Friday 24 December 2021

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मॉस्को रूस के राष्ट्रपति ने अपने सालाना प्रेस कांफ्रेंस में चीन के साथ दोस्ती की खुलकर तारीफ की है। उन्होंने चीन को एशिया का निर्विवाद नेता तक करार दिया है। पुतिन ने खुलासा किया कि रूस और चीन साथ मिलकर कई हाई-टेक हथियारों को बना रहे हैं। पुतिन के इस बयान को भारत के लिए बड़ी टेंशन बताया जा रहा है। अमेरिका के खिलाफ चीन और रूस के करीब आने से एशिया में शक्ति संतुलन के भी बिगड़ने का खतरा है। हाई-टेक हथियार बना रहे दोनों देश पुतिन ने कहा कि रूस और चीन अंतरिक्ष और एविएशन सेक्टर में भी सहयोग कर रहे हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि चीनी सेना बड़े पैमाने पर कई अडवांस हथियारों से लैस है। हम साथ मिलकर हाई-टेक हथियारों को विकसित कर रहे हैं। इसमें विमान और हेलिकॉप्टर भी शामिल हैं। उन्होंने कहा कि दोनों देशों की सेनाओं के बीच भी नजदीकी सहयोग है। दोनों देश कई संयुक्त सैन्य अभ्यास और इंटरनेशनल वॉर गेम्स में भागीदारी के साथ-साथ समुद्र और हवा में संयुक्त गश्त भी लगा रहे हैं। पुतिन ने चीन को एशिया का निर्विवाद नेता बताया रूस के राष्ट्रपति ने चीन के प्रीमियर शी जिनपिंग की खुलकर तारीफ भी की। उन्होंने जिनपिंग के साथ बहुत भरोसेमंद व्यक्तिगत संबंध होने की बात भी कही। उन्होंने कहा कि चीन हमारे साथ व्यापार में काफी मदद करता है। रूसी राष्ट्रपति ने मॉस्को और बीजिंग के बीच आर्थिक सहयोग बढ़ाने की ओर इशारा करते हुए कहा कि एशिया तेजी से विकसित हो रहा है और इस प्रक्रिया में चीन निर्विवाद नेता है। पुतिन बोले- चीन की साझेदारी का कोई उदाहरण नहीं पुतिन ने कहा कि मॉस्को और बीजिंग पहले ही 100 बिलियन डॉलर से अधिक का कारोबार कर चुके हैं। दोनों पक्ष अलग-अलग क्षेत्रों में अपने व्यापार को बढ़ाने के लिए और काम कर रहे हैं। इसमें परमाणु ऊर्जा, अंतरिक्ष और मानवाधिकार से जुड़े क्षेत्र शामिल हैं। उन्होंने चीन और रूस के रणनीतिक साझेदारी की तारीफ करते हुए कहा कि इतिहास में ऐसा कोई उदाहरण नहीं है। समुद्र में संयुक्त नौसैनिक और हवाई गश्त कर रहे दोनों देश प्रशांत महासागर में अमेरिका और पश्चिमी देशों की बढ़ती मौजूदगी को देखते हुए रूस और चीन एक साथ गश्त कर रहे हैं। एक समय यह दोनों देश आपसी सीमा विवाद के कारण एक दूसरे के खून के प्यासे रहते थे। लेकिन, बाद के वर्षों में चीन और रूस ने बड़ी सूझबूझ के साथ अपने विवादों को सुलझाया और अब अमेरिका जैसी वैश्विक महाशक्ति को मात देने के लिए एकजुट हुए हैं। रूस और चीन में दोस्ती हुई मजबूत पिछले कुछ साल में अमेरिका के साथ बढ़ते तनाव के कारण रूस और चीन काफी तेजी से एकसाथ आए हैं। कुछ महीने पहली ही रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने बीजिंग की यात्रा कर चीन से सहयोग बढ़ाने पर बात की थी। इतना ही नहीं, दोनों देशों ने डॉलर के खिलाफ एक साझी रणनीति बनाने पर भी चर्चा की थी। चीन और अमेरिका में भी कई मुद्दों पर तनाव चरम पर है। इसमें ताइवान, साउथ चाइना सी, तिब्बत और उइगुर जैसे मुद्दे शामिल हैं। वहीं, अमेरिका और रूस तो शीतयुद्ध के जमाने से एक दूसरे के जॉनी दुश्मन हैं। भारत के लिए कितना टेंशन चीन और रूस के करीब आने से भारत की टेंशन बढ़ना लाजमी है। भारत का रूस के साथ नजदीकी रक्षा और व्यापारिक संबंध हैं। वहीं, चीन के साथ भारत का सीमा विवाद भी जग जाहिर है। 2020 से ही भारत और चीन की सेनाएं पूर्वी लद्दाख सहित कई इलाकों में आमने-सामने डटी हुई हैं। ऐसी स्थिति में आर्थिक महाशक्ति बनने को तैयार चीन ने रूस को अपने पाले में कर लिया तो यह भारत की चिंता को बढ़ा सकता है।


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