Sunday 31 October 2021

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मिलान इटली में समुद्र के नीचे एक असली अटलांटिस शहर दिखाई पड़ा है। समुद्र में डूबे दो हजार साल पुराने इस शहर बाइआ की अद्भुत तस्‍वीरें अब दुनिया के सामने आई हैं। इन तस्‍वीरों में बाइआ शहर की आलीशान जिंदगी नजर आ रही है। यह शहर अब पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बन गया है। बाइआ शहर इटली के नेपल्‍स शहर के पास स्थित था। प्राचीन रोमन काल में इस शहर को आधुनिक मोंटे कार्लो की तरह का दर्जा हासिल था। समुद्र के नीचे दिख रहे बाइआ के 'खजाने' को देखकर विशेषज्ञ यह अनुमान लगा रहे हैं कि यह धनी लोगों का कस्‍बा था जहां धनी और शक्तिशाली लोग कई दिनों तक पार्टी करने के लिए आते थे। इस दौरान धन संपदा का जमकर प्रदर्शन किया जाता था। यह वही स्‍थान है जहां पर सीनेटर गेइस कालपुरनियूएस पिसो ने कुख्‍यात राजा नीरो के हत्‍या की साजिश रची थी। बाइआ शहर में रोमन राजाओं ऑगस्‍टस, नीरो और कालीगुला के घर थे। इटली के एयर फोर्स पायलट रैमोंडो ने इस स्‍थान की पहचान की यही नहीं जूलियस सीजर के विला के भी कुछ अवशेष मिले हैं जिन्‍हें स्‍थानीय म्‍यूजियम में रखा गया है। डेली स्‍टार की रिपोर्ट के मुताबिक ज्‍वालामुखी विस्‍फोट की वजह से इस आलीशान शहर का कुछ हिस्‍सा समुद्र में डूब गया था। अब यह वास्‍तविक जीवन का 'अटलांटिस शहर' समुद्र के अंदर लोगों के आकर्षण का केंद्र बन गया है। पर्यटक इस शहर के अवशेषों को गाइड की मदद से देख सकते हैं। यही पर सीनेटर पिसो का घर भी है। पर्यटक उस शानदार फर्श को भी देख सकते हैं जहां पर लगातार पार्टियां चलती रहती थीं। यही पर एक स्‍पा भी था। इस शहर में कई संगमरमर की मूर्तियां भी मिली हैं। इन्‍हीं मूर्तियों को देखकर इटली के तानाशाह मुसोलिनी ने यहां से पानी निकालने का भी सुझाव दिया था ताकि अन्‍य खजाने को भी निकाला जा सके। सबसे पहले 1940 के दशक में इटली के एयर फोर्स पायलट रैमोंडो ने इस स्‍थान की पहचान की थी और इसे विचित्र भूतिया कस्‍बा करार दिया था।


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दुबई अमेरिका ने एक असामान्‍य कदम उठाते हुए अरब सागर में अपने महाविनाशाक बी-1बी लांसर बॉम्‍बर के साथ शक्ति प्रदर्शन किया है। इस अमेरिकी बॉम्‍बर ने हिंद महासागर में स्थित ब्रिटिश नौसैनिक अड्डे डियागो गार्सिया से उड़ान भरी और 5 घंटे तक लगातार उड़ान भरता रहा। इस दौरान बी-1बी बॉम्‍बर ने अरब सागर, अदन की खाड़ी, फारस की खाड़ी, ओमान की खाड़ी, स्‍वेज नहर, लाल सागर के ऊपर से उड़ान भरी। अमेरिकी बॉम्‍बर के शक्ति प्रदर्शन के दौरान बहरीन, मिस्र, इजरायल और सऊदी अरब की वायुसेना के फाइटर जेट साथ नजर आए। इनमें से ज्‍यादातर देशों के साथ ईरान का तनाव काफी बढ़ा हुआ है। यही नहीं ईरान और अमेरिका में भी बयानबाजी काफी तेज हो गई है। इस शक्ति प्रदर्शन के बाद अमेरिकी बॉम्‍बर वापस डियागो गार्सिया लौट आया। इस उड़ान के दौरान अमेरिकी बॉम्‍बर के साथ इजरायल के एफ-15 बाज फाइटर जेट नजर आए। अमेरिका ने डियागो गार्सिया में अपने बी-1बी बॉम्‍बर की तैनाती करके खुद को इस स्थिति में ला दिया है कि वह पूरे पश्चिम एशिया, अफ्रीका और पश्चिमी प्रशांत महासागर में कहीं भी कार्रवाई या प्रशिक्षण मिशन को अंजाम दे सकता है। पूरी दुनिया के किसी भी इलाके में हमला में हमला करने की ताकत इजरायल डिफेंस फोर्स (आईडीएफ) ने इस घटना का एक वीडियो भी अपने ट्विटर अकाउंट पर शेयर किया है। आईडीएफ ने कहा कि यह ज्वाइंट फ्लाइट अमेरिका और इजरायल के बीच बढ़ती रणनीतिक साझेदारी का एक उदाहरण है। इस समय ईरान की वायु सेना भी हवाई युद्धाभ्यास कर रही है। IDF के इस मिशन से जुड़े वीडियो को शेयर करने को ईरान के लिए खुला संदेश माना जा रहा है। अमेरिका शुरू से ही इजरायल का समर्थक राष्ट्र रहा है। वहीं, अमेरिकी प्रतिबंधों के कारण ईरान की अर्थव्यवस्था डवाडोल है। इस विमान ने इजरालयी वायु सीमा से होकर भूमध्य सागर के इलाके तक गश्त लगाई है। अमेरिका का बी-1बी बॉम्बर एक ही उड़ान में बिना रूके पूरी दुनिया के किसी भी इलाके में परमाणु हमला कर सकता है। हालांकि, अब इस विमान में परमाणु हथियारों की तैनाती को रोक दिया गया है। इस बीच ईरान की वायु सेना ने भी गुरुवार को हवाई युद्धाभ्यास की शुरुआत की। ईरान भी कर रहा है युद्धाभ्यास, हथियारों का परीक्षण इस युद्धाभ्यास का उद्देश्य इस्लामिक गणराज्य ईरान की वायु सेना की क्षमताओं का परीक्षण करना है। ईरानी फारस न्यूज एजेंसी के अनुसार, इस ड्रिल में स्वदेशी और अपग्रेडेड सिस्टम और हथियारों की क्षमता जांची जाएगी। इसके अलावा ईरानी वायु सेना सेमी हैवी स्मार्ट बम, सभी तरह के लेजर सिस्टम, थर्मल और रडार गाइडेड मिसाइल, रॉकेट और बमों को टेस्ट किया जाएगा।


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दुबई संयुक्‍त अरब अमीरात की सरकार ने ऐलान किया है कि वह कोरोना के खिलाफ जंग लड़ने वाले फ्रंटलाइन वर्कर्स और उनके परिवारों को गोल्डन वीजा का तोहफा देगा। यूएई की सरकार ने कहा कि वह फ्रंटलाइन हीरोज के कोरोना के खिलाफ जंग में प्रयासों की सराहना करती है। यूएई सरकार के इस फैसले से हजारों भारतीय नर्स, डॉक्‍टरों और अन्‍य पैरामेडिकल स्‍टाफ को फायदा मिलने की उम्‍मीद है। खलीज टाइम्‍स की रिपोर्ट के मुताबिक यूएई सरकार की ओर से जारी ताजा दिशानिर्देशों में कहा गया है कि जिन लोगों ने कोरोना वायरस से जान गंवा दी या इस जानलेवा वायरस से देश को बचाने में मदद की, वे लोग गोल्डन वीजा के लिए योग्‍य माने जाएंगे। इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि लाइसेंस प्राप्‍त डॉक्‍टर जुलाई 2021 से सितंबर 2022 के बीच आधिकारिक वेबसाइट smartservices.ica.gov.ae.पर आवेदन कर सकते हैं। गोल्‍डन वीजा से अत्‍यंत प्रशिक्षित वर्कर्स के लिए राह बहुत आसान हुई इसमें यह भी कहा गया है कि जो डॉक्‍टर दुबई में सेवा देते हैं, वे इस सुविधा का लाभ उठाने के लिए smart.gdrfad.gov.ae.वेबसाइट पर जा सकते हैं। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि लंबी अवधि के वीजा को देखने वाले प्रासंगिक विभाग वीजा जारी करने से पहले आवेदन की जांच करेंगे। खलीज टाइम्‍स ने कहा कि इस मानवीय कदम से फ्रंटलाइन वर्कर्स और उनके परिवारों में स्थिरता आएगी। यूएई ने इससे पहले गोल्डन वीजा कार्यक्रम की शुरुआत की थी ताकि विदेशी नागरिक बिना किसी कंपनी के स्‍पांसरशिप और 25 साल तक के बच्‍चे यहां रह सकें और काम कर सकें। यूएई ने अपनी नीतियों में यह बड़ा बदलाव किया था। इससे पहले केवल कुछ ही लोगों को लंबे समय तक के लिए रहने के लिए वीजा जारी किया जाता था। ये वे लोग होते थे जो बड़े पैमाने पर यूएई में निवेश करते थे। अब गोल्‍डन वीजा से निवेशकों और अत्‍यंत प्रशिक्षित वर्कर्स के लिए राह बहुत आसान हो गई है।


