Sunday 31 January 2021

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लोकतंत्र की राह पर चल रहे म्‍यांमार में करीब 59 साल बाद एक बार फिर से सैन्‍य तख्‍तापलट हो गया है। म्‍यामांर की सेना ने सोमवार तड़के तख्तापलट कर स्टेट काउंसलर आंग सान सू की को नजरबंजद कर लिया है। राजधानी नेपीडॉ में संचार के सभी माध्यम काट दिये गये हैं और फोन तथा इंटरनेट सेवा बंद है। आंग सांग सू की (75) की नैशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी पार्टी से संपर्क नहीं हो पा रहा है। सड़कों पर हर तरफ सेना को तैनात कर दिया गया है। म्‍यांमार की सेना की ओर से संचालित टीवी पर ऐलान किया गया है क‍ि सेना ने देश को अपने कब्‍जे में ले लिया है और एक साल के लिए आपातकाल घोष‍ित कर दिया है। म्‍यांमार में इस ताजा संकट के पीछे जिस व्‍यक्ति का हा‍थ है, उसका नाम सीनियर जनरल मिन आंग लाइंग और वह म्‍यांमार की सेना के कमांडर इन चीफ हैं। जनरल मिन अपनी क्रूरता के लिए पूरी दुनिया में कुख्‍यात हैं। आइए जानते हैं उनके बारे में सबकुछ......

Myanmar Coup Min Aung Hlaing: भारत के पड़ोसी देश म्‍यांमार में एक बार फिर से सेना ने तख्‍तापलट कर दिया है। इस तख्‍तापलट का नेतृत्‍व देश के सबसे ताकतवर शख्‍स सीनियर जनरल मिन आंग लाइंग ने किया है। आइए जानते हैं सीनियर जनरल मिन आंग लाइंग के बारे में सबकुछ....


Min Aung Hlaing: रोहिंग्‍या मुस्लिमों के खून से 'सने' हैं जनरल मिन के हाथ, म्‍यांमार में कर दिया तख्‍तापलट

लोकतंत्र की राह पर चल रहे म्‍यांमार में करीब 59 साल बाद एक बार फिर से सैन्‍य तख्‍तापलट हो गया है। म्‍यामांर की सेना ने सोमवार तड़के तख्तापलट कर स्टेट काउंसलर आंग सान सू की को नजरबंजद कर लिया है। राजधानी नेपीडॉ में संचार के सभी माध्यम काट दिये गये हैं और फोन तथा इंटरनेट सेवा बंद है। आंग सांग सू की (75) की नैशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी पार्टी से संपर्क नहीं हो पा रहा है। सड़कों पर हर तरफ सेना को तैनात कर दिया गया है। म्‍यांमार की सेना की ओर से संचालित टीवी पर ऐलान किया गया है क‍ि सेना ने देश को अपने कब्‍जे में ले लिया है और एक साल के लिए आपातकाल घोष‍ित कर दिया है। म्‍यांमार में इस ताजा संकट के पीछे जिस व्‍यक्ति का हा‍थ है, उसका नाम सीनियर जनरल मिन आंग लाइंग और वह म्‍यांमार की सेना के कमांडर इन चीफ हैं। जनरल मिन अपनी क्रूरता के लिए पूरी दुनिया में कुख्‍यात हैं। आइए जानते हैं उनके बारे में सबकुछ......



​जनरल मिन ने दी थी सैन्‍य तख्‍तापलट की चेतावनी
​जनरल मिन ने दी थी सैन्‍य तख्‍तापलट की चेतावनी

म्‍यांमार की सेना के कमांडर इन चीफ जनरल मिन ने कुछ दिनों पहले ही संकेत दिया था कि अगर चुनाव में धोखाधड़ी से जुड़ी उनकी मांगों को नहीं माना गया तो वह सैन्‍य तख्‍तापलट कर देंगे। सेना ने आरोप लगाया था कि पिछले साल नवंबर में हुए चुनाव में व्‍यापक पैमाने पर धोखाधड़ी हुई जिसमें आंग सांग सू की को भारी बहुमत मिला था। जनरल मिन ने सेना के अखबार मयावाडी में छपे अपने बयान में आंग सांग सू की सरकार को कड़ी चेतावनी दी थी। उन्‍होंने कहा था कि वर्ष 2008 का संविधान सभी कानूनों के लिए 'मदर लॉ' है और इसका सम्‍मान किया जाना चाहिए। जनरल मिन ने कहा, 'कुछ परिस्थितियों में यह आवश्‍यक हो सकता है कि इस संविधान को रद्द कर दिया जाए।' सेना का दावा है कि चुनाव में देशभर में चुनाव धोखाधड़ी के 86 लाख मामले सामने आए हैं। यह चुनाव वर्ष 2011 में करीब 5 दशक तक चले सैन्‍य शासन के बाद लोकतंत्र के बहाल होने पर दूसरी बार हुए थे। चुनाव विवाद के बीच सेना के समर्थन में देश के कई बड़े शहरों में प्रदर्शन भी हुए थे।



​रोहिंग्‍या मुस्लिमों के खून से 'सने' हैं जनरल मिन के हाथ
​रोहिंग्‍या मुस्लिमों के खून से 'सने' हैं जनरल मिन के हाथ

म्‍यांमार की सेना के कमांडर इन चीफ जनरल मिन पर सेना के जरिए रोहिंग्‍या मुस्लिमों के कत्‍लेआम के आरोप लगते रहे हैं। म्‍यांमार की सेना ने अगस्‍त 2017 में रखाइन प्रांत में खूनी अभियान चलाया था और इसमें कई रोहिंग्‍या मुस्लिम मारे गए थे। यही नहीं 5 लाख रोहिंग्‍या मुस्लिमों को देश छोड़कर पड़ोसी बांग्‍लादेश और अन्‍य देशों में भागना पड़ा था। इस दौरान म्‍यांमार की सेना पर रोहिंग्‍या मुस्लिमों को गोली मारने और धारदार हथियार से उनकी हत्‍या करने का आरोप लगा था। मानवाधिकार संगठनों का कहना है कि म्‍यांमार की सेना ने रोहिंग्‍या मुस्लिमों को उनके घरों में बंद करके उसे आग लगा दी थी। यही नहीं जनरल मिन के नेतृत्‍व वाली म्‍यांमार की सेना पर रोहिंग्‍या मुस्लिम समुदाय की महिलाओं के साथ गैंगरेप करने और यौन हिंसा का आरोप लगा था और इसके कई सबूत भी दिए गए थे। रोहिंग्‍या मुस्लिमों पर अत्‍याचार के दौरान नोबेल पुरस्‍कार विजेता आंग सांग सू की ने चुप्‍पी साधे रखी जिससे उनकी दुनियाभर में आलोचना हुई थी।



​सैनिक से नेता बने सीनियर जनरल मिन आंग लाइंग
​सैनिक से नेता बने सीनियर जनरल मिन आंग लाइंग

64 साल के जनरल मिन के बारे में कहा जाता है कि वह बहुत कम बोलते हैं और पर्दे के पीछे से रहकर काम करना पसंद करते हैं। उन्‍होंने यंगून यूनिवर्सिटी से 1972 से 1974 के बीच कानून की पढ़ाई की है। जनरल मिन ने वर्ष 2011 से सेना को संभाला और उसी समय म्‍यांमार लोकतंत्र की ओर आगे बढ़ा। यंगून में मौजूद राजनयिकों का कहना है कि आंग सांग सू की के पहले कार्यकाल के अंतिम दिनों के दौरान वर्ष 2016 में जनरल मिन ने खुद को एक सैनिक से एक राजनेता और सार्वजनिक व्‍यक्ति के रूप में बदल लिया। पर्यवेक्षकों का मानना है कि फेसबुक के जरिए अपनी गतिविधियों का प्रचार प्रसार करना इसी प्रयास का हिस्‍सा है। फेसबुक पर उनके प्रोफाइल को बंद किए जाने से पहले वर्ष 2017 तक लाखों लोगों ने उनके प्रोफाइल को फॉलो किया था। रोहिंग्‍या मुस्लिमों पर अत्‍याचार के बाद उनके प्रोफाइल को फेसबुक ने बंद कर दिया था। उन्‍होंने संसद की 25 फीसदी सीटों पर सेना के कब्‍जे और आंग सांग सू की के राष्‍ट्रपति बनने से रोक वाले कानून पर कोई समझौता नहीं किया। आंग सांग सू की के पति विदेशी नागरिक हैं और इसी वजह से वह राष्‍ट्रपति नहीं बन पाईं।



​सैन्‍य तख्‍तापलट के बाद अब जनरल मिन पर सबकी नजरें
​सैन्‍य तख्‍तापलट के बाद अब जनरल मिन पर सबकी नजरें

म्‍यांमार में सैन्‍य तख्‍तापलट के बाद अब सबकी नजरें जनरल मिन पर टिक गई हैं। सू ची की पार्टी ने संसद के निचले और ऊपरी सदन की कुल 476 सीटों में से 396 पर जीत दर्ज की थी जो बहुमत के आंकड़े 322 से कहीं अधिक था। लेकिन वर्ष 2008 में सेना द्वारा तैयार किए गए संविधान के तहत कुल सीटों में 25 प्रतिशत सीटें सेना को दी गयी हैं जो संवैधानिक बदलावों को रोकने के लिए काफी है। कई अहम मंत्री पदों को भी सैन्य नियुक्तियों के लिए सुरक्षित रखा गया है। सू ची देश की सबसे अधिक प्रभावशाली नेता हैं और देश में सैन्य शासन के खिलाफ दशकों तक चले अहिंसक संघर्ष के बाद वह देश की नेता बनीं। म्यामां में सेना को टेटमदॉ के नाम से जाना जाता है। सेना ने चुनाव में धोखाधड़ी का आरोप लगाया, हालांकि वह इसके सबूत देने में नाकाम रही। देश के स्टेट यूनियन इलेक्शन कमीशन ने पिछले सप्ताह सेना के आरोपों को खारिज कर दिया था।





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नेपीडॉ पड़ोसी देश म्‍यांमार में एक बार फिर से सैन्‍य तख्‍तापलट पर भारत ने गहरी चिंता जताई है। भारत के विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी करके कहा कि म्‍यांमार की घटनाएं चिंताजनक हैं। भारत ने कहा क‍ि हमने हमेशा ही म्‍यांमार में लोकतांत्रिक बदलाव की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने का समर्थन किया है। भारत ने कहा क‍ि वह घटना पर नजर बनाए हुए है। उधर, ऑस्‍ट्रेलिया, अमेरिका समेत दुनिया के कई देशों ने म्‍यांमार में सैन्‍य तख्‍तापलट पर अपनी तीखी प्रतिक्रिया दी है। भारत ने कहा क‍ि हम कानून के शासन में विश्‍वास करते हैं और लोकतांत्रिक प्रक्रिया को आवश्‍यक रूप से बरकरार रखा जाना चाहिए। इस बीच ऑस्‍ट्रेलिया ने भी बयान जारी करके म्‍यांमार में सैन्‍य तख्‍तापलट पर तीखी प्रतिक्रिया जताई है। ऑस्‍ट्रेलिया ने कहा कि वह लंबे समय से म्‍यांमार और उसके लोकतांत्रिक बदलाव का समर्थन किया है। हम सेना का आह्वान करते हैं कि वह कानून का सम्‍मान करे और विवादों का कानूनी तरीके से समाधान करे। साथ ही गिरफ्तार किए गए लोगों को तत्‍काल रिहा किया जाए। ऑस्‍ट्रेलिया ने चुनाव परिणामों का भी समर्थन किया। बाइडेन को दी गई जानकारी, अमेरिका ने चेताया इस बीच अमेरिका ने म्‍यांमार की सेना के ऐक्‍शन पर गहरी चिंता जताई है। राष्‍ट्रपति कार्यालय वाइट हाउस की प्रवक्‍ता जेन पास्‍की ने कहा कि अमेरिका उन रिपोर्टों से चिंतित है कि म्‍यांमार की सेना ने देश के लोकतांत्रिक बदलाव को खोखला कर दिया है और आंग सांग सू की को अरेस्‍ट कर लिया है। इस घटना के बारे में राष्‍ट्रपति जो बाइडेन को राष्‍ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ने जानकारी दी है। जेन पास्‍की ने कहा कि हम म्‍यांमार की लोक‍तांत्रिक ताकतों को समर्थन देते रहेंगे और सेना से अपील करेंगे कि सभी हिरासत में लिए गए लोगों को रिहा किया जाए। अमेरिका चुनाव परिणाम को बदलने या लोकतांत्रिक बदलाव में बाधा डालने के किसी भी प्रयास का विरोध करता है। उन्‍होंने चेतावनी दी कि अगर आज उठाए गए कदमों को वापस नहीं लिया गया तो अमेरिका कड़ी कार्रवाई करेगा। जेन ने कहा कि अमेरिका म्‍यांमार के लोगों के साथ खड़ा है और पूरी स्थिति पर नजर रखे हुए है। बता दें कि म्‍यांमार में सेना ने देश की नेता आंग सांग सू की और राष्‍ट्रपति यू विन म्यिंट को अरेस्‍ट कर लिया है। सेना की ओर से संचालित टीवी पर सोमवार को कहा गया कि सेना ने देश को अपने कब्‍जे में ले लिया है और एक साल के लिए आपातकाल घोष‍ित कर दिया है। पूर्व जनरल तथा उपराष्‍ट्रपति मिंट स्‍वे को कार्यकारी राष्‍ट्रपति बनाया गया है। उन्‍हें सेना प्रमुख का भी दर्जा दिया गया है। बताया जा रहा है कि किसी भी विरोध को कुचलने के लिए सड़कों पर सेना तैनात है और फोन लाइनों को बंद कर दिया गया है।


