Wednesday 30 June 2021

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पेइचिंग दुनिया पर कब्जे का ख्वाब देख रहा चीन इन दिनों तेजी से अपनी मिसाइल क्षमता बढ़ा रहा है। हाल में ली गई सैटेलाइट इमेज से पता चला है कि चीन उत्तर-पश्चिमी शहर युमेन के पास एक रेगिस्तान में इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइलों के लिए 100 से अधिक नए साइलो का निर्माण कर रहा है। साइलो स्टोरेज कंटेनर होते हैं, जिनके अंदर लंबी दूरी तक मार करने वाली मिसाइलें रखी जाती हैं। क्या होती हैं इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइलें इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइलों की रेंज काफी ज्यादा होती हैं। ये एक महाद्वीप से उड़कर दूसरे महाद्वीप तक हमला करने में सक्षम होती हैं। इनमें बैलिस्टिक मिसाइलें अपनी लॉन्च साइट से उड़कर अंतरिक्ष के रास्ते सफर करते हुए लक्ष्य को सफलतापूर्वक भेद सकती हैं। ये मिसाइलें परंपरागत और परमाणु हथियार के साथ मार कर सकती हैं। चीन के पास डीएफ-5 और डीएफ-41 जैसी घातक मिसाइलें है, जो अमेरिका तक मार करने में सक्षम हैं। अमेरिका तक मार करने में सक्षम हैं मिसाइलें चीन की इन तैयारियों से यह अंदेशा जताया जा रहा है कि वह आने वाले दिनों में अपनी मारक क्षमता को बढ़ाने और दुश्मनों पर हावी होने के लिए मिसाइलों को मुख्य हथियार बनाएगा। चीन के पास कई ऐसी घातक मिसाइलें हैं जिनका तोड़ अमेरिका के पास भी नहीं है। अमेरिका के एक शीर्ष जनरल ने खुद कबूला है कि उनके पास अभी भी पर्याप्त संख्या में एयर डिफेंस मौजूद नहीं हैं जो चीनी मिसाइलों को हवा में मार गिराएं। अमेरिकी शोधकर्ताओं ने चीन की खोली पोल द वाशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, कैलिफोर्निया में जेम्स मार्टिन सेंटर फॉर नॉनप्रोलिफरेशन स्टडीज के शोधकर्ताओं ने सैटेलाइट तस्वीरों के आधार पर बताया है कि चीन के गांसु प्रांत में सैकड़ों वर्ग मील में फैले रेगिस्तान में कई साइट पर इन साइलोज को बनाने का काम चल रहा है। शोधकर्ताओं को 119 ऐसे निर्माण स्थलों का पता चला है, जहां चीन अपनी बैलिस्टिक मिसाइलों को लॉन्च करने के लिए नई सुविधाओं को बना रहा है। परमाणु हथियारों का जखीरा बढ़ा रहा चीन अगर 100 से अधिक का निर्माण पूरा हो जाता है तो इससे चीन की परमाणु क्षमता में भी काफी वृद्धि होगी। माना जाता है कि चीन के पास 250 से लेकर 350 की संख्या में परमाणु हथियारों का जखीरा है। ऐसे में चीन इन साइलोज में रखने के लिए और मिसाइलों का निर्माण जरूर करेगा। चीन पहले भी डिकॉय साइलो को तैनात कर चुका है। अमेरिका ने शुरू किया था साइलो का निर्माण शीतयुद्ध के दौरान अमेरिका ने रूस के रणनीतिकारों से अपनी मिसाइलों को छिपाने के लिए साइलो का निर्माण शुरू किया था। इससे रूसी सैन्य रणनीतिकारों को यह पता नहीं चल पाता था कि अमेरिका के कौन से मिसाइल बेस पर कितनी परमाणु मिसाइलें तैनात हैं। ऐसे में वह हमला करने का जोखिम नहीं उठाते थे। जवाबी कार्रवाई के लिए साइलो बना रहा चीन चीन के परमाणु शस्त्रागार के विशेषज्ञ और इस टीम के शोधकर्ता जेफरी लुईस ने कहा कि चीन भी अमेरिका की ही राह पर चलता दिखाई दे रहा है। इसका निर्माण चीन की परमाणु हमले की जवाबी का कार्रवाई को मजबूत करने के लिए भी की गई है। दरअसल, हर देश परमाणु डेटरेंस के लिए अपने हथियारों को अलग-अलग तैनात रखता है। अगर कोई देश परमाणु हमला करता है तो इन ठिकानों पर तैनात मिसाइलें जवाबी कार्रवाई के लिए फायर की जा सकती हैं। चीन के पास 145 से ज्यादा मिसाइल साइलो मिडिलबरी इंस्टीट्यूट ऑफ नॉनप्रोलिफरेशन स्टडीज के सेंटर फॉर नॉनप्रोलिफरेशन स्टडीज में ईस्ट एशिया नॉनप्रोलिफरेशन प्रोग्राम के निदेशक लुईस ने कहा कि अगर चीन भर में अन्य साइटों पर निर्माणाधीन साइलो को गिनती में जोड़ा जाए, तो इनकी कुल संख्या 145 तक पहुंच जाती है। हम मानते हैं कि चीन अपने परमाणु बलों का विस्तार एक निवारक क्षमता बनाए रखने के लिए कर रहा है जो अमेरिकी मिसाइल डिफेंस को मात देने के लिए पर्याप्त संख्या में मौजूद है।


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पेइचिंग चीन में आज की स्थापना की 100वीं वर्षगांठ मनाई जा रही है। पेइचिंग के थियानमेन स्कॉयर पर आयोजित भव्य समारोह में चीनी राष्ट्रपति ने पार्टी की तारीफों के पुल बांधे। पार्टी महासचिव के ओहदे पर बैठे जिनपिंग लोगों को यह बताना भूल गए कि यह वही जगह है, जहां आज से 32 साल पहले निहत्थे चीनी नागरिकों पर कम्युनिस्ट पार्टी के इशारे पर टैंक चलवा दिए गए थे। 1948 में आजादी के ऐलान के बाद से चीन ने खूब तरक्की भी की है, लेकिन कई क्षेत्र ऐसे भी हैं, जहां चीन आज भी निचले पायदान पर काबिज है। भारत से उल्टी विचारधारा पर चलता है चीन भारत और चीन ने लगभग एक साल के अंतर पर अपनी-अपनी आजादी का ऐलान किया था। तब से लेकर अबतक भारत में लोकतांत्रिक शासन रहा है, जबकि चीन कठोर कम्युनिस्ट विचारधारा पर चला। चीन में आजादी के बाद से अबतक कम्युनिस्ट पार्टी ने लोगों की आवाज को दबाकर जो चाहा वही किया। मजदूरों का शोषण किया गया, दूसरे धर्मों खासकर इस्लाम पर जुल्म ढाहे गए, तिब्बत में सांस्कृतिक क्रांति कर लाखों लोगों मार डाला गया जैसे कई बड़े कारनामे के नाम हैं। कौन-कौन से क्षेत्र में शीर्ष पर है चीन जनसंख्या: चीन जनसंख्या के मामले में पूरी दुनिया में नंबर एक पर काबिज है। चीन की वर्तमान जनसंख्या एक अरब चालीस करोड़ से भी ज्यादा है। इसके बाद भारत का नंबर आता है। माना जा रहा है कि अगले कुछ साल में भारत इस मामले में चीन को पछाड़ देगा। निर्यात: चीन निर्यात के मामले में भी पूरी दुनिया में नंबर एक पर काबिज है। चीन हर साल 2.6 ट्रिलियन डॉलर (19,34,28,30,00,00,000 रुपये) का निर्यात करता है। इसके बाद दूसरा स्थान अमेरिका का है। अमेरिका हर साल 1431.64 बिलियन डॉलर का एक्सपोर्ट करता है। सैन्य खर्च: चीन अपनी सेना पर खर्च करने के मामले में दूसरे स्थान पर है। चीन अपनी सेना पर हर साल 252 बिलियन डॉलर खर्च करता है। इस मामले में शीर्ष पर अमेरिका काबिज है। अमेरिका का वार्षिक सैन्य खर्च 778 बिलियन डॉलर है। भारत का वार्षिक सैन्य खर्च 72.9 बिलियन डॉलर ही है। ब्राडबैंड: चीन में फिक्स्ड ब्रांडबैंड कनेक्शन पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा है। चीन में ब्राडबैंड कनेक्शन की कुल संख्या 449 मिलियन है। मोबाइल उपभोक्ता: चीन में दुनिया के सबसे ज्यादा मोबाइल उपभोक्ता हैं। इनकी संख्या 1.8 बिलियन से भी ज्यादा है। मजदूर: चीन में दुनिया के किसी दूसरे देशों की अपेक्षा मजदूरों की संख्या काफी ज्यादा है। चीन से बड़ी संख्या में मजदूर खाड़ी देशों में नौकरी करने भी जाते हैं। चीन में मानव श्रमिकों की कुल संख्या 771.3 मिलियन है। कहां फेल हुआ है चीन इंटरनेट फ्रीडम: दुनिया के सबसे ज्यादा ब्राडबैंड कनेक्शन होने के बाद भी यहां लोगों को इंटरनेट फ्रीडम नहीं मिली है। चीनी लोग इंटरनेट पर वही देख सकते हैं जो सरकार उन्हें दिखाना चाहती है। इतना ही नहीं, चीन में फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम जैसे कई लोकप्रिय ऐप भी प्रतिबंधित हैं। मानव विकास सूचकांक: चीन अपने लोगों के जीवन स्तर को ऊंचा उठाने के मामले में भी फिसड्डी है। संयुक्त राष्ट्र मानव विकास कार्यक्रम की मानव विकास रिपोर्ट में चीन का स्थान 85वां है। चीन में आय में असमानता चरम पर है। इसके अलावा महिलाओं को लैंगिक भेदभाव का सामना करना पड़ता है। चीन में जीवन प्रत्याशा, शिक्षा या ज्ञान की पहुंच भी सबतक नहीं है। ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन: खुद को दुनिया का सबसे शक्तिशाली देश बताने वाला चीन प्रदूषण फैलाने के मामले में भी शीर्ष पर है। हर साल चीन 12.5 मिलियन किलोटन Co2 गैस का उत्सर्जन करता है। मौत की सजा: चीन मौत की सजा देने के मामले में भी टॉप परर है। चीन में हर साल इतने लोगों को मौत की सजा दी जाती है कि बदनाम के डर से उनका डेटा ही जारी नहीं किया जाता।


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एथेंस पाकिस्‍तान और उसके आका तुर्की के नापाक गठजोड़ को टक्‍कर देने के ल‍िए भारत ने भी कमर कस ली है। भारत ने तुर्की के धुर विरोधी यूरोपीय देश ग्रीस के साथ भूमध्‍य सागर में जोरदार नौसैनिक अभ्‍यास किया है। इस अभ्‍यास में ग्रीस के फ्रीगेट थेमिस्‍टोकलिस और भारतीय नौसेना के युद्धपोत आईएनएस तबर ने हिस्‍सा लिया। यह अभ्‍यास भूमध्‍य सागर में क्रेट इलाके के दक्षिण-पश्चिम में हुआ। ग्रीस की न्‍यूज वेबसाइट पेंटापोस्‍टग्‍मा के मुताबिक भारतीय युद्धपोत का मिस्र की नौसेना के साथ युद्धाभ्‍यास का प्‍लान है। इसके लिए आईएएनएस तबर मिस्र के सिकंदरिया बंदरगाह पर पहुंच गया है। बताया जा रहा है कि ग्रीस के युद्धपोत के साथ भारतीय नौसैनिक जंगी जहाज ने 30 जून को यह अभ्‍यास किया। इस अभ्‍यास का मकसद ग्रीस की सेना का दुनिया के अन्‍य देशों की नौसेना के साथ प्रशिक्षण बढ़ाना है। ग्रीस भी तुर्की के आक्रामक व्‍यवहार से परेशान साथ ही द्व‍िपक्षीय आधार पर ऑपरेशनल तैयारी, लड़ाकू क्षमता और सहयोग को बढ़ाना है। पेंटापोस्‍टग्‍मा ने कहा कि भारत परमाणु हथियारों से लैस है और भारतीय नौसेना के साथ अभ्‍यास करके ग्रीस को काफी लाभ हो सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि तुर्की और पाकिस्‍तान के बीच बढ़ते रक्षा सहयोग और दोस्‍ती से निपटने के लिए भारत और ग्रीस साथ आए हैं। ग्रीस भी तुर्की के आक्रामक व्‍यवहार से परेशान है। इससे पहले भारत के विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर पिछले दिनों ग्रीस की यात्रा पर पहुंचे थे और PM कीरियाकोस मित्सोतकीस से मुलाकात की थी। इस मुलाकात के दौरान दोनों पक्षों ने आतंकवाद समेत कई मुद्दों पर चर्चा की जिसे तुर्की, चीन और पाकिस्तान के लिए संदेश के तौर पर देखा जा रहा है। ग्रीस और तुर्की के बीच संबंधों में तनाव गहराया है जबकि भारत के प्रतिद्वंदी चीन और धुर-विरोधी पाकिस्तान के साथ तुर्की की अच्छी दोस्ती है। 'संप्रभुता का पालन और सम्मान हो' इस मुलाकात के दौरान दोनों पक्षों ने अंतरराष्ट्रीय कानून के हिसाब से कानून के पालन और संप्रभुता के सम्मान, अधिकार और क्षेत्रीय अखंडता को अंतरराष्ट्रीय संबंधों का आधार माना जिनका सभी को पालन करना चाहिए। दिलचस्प बात यह है कि ग्रीस के साथ विवाद में उलझे तुर्की में युद्धाभ्यास के दौरान पाकिस्तान ने राफेल विमान के साथ एक्सरसाइज की थी, जिसे भारत के लिए चिंताजनक माना गया। भूमध्यसागर पर भी चर्चा वहीं, दोनों देशों ने पूर्वी भूमध्यसागर में पैदा तनाव पर भी चर्चा की। यहां तुर्की एक्सक्लूसिव इकॉनमिक जोन (EEZ) पर दावा ठोकता है जिसे ग्रीस संयुक्त राष्ट्र कानून के मुताबिक अपना बताता है। इस विवाद में साइप्रस और लीबिया भी शामिल हैं क्योंकि उनके EEZ भी विवाद में घिरे हैं। इस विवाद में भी पाकिस्तान ने तुर्की का समर्थन किया है।


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आज चीन की सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना (सीपीसी) की स्थापना के 100 साल पूरे हो गए हैं। 1 जुलाई 1921 को चीनी तानाशाह माओत्से तुंग ने शंघाई में अपने कुछ कम्युनिस्ट दोस्तों के साथ मिलकर इस पार्टी की स्थापना की थी। इस अवसर पर चीन की राजधानी पेइचिंग के थियानमेन चौक पर भव्य सैन्य परेड का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में शामिल होने के लिए पूरे चीन से लाखों लोग और कम्युनिस्ट पार्टी के सदस्य पेइचिंग पहुंचे हुए थे। कम्युनिस्ट पार्टी की 100वीं स्थापना दिवस के अवसर पर पार्टी महासचिव और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने भविष्य की रूपरेखा को बताया इतना ही नहीं, उन्होंने इशारों-इशारों में ताइवान और अमेरिका समेत चीन के दुश्मन देशों को चेतावनी भी दे डाली। थियानमेन चौक वही जगह है, जहां आज से 32 साल पहले जून 1989 में लोकतंत्र की मांग कर रहे निहत्थे नागरिकों पर चीन ने टैंक चलवा दिए थे। इस घटना में 10 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी।

आज चीन की सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना (सीपीसी) की स्थापना के 100 साल पूरे हो गए हैं। 1 जुलाई 1921 को चीनी तानाशाह माओत्से तुंग ने शंघाई में अपने कुछ कम्युनिस्ट दोस्तों के साथ मिलकर इस पार्टी की स्थापना की थी। इस अवसर पर चीन की राजधानी पेइचिंग के थियानमेन चौक पर भव्य सैन्य परेड का आयोजन किया गया।


चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की स्थापना के 100 साल पूरे, जिनपिंग ने दुनिया को दिखाई सैन्य ताकत

आज चीन की सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना (सीपीसी) की स्थापना के 100 साल पूरे हो गए हैं। 1 जुलाई 1921 को चीनी तानाशाह माओत्से तुंग ने शंघाई में अपने कुछ कम्युनिस्ट दोस्तों के साथ मिलकर इस पार्टी की स्थापना की थी। इस अवसर पर चीन की राजधानी पेइचिंग के थियानमेन चौक पर भव्य सैन्य परेड का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में शामिल होने के लिए पूरे चीन से लाखों लोग और कम्युनिस्ट पार्टी के सदस्य पेइचिंग पहुंचे हुए थे। कम्युनिस्ट पार्टी की 100वीं स्थापना दिवस के अवसर पर पार्टी महासचिव और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने भविष्य की रूपरेखा को बताया इतना ही नहीं, उन्होंने इशारों-इशारों में ताइवान और अमेरिका समेत चीन के दुश्मन देशों को चेतावनी भी दे डाली। थियानमेन चौक वही जगह है, जहां आज से 32 साल पहले जून 1989 में लोकतंत्र की मांग कर रहे निहत्थे नागरिकों पर चीन ने टैंक चलवा दिए थे। इस घटना में 10 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी।