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टोक्योटोक्यो में रविवार को यात्री ट्रेन के एक डिब्बे में एक व्यक्ति ने कई लोगों को चाकू मार दिया और फिर आग लगा दी। पुलिस ने यह जानकारी दी। टोक्यो अग्निशमन विभाग ने बताया कि घटना में कम से कम 17 लोग घायल हो गए हैं, जिनमें से तीन की हालत नाजुक है। एनएचके टेलीविजन ने बताया कि हमलावर को मौके पर ही गिरफ्तार कर लिया गया, उसके बारे में अभी यही पता चल पाया है कि उसकी आयु 20 साल के आसपास है और मामले की जांच जारी है। टोक्यो पुलिस के अधिकारियों ने बताया कि घटना कोकुरयो स्टेशन के निकट केइयो ट्रेन के अंदर हुई। हमलावर की मंशा का तत्काल पता नहीं चल पाया है। टेलीविजन फुटेज में कई अग्निशामक, पुलिस अधिकारी और पैरामेडिकलकर्मी यात्रियों को बचाते हुए दिख रहे हैं, कई यात्री ट्रेन की खिड़कियों से कूद कर भागते हुए दिख रहे हैं। एक वीडियो में, एक और डिब्बे से यात्री भागते हुए दिख रहे हैं, जहां आग की लपटें उठ रही थीं। भागते हुए दिखे कई यात्रीएनएचके ने कहा कि संदिग्ध ने यात्रियों को चाकू मारने के बाद तेल जैसा तरल पदार्थ डाला और आग लगा दी। वीडियो बनाने वाले शुनसुके किमुरा ने एनएचके को बताया कि उन्होंने यात्रियों को भागते हुए देखा और जब उन्होंने यह पता लगाने की कोशिश की कि क्या हुआ है, तो उन्होंने धमाके की आवाज सुनी और धुआं उठता देखा। दो महीने में चाकूबाजी की दूसरी घटनाटोक्यो में ट्रेन के अंदर चाकू से हमले की दो महीने में यह दूसरी घटना है। इससे पहले अगस्त में टोक्यो ओलंपिक के समापन समारोह से एक दिन पहले 36 वर्षीय व्यक्ति ने टोक्यो में एक यात्री ट्रेन में 10 लोगों को चाकू मार दिया था। संदिग्ध ने बाद में पुलिस को बताया था कि वह खुश दिख रही एक महिला पर हमला करना चाहता था।


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काहिरा मिस्र ज्यादातर अपने सदियों पुराने पिरामिडों, ममी और प्राचीन संस्कृतियों के चलते पुरातत्वविदों की पहली पसंद रहा है। इतिहास के रहस्यों पर से पर्दा हटाने में भी मिस्र का अहम योगदान है। अब एक नई खुद मिस्र के इतिहास में संशोधन कर सकती है। शोधकर्ताओं का अनुमान है कि ममीकरण की प्रक्रिया प्राचीन मिस्र में अब तक के अनुमान की तुलना में 1000 साल पहले ही शुरू हो गई थी। मिस्र में खुदाई के दौरान पुरातत्वविदों की खोज पर आधारित एक डॉक्यूमेंट्री के अनुसार सबूत बताते हैं कि यह प्रक्रिया अनुमान से पहले ही शुरू हो गई थी। डॉक्यूमेंट्री में सक्कारा के कब्रिस्तान में मकबरे की जांच और विश्लेषण को दिखाया गया है जो शाही परिवार से संबंधित था। शाही परिवार के सदस्य के अवशेष 2019 में खोजे गए थे और माना जाता है कि यह अब तक के आकलन से पुराने हैं। ...तो संशोधित करनी होंगी सभी किताबेंमाना जा रहा है कि यह ब तक खोजी गई सबसे पुरानी ममियों में से एक भी हो सकती है। यह अवशेष Old Kingdom के हैं और 4000 साल पहले से शवों को संरक्षित करने में उनकी प्रगति को दर्शाते हैं। द ऑब्जर्वर से बात करते हुए काहिरा की अमेरिकन यूनिवर्सिटी में इजिप्टोलॉजी की प्रमुख प्रोफेसर सलीमा इकराम ने बताया कि यदि यह वास्तव में Old Kingdom की ममी है, तो ममीकरण और Old Kingdom के इतिहास के बारे में सभी पुस्तकों को संशोधित करने की जरूरत होगी। किताब से खुला का राजइससे पहले पुरातत्‍वविदों ने करीब 3500 साल पुरानी एक किताब से किसी लाश को ममी बनाने की सबसे पुरानी प्रक्रिया का पता लगाया था। कहा जाता है कि करीब 4 हजार साल पहले से ही प्राचीन मिस्र में इंसान के मरने के बाद उसे ममी बनाने की प्रक्रिया चल रही है। यूनिवर्सिटी ऑफ कोपेनहेगन के शोधकर्ताओं को किताब से लाश को ममी बनाने की सबसे पुरानी प्रक्रिया का पता चला था। यह किताब एक भोजपत्र की शक्‍ल में थी और उसे पेरिस में रखा गया है। इस किताब से कई डरावनी चीजें भी निकलकर सामने आई थीं।


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लंदन कभी-कभी 'कोयले की खान' में हीरा मिलने की कहावत सच साबित हो जाती है। ऐसा ही हुआ एक महिला के साथ जिसने 34 कैरेट के एक दुर्लभ हीरे को ड्रेस का टूटा हिस्सा समझकर कूड़े में फेंक दिया था। बाद में इस हीरे की कीमत 2 मिलियन डॉलर से भी अधिक निकली। बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार हीरे का आकार किसी सिक्के जितना बड़ा था जो 70 के दशक में उत्तरी ब्रिटेन की रहने वाली महिला का है। नाम न उजागर करने की शर्त पर हीरे की मालकिन ने कहा कि उसे याद नहीं कि उसने इसे कहां से खरीदा था। लेकिन उसका मानना है कि यह उसे किसी मार्केट से मिला था। अपने नॉर्थम्बरलैंड स्थित घर की सफाई करते समय महिला ने हीरे को कूड़े में फेंक दिया था। जिसके बाद पड़ोसी ने उसे इसकी कीमत पता करने का सुझाव दिया। ऑक्शनर मार्क लेन ने बताया कि महिला एक बैग में इसे लेकर आई थी क्योंकि उसे दूसरे भी कई काम थे। कई दिनों तक नहीं की जांचउन्होंने बताया कि यह हीरा महिला के दूसरे गहनों के साथ एक बॉक्स में मौजूद था जिनकी कीमत बेहद साधारण थी। लेन ने सोचा यह पत्थर क्यूबिक ज़िरकोनिया होगा जिसकी कीमत लगभग 2700 डॉलर होगी। यहां तक कि यह हीरा जांच से पहले उनकी टेबल पर कई दिनों तक बेहद लापरवाही से रखा रहा। हीरे को जांच के लिए बेल्जियम के एंटवर्प में एचआरडी डायमंड ग्रेडिंग लेबोरेटरी के विशेषज्ञों के पास भेजा गया। 30 नवंबर को की जाएगी नीलामीविशेषज्ञों ने पुष्टि करते हुए बताया कि यह वास्तव में 34.19 कैरेट का एच वीएस1 हीरा है, जिसकी कीमत 2.7 मिलियन डॉलर है। इसके बाद यह हीरा साधारण गहनों के उस डिब्बे में वापस नहीं गया। लेन ने इसे 'द सीक्रेट स्टोन' नाम दिया है जिसकी नीलामी 30 नवंबर को की जाएगी। नीलामी घर के अनुसार इसे 2.2 मिलियन डॉलर से 2.7 मिलियन डॉलर के बीच बेचे जाने की उम्मीद है।


