश्विक टीका वितरण से निपटा जा सके। उन्होंने कहा कि अभी प्रतिदिन लगाई जा रही टीके की 20 प्रतिशत खुराक बूस्टर हैं। उन्होंने कहा कि अमीर देशों में धड़ल्ले से बूस्टर खुराक लगाए जाने से कोविड-19 महामारी लंबे समय तक रहने की संभावना बनेगी, ना कि यह खत्म होगी। नागरिकों को चार खुराक लगा रहा इजरायलउन्होंने कहा कि अधिक टीकाकरण कवरेज वाले देशों को टीके की आपूर्ति बढ़ाने से वायरस को फैलने और अपना स्वरूप बदलने का कहीं अधिक अवसर मिलेगा। टेड्रोस ने कहा कि कोरोना वायरस संक्रमण के कारण अस्पतालों में भर्ती या मरने वाले लोगों के एक बड़े हिस्से को टीका नहीं लगा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की यह चेतावनी ऐसे समय पर आई है जब इजरायल अपने नागरिकों को वैक्सीन की चार खुराक लगा रहा है। वहीं कई अफ्रीकी देशों में बड़ी आबादी को पहली खुराक भी नहीं मिल पाई है।


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वाशिंगटन नौकरी करने वाले किसी भी शख्स को महीने की पहली तारीख का इंतजार रहता है। पूरे महीने मेहनत से काम करने के बाद यही वह दिन होता है जब अकाउंट में सैलरी आती है। लेकिन एक कर्मचारी ऐसा भी है जो कई सालों तक बिना मेहनत किए कंपनी से सैलरी लेता रहा। शख्स ने एक संस्थान में पांच सालों तक नौकरी की और लगातार प्रमोशन और सैलरी पाता रहा। लेकिन इस दौरान उसने कोई मेहनत नहीं की जिसका खुलासा कर्मचारी ने खुद किया है। एक शख्स ने अपनी पहचान उजागर किए बिना सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म रेडिट पर दावा किया है कि उसने एक कंपनी में बिना काम किए पांच सालों तक सैलरी ली। उसने बताया कि साल 2015 में उसे एक कंपनी में जॉब मिली थी, जहां उसका काम डेटा एंट्री का था। उसे ई-मेल के माध्यम से डेटा मिलता था जिसे सिस्टम में फीड करना होता था। ऑफिस ने उसे वर्क फ्रॉम होम में नाइट शिफ्ट में काम करने के लिए कहा था। कोड बनाने के लिए दे दी दो महीने की सैलरीसोशल मीडिया पोस्ट में उसने खुलासा किया कि जब उसकी ट्रेनिंग शुरू हुई तो उसे समझ आया कि घंटों का यह काम सिर्फ एक कोड की मदद से वह बड़ी आसानी से कर सकता है। उसने यह कोड बनवाने के लिए एक फ्रीलांस डेवलेपर से संपर्क किया। डेवलेपर ने कर्मचारी को कोड तो बनाकर दे दिया लेकिन इसके लिए उसने उसकी दो महीने की सैलरी के बराबर पैसा लिया। इस कोड से उसका काम बेहद आसान हो गया लेकिन करीब दो सालों तक वह काम पूरा होने के बाद इसे चेक करता था। घंटों का काम करता था मिनटों मेंहालांकि घंटों की शिफ्ट में उसे यह काम करने में सिर्फ पांच मिनट लगते थे। जब उसे कोड पर विश्वास हुआ तो वह अपनी शिफ्ट के दौरान कंप्यूटर को चलता छोड़कर सो जाता था या घूमने चला जाता था। कंपनी ने उसके 'बेहतरीन काम' के लिए कई बार प्रमोशन भी दिया और दो बार उसकी सैलरी भी बढ़ा दी। उसने बताया कि बीच में उसे दूसरी जगहों से भी नौकरी के प्रस्ताव आए जिन्हें उसने ठुकरा दिया क्योंकि इस ऑफिस में उसे 'बिना काम किए पैसे मिल रहे थे।' कुछ समय बाद कंपनी ने एक प्रोग्राम डेवलेप किया जिसके बाद उसका पद ही खत्म हो गया। नौकरी खत्म होने के बाद भी कंपनी ने उसे भविष्य में किसी भी दूसरे पद के लिए आवेदन करने का ऑफर दिया है।


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Wednesday 22 December 2021