चीन ने दुनिया को दिखाई अपनी सैन्य ताकत
चीन ने दुनिया को दिखाई अपनी सैन्य ताकत

चीन ने कम्युनिस्ट पार्टी की 100वीं स्थापना दिवस पर भव्य सैन्य परेड का आयोजन किया। इस दौरान सैन्य हेलिकॉप्टर, लड़ाकू विमान, पैदल सैनिक और एयरोबेटिक टीम ने हवाई करतब भी दिखाए। चीन के हेलिकॉप्टरों ने तो हवा में 100 साल के फॉर्मेशन में उड़ान भरकर खूब वाहवही भी लूटी। पैदल सैनिकों ने लोगों से खचाखच भरी रोड पर परेड कर लोगों को आकर्षित किया। इस अवसर पर पेइचिंग को दुल्हन की तरह सजाया गया था। जगह-जगह पार्टी के 100 साल पूरा होने के बैनर-पोस्टर लगे हुए थे। लोग भी अपने घरों से निकलकर इस जश्न में शामिल हुए।



जे-20 विमानों ने विक्टी के आकार में भरी उड़ान
जे-20 विमानों ने विक्टी के आकार में भरी उड़ान

स्थापना दिवस पर चीनी वायु सेना के 15 स्टील्थ जे-20 लड़ाकू विमानों ने उड़ान भरकर हवाई करतब दिखाए। यह चीन का सबसे उन्नत लड़ाकू विमान है। चीन ने हाल में ही इस लड़ाकू विमान के मॉस प्रॉडक्शन को शुरू किया है। जे-20 लड़ाकू विमानों ने विक्ट्री शेप में उड़ान भरी। चीन ने किसी भी एयर शो में एकसाथ इतनी बड़ी संख्या में जे-20 लड़ाकू विमानों को शामिल नहीं किया है। 1 अक्टूबर, 2019 को चीन के नेशनल डे सैन्य परेड में सबसे अधिक पांच जे-20 लड़ाकू विमान शामिल हुए थे। चीनी सैन्य उड्डयन विशेषज्ञ फू कियानशाओ ने ग्लोबल टाइम्स से बातचीत में कहा कि इतनी बड़ी संख्या में जे-20 लड़ाकू विमानों को शामिल करने का सीधा अर्थ दुश्मनों को अपनी ताकत दिखाना है। चीन ने हाल में ही जे-20 के कई इकाइयों को शुरू किया है।



चीन के ट्रांसपोर्ट हेलिकॉप्टरों ने भी झंडे के साथ भरी उड़ान
चीन के ट्रांसपोर्ट हेलिकॉप्टरों ने भी झंडे के साथ भरी उड़ान

चीन के ट्रांसपोर्ट हेलिकॉप्टरों ने भी पार्टी की स्थापना दिवस के अवसर पर देश के झंडे के साथ उड़ान भरी। इसमें Z-20 हेलिकॉप्टर, Z-8G हेलिकॉप्टरों की एक पूरी फ्लीट ही शामिल हुई। इन हेलिकॉप्टरों ने हवा में 100 साल पूरा होने की तस्वीर उकेरी। इतना ही नहीं, ये परेड वाली सड़क पर काफी नीचे उड़ान भरते हुए देश की हवाई ताकत को भी प्रदर्शित किया। चीन ने भारत के साथ जारी तनाव से निपटने के लिए Z-20 और Z-8G हेलिकॉप्टरों को तिब्बत के अग्रिम मोर्चों पर भी तैनात किया है। चीन का दावा है कि ये हेलिकॉप्टर किसी भी मौसम में सैनिकों और सैन्‍य साजो-सामान को ऊंचाई और दुर्गम इलाकों में पहुंचा सकते हैं। Z-8G हेलिकॉप्‍टर 4500 फुट की ऊंचाई पर भी काम कर सकता है। यह चीन का सबसे बड़ा ट्रांसपोर्ट हेलिकॉप्टर भी है।



थियानमेन चौक पर जेड-10 लड़ाकू हेलिकॉप्टर भी दिखे
थियानमेन चौक पर जेड-10 लड़ाकू हेलिकॉप्टर भी दिखे

चीन ने थियानमेन चौक पर जेड-10 ए अटैक हेलिकॉप्टर को भी प्रदर्शित किया। भारत के अपाचे के जवाब में चीन ने लद्दाख में जेड-10 ए अटैक हेलिकॉप्टर को तैनात किया हुआ है। पिछले साल चीन ने इस हेलिकॉप्टर के लाइव फायर ड्रिल को भी आयोजित किया था। जेड-10 ए अटैक हेलिकॉप्टर को चाइना एयरक्राफ्ट इंडस्ट्रियल ग्रुप और चाइना हेलीकॉप्टर रिसर्च एंड डेवलपमेंट इंस्टीट्यूट ने विकसित किया है। जबकि इस हेलिकॉप्टर का निर्माण चांगे एयरक्राफ्ट इंडस्ट्रीज कॉरपोरेशन ने किया है। जेड-10 हेलिकॉप्टर को मुख्य रूप से दुश्मन के इलाके में घुसकर हमला करने के लिए विकसित किया गया है। जो एंटी टैंक और एयर टू एयर मिसाइलों से लैस है। इस हेलिकॉप्टर को चीन ने पहली बार 2003 में प्रदर्शित किया था। इस हेलिकॉप्टर में गनर आगे की सीट पर जबकि पायलट पीछे की सीट पर बैठा रहता है। पायलट और गनर को बचाने के लिए हेलिकॉप्टर में बुलेट प्रूफ ऑर्मर का भी इस्तेमाल किया गया है। जिसमें बैठा गनर 20 एमएम या 30 एमएम की ऑटो कैनन गन से दुश्मनों पर फायर कर सकता है। इसमें आठ की संख्या में एजजे-10 एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल और आठ टीवाई-19 एयर टू एयर मिसाइलें भी लगी होती हैं। इसके अलावा चार पीएल-5, पीएल-7 और पीएल-9 एयर टू एयर मिसाइलें भी तैनात होती हैं।



चीनी सेना ने भी परेड में लिया हिस्सा
चीनी सेना ने भी परेड में लिया हिस्सा

इस अवसर पर चीनी सेना की पैदल टुकड़ी ने भी परेड में हिस्सा लिया। पीपुल्स लिबरेशन आर्मी, पीपुल्स लिबरेशन आर्मी एयरफोर्स और पीपुल्स लिबरेशन आर्मी नेवी की सैन्य टुकड़ियों ने थियानमेन चौक से होते हुए पेइचिंग की मुख्य सड़क पर बैंड के साथ मार्च पास्ट किया। इस अवसर पर बड़ी संख्या में लोग भी परेड देखने के लिए पहुंचे थे।





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पेइचिंग चीन की कम्‍युनिस्‍ट पार्टी के 100 साल पूरे होने पर राजधानी पेइचिंग में आयोजित शानदार जश्‍न में राष्‍ट्रपति शी जिनपिंग ने ताइवान पर दुनिया को खुली चेतावनी दे दी। उन्‍होंने अमेरिका और ताइवान का नाम लिए बिना कहा कि किसी को भी चीन की क्षेत्रीय एकजुटता और संप्रभुता की रक्षा करने के लिए चीनी लोगों की मजबूत इच्‍छाशक्ति, इरादे और बेजोड़ ताकत को कम करके नहीं आंकना चाहिए। उन्‍होंने यह भी कहा हम किसी भी ऐसी विदेशी ताकत यह अनुमति नहीं देंगे कि वह हमें आंख दिखाए, दबाए या हमें अपने अधीन करने का प्रयास करे। इस ऐतिहासिक मौके पर माओ त्‍से तुंग की तरह कपड़ा पहनकर पहुंचे शी जिनपिंग ने कहा कि अगर कोई विदेशी ताकत ऐसा करने का प्रयास करती है तो उसे चीन के 1.4 अरब लोगों की फौलादी ताकत से निपटना होगा। लद्दाख में भारत की सरजमीं पर नजरें गड़ाए बैठे चीनी राष्‍ट्रपति ने दावा किया, 'हमने किसी को नहीं दबाया है, न ही आंख दिखाई है और न ही किसी अन्‍य देश के नागरिक को अपनी अधीन करने का प्रयास किया है और आगे भी ऐसा नहीं करेंगे।' 'हमें अपने राष्‍ट्रीय सुरक्षा और सेना को आधुनिक बनाना होगा' शी जिनपिंग ने कहा कि चीन अपनी सेना का निर्माण अपनी संप्रभुता की रक्षा, सुरक्षा और विकास के लिए करेगा और इसे विश्‍वस्‍तरीय बनाएगा। उन्‍होंने कहा, 'हमें निश्चित रूप से अपने राष्‍ट्रीय सुरक्षा और सेना को आधुनिक बनाना होगा।' शी जिनपिंग सेंट्रल मिलिट्री कमिशन के चेयरमैन हैं जो सेनाओं का नियंत्रण देखती है। यही नहीं जब से शी जिनपिंग राष्‍ट्रपति बने हैं, चीन कम्‍युनिस्‍ट पार्टी के सदस्‍यों की संख्‍या में जोरदार इजाफा हुआ है। अब सीपीसी के 9 करोड़ से ज्‍यादा सदस्‍य हैं। माओ के बाद चीन के सबसे ताकतवर नेता बनकर उभरे राष्‍ट्रपति शी जिनपिंग ने कहा कि चीन हमेशा से ही शांति, वैश्विक विकास और अंतरराष्‍ट्रीय व्‍यवस्‍था को सुरक्षित रखने के लिए काम किया है। उन्‍होंने कहा कि चीन ने एक समृद्ध समाज बनाने के शताब्‍दी के लक्ष्‍य को हासिल कर लिया है। उन्‍होंने कहा कि चीन के लोग एक नई तरह की दुनिया को बना रहे हैं। शी जिनपिंग का यह बयान ऐसे समय पर आया है जब हॉन्‍ग कॉन्‍ग, उइगर मुस्लिम, लद्दाख और ताइवान को लेकर चीन की नीतियों को पूरी दुनिया में आलोचना हो रही है।


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वॉशिंगटन पिछले साल जनवरी में ऐसी तरंगें डिटेक्ट की गई थीं जिन्होंने पूरे विज्ञान जगत को हैरत में डाल दिया था। ये क्या थीं और कहां से आई थीं, अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिकों की एक टीम ने अब इससे जुड़े कई सवालों के जवाब खोजे हैं। गुरुत्वाकर्षण तरंगों के डिटेक्टर्स के ग्लोबल नेटवर्क की मदद से की गई स्टडी के नतीजे सामने आए हैं। रिसर्चर्स के मुताबिक एक ब्लैक होल और न्यूट्रॉन सितारे की टक्कर के कारण टाइम और स्पेस में ये तरंगें फैली थीं और ऐसी दो टक्कर 10 दिन के अंतराल पर डिटेक्ट की गईं। यूनिवर्सिटी ऑफ बर्मिंघम के इंस्टिट्यूट फॉर ग्रैविटेशनल वेव ऐस्ट्रोनॉमी की डॉक्टर पट्रीशिया श्मिट के मुताबिक न्यूट्रॉन स्टार और ब्लैक होल के सिस्टम की मौजूदगी का यह सबसे अहम सबूत है। इन डिटेक्शन से हमारी समझ पर बड़ा असर पड़ेगा। इसके साथ ही यह भी समझ आएगा कि गामा-रे बर्स्ट्स में इनकी क्या भूमिका होती है। दरअसल, इससे पहले वेव डिटेक्टर्स ने सिर्फ ब्लैक होल-ब्लैक होल या न्यूट्रॉन स्टार-न्यूट्रॉन स्टार सिस्टम की टक्कर को डिटेक्ट किया है। इनकी वजह से स्पेस में दूर तक ग्रैविटेशनल वेव्स जाती हैं। साल 2015 में पहली बार LIGO और Virgo कोलैबरेशन ने 1,3 अरब साल पहले टकराए दो ब्लैक होल से निकली वेव डिटेक्ट की थीं। इस बार डिटेक्टर्स ने न्यूट्रॉन स्टार के ब्लैक होल का चक्कर काटते-काटते उसमें मिल जाने की घटना को डिटेक्ट किया। इसेक कुछ दिन बाद दोबारा ऐसा डिटेक्शन किया गया। उम्मीद की जा रही है कि इस टक्कर से कई और अहम जानकारियां मिलेंगी और भविष्य में भी इस तरह की घटनाओं को डिटेक्ट किया जा सकेगा।


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लंदन ब्रिटेन में कोरोना वायरस के एक बार फिर सिर उठाने का खतरा मंडराने लगा है। यहां 24 घंटे में 26, 068 केस सामने आ गए हैं। जनवरी के बाद से यह अब तक सामने आए मामलों की सबसे ज्यादा संख्या है। पब्लिक हेल्थ इंग्लैंड के ये आंकड़े पिछले बुधवार की तुलना में 61% ज्यादा है। तब 16, 135 केस दर्ज किए गए थे। दरअसल, देश में भारत में मिला कोरोना का डेल्टा वेरियंट तेजी से फैलने को पहले से खतरे की घंटी बताया जा रहा था। हालांकि, नए मामलों में ज्यादा हावी कौन सा वेरियंट है, इसे लेकर कोई ठोस जानकारी अभी तक सामने नहीं आई है। देश में अब तक कोरोना के चलते 1.28 लाख लोगों की मौत हो चुकी है। वहीं, अब तक देश में 85% लोगों को वैक्सीन की पहली खुराक और 62% लोगों को दूसरी खुराक लग चुकी है।


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वॉशिंगटन जब कोई सितारा मरता है तो आमतौर पर उसमें एक बड़ा विस्फोट होता है जिसे कहते हैं। करीब एक हजार साल से ऐसी ही एक घटना ऐस्ट्रोनॉमर्स के सामने पहेली बनी थी और माना जा रहा है कि इसे अब सुलझा लिया गया है। दरअसल, नेचर ऐस्ट्रोनॉमी के मुताबिक एक सितारे में हुए विस्फोट के बाद Crab Nebula पैदा हुआ था लेकिन यह घटना किसी सितारे के फटने या सफेद बौने सितारे में थर्मोन्यूक्लियर विस्फोट के कारण नहीं हुई थी बल्कि कोई तीसरा तरीका था जिसके बारे में जानने की कोशिश बनी रही है। नई तरह का विस्फोट? अब यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया के वैज्ञानिकों ने एक नई तरह के सुपरनोवा की खोज की है जिसे नाम दिया गया है- electron capture -जिसके बारे में अब तक ज्यादा सबूत नहीं मिले थे। रिपोर्ट्स में बताया जाता है कि 1054 AD में एक रोशनी की झलक दिखी थी जो शायद super-asymptotic giant branch (SAGB) कैटिगिरी के से निकली होगी। कैसे होता है यह सुपरनोवा? 1980 में टोक्यो यूनिवर्सिटी ने तीसरे तरीके के सुपरनोवा होने की बात थिअरी दी थी। इसमें ऐसे सितारों में सुपरनोवा होने की बात कही गई जिनके कोर में ऑक्सिजन, नियॉन और मैग्नीशियम हो। इसमें मौजूद इलेक्ट्रॉन कोर के न्यूक्लियस से टकराते जिसे इल्केट्रॉन-कैप्चर नाम दिया गया। इलेक्ट्रॉन्स के निकलने पर सितारे की कोर अपने ही वजन में दब जाती और विस्फोट हो जाता। कहां मिले सबूत? वैज्ञानिकों का मानना है कि उन्हें धरती से 3.1 करोड़ लाइट इयर दूर NGC-2146 गैलेक्सी में 2018zd सुपरनोवा विस्फोट में तीसरी कैटिगिरी के सबूत मिले हैं। यह खोज यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया सैंटा बारबरा में ग्रैजुएट स्टूडेंट दाइची हिरामत्सू ने की है। इस विस्फोट में जिस तरह के फीचर्स पाए गए हैं और जैसी इसकी केमिकल बनावट है, उसके आधार पर इसे इलेक्ट्रॉन कैप्चर सुपरनोवा ही माना जा रहा है।