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अबू धाबीइस बार संयुक्त अरब अमीरात में नए साल की पूर्व संध्या पर होने वाली शानदार आतिशबाजी दुनिया को चकाचौंध कर देगी। रास अल खैमा आतिशबाजी में इस बार दो गिनीज वर्ल्ड रेकॉर्ड बनाने की तैयारी कर रहा है। रास अल खैमा में नए साल के जश्न का आयोजन करने वाली समिति हर साल की तरह एक और विश्वस्तरीय आतिशबाजी प्रदर्शन की योजना बना रही है। इसमें 2022 का स्वागत करने के लिए ड्रोन्स, लाइट्स, कलर्स जैसी चीजें शामिल होंगी। अल मार्जन द्वीप और अल हमरा गांव के बीच तट के साथ 4.7 किमी का क्षेत्र 12 मिनट के लिए जनता के लिए खुला रहेगा। रास अल खैमा परिवारों के लिए कई तरह के इवेंट्स का भी आयोजन करेगा जिसमें नए साल की उल्टी गिनती आम लोगों को मंत्रमुग्ध कर देंगी। इसमें बच्चों के खेलने के लिए झूलों से लेकर परिवारों के एकत्र होने की इंतजाम किया जाएगा। जल्द ही इसके बारे में अधिक विवरण का खुलासा किया जाएगा। सुरक्षा प्रोटोकॉल का करना होगा पालननए साल के जश्न में आयोजकों का ध्यान लोगों की सुरक्षा पर भी होगा। आयोजन में शामिल होने वाले सभी लोगों से सुरक्षा प्रोटोकॉल का पालन करने के लिए कहा गया है। इस साल की शुरुआत में रास अल खैमा ने 10 मिनट की शानदार आतिशबाजी के साथ 2021 का स्वागत किया था। जिसमें यूएई के आशा, शांति और उपलब्धियों के संदेश को रेखांकित किया गया था। यूएई में पटरी पर लौट रही जिंदगीसफल टीकाकरण अभियान के साथ यूएई लगभग कोरोना को मात दे चुका है। यूएई न सिर्फ घरेलू सुविधाएं दोबारा शुरू कर रहा है बल्कि आईपीएल और टी20 क्रिकेट विश्वकप जैसे अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट भी आयोजित कर रहा है। भारत और यूएई के बीच हवाई सेवा भी एक बार फिर बहाल हो चुकी है। इससे भारतीय कामगार और छात्र अपने काम पर वापस लौट रहे हैं।


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तेल अवीवदुनिया के अलग-अलग हिस्सों में आज यानी 31 अक्टूबर को 'हैलोवीन डे' मनाया जा रहा है। ईसाइयों का यह त्योहार हर साल अक्टूबर के आखिरी रविवार को मनाया जाता है। हैलोवीन डे को लोग अजीबोगरीब डरावनी कॉस्ट्यूम पहनकर मनाते हैं। इसी तरह का नजारा कुछ इजरायल के तेल अवीव में भी देखने को मिला। जहां लोगों ने जॉम्बी जैसा मेकअप करके 'जॉम्बी वॉक' में हिस्सा लिया। न्यूज एजेंसी एएफपी के एक वीडियो में तेल अवीव की जॉम्बी वॉक को देखा जा सकता है। वीडियो के साथ लिखा गया, 'लोगों ने कॉस्ट्यूम और फेस पेंट के साथ तेल अवीव की जॉम्बी वॉक में हिस्सा लिया।' वॉक में हिस्सा लेने वाले डन्नी ने बताया कि वह इस वॉक में 2011 से हिस्सा ले रहे हैं और हर साल यहां आते हैं। करीब डेढ़ साल से जॉम्बी वॉक का आयोजन नहीं किया जा रहा था। बच्चे भी हुए जॉम्बी वॉक में शामिलउन्होंने बताया कि इजरायल में जॉम्बी वॉक का बेहद महत्व है। वीडियो में लोगों को एक-दूसरे का मेकअप करते और डरावने अंदाज में पोज करते देखा जा सकता है, जिसमें बच्चों से लेकर बड़े सभी शामिल हैं। इतिहास के अनुसार हैलोवीन दिवस को करीब 2000 वर्ष से पहले ‘आल सेट्स डे’ के रूप में पूरे उत्तरी यूरोप में मनाया जाता था। वहीं कुछ इतिहासकारों का कहना है कि हैलोवीन प्राचीन सेल्टिक त्योहार जिसे सम्हैन कहा जाता है, से संबंधित है। क्रिसमस के बाद दूसरा सबसे बड़ा त्योहारइस दिन पर मान्‍यता है कि मरे हुए लोगों की आत्माएं उठती है और धरती पर प्रकट हो कर जीवित आत्माओं के लिए परेशानी पैदा करती हैं। इन बुरी आत्माओं से डर भगाने के लिए लोग राक्षस जैसे कपड़े पहनते हैं। इसके अलावा इन्‍हें भगाने के लिए हर जगह आग जलाकर उसमें मरे हुए जानवरों की हड्डियां उसमें फेंकी जाती है। क्रिसमस के बाद हैलोवीन अमेरिकन व यूरेपियन देशों में मनाया जाने वाला सबसे बड़ा त्यौहार है।


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पेरिस कुछ साल पहले दुनिया के अब तक के सबसे बड़े ट्राइसेराटॉप्स जीवाश्म की खोज की गई थी। 66 मिलियन साल पुराने इस विशालकाय कंकाल को 'बिग जॉन' नाम दिया गया। एक नीलामी में यह जीवाश्म 6.6 मिलियन यूरो यानी लगभग 52 करोड़ रुपए में बिका है। गुरुवार दोपहर पेरिस के ड्रौट नीलामी घर में बिग जॉन के जीवाश्मों, उल्कापिंडों और अन्य प्राकृतिक इतिहास कलाकृतियों के खजाने को नीलामी के लिए रखा गया था। इस कंकाल की खोज सबसे पहले साउथ डकोटा में भूविज्ञानी वाल्टर डब्ल्यू. स्टीन बिल ने 2014 में की थी। ऐसा माना जाता है कि डायनासोर एक विशाल, प्राचीन महाद्वीप लारमिडिया में रहता था, जो आज अलास्का और मैक्सिको के बीच फैला है। खुदाई के बाद डायनासोर अवशेषों को इटली में रखा और एक साथ जोड़कर देखा गया। इससे पुरातत्वविदों को इसका असली आकार देखने में आसानी हुई। 60 फीसदी से ज्यादा कंकाल पूराबिग जॉन की खोपड़ी 9 फुट लंबी और साढ़े छह फुट चौड़ी है। डायनासोर का कंकाल लगभग 60 फीसदी से ज्यादा पूरा है। ब्रिटेन के नैचुरल हिस्ट्री म्यूजियम के अनुसार, ट्राइसेराटॉप्स की खोपड़ी एक 'विकासवादी विजय' है और सभी स्थलीय जानवरों से 'सबसे अलग' है। हालांकि यह पहला मौका नहीं है जब किसी डायनासोर का कंकाल इतना महंगा बिका हो। इससे पहले सितंबर 2020 में 'स्टेन' नाम के एक टायरानोसोरस रेक्स के कंकाल को 31.8 मिलियन डॉलर में बेचा गया था। नीलामी से विज्ञान खो देता है नमूनेइस तरह की नीलामी पर विशेषज्ञों ने चिंता भी जताई है। एक नीलामी घर ने कहा था कि जीवाश्म के नमूनों को निजी हाथों में बेचने से वे संभावित रूप से विज्ञान के लिए 'खो' जाते हैं। निजी स्वामित्व वाले नमूनों में निहित जानकारी तक भविष्य में पहुंच की गारंटी नहीं दी जा सकती है जिससे वैज्ञानिकों दावों की पुष्टि करना बेहद मुश्किल हो जाता है।