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कराची पाकिस्तान की मशहूर बेकरी चेन के एक कर्मचारी ने केक पर ‘मेरी क्रिसमस’ लिखने से इनकार कर दिया। इसके बाद जब सोशल मीडिया में उसके व्यवहार की आलोचना होने लगी तो बेकरी मैनेजमेंट ने पूरे मामले की जांच करने की घोषणा की है। इस बेकरी चेन ने इसके साथ ही स्पष्ट किया है कि वह धर्म के आधार पर भेदभाव नहीं करती। बेकरी मैनेजमेंट कर रहा जांच डीलेजिया बेकरी के प्रबंधन ने सोशल मीडिया पर कहा कि वह ग्राहक सेलेसिया नसीम खान नामक महिला ग्राहक द्वारा फेसबुक पोस्ट में लगाए गए आरोपों की जांच कर रही है। खान ने आरोप लगाया था कि उन्होंने कराची के डिफेंस हाउसिंग सोसाइटी की दुकान से केक लाई थीं लेकिन उसके कर्मचारी ने उस पर ‘मेरी क्रिसमस’ लिखने से इनकार कर दिया। कर्मचारी बोला- मैं अधिकृत नहीं कर्मचारी ने संभवत महिला ग्राहक से कहा कि वह यह लिखने के लिए अधिकृत नहीं है क्योंकि उसे किचन से इसका आदेश मिला है। इस घटना को लेकर सोशल मीडिया पर हंगामा देखने को मिला और कई लोगों ने घटना पर हैरानी और आक्रोश व्यक्त किया। कंपनी बोली- हम धर्म-जाति का भेदभाव नहीं करते बेकरी के प्रबंधन ने सफाई देते हुए कहा कि यह स्पष्ट तौर पर एक व्यक्ति का कृत्य है और हम धर्म और जाति के आधार पर भेदभाव नहीं करते हैं। इस समय हम उसके (आरोपी कर्मी) खिलाफ कार्रवाई कर रहे हैं। यह उसने व्यक्तिगत हैसियत से किया और यह कंपनी की नीति नहीं है। उल्लेखनीय है कि वर्ष 2018 में भी एक महिला को बेकरी के कर्मचारी ने ‘मेरी क्रिसमस’लिखा केक देने से इनकार कर दिया था और कहा था कि यह कंपनी का निर्देश है। इमरान का रियासत-ए-मदीना यही है क्या? पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान जब से सत्ता में आए हैं तब से पाकिस्तान में धार्मिक कट्टरता और ज्यादा बढ़ी है। ईशनिंदा के नाम पर हत्याएं, धर्म के नाम पर देश की विदेश नीति तय करने का दबाव बनाते कट्टरपंथी इसका प्रत्यक्ष उदाहरण हैं। इतना ही नहीं, इमरान खान खुद इन कट्टरपंथियों के आगे हमेशा घुटने टेकते आए हैं। अभी अक्टूबर में ही प्रतिबंधित कट्टरपंथी संगठन तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान के समर्थकों की हिंसा में पांच पुलिसकर्मियों की मौत हुई थी। बाद में इमरान सरकार ने इन उपद्रवियों पर से केस वापस लेते हुए सभी को रि


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वॉशिंगटन पृथ्वी आज से 50 साल पहले की तुलना में अपनी धुरी पर अब तेजी से घूम रही है। वैज्ञानिकों ने कहा है कि अगर पृथ्वी की यह स्पीड बरकरार रहती है तो उन्हें परमाणु घड़ी से एक सेकेंड कम करना पड़ सकता है। पृथ्वी के अपनी धुरी पर घूमने की गति कुछ दशकों में हमेशा बदलती रहती है। लाखों साल पहले पृथ्वी प्रतिवर्ष 420 बार घूमती थी, लेकिन अब वह 365 बार ऐसा करती है। पृथ्वी के इसी रोटेशन से दिन और रात होते हैं। जब भी पृथ्वी के रोटेशन की स्पीड थोड़ी भी बदलती है तो ग्लोबल टाइमकीपर के नाम से प्रसिद्ध परमाणु घड़ी पर इसका असर पड़ता है। जब बढ़ती है तो परमाणु घड़ी में लीप सेकेंड जोड़ने पड़ते हैं। अब, यूके के नेशनल फिजिकल लैबोरेट्री के वैज्ञानिक पीटर व्हिबरले ने चेतावनी दी है कि अगर रोटेशन की स्पीड और बढ़ जाती है, तो हमें एक सेकंड कम करने की जरूरत पड़ेगी। 