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बोस्टन एमआईटी और हारवर्ड यूनिवर्सिटी के अनुसंधानकर्ताओं ने एक नये फेस मास्क का डिजाइन तैयार किया है जिसे पहनने के डेढ़ घंटे के अंदर पता चल सकता है कि उसे पहनने वाले को SARS-SoV-2 या कोरोना वायरस का संक्रमण तो नहीं है। पत्रिका ‘नेचर बायोटेक्नोलॉजी’ में इस मास्क डिजाइन के बारे में बताया गया है। इसके ऊपर छोटे-छोटे डिस्पोजेबल सेंसर लगे होते हैं जिन्हें दूसरे मास्क में भी लगाया जा सकता है और इनसे अन्य वायरसों के संक्रमण का भी पता चल सकता है। अनुसंधानकर्ताओं के अनुसार, इन सेंसरों को न केवल फेस मास्क पर बल्कि प्रयोगशालाओं में स्वास्थ्य कर्मियों के इस्तेमाल में आने वाले कोट जैसे परिधान आदि पर भी लगाया जा सकता है। इस तरइ इनसे स्वास्थ्य कर्मियों को वायरस के संभावित खतरे पर नजर रखी जा सकती है। अमेरिका के मैसाचुसेट्स इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एमआईटी) में प्रोफेसर जेम्स कॉलिन्स ने कहा, 'हमने देखा कि वायरस या बैक्टीरियल न्यूक्लिक एसिड का पता लगाने के लिए कई तरह के सिंथेटिक जैविक सेंसर का उपयोग किया जा सकता है। इनसे कई जहरीले रसायनों का भी पता चल सकता है।' मास्क बेहद जरूरी कोरोना की महामारी के खिलाफ सबसे पहला हथियार बने मास्क आज भी बेहद अहम हैं। एलएनजेपी के डायरेक्टर डॉ सुरेश कुमार का कहना है कि मास्क बहुत जरूरी है। इससे छुटकारा तभी मिल सकता है, जब 80 पर्सेंट आबादी का वैक्सीनेशन हो जाए और हर्ड इम्युनिटी बन जाए। ऐसे हालात में इंफेक्शन फैलने का खतरा कम हो जाता है और वायरस में बदलाव की संभावना भी कम होती है। जहां तक अपने देश की बात है तो केवल 5 पर्सेंट की आबादी को दोनों डोज लगी है, इसमें हम मास्क हटाने की बात तो सोच नहीं सकते। अभी जिस प्रकार वेरिएंट दिख रहा है, जो वैक्सीन के बाद भी हो रहा है, उसमें मास्क ही बचा सकता है।


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मॉस्को काला सागर (Black Sea) में अमेरिका-ब्रिटेन के साथ रूस का तनाव पिछले हफ्ते के बाद से बढ़ने लगा है। यहां तक कि राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का कहना है कि यहां विवाद बढ़ भी जाए तो विश्व युद्ध नहीं होगा और वह इसलिए क्योंकि पश्चिमी देशों को यह पता है कि वे वैश्विक लड़ाई में जीत नहीं सकते। इससे पहले मॉस्को ने दावा किया था कि उसके लड़ाकू विमानों ने ने 23 जून को ब्रिटेन के विध्वंसक पोत डिफेंडर के रास्ते में बम बरसाए थे। हालांकि, ब्रिटेन ने ऐसी किसी घटना से इनकार किया है। 'जीत नहीं सकते पश्चिमी देश' पुतिन से यह सवाल किया गया था कि क्या इस घटना से तीसरा विश्व युद्ध छिड़ सकता है? इस पर पुतिन ने कहा कि अगर रूस ने ब्रिटेन के युद्धपोत को मार के डूबा भी दिया होता तो इसकी संभावना नहीं है क्योंकि पश्चिमी ताकतों को पता है कि वैश्विक लड़ाई में वे नहीं जीत सकते हैं। पुतिन ने बुधवार को लंबे लाइव कॉल-इन शो में कहा कि इस दौरान ब्रिटेन के साथ अमेरिकी विमान भी था जिसका मिशन शायद ब्रिटिश विध्वंसक पोत को रूसी सेना की तरफ से मिलने वाली प्रतिक्रिया पर नजर रखना था। पुतिन का कहना है कि मॉस्को को अमेरिका की मंशा का पता है और संवेदनशील आंकड़ों का खुलासा करने से बचने के लिए उसी के मुताबिक जवाब दिया गया। क्रीमिया के पास बढ़ा तनाव वहीं, रूस ने क्रीमिया में अपने डिफेंस सिस्टम का टेस्ट भी शुरू किया है। रूसी सैन्य अधिकारी इस मिसाइल डिफेंस सिस्टम की ऑपरेशनल तैयारियों को जांच रहे हैं। दूसरी ओर अमेरिका के नेतृत्व वाले सैन्य संगठन नाटो इन दिनों काला सागर में ऑपरेशन सी ब्रिज नाम का युद्धाभ्यास कर रहे हैं। रूस के विरोधी देशों के इस युद्धाभ्यास में में 32 देशों के लगभग 5,000 सैनिक और 32 युद्धपोत शामिल हैं। इसलिए वह भी तमतमाया है। ब्रिटेन का दावा, 'सीमा में था पोत' वहीं, ब्रिटेन ने पिछले बुधवार की घटना के बारे में कहा है कि उसका पोत डिफेंडर अंतरराष्ट्रीय मान्यता प्राप्त यात्रा रास्ते से नियमित परिचालन पर था और क्रीमिया के नजदीक यूक्रेन की जल सीमा में था। दुनिया के अधिकतर देशों की तरह ब्रिटेन भी क्रीमिया को यूक्रेन का हिस्सा मानता है जबकि रूस ने इस प्रायद्वीप को अलग कर दिया था। रूस की चेतावनी रूस ने डिफेंडर के कदम की निंदा करते हुए इसे भड़काने वाला बताया और चेतावनी दी कि अगली बार यदि उन्होंने रूस की सेना के संकल्प की परीक्षा लेने का प्रयास किया तो घुसपैठ करने वाले पोतों को निशाना बनाया जा सकता है। यूक्रेन के साथ चल रही रस्साकशी से जुड़े एक सवाल पर पुतिन ने कहा कि रूस और यूक्रेन के लोग लंबे समय से एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं लेकिन यूक्रेन का नेतृत्व रूस से वैर भाव रखता है।


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मॉस्को रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कहा है कि पिछले हफ्ते काला सागर की घटना के दौरान ब्रिटेन के विध्वंसक पोत के साथ अमेरिका का निगरानी विमान भी काम कर रहा था। मॉस्को ने कहा कि इसके एक पोत ने चेतावनी गोलीबारी की और पिछले बुधवार को ब्रिटेन के विध्वंसक पोत डिफेंडर के रास्ते में युद्धक विमानों ने बम गिराए ताकि क्रीमिया प्रायद्वीप के नजदीक से वह पोत बाहर निकल जाए। ब्रिटेन ने इन घटनाओं से इनकार किया और कहा कि उसके पोत पर गोलीबारी नहीं हुई और वह यूक्रेन की जल सीमा में था। पुतिन ने बुधवार को लंबे लाइव कॉल-इन शो में कहा कि अमेरिकी विमान का मिशन शायद ब्रिटिश विध्वंसक पोत को रूसी सेना की तरफ से मिलने वाली प्रतिक्रिया पर नजर रखना था। उन्होंने कहा कि मॉस्को को अमेरिका की मंशा का पता है और संवेदनशील आंकड़ों का खुलासा करने से बचने के लिए उसी तरह से जवाब दिया गया। ब्रिटेन ने पिछले बुधवार की घटना के बारे में कहा कि उसका पोत डिफेंडर अंतरराष्ट्रीय मान्यता प्राप्त यात्रा मार्ग से नियमित परिचालन पर था और क्रीमिया के नजदीक यूक्रेन की जल सीमा में था। दुनिया के अधिकतर देशों की तरह ब्रिटेन भी क्रीमिया को यूक्रेन का हिस्सा मानता है जबकि रूस ने इस प्रायद्वीप को अलग कर दिया था। रूस ने डिफेंडर के कदम की निंदा करते हुए इसे भड़काने वाला बताया और चेतावनी दी कि अगली बार अगर उन्होंने रूस की सेना के संकल्प की परीक्षा लेने का प्रयास किया तो घुसपैठ करने वाले पोतों को निशाना बनाया जा सकता है।


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ब्रह्मांड में हम अकेले नहीं हैं। धरती के बाहर हमें जीवन भले ही ना मिला हो लेकिन अंतरिक्ष से कई मेहमान हमारे करीब से गुजर जाते हैं। आमतौर पर मंगल और बृहस्पति के बीच स्थित बेल्ट से आने वाली चट्टानें धरती ही नहीं, सौर मंडल और ब्रह्मांड के जन्म और विकास के कई सवालों का जवाब दे सकती हैं। ये चट्टानें होती हैं ऐस्टरॉइड्स। ऐस्टरॉइड डे पर जानते हैं इनसे जुड़ी कुछ खास बातें-
  1. क्या होते हैं ऐस्टरॉइड?ऐस्टरॉइड्स वे चट्टानें होती हैं जो किसी ग्रह की तरह ही सूरज के चक्कर काटती हैं लेकिन ये आकार में ग्रहों से काफी छोटी होती हैं। हमारे सोलर सिस्टम में ज्यादातर ऐस्टरॉइड्स मंगल ग्रह और बृहस्पति यानी मार्स और जूपिटर की कक्षा में ऐस्टरॉइड बेल्ट में पाए जाते हैं। इसके अलावा भी ये दूसरे ग्रहों की कक्षा में घूमते रहते हैं और ग्रह के साथ ही सूरज का चक्कर काटते हैं।
  2. कितने विशाल होते हैं?करीब 4.5 अरब साल पहले जब हमारा सोलर सिस्टम बना था, तब गैस और धूल के ऐसे बादल जो किसी ग्रह का आकार नहीं ले पाए और पीछे छूट गए, वही इन चट्टानों यानी ऐस्टरॉइड्स में तब्दील हो गए। यही वजह है कि इनका आकार भी ग्रहों की तरह गोल नहीं होता। ब्रह्मांड में कई ऐसे ऐस्टरॉइड्स हैं जिनका डायमीटर सैकड़ों मील का होता है और ज्यादातर किसी छोटे से पत्थर के बराबर होते हैं। ग्रहों के साथ ही पैदा होने के कारण इन्हें स्टडी करके ब्रह्मांड, सौर मंडल और ग्रहों की उत्पत्ति से जुड़े सवालों के जवाब खोजे जा सकते हैं।
  3. कैसे ऐस्टरॉइड्स हैं खतरनाक?अगर किसी तेज रफ्तार चट्टान के धरती से करीब 46 लाख मील से करीब आने की संभावना होती है तो उसे स्पेस ऑर्गनाइजेशन्स खतरनाक मानते हैं। NASA का Sentry सिस्टम ऐसे खतरों पर पहले से ही नजर रखता है। इस सिस्टम के मुताबिक जिस ऐस्टरॉइड से धरती को वाकई खतरे की आशंका है वह है अभी 850 साल दूर है।
  4. धरती के लिए चिंता?साल 2880 में न्यूयॉर्क की empire state building जितना बड़ा ऐस्टरॉइड 29075 (1950 DA) के पृथ्वी की ओर की आने की आशंका है। हालांकि, वैज्ञानिकों को विश्वास है कि आने वाले वक्त में Planetary Defense System विकसित कर लिया जाएगा जिस पर काम पहले ही शुरू हो चुका है।
  5. ऐस्टरॉइड और उल्कापिंड एक ही चीज है? उल्कापिंड ऐस्टरॉइड का ही हिस्सा होते हैं। किसी वजह से ऐस्टरॉइड के टूटने पर उनका छोटा सा टुकड़ा उनसे अलग हो जाता है जिसे उल्कापिंड यानी meteroid कहते हैं। जब ये उल्कापिंड धरती के करीब पहुंचते हैं तो वायुमंडल के संपर्क में आने के साथ ये जल उठते हैं और हमें दिखाई देती एक रोशनी जो शूटिंग स्टार यानी टूटते तारे की तरह लगती है लेकिन ये वाकई में तारे नहीं होते। और ये Comet यानी धूमकेतु भी नहीं होते।


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अम्मान पैरासेलिंग करना अपने आप में एक अडवेंचर होता है लेकिन जॉर्डन के एक शख्स के लिए यह अडवेंचर अचानक हादसे में तब्दील हो गया। एक दुर्लभ घटना में पैरासेलिंग कर रहे शख्स पर पानी से छलांग मारकर बाहर आई शार्क ने हमला कर दिया और पैर काट लिया। इसमें उनकी कई हड्डियां टूट गईं। फौरन अस्पताल ले जाकर उनका ऑपरेशन करना पड़ा जिसके बाद उनकी हालत स्थिर बनी हुई है। अपनी तरह का अनोखा केस घटना के बाद से पूरे इलाके में लोग सकते में हैं क्योंकि इस तरह के हादसे यहां शायद ही कभी होते हैं। अकाबा इंटरनैशनल डाइव सेंटर ने स्थानीय मीडिया को बताया कि इस घटना से लोग काफी डरे हुए हैं लेकिन यह कहीं भी हो सकता है। उनका कहना है कि कराक में सांप और बिच्छू भी होते हैं लेकिन वे इतने खतरनाक नहीं होते कि लोग डरकर दूर रहें। उन्होंने बताया कि वह 20 साल से डाइविंग कर रहे हैं लेकिन इस तरह का पहली बार सुना है। वहीं, कॉलेज ऑफ मरीन साइंसेज के मोहम्मद खलील अल जबादा ने गल्फ न्यूज को बताया कि जॉर्डन के तट पर जहां पानी गहरा नहीं है, वहां आमतौर पर शार्क नहीं पाई जाती हैं। मिली थी म्यूटेंट शार्क डरावनी शार्क की बात की जाए तो इसी साल फरवरी में इंडोनेशिया के एक मछुआरे ने इंसानी चेहरे वाले एक को पकड़ा था जिसे देखने के बाद लोग दहशत में आ गए थे। दरअसल, इंसानों जैसे चेहरे वाली इस शार्क को एक बड़ी शार्क के पेट से निकाला गया था। इस शार्क को मछुआरे ने बेचने से इनकार करते हुए घर में ही पालना शुरू कर दिया।


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जिनेवा विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 70 साल की कोशिश के बाद मंगलवार को ये प्रमाणित किया कि चीन मलेरिया मुक्त है, जो उस देश के लिए एक उल्लेखनीय उपलब्धि है। मलेरिया ने 1940 के दशक में सालाना इस बीमारी के 3 करोड़ मामले दर्ज किए थे। विश्व निकाय द्वारा जारी एक आधिकारिक बयान में डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक टेड्रोस एडनॉम घेब्येयियस ने कहा, ‘आज हम चीन के लोगों को मलेरिया से छुटकारा पाने के लिए बधाई देते हैं।’ टेड्रोस ने कहा, ‘उनकी सफलता कड़ी मेहनत से अर्जित की गई थी और दशकों के लक्षित और निरंतर कार्रवाई के बाद ही आई थी। इस घोषणा के साथ, चीन उन देशों की बढ़ती संख्या में शामिल हो गया है जो दुनिया को दिखा रहे हैं कि मलेरिया मुक्त भविष्य संभव है।’ डब्ल्यूएचओ पश्चिमी प्रशांत क्षेत्र में चीन पहला देश है जिसे तीन दशकों से ज्यादा समय में मलेरिया मुक्त प्रमाणन से सम्मानित किया गया है। इस स्थिति को हासिल करने वाले क्षेत्र के अन्य देशों में ऑस्ट्रेलिया (1981), सिंगापुर (1982) और ब्रुनेई दारुस्सलाम (1987) शामिल हैं। डब्ल्यूएचओ के बयान में कहा गया है कि 1950 के दशक की शुरूआत में, चीन में स्वास्थ्य अधिकारियों ने बीमारी के जोखिम वाले लोगों के साथ-साथ बीमार लोगों के इलाज के लिए मलेरिया के प्रसार को रोकने काम किया। 1967 में, चीनी सरकार ने ‘523 प्रॉजेक्ट’ शुरू किया जो एक राष्ट्रव्यापी शोध कार्यक्रम है जिसका उद्देश्य मलेरिया के लिए नए उपचार खोजना था। इस प्रयास में, 60 संस्थानों के 500 से ज्यादा वैज्ञानिकों को शामिल करते हुए, 1970 के दशक में आर्टीमिसिनिन की खोज की गई, जो आर्टीमिसिनिन-आधारित संयोजन चिकित्सा (एसीटी) का मुख्य यौगिक है, जो आज उपलब्ध सबसे प्रभावी मलेरिया-रोधी दवाएं हैं। विश्व के 40 देशों और क्षेत्रों को डब्ल्यूएचओ से मलेरिया-मुक्त प्रमाणपत्र 1990 के अंत तक, चीन में मलेरिया के मामलों की संख्या 117,000 तक गिर गई थी और मौतों में 95 प्रतिशत की कमी आई थी। 2003 के बाद से 10 वर्षों के भीतर, मामलों की संख्या सालाना लगभग 5,000 तक गिर गई थी। डब्ल्यूएचओ वेस्टर्न पैसिफिक रीजनल ऑफिस के क्षेत्रीय निदेशक ताकेशी कसाई ने कहा: ‘इस महत्वपूर्ण मील के पत्थर को हासिल करने के लिए चीन के अथक प्रयास से पता चलता है कि कैसे मजबूत राजनीतिक प्रतिबद्धता और राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्रणालियों को मजबूत करने से एक ऐसी बीमारी को खत्म किया जा सकता है जो कभी एक प्रमुख सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या थी।’ कसाई ने कहा, ‘चीन की उपलब्धि हमें मलेरिया मुक्त पश्चिमी प्रशांत क्षेत्र के द्दष्टिकोण की ओर एक कदम और करीब ले जाती है।’ विश्व स्तर पर, 40 देशों और क्षेत्रों को डब्ल्यूएचओ से मलेरिया-मुक्त प्रमाणन प्रदान किया गया है, जिसमें हाल ही में, अल सल्वाडोर (2021), अल्जीरिया (2019), अर्जेंटीना (2019), पराग्वे (2018) और उज्बेकिस्तान (2018) शामिल हैं।