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रोम ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने रविवार को रोम में आयोजित जी20 शिखर सम्मेलन में 20 सदस्य देशों से तालिबान शासित अफगानिस्तान में महिलाओं और लड़कियों के अधिकारों को प्राथमिकता देने की अपील की। उन्होंने कहा कि ब्रिटेन इसके लिए 50 मिलियन पाउंड भी देगा। जी20 सम्मेलन का आयोजन रोम में किया जा रहा है जिसमें पीएम मोदी समेत दुनिया की 20 बड़ी अर्थव्यस्थाओं के शीर्ष नेता जलवायु, वैश्विक अर्थव्यवस्था, स्वास्थ्य और मानवाधिकार जैसे मुद्दों पर चर्चा करने के लिए एकत्र हुए हैं। बोरिस जॉनसन ने ट्वीट में लिखा, 'हमारी जिम्मेदारी है कि हम तालिबान शासन के तहत अफगानिस्तान में सबसे अधिक जोखिम वाले लोगों विशेषकर महिलाओं और लड़कियों की मदद करें।' उन्होंने कहा कि ब्रिटेन इस काम के लिए 50 मिलियन पाउंड देगा और मैं जी20 से अपील करता हूं कि हमारे सभी अंतरराष्ट्रीय विकास प्रयासों में महिलाओं और लड़कियों के अधिकारों को प्राथमिकता दी जाए। तालिबान को 'ब्लैंक चेक' नहीं दे सकतेकुछ दिनों पहले जॉनसन ने कहा था कि ब्रिटेन अफगान लोगों की मदद करने की कोशिश कर रहा है। हालांकि देश तालिबान को 'ब्लैंक चेक' नहीं दे सकता। जी20 सम्मेलन के एजेंडे में जलवायु परिवर्तन, कोविड-19 महामारी, आर्थिक सुधार और वैश्विक न्यूनतम कॉर्पोरेट कर दर पर चर्चा शामिल है। इसी बीच संयुक्त राष्ट्र के मानवीय सहायता मामलों के प्रमुख ने दुनिया की 20 बड़ी अर्थव्यवस्था वाले देशों के नेताओं के बीच कड़ा संदेश दिया। तबाही की कगार पर खड़ी अफगानिस्तान की अर्थव्यवस्थाउन्होंने कहा कि अफगानिस्तान की चिंता की जानी चाहिए क्योंकि इसकी अर्थव्यवस्था तबाह हो रही है और आधी आबादी के पास खाने के लिए पर्याप्त मात्रा में खाद्य पदार्थ नहीं होने का खतरा है तथा हिमपात भी शुरू हो गया है। अफगानिस्तान पर अगस्त में तालिबान के कब्जे के बाद अमेरिका ने युद्धग्रस्त देश की संपत्ति को फ्रीज कर दिया था, जिससे यहां बुनियादी वस्तुओं की कीमतों में भारी बढ़ोतरी हुई और क्रय शक्ति में गिरावट आई।


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काबुल ट्विटर पर वापसी कर चुके पूर्व अफगान उप राष्ट्रपति अमरुल्लाह सालेह लगातार पाकिस्तान और तालिबान की दोस्ती पर हमला बोल रहे हैं। वह उन अफगान नेताओं में से हैं जो तालिबान के आगे झुकने से इनकार कर चुके हैं। शनिवार को उन्होंने बताया कि तालिबान ने एक शादी में संगीत बंद करने के लिए 13 लोगों को मौत के घाट उतार दिया। एक बार फिर सालेह ने तालिबान-पाकिस्तान की दोस्ती पर निशाना साधा है। सालेह ने लिखा, 'तालिबान का दुनिया के लिए संदेश स्पष्ट है कि अगर आप हमें मान्यता नहीं देंगे तो हम और क्रूर हो जाएंगे और अधिकारों और मूल्यों के प्रति और ज्यादा बुरे हो जाएंगे। अगर आप हमें मान्यता दे देंगे तो हम कम बुरे बने रहेंगे। यह पाकिस्तान की पश्चिम के लिए नीति जैसा है जिसके अनुसार अगर आप हमें डॉलर्स देंगे तो हम कम बुरे बने रहेंगे। अगर आप नहीं देंगे तो हम सबसे बुरे बन जाएंगे।' तालिबान ने लागू किए कट्टरपंथी नियमअफगानिस्तान में तालिबान शासन ने अपने कट्टरपंथी नियम लागू कर दिए हैं। इनमें संगीत सुनने और मनचाहे कपड़े पहनने पर भी मनाही है। नियम तोड़ने वालों को मौत के घाट उतार दिया जाता है। यही हुआ बीते दिनों अफगानिस्तान की एक शादी में, जहां म्यूजिक बजाने की कीमत 13 लोगों को अपनी जान देकर चुकानी पड़ी। तालिबान शासन में खबरों का बाहर आना भी बेहद मुश्किल है। ऐसे में पूर्व अफगान उप राष्ट्रपति अमरुल्लाह सालेह ने ट्विटर पर इस घटना की जानकारी दी है। म्यूजिक बजाने पर 13 लोगों को माराअमरुल्लाह सालेह ने ट्विटर पर लिखा, 'तालिबान लड़ाकों ने नेंगरहार में एक शादी की पार्टी में म्यूजिक को बंद करने के लिए 13 लोगों की हत्या कर दी। हम सिर्फ निंदा करके अपना क्रोध व्यक्त नहीं कर सकते। 25 साल तक पाकिस्तान ने उन्हें अफगान संस्कृति को खत्म करने और हमारी धरती पर कब्जा करके आईएसआई के कट्टर शासन की स्थापना के लिए ट्रेनिंग दी। जो अब अपना काम कर रहे हैं।'


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जेनेवाइजरायल के राजदूत गिलाद एर्दन ने संयुक्त राष्ट्र महासभा के मंच पर यूएनएचआरसी की रिपोर्ट फाड़ दी। उन्होंने इस रिपोर्ट को 'बेकार' करार देते हुए कहा कि इसे कूड़े में फेंक देना चाहिए। एर्दन ने रिपोर्ट पर 'पक्षपात' का आरोप लगाते हुए कहा कि यह इजरायल के खिलाफ है। कुछ महीनों पहले हुए इजरायल और फिलिस्तीन के बीच हुए भीषण संघर्ष पर संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद ने एक विशेष बैठक बुलाई थी। एर्दन ने कहा कि अपनी स्थापना के बाद से ही मानवाधिकार परिषद 95 बार इजरायल की आलोचना कर चुका है। वह यहीं नहीं रुके और मानवाधिकार परिषद पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने 'इजरायल के खिलाफ' रिपोर्ट का हवाला देते हुए मानवाधिकार परिषद को पूर्वाग्रहों से भरा हुआ कहा। उन्होंने रिपोर्ट को फाड़ दिया और मंच से चले गए। एर्दन ने ट्विटर पर बताया कि आज उन्होंने मानवाधिकार परिषद की वार्षिक रिपोर्ट के खिलाफ आवाज उठाई जो झूठ से भरी हुई थी। इजरायल को बनाया जा रहा निशानाएर्दन ने कहा कि मानवाधिकार परिषद ने आज पूरी दुनिया को निराश किया है। यह ऐसे लोगों की आवाज नहीं सुनता जो हर पल मानवाधिकारों का हनन सहते हैं। पीड़ितों की आवाज मानवाधिकार परिषद के कानों तक नहीं पहुंचती। उन्होंने कहा कि इजरायल और उसकी स्वतंत्रता को निशाना बनाया जा रहा है। शुक्रवार को संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद ने अफगानिस्तान, म्यांमार और इजरायल-फिलिस्तीन संघर्ष को लेकर एक विशेष सत्र का आयोजन किया था। इजरायल की कार्रवाई में 260 लोगों की मौतकुछ महीनों पहले आयोजित बैठक में अध्यक्ष मिशेल बाचेलेट ने एक वार्षिक रिपोर्ट पेश की थी। इसमें गाजा पर इजरायली कार्रवाई को लेकर जांच समिति की नतीजे शामिल थे। इस हमले में करीब 67 बच्चों, 40 महिलाओं और 16 बुजुर्गों सहित 260 लोगों की मौत हो गई थी। संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट में इजरायली कार्रवाई की आलोचना की गई थी। जबकि इजरायल इस हिंसा के लिए चरमपंथी संगठन हमास को जिम्मेदार मानता है।