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वाशिंगटन म्‍यांमार में सैन्‍य तख्‍तापलट और नोबेल पुरस्‍कार विजेता आंग सांग सू की के अरेस्‍ट किए जाने पर अमेरिका ने वहां की सेना को धमकी दी है। अमेरिका ने चेतावनी दी कि अगर म्‍यांमार की सेना ने अपने आज के कदमों को वापस नहीं लिया तो बाइडेन प्रशासन इस पर कड़ी कार्रवाई करेगा। इस बीच अमेरिका के राष्‍ट्रपति को भी पूरी घटना से अवगत कराया गया है। पूरे घटनाक्रम पर अमेरिका अपनी पैनी नजर बनाए हुए है। अमेरिका ने म्‍यांमार की सेना के तख्‍तापलट पर गहरी चिंता जताई है। राष्‍ट्रपति कार्यालय वाइट हाउस की प्रवक्‍ता जेन पास्‍की ने कहा कि अमेरिका उन रिपोर्टों से चिंतित है कि म्‍यांमार की सेना ने देश के लोकतांत्रिक बदलाव को खोखला कर दिया है और आंग सांग सू की को अरेस्‍ट कर लिया है। इस घटना के बारे में राष्‍ट्रपति जो बाइडेन को राष्‍ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ने जानकारी दी है। 'सेना ने कदमों को वापस नहीं लिया गया तो कड़ी कार्रवाई' जेन पास्‍की ने कहा कि हम म्‍यांमार की लोक‍तांत्रिक ताकतों को समर्थन देते रहेंगे और सेना से अपील करेंगे कि सभी हिरासत में लिए गए लोगों को रिहा किया जाए। अमेरिका चुनाव परिणाम को बदलने या लोकतांत्रिक बदलाव में बाधा डालने के किसी भी प्रयास का विरोध करता है। उन्‍होंने चेतावनी दी कि अगर आज उठाए गए कदमों को वापस नहीं लिया गया तो अमेरिका कड़ी कार्रवाई करेगा। जेन ने कहा कि अमेरिका म्‍यांमार के लोगों के साथ खड़ा है और पूरी स्थिति पर नजर रखे हुए है। इससे पहले म्‍यांमार में सेना ने देश की नेता आंग सांग सू की और राष्‍ट्रपति यू विन म्यिंट को अरेस्‍ट कर लिया है। सत्‍तारूढ़ पार्टी NLD के प्रवक्‍ता ने यह जानकारी दी है। स्‍थानीय मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि सेना ने एक साल के लिए आपातकाल लगा दिया है और पूर्व जनरल तथा उपराष्‍ट्रपति मिंट स्‍वे को कार्यकारी राष्‍ट्रपति बनाया गया है। उन्‍हें सेना प्रमुख का भी दर्जा दिया गया है। सड़कों पर सेना तैनात है और फोन लाइनों को बंद कर दिया गया है। सेना ने सोमवार अल सुबह छापेमारी की इससे पहले एनएलडी के प्रवक्‍ता मयो न्‍यूंट ने कहा कि राष्‍ट्रपति आंग सांग सू की और पार्टी के अन्‍य वरिष्‍ठ नेताओं को सेना ने सोमवार अल सुबह छापेमारी की कार्रवाई के बाद हिरासत में ले लिया है। उन्‍होंने कहा कि सुबह-सुबह राष्‍ट्रपति आंग सांग सू की और अन्‍य नेताओं को 'उठाया' गया। मयो ने आशंका जताई कि उन्‍हें भी जल्‍द ही हिरासत में लिया जा सकता है।


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नेपीडॉ म्‍यांमार में सेना ने देश की नेता आंग सांग सू की और राष्‍ट्रपति यू विन म्यिंट को अरेस्‍ट कर लिया है। सत्‍तारूढ़ पार्टी NLD के प्रवक्‍ता ने यह जानकारी दी है। स्‍थानीय मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि सेना ने एक साल के लिए आपातकाल लगा दिया है और पूर्व जनरल तथा उपराष्‍ट्रपति मिंट स्‍वे को कार्यकारी राष्‍ट्रपति बनाया गया है। उन्‍हें सेना प्रमुख का भी दर्जा दिया गया है। सड़कों पर सेना तैनात है और फोन लाइनों को बंद कर दिया गया है। इससे पहले एनएलडी के प्रवक्‍ता मयो न्‍यूंट ने कहा कि राष्‍ट्रपति आंग सांग सू की और पार्टी के अन्‍य वरिष्‍ठ नेताओं को सेना ने सोमवार अल सुबह छापेमारी की कार्रवाई के बाद हिरासत में ले लिया है। उन्‍होंने कहा कि सुबह-सुबह राष्‍ट्रपति आंग सांग सू की और अन्‍य नेताओं को 'उठाया' गया। मयो ने आशंका जताई कि उन्‍हें भी जल्‍द ही हिरासत में लिया जा सकता है। यंगून शहर में हर तरफ सेना को तैनात कर दिया गया सैन्‍य तख्‍तापलट की आशंका के बीच सोमवार सुबह से ही राजधानी नेपीडॉ में फोन लाइन काम नहीं कर रही हैं। देश के चुनाव में नोबेल शांति पुरस्‍कार विजेता आंग सांग सू की की पार्टी NLD की जोरदार जीत के बाद आज म्‍यांमार में संसद की बैठक होने वाली थी। सेना ने इस 'तख्‍तापलट' पर अभी कोई बयान नहीं दिया है। एक प्रत्‍यक्षदर्शी ने बताया कि यंगून शहर में हर तरफ सेना को तैनात कर दिया गया है। वहीं सरकारी टीवी ने कहा है कि वह तकनीकी कारणों से प्रसारण करने में अक्षम है। इससे पहले म्यांमार में तख्तापलट की साजिश रचे जाने की खबरों के बीच देश की सेना ने रविवार को दावा किया था कि वह संविधान की रक्षा और पालन करेगी और कानून के मुताबिक ही काम करेगी। इस बयान के साथ सेना ने सैन्‍य तख्‍तापलट की आशंका को खारिज किया था। म्यांमार में 1962 में तख्तापलट किया गया था जिसके बाद 49 साल तक सेना का शासन रहा। 'गलत तरीके से पेश किया बयान' दरअसल, संयुक्त राष्ट्र महासचिव ऐंटोनियो गुतारेस और म्यांमार में पश्चिमी राजदूतों ने इसे लेकर आशंका जाहिर की थी। इसके बाद देश की सेना तत्पदौ (Tatmadaw) ने कहा है कि उसके कमांडर इन चीफ सीनियर जनरल मिन आंग लाइंग के बयान को गलत तरीके से पेश किया गया है। सेना ने कहा है, 'तत्पदौ 2008 के संविधान की रक्षा कर रही है और कानून के मुताबिक ही काम करेगी। कुछ संगठन और मीडिया जो चाहते हैं, उसे मान लिया है और लिखा है कि तत्पदौ संविधान को खत्म कर देगी।' 'लोगों की इच्छाओं को हो सम्मान' सेना की इस बयान को आंग सान सू ची की सत्ताधारी नैशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी पार्टी (NLD) ने 'उपयुक्त सफाई' बताया है। NLD प्रवक्ता म्यो न्युंट ने कहा है, 'पार्टी चाहती थी कि सेना ऐसा संगठन हो जो चुनाव को लेकर लोगों की इच्छाओं को स्वीकार करे।' नवंबर में हुए चुनाव में पार्टी ने भारी जीत दर्ज की थी। म्यांमार का संविधान सेना को संसद में 25% सीटें और तीन मंत्रालय का अधिकार देता है। संविधान खत्म करने की चेतावनी संसद के नए सत्र से पहले सेना ने चेतावनी दी थी कि चुनाव में वोट के फर्जीवाड़े की शिकायत पर अगर ऐक्शन नहीं लिया गया तो सेना 'ऐक्शन लेगी।' दरअसल, इस हफ्ते राजनीतिक तनाव बढ़ गया था जब सेना के प्रवक्ता ने तख्तापलट की संभावनाओं को खारिज करने से इनकार कर दिया था। वहीं, कमांडर इन चीफ ने यहां तक कह दिया था कि अगर संविधान का पालन नहीं किया गया तो उसे वापस ले लिया जाएगा। उन्होंने पहले ऐसा किए जाने की घटनाओं का जिक्र भी किया था। वहीं, सेना ने सफाई दी है कि कमांडर इन चीफ संविधान की अहमियत समझाना चाहते थे। देशभर में हुए प्रदर्शन विवाद के बीच सेना के समर्थन में देश के कई बड़े शहरों में प्रदर्शन भी हुए थे। शनिवार को देश की आर्थिक राजधानी यंगून में 200 लोगों ने बैनरों के साथ सेना के समर्थन में मार्च भी निकाला। लोग देश में विदेशी दखल का विरोध भी कर रहे हैं। वहीं, म्यांमार के निर्वाचन आयोग ने गुरुवार को सेना के आरोपों को खारिज किया है और कहा है कि वोटों को फर्जी करार देने लायक गलतियां नहीं पाई गई हैं।


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बोस्टन वैज्ञानिकों ने विषाणु संक्रमण की शुरुआत में फेफड़ों की हजारों कोशिकाओं के भीतर होने वाली आणविक गतिविधियों के बारे में अबतक तैयार किए गए अनुसंधानों से एक व्यापक खाका तैयार किया है जिससे कोविड-19 से निपटने वाली नई दवाई के विकास में मदद मिल सकती है। अमेरिका के बोस्टन विश्वविद्यालय समेत कई वैज्ञानिकों ने अपने विश्लेषण में पाया कि अमेरिकी खाद्य एवं औषधि प्रशासन (एडीए) द्वारा मंजूर की गई 18 मौजूदा दवाओं का इस्तेमाल कोविड-19 के खिलाफ किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि इनमें से पांच दवाइयां मानव फेफड़ों की कोशिकाओं में का प्रसार 90 फीसदी तक कम कर सकती हैं। यह अनुसंधान ''मोलेक्युलर सेल'' नाम की पत्रिका में प्रकाशित किया गया है। इस अनुसंधान में शामिल वैज्ञानिकों ने प्रयोगशाला में विकसित किए गए मानव फफड़ों की हजारों कोशिकाओं को एक साथ संक्रमित किया और इनकी गतिविधियों को देखा। उन्होंने कहा कि ये कोशिकाएं शरीर की कोशिकाओं से एकदम समान नहीं होती लेकिन उनसे मिलती जुलती होती हैं। बोस्टन विश्वविद्यालय में वायरस वैज्ञानिक एवं अनुसंधान के सह लेखक एल्के मुहलबर्गर ने कहा कि इस अनुसंधान में विषाणु के फेफड़ों की कोशिकाओं को संक्रमित करने के एक घंटे बाद से नजर रखी गई। उन्होंने कहा कि यह देखना काफी डरावना था कि संक्रमण के शुरुआत में ही विषाणु ने कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाना शुरू कर दिया। विषाणु अपनी प्रतिलिपियां नहीं बना सकता है तो वह कोशिकाओं के तंत्र के जरिए अपनी आनुवंशिक सामग्री की प्रतियां बनाता है। अनुसंधान में वैज्ञानिकों ने पाया कि जब एसएआरएस-सीओवी-2 संक्रमण होता है तो यह कोशिका की ‘मेटाबोलिक’ प्रक्रिया को पूरा तरह से बदल देता है। विषाणु संक्रमण के तीन से छह घंटे में ही कोशिका की आणविक झिल्ली (मेम्ब्रेंस) को भी क्षतिग्रस्त कर देता है। मुहलबर्गर ने बताया कि इसके विपरीत घातक इबोला विषाणु से संक्रमित कोशिकाओं में शुरुआत में कोई ढांचागत बदलाव नहीं दिखा है। उन्होंने बताया कि साथ ही संक्रमण के बाद के चरण में आणविक झिल्ली (मेम्ब्रेंस) सही सलामत रही।


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पेइचिंग पूरी दुनिया में जहां कोरोना वायरस की रफ्तार थम रही है, वहीं चीन में अब संक्रमण के मामलों में तेजी देखी जा रही है। चीन में जनवरी में कोविड-19 के 2,000 से अधिक नए मामले सामने आए है। बीते साल मार्च के बाद से चीन में एक महीने में संक्रमण के सबसे अधिक मामले सामने आए हैं। जनवरी में मिले 2000 से ज्यादा संक्रमित राष्ट्रीय स्वास्थ्य आयोग ने रविवार को कहा कि 1 से 30 जनवरी के बीच देश में 2,016 लोग कोरोना वायरस संक्रमित पाए गए हैं। इनमें विदेश से लौटे 435 संक्रमित शामिल नहीं हैं। आयोग ने कहा कि जनवरी में दो लोगों की मौत हुई है। चीन में कई महीनों के बाद कोरोना वायरस से मौत का यह पहला मामला है। डब्लूएचओ की टीम पहुंची वुहान वेट मार्केट कोविड-19 के उत्पत्ति स्थल की जांच कर रहे विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के विशेषज्ञों ने रविवार को वुहान के हुनान सीफूड मार्केट का दौरा किया। माना जाता है कि 2019 के अंत में वुहान से ही सबसे पहले कोरोना वायरस का प्रसार पशु से इंसान में हुआ था जिसने बाद में महामारी का रूप ले लिया। इस मांस बाजार के बंद होने से पहले इसमें अलग अलग तरह के जीवित पशुओं का व्यापार होता था। चमगादड़ या पेंगोलिन से फैला कोरोना? इस बात की आशंका है कि यहीं से कोरोना वायरस ने चमगादड़ या पैंगोलिंस से इंसानों में प्रवेश कर गया। अमेरिकी इको हेल्थ अलांयस समूह में प्राणी शास्त्री और डब्ल्यूएचओ की टीम के सदस्य पीटर डेसजाक ने कहा कि आज बहुत अहम स्थलों का दौरा किया। पहले थोक बाजार गए और फिर हुनान सीफूड मार्केट पहुंचे। कोविड के महामारी विज्ञान को समझने के लिए संयुक्त टीम के लिए यह बहुत सूचनापरक और अहम रहा, क्योंकि यह 2019 के अंत में फैलना शुरू हो गया था। दिसंबर में बंद किया गया था वुहान वेट मार्केट सीबीएस न्यूज नेटवर्क ने डेसज़ाक के हवाले से कहा कि वुहान में दिसंबर 2019 में कोरोना वायरस सामने आने के बाद बाजार को बंद कर दिया गया था और साफ किया गया था। फिर भी यह यात्रा अहम है क्योंकि इससे सामान और लोगों के बारे में जानकारी मिल सकती है। यह दौरा कड़ी सुरक्षा के बीच हुआ और इस बाजार को वायरस का स्रोत माना जाता है।


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उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग उन की पत्नी पिछले एक साल से लापता बताई जा रही हैं। इतने दिनों से सार्वजनिक रूप से नजर नहीं आने के बाद अटकलें हैं कि किम जोंग ने ही उनको गायब करवा दिया है। जबकि, पश्चिमी मीडिया के अनुसार, किम जोंग की पत्नी री सोल जू का स्वास्थ्य काफी दिनों से खराब चल रहा है। कोरोना वायरस के संक्रमण के डर से भी उन्होंने सार्वजनिक रूप से कहीं भी आना-जाना स्थगित किया हुआ है। कुछ महीने पहले किम जोंग उन को लेकर भी ऐसे ही कयास लगाए जा रहे थे।

kim Jong Un News: उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग उन की पत्नी पिछले एक साल से लापता बताई जा रही हैं। इतने दिनों से सार्वजनिक रूप से नजर नहीं आने के बाद अटकलें हैं कि किम जोंग ने ही उनको गायब करवा दिया है।


kim Jong Un Wife: किम जोंग उन की पत्नी साल भर से हैं लापता, तानाशाह पर गायब करवाने का शक!

उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग उन की पत्नी पिछले एक साल से लापता बताई जा रही हैं। इतने दिनों से सार्वजनिक रूप से नजर नहीं आने के बाद अटकलें हैं कि किम जोंग ने ही उनको गायब करवा दिया है। जबकि, पश्चिमी मीडिया के अनुसार, किम जोंग की पत्नी री सोल जू का स्वास्थ्य काफी दिनों से खराब चल रहा है। कोरोना वायरस के संक्रमण के डर से भी उन्होंने सार्वजनिक रूप से कहीं भी आना-जाना स्थगित किया हुआ है। कुछ महीने पहले किम जोंग उन को लेकर भी ऐसे ही कयास लगाए जा रहे थे।



25 जनवरी 2020 से नहीं दिखी हैं किम जोंग की पत्नी
25 जनवरी 2020 से नहीं दिखी हैं किम जोंग की पत्नी

एक्सप्रेस डॉट को डॉट यूके की रिपोर्ट के अनुसार, किम जोंग उन की पत्नी री सोल-जू को आखिरी बार 25 जनवरी 2020 को देखा गया था। इस तारीख को वह उत्तर कोरिया की राजधानी प्योंगयांग में लूनर न्यू ईयर परफॉर्मेंस के दौरान अपने पति किम जोंग के बगल में बैठी हुईं थीं। तब से उन्हें किसी भी राष्ट्रीय कार्यक्रमों में भी नहीं देखा गया है। री सोल जू को कहीं भी अपनी मर्जी से जाने की इजाजत नहीं है। यहां तक कि उनकी अकेले की ऑफिशल ट्रिप्स भी न के बराबर होती हैं। उन्हें हमेशा पति किम जोंग उन के साथ ही देखा जाता है। री सोल जहां जाएंगी और कहां नहीं? यह भी पहले से तय किया जाता है।



उत्तर कोरिया के मिलिट्री परेड में भी नहीं दिखीं किम की पत्नी
उत्तर कोरिया के मिलिट्री परेड में भी नहीं दिखीं किम की पत्नी

10 अक्टूबर 2020 को प्योंगयांग में बड़े मिलिट्री परेड का आयोजन किया गया था। हर साल री सोल जू अपने पति के साथ इस कार्यक्रम में शरीक होती थीं, लेकिन इस साल वह नदारद रहीं। इसी के बाद उनके स्वास्थ्य को लेकर कई अटकलें तेजी से वायरल हैं। कई लोग आशंका जता रहे हैं कि किम जोंग उन ने उन्हें गायब करवा दिया होगा। कहा जाता है कि री को पब्लिक इवेंट्स में खासतौर से तब लाया जाता है जब किम जोंग उन के सॉफ्ट साइड को दुनिया को दिखाना होता है। इतना ही नहीं, पत्नी के साथ होने पर किम के लिए कपड़े भी ज्यादा स्टाइलिश चुने जाते हैं।



किम की पत्नी को लेकर तीन तरह की अफवाह
किम की पत्नी को लेकर तीन तरह की अफवाह

डेली एनके के रिपोर्ट के अनुसार, उत्तर कोरिया के लोग री सोल जू को लेकर तीन तरह की अटकलें लगा रहे हैं। पहला- देश की प्रथम महिला किसी तरह की स्वास्थ्य समस्या का सामना कर रही हैं। दूसरा- लोगों का मानना है कि किम जोंग की चाची किम क्यूंग-हुई की तबीयत बेहद खराब है और री सोल जू उनकी देखभाल कर रही हैं। तीसरा- री अपनी बेटी की शिक्षा पर फोकस कर रही हैं, क्योंकि उसने हाल में ही स्कूली शिक्षा शुरू की है।



किम जोंग के चाची की देखभाल कर रही री सोल?
किम जोंग के चाची की देखभाल कर रही री सोल?

बता दें कि किम जोंग उन ने साल 2011 में अपने पिता की मौत के बाद उत्तर कोरिया की सत्ता संभाली थी। इस दौरान उनके चाचा जैंग सोंग-थेक जो उत्तर कोरिया में सुधार कार्यक्रम को चलाना चाहते थे उनकी किम जोंग से खटपट हुई। जिसके कारण किम ने 2013 में अपने चाचा को मरवा दिया था। कहा जाता है कि उनकी पत्नी की देखभाल अब किम जोंग उन की पत्नी करती हैं।





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मॉस्को रूस में राष्ट्रव्यापी प्रदर्शन को जारी रखते हुए रविवार को हजारों लोग विपक्षी नेता की रिहाई की मांग करते हुए सड़कों पर उतरे हुए हैं। यह भीड़ पुतिन चोर है, पुतिन इस्तीफा दो के नारे भी लगा रही है। इस प्रदर्शन से क्रेमलिन (रूसी सरकार का मुख्यालय) हलकान है। एक निगरानी संगठन के अनुसार पुलिस ने 2,300 से अधिक लोगों को हिरासत में लिया है। रूसी अधिकारी प्रदर्शन से निपटने के लिये हरसंभव कोशिश कर रहे हैं। पिछले हफ्ते भी हुआ था प्रदर्शन पिछले सप्ताह के अंत में पूरे रूस में हजारों लोगों ने प्रदर्शन किया था। हाल के वर्षों में हुए विरोध का यह सबसे मुखर स्वरूप है। कैद करने की धमकियों, सोशल मीडिया समूहों को चेतावनी एवं दंगारोधी पुलिस का डर दिखाये जाने के बावजूद रविवार को कई शहरों में जबर्दस्त प्रदर्शन हुआ। नवेलनी को पुलिस ने किया है गिरफ्तार राष्ट्रपति के आलोचक और भ्रष्टाचार विरोधी मुहिम चलाने वाले नवलेनी को जर्मनी से लौटने पर 17 जनवरी को गिरफ्तार कर लिया गया था। नवलनी नर्व एजेंट (जहर) के प्रभाव से उबरते हुए पांच महीने से जर्मनी में स्वास्थ्य लाभ ले रहे थे। उन्होंने क्रेमलिन पर यह जहर देने का आरोप लगाया । रूस के अधिकारी नवलनी के आरोपों का खंडन करते रहे हैं। नवलनी को पेरौल की शर्तों का कथित रूप से उल्लंघन करने को लेकर गिरफ्तार किया गया। अमेरिका ने नवेलनी की रिहाई की मांग की अमेरिका ने रूस से नवेलनी को रिहा करने की अपील की है और प्रदर्शनों पर दमनात्मक कार्रवाई की निंदा की है। अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन ने ट्वीट किया कि अमेरिका लगातार दूसरे सप्ताह शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे लोगों एवं पत्रकारों पर लगातार कठोर कार्रवाई की निंदा करता है। राजनीतिक गिरफ्तारियों पर नजर रखने वाले संगठन ओवीडी -इन्फो के अनुसार रविवार को पुलिस ने विभिन्न शहरों में 2,300 से अधिक लोगों को हिरासत में लिया है। मॉस्को में अभूतपूर्व सुरक्षा इंतजाम मॉस्को में कई अभूतपूर्व सुरक्षा कदम उठाए गए हैं और क्रेमलिन (रूसी सरकार के मुख्यालय) के पास सबवे (मेट्रो) स्टेशन बंद कर दिए गए हैं, बसों का मार्ग बदल दिया गया है। रेस्तरां तथा दुकानों आदि को बंद रखने का आदेश दिया गया है। नवेलनी की टीम ने शुरू में मॉस्को के लुबयांका स्क्वायर पर प्रदर्शन का आह्वान किया था जहां संघीय सुरक्षा सेवा का मुख्यालय है। खुद को जहर दिये जाने के लिये नवलनी इसी सुरक्षा एजेंसी को जिम्मेदार मानते हैं। पुतिन इस्तीफा दो के लग रहे नारे पुलिस ने जब इस स्थान को सुरक्षा घेरे में ले लिया तब उससे एक मील की दूरी पर प्रदर्शन स्थानांतरित कर दिया गया। सिटी सेंटर में सैंकड़ों प्रदर्शनकारियों ने ‘पुतिन इस्तीफा दो’ ,‘ पुतिन चोर है’ के नारे लगाते हुए मार्च किया। बाद में कुछ प्रदर्शनकारियों ने मात्रोसाकाया तिशिना जेल की ओर कूच किया जहां नवलनी को रखा गया है। दंगा रोधी पुलिस ने हालांकि उन्हें खदेड़ दिया तथा कई लोगों को हिरासत में ले लिया। नवेलनी की पत्नी समेत हजारों हिरासत में मॉस्को में नवेलनी की पत्नी यूलिया समेत 500 से ज्यादा लोग हिरासत में लिये गये। उनकी पत्नी प्रदर्शन में शामिल हुई थीं। उत्तरी साइबेरिया के नोवोसिबिर्स्क में रैली में हजारों लोग शामिल हुए। यहां 100 से अधिक लोगों को हिरासत में लिया गया और यह सबसे बड़ी रैलियों में से एक थी। सेंट पीटर्सबर्ग में भी मार्च निकाला गया। अन्य शहरों में भी विरोध मार्च निकाले जाने की खबर है। सरकार ने प्रदर्शनकारियों को जारी की चेतावनी गृह मंत्रालय ने लोगों को प्रदर्शन में शामिल होने के विरूद्ध कड़ी चेतावनी दी है और कहा कि उन्हें दंगे में शामिल होने का आरोपी बनाया जाएगा जिसकी सजा आठ साल कैद है। पुलिस के विरूद्ध हिंसा करने पर 15 साल तक कैद हो सकती है। तेईस जनवरी के प्रदर्शन में करीब 4000 लोग कथित रूप से हिरासत में लिये गये थे। नवलनी की गिरफ्तारी के बाद उनकी टीम ने यू्ट्यूब पर एक वीडियो डाला था जिसमें पुतिन के लिए कथित रूप से काला सागर में एक मकान बनाये जाने का आरोप लगाया गया था। इस वीडियो से असंतोष भड़का।


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पेइचिंग भारत, अमेरिका और ताइवान समेत दुनिया के अधिकतर देशों से उलझे चीन के नौसैनिकों की हालत पस्त होने लगी है। चीन की एक सरकारी रिपोर्ट में दावा किया गया है कि उसके नौसैनिक मनौवैज्ञानिक समस्याओं से जूझ रहे हैं। ऐसे में चीनी सेना को हमेशा युद्ध के लिए तैयार रहने के आदेश देने वाले की चिंता बढ़ने वाली है। मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे चीनी सैनिक रिपोर्ट के अनुसार, एक नए रिसर्च में यह जानकारी सामने आई है कि के पनडुब्बी बल में कार्यरत, विशेष रूप से दक्षिण चीन सागर में तैनात नाभिकीय पनडुब्बियों में काम करने वाले हर पांच में से एक नौसैनिक मानसिक स्वास्थ्य की समस्याओं से जूझ रहा है। हाल के वर्षों में चीन ने दक्षिण चीन सागर में अपनी नौसेना की तैनाती बढ़ा दी है और अमेरिकी नौसेना द्वारा स्वतंत्र रूप से आवाजाही पर बल देने से यह क्षेत्र युद्ध का एक नया स्थल बन गया है। चीन के नौसैनिक चिकित्सकीय विश्वविद्यालय की रिपोर्ट में खुलासा शंघाई के नौसैनिक चिकित्सकीय विश्वविद्यालय की ओर से 500 नौसैनिकों और अधिकारियों पर किए गए अध्ययन में सामने आया है कि चीन के नौसैनिक मनोवैज्ञानिक समस्याओं से जूझ रहे हैं। हांगकांग स्थित साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट की खबर के अनुसार नौसैनिकों से पूछे गए प्रश्नों के जवाब के आधार पर निष्कर्ष निकाला गया कि 21 प्रतिशत कर्मियों में मानसिक स्वास्थ्य से संबंधित कुछ समस्याएं हैं। मोटापे से भी जूझ रहा चीन अध्ययन के अनुसार चीन की पनडुब्बियों में काम करने वाले नौसैनिक, घबराहट और मानसिक भय जैसी दिक्कतों का सामना कर रहे हैं। इससे पहले भी ऐसी रिपोर्ट आ चुकी है कि चीन के सैनिक मोटापे की समस्या से जूझ रहे हैं। उनके खानपान को लेकर कई बार रिपोर्ट सार्वजनिक हो चुकी है। जिसमें व्यायाम न करने और जंक फूड खाने के कारण चीनी सैनिकों में मोटापे की समस्या पाई गई थी।


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ओस्लो साल 2021 के के लिए नामांकन का दौर खत्म हो चुका है। इस बार जिन लोगों के बीच पुरस्कार के लिए जंग देखने को मिलेगी उसमें अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, रूस में विपक्षी नेता एलेक्सी नवेलनी, जलवायु परिवर्तन एक्टिविस्ट ग्रेटा थनबर्ग और विश्व स्वास्थ्य संगठन शामिल हैं। ट्रंप को छोड़कर बाकी के तीनों उम्मीदवारों को नार्वे के सांसदों ने नामांकित किया है। बता दें कि नोबेल शांति पुरस्कार के लिए विजेता चुनने का ट्रैक रिकॉर्ड नार्वे के इन सांसदों के नाम ही है। विजेता चुनने का ट्रैक रिकॉर्ड नार्वे के नाम इन उम्मीदवारों के अलावा दुनियाभर के हजारों लोगों ने नोबेल शांति पुरस्कार के लिए अप्लाई किया हुआ है। इसमें कई देशों के सांसदों के अलावा पूर्व नोबेल विजेता भी शामिल हैं। रविवार को यानी आज नोबेल शांति पुरस्कारों के लिए नामांकन बंद हो गया है। पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट ओस्लो के निदेशक हेनरिक उराल्ड ने कहा कि नार्वे के सांसदों ने 2014 के बाद से हर साल जिसे शांति पुरस्कारों के लिए नामित किया है, उसी में से किसी एक के नाम यह खिताब दर्ज हुआ है। हाल के वर्षों से पैटर्न काफी आश्चर्यजनक है। नॉमिनेशन का खुलासा नहीं करती है नोबेल कमेटी नॉर्वेजियन नोबेल कमेटी के निणर्य पर यह निर्भर करेगा कि यह पुरस्कार किसे दिया जाएगा। यह कमेटी नॉमिनेशन पर कभी भी कोई टिप्पणी नहीं करती है। नोबेल कमेटी 50 साल तक नामांकित और असफल उम्मीदवारों के नाम को गुप्त भी रखती है। हालांकि, अगर नामांकित व्यक्ति अपने नाम का खुलासा करना चाहे तो उसे सार्वजनिक किया जा सकता है। कौन हैं ग्रेटा थनबर्ग ग्रेटा थनबर्ग को जलवायु संकट के खिलाफ लड़ाई में सबसे अग्रणी वक्ता के रूप में जाना जाता है। उन्होंने कई बार अपने भाषणों से लोगों को दिल जीता है। इसके अलावा डोनाल्ड ट्रंप के साथ उनकी ट्विटर वॉर की भी खूब चर्चा हुई थी। दिसंबर 2020 में स्वीडन की इस 16 साल की पर्यावरण ऐक्टिविस्ट को प्रतिष्ठित टाइम मैगजीन ने 2019 का 'पर्सन ऑफ द ईयर' चुना गया था। पुतिन के विरोधी हैं एलेक्सी नवेलनी ऐलेक्सी नवेलनी रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के घोर विरोधी हैं। कुछ महीने पहले उन्होंने आरोप लगाता था कि रूसी खुफिया एजेंसी ने उन्हें जहर देकर मारने की कोशिश की। जिसके बाद उन्हें इलाज के लिए जर्मनी जाना पड़ा। कुछ दिनों पहले ही रूस वापस लौटने पर उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया, जिसके बाद पुतिन के खिलाफ जबरदस्त विरोध प्रदर्शन जारी है।