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दुबई संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) में 2007 से रह रहे एक भारतीय कलाकार को बुधवार को खाड़ी देश का प्रतिष्ठित गोल्डन वीजा मिला है। खलीज टाइम्स की रिपोर्ट में कहा गया है कि ओडिशा की रहने वाली मोना विश्वरूपा मोहंती ने एक वरिष्ठ कलाकार की सलाह के आधार पर गोल्डन वीजा के लिए आवेदन किया था। उन्‍होंने कहा कि इससे और ज्‍यादा कलाकार अब प्रेरित होंगे। मोहंती ने एक अखबार को बताया, ‘मैं गोल्डन वीजा पाकर सम्मानित महसूस कर रही हूं। जीवन में ये मील के पत्थर बहुत मायने रखते हैं। वे आपको आश्वस्त करते हैं कि यदि आप अपने दिल और आत्मा का पालन करते हैं, तो धीरे-धीरे आप जितना सोच सकते हैं उससे कहीं अधिक पुरस्कृत होंगे। गोल्डन वीजा प्राप्त करने से मेरा अपने आप में विश्वास मजबूत हुआ है और यदि यह अन्य युवा कलाकारों को प्रेरित कर सकता है, तो मैं इसे अपना सबसे बड़ा योगदान मानूंगी।’ उन्होंने कहा, ‘मैंने अपने दिल की सुनी और इसका फायदा उठाया और इसके लिए पुरस्कृत होना मुझे बताता है कि जब आप अपने जुनून का पालन करते हैं और अपना सर्वश्रेष्ठ देते हैं, तो आपके साथ अच्छी चीजें होने लगती हैं।’ एक फैशन डिजाइनर, मोहंती 2007 में दुबई में मणिपाल विश्वविद्यालय के व्याख्याता के रूप में संयुक्त अरब अमीरात आईं। खलीज टाइम्स की रिपोर्ट में कहा गया है कि फैशन उद्योग में आठ साल तक काम करने के बाद, उसने एक चित्रकार बनने का फैसला किया। गोल्डन वीजा विदेशियों को राष्ट्रीय प्रायोजक की आवश्यकता के बिना देश में रहने, काम करने और अध्ययन करने और संयुक्त अरब अमीरात की मुख्य भूमि पर उनके व्यवसाय के 100 प्रतिशत स्वामित्व के साथ सक्षम बनाता है। वे पांच या 10 साल के लिए जारी किए जाते हैं और स्वचालित रूप से नवीनीकृत हो जाते हैं।


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पेइचिंग लद्दाख से लेकर अरुणाचल प्रदेश तक भारत के 50 हजार अतिरिक्‍त सैनिक तैनात करने पर चीन का सरकारी भोंपू ग्‍लोबल टाइम्‍स भड़क उठा है। ग्‍लोबल टाइम्‍स ने अपने संपादकीय में धमकी दी कि अगर भारत पश्चिमी देशों के इशारे पर चीन के साथ गैरजरूरी प्रतिस्‍पर्द्धा करेगा तो तबाह हो जाएगा। चीनी अखबार ने यह भी कहा कि चीन और भारत को एक-दूसरे की ताकत का मिलकर इस्‍तेमाल करना चाहिए। ग्‍लोबल टाइम्‍स को रक्षामंत्री राजनाथ सिंह की लद्दाख यात्रा पर भी मिर्ची लगी है। उसने कहा कि इससे भारत और चीन के बीच जारी तनाव को कम करने में निश्चित रूप से कोई मदद नहीं मिलेगी। राजनाथ सिंह की यात्रा भारत के कठोर रुख को दर्शाती है जिसे उसने हाल के दिनों में अपनाया है। हालांकि इससे कोई फायदा नहीं होगा। चीनी अखबार ने दावा किया कि भारत को सैन्‍य संघर्ष से कोई फायदा नहीं होगा क्‍योंकि पीएलए के सामने भारतीय सेना कमजोर है। 'ड्रैगन और हाथी के बीच प्रतिस्‍पर्द्धा' ग्‍लोबल टाइम्‍स ने कहा, 'सैन्‍य ताकत दिखाकर भारत को कोई फायदा नहीं होगा। यह भारत के हित में है कि वह चीन के साथ संयम बरते और सीमा विवाद को तेज करने से बचे।' उसने कहा कि कोरोना काल में चीन की अर्थव्‍यवस्‍था कुलाचे मार रही है, वहीं भारत सबसे खराब प्रदर्शन करने वाले देशों में है। लंबी अवधि में भारत और चीन को अपने सीमा विवाद को समुचित तरीके से सुलझाना चाहिए और एक-दूसरे के विकास में सहयोग करना चाहिए। चीनी अखबार ने दावा किया कि अमेरिका, जापान और ऑस्‍ट्रेलिया भारत को क्‍वॉड में शामिल करके अपना सहयोगी बनाने के लिए पूरी कोशिश कर रहे हैं। ये देश 'ड्रैगन' और 'हाथी' के बीच प्रतिस्‍पर्द्धा पैदा करना चाहते हैं ताकि लंबी अ‍वधि में दोनों एक-दूसरे को खा जाएं। इसके जरिए वे कम अवधि में चीन को नुकसान पहुंचा सकते हैं और दीर्घ अवधि में भारत को तबाह कर सकते हैं। इस तरह से अमेरिका, जापान और ऑस्‍ट्रेलिया एक पत्‍थर से दो पक्षियों को मारना चाहते हैं। भारत ने सीमा पर 50 हजार अतिरिक्‍त सैनिक तैनात क‍िए ग्‍लोबल टाइम्‍स ने कहा कि अगर भारत पश्चिमी देशों के दबाव में अनावश्‍यक प्रतिस्‍पर्द्धा में पड़ता है तो यह भारत के लिए भयावह सपने के समान होगा। इससे पहले भारत ने चीन की बढ़ती सैन्‍य तैनाती से निपटने के लिए सीमा पर 50 हजार अतिरिक्‍त सैनिक तैनात कर दिए थे। न्यूज एजेंसी ब्लूमबर्ग ने यह खबर देते हुए चीन से मुकाबले के लिए भारत के इस कदम को ऐतिहासिक बताया है। एजेंसी न चार अलग-अलग सूत्रों के हवाले से कहा है कि भारत ने पिछले कुछ महीनों में चीनी सीमा से सटे तीन अलग-अलग इलाकों में सैन्य टुकड़ियों और युद्धक विमानों को तैनात किया है। इस तरह, अब भारत अब चीन की सीमा पर नजर रखने के लिए करीब दो लाख सैनिकों को तैनात कर दिया है जो पिछले साल के मुकाबले 40% ज्यादा है। एक सूत्र ने कहा कि भारत अब चीन के खिलाफ भी 'ऑफेंसिव डिफेंस' की रणनीति अपनाने में नहीं हिचकेगा। इसके लिए एक घाटी से दूसरे घाटी तक सैनिकों और हल्के हॉवित्जर तोपों को लाने-ले जाने में हेलिकॉप्टरों की भी तैनाती सुनिश्चित की गई है।


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वॉशिंगटन अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने चेताया है कि 250 मीटर का विशाल ऐस्‍टरॉइड 22 हजार किमी प्रतिघंटे की रफ्तार से धरती की कक्षा की ओर रहा है। यह ऐस्‍टरॉइड एक जुलाई को धरती की कक्षा के बेहद पास से गुजरेगा। नासा इस ऐस्‍टरॉइड पर वर्ष 2006 से अपनी पैनी नजर बनाए हुए है। यह ऐस्‍टरॉइड लंदन आई से दोगुने और दुबई के बुर्ज खलीफा इमारत के आकार का है। इस ऐस्‍टरॉइड को '2021 GM4' नाम द‍िया गया है। नासा ने बताया कि 2021 GM4 ऐस्‍टरॉइड 110 मीटर से लेकर 250 मीटर तक चौड़ा हो सकता है। इस ऐस्‍टरॉइड की सबसे पहले पहचान 10 अक्‍टूबर 2006 को हुई थी। कुछ इसी तरह का विशाल ऐस्‍टरॉइड 2020 DM4 मई 2020 में धरती की कक्षा के पास से गुजरा था। यह ऐस्‍टरॉइड अभी 6.29 किमी प्रति सेकंड की रफ्तार से यात्रा कर रहा है। वैज्ञानिकों के अनुमान के आधार यह ऐस्‍टरॉइड 2021 GM4 गुरुवार एक जुलाई को धरती की कक्षा के पास पहुंच जाएगा। 22 ऐसे ऐस्टरॉइड्स हैं जिनके पृथ्वी से टकराने की संभावना नासा ने इस खतरनाक ऐस्‍टरॉइड की श्रेणी में रखा है। यह ऐस्‍टरॉइड हाल के दिनों में आने वाले 5 में से तीसरा है। अनुमान है कि यह ऐस्‍टरॉइड दुबई के बुर्ज खलीफा इमारत के आकार का हो सकता है। नासा इन दिनों दो हजार ऐस्‍टरॉइड पर नजर रखे हुए है जो धरती के लिए खतरा बन सकते हैं। अगर किसी तेज रफ्तार स्पेस ऑब्जेक्ट के धरती से 46.5 लाख मील से करीब आने की संभावना होती है तो उसे स्पेस ऑर्गनाइजेशन्स खतरनाक मानते हैं। NASA का Sentry सिस्टम ऐसे खतरों पर पहले से ही नजर रखता है। इसमें आने वाले 100 सालों के लिए फिलहाल 22 ऐसे ऐस्टरॉइड्स हैं जिनके पृथ्वी से टकराने की थोड़ी सी भी संभावना है। क्या होते हैं Asteroids? ऐस्टरॉइड्स वे चट्टानें होती हैं जो किसी ग्रह की तरह ही सूरज के चक्कर काटती हैं लेकिन ये आकार में ग्रहों से काफी छोटी होती हैं। हमारे सोलर सिस्टम में ज्यादातर ऐस्टरॉइड्स मंगल ग्रह और बृहस्पति यानी मार्स और जूपिटर की कक्षा में ऐस्टरॉइड बेल्ट में पाए जाते हैं। इसके अलावा भी ये दूसरे ग्रहों की कक्षा में घूमते रहते हैं और ग्रह के साथ ही सूरज का चक्कर काटते हैं। करीब 4.5 अरब साल पहले जब हमारा सोलर सिस्टम बना था, तब गैस और धूल के ऐसे बादल जो किसी ग्रह का आकार नहीं ले पाए और पीछे छूट गए, वही इन चट्टानों यानी ऐस्टरॉइड्स में तब्दील हो गए। यही वजह है कि इनका आकार भी ग्रहों की तरह गोल नहीं होता। कोई भी दो ऐस्टरॉइड एक जैसे नहीं होते हैं।


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तेल अवीव इजरायल के रक्षा मंत्रालय ने देश की ही कंपनी पोलारिस सॉल्‍यूशन्‍स के साथ मिलकर एक ऐसी छिपाने की अद्भुत तकनीक को बनाया है जिससे इजरायली सैनिक वर्चुअली अदृश्‍य हो जाएंगे। इस छद्म आवरण का इस्‍तेमाल करते ही इजरायली सैनिक देखने में बिल्‍कुल पत्‍थर की तरह से नजर आएंगे जिससे उन्‍हें आसानी से पहचाना नहीं जा सकेगा। इस तकनीक को किट 300 नाम दिया गया है और इसे छिपाने वाले थर्मल विजुअल मटीरियल का इस्‍तेमाल किया गया है जिसमें धातू, माइक्रोफाइबर और पॉलीमर का इस्‍तेमाल किया गया है। इससे इजरायली सैनिकों को पहचनना असान नहीं होगा। इस मटीरियल को एक हल्‍के स्‍ट्रेचर में तब्‍दील किया जा सकेगा। इसको पहनने पर इजरायली सैनिकों को इंसानी आंखों और थर्मल इमैजिंग उपकरणों की मदद पहचाना नहीं जा सकेगा। शीट का वजन करीब 500 ग्राम इजरायली सैनिक इस अत्‍याधुनिक छद्म आवरण को या तो अपने चारों ओर लपेट सकेंगे या उसे मिला सकेंगे जिससे वह देखने में कोई पहाड़ी इलाके की तरह से नजर आएगा। इजरायली रक्षा मंत्रालय के विशेषज्ञ गाल हरारी कहते हैं कि अगर कोई इन सैनिकों को दूरबीन की मदद से देख रहा है तो वह सैनिकों को पहचान नहीं पाएगा। इस शीट का वजन करीब 500 ग्राम है। इसे एक गट्ठर के रूप में मोड़ा जा सकता है। इजरायली सेना ने इसका परीक्षण कर लिया है और अब इसे सेना में शामिल किया जा रहा है। इस तरह के छद्म आवरण को बनाने का विचार पोलारिस सॉल्‍यूशन्‍स के सहसंस्‍थापक असाफ को अपने निजी अनुभवों से आया था। वर्ष 2006 में लेबनान युद्ध के दौरान असाफ इजरायली सेना में थे और उन्‍होंने पाया था कि सैनिक अपने शत्रुओं के थर्मल इमैजिंग उपकरणों के सामने पूरी तरह से सुरक्षित नहीं हैं। इसके बाद उन्‍होंने इसे बनाने की ठानी थी। अब यह कंपनी इस तकनीक को अमेरिका और कनाडा को भी देने पर विचार कर रही है।


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इस्‍लामाबाद/वैंकुवर कनाडा में एक पाकिस्‍तानी परिवार की हत्‍या के कुछ दिन बाद ही नस्‍ली हिंसा की एक और खौफनाक घटना सामने आई है। सास्‍कटून शहर में पाकिस्‍तानी मूल के मुहम्‍मद काशिफ पर शुक्रवार को दो हमलावरों ने हमला कर दिया। हमलावरों ने काश‍िफ को इतनी बुरी तरह से घायल किया है कि उन्‍हें 14 टांके लगाने पड़े हैं। खूनी हमला करने वालों ने यह भी कहा कि उन्‍हें मुस्लिमों से नफरत है। पाकिस्‍तानी मीडिया के मुताबिक काश‍िफ शाम को अपने घर लौट रहा था, इसी दौरान हमला हो गया। काशिफ ने मुस्लिमों का परंपरागत पहनावा पहन रखा था। हमलावरों ने काशिफ की पीठ पर चाकू मारा और कहा, 'तुमने यह ड्रेस क्‍यों पहन रखी है? तुम यहां क्‍यों हो? अपने देश वापस लौट जाओ। मैं मुस्लिमों से नफरत करता हूं।' उन्‍होंने काशिफ से यह भी कहा कि तुमने दाढ़ी क्‍यों रखी है। घायल काशिफ को 14 टांके लगे इसके बाद उन्‍होंने काशिफ की दाढ़ी को भी काट दिया। बुरी तरह से घायल काशिफ को 14 टांके लगे हैं। काशिफ ने बताया कि एक तीसरा हमलावर भी था जो पास में ही एक कार में दोनों का इंतजार कर रहा था। हमलावरों को पकड़ने के लिए पुलिस ने तलाशी अभियान शुरू कर दिया है। उधर, शहर के मेयर चाली क्‍लार्क ने कहा कि वह इस घटना से बेहद दुखी हैं। क्‍लार्क ने कहा, 'श्‍वेतों के आधिपत्‍य को बढ़ावा देने वाले समूह, इस्‍लामोफोबिया और अन्‍य तरह के भेदभाव की जांच होनी चाहिए और दोषियों को इसके लिए जिम्‍मेदार ठहराया जाना चाहिए।' काशिफ करीब 20 साल पहले पाकिस्‍तान से कनाडा चले गए थे। वह अब अपनी पत्‍नी और दो मासूम बच्‍चों की सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं। इससे पहले 6 जून को एक पाकिस्‍तानी परिवार की कनाडा में हत्‍या कर दी गई थी।