86,400 सेकंड का होता है एक दिन पृथ्वी पर प्रत्येक दिन में 86,400 सेकंड होते हैं, लेकिन रोटेशन एक समान नहीं होता है। इसका अर्थ है कि एक वर्ष के दौरान, प्रत्येक दिन में एक सेकंड का अंश कम या ज्यादा होता है। यह पृथ्वी की कोर, उसके महासागरों और वायुमंडल की गति के साथ-साथ चंद्रमा के खिंचाव के कारण होता है। परमाणु घड़ी अत्यंत सटीक होती है और परमाणुओं में इलेक्ट्रॉनों की गति को मापती है जिन्हें पूर्ण शून्य (Absolute Zero) तक ठंडा कर दिया गया है। इसलिए, परमाणु घड़ी को पृथ्वी के घूर्णन में सेकंड की संख्या के अनुरूप रखने के लिए 1972 के बाद से हर 18 महीने में लीप सेकंड जोड़े गए हैं। हालांकि परमाणु घड़ी से कभी भी एक सेकेंड घटाया नहीं गया है। इस सिस्टम से ऐसा करने का कभी टेस्ट भी नहीं किया गया है। परमाणु घड़ियों में क्यों जोड़ा जाता है लीप सेकेंड? यह विचार पिछले साल आया था, जब रोटेशन की गति तेज होने लगी थी, लेकिन यह फिर से धीमा हो गया है। 2021 में औसत दिन 2020 से 0.39 मिलीसेकंड कम है। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ स्टैंडर्ड एंड टेक्नोलॉजी के जूडा लेविन ने डिस्कवर मैगजीन को बताया, "जैसे-जैसे समय बीतता है, परमाणु घड़ियों के समय और खगोल विज्ञान द्वारा मापे गए समय के बीच धीरे धीरे परिवर्तन होता है। उस परिवर्तन या अंतर को बहुत बड़ा होने से बचाने के लिए 1972 में परमाणु घड़ियों में समय-समय पर लीप सेकंड जोड़ने का निर्णय लिया गया था।'' कौन मापता है पृथ्वी के घूमने की रफ्तार पृथ्वी अपनी धुरी पर कितनी रफ्तार से घूम रही है, इसको मापने की जिम्मेदारी इंटरनेशनल अर्थ रोटेशन एंड रेफरेंस सिस्टम सर्विस के पास है। इसके लिए यह सर्विस उपग्रहों को लेजर बीम भेजकर और उनके मूवमेंट को मापने के लिए इसका उपयोग करके करती है। जब यह परमाणु घड़ियों के अनुरूप नहीं होता है, तो वैज्ञानिक घड़ियों को एक सेकंड के लिए रोक देते हैं ताकि उन्हें वापस लाइन में लाया जा सके।


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मॉस्को रूस ने यूक्रेन सीमा पर अपने नए ओरियन () मानव रहित हवाई वाहन (यूएवी) का सफल परीक्षण किया है। यह यूएवी देखने में अमेरिका के प्रीडेटर ड्रोन जैसा है, लेकिन दावा किया जा रहा है कि इसकी ताकत कहीं ज्यादा है। रूस के ओरियन यूएवी ने टेस्ट के दौरान क्रीमिया में एक रोटरी विंग ड्रोन को सफलतापूर्वक मार गिराया है। जिसके बाद विशेषज्ञों ने ओरियन को ड्रोन किलर मशीन करार दिया है। अपने टेस्ट के दौरान ओरियन यूएवी ने दुश्मन के ड्रोन को मार गिराने के लिए एक गाइडेड मिसाइल का इस्तेमाल किया। रूसी रक्षा मंत्रालय ने दावा किया है कि यह टेस्ट साबित करता है कि उनका अब युद्ध के मैदान में दुश्मनों के ड्रोन को मार गिराने में सक्षम है। ओरियन यूएवी की खासियत तो जानिए रूसी मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, ओरियन ड्रोन की टॉप स्पीड 200 किलोमीटर प्रति घंटा तक हो सकती है। इस ड्रोन को रूस के क्रोनस्टेड समूह ने विकसित किया है। इसकी पहली उड़ान 2016 में आयोजित की गई थी और 2020 में इसे रूसी सेना में औपचारिक रूप से शामिल किया गया। रूस ने अबतक इसके 30 यूनिट का निर्माण किया है। इसका अधिकतम टेकऑफ वजन 1000 किलोग्राम और पेलोड 200 किलोग्राम का है। ओरियन ड्रोन की रेंज 250 किलोमीटर है, जबकि इसे 8,000 मीटर की अधिकतमक ऊंचाई तक ऑपरेट किया जा सकता है। यह ड्रोन एक बार उड़ान भरने के बाद हवा में 24 घंटे तक उड़ सकता है। रूस ने सीरिया में इस ड्रोन का खूब इस्तेमाल किया था। तब इसने जमीन पर कई लक्ष्यों को निशाना भी बनाया था। हालांकि, हवा से हवा में मार करने वाली इसकी ताकत बिलकुल नई है। रूसी रक्षा मंत्रालय ने जारी किया टेस्ट का वीडियो रूसी रक्षा मंत्रालय ने हाल में ही इस ड्रोन के टेस्ट का वीडियो भी जारी किया है। इस वीडियो को पहली बार रूस के सरकारी टीवी चैनल रशिया-1 ने एक डॉक्यूमेंटरी में चलाया