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यरुशलम कोरोना वायरस महामारी से पैदा हुई परिस्थिति को देखते हुए ने के साथ आपसी दुश्मनी तक को भुला दिया है। इजरायल के रक्षा मंत्री बेनी गेंट्ज के हवाले से बताया गया है कि तेल अवीव से जल्द ही फिलिस्तीन को कोरोना वैक्सीन की सप्लाई की जाएगी। यह वैक्सीन फिलिस्तीन में अग्रिम मोर्चों पर तैनात स्वास्थ्य कर्मियों को लगाई जाएगी। फिलिस्तीन तक वैक्सीन न पहुंचाने पर घिरा हुआ था इजरायल ऐसा पहली बार हुआ है जब इजरायल ने फिलिस्तीन को टीके देने को लेकर पुष्टि की है। फिलिस्तीन को टीके मुहैया नहीं कराने को लेकर इजरायल संयुक्त राष्ट्र के अधिकारियों और मानवाधिकार समूहों की ओर से आलोचना का सामना कर रहा था। इजराइल ने कहा था कि वह इसके लिये जिम्मेदार नहीं है। दुनिया में सबसे तेज टीकाकरण कर रहा इजरायल अंतरराष्ट्रीय दवा निर्माता कंपनियों फाइजर और मॉडर्ना के साथ खरीद समझौता होने के बाद इजराइल में लोगों को टीके लगाए जा रहे हैं। दावा तो यह भी किया जा रहा है कि दुनिया में सबसे तेज वैक्सीनेशन करते हुए इजरायल ने अपनी 80 फीसदी आबादी को अबतक टीका लगा दिया है। वहीं, फिलिस्तीन में टीकाकरण कार्यक्रम अभी शुरू नहीं हुआ है। इजरायल और फिलिस्तीन के बीच विवाद की क्या है वजह इजरायल और फिलिस्तीन के बीच विवाद 20वीं सदी में शुरू हुआ था। यह विवाद काफी बड़ा है और कई मुद्दों को अपने भीतर समेटे हुए है। यीशुव (फलस्तीन में रहने वाले यहूदी) और ऑटोमन-ब्रिटिश शासन के तहत फिलिस्तीन में रहने वाली अरब आबादी के बीच हुए विवाद को मौजूदा टकराव का हिस्सा माना जाता है। इजरायल और फिलिस्तीन के बीच विवाद के प्रमुख मुद्दों में एक-दूसरे के अस्तित्व को मान्यता, सीमा, सुरक्षा, जल अधिकार, येरूशलम पर नियंत्रण, इस्राइली बस्तियां, फलस्तीन का आजादी आंदोलन और शरणार्थियों की समस्या का हल भी शामिल हैं। 50 लाख के करीब है फिलिस्तीन की आबादी फिलिस्तीन की आबादी 50 लाख के आसपास है और जनसंख्या के आधार पर फिलिस्तीन दुनिया में 121वें नंबर पर है। फिलिस्तीन की 99 फीसदी आबादी शफी-ए-इस्लाम का पालन करती है जो सुन्नी मुस्लिम धर्म की एक शाखा है। दुनिया में 136 देश फिलिस्तीन को मान्यता देते हैं।


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इस्लामाबाद कश्मीर में लगातार भारत को परेशान करने की कोशिश में जुटा पाकिस्तान अपने सदाबहार दोस्त चीन तक नई सड़क बनाने जा रहा है। आशंका जताई जा रही है कि इस सड़क के जरिए चीन और पाकिस्तान साथ मिलकर कश्मीर में भारतीय सेना के लिए मुश्किलें बढ़ा सकते हैं। प्रस्तावित सड़क से चीन के शिनजियांग में स्थित यारकंद तक बनाई जाएगी। बता दें कि गिलगित बाल्टिस्तान भारत का अभिन्न अंग है जिसे पाकिस्तान ने अवैध रूप से कब्जा किया हुआ है। सड़क का सैन्य इस्तेमाल करेंगे चीन और पाकिस्तान साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, वर्तमान में चीन और पाकिस्तान केवल कराकोरम राजमार्ग से जुड़े हुए हैं। इस सड़क को 1978 में खुन्नजादाब दर्रे में एक क्रॉसिंग बनाकर पूरा किया गया था। दुर्गम इलाके से होकर गुजरने वाली इस सड़क से चीन और पाकिस्तान की सामरिक जरुरतें पूरा नहीं हो पा रही थीं। ठंड के मौसम में अत्याधिक बर्फबारी के कारण यह रास्ता बंद हो जाता है। ऐसे में इस नई सड़क के जरिए पाकिस्तान, चीन तक की सप्लाई रूट को पूरे साल खोले रखने की तैयारी में है। पर नजर रखना चाहते हैं दोनों दुश्मन पाकिस्तान का यह रास्ता सियाचिन के उत्तर से गुजरने वाला है। ऐसे में संभावना जताई जा रही है कि चीन और पाकिस्तान इस सड़क के जरिए अपने सामरिक हितों को जरूर साधेंगे। बता दें कि 740 किलोमीटर लंबी भारत पाकिस्तान सीमा के सुदूर उत्तर में सियाचिन स्थित है। इसके पूर्व से चीन के साथ लगी वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) की शुरुआत भी होती है, जिसकी लंबाई 3,488 किमी के आसपास है। स्कार्दू एयरबेस से जुड़ी होगी यह सड़क गिलगित बाल्टिस्तान की सरकार ने लोक निर्माण विभाग को 15 जनवरी को निर्देश दिया गया था कि वह शिनजियांग से लगे मुस्तग दर्रे से ट्रको के निकलने के लिए 10 मीटर चौड़ी सड़क के लिए प्रोजेक्ट कॉन्सेप्ट क्लीयरेंस प्रपोजल तैयार करें। प्रस्तावित नई सड़क शिनजियांग में यारकंद से जुड़ी होगी जो लद्दाख के पश्चिम में 126 किलोमीटर की दूरी पर गिलगित बाल्टिस्तान में प्रवेश करेगी। इससे स्कार्दू भी कनेक्ट होगा, जहां पाकिस्तान एयरफोर्स की एयरबेस बनी हुई है। चीन के इंजिनियर बनाएंगे पाकिस्तान की सड़क सुरंगों से भरी इस सड़क के निर्माण में पाकिस्तान चीन के इंजिनियरों की सहायता लेगा। क्योंकि, पाकिस्तान के पास ऐसे इंजिनियर और मशीनरी नहीं है जो इतने मुश्किल इलाके में सड़क को बना सके। बता दें कि हाल में ही हुए चुनाव में पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक ए इंसाफ ने गिलगित बाल्टिस्तान में जीत हासिल की थी। इस समय इमरान खान भी भारत के खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं। ऐसे में राज्य की सरकार अपने पीएम को खुश करने के लिए इस प्लान पर काम करने जा रही है। सड़क निर्माण के लिए पैसा कहां से लाएगा कंगाल पाकिस्तान पाकिस्तान की आर्थिक हालात इस समय बेहद खराब है। कर्ज के बोझ से दबे पाकिस्तान के पास शायद ही इतना पैसा हो जो इतने मुश्किल इलाके में सड़क बनाने के लिए फाइनेंस कर पाए। पाकिस्तान के कर्ज की रफ्तार हर साल 11.5 फीसदी की दर से बढ़ रही है। उधर, चीन को छोड़कर बाकी देश पाकिस्तान को नया कर्ज देने में भी आनाकानी कर रहे हैं। ऐसे में इस प्रोजक्ट के शुरू होने पर ही सवालिया निशान बने हुए हैं।


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इस्लामाबाद के अल कायदा सरगना का साथ कथित संबंधों के खुलासे के बाद पाकिस्तान में बवाल मचा हुआ है। दरअसल अमेरिका में पाकिस्तान की राजदूत रहीं ने दावा किया था कि ओसामा बिन लादेन ने पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ का समर्थन और फंडिंग की थी। इस खुलासे के बाद से लंदन में भगोड़े की जिंदगी गुजार रहे नवाज शरीफ इमरान खान की पार्टी के निशाने पर हैं। नवाज को फाइनेंस करता था ओसामा पाकिस्तान के एक निजी चैनल के साथ इंटरव्यू में पाकिस्तान की पूर्व राजदूत आबिदा हुसैन ने कहा कि हां, ओसामा बिन लादेन ने एक समय में मियां नवाज शरीफ का समर्थन किया था। हालांकि, यह एक जटिल कहानी है। ओसामा, नवाज शरीफ को फाइनेंस भी करता था। आबिदा ने कहा कि एक समय में ओसामा बिन लादेन अमेरिका सहित सभी लोगों के बीच लोकप्रिय था। उसे कई देशों में काफी पसंद भी किया गया, लेकिन बाद में उसे एकदम अजनबी बना दिया गया। कौन हैं आबिदा हुसैन आबिदा हुसैन पाकिस्तान की जानी मानी राजनेता और डिप्लोमेट हैं। उन्हें नवाज शरीफ का करीबी भी बताया जाता है। अपने पहले कार्यकाल के दौरान नवाज शरीफ ने आबिदा हुसैन के चुनाव हारने के बाद उन्हें अमेरिका का राजदूत बनाकर पुरस्कृत किया था। बाद के कार्यकाल में शरीफ ने आबिदा हुसैन को अपने कैबिनेट में भी शामिल किया था। पाकिस्तान के परमाणु कार्यक्रम की रची रुपरेखा उन्होंने खुलासा किया कि अमेरिका में राजदूत रहने के दौरान उनकी अधिकतर बातचीत उस समय राष्ट्रपति रहे गुलाम इशाक खान के साथ ही होती थी। पाकिस्तानी राष्ट्रपति ने पाकिस्तान के परमाणु कार्यक्रम को पूरा होने तक आबिदा को अमेरिकियों को बातचीत में व्यस्त रखने का काम सौंपा था। उन्होंने दावा किया कि अमेरिकी प्रशासन ने परमाणु कार्यक्रम के क्रियान्वयन के लिए पाकिस्तान को सलाह दी। इसमें अमेरिका के कई राजनयिक, सीनेटर और कांग्रेसमैन शामिल थे। पाकिस्तानी राष्ट्रपति के साथ था सीधा संपर्क आधुनिक उपकरणों के अभाव में उनके और राष्ट्रपति इशाक खान के बीच संचार के स्रोत के बारे में पूछे जाने पर आबिदा हुसैन ने खुलासा किया कि उन्होंने 18 महीनों के दौरान राष्ट्रपति से ब्रीफिंग प्राप्त करने के लिए पांच बार पाकिस्तान का दौरा किया। वह टैपिंग के डर से फोन का इस्तेमाल करने से बचती थीं। चूंकि परमाणु कार्यक्रम राष्ट्रपति के दायरे में था, इसलिए उनकी अधिकांश बातचीत उनके साथ होती थी, न कि प्रधानमंत्री के साथ।


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पेइचिंग लद्दाख में सीमा विवाद को भड़काकर चीन दिखावे के लिए लगातार शांति का राग अलाप रहा है। चीन के विदेश मंत्रालय ने फिर एक बार कहा है कि भारत के साथ द्विपक्षीय संबंधों का सीमा विवाद से कोई वास्ता नहीं है। चीन बार-बार ऐसे बयान देकर दुनिया की नजर में खुद को पाक-साफ पेश करने की कोशिश कर रहा है। हालांकि, जमीनी स्तर पर वह अब भी विवाद को हल करने के लिए कोई भी ठोस कदम नहीं उठा रहा। सीमा विवाद का द्विपक्षीय संबंधों पर असर नहीं: चीन चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियान ने भारतीय विदेश मंत्री के हाल में ही भारत चीन संबंधों पर दिए गए बयान पर कहा कि सीमा विवाद के मुद्दे को नई दिल्ली के साथ समग्र संबंधों के विकास के साथ नहीं जोड़ा जाएगा। हम भारत के साथ अपने द्विपक्षीय रिश्तों को मजबूत करने की दिशा में काम कर रहे हैं। चीनी प्रवक्ता ने यह भी कहा कि भारतीय विदेश मंत्री के बयान का महत्व हमारे द्विपक्षीय रिश्तों से जुड़ा हुआ है। क्या कहा था एस जयशंकर ने गुरुवार को चीनी अध्ययन पर 13वें अखिल भारतीय सम्मेलन को डिजिटल माध्यम से संबोधित करते हुए जयशंकर ने कहा था कि पूर्वी लद्दाख में पिछले वर्ष हुई घटनाओं ने दोनों देशों के संबंधों को गंभीर रूप से प्रभावित किया है। साथ ही उन्होंने स्पष्ट किया कि वास्तविक नियंत्रण रेखा का कड़ाई से पालन और सम्मान किया जाना चाहिए और यथास्थिति को बदलने का कोई भी एकतरफा प्रयास स्वीकार्य नहीं है। जयशंकर ने कहा था कि भारत और चीन के संबंध दोराहे पर हैं और इस समय चुने गए विकल्पों का न केवल दोनों देशों बल्कि पूरी दुनिया पर प्रभाव पड़ेगा । चीन आखिर क्या समझाना चाहता है भारत के साथ सीमा विवाद को भड़काकर चीन फंसा हुआ है। आर्थिक स्तर पर चीन ने भारत में बड़े पैमाने पर निवेश कर रखा था। हालांकि, लद्दाख में तनाव बढ़ने के बाद भारत ने एक के बाद एक चीन को आर्थिक मोर्चे पर कई झटके दिए हैं। यहां तक कि चीन के कई ऐप्स को भी भारत ने स्थायी तौर पर प्रतिबंधित कर दिया था। अब चीन चाहता है कि भारत के साथ अपने रिश्तों को सामान्य कर वह आर्थिक स्तर पर बड़े नुकसान से बच जाए। चीन को 4.9 लाख करोड़ के निर्यात की है चिंता भारत और चीन के बीच हर साल करीब 6 लाख करोड़ का द्विपक्षीय व्यापार होता है। सीमा विवाद के बाद से इस व्यापार में भारी कमी देखने को मिल रही है। चीन हर साल भारत को करीब 4.9 लाख करोड़ रुपये का निर्यात करता है। जबकि भारत चीन को केवल 1.2 लाख करोड़ का निर्यात ही कर पाता है। ऐसे में अबतक चीन फायदे में था। लेकिन निर्यात गड़बड़ाने से चीन की आर्थिक व्यवस्था पर गहरा प्रभाव देखने को मिल रहा है। भारत की दर्जनों कंपनियों में चीन का भारी निवेश चीन की कंपनियों ने भारत में दर्जनों कंपनियों ने निवेश किया है। टेंशेट ने भारत की 19 कंपनियों में, शुनवाई कैपिटल ने 16 कंपनियों में, स्वास्तिका 10 कंपनियों में, शाओमी 8 कंपनियों में, फोसुन RZ कैपिटल 6 कंपनियों में, हिलहाउस कैपिटल ग्रुप 5 कंपनियों में, एनजीपी कैपिटल 4 कंपनियों में, अलीबाबा ग्रुप 3 कंपनियों में, ऐक्सिस कैपिटल पार्टनर्स 3 कंपनियों में और BAce ने 3 कंपनियों में निवेश किया है। शायद इसी डर के कारण सरकार ने पिछले दिनों चीन से आने वाले FDI के नियम में बदलाव कर दिया है।