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Tuesday 29 June 2021

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वैंकुवर कनाडा में भीषण गर्मी से बुरा हाल हो गया और तापमान 49.5 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया है। कनाडा में तेज लू चल रही है और वैंकुवर शहर में शुक्रवार से लेकर अब तक 130 लोगों की मौत हो गई है। मारे गए लोगों में ज्‍यादातर बुजुर्ग हैं या उनका स्‍वास्‍थ्‍य खराब चल रहा था। बताया जा रहा है कि इतनी बड़ी संख्‍या में लोगों की मौत के पीछे भीषण गर्मी भी एक बड़ी वजह है। मंगलवार को कनाडा के ब्रिटिश कोलंबिया इलाके में लगातार तीसरे दिन तापमान 49.5 डिग्री सेल्सियस रेकॉर्ड किया गया। इस सप्‍ताह के पहले देश में पारा 45 डिग्री सेल्सियस के पार नहीं पहुंचा था। बताया जा रहा है कि उत्‍तरी-पश्चिमी अमेरिका और कनाडा में उच्‍च दबाव का क्षेत्र बनने की वजह से दोनों ही देशों में लू चल रही है। पुलिस ने बताया कि वैंकुवर में 65 लोगों की मौत के पीछे गर्मी एक बड़ी वजह है। 'घर से बाहर जाना लगभग असंभव' वहीं उपनगरीय इलाके बुर्नबे में कम से कम 34 और सरे में 38 लोगों की मौत हो गई है। पुलिस ने कहा कि वैंकुवर में अभी तक ऐसी गर्मी कभी नहीं पड़ी। इससे कई लोग मारे जा रहे हैं। उसने कहा कि लोगों की जान बचाने के लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं। लू का आलम यह है कि वैंकुवर के लोगों का कहना है कि घर से बाहर जाना लगभग असंभव हो गया है। उधर, प्रशांत उत्तरपश्चिम क्षेत्र को प्रभावित करने वाली लू के चलते अमेरिका में भी द‍िन का तापमान 44 डिग्री सेल्सियस से अधिक दर्ज किया जा रहा है। इसे राष्ट्रीय मौसम सेवा विभाग ने तीव्र, लंबा, रेकॉर्ड तोड़ने वाला, अभूतपूर्व, असामान्य और खतरनाक बताया है। दिन के वक्त दर्ज किया जा रहा यह तापमान ओलंपिक क्वालिफाइंग प्रतियोगिताओं को बाधित करने के साथ ही अभी तक ऐसे स्थानों पर दर्ज किए गए उच्चतम तापमानों के सभी रिकॉर्ड तोड़ रहा है जो ऐसी गर्मियों के आदी हैं।


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रीगा कोरोना वायरस महासंकट के बीच प्‍लेग महामारी को लेकर एक अद्भुत जानकारी सामने आई है। यूरोपीय देश लाटविया से मिली एक इंसानी खोपड़ी में इस महामारी के बैक्‍टीरिया पाए गए हैं। वैज्ञानिकों को प्‍लेग महामारी के सबसे शुरुआती स्‍ट्रेन येरसिनिया के साक्ष्‍य मिले हैं। 'काली मौत' कही जाने वाली इस प्‍लेग महामारी से 14वीं सदी में बड़ी संख्‍या में लोग मारे गए थे। येरसिनिया बैक्‍टीरिया को एक पुरुष शिकारी की खोपड़ी से पाया गया है जिसे RV 2039 नाम दिया गया है। इसे लाटविया के रिन्‍नुकलान्‍स इलाके से पाया गया है। जेनेटिक विश्‍लेषण से पता चला है कि प्‍लेग का यह प्राचीन स्‍ट्रेन उतना संक्रामक और जानलेवा नहीं था जितना कि मध्‍ययुगीन काल में फैला प्‍लेग था। माना जा रहा है कि प्‍लेग के शुरुआती स्‍ट्रेन से 3000 ईसापूर्व में RV 2039 की मौत हुई थी। यूरोप की आधी जनसंख्‍या हुई प्‍लेग महामारी का शिकार वैज्ञानिकों के मुताबिक उस समय यह महामारी बहुत धीरे-धीरे बढ़ रही थी और उतना ज्‍यादा संक्रामक नहीं थी। हालांकि अगले 4300 साल में प्‍लेग महामारी का स्‍ट्रेन विकसित होकर इंसानों के लिए प्राणघातक बन गया। इससे यूरोप, अफ्रीका और भारत में लाखों लोगों की मौत हो गई। बताया जाता है कि वर्ष 1346 से 1353 के बीच यूरोप की आधी जनसंख्‍या प्‍लेग महामारी का शिकार हो गई थी। RV 2039 का जेनेटिक विश्‍लेषण जर्मनी के यूनिवर्सिटी ऑफ काइल के पुरातत्‍वविद बेन क्राउसे-कयोरा ने किया है। उन्‍होंने कहा कि सबसे महत्‍वपूर्ण बात यह है कि प्‍लेग वायरस के उत्‍पत्ति को अब 2 हजार साल और ज्‍यादा पीछे किया जा सकता है। बेन ने कहा कि ऐसा लगता है कि हम अब बैक्‍टीरिया की उत्‍पत्ति का पता लगाने के बिल्‍कुल करीब हैं। वैज्ञानिकों ने बताया कि RV 2039 शिकारी की जब मौत हुई थी, उस समय वह 20 से 30 साल के बीच में रहा होगा।


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काबुल अफगानिस्‍तान में अमेरिका के शीर्ष कमांडर जनरल ऑस्टिन स्‍कॉट मिलर ने तालिबान को धमकी दी है कि अगर उसने देश की जमीन पर कब्‍जा करना बंद नहीं किया तो यूएस एयरफोर्स हवाई हमला करेगी। जनरल मिलर ने चिंता जताई कि अफगानिस्‍तान में सुरक्षा की स्थिति खराब होती जा रही है क्योंकि अमेरिकी सेना वापस जा रही है। इससे पहले तालिबान ने दावा किया था कि उसने अफगानिस्‍तान के 400 में से 100 जिलों पर कब्‍जा कर लिया है। जनरल मिलर ने कहा, 'जो मैं देखना चाहता हूं कि कोई हवाई हमला न हो लेकिन ऐसा होने के लिए ताल‍िबान को सभी तरह की हिंसा को रोकना होगा।' उन्‍होंने कहा, 'इन सबको रोकने लिए उन्‍हें हिंसक अभियान बंद करना होगा। मैंने इस बारे में तालिबान को भी बता दिया है।' उन्‍होंने जोर देकर कहा कि अमेरिकी सेना के पास अभी इतनी क्षमता है कि वह उग्रवादियों के खिलाफ जोरदार हवाई हमला कर सकती है। 'तालिबान देश में जिलों पर तेजी से कब्जा करता जा रहा' जनरल ने मंगलवार को कहा कि देश में सुरक्षा की स्थिति खराब होती जा रही है क्योंकि अमेरिका अपने तथाकथित ‘हमेशा के युद्ध’ को रोकने जा रहा है। जनरल ऑस्टिन एस. मिलर ने कहा कि तालिबान देश में जिलों पर तेजी से कब्जा करता जा रहा है जिनमें कई जिलों के सामरिक महत्व हैं और यह दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि राष्ट्रीय सुरक्षा बल के सहयोग के लिए तैनात मिलिशिया के कारण देश में गृह युद्ध छिड़ सकता है। मिलर ने अफगानिस्तान में संवाददाताओं से कहा कि फिलहाल उनके पास हथियार है और वे अफगानिस्तान के सुरक्षा बलों का सहयोग करने में सक्षम हैं। साथ ही उन्होंने कहा कि केवल राजनीतिक समाधान से ही युद्धग्रस्त देश में शांति लौट सकती है। उन्होंने कहा, ‘राजनीतिक समझौते से ही अफगानिस्तान में शांति आएगी। और यह महज विगत 20 वर्ष से नहीं है। वास्तव में यह पिछले 42 वर्षों से है।’ बाइडन ने वापसी के ल‍िए 11 सितंबर का समय दिया मिलर न केवल अमेरिकी युद्ध का जिक्र कर रहे थे बल्कि वह रूस के दस वर्षों के कब्जे का भी जिक्र कर रहे थे जो 1989 में समाप्त हुआ था। उस युद्ध के बाद भीषण गृह युद्ध छिड़ गया जिसमें अफगानिस्तान के कुछ नेताओं ने तालिबान के खिलाफ मिलिशिया की तैनाती की। गृह युद्ध ने तालिबान को सिर उठाने का मौका दिया जिसने 1996 में सत्ता पर कब्जा कर लिया। अमेरिकी अधिकारियों का कहना है कि चार जुलाई तक अमेरिकी सैनिक पूरी तरह देश से हट जाएंगे। लेकिन मिलर ने कोई समय सीमा देने से इंकार किया। राष्ट्रपति जो बाइडन ने 11 सितंबर का समय दिया है और अप्रैल में उन्होंने घोषणा की कि शेष बचे 2500 से 3500 अमेरिकी सैनिक तब तक वापस हो जाएंगे। इस बीच तालिबान तेजी से जिलों पर कब्जा करता जा रहा है जिसमें कई जिले देश के उत्तरी हिस्से में स्थित हैं जहां अफगानिस्तान के अल्पसंख्यक रहते हैं।


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इस्‍लामाबाद चीन की सत्‍तारूढ़ कम्‍युनिस्‍ट पार्टी के 100 साल पूरे होने पर पाकिस्‍तान के प्रधानमंत्री इमरान खान अब ड्रैगन को खुश करने में लग गए हैं। इमरान खान ने चीन के सरकारी टीवी टीवी चैनल से बातचीत में दावा किया कि अमेरिका और अन्‍य पश्चिमी देश चीन के साथ दोस्‍ती को कम करने और उनका पक्ष लेने के लिए पाकिस्‍तान के ऊपर दबाव डालते हैं। भारत का नाम लिए बिना इमरान खान ने कहा कि पाकिस्‍तान का जब भी पड़ोसी देश के साथ संघर्ष होता है, चीन हमेशा हमारे साथ खड़ा होता है। इमरान खान ने सीजीटीएन चैनल से बातचीत में कहा कि अमेरिका और अन्‍य पश्चिमी देशों का यह रवैया बहुत अनुचित है। उन्‍होंने कहा कि इतने दबाव के बाद भी पाकिस्‍तान चीन के साथ अपने संबंधों को न तो कम करेगा और न ही इसमें बदलाव करेगा। उन्‍होंने कहा कि इसकी वजह यह है कि दोनों देशों के संबंध काफी गहराई तक जुड़े हुए हैं। जब इमरान खान से क्षेत्रीय संदर्भ में चीन और पाकिस्‍तान के रिश्‍तों को लेकर सवाल किया गया तो उन्‍होंने कहा कि पाकिस्‍तान का चीन के साथ हमेशा से ही विशेष संबंध रहा है। अमेरिका भारत के साथ क्षेत्रीय गठबंधन क्‍वॉड बना रहा पाकिस्‍तानी पीएम ने कहा कि अंतरराष्‍ट्रीय मंचों पर दोनों देश हमेशा एक साथ खड़े रहते हैं। इमरान ने कहा कि क्षेत्र में अमेरिका और चीन के बीच में एक 'अजीब प्रतिस्‍पर्द्धा' चल रही है। उन्‍होंने कहा, 'आप देखिए अमेरिका चीन को लेकर चिंतित है। जिस तरह से अमेरिका और चीन एक-दूसरे को देखते हैं, उससे समस्‍या पैदा होती है क्‍योंकि अमेरिका एक क्षेत्रीय गठबंधन बना रहा है जिसे क्‍वॉड कहा जा रहा है। इसमें अमेरिका और भारत समेत कई देश शामिल हैं।' इमरान ने कहा कि यह बहुत अनुचित है कि अमेरिका और अन्‍य पश्चिमी शक्तियां पाकिस्‍तान जैसे देश पर उनका पक्ष लेने के लिए दबाव डालती हैं। उन्‍होंने कहा, 'हम क्‍यों किसी का पक्ष लें? हमारा प्रत्‍येक के साथ अच्‍छा संबंध होना चाहिए।' भारत के खिलाफ अंतरराष्‍ट्रीय मंचों पर पाकिस्‍तान के साथ मिलकर साजिश रचने वाले चीन को इमरान खान ने अपना सच्‍चा मित्र बताया।


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लंदन उत्तरी इंग्लैंड में उपचुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का विरोध कर वोट पाने की कोशिश कर रही है। लेबर पार्टी की प्रचार सामाग्री पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कंजरवेटिव पार्टी के नेता और ब्रिटिश पीएम बोरिस जॉनसन से हाथ मिलाते हुए तस्वीर छपी है। इसमें पीएम मोदी से बचकर रहने की बात लिखी गई है। लेबर पार्टी का कहना है कि अगर वहां के लोगों ने दूसरी पार्टी को वोट दिया तो ऐसी तस्वीर दिखने का रिस्क है, लेकिन लेबर पार्टी इस मामले में स्पष्ट है। लेबर पार्टी पर भड़के भारतीय मूल के लोग इस प्रचार सामग्री के वायरल होते ही प्रवासी भारतीय समूहों ने ब्रिटेन की विपक्षी लेबर पार्टी को विभाजनकारी और भारत विरोधी करार दिया। वेस्ट यॉर्कशायर में बाटली और स्पेन में गुरुवार को होने वाले उप-चुनाव के प्रचार के दौरान प्रचार सामग्री (लीफलेट) पर मोदी की 2019 में जी- 7 शिखर सम्मेलन में कंजरवेटिव पार्टी के नेता व प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन के साथ हाथ मिलाते हुए तस्वीर छपी है। इसमें टोरी सांसद के बारे में एक संदेश लिखा है कि उन्हें बचकर रहना चाहिये। टोरी सांसद ने भी लेबर पार्टी पर साधा निशाना कंजरवेटिव नेता और टोरी सांसद रिचर्ड होल्डन ने ट्विटर पर इसकी एक तस्वीर पोस्ट की तो सोशल मीडिया पर उग्र प्रतिक्रियाएं मिलने लगीं। उनसे सवाल किया गया कि क्या इसका मतलब यह है कि लेबर पार्टी के नेता सर कीर स्टार्मर को भारतीय प्रधानमंत्री के साथ हाथ मिलाते हुए नहीं देखा जाएगा। क्या भारत से संबंध नहीं रखेगी लेबर पार्टी? भारतीय समुदाय के संगठन कन्जरवेटिव फ्रैंड्स ऑफ इंडिया (सीएफआईएन) ने कहा कि प्रिय कीर स्टार्मर, क्या आप इस प्रचार सामग्री की व्याख्या कर सकते हैं और स्पष्ट कर सकते हैं कि क्या लेबर पार्टी का कोई प्रधानमंत्री/राजनेता दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के साथ कोई संबंध रखने से इनकार करेगा? क्या ब्रिटेन में भारतीय समुदाय के 15 लाख से अधिक सदस्यों के लिए आपका यह संदेश है। लेबर पार्टी पर ब्रिटेन-भारत के रिश्तों में फूट डालने का आरोप इस प्रचार सामग्री को लेकर लेबर पार्टी के नेताओं के बीच भी आक्रोश है। लेबर फ्रैंड्स ऑफ इंडिया (एलएफआईएन) ने इसे तत्काल वापस लेने की मांग की।एलएफआईएन ने एक बयान में कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि लेबर पार्टी ने अपनी लीफलेट पर दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र और ब्रिटेन के सबसे करीबी दोस्तों में से एक भारत के प्रधानमंत्री की 2019 के जी-7 सम्मेलन की एक तस्वीर इस्तेमाल की है। लेबर पार्टी के भारतीय मूल के वरिष्ठ सांसद वीरेंद्र शर्मा ने भी इस कदम की निंदा की है।