था। ओरियन ड्रोन के प्रॉजेक्ट को रूसी भाषा में इनोखोडेट्स के नाम से भी जाना जाता है। अंग्रेजी में इसका मतलब पेसर (Pacer) होता है। परीक्षण के दौरान ओरियन ने रोटरी विंग यानी पंखों वाले एक ड्रोन को नष्ट करने के लिए 9M113 कोर्नेट एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल (ATGM) के एक नए एयर-लॉन्च वर्जन को फायर किया। रिपोर्ट में बताया गया कि ओरियन ने लगभग 96 किलोमीटर की दूरी से दुश्मन के ड्रोन को पहचान लिया था। जब दुश्मन का ड्रोन चार किलोमीटर की दूरी पर पहुंचा, तब ओरियन ने मिसाइल फायर कर उसे मार गिराया। ओरियन से लॉन्च की गई कोर्नेट मिसाइल के बारे में जानें 9M113 कोर्नेट एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल (ATGM) लेजर बीम-राइडिंग गाइडेंस का इस्तेमाल करती है। ऐसे में इसे अपने लक्ष्य तक जाने के लिए मैनुअली गाइडेंस की जरूरत होती है। इस मिसाइल के एयर-लॉन्च वर्जन में कथित तौर पर इन्फ्रारेड और टीवी-गाइडेड मोड भी हैं। हालांकि, यह स्पष्ट नहीं है कि इनका इस्तेमाल मिसाइल को गाइडेंस देने के लिए किया जाता है या बस ऑपरेटर को लक्ष्य का पता लगाने और उसे ट्रैक करने में मदद करने के लिए किया जाता है। रूस के सरकारी मीडिया आउटलेट आरआईए नोवोस्ती की एक रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि 9M113 कोर्नेट एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल का इस्तेमाल सिर्फ ओरियन ही नहीं, बल्कि फोरपोस्ट और अल्टियस यूएवी भी करती हैं। ऐसे में रूस के पास कम से कम तीन ऐसे ड्रोन हैं, जो दूसरे ड्रोन को मार गिराने वाली मिसाइलों से लैस हैं। ओरियन में नीचे लगा रडार लक्ष्यों की देता है जानकारी रूस के ओरियन यूएवी में पीछे नीचे की तरफ एक रडार लगा हुआ है। इसमें इलेक्ट्रो ऑप्टिकल, लेजर टारगेट फाइंडर और इंफ्रारेड कैमरा लगा हुआ है। इसकी मदद से ओरियन ड्रोन जमीन पर मौजूद लक्ष्यों पर गाइडेड मिसाइल से हमला कर सकता है। फुटेज से पता चलता है कि ग्राउंड कंट्रोल स्टेशन में ड्रोन को ऑपरेट कर रहा पायलट शुरू में लक्ष्य की पहचान करने के लिए ड्रोन पर इन सेंसर का इस्तेमाल करता है और फिर मिसाइल लॉन्च करने का आदेश देता है। 10 किलोमीटर तक हमला कर सकती है मिसाइल आरआईए नोवोस्ती की रिपोर्ट में एयर लॉन्च कोर्नेट मिसाइल के बारे में अधिक जानकारी दी गई है। रिपोर्ट में एक सैन्य सूत्र के हवाले से बताया गया है कि मिसाइल केएच-बीपीएलए का केए- 52एम अटैक हेलीकॉप्टर से दर्जनों बार सफल टेस्ट किया जा चुका है। सूत्र ने इस मिसाइल की रेंज 10 किलोमीटर के आसपास होने का दावा किया था। दावा किया जा रहा है कि यह मिसाइल कम ऊंचाई पर कम स्पीड से उड़ रहे हवाई लक्ष्यों के अलावा जमीन पर मौजूद बख्तरबंद गाड़ियों को भी बर्बाद करने में सक्षम है। इस मिसाइल का नाम बाद में बदलकर कोर्नेट कर दिया गया। रूसी सेना भी करती है इस्तेमाल इसके पुराने वर्जन 9M133FM-3 को यूएवी, हेलिकॉप्टरों और कम ऊंचाई पर उड़ रहे हवाई लक्ष्यों के लिए बनाया गया था। हालांकि, तब इसे जमीनी सेना और गाड़ियों पर लगे लॉन्चर से ही फायर किया जा सकता था। अब इसके एयर लॉन्च वर्जन को विकसित किया गया है और उसी को ही ओरियन यूएवी पर तैनात कर ड्रोन को मार गिराने के लिए इस्तेमाल किया गया।