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इस्लामाबाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की वीवीआईपी उड़ान समूह 20 शिखर सम्मेलन के लिए इटली जाते समय शुक्रवार को पाकिस्तानी हवाई क्षेत्र से होकर गुजरी और इस्लामाबाद से औपचारिक मंजूरी मिलने के बाद यह विमान इसी मार्ग से लौटेगा। रविवार को पाकिस्तानी मीडिया में आई एक खबर में यह बताया गया। द एक्सप्रेस ट्रिब्यून की खबर के मुताबिक प्रधानमंत्री मोदी के विमान बोइंग 777,300ईआर, के7006 ने बहावलपुर में पाकिस्तानी हवाई क्षेत्र में प्रवेश किया, तुरबत और पंजगुर के ऊपर से गुजरा तथा ईरान और तुर्की होते हुए इटली पहुंचा। नागर विमानन प्राधिकरण (सीएए) सूत्रों के मुताबिक, भारतीय अधिकारियों ने पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय से मोदी की विशेष उड़ान के लिए उसके हवाई क्षेत्र के उपयोग की अनुमति मांगी थी। पाकिस्तान ने अनुरोध स्वीकार कर भारत के प्रधानमंत्री को अपने हवाई क्षेत्र से होकर जाने की अनुमति दी। अगस्त 2019 में पूर्ववर्ती राज्य जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा समाप्त किए जाने और राज्य को दो केंद्रशासित प्रदेशों में विभाजित करने की भारत की घोषणा के बाद दोनों देशों के बीच संबंध बिगड़ गए हैं। पाकिस्तान से होकर लौटेगा मोदी का विमानभारत ने पाकिस्तान से कहा है कि वह आतंकवाद, शत्रुता और हिंसा से मुक्त माहौल में इस्लामाबाद के साथ सामान्य पड़ोसी का संबंध चाहता है। प्रधानमंत्री मोदी समूह 20 शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए शुक्रवार को इटली पहुंचे। खबर में सीएए के प्रवक्ता के हवाले से कहा गया है कि ग्लासगो में जलवायु सम्मेलन के बाद भारत लौटने के क्रम में प्रधानमंत्री मोदी का विमान फिर से पाकिस्तानी हवाई क्षेत्र से होकर गुजरेगा। 2019 में पाकिस्तान ने नहीं दी थी अनुमतिअखबार के मुताबिक इससे पहले, एक भारतीय वाणिज्यिक विमान ने भी आवश्यक अनुमति प्राप्त करने के बाद पाकिस्तानी हवाई क्षेत्र का उपयोग किया था। पिछले महीने, प्रधानमंत्री मोदी का विमान पाकिस्तानी हवाई क्षेत्र होते हुए अमेरिका गया था। पाकिस्तान से अनुमति मिलने के बाद उसके हवाई क्षेत्र का उपयोग किया गया था। वहीं, अक्टूबर 2019 में पाकिस्तान ने सऊदी अरब जाने के लिए मोदी की उड़ान को पाकिस्तानी हवाई क्षेत्र का उपयोग करने देने के भारत के अनुरोध को खारिज कर दिया था।


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लंदन/ग्लासगो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र के रूपरेखा समझौते के लिए पक्षकारों के 26वें शिखर सम्मेलन (सीओपी-26) में शामिल होने के लिए रविवार को ग्लासगो पहुंचेंगे। इस सम्मेलन के इतर वह ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन के साथ द्विपक्षीय संवाद भी करेंगे। रोम में आयोजित हुए जी20 शिखर सम्मेलन में सिलसिलेवार बैठकों में शामिल होने के बाद मोदी यूरोप दौरे के अपने दूसरे पड़ाव में इटली से स्कॉटलैंड जाएंगे। 120 देशों के प्रमुख पहुंच रहे ब्रिटेन ग्लासगो में वैश्विक शिखर सम्मेलन के लिए स्कॉटिश इवेंट कैंपस (एसईसी) में होने जा रहे जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र के रूपरेखा समझौते (यूएनएफसीसीसी) के लिए पक्षकारों के 26वें शिखर सम्मेलन (सीओपी-26) में वैश्विक नेताओं के सम्मेलन (डब्ल्यूएलएस) में मोदी समेत 120 विभिन्न सरकारों के प्रमुख और राष्ट्र प्रमुख शामिल होंगे। तीन दिनों तक ब्रिटेन में रहेंगे पीएम मोदी मंगलवार तक की अपनी तीन दिवसीय ब्रिटेन यात्रा के दौरान मोदी सीओपी-26 सम्मेलन को संबोधित करेंगे और सोमवार को दोपहर बाद के एक सत्र में भारत की जलवायु कार्रवाई योजना के बारे में राष्ट्रीय बयान जारी किया जाएगा। उनके बाद ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान संबोधित करेंगे। पीएम मोदी ने जी-20 में क्या कहा मोदी ने शिखर सम्मेलन से पहले एक बयान में कहा, ‘‘नवीकरणीय ऊर्जा, पवन और सौर ऊर्जा की क्षमता के लिहाज से भारत दुनिया के शीर्ष देशों में शामिल है। डब्ल्यूएलएस में मैं जलवायु कार्रवाई और हमारी उपलब्धियों पर भारत के उत्कृष्ट ट्रैक रिकॉर्ड को साझा करुंगा। मैं कार्बन स्पेस के समान वितरण, शमन और अनुकूलन के लिए समर्थन और लचीलापन लाने के उपायों, वित्त जुटाने, प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और हरित तथा समावेशी विकास के लिए टिकाऊ जीवन शैली के महत्व सहित जलवायु परिवर्तन के मुद्दों को व्यापक रूप से संबोधित करने की आवश्यकता पर भी प्रकाश डालूंगा।’’ विदेश मंत्रालय ने कहा कि सीओपी-26 सम्मेलन प्रधानमंत्री को साझेदार देशों के नेताओं, नवोन्मेषकों तथा अंतर-सरकारी संगठनों समेत सभी पक्षकारों से मुलाकात का तथा हमारी स्वच्छ वृद्धि को और तेजी से बढ़ाने की संभावनाएं तलाशने का अवसर भी देगा। ब्रिटिश पीएम जॉनसन के साथ बैठक करेंगे पीएम मोदी जॉनसन के साथ मोदी की मुलाकात में ब्रिटेन-भारत रणनीतिक साझेदारी के लिए 2030 की रूपरेखा की समीक्षा की जा सकती है जिस पर दोनों नेताओं ने मई में डिजिटल तरीके से आयोजित शिखर वार्ता में दस्तखत किए थे। कोविड-19 महामारी के कारण अनेक यात्राएं निरस्त होने के बाद यह दोनों नेताओं की पहली आमने-सामने की बैठक होगी। जलवायु परिवर्तन पर भारत के रुख को बताएंगे पीएम मोदी सीओपी-26 सम्मेलन में भारत का रुख पेरिस समझौते के तहत 2020 की बाद की अवधि के लिए देश के महत्वाकांक्षी राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (एनडीसी) लक्ष्यों को रेखांकित करने का भी होगा। इसमें 2030 तक इसकी जीडीपी की उत्सर्जन तीव्रता में कमी को 2005 के स्तर से 33 से 35 प्रतिशत तक कम करना शामिल है। 2030 तक अक्षय ऊर्जा के स्रोतों से 40 प्रतिशत बिजली प्राप्त करने की क्षमता हासिल करना भी इनमें शामिल है। प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और हरित जलवायु कोष समेत कम लागत के अंतरराष्ट्रीय वित्तपोषण की मदद से इसे हासिल किया जा सकता है। जलवायु को लेकर भारत ने किया है खूब काम भारतीय अधिकारियों ने शिखर-सम्मेलन से पहले कहा कि भारत इन लक्ष्यों को प्राप्त करने की राह पर है और जलवायु कार्रवाई में जी20 देशों के बीच स्पष्ट रूप से सर्वाधिक अच्छा काम करने वाला देश है। जलवायु परिवर्तन प्रदर्शन सूचकांक 2021 के अनुसार भारत दुनिया के दस शीर्ष अच्छा प्रदर्शन करने वाले देशों में शामिल है। विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने इस महीने की शुरुआत में कहा था कि भारत सम्मेलन में पूरी प्रतिबद्धता के साथ जाएगा। पुतिन और जिनपिंग नहीं जाएंगे ब्रिटेन सीओपी-26 के अध्यक्ष के नाते ब्रिटेन ने संकेत दिया है कि सम्मेलन की सफलता इस सदी के मध्य तक कार्बन उत्सर्जन को कम करते हुए अंतत समाप्त करने की प्रामाणिक प्रणालियों पर 195 से अधिक देशों के बीच समझौते के रूप में परिभाषित है। चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन वैश्विक नेताओं के सम्मेलन में शामिल नहीं होंगे। सीओपी-26 के अधिकारियों ने कहा है कि अहम वार्ता के लिए उनके प्रतिनिधि उपस्थित रहेंगे।