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मटेरा (इटली) भारतीय विदेश मंत्री इन दिनों की मंत्रीस्तरीय बैठक में हिस्सा लेने के लिए इटली के मटेरा पहुंचे हुए हैं। उन्होंने इस बैठक के अलग हटकर कई देशों के विदेश मंत्रियों के साथ अलग से मुलाकात भी की। अमेरिका, ब्रिटेन, सऊदी अरब, इटली, मैक्सिको, जापान और यूरोपीय संघ के विदेश मंत्रियों के साथ बैठक में कोरोना वायरस की स्थिति और परस्पर हित वाले वैश्विक और क्षेत्रीय मुद्दों पर भी बातचीत हुई। दो देशों के दौरे के दूसरे चरण में सोमवार को यूनान से इटली पहुंचे जयशंकर ने जी-20 मंत्रिस्तरीय बैठक के इतर ब्रिटेन के विदेश मंत्री डोमिनिक राब से मुलाकात की और दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय संबंधों में प्रगति की समीक्षा की तथा क्षेत्रीय एवं वैश्विक मुद्दों पर चर्चा की। जयशंकर ने ट्वीट किया कि आज सुबह ब्रिटेन के विदेश मंत्री डोमिनिक राब से मुलाकात की। अपने द्विपक्षीय संबंधों की प्रगति पर चर्चा की। वैश्विक, क्षेत्रीय मुद्दों, कोविड-19 और जलवायु के संबंध में कार्रवाई पर चर्चा की। इसके बाद दिन में विदेश मंत्री ने इटली के अपने समकक्ष लुइगी डी मायो से मुलाकात की और जी-20 विदेश मंत्रियों की इटली में सफल बैठक आयोजित करने के लिए उन्हें बधाई दी। जयशंकर ने एक और ट्वीट कर कहा कि अपने द्विपक्षीय संबंधों को आगे बढ़ाने पर चर्चा की। उन्हें भारत आने का निमंत्रण दिया। उन्होंने मैक्सिको के अपने समकक्ष मार्सेलो इबरार्ड सी. से भी मुलाकात की और द्विपक्षीय संबंधों में तेजी लाने पर सहमत हुए। जयशंकर ने ट्वीट किया कि कोविड के समय में दवाओं के क्षेत्र में हमारा सहयोग महत्वपूर्ण है। उन्होंने जापान के विदेश मंत्री तोशीमिशु मोटेगी से मुलाकात की और क्वाड, टू प्लस टू और कोविड-19 पर चर्चा की। जयशंकर ने ट्वीट किया कि जापान के विदेश मंत्री मोटेगी के साथ चर्चा हुई। क्वाड, टू प्लस टू और कोविड-19 पर चर्चा की। उन्होंने सऊदी अरब के अपने समकक्ष फैसल बिन फरहान के साथ भी बातचीत की जिस दौरान कोविड-19 की स्थिति पर चर्चा हुई और विमानों की जल्द आवाजाही बहाल करने पर अपील की। उन्होंने ट्वीट किया कि सऊदी अरब के विदेश मंत्री फैसल बिन फरहान के साथ सौहार्दपूर्ण बैठक हुई। कोविड की स्थिति पर चर्चा की और विमानों की आवाजाही जल्द बहाल करने की अपील की। सामरिक भागीदारी और क्षेत्रीय स्थिति को लेकर भी वार्ता हुई। बाद में जयशंकर ने कनाडा के विदेश मंत्री मार्क गार्नियू से मुलाकात की और उनके साथ द्विपक्षीय मुद्दों पर वार्ता की। विदेश मंत्री ने यूरोपीय संघ के विदेश मामलों के उच्च प्रतिनिधि जोसेप बोरेल फोनटेलेस से भी मुलाकात की। बैठक के बाद उन्होंने कहा, ‘‘नेताओं के शिखर सम्मेलन के एजेंडा पर चर्चा की। टीका उत्पादन एवं पहुंच पर बातचीत हुई। यूरोप यात्रा के लिए कोविशील्ड को अधिकृत करने पर बात हुई। हम आगे भी बातचीत जारी रखेंगे।’’ जी-20 शिखर सम्मेलन इटली में अक्टूबर में आयोजित होगा। भारत 2022 में जी-20 की अध्यक्षता कर सकता है। जी-20 एक प्रभावी समूह है, जो विश्व की बड़ी अर्थव्यवस्थाओं को एक मंच पर लाता है। जी-20 के सदस्य देशों में अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, चीन, फ्रांस, जर्मनी, जापान, भारत, इंडोनेशिया, इटली, मैक्सिको, रूस, दक्षिण अफ्रीका, सऊदी अरब, दक्षिण कोरिया, तुर्की, ब्रिटेन, अमेरिका और यूरोपीय संघ शामिल हैं।


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इस्लामाबाद की सीक्रेट मिनी पनडुब्बी की पहली तस्वीर आखिरकार सामने आ गई है। पाकिस्तान ने इस खुफिया हथियार को साल 2016 से दुनिया की नजरों से छिपाकर रखा था। अब इस पनडुब्बी को कराची के नौसैनिक हार्बर पर ड्राई डॉक में देखा गया है। मरम्मत के लिए लाई गई इस पनडुब्बी के ऊपर कोई कवर नहीं लगाया गया था। इसी दौरान आसमान से गुजर रही सैटेलाइट ने इस मिनी पनडुब्बी की तस्वीर क्लिक कर ली। रिपेयरिंग के दौरान ली गई तस्वीर इस तस्वीर को ओपन सोर्स इंटेलिजेंस ट्विटर हैंडल @detresfa_ ने जारी किया है। इस तस्वीर में पाकिस्तान के कराची में नेवल ड्राई डॉकयॉर्ड में खड़ी मिनी पनडुब्बी को काफी ऊंचाई से दिखाया गया है। हैंडल ने अपने कैप्शन में एक लिंक को भी शेयर किया है। जिसमें इस पनडुब्बी के बारे में कुछ जानकारी दी गई है। पहले भी दिखाई दी थी इस पनडुब्बी की झलक दुनियाभर की नौसेनाओं पर नजर रखने वाले विशेषज्ञ एचआई शूटन ने अपनी वेबसाइट Covert Shores में इस पनडुब्बी को लेकर काफी कुछ बताया है। शूटन के अनुसार, 14 जनवरी 2020 को कराची के पीएनएस इकबाल नौसैनिक अड्डे पर आयोजित पाकिस्तान नेवी सील कोर्स की पासिंग आउट परेड के एक वीडियो में इस पनडुब्बी को देखा गया था। कराची नौसैनिक अड्डे पर है तैनात कराची में स्थित पीएनएस इकबाल पाकिस्तानी स्पेशल फोर्स एसएसजी के नौसैनिक विंग का हेडक्वार्टर भी है। यह वही नेवल बेस है जिसे भारतीय नौसेना ने 1971 के युद्ध में बर्बाद कर दिया था। भारत के खिलाफ सभी युद्धों में यह नौसैनिक बेस पाकिस्तानी नौसेना की रीढ़ रही है। भारत के सबसे नजदीक होने के कारण पाकिस्तान कराची नौसैनिक अड्डे पर अपने कई घातक हथियारों और युद्धपोतों को तैनात करके रखा हुआ है। 55 फीट लंबी है यह पनडुब्बी यह पनडुब्बी बाकियों की अपेक्षा काफी छोटी है। इसकी लंबाई 55 फीट और गोलाई 5 से 7 फीट के आसपास है। इसमें बाकी पनडुब्बियों की तरह टारपीडो फायर करने के लिए जगह भी दिखती है। यह पनडुब्बी पहली बार 2016 में देखी गई थी। पाकिस्तान डिफेंस प्रॉडक्शन डिवीजन की किताब में इसे स्वदेशी तकनीकी पर बनी हुई बताया गया है। भारत के लिए क्यों है खतरा पाकिस्तान की यह मिनी पनडुब्बी आकार में काफी छोटी है। ऐसे में यह भारतीय समुद्री इलाके में आसानी से घुसपैठ कर सकती है। छोटी होने के कारण सोनार सिस्टम और रडार भी इसे आसानी से पकड़ नहीं सकते हैं। हालांकि, यह केवल खुफिया मिशन और इलाके की टोह लेने जैसे काम ही कर सकती है। इससे पाकिस्तान किसी बड़े मिशन को अंजाम नहीं दे सकता है। यह संकरे इलाके में घुसकर खुफिया जानकारी इकट्ठा कर सकती है।


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जोहानिसबर्ग दक्षिण अफ्रीकी सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व राष्ट्रपति को अदालत की अवमानना के लिए मंगलवार को 15 माह कैद की सजा सुनाई। दरअसल, पूर्व राष्ट्रपति ने अपने कार्यकाल से दौरान हुए भ्रष्टाचार के आरोप की जांच कर रहे आयोग के सामने पेश होने से इनकार कर दिया था। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें अदालत की अवमानना का दोषी मानते हुए यह सजा सुनाई है। जैकब जुमा पर लगे भ्रष्टाचार के मामलों में उत्तर प्रदेश के सहारनपुर के रहने वाले गुप्ता बंधु भी आरोपी हैं। ऐसे में दक्षिण अफ्रीकी सरकार यूएई से उनके प्रत्यर्पण की कोशिश कर रही है। जुमा के ऊपर भ्रष्टाचार के कई आरोप 79 साल के जैकब जुमा पर 2009 से 2018 के बीच करीब नौ वर्ष तक पद पर रहते हुए सरकारी राजस्व में लूट-खसोट होने का आरोप है। भ्रष्टाचार के इन मामलों में गुप्ता बंधु भी आरोपी हैं, जो इस समय यूएई में स्वनिर्वासन की जिंदगी जी रहे हैं। सुनवाई के दौरान जुमा अदालत में नहीं थे और उन्हें थाने में आत्मसमर्पण के लिए पांच दिनों का समय दिया गया है। यदि वह ऐसा नहीं करते हैं तो पुलिस मंत्री को उनकी गिरफ्तारी का आदेश देना होगा। सजा को निलंबित करने से कोर्ट का इनकार अदालत ने यह भी कहा कि यह सजा निलंबित नहीं की जा सकती है। विभिन्न संस्थानों में भ्रष्टाचार और रिश्वत के आरोपों की जांच कर रहे आयोग ने कहा था कि जुमा को दो वर्ष कैद की सजा दी जाए। जुमा ने बार-बार कहा है कि आयोग के साथ सहयोग करने के बजाय वह जेल जाएंगे। सांविधानिक अदालत की न्यायमूर्ति सिसी खाम्पेपे द्वारा मंगलवार की सुबह दिए गए फैसले में उन्होंने जुमा के बयानों को विचित्र और नहीं बर्दाश्त करने योग्य बताया। अदालत ने बताया अवमानना का दोषी न्यायाधीश खाम्पेपे ने कहा कि अदालत इस फैसले पर पहुंची है कि जुमा अदालत की अवमानना के दोषी हैं। इस सांविधिक अदालत का मानना है कि जिस व्यक्ति (जुमा) ने दो बार गणतंत्र (दक्षिण अफ्रीका), इसके कानून एवं संविधान की शपथ ली, उसने कानून की उपेक्षा की, इसे कमतर आंका और कई तरह से इसे खत्म करने का प्रयास किया। पीठ के ज्यादातर न्यायाधीश यह मानते हैं कि कड़ा संदेश दिया जाना चाहिए कि इस तरह से अवज्ञा और उल्लंघन गैर कानूनी है और दंडित किया जाएगा। कार्यकाल खत्म होने से पहले ही हटाए गए थे जुमा तीन वर्ष पहले जुमा का कार्यकाल समाप्त होने के कुछ महीने पहले उनकी अफ्रीकन नेशनल कांग्रेस पार्टी ने उन्हें राष्ट्रपति पद से हटा दिया था। वह अन्य आपराधिक मामलों का भी सामना कर रहे हैं, जो उन पर एक दशक से अधिक समय से चल रहे हैं। विभिन्न सामाजिक संगठनों ने जुमा को सजा दिए जाने का स्वागत किया है। अहमद खतरादा फाउंडेशन के कार्यकारी निदेशक शान बोल्टन ने कहा, ‘‘इससे आयोग अपना काम प्रभावी तरीके से कर सकेगा और लोगों को जवाबदेह बनाया जाएगा और यदि वे ऐसा नहीं कर सके तो उन्हें भी इसी तरह की सजा होगी। जुमा को पद से हटाने और उन पर आपराधिक मुकदमा चलाए जाने के लिए फाउंडेशन ने अभियान चलाया था। इस भ्रष्टाचार में गुप्ता बंधुओं की भी भागीदारी पचास अरब रैंड के भ्रष्टाचार में जुमा मुख्य आरोपी हैं जिसमें तीन गुप्ता बंधु भी शामिल हैं। गुप्ता बंधुओं ने उनके साथ कथित तौर पर निकटता के कारण भ्रष्टाचार को अंजाम दिया। गुप्ता बंधुओं ने जुमा के दो बच्चों को भी कथित तौर पर फायदा पहुंचाया, जो दुबई में स्वनिर्वासन में रह रहे हैं। दक्षिण अफ्रीका की सरकार ने उनके प्रत्यर्पण की कार्रवाई शुरू कर दी है।


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मॉस्को रूस ने अमेरिका और ब्रिटेन के साथ बढ़ते तनाव के बीच क्रीमिया में डिफेंस सिस्टम का टेस्ट शुरू किया है। रूसी सैन्य अधिकारी इस मिसाइल डिफेंस सिस्टम की ऑपरेशनल तैयारियों को जांच रहे हैं। दरअसल, अमेरिका के नेतृत्व वाले सैन्य संगठन नाटो इन दिनों काला सागर में ऑपरेशन सी ब्रिज नाम का युद्धाभ्यास कर रहे हैं। क्रीमिया के इतने नजदीक दुश्मन देशों के युद्धाभ्यास करने से रूस चिढ़ा हुआ है। यही कारण है कि उसने दुनिया की सबसे ताकतवर मिसाइल डिफेंस सिस्टम को फायर कर अपनी ताकत दिखाई है। नाटो के युद्धाभ्यास की निगरानी कर रही रूसी नौसेना नाटो का वार्षिक सैन्याभ्यास सी ब्रिज सोमवार को काला सागर के उत्तर पश्चिम हिस्से में शुरू हुआ। रूसी नौसेना इस युद्धाभ्यास में शामिल होने वाले युद्धपोतों की करीबी से निगरानी कर रही है। रूस के विरोधी देशों के इस युद्धाभ्यास में में 32 देशों के लगभग 5,000 सैनिक और 32 युद्धपोत शामिल हैं। 10 जुलाई तक दुश्मन देशों की सेनाएं रूस के करीब समुद्र में अपने शक्ति का प्रदर्शन करेंगी। रूसी नौसेना ने बताया-क्रीमिया में क्या हुआ? रूसी नौसेना के काला सागर बेड़े के प्रवक्ता कैप्टन एलेक्सी रुलियोव ने बताया कि काला सागर बेड़े के विमान और हेलीकॉप्टरों ने दक्षिणी सैन्य जिले के एयरफोर्स फॉर्मेशन के साथ यह युद्धाभ्यास किया। इसमें एस -400 एंटी-एयरक्राफ्ट मिसाइल सिस्टम और पैंटसिर सेल्फ प्रोपेल्ड मिसाइल और गन सिस्टम को फायर कर उनकी तैयारियों की जांच की गई। इस युद्धाभ्यास में रूसी वायु सेना के Su-24, Su-27, और Su-30SM लड़ाकू विमानों के अलावा Mi-8 और Ka-27 हेलिकॉप्टरों का भी इस्तेमाल किया गया। क्या काम करता है एयर डिफेंस सिस्टम इसका काम देश में होने वाले किसी भी संभावित हवाई हमले का पता लगाना और उसे रोकना है। यह तमाम तरह के रेडार और उपग्रहों की मदद से जानकारी जुटाता है। इस जानकारी के आधार पर यह बता सकता है कि लड़ाकू विमान कहां से हमला कर सकते हैं। इसके अलावा यह एंटी-मिसाइल दागकर दुश्मन विमानों और मिसाइलों को हवा में ही खत्म कर सकता है। भारत ने अब तक रूस से मारने वाले हथियार ही खरीदे हैं। पहली बार भारत रूस से डिफेंस सिस्टम खरीद रहा है। एस-400 डिफेंस सिस्टम को और घातक बना रहा रूस रूस ने अपने एस-400 और एस-300 मिसाइल सिस्टम को और घातक बनाने का काम शुरू कर दिया है। इस सिस्टम में रूस नई तरह की कई मिसाइलों को शामिल करने जा रहा है जो दुश्मन के किसी भी मिसाइल को मार गिराने में सक्षम होंगी। रूस का यह हथियार अपनी कैटेगरी में दुनिया में सबसे बेहतरीन माना जाता है। रूसी समाचार एजेंसी स्पूतनिक की रिपोर्ट के अनुसार, रूसी रक्षा मंत्रालय ने एस- 300 और एस- 400s के स्टॉक को लंबी दूरी की स्ट्राइक क्षमता को बढ़ाने और अत्यधिक सटीक शॉर्ट-रेंज डिफेंस प्रदान करने के लिए विभिन्न प्रकार की मिसाइलों से लैस करने की योजना को मंजूरी दी है।