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मास्‍को रूस में वाइट सी के बर्फीले पानी से अचानक से रहस्‍यमय नीली चमक निकलने लगी। समुद्र की बर्फ में क्रिसमस की तरह से रंगीन लाइट देखकर रूसी जीव विज्ञानी हैरान रह गए। ये वैज्ञानिक आर्कटिक के तट पर काम कर रहे थे। उन्‍होंने वाइट सी से आ रही नीली चमक को अपने कैमरे में कैद किया। बताया जा रहा है कि आकार में बेहद छोटे से इस जीव कॉपिपोड की वजह से यह लाइट (Bioluminescent) आ रही थी। आर्कटिक इलाके में 80 साल बाद ऐसा हुआ है जब ये नीली लाइट देखी गई है। इस दूरस्‍थ शोध केंद्र पर तैनात माइक्रोबॉयोलॉजिस्‍ट वेरा इमेलीआनेंको ने कुछ बर्फ को इकट्ठा किया। इसके बाद इस बर्फ को एक माइक्रोस्‍कोप से देखा गया और पाया गया कि यह चमक छोटे से bioluminescent पशु से आ रही है जिसे कॉपिपोड के नाम से जाना जाता है। ये समुद्री कीड़े होते हैं और दिन के समय में समुद्र में 300 फुट नीचे पाए जाते हैं। जिंदा जीव से निकलती है रोशनी जैसे ही रात होती है, ये कीड़े समुद्र में काफी ऊपर तक आ जाते हैं। रूसी अकादमी ऑफ साइंस से जुड़ी कसेनिआ कोसोबोकोवा ने कहा कि कॉपिपोड जीव संभवत: वाइट सी में शक्तिशाली लहरों की चपेट में आ गए थे और बहकर तट पर आ गए। गत 1 दिसंबर को समुद्र की लहरें बहुत तेज थीं और इसी समय पहली बार इस नीली लाइट को देखा गया था। इसके बाद 16 दिसंबर को भी तेज लहरें आई थीं। इससे संकेत मिलता है कि तेज लहरों ने कॉपिपोड को बाध्‍य किया कि वे तट पर आएं। Bioluminescence एक प्राकृतिक अवधारणा है जिसमें एक जिंदा जीव से रोशनी निकलती है। यह रोशनी केमिकल रिएक्‍शन की वजह से निकलती है। इस जीव में एक कण पाया जाता है जिसे luciferin कहा जाता है। लूसीफेरिन ऑक्‍सीजन के साथ प्रतिक्रिया करता है और हल्‍की रोशनी पैदा करता है। यह देखने में अद्भुत लगता है। ये छोटे से जीव बहुत कम तापमान में भी जिंदा रह सकते हैं।


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मैड्रिड स्पेन के कैडिज की खाड़ी में एक प्राचीन मंदिर स्थित है। माना जाता है कि प्रसिद्ध तानाशाह जूलियस सीजर सहित प्राचीन यूनानी और रोमन यहां आए थे। इन लोगों ने भगवान हरक्यूलिस से शक्ति के लिए प्रार्थना की थी। अब पुरातत्वविदों को लग रहा है कि उन्होंने इस पौराणिक मंदिर के खंडहर खोज लिए हैं। प्राचीन दस्तावेजों में इस मंदिर को नौवीं शताब्दी ईसा पूर्व का बताया गया है। इसे हरक्यूलिस गैडिटेनस के मंदिर के रूप में जाना जाता है। दक्षिणी स्पेन में सेविले विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने लाइट डिटेक्शन एंड रेंजिंग (एलआईडीएआर) का इस्तेमाल करके सैंक्टी पेट्री चैनल में एक स्मारकनुमा इमारत के निशान पाए हैं। यह तकनीक जमीन पर लेजरों को फायर करके और परावर्तित प्रकाश के रिसीवर में वापस आने के समय को मापकर पृथ्वी की सतह की जांच करने के लिए एक रिमोट सेंसिंग विधि का इस्तेमाल करती है। मंदिर में लगातार जलता रहता था दीपकटीम ने 984 फीट लंबी और 492 फीट चौड़ी एक आयताकार संरचना की पहचान की है। यह उस द्वीप के समान माप है जहां कभी मंदिर स्थित था। कहा जाता है कि हरक्यूलिस गैडिटैनस का मंदिर 'स्तंभों वाला मंदिर' था जिसमें एक ज्वाला लगातार जलती रहती थी। यहां रहने वाला पुजारी इसे दिन-रात जलाए रखते थे। स्तंभों पर बने चित्र कांस्य में उकेरे गए हरक्यूलिस के बारह मजदूरों को दर्शाते हैं। पाकिस्तान में मिला सबसे पुराना बौद्ध मंदिरइससे पहले उत्तर-पश्चिमी पाकिस्तान में पाकिस्तानी और इतालवी पुरातत्वविदों के एक संयुक्त दल ने बौद्ध काल के 2,300 साल पुराने एक मंदिर की खोज की थी। इसके साथ ही कुछ अन्य बेशकीमती कलाकृतियां भी खुदाई में मिली थीं। यह मंदिर खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के स्वात जिले में बारीकोट तहसील के बौद्ध काल के बाजीरा शहर में मिला था। इस मंदिर को पाकिस्तान में बौद्ध काल का सबसे प्राचीन मंदिर बताया गया है।