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काबुल तालिबान ने अफगानिस्तान की इस्लामिक अमीरात सरकार को मान्यता देने में हो रही देरी पर अमेरिका को चेतावनी दी है। तालिबान ने पूरी दुनिया के देशों से अपील करते हुए कहा कि मान्यता देने में देरी और अफगान सरकार के फंड पर प्रतिबंध न केवल अफगानिस्तान बल्कि पूरी दुनिया के लिए खतरा पैदा करेगा। तालिबान की मान्यता देने की अपील को अमेरिका के लिए सीधे तौर पर चेतावनी समझा जा रहा है। अगर अमेरिका दे देता है तो इससे पूरी दुनिया पर दबाव बढ़ेगा। तालिबान सरकार को अभी तक नहीं मिली मान्यता तालिबान ने 15 अगस्त को अशरफ गनी सरकार को अपदस्थ करते हुए काबुल पर कब्जा कर लिया था। जिसके बाद सितंबर के पहले हफ्ते में तालिबान ने काफी खींचतान के बाद इस्लामिक अमीरात सरकार का ऐलान किया। सरकार गठन के दो महीने बाद भी अभी तक किसी भी देश ने तालिबान सरकार को मान्यता नहीं दी है। पहले यह संभावना जताई जा रही थी कि पाकिस्तान, रूस या कतर तालिबान सरकार को मान्यता दे सकते हैं, लेकिन उन्होंने भी अपने कदम पीछे खींच लिए हैं। अमेरिका ने रोका हुआ है तालिबान का फंड अमेरिका ने तो तालिबान सरकार के ऐलान के तुरंत बाद अफगानिस्तान सरकार के सभी फंड को सीज कर दिया था। इतना ही नहीं, अमेरिकी बैंकों में जमा अफगान सरकार के सभी पैसों को जब्त कर लिया गया था। जिसके कारण सरकार बनाने के बावजूद तालिबान को एक पैसा नहीं मिला। यही वजह है कि अफगानिस्तान इस समय गंभीर आर्थिक और मानवीय संकट का सामना कर रहा है। जबीहुल्लाह मुजाहिद बोला- पूरी दुनिया पर असर होगा तालिबान के प्रवक्ता जबीहुल्ला मुजाहिद ने कहा कि अमेरिका को हमारा संदेश है कि अगर मान्यता नहीं दी गई और अफगान समस्याएं जारी रहीं, तो यह क्षेत्र की समस्या दुनिया के लिए समस्या बन सकती है। उन्होंने यह भी कहा कि तालिबान और अमेरिका के पिछली बार युद्ध में जाने का कारण यह भी था कि दोनों के बीच औपचारिक राजनयिक संबंध नहीं थे। क्या झूठ बोल रहा तालिबान? मुजाहिद ने कहा कि जिन मुद्दों का कारण युद्ध हुआ, उन्हें बातचीत से सुलझाया जा सकता था, उन्हें राजनीतिक समझौते से भी सुलझाया जा सकता था। उन्होंने कहा कि मान्यता मिलना अफगान लोगों का अधिकार है। 11 सितंबर, 2001 के हमले के बाद जब अमेरिका ने तालिबान से ओसामा बिन लादेन को सौंपने को कहा था, तब इस खूंखार आतंकी संगठन ने दोस्ती के कारण इनकार किया था। इसी कारण अमेरिका ने अफगानिस्तान पर हमला किया था।


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काबुल तालिबान का सर्वोच्च नेता पहली बार सार्वजनिक तौर पर दिखाई दिया है। उसने तालिबान की जन्मभूमि कंधार शहर में अपने समर्थकों को संबोधित किया है। इससे पहले रिपोर्ट में दावा किया गया था कि हैबतुल्लाह अखुंदजादा की मौत 2020 में ही हो चुकी है। तब तालिबान ने इस खबर का न तो खंडन किया था और न ही समर्थन। अखुंदजादा साल 2016 में अख्तर मंसूर की मौत के बाद तालिबान का सरगना बना था, तभी से वह पर्दे के पीछे से दुनिया के सबसे ताकतवर आतंकी संगठन का संचालन कर रहा था। अखुंदजादा बोला- हमने काफिरों के खिलाफ लड़ाई लड़ी अगस्त में तालिबान के काबुल पर कब्जे के बाद से ही अखुंदजादा की भूमिका को लेकर कई तरह के दावे किए जा रहे थे। तालिबान सोशल मीडिया अकाउंट्स पर प्रसारित ऑडियो संदेश में दावा किया गया है कि शनिवार को अखुंदजादा ने अपने लड़ाकों और "बहादुर सैनिकों" से बात करने के लिए दारुल उलूम हकीमा मदरसे का दौरा किया। अखुंदजादा ने रिकॉर्डिंग में कहा कि अल्लाह अफगानिस्तान के उत्पीड़ित लोगों पर रहम करे, इन लोगों ने 20 साल तक काफिरों और उत्पीड़कों से लड़ाई लड़ी। कड़ी सुरक्षा के कारण वीडियो और फोटो नहीं आई बाहर 10 मिनट की रिकॉर्डिंग में अखुंदजादा ने मारे गए तालिबान लड़कों, घायल हुए मुजाहिदीन और अफगानिस्तान के इस्लामी अमीरात के पुनर्निर्माण में शामिल लोगों की सफलता के लिए दुआ मांगी। उसने कहा कि आइए प्रार्थना करें कि हम इस बड़ी परीक्षा से सफलतापूर्वक बाहर आएं। अल्लाह हमें मजबूत रहने में मदद करे। इस पूरे कार्यक्रम की सुरक्षा काफी कड़ी थी, जिससे कोई भी वीडियो और तस्वीर सामने नहीं आ सकी है। अमीरुल मोमिनीन की मिली है उपाधि अखुंदजादा को "अमीरुल मोमिनीन" के रूप में जाना जाता है। इसका अर्थ वफादारों के कमांडर होता है। अखुंदजादा को यह पदवी उनके समर्थकों ने दिया है। इससे पहले यह पदवी तालिबान संस्थापक मुल्ला उमर को भी दी गई थी। लो प्रोफाइल होने के बावजूद अखुंदजादा ने तालिबान को पूरे पांच साल तक जीत के लिए प्रेरित किया। उसी के कारण हक्कानी नेटवर्क के सरगना सिराजुद्दीन हक्कानी और मुल्ला उमर के बेटे मुल्ला मोहम्मद याकूब के बीच पहले कोई तनाव नहीं हुआ था। तालिबान में हैबतुल्लाह अखुंदजादा का फैसला अंतिम हैबतुल्लाह अखुंदजादा को तालिबान के वफादार नेताओं के रूप में जाना जाता है। अखुंदजादा इस्लामी कानूनी का बड़ा विद्वान होने के साथ तालिबान का सर्वोच्च नेता है। तालिबान के राजनीतिक, धार्मिक और सैन्य मामलों पर अंतिम फैसला हैबतुल्लाह अखुंदजादा ही करता है। अखुंदजादा 2016 में तालिबान का सरगना बना था। उससे पहले तालिबान का चीफ अख्तर मंसूर नाम का आतंकी था। 2016 में अफगान-पाकिस्तान सीमा के पास अमेरिकी ड्रोन हमले में अख्तर मंसूर की मौत हुई थी। पाकिस्तान के मस्जिद में मौलवी था अखुंदजादा 2016 में अचानक गायब होने से पहले हैबतुल्लाह अखुंदजादा दक्षिण-पश्चिमी पाकिस्तान के एक कस्बे कुचलक में एक मस्जिद में पढ़ाया करता था। यहीं से वह तालिबान के संपर्क में आया और इस खूंखार आतंकी संगठन के शीर्ष पद पर पहुंचा। माना जाता है कि उसकी उम्र लगभग 60 वर्ष है और उसका ठिकाना अज्ञात है।