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मॉस्को रूस के दो-दो कोरोना वायरस वैक्सीन बनाने के बावजूद संक्रमण की रफ्तार और मौत की संख्या में कोई कमी नहीं आ रही है। रूस की स्पुतनिक वी वैक्सीन तो दुनिया के 67 देशों को सप्लाई की जा रही है, जिसमें भारत भी शामिल है। वहीं, उसके खुद के देश में पिछले 24 घंटे में कोरोना के संक्रमण से 652 लोगों की मौत हुई है। पिछले गुरुवार से रूस में हर दिन 20 हजार से ज्यादा कोरोना के नए मामले सामने आ रहे हैं। इतना ही नहीं, रोज औसतन 600 लोगों की मौत भी हो रही है। रूस में 14 फीसदी लोगों को ही मिला वैक्सीन रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने 11 अगस्त को दुनिया की पहली कोरोना वायरस वैक्सीन स्पुतनिक-वी को बनाने का दावा किया था। इसके बाद अक्टूबर में पुतिन ने दूसरी कोरोना वैक्सीन ‘EpiVacCorona’ को शुरुआती ट्रायल के बाद मंजूरी दी थी। उन्होंने तब बताया था कि इसके ट्रायल के दौरान उनकी एक बेटी को भी वैक्सीन की डोज लगाई गई थी। सबसे पहले ऐलान करने के बावजूद अभी तक रूस में केवल 14 फीसदी आबादी को ही कोरोना वैक्सीन की कम से कम एक खुराक लगाई गई है। रूस में कोरोना से 55 लाख लोग संक्रमित रूसी स्वास्थ्य अधिकारियों के अनुसार, देश में अबतक इस महामारी के 55 लाख मामलों की पुष्टि की है, जबकि मृतकों की संख्या 1,34,545 है। रूसी अधिकारियों ने जून की शुरुआत में कोरोना संक्रमण में वृद्धि के लिए आवश्यक सावधानी बरतने के प्रति रूसी लोगों के ढीले रवैये, अधिक संक्रामक स्वरूपों के बढ़ते प्रसार और टीकाकरण की कम दर को जिम्मेदार ठहराया है। स्पूतनिक वी वैक्सीन के बारे में जानिए स्पूतनिक वी वैक्सीन को मॉस्‍को के गामलेया रिसर्च इंस्टिट्यूट ने रूसी रक्षा मंत्रालय के साथ मिलकर एडेनोवायरस को बेस बनाकर तैयार किया है। रूस की वैक्सीन सामान्य सर्दी जुखाम पैदा करने वाले adenovirus पर आधारित है। इस वैक्सीन को आर्टिफिशल तरीके से बनाया गया है। यह कोरोना वायरस SARS-CoV-2 में पाए जाने वाले स्ट्रक्चरल प्रोटीन की नकल करती है जिससे शरीर में ठीक वैसा इम्यून रिस्पॉन्स पैदा होता है जो कोरोना वायरस इन्फेक्शन से पैदा होता है। यानी कि एक तरीके से इंसान का शरीर ठीक उसी तरीके से प्रतिक्रिया देता है जैसी प्रतिक्रिया वह कोरोना वायरस इन्फेक्शन होने पर देता लेकिन इसमें उसे COVID-19 के जानलेवा नतीजे नहीं भुगतने पड़ते हैं। पेप्टाइड आधारित है रूस की दूसरी कोरोना वैक्सीन दूसरी कोरोना वायरस वैक्‍सीन ‘EpiVacCorona’ को साइबेरियन बॉयोटेक कंपनी ने विकसित किया है। पेप्टाइड आधारित यह वैक्‍सीन कोरोना से बचाव के लिए दो बार देनी होगी। इसे साइबेरिया में स्थित वेक्‍टर इंस्‍टीट्यूट ने बनाया है। मॉस्को टाइम्स के अनुसार, रूस की डेप्‍युटी पीएम ततयाना गोलिकोवा और उपभोक्‍ता सुरक्षा निगरानी संस्‍था की चीफ अन्‍ना पोपोवा को भी यह वैक्‍सीन लगाई गई थी।


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इस्लामाबाद पाकिस्तान में फंसे 450 से ज्यादा भारतीयों की सोमवार को घर वापसी हो गई। ये लोग कोरोना वायरस के कारण सीमाएं सील होने से पाकिस्तान में कई महीनों से फंसे हुए थे। इन लोगों ने वाघा-अटारी बॉर्डर के जरिए भारत में प्रवेश किया। पाकिस्तान ने मार्च 2020 में वायरस के प्रकोप के बाद भारत के साथ जुड़ी सीमाओं को सील कर दिया था। लेकिन, तब से विशेष व्यवस्था के तहत दोनों देशों के नागरिकों के जत्थे को कभी-कभी उनके देश भेजा जाता रहा है। भारत लौटने वालों में कश्मीरी छात्र भी शामिल सोमवार को लौटने वालों भारतीयों में कश्मीरी छात्र भी शामिल थे। ये छात्र पाकिस्तानी शिक्षण संस्थानों में प्रोफेशनल कोर्सेज कर रहे हैं। पाकिस्तान सरकार कश्मीरी छात्रों को कई सुविधाएं उपलब्ध करवाती है। यही कारण है कि कश्मीर से बड़ी संख्या में छात्र पाकिस्तान में शिक्षा लेने के लिए जाते हैं। पाकिस्तानी बाॉर्डर गार्ड्स ने बताया कि इन लोगों को भारत भेजने की प्रक्रिया सोमवार को 11 बजे शुरू हुई जो दिनभर चलती रही। पाकिस्तान के कोने-कोने से पहुंचे लोग इन लोगों को विशेष सुरक्षा व्यवस्था के तहत पाकिस्तान के विभिन्न कोनों से वाघा सीमा पर पहुंचाया गया। पाकिस्तान में भारतीय उच्चायोग ने 405 भारतीय नागरिकों, 48 एनओआरआई (भारत लौटने के लिए अनापत्ति) वीजा धारकों और एनओआरआई वीजा धारकों के आठ पति/पत्नी/रिश्तेदारों को पाकिस्तान से भारत वापस लाने की सुविधा प्रदान की है। क्या होता है एनओआरआई वीजा? NORI वीजा उन शरणार्थियों को जारी किया जाता है जिनके पास भारतीय नागरिकता नहीं है, लेकिन उन्हें भारतीय अधिकारियों द्वारा जारी किए गए दीर्घकालिक वीजा (LTV) पर देश में रहने की अनुमति है। एनओआरआई वीजा दीर्घकालिक वीजाधारकों को पाकिस्तान की यात्रा करने और 60 दिनों के भीतर लौटने की अनुमति देता है। इससे पहले 11 जनवरी को 114 भारतीय नागरिक पाकिस्तान से अपने देश लौटे थे। भारत ने चार पाकिस्तानी कैदियों को छोड़ा सोमवार को ही भारत ने अपनी सजा पूरी कर चुके चार पाकिस्तानी कैदियों को उनके देश भेजा। पाकिस्तानी स्वास्थ्य अधिकारियों ने इन कैदियों का पहले कोरोना वायरस टेस्ट किया, जिसके बाद उन्हें क्वारंटीन सेंटर भेज दिया गया। पिछले हफ्ते ही पाकिस्तान ने कोविड -19 संक्रमण को रोकने के लिए अपने दक्षिण एशियाई पड़ोसियों भारत, बांग्लादेश, भूटान, मालदीव, नेपाल और श्रीलंका सहित 26 देशों के यात्रियों पर 30 जून तक प्रतिबंध लगा दिया था।


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दुबई संयुक्त अरब अमीरात में आज पहली बार इजरायल के दूतावास को शुरू किया गया है। इजरायली विदेश मंत्री येर लेपिड ने दूतावास के कार्यालय का उद्धाटन किया। ऐसा पहली बार हुआ है, जब किसी इजरायली विदेश मंत्री ने यूएई की यात्रा की है। पिछले साल दोनों देशों के बीच रिश्तों को सामान्य करने के बाद, यह किसी भी इजरायली अधिकारी की अरब मुल्क की पहली उच्च स्तरीय यात्रा है। यूएई के कई शेखों से मिलेंगे इजरायली विदेश मंत्री उनका यूएई के विदेश मंत्री अब्दुल्ला बिन जायेद अल नहयान समेत अमीरात के कई अधिकारियों से मुलाकात का कार्यक्रम भी है। वह व्यापार प्रदर्शनी में भी शिरकत करेंगे जहां इजरायली कंपनियां प्रौद्योगिकी का प्रदर्शन कर रही हैं। इजरायल के विदेश मंत्रालय ने इसे अरब मुल्क की ऐतिहासिक यात्रा बताया है। अबू धाबी में दूतावास के उद्घाटन में प्रेस की मौजूदगी को सीमित रखा गय और यूएई के सरकारी मीडिया ने ही कार्यक्रम कवर किया। ट्रंप प्रशासन के दौरान इजरायल-यूएई ने किया था समझौता अमेरिका में ट्रंप प्रशासन के दौरान पिछले साल इजराइल और यूएई ने पूर्ण राजनयिक संबंध स्थापित किए थे और यूएई ने इसके लिए अमेरिका की मध्यस्थता वाले ‘अब्राहम समझौते’ पर हस्ताक्षर किए थे। इजराइल के साथ रिश्तों को सामान्य करने में यूएई के साथ बहरीन भी शामिल हुआ था। इससे पहले जॉर्डन और मिस्र के इजराइल के साथ राजनयिक रिश्ते थे। क्या सऊदी-इजरायल में भी सामान्य होंगे रिश्ते आशा जताई जा रही है कि जल्द ही पश्चिम एशिया के कुछ और देश इजरायल के साथ राजनयिक संबंध बहाल कर सकते हैं। इसमें सबसे ऊपर नाम सऊदी अरब का चल रहा है। कुछ महीने पहले सऊदी अरब ने इजरायल के साथ सार्वजनिक स्तर पर संबंध स्थापित करने को लेकर एक शर्त भी रखी थी। सऊदी प्रशासन ने कहा था कि जब तक इजरायल फिलिस्तीनियों के साथ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त शांति समझौते पर हस्ताक्षर नहीं करेंगे, तब तक उसके साथ राजनयिक संबंध स्थापित नहीं किए जाएंगे। सऊदी और इजरायल भी संबंधों को कर रहे मजबूत इजरायल और सऊदी के बीच हाल के कुछ साल में द्विपक्षीय संबंध बेहतर हुए हैं। सऊदी अरब और इजरायल दोनों ईरान के परमाणु हथियार बनाने का विरोध करते हैं। इसके अलावा ये दोनों देश यमन, सीरिया, इराक और लेबनान में ईरान की आकांक्षाओं के विस्तार को लेकर भी चिंतित हैं। हिजबुल्लाह को लेकर भी इजरायल और सऊदी एक रुख रखते हैं। माना जा रहा है कि सऊदी और इजरायल खुफिया जानकारी, प्रौद्योगिकी और साइबर सुरक्षा के क्षेत्र में मिलकर काम कर रहे हैं। वहीं इजरायली खुफिया एजेंसी मोसाद के प्रमुख अपने सऊदी समकक्षों और अन्य सऊदी नेताओं के साथ गुप्त रूप से मिलते रहे हैं।


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पाकिस्तान की विवादित टिकटॉक स्टार हरीम शाह ने अचानक शादी का ऐलान करके सबको चौंका दिया है। हरीम ने खुद दावा किया है कि उनकी शादी सिंध प्रांत के पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के एक विधायक से हुई है। हालांकि, उन्होंने मीडिया को नाम बताने से इनकार कर दिया। इसके बाद से ही सिंध असेंबली के विधायकों की शामत आई हुई है। लोग विधानसभा की गेट पर विधायकों की हथेली और घड़ी चेक कर रहे हैं। अधिकतर विधायकों ने हरीम शाह से शादी से इनकार किया है। ऐसे में उनके असली पति के नाम का अबतक पता नहीं चल सका है। इसी साल फरवरी में हरीम शाह ने इंस्ट्राग्राम पर वीडियो शेयर कर पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के चीफ बिलावल भुट्टो के प्रति अपने प्यार को स्वीकार किया था।

पाकिस्तान की विवादित टिकटॉक स्टार हरीम शाह ने अचानक शादी का ऐलान करके सबको चौंका दिया है। हरीम ने खुद दावा किया है कि उनकी शादी सिंध प्रांत के पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के एक विधायक से हुई है।


पाकिस्तान की विवादित TikTok स्टार हरीम शाह ने की शादी, तो सिंध के विधायकों की क्यों आई शामत?

पाकिस्तान की विवादित टिकटॉक स्टार हरीम शाह ने अचानक शादी का ऐलान करके सबको चौंका दिया है। हरीम ने खुद दावा किया है कि उनकी शादी सिंध प्रांत के पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के एक विधायक से हुई है। हालांकि, उन्होंने मीडिया को नाम बताने से इनकार कर दिया। इसके बाद से ही सिंध असेंबली के विधायकों की शामत आई हुई है। लोग विधानसभा की गेट पर विधायकों की हथेली और घड़ी चेक कर रहे हैं। अधिकतर विधायकों ने हरीम शाह से शादी से इनकार किया है। ऐसे में उनके असली पति के नाम का अबतक पता नहीं चल सका है। इसी साल फरवरी में हरीम शाह ने इंस्ट्राग्राम पर वीडियो शेयर कर पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के चीफ बिलावल भुट्टो के प्रति अपने प्यार को स्वीकार किया था।



हरीम शाह का विवादों से पुराना नाता
हरीम शाह का विवादों से पुराना नाता

पाकिस्तान की इस विवादित टिकटॉक स्टार ने मुफ्ती अब्‍दुल कव‍ि को कैमरे के सामने थप्पड़ मारकर तहलका मचा दिया था। इतना ही नहीं, हरीम ने तो प्रधानमंत्री इमरान खान के सबसे करीबी मंत्री शेख रशीद के ऊपर अश्लील बातचीत करने का आरोप लगाकर जमकर बवाल काटा था। हरीम ने तो एक बाद इमरान खान का वीडियो जारी करने की भी धमकी दी थी। इससे पहले भी इनका एक वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें हरीम शाह पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय के कॉन्फ्रेंस रूम दिखी थीं। यह वही कमरा था, जहां पाकिस्तान के वरिष्ठ राजनयिकों की बैठक होती है। ऐसे में हरीम के ऊंचे संपर्क का पता लगाया जा सकता है।



पति का नाम बताने से हरीम शाह का इनकार
पति का नाम बताने से हरीम शाह का इनकार

जियो न्यूज से बात करते हुए हरीम शाह ने कहा कि उनके पति एक जाने-माने व्यक्ति हैं। वह विधायक, पीपीपी के मेंबर और प्रांतीय मंत्री भी हैं। उन्होंने दावा किया कि उनके पति की पहले भी एक शादी हो चुकी है। सिंध की राजनीति में भी उनके ऊंचे कद होने का दावा किया। अपने पति की पहचान के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि मैं एक सीधी-सादी लड़की हूं, लेकिन मेरे पति पहले से ही शादीशुदा हैं। वह अपनी पहली पत्नी को मना लेंगे और हम एक हफ्ते के भीतर उनके नाम और अपनी शादी का ऐलान कर देंगे। उन्होंने कहा कि मैं जल्द ही अपने प्रशंसकों के साथ कार्यक्रम की तस्वीरें साझा करूंगी। हरीम ने यह भी बताया कि उनके पति आज सिंध विधानसभा सत्र में मौजूद थे।



बिलावल भुट्टो शादी में नहीं हुए शामिल
बिलावल भुट्टो शादी में नहीं हुए शामिल

हरीम ने दावा किया कि केवल उनके करीबी दोस्त ही उनकी शादी के बारे में जानते हैं। पीपीपी के चीफ बिलावल भुट्टो जरदारी भी उनकी शादी में मौजूद नहीं थे। हालांकि, पीपीपी की एक वरिष्ठ महिला नेता जरूर मौजूद थीं। हरीम ने बताया कि हम 4 जुलाई को तुर्की जा रहे हैं और एक बार वापस आने के बाद हम ब्योरे की घोषणा करेंगे। हरीम ने इस सवाल का जवाब देने से इनकार कर दिया कि उनके पति किस निर्वाचन क्षेत्र और जिले से संबंधित हैं।



सिंध विधानसभा में हरीम की शादी की गूंज
सिंध विधानसभा में हरीम की शादी की गूंज

हरीम शाह की शादी की खबरों के बाद यह मामला सिंध विधानसभा में भी गूंजा। कुछ मंत्रियों ने इसे स्टार का निजी मामला बताया। खबर सार्वजनिक होने के बाद सिंध प्रांत के मंत्रियों के कई बयान सामने आने लगे। सिंध की महिला विकास मंत्री शेहला रजा ने इसे हरीम शाह का निजी मामला बताया। दूसरी ओर, सिंध के शिक्षा मंत्री सईद गनी ने उनके और टिकटॉक स्टार के बारे में सभी अफवाहों का खंडन किया। इस बारे में पूछे जाने पर उसने हाथ दिखाया और कहा कि उसने अंगूठी नहीं पहनी है।



मुफ्ती को थप्पड़ मार विवादों में फंसी थी हरीम
मुफ्ती को थप्पड़ मार विवादों में फंसी थी हरीम

जनवरी 2021 में हरीम शाह का एक वीडियो वायरल हुआ था जिसमें वह पाकिस्तान के मुफ्ती अब्‍दुल कव‍ि को थप्पड़ मारती नजर आईं थीं। उन्होंने आरोप लगाया था कि मुफ्ती ने एक टीवी चैनल पर बातचीत के दौरान उन पर अश्लील कमेंट किया था जिसके बाद यह घटना हुई। उधर मुफ्ती ने इन आरोपों से साफ इनकार किया था। इस घटना के बाद हारिम ने कहा था कि मुझे कोई पछतावा नहीं है। यदि उनके जैसे आदमी को दंडित किया जाए तो पाकिस्‍तान में कोई बलात्‍कार नहीं होगा।