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टोक्यो वैज्ञानिकों को पिछले साल कुछ बेहद दुर्लभ अंतरिक्ष चट्टानों के नमूने मिले थे। इसमें सबसे खास था पृथ्वी के निकट मौजूद ऐस्टरॉइड 162173 रयुगु, जिसकी 5.4 ग्राम सामग्री वैज्ञानिकों को मिली थी। इसे 6 दिसंबर 2020 को जापानी स्पेस एजेंस के हायाबुसा-2 स्पेसक्राफ्ट की मदद से अंतरिक्ष से पृथ्वी पर लाया गया था। वैज्ञानिकों ने नेचर एस्ट्रोनॉमी में प्रकाशित शोध में अब इन खोजों का विवरण दिया है। यह खोज हमारी समझ को मजबूत करती है कि रयुगु ऐस्टरॉइड कैसा दिखता था। हीरे के आकार की अंतरिक्ष चट्टान उम्मीद से ज्यादा काली और ज्यादा छिद्रों वाली है। यह खोज यह समझने में भी मदद कर सकती है कि क्या कभी इस तरह के ऐस्टरॉइड पृथ्वी के लिए खतरा बन सकते हैं। इस चट्टान में कुछ अस्थिर तत्व भी मौजूद हैं, जो सुझाव देते हैं कि रयुगु बाहरी सौर मंडल से सामग्री को भी संरक्षित करता है। सिर्फ दो फीसदी प्रकाश को करते हैं परावर्तितइसका मतलब है कि वैज्ञानिकों के पास उनकी लैब में सौर मंडल के शुरुआती समय से संबंधित कुछ सबसे प्राचीन चीजें भी मौजूद हैं। पहले पेपर, 'जब हायाबुसा-2 नमूनों के साथ सी-टाइप ऐस्टरॉइड रयुगु से लौटा', में वैज्ञानिकों ने ज्यादातर रयुगु की संरचना को लेकर अपनी कुछ पुरानी भविष्यवाणियों की पुष्टि की लेकिन इसमें कुछ अप्रत्याशित नतीजे भी शामिल थे। रयुगु के नमूने अपनी ओर आने वाले प्रकाश के सिर्फ 2 फीसदी भाग को ही परावर्तित करते हैं। दूसरे उल्कापिंडों की तुलना में 50 फीसदी ज्यादा छेद वालायह असाधारण रूप से नाजुक भी है क्योंकि यह पृथ्वी पर गिरे कार्बनयुक्त चोंड्राइट उल्कापिंडों की तुलना में लगभग 50 प्रतिशत अधिक छिद्रों वाला है। शोधकर्ताओं ने कहा कि पृथ्वी पर पाए जाने वाले किसी भी उल्कापिंड में इस तरह की उच्च-सूक्ष्मता सामग्री की खोज नहीं की गई है। दूसरे पेपर का शीर्षक 'माइक्रोमेगा हाइपरस्पेक्ट्रल माइक्रोस्कोप की मदद से रयुगु नमूनों की पहली जांच' है जिसमें रयुगु नमूने के रासायनिक विश्लेषण का विवरण दिया गया है चट्टान में विभिन्न प्रकार के वाष्पशील कार्बनिक यौगिक मौजूद हैं। इनमें ऑक्सीजन से बने गैर-पानी के अणु और हाइड्रॉक्सिल के रूप में जाने वाले हाइड्रोजन परमाणु शामिल हैं। शोधकर्ताओं का कहना है कि ये वाष्पशील बाहरी सौर मंडल में उत्पन्न होने की संभावना है।


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Tuesday 21 December 2021

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इस्लामाबाद पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद में रविवार को ऑर्गनाइजेशन ऑफ कंट्रीज () के विदेश मंत्रियों की मीटिंग हुई। इस संगठन में कुल 57 मुस्लिम मुल्क मेंबर हैं लेकिन मीटिंग में भाग लेने सिर्फ 16 छोटे देश के ही विदेश मंत्री ही पहुंचे थे। बाकी देशों ने अपने एम्बेसेडर्स या अफसरों को मीटिंग में भाग लेने भेज दिया था। भारत पहुंचे थे मध्य एशियाई देशों के विदेश मंत्री दिलचस्प बात यह है कि अफगानिस्तान के पड़ोसी पांच सेंट्रल एशियाई देशों के विदेश मंत्री ओआईसी समिट में जाने की बजाए दिल्ली में अफगान मीटिंग करने पहुंच गए। सोमवार को इन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की। इस बौखलाए पाकिस्तान मीडिया का एक तबका भारत पर ओआईसी समिट फेल करने का आरोप लगा