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बीजिंग भारत की अग्नि-5 मिसाइल की टेस्ट को लेकर चीन को मिर्ची लगी हुई है। चीन की सरकारी मीडिया तो पिछले कई दिनों से भारत के मिसाइल टेस्ट को लेकर धमकियां भी दे रही है। कई रिपोर्ट्स में चीन की विनाशकारी मिसाइल और उनकी रेंज का भी जिक्र किया गया है। भारत की अग्नि-5 मिसाइल की रेंज 5000 किलोमीटर तक बताई जा रही है। यह मिसाइल परमाणु हमला करने के अलावा परंपरागत विस्फोटकों को भी लेकर जाने में सक्षम है। लद्दाख समेत पूरे एलएसी पर जारी तनाव को देखते हुए दोनों देश लगातार अपनी मिसाइल ताकत को बढ़ा रहे हैं। आप भी जानिए कि मिसाइल के मामले में कितना ताकतवर है चीन... DF-41 मिसाइल भारत के किसी भी कोने में कर सकती है हमला चीन की डीएफ-17 मिसाइल की रेंज 12000 से 15000 किलोमीटर तक है। यह बीजिंग से फायर करने के बाद भारत के किसी भी ठिकाने पर परमाणु हमला कर सकती है। डोंगफेंग-41 एक चौथी पीढ़ी की सॉलिड फ्यूल से चलने वाली इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल है। इस मिसाइल का संचालन चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी रॉकेट फोर्स के जिम्मे होता है। 21 मीटर लंबी और 2.25 मीटर गोलाई वाली इस मिसाइल को ट्रक माउंटेड लॉन्चर के जरिए कहीं भी पहुंचाया जा सकता है। डीएफ-41 मिसाइल की रफ्तार मैक 25 (30626 किमी/घंटे) की है। डीएफ-31 मिसाइल भी कर सकती है परमाणु हमला चीन की डोंग फेंग 31 मिसाइल की रेंज 7000 से 8000 किलोमीटर तक है। यह मिसाइल परमाणु हमला करने में भी सक्षम है। यह तीसरी पीढ़ी की लंबी दूरी तक मार करने वाली परमाणु मिसाइल है। इसे 1-मेगाटन थर्मोन्यूक्लियर हथियार ले जाने के लिए डिज़ाइन किया गया है। डीएफ-31 की अधिकतम रफ्तार 8 किलोमीटर प्रति सेकेंड है। इसे मिसाइल साइलो और किसी ट्रक माउंटेड प्लेटफॉर्म से लॉन्च किया जा सकता है। इस मिसाइल की लंबाई 13 मीटर और वजन 42 टन के आसपास है। 2500 किमी तक मार कर सकती है DF-17 मिसाइल चीन की DF-17 मिसाइल 2500 किलोमीटर दूर तक हाइपरसोनिक स्पीड से अपने लक्ष्य को भेद सकती है। इस मिसाइल को पहली बार पिछले साल चीन की स्थापना के 70वें वर्षगांठ के अवसर पर प्रदर्शित किया गया था। यह मिसाइल 15000 किलोग्राम वजनी और 11 मीटर लंबी है, जो पारंपरिक विस्फोटकों के अलावा न्यूक्लियर वॉरहेड को भी लेकर जा सकती है। सरल भाषा में कहें तो यह मिसाइल परमाणु हमला करने में भी सक्षम है। अमेरिका को चीन की DF-17 मिसाइल से है खतरा अमेरिका को चीन की डीएफ-17 हाइपरसोनिक मिसाइल से खतरा है। इस कारण वह अपनी मिसाइल डिफेंस टेक्नोलॉजी को अपग्रेड करने की कोशिशों में जुटा है। यह हाइपरसोनिक मिसाइल लंबी दूरी तक सटीक निशाना लगाने में माहिर है। ऐसे में अगर चीन हमला करता है तो अमेरिका को गुआम या जापान में मौजूद अपने बेस की सुरक्षा के लिए तगड़े इंतजाम करने पड़ेंगे। चीन की DF-17 मिसाइल 2500 किलोमीटर दूर तक हाइपरसोनिक स्पीड से अपने लक्ष्य को भेद सकती है। परमाणु और परंपरागत हथियार ले जाने में सक्षम है DF-26 चीन की DF-26/21 मिसाइल की मारक क्षमता करीब 4 हजार किलोमीटर तक है और इसकी जद में भारत के ज्‍यादातर शहर आते हैं। चीन ने इसे लद्दाख से मात्र 500 किलोमीटर की दूरी पर तैनात किया है। यह मिसाइल अपनी दोहरी क्षमता के लिए दुनियाभर में कुख्‍यात है। DF-26 परमाणु और परंपरागत दोनों ही तरह के हथियार ले जाने में सक्षम है। इसकी इसी क्षमता के कारण दुश्‍मन को यह समझना मुश्किल होगा कि कौन सी मिसाइल परमाणु हथियार लेकर आ रही है। DF-26 को गुआम किलर दिया है नाम DF-26/21 की इसी मारक क्षमता के कारण इसे चीन की 'गुआम किलर' मिसाइल कहा जाता है। गुआम जापान के पास अमेरिका का नेवल बेस है। चीन ने वर्ष 2015 अपनी सैन्‍य परेड में पहली बार इस मिसाइल को दुनिया के सामने पेश किया था। इस मिसाइल का जिम्‍मा अब चीनी सेना के रॉकेट फोर्स के पास है। भारत के पास इसके टक्‍कर की अग्नि-4 और अग्नि-5 मिसाइले हैं। ताजा रिपोर्ट के मुता‍बिक चीन के पास करीब 80 DF-26 मिसाइल लॉन्‍चर हैं जिनमें कुल 80 से 160 मिसाइलें हैं।