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पेइचिंग चीन ने भ्रष्टाचार के खिलाफ बड़ी कार्रवाई करते हुए हुआरोंग एसेट मैनेजमेंट कंपनी के पूर्व चेयरमैन को मौत की सजा दी है। यह बैंकर शी जिनपिंग की पार्टी कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना का सक्रिय सदस्य भी था। इसके बावजूद न्यायपालिका ने देश से भ्रष्टाचार मिटाने और लोगों के बीच घूसखोरी को लेकर दहशत पैदा करने के लिए इस बैंकर को मौत दी है। जांच के दौरान शियाओमिन के पेइचिंग स्थित अपार्टमेंट से भारी मात्रा में पैसे भी बरामद हुए थे। मौत के तरीके का खुलासा नहीं शियाओमिन को चीनी कोर्ट ने 5 जनवरी को मौत की सजा सुनाई थी। जिसके बाद 29 जनवरी को उन्हें मौत दे दी गई। चीनी मीडिया ने अभी तक यह नहीं बताया है कि इस बैंकर को मौत देने के लिए किस तरीके को चुना गया था। देने के लिए आधिकारिक तौर पर फांसी या जहर वाला इंजेक्शन दिया जाता है। 2026 करोड़ रुपये की घूसखोरी का था मामला चीन के इस बैंकर के ऊपर 2008 से लेकर 2018 के बीच लगभग 2026 करोड़ रुपये की घूसखोरी का आरोप लगाया गया था। लंबी सुनवाई के बाद चीन की तिआनजिन पीपुल्स कोर्ट ने 5 जनवरी को बैंकर को दोषी मानते हुए मौत की सजा का ऐलान किया था। जिसके बाद चीन की सुप्रीम कोर्ट ने भी शियाओमिन की फांसी की सजा को रिव्यू किया। लेकिन, सबूतों को देखते हुए बैंकर की मौत की सजा को बरकरार रखा गया। दो-दो शादियां करने का भी था आरोप इस बैंकर ने अपनी पहली पत्नी और बच्चों को छोड़कर नया परिवार भी बसा लिया था। जिसके बाद कोर्ट ने इस मामले पर भी फैसला सुनाते हुए किसी और महिला के साथ रहने का दोषी पाया था। जिसके बाद कोर्ट ने दोनों मामलों में दोषी बताते हुए न केवल उसकी सभी संपत्तियों को सीज कर दिया, बल्कि उसके सभी राजनीतिक अधिकारों को भी खत्म कर दिया था। एक और बैंकर को उम्रकैद की सजा दे चुका है चीन चीन ने इसी साल जनवरी शुरुआत में एक प्रमुख सरकारी बैंक के पूर्व प्रमुख को भ्रष्टाचार के मामले में आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। चेंगदे की कोर्ट ने हु हुआएबांग नाम के एक पूर्व बैंक अधिकारी को 2009 से 2019 के बीच 8.55 करोड़ युआन (करीब 97 करोड़ रुपये) रिश्वत लेने का दोषी ठहराया था। हु कर्ज देने वाले दुनिया के सबसे धनी बैंकों में से एक चीन विकास बैंक में कम्युनिस्ट पार्टी के सचिव भी थे।


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अंटार्कटिका की बर्फ को 'टाइम कैप्सूल' भी कहते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि यहां दशकों, सदियों पुराने रहस्य बर्फ ने संभालकर रखे हैं। इस बर्फ में खोज कर रहे रिसर्चर्स के हाथ अब कुछ ऐसा लगा है जिससे धरती और मंगल ग्रह के बीच तार जोड़े जा सकते हैं। दरअसल, यहां एक ऐसा खनिज मिला है जो धरती पर बेहद दुर्लभ है और इसके मंगल पर पाए जाने की संभावना ज्यादा है। इस खोज के आधार पर धरती और मंगल की स्थितियों के बीच समानता खोजने की संभावना बढ़ जाती है।

Mars Mineral in Antarctica: मंगल पर पाया जाने वाला दुर्लभ खनिज अंटार्कटिका की बर्फ में पाया गया है। इसकी मदद से दोनों ग्रहों के बीच समानता खोजी जा सकेगी।


अंटार्कटिका में मिला मंगल पर पाया जाने वाला खनिज, धरती और लाल ग्रह के बीच जुड़े हैं तार?

अंटार्कटिका की बर्फ को 'टाइम कैप्सूल' भी कहते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि यहां दशकों, सदियों पुराने रहस्य बर्फ ने संभालकर रखे हैं। इस बर्फ में खोज कर रहे रिसर्चर्स के हाथ अब कुछ ऐसा लगा है जिससे धरती और मंगल ग्रह के बीच तार जोड़े जा सकते हैं। दरअसल, यहां एक ऐसा खनिज मिला है जो धरती पर बेहद दुर्लभ है और इसके मंगल पर पाए जाने की संभावना ज्यादा है। इस खोज के आधार पर धरती और मंगल की स्थितियों के बीच समानता खोजने की संभावना बढ़ जाती है।



मंगल पर होता है पैदा
मंगल पर होता है पैदा

जरोसाइट (jarosite) ऐसा खनिज है जो मंगल पर भारी मात्रा में पाया जाता है। माना जाता है कि एक वक्त पर मंगल की स्थिति ऐसी थी कि यह खनिज पैदा हो सके। पीले-भूरे रंग का यह खनिज पानी और अम्ल की मौजूदगी में पैदा होता है। मंगल पर अब पानी नहीं लेकिन सतह के नीचे यह पाया गया है। सबसे पहले NASA के Mars Opportunity रोवर ने 2004 में इसे खोजा था और उसके बाद से यह मंगल पर कई जगहों पर मिला है। (फोटो: @g_baccolo)



बर्फ में पहली बार मिला दुर्लभ खनिज
बर्फ में पहली बार मिला दुर्लभ खनिज

धरती पर यह ज्वालामुखियों के पास मिल सकता है लेकिन यह बेहद दुर्लभ है। बर्फ के नीचे इसका मिलना तो अब तक नामुमकिन माना जा रहा था लेकिन अब इस खोज ने सबको हैरान कर दिया है। इसके बारे में इसी महीने नेचर कम्यून्केशन्स में पेपर छपा है। मिलान-बिकोका यूनिवर्सिटी के जियॉलजिस्ट जियोवनी बकोलो ने इस बारे में ट्वीट भी किया है। उन्होंने कहा है कि उनके मुताबिक ऐसा पहली बार है जब मंगल पर पाए जाने वाला जियोकेमिकल प्रोसेस अंटार्कटिक की बर्फ की कोर में ढूंढा जा रहा है।



दोनों ग्रहों में समानता की खोज
दोनों ग्रहों में समानता की खोज

उनकी टीम यहां दूसरे खनिज ढूंढ रही थी लेकिन जरोसाइट मिल गया। हालांकि, यह बेहद कम मात्रा में है लेकिन एक्स-रे से पता चला है कि यह जरोसाइट ही है। यह रिसर्च इसलिए बेहद खास हो जाती है कि क्योंकि एक से खनिज बनने के लिए समान जरूरतों के जरिए दोनों ग्रहों में समानता खोजने की संभावना बढ़ जाती है।



अंटार्कटिका और मंगल में है संबंध?
अंटार्कटिका और मंगल में है संबंध?

गौरतलब है कि कुछ वक्त पहले मंगल के दक्षिणी ध्रुव पर बर्फ के नीचे तीन विशाल सॉल्टवॉटर झीलें मिलने की बात एक स्टडी में सामने आई थी। ऐसी ही झीलें धरती पर भी होती हैं जिनमें extremophiles यानी ऐसे सूक्ष्मजीव रहते हैं जो बेहद गर्म या बेहद ठंडे पर्यावरण में रह सकते हैं। ये जीव बिना ऑक्सिजन, जीरो से कम तापमान और ऐसे नमकीन पानी में रह सकते हैं जहां दूसरे जीव नहीं टिक सकते हैं। ये धरती पर अंटार्कटिक डीप लेक (Antarctic Deep Lake) में पाए जाते हैं और हो सकता है कि मंगल की झीलों में भी ऐसे ही जीव मिल जाएं।





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इस्लामाबाद पाकिस्तान की राजनीति से लेकर आम लोगों की जिंदगी पर चीन ने किस तरह नियंत्रण हासिल कर रखा है, यह पाकिस्तानी सेना के एक जनरल के ताजा बयान से साफ हो गया है। इस अधिकारी ने यह कहकर तहलका मचा दिया है कि बलूचिस्तान की आजादी के आंदोलन को दबाने में चीन की भूमिका है। उन्होंने कहा है कि पेइचिंग ने उन्हें बलूचों का संघर्ष खत्म करने के लिए 6 महीने का वक्त दिया है। 'सबसे बड़ा दुश्मन ईरान' बांग्लादेशी अखबार द डेली सन ने पाकिस्तानी सेना के मेजर जनरल अयमान बिलाल के हवाले से लिखा है कि उन्हें बलूच आंदोलन को खत्म करने के लिए क्षेत्र में तैनात किया गया है। बिलाल ने ईरान को पाकिस्तान का सबसे बड़ा दुश्मन बताया है और चेतावनी दी है कि पाक सेना ईरान के अंदर जाकर ऐक्शन लेगी। अखबार के मुताबिक बिलाल ने कहा है, 'चीन ने मुझे सैलरी और बड़ी रकम दी है और आधिकारिक रूप से मुझे क्षेत्रीय हितों के लिए यहां तैनात किया है ताकि मैं चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) के खिलाफ ईरान की साजिश को खत्म कर सकूं।' गरीब बलूचिस्तान का शोषण पाकिस्तान ने बलूचिस्तान में कई विकासकार्य शुरू किए हैं लेकिन अभी भी यह देश का सबसे कम आबादी वाला सबसे गरीब कोना है। बागी संगठन यहां दशकों से अलगाववादी उग्रवाद की लड़ाई लड़ रहे हैं। उनकी शिकायत है कि केंद्र सरकार और अमीर पंजाब प्रांत उनके संसादनों का दोहन करता है। इस्लामाबाद ने 2005 में उग्रवाद के खिलाफ सैन्य ऑपरेशन छेड़ दिया था। चीन के दखल से आक्रोश वहीं, 2015 में चीन ने CPEC का ऐलान किया था जिसका एक हिस्सा बलूचिस्तान भी है। यह बलूचिस्तान में ग्वादर पोर्ट को चीन के शिनजियांग प्रांत से जोड़ेगा। इसके तहत सड़कों, रेल और तेल की पाइपलाइन का काम भी किया जाएगा जिससे चीन को मध्य पूर्व से जोड़ा जा सके। बलूचिस्तान के राजनीतिक और मिलिटेंट अलगाववादी चीन के दखल के खिलाफ हैं। उनके आक्रामक रवैये और हमलों के कारण इस प्रॉजेक्ट को नुकसान हो रहा है। यहां तक कि चीन के अधिकारियों और मजदूरों पर भी हमले किए गए हैं। 'चीन, पाक के लिए अहम CPEC' बिलाल का कहना है कि चीन और पाकिस्तान के लिए CPEC की सफलता और बलूच आंदोलन का खत्म होना बेहद जरूरी है। उनका कहना है कि इसके लिए उनके पास खूब पैसे हैं। ईरान को बलूचिस्तान में और अशांति फैलाने और CPEC के खिलाफ साजिश का मौका नहीं दिया जा सकता। CPEC के जरिए चीन पाकिस्तान के साथ-साथ मध्य और दक्षिण एशिया में अपना दबदाब कायम कर अमेरिका और भारत के सामने चुनौती पेश करना चाहता है।


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Saturday 30 January 2021

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वॉशिंगटन दो बोइंग 747 से भी बड़ा एक 1 फरवरी को धरती के करीब से गुजरेगा। अमेरिकी स्पेस एजेंसी NASA ने इसे 'खतरनाक' की श्रेणी में रखा है। हालांकि, यह धरती से करीब से गुजर जाएगा और टक्कर की आशंका नहीं है। 2020 TB12 नाम का ऐस्टरॉइड 145 मीटर लंबा है। यह हमारे सौर मंडल से 8.9 किलोमीटर प्रति सेकंड की स्पीड से गुजरेगा। ज्यादा नहीं है दूरी यह सोमवार को धरती से 6.8 लूनर डिस्टेंस (LD) यानी 26 लाख किलोमीटर से भी ज्यादा दूर से गुजरेगा। NASA की नियर अर्थ ऑब्जेक्ट्स (NEO) श्रेणी के मुताबिक यह दूरी काफी कम है। NASA की जेट प्रोपल्शन लैबरेटरी (JPL) के मुताबिक, 'NEO ऐसे धूमकेतु और ऐस्टरॉइड होते हैं जो पास के ग्रहों के गुरुत्वाकर्षण के कारण उनकी कक्षा में चले जाते हैं। ये अहम इसलिए होते हैं क्योंकि माना जाता है कि 4.6 अरब साल पहले सौर मंडल के बनने के साथ पैदा हुए ये ऑब्जेक्ट अब तक बदले नहीं हैं।' बदल सकता है रास्ता? इस कारण उनकी स्टडी से ब्रह्मांड से जुड़े कई सवालों के जवाब मिल सकते हैं। 2020 TB12 के धरती से टकराने की आशंका नहीं है। हालांकि, गुरुत्वाकर्षण के कारण इसके रास्ते में बदलाव हो सकता है। इसके अलावा सूरज की गर्मी से पिघलने और फिर ठंडा होने पर रेडिएशन के उत्सर्जन से भी इनका रास्ता बदल सकता है। इसे Yarkovsky इफेक्ट कहते हैं। रेडिएशन की वजह से ऐस्टरॉइड पर फोर्स थ्रस्टर की तरह काम करती है। इसके बावजूद इस ऐस्टरॉइड से खतरा नहीं है। इसे potentially hazardous ऐस्टरॉइड्स की श्रेणी में इसलिए रखा गया है क्योंकि कभी आगे भविष्य में यह धरती के ज्यादा करीब आ भी सकता है।