रहा है। फौज के डर से ओआईसी पर जानकारी कम दे रही पाक मीडिया इसी बीच पाकिस्तान की मेन स्ट्रीम मीडिया सरकार या फौज के डर से ओआईसी पर ज्यादा जानकारी देने से बच रही है। जबकि सोशल मीडिया पर मौजूद पत्रकार समिट को लेकर सरकार को घेरने में लगे हैं। कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और उज्बेकिस्तान। ये सभी देश ओआईसी के सदस्य हैं। लेकिन इन्होंने पाकिस्तान में हुए समिट में जाने के बजाए नई दिल्ली की इंडिया-सेंट्रल एशिया समिट को तवज्जो दी। पाकिस्तानी मीडिया इसको लेकर ही सवाल उठा रहा है। इस कारण फेल हुई पाकिस्तान की ओआईसी मीटिंग दरअसल, पाकिस्तान ने 19 दिसंबर को ओआईसी सदस्य देशों की बैठक रखी थी। बैठक का एजेंडा अफगानिस्तान में तालिबान के शासन को मान्यता और मदद देने का था। जबकि दूसरी तरफ इसी दिन भारत की राजधानी नई दिल्ली में इंडिया-सेंट्रल एशिया समिट हुआ। इसमें पांच अफगानिस्तान के पड़ोसी पांच देशों के विदेश मंत्री शामिल हुए। हालांकि इस समिट का एजेंडा भी अफगानिस्तान था। भारत के विदेश मंत्री, एस जयशंकर ने कहा भी था कि भारत और सेंट्रल एशिया के पांच देश अफगानिस्तान की मदद करना चाहते हैं क्योंकि अफगानिस्तान से हमारे गहरे सांस्कृतिक रिश्ते हैं। अफगान तालिबान का प्रवक्ता बना पाकिस्तान UN और दुनिया के कई संगठन कह चुके हैं कि अफगानिस्तान में भुखमरी बिल्कुल सिर पर खड़ी है और अगर दुनिया ने उसकी जल्द मदद नहीं की तो यह सर्दियां वहां के लोगों के लिए जानलेवा साबित हो सकती हैं। पाकिस्तान अफगानिस्तान को लेकर दुनिया की इसी हमदर्दी का फायदा उठाना चाहता है। चारों तरफ जमीन से घिरे अफगानिस्तान की सीमाएं पाकिस्तान से सटी हैं। ऐसे में वहां पहुंचने वाली मदद का रास्ता पाकिस्तान होकर ही जाता है। यही वजह है कि अफगानिस्तान का प्रवक्ता बनकर पाकिस्तान दुनियाभर से मिली मदद को अपने जरिए वहां पहुंचाना चाहता है। भारत की मदद में भी पाक ने लगाया अड़ंगा पाकिस्तान की इस पहल के पीछे दो एजेंडे हैं। पहला यह कि पाकिस्तान अफगानिस्तान को मिलने वाली मदद का एक हिस्सा हड़प सकता है। दूसरा यह कि वह अफगानिस्तान तक अपने ट्रकों से राहत सामग्री भेजेगा, ताकि अफगान ये समझें कि पाकिस्तान ही उनकी मदद कर रहा है। इसी वजह से पाकिस्तान ने भारत की तरफ से अफगानिस्तान भेजे जाने वाले गेहूं और दवाइयों की सप्लाई में भी रोड़ा अटका दिया है।


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इस्लामाबाद भारत के एस-400 मिसाइल सिस्टम की तैनाती से घबराए पाकिस्तान ने भी के अपग्रेडेड वर्जन का परीक्षण किया है। बताया जा रहा है कि यह बाबर क्रूज मिसाइल- 1बी का परीक्षण था। पाकिस्तान का दावा है कि इस मिसाइल को उसने स्वदेशी तकनीक पर विकसित किया है। सतह से सतह पर मार करने वाली बाबर-1बी मिसाइल 900 किलोमीटर की दूरी तक लक्ष्य को भेद सकती है। यह अपने पुराने वेरिएंट से करीब दो गुनी रेंज की मिसाइल है। पाकिस्तानी सेना का दावा- टेस्ट सफल रहा पाकिस्तानी सेना ने मंगलवार को एक बयान में कहा कि पाकिस्तान ने स्वदेश विकसित बाबर क्रूज मिसाइल 1बी की बढ़ाई हुई रेंज प्रारूप का आज सफल परीक्षण किया। फरवरी में, पाकिस्तान ने बाबर क्रूज मिसाइल के पूर्ववर्ती संस्करण का सफल प्रशिक्षण परीक्षण किया था। उसकी क्षमता 450 किमी तक लक्ष्य को भेदने तक सीमित थी। जमीन और समुद्र में हमला करने में सक्षम पाकिस्तानी सेना ने दावा किया कि बाबर मिसाइल जमीन पर और समुद्र में अधिक सटीकता से लक्ष्य को भेदने में सक्षम है। सेना के मुताबिक बाबर