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सिडनी ऑस्‍ट्रेलिया में कोरोना वायरस के डेल्‍टा वेरिएंट का खौफ को देखते हुए 4 बड़े शहरों में लॉकडाउन लगा लगा दिया गया है। भारत में पहली बार सामने आए डेल्‍टा वेरिएंट की वजह से बहुत तेजी से संक्रमण फैल रहा है। इसको देखते हुए पर्थ, ब्रिसबेन, सिडनी और डार्विन में लॉकडाउन लगा दिया गया है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक इन चारों शहरों में कुल करीब एक करोड़ लोग रहते हैं। सोमवार तक ऑस्‍ट्र‍ेलिया में कोरोना वायरस के कुल 271 सक्रिय मामले हैं। इनमें से ज्‍यादातर मामले न्‍यू साउथ वेल्‍स में हैं। ऑस्‍ट्रेलिया ने शुरू में कोरोना महाकारी पर काबू पाने का जश्‍न मनाया था और उसकी अर्थव्‍यवस्‍था पटरी पर आ गई थी। हालांकि अब एक बार फिर से कोरोना वायरस का डेल्‍टा वेरिएंट ऑस्‍ट्रेलिया में पैर पसार रहा है। उधर, ऑस्‍ट्रेलिया सरकार बड़ी तादाद में कोरोना का टीका हासिल करने में असफल रही है। कोरोना के वैश्विक मामले बढ़कर 18.13 करोड़ पर्थ में नागरिकों को घरों में ही रहने का निर्देश दिया गया है। यहां पर कोरोना वायरस का तीसरा मामला सामने आया है। इस बीच कोरोना के वैश्विक मामले बढ़कर 18.13 करोड़ हो गए, जबकि इससे होने वाली मौतों की संख्या बढ़कर 39.3 लाख हो गई है। जॉन्स हॉपकिन्स विश्वविद्यालय ने यह जानकारी दी। मंगलवार सुबह अपने नवीनतम अपडेट में, यूनिवर्सिटी ने खुलासा किया कि वर्तमान वैश्विक मामले और इस महामारी से मरने वालों की संख्या क्रमश: 181,374,710 और 3,928,409 हो गई है। दुनिया के सबसे अधिक मामलों और मौतों की संख्या क्रमश: 33,639,971 और 604,114 के साथ अमेरिका सबसे अधिक प्रभावित देश बना हुआ है। संक्रमण के मामले में भारत 30,279,331 मामलों के साथ दूसरे स्थान पर है। 30 लाख से अधिक मामलों वाले अन्य सबसे प्रभावित देश ब्राजील (18,448,402), फ्रांस (5,832,490), तुर्की (5,414,310), रूस (5,408,744), यूके (4,771,289), अर्जेंटीना (4,423,636), इटली (4,258,456), कोलंबिया (4,187,194) हैं। , स्पेन (3,792,642), जर्मनी (3,734,830) और ईरान (3,180,092) हैं। मौतों के मामले में ब्राजील 514,092 मौतों के साथ दूसरे नंबर पर है। भारत (396,730), मेक्सिको (232,564), पेरू (191,899), रूस (131,671), यूके (128,367), इटली (127,500), फ्रांस (111,174) और कोलंबिया (105,326) में 100,000 से अधिक लोगों की मृत्यु हुई है।


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अबूधाबी संयुक्‍त अरब अमीरात की राजधानी अबूधाबी स्थित एतिहाद एयरवेज ने ऐलान किया है कि भारत से यूएई के बीच यात्री विमानों की उड़ान आगामी 21 जुलाई तक स्‍थगित रहेगी। एतिहाद एयरवेज ने कहा कि कोरोना वायरस संकट को देखते हुए यह फैसला लिया गया है। एतिहाद ने कहा कि भारत के लिए उड़ानों पर से बैन को हटाया नहीं गया है बल्कि इसे 21 जुलाई तक के लिए बढ़ा दिया गया है। एतिहाद ने कहा क‍ि जिन यात्रियों ने टिकट बुक किया हुआ है, वे बाद में अपनी उड़ान को रिशिड्यूल कर सकते हैं। इससे पहले यूएई के नागरिक विमान प्राधिकरण के हवाले से कई मीडिया संगठनों ने कहा था कि भारत, पाकिस्‍तान समेत 14 देशों के लिए उड़ान पर लगे बैन को यूएई के अधिकारियों ने बढ़ा दिया है। यूएई के सिविल एविएशन अथॉरिटी ने भी स्‍पष्‍टीकरण दिया था कि भारत के लिए विमानों की उड़ान को अगले आदेश तक रद कर दिया गया है। पाकिस्तान समेत 13 देशों से एंट्री पर बैन संयुक्त अरब अमीरात के जनरल सिविक एविएशन अथॉरिटी (GCAA) ने रविवार को जारी बयान में कहा कि पाकिस्तान समेत 13 देशों से एंट्री पर बैन लगा हुआ है। इससे पहले 19 जून को दुबई ने कहा था कि पिछले 14 दिन में जो लोग भारत, नाइजीरिया या दक्षिण अफ्रीका से वहां जाएंगे, उनके लिए बैन में 23 जून के बाद ढील दी जाएगी। दुबई के अधिकारियों ने यह भी कहा कि भारत और दक्षिण अफ्रीका से आने वाले ऐसे लोगों को एंट्री दी जाएगी जो वैक्सीन लगवा चुके हैं और नाइजीरिया से पिछले 48 घंटे में निगेटिव टेस्ट होने वाले लोगों को भी एंट्री दी जाएगी। GCAA ने बैन जारी रहने की बात कही है लेकिन दुबई के ऐलान पर कुछ नहीं कहा है। वहीं, दुबई की एमिरेट्स एयरलाइन ने ट्विटर पर बताया कि 7 जुलाई से भारत से फ्लाइट्स उपलब्ध हैं लेकिन यह बदल सकता है। भारत में फंसे हैं लोग दुबई के ऐलान के बाद वहां काम कर रहे भारतीयों को बड़ी राहत मिली थी। इस प्रतिबंध की वजह से बड़ी संख्‍या में कामगार खासकर हेल्‍थ सेक्‍टर में काम करने वाले लोग भारत में फंस गए थे। ऐसे भारतीय कामगार लौटने की उम्मीद कर रहे थे। भारत से आने वाले यात्रियों के लिए कुछ नियम बनाए गए हैं। केवल उन्‍हीं भारतीयों को आने की अनुमति दी जाएगी जिन्‍होंने यूएई में स्‍वीकृत कोरोना वैक्‍सीन को लगवाया है।


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इस्‍लामाबाद दुबई की अदालत में दो पाकिस्‍तानी नागरिकों की लड़ाई का अजीब वाकया सामने आया है। दुबई के पशुओं के बाजार में काम करने वाले दो पाकिस्‍तानी भिड़ गए जिससे उन्‍हें जेल जाना पड़ा है। बताया जा रहा है कि दोनों की पत्नियां पाकिस्‍तान में रहती हैं और उनके बीच लड़ाई हो गई थी। बीवियों की यह लड़ाई दुबई तक पहुंच गई और उनके शौहर आपस में भिड़ गए। दुबई की अदालत के मुताबिक 60 पाकिस्‍तानी एमएच ने अपने साथी पाकिस्‍तानी नागरिक से भिड़ गया और बेलचे तथा मांस काटने के चाकू से हमला कर दिया। इससे पीड़‍ित करीब 10 फीसदी विकलांग हो गया। अभियुक्‍त एमएच ने अप्रैल 2020 में चाकू से पीड़‍ित के हाथ पर वार किया था। वहीं एक अन्‍य अभियुक्‍त ने पीड़ि‍त के सिर पर बेलचे से हमला किया था। पीड़‍ित ने कहा कि दोनों ही अभियुक्‍तों ने हमला करने से पहले मुझे गाली दी। इस पूरे विवाद की जड़ पाकिस्‍तान में मेरी पत्‍नी और उसकी पत्‍नी के बीच झगड़ा था। पीड़‍ित का भाई भी उसी इलाके में था और जब वह अपने भाई की जांच करने गया तो उसे खून से सना पाया। पीड़‍ित के भाई ने कहा, 'अभियुक्‍तों ने मेरे भाई पर हमला कर दिया। मैं उन्‍हें पूरा मामला समझा रहा था लेकिन उन्‍होंने भी मेरे ऊपर हमला कर दिया था।' मेडिकल रिपोर्ट में पीड़‍ित का हाथ टूट गया था और सिर में भी चोट आई है। आरोपियों शारीरिक हमले का दोषी पाया गया है। उनके खिलाफ 7 सितंबर को फैसला सुनाया जाएगा।


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लंदन बढ़ते वजन से परेशान लोगों के लिए बहुत अच्‍छी खबर है। वैज्ञानिकों ने एक ऐसे वजन घटाने वाले डिवाइस का निर्माण किया है जिसमें चुंबक लगे होते हैं। इसको लगाने पर इंसान अपना मुंह ज्‍यादा खोल नहीं पाता है और इससे वह ठोस चीजों को खा नहीं पाता है। एक तरीके से कहें तो इंसान का मुंह पूरी तरह से लॉक हो जाता है। बताया जा रहा है कि दुनिया में यह अपनी तरह का पहला उपकरण है। मोटापे से जूझ रही दुनिया के लिए न्‍यूजीलैंड की यूनिवर्सिटी ऑफ ओटागो और ब्रिटेन के शोधकर्ताओं के दल ने चुंबक आधारित इस उपकरण का निर्माण किया है। इसका नाम डेंटलस्लिम डायट कंट्रोल डिवाइस को एक डेंटिस्‍ट की मदद से दांत के ऊपनी और निचले हिस्‍से में लगाया जाता है। यह चुंबक का इस्‍तेमाल करती है जिसमें खासतौर पर बनाए गए लॉकिंग बोल्‍ट लगे होते हैं। इस उपकरण के मुंह में लगाए जाने के बाद वह व्‍यक्ति केवल 2एमएम ही अपना मुंह खोल सकेगा। इससे वह केवल तरल पदार्थ ही खा सकेगा। चुंबक से बने इस उपकरण को लगाए जाने के बाद इंसान आसानी से बोल सकेगा और सांस ले सकेगा। ट्रायल के दौरान जिन मरीजों को यह उपकरण लगाया गया उनका वजन मात्र दो सप्‍ताह में 6.36 किलोग्राम कम हो गया। ऐसे लोग वजन घटाने के इस तरीके से काफी खुश हैं और अभी उसे जारी रखे हुए हैं। मुख्‍य शोधकर्ता प्रफेसर पॉल ब्रुंटन ने कहा कि यह डिवाइस काफी प्रभावी, सुरक्षित और मोटापे से जूझ रहे हर आदमी की पहुंच में होगी। इस उपकरण को किसी डेंटिस्‍ट की मदद से लगाया जा सकेगा और आपात स्थित‍ि होने पर वह व्‍यक्ति आसानी से इसे निकाल सकेगा। इस उपकरण को कई बार लगाया और निकाला जा सकेगा। उन्‍होंने कहा कि लोग अपने खानपान पर नियंत्रण नहीं कर पाते हैं, इस वजह से उनका मोटापा कम नहीं हो पाता है। चुंबक से बने उपकरण की मदद से खाने पर लगाम लगाई जा सकेगी। पूरी दुनिया में करीब दो अरब लोगों का वजन ज्‍यादा है। वहीं 65 करोड़ लोग मोटापे के शिकार हैं।


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इस्लामाबाद पाकिस्तान के बड़बोले गृहमंत्री शेख रशीद ने चौंकाने वाला खुलासा करते हुए कहा है कि अफगान तालिबान आतंकवादियों के परिवार राजधानी इस्लामाबाद के मशहूर इलाकों समेत विभिन्न क्षेत्रों में रहते हैं। यही नहीं कभी-कभी स्थानीय अस्पतालों में उनका इलाज भी किया जाता है। मंत्री रशीद के इस बयान के बाद एक बार फिर से पाकिस्‍तान तालिबान को लेकर बुरी तरह से घिर गया है। पाकिस्तान अफगानिस्तान के नेताओं की इन आरोपों को निरंतर खारिज करता रहा है कि तालिबान...अफगानिस्तान में विद्रोही गतिविधियों को निर्देशित करने और आगे बढ़ाने लिए पाकिस्तानी धरती का उपयोग करता है। पाकिस्तान के निजी टीवी चैनल जियो न्यूज पर रविवार को प्रसारित साक्षात्कार में गृह मंत्री शेख राशिद ने कहा, 'तालिबानियों के परिवार यहां पाकिस्तान के रवात, लोही भेर, बहारा कहू और तरनोल जैसे इलाकों में रहते हैं।' मंत्री ने जिन इलाकों का जिक्र किया उन्हें इस्लामाबाद के मशहूर उपनगरीय इलाके कहा जाता है। राशिद ने उर्दू-भाषा के चैनल से कहा, 'कभी-कभार उनके (लड़ाकों) के शव अस्पताल लाए जाते हैं, तो कभी-कभी वे इलाज के लिये यहां आते हैं।' पाकिस्तान पर अक्सर अफगान तालिबान आतंकवादियों को पनाह देने और उनका समर्थन करने का आरोप लगाया जाता रहा है, जो पिछले दो दशकों से अफगानिस्तान सरकार से लड़ रहे हैं। पाकिस्तान के किसी शीर्ष मंत्री व वरिष्ठ राजनेता द्वारा इसे स्वीकार किया जाना दुर्लभ है।


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वॉशिंगटन अमेरिकी वायुसेना के ईरान समर्थक गुटों पर बमबारी के बाद अब सीरिया में सक्रिय मिल‍िश‍िया ने भी अमेरिका की सेना के खिलाफ बदले की कार्रवाई की है। ईरान समर्थक मिल‍िशिया ने सीरिया में अमेरिकी सैनिकों पर रॉकेट बरसाए। इसके बाद अमेरिकी सेना भी हरकत में आ गई और उसने जवाबी कार्रवाई में सीरियाई गुटों के खिलाफ अपनी तोपों का मुंह खोल दिया और जोरदार गोलाबारी की। इराक की राजधानी बगदाद में अमेरिकी सैन्य मिशन के प्रवक्ता कर्नल वायने मारोट्टो ने ट्विटर पर सोमवार को लिखा कि सुबह सात बजकर 44 मिनट (स्थानीय समयानुसार) पर सीरिया में अमेरिकी बलों पर रॉकेट से कई हमले हुए हैं। उन्होंने बताया कि इन हमलों में कोई हताहत नहीं हुआ और अब इनसे हुए नुकसान का आकलन किया जा रहा है। मोरोट्टो ने बाद में फिर से ट्वीट करके बताया कि सीरिया में हमला होने पर अमेरिकी बलों ने आत्मरक्षा में तोप से गोले दागे हैं। ईराक की सेना ने अमेरिकी हमलों की निंदा की अभी एक दिन पहले ही, रविवार को अमेरिका ने इराक और सीरिया के बीच सीमा के निकट ‘ईरान समर्थित मिलिशिया समूहों की ओर से इस्तेमाल किए जाने वाले ठिकानों' को निशाना बनाकर हवाई हमले किए थे। ईराक की सेना ने अमेरिकी हमलों की निंदा की थी और मिलिशिया समूहों ने अमेरिका से बदला लेने की बात कही थी। पेंटागन के प्रेस सचिव जॉन किर्बी ने कहा था कि ये मिलीशिया समूह इराक में अमेरिकी बलों के खिलाफ मानवरहित यान से हमला करने के लिए इन ठिकानों का इस्तेमाल कर रहे थे। अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन के नेतृत्व वाले प्रशासन द्वारा इलाके में किया गया दूसरा हमला था। ऐसा कोई संकेत नहीं था कि रविवार को किए गए हमले सीमावर्ती क्षेत्र में अमेरिका के एक व्यापक और जारी रहने वाले हवाई अभियान का हिस्सा हैं। लेकिन किर्बी ने इराक पर हमलों को ‘रक्षात्मक’ करार देते हुए कहा था कि ये हमले ‘इराक में अमेरिकी हितों को निशाना बनाकर किए जा रहे ईरान समर्थित समूहों के हमलों’ के जवाब में किए गए। 'अमेरिकी सैनिकों की रक्षा के लिए अमेरिका कदम उठाएगा' किर्बी ने कहा कि अमेरिका ने स्थिति बिगड़ने के जोखिम को कम करने के लिए और हमले रोकने की खातिर एक स्पष्ट संदेश भेजने के लिए आवश्यक, उचित और सोच-समझकर कार्रवाई की।’ पेंटागन ने कहा था कि जिन ठिकानों पर हमले किए गए उनका इस्तेमाल ईरान समर्थित मिलिशिया धड़े कर रहे थे। पेंटागन की प्रवक्ता नौसेना की कमांडर जैसिका मैकनल्टी ने सोमवार को कहा कि हर हमला निशाने पर लगा और अमेरिकी सेना अभी अभियान के परिणामों का आकलन कर रही है। अमेरिक के विदेश मंत्री एंटोनी ब्लिंकन ने कहा कि बाइडन इस बात को लेकर बिलकुल स्पष्ट हैं कि अमेरिकी सैनिकों की रक्षा के लिए अमेरिका कदम उठाएगा।


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रियाद सऊदी अरब के नेतृत्‍व में गठबंधन सेना ने यमन की राजधानी सना में हूती विद्रोहियों के एक शिविर को हवाई हमला करके तबाह कर दिया है। सऊदी...