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सूरज की निगरानी कर रहे तीन स्पेसक्राफ्ट्स ने कुछ ऐसी तस्वीरें ली हैं, जिन्हें देखकर शायद इंसान को ब्रह्मांड में अपनी जगह का अंदाजा लग सके। अमेरिकी स्पेस एजेंसी NASA के तीन सोलर मिशन स्पेसक्राफ्ट्स ने हमारे सौर मंडल की ऐतिहासिक तस्वीरें अपने कैमरे में कैद की हैं। अलग-अलग जगहों से ली गईं इन तस्वीरों में विशाल ब्रह्मांड में सूरज का चक्कर काट रहे धरती, शुक्र, मंगल, बुध, बृहस्पति, अरुण और शनि ग्रह दिखाई दे रहे हैं। इन तस्वीरों ने Voyager 1 से ली गई धरती की सबसे मशहूर तस्वीर, Pale Blue Dot की याद दिला दी है।

Earth Images by Solar Probes: सूरज पर नजर रख रहे NASA के स्पेसक्राफ्ट्स ने धरती और सौर मंडल के दूसरे ग्रहों की तस्वीरें ली हैं।


अनंत, काले ब्रह्मांड में कहां है इंसान...अंतरिक्ष की तस्वीरों में दिखी डॉट जैसी धरती, सौर मंडल के साथी भी

सूरज की निगरानी कर रहे तीन स्पेसक्राफ्ट्स ने कुछ ऐसी तस्वीरें ली हैं, जिन्हें देखकर शायद इंसान को ब्रह्मांड में अपनी जगह का अंदाजा लग सके। अमेरिकी स्पेस एजेंसी NASA के तीन सोलर मिशन स्पेसक्राफ्ट्स ने हमारे सौर मंडल की ऐतिहासिक तस्वीरें अपने कैमरे में कैद की हैं। अलग-अलग जगहों से ली गईं इन तस्वीरों में विशाल ब्रह्मांड में सूरज का चक्कर काट रहे धरती, शुक्र, मंगल, बुध, बृहस्पति, अरुण और शनि ग्रह दिखाई दे रहे हैं। इन तस्वीरों ने Voyager 1 से ली गई धरती की सबसे मशहूर तस्वीर, Pale Blue Dot की याद दिला दी है।



अलग-अलग ऐंगल से लीं तस्वीरें
अलग-अलग ऐंगल से लीं तस्वीरें

NASA का पार्कर सोलर प्रोब, सोलर ऐंड टेरेस्ट्रियल रिलेशन्स ऑब्जर्वेटरी (STEREO) और ESA के साथ पार्टनरशिप वाला सोलर ऑर्बिटर सूरज पर और उसके आसपास हो रही गतिविधियों पर नजर रखते हैं। ये तीनों सौर मंडल में अलग-अलग जगहों पर हैं। ये सूरज के बाहरी वायुमंडल की बेहद तेज गर्मी, सौर मंडल में मौजूद सूरज की धूल और सौर आंधी जैसी चीजों को स्टडी करते हैं। अपने मिशन के दौरान सौर मंडल में घूमते हुए इन तीनों क्राफ्ट्स ने कई ग्रहों की तस्वीरें अलग-अलग ऐंगल से ली हैं।



​सोलर ऑर्बिटर
​सोलर ऑर्बिटर

ESA के साथ भेजे गए सोलर ऑर्बिटर मिशन ने पिछले साल 18 नवंबर को बेहद रोचक तस्वीर भेजी थी। इसमें तेज चमक वाला शुक्र (Venus), अरुण (Uranus), धरती और मंगल (Mars) देखे जा सकते हैं। जब यह डेटा भेजा गया, सोलर ऑर्बिटर धरती से 25 करोड़ किलोमीटर दूर था। खास बात यह थी कि इस फुटेज में अरुण भी शामिल है, यह संभावना एक यूजर ने जताई थी और इसके बाद वैज्ञानिकों ने इसकी पुष्टि की थी। इस तस्वीर में सूरज दिख नहीं रहा लेकिन वह तस्वीर के दायीं ओर था।



​पार्कर सोलर प्रोब
​पार्कर सोलर प्रोब

NASA के पार्कर सोलर प्रोब सूरज के सबसे करीब जाने वाला है और यह सौर आंधी की उत्पत्ति को स्टडी करेगा। पिछले साल 7 जून को इसने एक तस्वीर भेजी थी जिसमें हमारे सौर मंडल के 6 ग्रह दिख रहे थे। इस तस्वीर में मंगल, शनि, बृहस्पति, शुक्र, धरती और बुध देखे जा सकते हैं। जब यह तस्वीर भेजी गई, तब यह मिशन धरती से 15 करोड़ किलोमीटर दूर था।



STEREO
STEREO

इस मिशन ने भी 7 जून को उन्हीं ग्रहों की तस्वीर भेजी थी, जिन्हें पार्कर ने देखा था। हालांकि, इसका ऐंगल अलग था। इसने बुध, मंगल, शुक्र, धरती, शनि और बृहस्पति को इसी क्रम में स्पॉट किया। STEREO का काम है सूरज के बाहरी वायुंमडल (Corona) को स्टडी करना। साथ ही यह सौर आंधी को स्टडी कर सूरज के मौसम से जुड़े पूर्वानुमान को सटीकता देता है।





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नेपीडॉ की साजिश रचे जाने की खबरों के बीच देश की सेना ने दावा किया है कि वह संविधान की रक्षा और पालन करेगी और कानून के मुताबिक ही काम करेगी। इस बयान के साथ उन अटकलों को विराम देने की कोशिश की गई है जिनके मुताबिक सेना सत्ता अपने हाथ में लेने की कोशिश कर रही थी। म्यांमार में 1962 में तख्तापलट किया गया था जिसके बाद 49 साल तक सेना का शासन रहा। 'गलत तरीके से पेश किया बयान' दरअसल, संयुक्त राष्ट्र महासचिव ऐंटोनियो गुतारेस और म्यांमार में पश्चिमी राजदूतों ने इसे लेकर आशंका जाहिर की थी। इसके बाद देश की सेना तत्पदौ (Tatmadaw) ने कहा है कि उसके कमांडर इन चीफ सीनियर जनरल मिन आंग लाइंग के बयान को गलत तरीके से पेश किया गया है। सेना ने कहा है, 'तत्पदौ 2008 के संविधान की रक्षा कर रही है और कानून के मुताबिक ही काम करेगी। कुछ संगठन और मीडिया जो चाहते हैं, उसे मान लिया है और लिखा है कि तत्पदौ संविधान को खत्म कर देगी।' 'लोगों की इच्छाओं को हो सम्मान' सेना की इस बयान को आंग सान सू ची की सत्ताधारी नैशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी पार्टी (NLD) ने 'उपयुक्त सफाई' बताया है। NLD प्रवक्ता म्यो न्युंट ने कहा है, 'पार्टी चाहती थी कि सेना ऐसा संगठन हो जो चुनाव को लेकर लोगों की इच्छाओं को स्वीकार करे।' नवंबर में हुए चुनाव में पार्टी ने भारी जीत दर्ज की थी। म्यांमार का संविधान सेना को संसद में 25% सीटें और तीन मंत्रालय का अधिकार देता है। क्यों पीछे हटी सेना? वहीं, विश्लेषक भी मान रहे हैं कि सेना ने तख्तापलट का अपना इरादा बदल दिया है। म्यांमार के विश्लेषक रिचर्ड हॉर्सी ने कहा है कि सेना के तख्तापलट की चेतावनी से पीछे हटने का क्या मतलब है और देश की स्थिरता पर इसका क्या असर होगा, यह तब पता चलेगा जब और ज्यादा जानकारी सामने आएगी, जो अभी तक छिपी हुई है। संविधान खत्म करने की चेतावनी संसद के नए सत्र से पहले सेना ने चेतावनी दी थी कि चुनाव में वोट के फर्जीवाड़े की शिकायत पर अगर ऐक्शन नहीं लिया गया तो सेना 'ऐक्शन लेगी।' दरअसल, इस हफ्ते राजनीतिक तनाव बढ़ गया था जब सेना के प्रवक्ता ने तख्तापलट की संभावनाओं को खारिज करने से इनकार कर दिया था। वहीं, कमांडर इन चीफ ने यहां तक कह दिया था कि अगर संविधान का पालन नहीं किया गया तो उसे वापस ले लिया जाएगा। उन्होंने पहले ऐसा किए जाने की घटनाओं का जिक्र भी किया था। वहीं, सेना ने सफाई दी है कि कमांडर इन चीफ संविधान की अहमियत समझाना चाहते थे। देशभर में हुए प्रदर्शन विवाद के बीच सेना के समर्थन में देश के कई बड़े शहरों में प्रदर्शन भी हुए थे। शनिवार को देश की आर्थिक राजधानी यंगून में 200 लोगों ने बैनरों के साथ सेना के समर्थन में मार्च भी निकाला। लोग देश में विदेशी दखल का विरोध भी कर रहे हैं। वहीं, म्यांमार के निर्वाचन आयोग ने गुरुवार को सेना के आरोपों को खारिज किया है और कहा है कि वोटों को फर्जी करार देने लायक गलतियां नहीं पाई गई हैं।


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इस्लामाबाद कोरोना वायरस से पीड़ित मरीजों की सुनामी तले दबे पाकिस्तान को वैक्सीन के लिए मार्च तक इंतजार करना पड़ेगा। विश्व स्वास्थ्य संगठन की पहल Covax के जरिए पड़ोसी देश को 60 लाख खुराकें फरवरी में डिलिवर करना शुरू किया जाएगा। गौरतलब है कि पाकिस्तान को जिस AstraZeneca वैक्सीन के मिलने की उम्मीद है, उसका उत्पादन भारत में सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया कर रहा है। चीन की वैक्सीन का भी इंतजार पाकिस्तान के योजना एवं विकास मंत्री असद उमर ने बताया है कि WHO से इस बारे में खत मिला है। उसे 2021 के पहले भाग में कुल 1.7 करोड़ खुराकें मिलने की उम्मीद है। असद ने बताया है कि करीब 8 महीने पहले देश ने कोवैक्स में शामिल होने का फैसला किया था। वहीं, दूसरी ओर प्रधानमंत्री के विशेष सहायक ने भी बताया है कि AstraZeneca की करीब 70 ला खुराकों के साथ चीन की SinoPharm वैक्सीन की 5 लाख खुराकें भी लोगों को मुफ्त मिल सकेंगी। पाकिस्तान में अगले हफ्ते से वैक्सिनेशन शुरू होगा और सबसे पहले फ्रंटलाइन हेल्थकेयर वर्करों को वैक्सीन दी जाएगी। पाकिस्तान में ऑक्सफर्ड-AstraZeneca और Sinopharm के अलावा रूस की Sputnik-V को भी मंजूरी दे दी गई है। क्या है COVAX? कोवैक्स फसिलटी कोरोना वैक्सीन को लेकर एक ग्लोबल कोलैबोरेशन है। इसका मकसद वैक्सीन डिवेलपमेंट, प्रॉडक्शन और हर किसी तक इसकी पहुंच बनाने की है। इस कोलैबोरेशन का नेतृत्व Gavi की तरफ से किया जा रहा है। Gavi एपिडेमिक प्रिपेयर्डनेस इनोवेशन (CEPI) और WHO का गठजोड़ है। एकबार जब कोरोना वैक्सीन तैयार हो जाएगी, कोवैक्स फसिलटी अपने सदस्य देशों तक इसकी पहुंच का काम करेगी। इसने 2021 के अंत तक 200 करोड़ डोज अपने सदस्य देशों तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा है।


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मॉस्को रूस के राष्ट्रपति के सीक्रेट पैलेस पर बढ़ते बवाल के बीच एक नया मालिक प्रकट हुआ है। रूसी अरबपति बिजनेसमैन अर्कडी रोटेनबर्ग ने दावा किया है कि ब्लैक सी हवेली राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की नहीं, बल्कि उनकी है। राष्ट्रपति पुतिन भी इस पैलेस को लेकर लगाए गए आरोपों को नकार चुके हैं। रोटेनबर्ग को पुतिन का करीबी बिजनेसमैन माना जाता है। नवेलनी के दावे के बाद विवादों में पुतिन पुतिन के इस सीक्रेट पैलेस का खुलासा उनके सबसे बड़े आलोचक एलेक्सी नवेलनी ने एक वीडियो में किया था। नवेलनी की गिरफ्तारी के बाद उनकी टीम ने इस वीडियो को अपलोड किया था जिसे अबतक 100 मिलियन से अधिक बार देखा जा चुका है। के खुलासे के बाद रूसी राष्ट्रपति के खिलाफ विरोध प्रदर्शन और तेज हो गया है। अपार्टमेंट होटल बनाने की तैयारी में रोटेनबर्ग रूसी मीडिया को दिए गए इंटरव्यू में रोटेनबर्ग ने दावा किया कि कुछ साल पहले ही इस पैलेस को लेकर मैंने अपने लेनदारों के साथ डील की थी। जिसके बाद से मैं इस हवेली का मालिक बन गया हूं। रोटेनबर्ग ने कहा कि कि कुछ साल में यह संपत्ति पूरी तरह से मेरी हो जाएगी। उन्होंने भविष्य में इसे एक अपार्टमेंट होटल बनाने की उम्मीद भी जताई है। विवादों में क्यों घिरा यह महल दरअसल क्रेमलिन के आलोचर एलेस्की नवेलनी की गिरफ्तारी के बाद से उनकी टीम ने इस महल का वीडियो शेयर किया था। जिसके बाद से राष्ट्रपति पुतिन की संपत्ति को लेकर विवाद बढ़ गया है। नवेलनी की जांच में दावा किया गया है कि इस संपत्ति की कीमत 1.37 बिलियन डॉलर के आसपास है। जिसे इतिहास के सबसे बड़े रिश्वत के रूप में पुतिन को दिया गया था। आरोपों को पुतिन कर चुके हैं खारिज कुछ दिन पहले ही पुतिन ने इन आरोपों को खारिज कर दिया था। उन्होंने सीधे तौर पर इनकार करते हुए कहा था कि इस महल का स्वामित्व न तो उनके पास और न ही उनके परिवार के किसी अन्य सदस्य के पास है। उन्होंने नवेलनी के इस वीडियो को उबाऊ और झूठा बताया था। अर्केडी रोटेनबर्ग कौन है? रोटेनबर्ग को रूस में विशाल कंस्ट्रक्शन फर्म का मालिक बताया जा रहा है। रोटेनबर्ग की कंपनी पुलों और गैस पाइपलाइनों जैसी बुनियादी सुविधाओं का निर्माण का काम करती है। उन्हें पुतिन के पूर्व बचपन के दोस्त और जूडो पार्टनर के रूप में जाना जाता है। 2014 से अमेरिका ने रोटेनबर्ग पर प्रतिबंध भी लगाया हुआ है।