क्रूज मिसाइल 1बी के परीक्षण को सामरिक योजना प्रभाग के महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल जकी मांज सहित वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों ने देखा। बयान में कहा गया है कि सामरिक योजना प्रभाग के महानिदेशक ने कूज मिसाइल प्रौद्योगिकी में उत्कृष्टता हासिल करने पर वैज्ञानिकों और इंजीनियर को बधाई दी। साथ ही, अपना पूरा भरोसा जताया कि यह परीक्षण पाकिस्तान के सामरिक प्रतिरोध को और मजबूत करेगा। इमरान खान ने दी बधाई मिसाइल के सफल परीक्षण पर राष्ट्रपति डॉ आरिफ अल्वी, प्रधानमंत्री इमरान खान, ज्वाइंट चीफ्स ऑफ स्टाफ कमेटी के अध्यक्ष और तीनों सेनाओं के प्रमुखों ने वैज्ञानिकों तथा इंजीनियर को बधाई दी। उल्लेखनीय है कि पाकिस्तान ने अगस्त में पारंपरिक आयुध ले जा सकने वाली स्वदेश निर्मित रॉकेट प्रणाली फतह-1 का सफल परीक्षण किया था।


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वॉशिंगटन सूरज के सतह पर बढ़ी हलचलों को देखकर वैज्ञानिकों ने धरती पर जारी की है। विशेषज्ञों ने दावा किया है कि सूर्य से कम से कम दो सोलर फ्लेयर्स जल्द ही धरती की तरफ बढ़ने वाले हैं। सूरज के कोरोना से निकलने को तैयार ये कण तेजी से धरती की तरफ बढ़ेंगे। अंतरिक्ष मौसम भौतिक विज्ञानी डॉ तमिथा स्कोव ने कहा कि पृथ्वी से कई सनस्पॉट क्लस्टर देखे जा सकते हैं। हालांकि, अभी तक इनमें विस्फोट नहीं हुआ है। सोलर एक्टिविटी के चार मुख्य घटकों में सोलर फ्लेयर्स, कोरोनल मास इजेक्शन, हाई-स्पीड सोलर विंड और सोलर एनर्जी पार्टिकल्स शामिल हैं। इन्हीं के कारण पृथ्वी पर सोलर तूफान आते रहते हैं। नासा के अनुसार, सोलर फ्लेयर्स धरती पर तभी प्रभाव डालती हैं, जब वे सूरज के उस तरफ होती हैं, जिधर हमारी पृथ्वी होती है। इसी तरह, कोरोनल मास इजेक्शन में भी सूर्य से निकले प्लाज्मा और चुंबकीय क्षेत्र के विशाल बादल पृथ्वी पर तभी प्रभाव डालेंगे जब उनकी दिशा हमारी धरती की तरफ हो। सोलर मेक्सिमम में तेजी से बदलेंगे अंतरिक्ष के हालात नेशनल ओशनिक एंड एटमॉस्फेरिक एडमिनिस्ट्रेशन (एनओएए) के स्पेस वेदर प्रेडिक्शन सेंटर (एसडब्ल्यूपीसी) के एक प्रोग्राम कोऑर्डिनेटर बिल मुर्तघ ने बताया कि पिछले कई वर्षों में हमने सूरज में काफी कम हलचल देखी है। ऐसा अधिकतर सोलर मिनिमम के दौरान ही होता है। लेकिन, अब हम सोलर मैक्सिमम की ओर तेजी से बढ़ रहे हैं। यह साल 2025 में सबसे अधिक तेज होगा। सोलर फ्लेयर्स का वर्गीकरण सोलर फ्लेयर की सबसे शक्तिशाली श्रेणी को एक्स क्लास के नाम से जाना जाता है। इसके बाद ताकत के घटते क्रम में इन्हें एम, सी, बी और ए क्लास के नाम से जाना जाता हैं। इसके एक्स क्लास में एक्स-1, एक्स-2 और एक्स-3 नाम से तीन सेक्शन बंटे हुए हैं। जिनमें सबसे ताकतवर को एक्स-1 क्लास का माना जाता है। सौर तूफान का पृथ्वी पर असर क्या होता है? सौर तूफान के कारण धरती का बाहरी वायुमंडल गरमा सकता है जिसका सीधा असर सैटलाइट्स पर हो सकता है। इससे जीपीएस नैविगेशन, मोबाइल फोन सिग्नल और सैटलाइट टीवी में रुकावट पैदा हो सकती है। पावर लाइन्स में करंट तेज हो सकता है जिससे ट्रांसफॉर्मर भी उड़ सकते हैं। हालांकि, आमतौर पर ऐसा कम ही होता है क्योंकि धरती का चुंबकीय क्षेत्र इसके खिलाफ सुरक्षा कवच का काम करता है।


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रियाद सऊदी अरब के नेतृत्‍व में गठबंधन सेना ने यमन की राजधानी सना में हूती विद्रोहियों के एक शिविर को हवाई हमला करके तबाह कर दिया है। सऊदी...