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काठमांडू नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने फिर एक बार भगवान राम के जन्मस्थान को लेकर विवाद पैदा करने की कोशिश की है। उन्होंने चितवन में के अपने धड़े के एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि राम के जन्मस्थान में मंदिर का निर्माण कार्य शुरू हो चुका है। ओली का इशारा बीरगंज के पास स्थित एक जगह से है जिसे वे पहले भी असली अयोध्या करार दे चुके हैं। हालांकि, तब उनके बयान का भारत ही नहीं, नेपाल के नेताओं ने भी कड़ी आपत्ति जताते हुए विरोध किया था। भगवान राम और सीता की मूर्तियों को बनाने का काम जारी उन्होंने कहा कि अयोध्यापुरी में राम मंदिर के निर्माण के लिए एक मास्टर प्लान बनाया जा रहा है। भगवान राम की मूर्ति का निर्माण पहले ही हो चुका है जबकि मां सीता की मूर्ति निर्माणाधीन है। उन्होंने यह भी कहा कि लक्ष्मण और हनुमान की मूर्तियों को भी बनाया जाएगा। अगले साल राम नवमी को भगवान राम की जन्मस्थली अयोध्यापुरी में एक एक भव्य तरीके प्राण प्रतिष्ठा समारोह का आयोजन किया जाएगा। इतिहास को झुठलाकर पर्यटन स्थल बनाने का दावा कर रहे ओली ओली ने यह भी दावा किया कि इसके बाद यह क्षेत्र एक शानदार पर्यटन स्थल में बदल जाएगा। कई तीर्थयात्री इसे अपना गंतव्य स्थल बना लेंगे। ओली ने उम्मीद जताई कि मंदिर के निर्माण के बाद चितवन दुनिया के हिंदुओं, पुरातत्वविदों, सभ्यता और सांस्कृतिक विशेषज्ञों के लिए एक बड़ा आकर्षण का केंद्र बन जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि चितवन और अयोध्यापुरी धार्मिक पर्यटन के लिए एक तीर्थस्थल बनाकर देश की समृद्धि में बड़ा योगदान निभाएंगे। अयोध्या राग क्यों छेड़ रहे ओली? नेपाल में इन दिनों राजनीतिक सरगर्मियां तेज हैं। संसद भंग करने के बाद देश में नए सिरे से चुनाव कराए जाने की तैयारी चल रही है। ओली की नेपाली कम्युनिस्ट पार्टी भी दो फाड़ हो चुकी है। ऐसे में आधी ताकत के साथ सत्ता पर फिर से काबिज होने के लिए ओली ऐसे उलजलूल बयान दे रहे हैं। इतना ही नहीं, आने वाले दिनों में वे भारत के साथ सीमा विवाद को लेकर भी भड़काऊ बयान दे सकते हैं। भारत की अयोध्या को नकली बता चुके हैं ओली जुलाई 2020 में ओली ने भारत की अयोध्या को नकली बताते हुए असली बीरगंज के पास होने का दावा किया था। बिना किसी ऐतिहासिक प्रमाण के ओली ने अयोध्या के नेपाल में होने का दावा किया था। ओली ने दावा किया था कि हमने भारत में स्थित अयोध्या के राजकुमार को सीता नहीं दी। बल्कि नेपाल के अयोध्या के राजकुमार को दी थी। अयोध्या एक गांव हैं जो बीरगंज के थोड़ा पश्चिम में स्थित है। भारत में बनाया गया अयोध्या वास्तविक नहीं है। नेपाली अयोध्या को लेकर दिया था यह तर्क ओली ने तब तर्क दिया था कि अगर भारत की अयोध्या वास्तविक है तो वहां से राजकुमार शादी के लिए जनकपुर कैसे आ सकते हैं। उन्होंने दावा किया कि विज्ञान और ज्ञान की उत्पत्ति और विकास नेपाल में हुआ। उन्होंने दावा किया था कि ऐतिहासिक तथ्यों को तोड़ा मरोड़ा गया है।


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इस्लामाबाद कोरोना वायरस की मार झेल रहे कंगाल पाकिस्तान को वैक्सीन लाने के लिए खुद का विमान चीन भेजना पड़ रहा है। बताया जा रहा है कि चीन ने सिनोवेक की कोरोना वैक्सीन फ्री में देने के एवज में पाकिस्तान के सामने शर्त रखी थी कि वह खुद के खर्च से इस वैक्सीन को लेकर जाए। लेकिन, गरीबी से जूझ रहे पाकिस्तान ने एक हवाई जहाज भेजने की प्लानिंग करने में ही कम से कम 1 महीना खर्च कर दिया। अब इमरान खान सरकार ने फैसला किया है कि रविवार को एक विशेष विमान इस्लामाबाद से कोरोना वैक्सीन की पांच लाख खुराक लाने के लिए भेजा जाएगा। पाकिस्तान को फ्री में 5 लाख वैक्सीन दे रहा चीन गौरतलब है कि चीन सरकार ने ये टीके अपने करीबी सहयोगी देश पाकिस्तान को मुहैया करने का वादा किया है। राष्ट्रीय कमान एवं अभियान केंद्र (एनसीओसी) ने यहां टीका प्रशासन की रणनीति पर एक बैठक में शनिवार को कहा कि देश टीकाकरण कार्यक्रम की तैयारी कर रहा है। एनसीओसी के एक बयान के मुताबिक, टीके की पहली खेप लाने के लिए रविवार को एक विशेष विमान चीन भेजे जाने से अवगत कराया गया। स्वास्थ्यकर्मियों और बुजुर्गों को पहले लगेगा टीका पाकिस्तान की योजना टीकाकरण के प्रथम चरण में अग्रिम मोर्चे के स्वास्थ्य कर्मियों और बुजुर्ग लोगों को टीका लगाने की है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवाएं के मुताबिक, देश में कोविड-19 के अब तक 5,43,214 मामले सामने आये हैं। वहीं, इस महामारी से मरने वाले लोगों की कुल संख्या बढ़ कर 11,623 पहुंच गई है। अब तक 4,98,152 लोग ठीक हो चुके हैं, जबकि अभी कुल 33,439 मरीज इलाजरत हैं। पाकिस्तानी मंत्री ने बताया वैक्सीनेशन का प्लान राष्ट्रीय कमान एवं अभियान केंद्र का नेतृत्व संभाल रहे योजना मंत्री असद उमर ने बुधवार को ट्वीट कर बताया कि टीकाकरण अभियान चलाने का इंतजाम कर लिया गया है। देश में सैकड़ों टीकाकरण केंद्रों में कोविड-19 का टीका लगाया जाएगा। उन्होंने कहा कि अग्रिम मोर्चे के स्वास्थ्य कर्मियों का टीकाकरण अगले सप्ताह से शुरू होगा। फ्री की वैक्सीन के पीछे पड़ा है पाकिस्तान पाकिस्तान ने तीन टीकों को मंजूरी दी थी, जिनमें ऑक्सफोर्ड-एस्ट्रा-जेनेका टीका, चीन विकसित एवं चीनी कंपनी सीनोफार्म निर्मित टीका और रूस विकसित स्पूतनिक V शामिल है। हालांकि, कर्ज से जूझ रहा पाकिस्तान अभी फ्री की वैक्सीन को पाने के चक्कर में ही लगा हुआ है।


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गाबारोनी अफ्रीकी महाद्वीप हीरा, सोना और चांदी की अपनी खदानों के लिए पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है। आए दिन इस महाद्वीप के अलग-अलग देशों में ऐसी बेशकीमती चीजें मिलती रहती हैं जिसकी कीमत अरबों में लगाई जाती हैं। हाल में ही कनाडा की एक प्रसिद्ध माइनिंग कंपनी ने अफ्रीकी देश बोत्सवाना के एक खदान से 378 कैरेट के टॉप व्हाइट डायमंड को खोज निकाला है। कनाडा की कंपनी ने बोत्सवाना की खदान से निकाला रिपोर्ट के अनुसार, इस हीरे को 15 जनवरी 2021 को खोजा गया था। बताया जा रहा है कि बोत्सवाना के साउथ लोबे के कारोवे खदान से मिला 200 कैरेट के ऊपर का यह 55वां हीरा है। इस खदान में हीरे की खोज का काम 2012 में शुरू किया गया था। इस खदान को कनाडा की कंपनी लुकारा डायमंड ऑपरेट कर रही है। एक महीने में ही मिले 300 कैरेट से ज्यादा के 2 हीरे कंपनी ने बताया कि यह इस साल की 300 से ज्यादा कैरेट का दूसरा हीरा है। इससे पहले भी हम एक और 300 कैरेट के हीरे की खोज कर चुके हैं। इस हीरे की खोज साल 2021 की हमारी मजबूत शुरुआत को दर्शाता है। 378 कैरेट का यह असाधारण और उच्च श्रेणी का चमकदार हीरा अत्याधिक कीमत वाले रत्नों की श्रेणी में शामिल है। बोत्सवाना की अद्भुत हीरे की क्षमता को हम लगातार बढ़ाते रहेंगे। इस हीरे की आंकी गई इतनी कीमत हीरे के जानकारों ने बाजार मे इस 378 कैरेट के टॉप व्हाइट डायमंड की कीमत 110 करोड़ रुपये से ज्यादा बताई है। माना जा रहा है कि बिक्री के दौरान इसकी कीमत इससे भी कहीं ज्यादा हो सकती है। कारोवे खदान बोत्सवाना के शीर्ष हीरा उत्पादकों में गिना जाता है। सबसे कठोर पदार्थ होता है हीरा अब तक हीरे को ही दुनिया की सबसे हार्ड या कठोर चीज मानी जाती है। लेकिन यह सही नहीं है। साल 2009 तक हीरे को दुनिया की सबसे कठोर चीज माना जाता था। लेकिन वैज्ञानिकों ने दो दुर्लभ खनिजों के बारे में पता लगाया है जो हीरे से भी कठोर होते हैं। वे दो खनिज वुर्टजाइट बोरोन नाइट्राइड (Wurtzite boron nitride) और लोन्सडेलीट (lonsdaleite) हैं।


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लंदन उत्कृष्ट बुद्धिमता (आईक्यू) वाले बच्चों के मेनसा सदस्यता क्लब में चार साल की एक ब्रिटिश सिख लड़की को शामिल किया गया है। अपने परिवार के साथ बर्मिंघम में रहती है। उसने बहुत कम उम्र से ही सीखने की असाधारण क्षमता प्रदर्शित की और वह अंग्रेजी वर्णमाला के सभी अक्षरों को 14 महीने की उम्र तक पहचानने लग गई थी। 145 आईक्यू स्कोर किया हासिल दयाल कौर ने मेनसा जांच में शामिल होने के लिए उत्सुकता जाहिर की और कोरोना वायरस के कारण लागू लॉकडाउन के चलते इसमें ऑनलाइन माध्यम से शामिल हुई तथा 145 आईक्यू स्कोर हासिल किया। इस उपलब्धि ने उसे ब्रिटेन की उस शीर्ष एक प्रतिशत आबादी वाली श्रेणी में शामिल कर दिया, जिन्हें प्रकृति का यह असाधारण वरदान प्राप्त है। ब्रिटिश अधिकारी ने जताई खुशी ब्रिटिश मेनसा के मुख्य कार्यकारी अधिकारी जॉन स्टीवेंज़ ने कहा, ‘‘हम दयाल (कौर) का मेनस में स्वागत कर खुश हैं, जहां वह करीब 2000 जूनियर और किशोर सदस्यों के समुदाय में शामिल की गई। शिक्षक हैं दयाल कौर के पिता दयाल कौर के पिता सरबजीत सिंह शिक्षक हैं। उन्होंने कहा कि अब आधिकारिक रूप से यह साबित हो गया है कि वह अपनी उम्र की तुलना में कहीं अधिक मेधावी है। अब हमारे लिए यह महसूस करना स्वाभाविक है कि हमारी बच्ची विशेष है, लेकिन इस मामले में यह वास्तविक सबूत है कि वह लाखों में एक है। ’’


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इस्लामाबाद कोरोना वायरस से बेहाल पाकिस्तान अब वैक्सीन के लिए भारत समेत दुनिया के कई देशों से दया की उम्मीद लगाए हुए है। पाकिस्तान के सदाबहार दोस्त चीन ने तो सिनोवेक वैक्सीन को अभी तत्काल देने से मना कर दिया है। माना जा रहा है कि फरवरी के पहले सप्ताह में चीन पाकिस्तान को कोरोना वैक्सीन भेज सकता है। इस बीच कोरोना के नए स्ट्रेन से डरे ने ब्रिटेन सहित छह देशों पर यात्रा प्रतिबंध 28 फरवरी तक बढ़ा दिया है। इन देशों के लोगों के प्रवेश पर पाकिस्तान में प्रतिबंध पाकिस्तान नागरिक उड्डयन प्राधिकरण ने शुक्रवार को कहा कि दक्षिण अफ्रीका, ब्रिटेन, ब्राजील, आयरलैंड, पुर्तगाल और नीदरलैंड से संबंधित लोग 28 फरवरी तक यात्रा प्रतिबंधों से प्रभावित होंगे। हालांकि, इसने कहा कि यदि देश का कोविड-19 संबंधी शीर्ष निकाय ‘नेशनल कमांड एंड ऑपरेशन सेंटर’ इन देशों से संबंधित लोगों को आने की अनुमति देता है तो वे देश में प्रवेश कर पाएंगे। 28 फरवरी तक रोक बढ़ी पाकिस्तान नागरिक उड्डयन प्राधिकरण द्वारा दिसंबर और जनवरी में जारी की गईं मानक संचालन प्रक्रियाएं भी 28 फरवरी तक विस्तारित कर दी गई हैं। देश में महामारी के कुल मामलों की संख्या 5,43,214 हो गई है और इससे अब तक 11,623 लोगों की मौत हो चुकी है। जनवरी खत्म हो चुकी लेकिन चीन ने नहीं भेजी वैक्सीन चीन ने जनवरी के अंत तक पाकिस्तान को कोविड-19 टीके की 5,00,000 खुराक मुफ्त में उपलब्ध कराने का वादा किया है। महीने में मात्र एक दिन बचा हुआ है लेकिन चीनी कोरोना वैक्सीन का पाकिस्तान में कोई पता नहीं है। इससे पहले पाकिस्तान ने तीन टीकों को मंजूरी दी थी, जिनमें ऑक्सफोर्ड-एस्ट्रा-जेनेका टीका, चीन विकसित एवं चीनी कंपनी सीनोफार्म निर्मित टीका और रूस विकसित स्पूतनिक V शामिल है।


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वॉशिंगटन अमेरिका में सत्ता परिवर्तन के बाद से ही तालिबान के साथ हुआ शांति समझौता खतरे में पड़ गया है। बाइडन प्रशासन इस बात पर खास नजर बनाए हुए है कि तालिबान शांति समझौतों की शर्तों का किस हद तक पालन कर रहा है। अगर अमेरिका को ऐसा लगता है कि तालिबान अब भी उसके सैनिकों को निशाना बनाने की कोशिश में है या वह अफगानिस्तान में हिंसा को बढ़ा रहा है तो संभव है कि शांति समझौता खत्म कर दिया जाए। अफगानिस्तान में शांति के लिए बातचीत का समर्थन राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जैक सुलिवन ने शुक्रवार को कहा कि बाइडन प्रशासन पूर्ववर्ती ट्रंप प्रशासन के अफगानिस्तान में पक्षकारों के बीच वार्ता के फैसले का समर्थन करता है। ट्रंप प्रशासन ने पिछले साल फरवरी में दोहा में तालिबान के साथ एक शांति समझौते पर हस्ताक्षर किये थे। इस समझौते में विद्रोही समूहों से सुरक्षा की गारंटी के बदले अफगानिस्तान से अमेरिकी सुरक्षा बलों की वापसी की योजना तैयार की गई थी। अफगानिस्तान में अब भी 2500 अमेरिकी सैनिक मौजूद करार के तहत अमेरिका 14 महीनों में अपने 12 हजार सैनिकों को वापस बुलाने के लिये प्रतिबद्ध था। वहां अभी सिर्फ 2500 अमेरिकी सैनिक बचे हैं। समझौते में तालिबान ने प्रतिबद्धता जताई थी कि वह अमेरिका या उसके सहयोगियों के लिए खतरा बनने वाली गतिविधियों पर लगाम लगाएगा जिनमें अलकायदा समेत अन्य समूहों को आतंकियों की भर्ती करने, उन्हें प्रशिक्षित करने और आतंकी गतिविधियों के लिये धन जुटाने में अफगानिस्तान की जमीन का इस्तेमाल न करने देना भी शामिल था। सैनिकों की वापसी पर अभी भी कोई स्पष्ट आदेश नहीं सुलिवन ने कहा कि उस संदर्भ में, हम अपने बलों के तौर तरीकों व आगे बढ़ने की अपनी कूटनीतिक रणनीति के बारे में फैसला लेंगे।” संसद द्वारा वित्त पोषित थिंकटैंक यूएस इंस्टीट्यूट ऑफ पीस द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान में पक्षकारों के बीच एक न्यायोचित व संघर्ष के स्थायी राजनीतिक समाधान के लिये वार्ता तंत्र बनाने व उसके समर्थन की दिशा में पूर्ववर्ती प्रशासन द्वारा तैयार किये गए मौलिक ढांचे का हम समर्थन करते हैं। तालिबान के साथ शांति समझौते पर अमेरिका की नजर अमेरिकी एनएसए ने कहा कि अमेरिका-तालिबान समझौते और हमारे बलों के आगे बढ़ने पर नजर के साथ ही हम अफगान सरकार, तालिबान व अन्य के बीच बातचीत का समर्थन करते हैं जिससे एक उचित व सतत नतीजा प्राप्त हो।ऐतिहासिक करार के तहत तालिबान ने यद्यपि अंतरराष्ट्रीय बलों पर हमले रोक दिये हैं लेकिन अफगान सरकार से उसकी लड़ाई जारी है। आतंकियों के रिहाई की मांग कर रहा तालिबान अफगान सरकार के साथ बातचीत शुरू करने की शर्त के तौर पर तालिबान मांग कर रहा है कि कैदियों की अदला-बदली के तहत उसके हजारों सदस्यों को रिहा किया जाए। पिछले साल सितंबर में अफगान सरकार और तालिबान के बीच सीधी बातचीत शुरू हुई थी लेकिन अब तक किसी समझौते पर नहीं पहुंचा जा सका है। अफगानिस्तान में हिंसा में भी कमी नहीं आई है और लक्षित हत्याओं के तहत पत्रकारों, कार्यकर्ताओं, राजनेताओं और महिला न्यायाधीशों को निशाना बनाया गया।


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वॉशिंगटन अमेरिका में बाइडन प्रशासन के सत्ता में आने के बाद से ही भारत के साथ रिश्तों को लेकर कयास लगाए जा रहे थे। तब भी कई विशेषज्ञों ने कहा था कि बाइडन के आने से भी भारत को लेकर अमेरिका की नीति में कोई अंतर नहीं आएगा। अब अमेरिका के नए विदेश मंत्री ने भी इस बात पर मुहर लगा दी है। भारतीय विदेश मंत्री के साथ टेलीफोन पर बातचीत के दौरान उन्होंने भारत को हिंद-प्रशांत क्षेत्र में अमेरिका का खास सहयोगी बताया। उन्होंने अपने भारतीय समकक्ष के साथ साझा चुनौतियों से बेहतर तरीके से निपटने के तरीकों पर चर्चा भी की। हिंद-प्रशांत क्षेत्र में भारत के साथ सहयोग बढ़ाएगा अमेरिका ब्लिंकन के इस सप्ताह की शुरुआत में कार्यभार संभालने के बाद दोनों देशों के मंत्रियों के बीच टेलीफोन पर हुई यह पहली बातचीत है। अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता नेड प्राइस ने शुक्रवार को बताया कि भारत और अमेरिका के मंत्रियों ने कोविड-19 टीकाकरण प्रयासों, क्षेत्रीय विकास, द्विपक्षीय संबंधों को और विस्तार देने के लिए उठाए जा सकने वाले कदमों तथा आपसी चिंता के अन्य मुद्दों पर चर्चा की। प्राइस ने कहा कि ब्लिंकन ने हिंद-प्रशांत में अमेरिका के खास सहयोगी के रूप में भारत की भूमिका और क्षेत्रीय सहयोग को विस्तार देने के लिए मिलकर काम करने की महत्ता रेखांकित की। जल्द मुलाकात करेंगे भारत और अमेरिका के विदेश मंत्री उन्होंने कहा कि दोनों ने वैश्विक बदलावों के मद्देनजर निकट समन्वय के साथ काम करने पर सहमति जताई और जल्द से जल्द आमने-सामने मुलाकात करने की इच्छा व्यक्त की। ब्लिंकन ने ट्वीट किया कि मुझे खुशी है कि मैंने आज अपने अच्छे मित्र डॉ. एस जयशंकर के साथ अमेरिका और भारत की प्राथमिकताओं पर चर्चा की। हमने अमेरिका और भारत के संबंधों की महत्ता की पुन: पुष्टि की। हमने नए अवसरों का बेहतर तरीके से लाभ उठाने और हिंद-प्रशांत एवं उससे परे भी साझा चुनौतियों से बेहतर तरीके से निपटने के तरीकों पर चर्चा की। रक्षा संबंधों को मजबूत करने की है तैयारी नई दिल्ली स्थित विदेश मंत्रालय ने कहा कि जयशंकर और ब्लिंकन ने बहुआयामी रणनीतिक साझेदारी को विस्तार देने एवं उसे संघटित करने की अपनी प्रतिबद्धता जताई। उन्होंने कहा कि उन्होंने मजबूत रक्षा संबंधों, मजबूत होते आर्थिक संबंधों, स्वास्थ्य क्षेत्र में फलदायी गठजोड़ और लोगों के बीच मजबूत आपसी संपर्क को महत्वपूर्ण स्तंभ बताते हुए उनकी प्रशंसा की। शांति और सुरक्षा को लेकर दोनों देशों ने प्रतिबद्धता दोहराई बताया किया कि कोविड-19 के बाद की दुनिया में चुनौतियों को पहचानते हुए दोनों नेताओं ने सुरक्षित एवं किफायती टीके की आपूर्ति समेत वैश्विक मामलों से निपटने के लिए मिलकर काम करने पर सहमति जताई। उन्होंने खासकर हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शांति एवं सुरक्षा को लेकर अपनी प्रतिबद्धता दोहराई। विदेश मंत्री के रूप में कार्यभार संभालने के बाद से ब्लिंकन ने कनाडा, मैक्सिको, जापान, दक्षिण कोरिया, ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन, जापान, जर्मनी, फ्रांस, इजराइल और दक्षिण अफ्रीका समेत एक दर्जन से अधिक देशों में अपने समकक्षों से बात की है।


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इस्लामाबाद भारत की की संभावना से डरा पाकिस्तान अब संयुक्त राष्ट्र के सामने गिड़गिड़ा रहा है। पाकिस्तान ने वैश्विक समुदाय की सहानुभूति हासिल करने के लिए दावा किया है कि भारत इस्लामाबाद के प्रति अपनी आक्रामकता को सही ठहराने के लिए का उपयोग करता है। पाकिस्तान को डर है कि भारत अपनी घरेलू राजनीति से लोगों का ध्यान हटाने के लिए बॉर्डर पर तनाव बढ़ा सकता है। खुद पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान भारत के सर्जिकल स्ट्राइक को लेकर डर जता चुके हैं। क्या होता है फॉल्स फ्लैग ऑपरेशन मालूम हो कि जिम्मेदारी के वास्तविक स्रोत को छिपाने और दूसरी पार्टी पर दोष लगाने के उद्देश्य से फॉल्स फ्लैग ऑपरेशन शब्द का उपयोग किया जाता है। फॉल्स फ्लैग ऑपरेशन उसे कहा जाता है, जहां पर किसी भी ऑपरेशन को अंजाम देने वाले की पहचान को पूरी तरह से छिपाया जाता है। इतना ही नहीं, इस तरह के ऑपरेशन को अंजाम देने वाला अगर पकड़ा जाता है तो उसमें अपनी भूमिका से पूरी तरह से मुंह फेर लिया जाता है। इस तरह के ऑपरेशन को अंजाम देने वालों को इस बात की पूरी जानकारी होती है कि अगर वे पकड़े गए तो सरकार उन्हें किसी तरह से भी स्वीकार नहीं करेगी। फिर अलापा कश्मीर का राग पाकिस्तान ने एक बार फिर से कश्मीर राग अलापा है। पाकिस्तान अच्छे से जानता भी है कि जम्मू और कश्मीर भारत का एक अभिन्न अंग है और यह संवैधानिक और नैतिक तौर पर भारत का ही हिस्सा है। इसके बावजूद वह आए दिन किसी न किसी बहाने झूठी और मनगढंत बातें बनाकर कश्मीर का मुद्दा उछालता रहता है। संयुक्त राष्ट्र महासभा में एक बहस (डिबेट) को संबोधित करते हुए, पाकिस्तान के स्थायी प्रतिनिधि मुनीर अकरम ने कहा कि एक तरफ तो भारत ने कश्मीरी लोगों के आत्मनिर्णय के अधिकार को दबा दिया है और उसकी सेना कश्मीर के लोगों पर बेरोकटोक अत्याचार कर रही है, वहीं दूसरी ओर इसने मुस्लिम बहुल राज्य को हिंदू बहुल क्षेत्र में बदलने के लिए अभियान शुरू किया है। यूएन में पाकिस्तानी राजदूत ने बोले झूठ पर झूठ पाकिस्तानी प्रतिनिधि ने संयुक्त राष्ट्र के मंच पर झूठ बोलते हुए दावा किया कि भारत ने पांच लाख से अधिक हिंदुओं को कश्मीरियों की भूमि पर कब्जा करने की अनुमति देकर मुस्लिम बहुल राज्य को हिंदू बहुल क्षेत्र में बदलने का अभियान शुरू किया है, जो अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत एक नरसंहार है। उन्होंने एक और झूठा आरोप लगाते हुए कहा कि भारत ने अपने अभियान के माध्यम से कश्मीरियों को चुप करा दिया है, जबकि वह नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर संघर्ष विराम का लगातार उल्लंघन करके पाकिस्तान को आक्रामकता के माध्यम से धमकी देता है। UNSC में भारत की स्थायी सीट पर भी पाकिस्तान को आपत्ति अकरम ने यह कहा कि फरवरी 2019 में भारत की ओर से विनाशकारी युद्धक स्थिति को पाकिस्तान के संयम के माध्यम से रोक दिया गया था। पाकिस्तान ने हाल ही में जी4 राज्यों के खिलाफ आपत्ति जताई है, जिसमें भारत भी शामिल है, जो कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में स्थायी सीटें प्राप्त करने का एक प्रयास है। इसके बाद अब संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान ने भारत की आक्रामकता को लेकर चेताया है। इसलिए सर्जिकल स्ट्राइक का दावा कर रहा पाकिस्तान पाकिस्तान सरकार के सूत्रों ने कहा है कि भारत में किसानों द्वारा किए जा रहे विरोध प्रदर्शनों ने वैश्विक ध्यान आकर्षित किया है और नई दिल्ली उस विषय से ध्यान हटाने के लिए झूठे फ्लैग ऑपरेशन का विकल्प चुनने की कोशिश कर सकती है। भारत के आरोपों को खारिज करते हुए पाकिस्तान ने कहा है कि 2019 पुलवामा आतंकी हमला एक स्थानीय कश्मीरी नागरिकों का कृत्य था, जो पाकिस्तान से जुड़ा नहीं है।


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रियाद सऊदी अरब के नेतृत्‍व में गठबंधन सेना ने यमन की राजधानी सना में हूती विद्रोहियों के एक शिविर को हवाई हमला करके तबाह कर दिया है। सऊदी...