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वॉशिंगटन के 12 हजार कर्मचारियों और अधिकारियों को नौकरी से निकालने की तैयारियां चल रही है। इन लोगों ने दो महीने पहले कोविड वैक्सीन के अनिवार्य होने के बावजूद अभी तक एक भी डोज नहीं ली है। अगस्त में अमेरिकी रक्षा विभाग पेंटागन ने घोषणा की थी कि सक्रिय ड्यूटी पर तैनात 13 लाख सैन्य कर्मियों के लिए कोविड वैक्सीनेशन अनिवार्य है। विभाग ने यह भी कहा था कि ऐसा नहीं करने वाले कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई भी की जाएगी। वायु सेना के 12 हजार कर्मचारियों ने वैक्सीन नहीं लगवाई वॉशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिकी वायु सेना के 12000 से अधिक कर्मचारियों ने कोरोना वैक्सीन को लगवाने से इनकार कर दिया है। अक्टूबर की शुरुआत में, अमेरिकी वायु सेना के लगभग 60000 सदस्य टीकाकरण के लिए तैयार नहीं थे। पेंटागन के प्रवक्ता जॉन किर्बी के अनुसार, इस बीच, सभी अमेरिकी सैनिकों में से 97 प्रतिशत को अब तक कम से कम एक शॉट मिला है, और 87 प्रतिशत को पूरी तरह से टीका लगाया गया है। अबतक 94 फीसदी कर्मचारियों को लगी वैक्सीन सितंबर तक अमेरिकी वायु सेना के 94 फीसदी लोगों का टीकाकरण किया जा चुका था, लेकिन हाल के हफ्तों में इसकी रफ्तार काफी धीमी हो गई है। किर्बी ने कहा कि धार्मिक आधार पर वैक्सीनेशन से बचने की अपील करने वाले कर्मचारियों की संख्या बहुत कम है। उन्हें वैक्सीन की डोज लेने के लिए प्रोत्साहित भी किया जा रहा है। अमेरिकी रक्षा मंत्री का ऐलान- 2 नवंबर से पहले लगवाएं वैक्सीन 25 अगस्त को अमेरिकी रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन ने सेना प्रमुखों से 2 नवंबर से पहले सभी सैन्यकर्मियों को कोरोना वैक्सीन की कम से कम एक डोज लगवाने का आदेश दिया था। नेशनल गार्ड और रिजर्व सदस्यों के सदस्यों को 2 दिसंबर तक वैक्सीनेशन सर्टिफिकेट जमा करने का निर्देश दिया गया है। इससे केवल उन लोगों को छूट दिया गया है जो रिटायरमेंट के करीब हैं और छुट्टियों पर गए हुए हैं।


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बेरूत सऊदी अरब और लेबनान के बीच पैदा हुए विवाद में अब कुवैत, यूएई और बहरीन भी कूद गए हैं। इन खाड़ी देशों ने सऊदी अरब के साथ एकजुटता दिखाते हुए लेबनान के साथ राजनयिक संबंधों को तोड़ लिया है। दरअसल, कुछ दिन पहले लेबनान के एक कैबिनेट मंत्री ने यमन युद्ध को लेकर सऊदी अरब पर निशाना साधा था। जिसके बाद से भड़के सऊदी अरब ने लेबनान के राजदूत को तुरंत देश छोड़ने का आदेश दिया। जिसके बाद अब लेबनान के नेताओं ने सऊदी के साथ जारी कूटनीतिक तनाव को कम करने के लिए बैठक की है। लेबनान की मुश्किलें और बढ़ीं खाड़ी देशों के एक के बाद फैसलों से पहले से ही संकट से जूझ रहे लेबनान की मुश्किलें बढ़ गई हैं। लेबनान को विदेशी सहायता और अस्थिर आर्थिक एवं वित्तीय संकट में मदद की आवश्यकता है। यह खाड़ी देशों और लेबनान के बीच अब तक का सबसे गंभीर विवाद है। इस छोटे-से देश में ईरान के बढ़ते प्रभाव को लेकर रिश्ते तनावपूर्ण हैं जबकि सऊदी अरब पारंपरिक रूप से उसका एक शक्तिशाली सहयोगी देश रहा है। लेबनानी राजदूत सऊदी से स्वदेश लौटे शनिवार दोपहर को बेरूत में सऊदी अरब के राजदूत वलीद बुखारी स्वदेश लौट आए। सऊदी अरब ने उन्हें वापस बुलाया है। बेरूत में हवाई अड्डे पर मौजूद अधिकारियों ने यह जानकारी दी। बुखारी के स्वदेश लौटने से एक दिन पहले सऊदी अरब ने रियाद में लेबनान के राजदूत को 48 घंटों के भीतर देश छोड़ने का आदेश दिया और लेबनान से सभी आयात पर रोक लगा दी। सऊदी अरब दशकों से लेबनानी उत्पादों का बड़ा बाजार रहा है। अरब लीग ने जताई चिंता अरब लीग के प्रमुख ने लेबनान और अमीर खाड़ी देशों के बिगड़ते रिश्तों पर चिंता जतायी है। अमेरिका के विदेश विभाग ने एक बयान में कहा, ‘‘हम अनुरोध करते हैं कि लेबनान के सामने आ रहे मुद्दों पर सार्थक बातचीत सुनिश्चित करने के लिए सभी पक्षों के बीच कूटनीतिक रास्ते खुले रहें।’’ लेबनान के पीएम ने विदेशी अधिकारियों से की बात लेबनान के विदेश मंत्री अब्दुल्ला बोहाबिब ने कहा कि प्रधानमंत्री नजीब मिकाती विदेशी अधिकारियों के संपर्क में हैं जिन्होंने उनसे इस्तीफा देने के बारे में नहीं सोचने को कहा है। मंत्री ने बताया कि प्रधानमंत्री संकट का हल निकालने में मदद के लिए अमेरिका के संपर्क में हैं। सऊदी और लेबनान में क्यों पैदा हुआ विवाद यह विवाद सोशल मीडिया पर प्रसारित एक वीडियो को लेकर पैदा हुआ है जिसमें लेबनान के सूचना मंत्री जॉर्ज कोर्डाही ने यमन में युद्ध को सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात की आक्रामकता के रूप में वर्णित किया था। उन्होंने कहा कि यमन में युद्ध ‘‘बेतुका’’ है और इसे रोकना चाहिए। शनिवार शाम को कोर्डाही ने मामले पर विचार विमर्श करने के लिए लेबनान के मैरोनाइट कैथोलिक गिरजाघर के प्रमुख से मुलाकात की लेकिन इसके बाद कोई टिप्पणियां नहीं की। कुवैत और बहरीन ने लेबनान के राजदूतों को निकाला इससे पहले सऊदी अरब की राह पर चलते हुए कुवैत और बहरीन ने लेबनान के राजदूत को दो दिनों के भीतर देश छोड़ने का आदेश दिया। बाद में संयुक्त अरब अमीरात की सरकारी समाचार एजेंसी ने बताया कि सऊदी अरब के साथ एकजुटता जताते हुए देश लेबनान से अपने राजनयिकों को वापस बुलाएगा। साथ ही उसने कहा कि नागरिकों को लेबनान की यात्रा करने से भी रोका जाएगा। कतर ने विवाद खत्म करने की अपील की कतर के विदेश मंत्रालय ने लेबनान से ‘‘स्थिति को शांत करने और जल्द से जल्द विवाद को खत्म करने’’ का अनुरोध किया। ईरान और पश्चिमी देशों के बीच वार्ताकार रहे ओमान ने सभी से ‘‘संयम बरतने और तनाव बढ़ाने से बचने और संवाद तथा समझ के जरिए मतभेदों को दूर’’ करने का आह्वान किया। लेबनान में बैठकों का दौर जारी बेरूत में कई सरकारी अधिकारियों ने संकट पर चर्चा करने के लिए शनिवार को मुलाकात की। बोहाबिब ने ग्लास्गो की अपनी यात्रा रद्द कर दी, जहां उन्हें संयुक्त राष्ट्र जलवायु शिखर सम्मेलन में भाग लेना था। उन्होंने बताया कि मिकाती ग्लास्गो जाएंगे, जहां वह विदेशी नेताओं के साथ संकट पर चर्चा करेंगे। राष्ट्रपति मिशेल औन ने शनिवार को एक बयान में कहा कि लेबनान, सऊदी अरब और अपने पड़ोसियों के साथ अच्छे संबंध चाहता है।


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Saturday 30 October 2021

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वॉशिंगटन खूंखार आतंकवादी समूह आईएसआईएस अमेरिका की धरती पर दहलाने की साजिश रच रहा है। खुफिया इनपुट मिलने के बाद अमेरिका में पुलिस प्रशासन को हाई अलर्ट पर रखा गया है। अमेरिका की कानून प्रवर्तक एजेंसियों ने चेतावनी दी है कि यह अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी समूह नॉर्थ वर्जीनिया राज्य में किसी भी मॉल या शॉपिंग सेंटर पर हमला कर सकता है। पुलिस बोली- इनपुट पर कर रहे कार्रवाई फेयरफैक्स काउंटी के पुलिस प्रमुख केविन डेविस ने बताया कि गुरुवार को हमें पूरे क्षेत्र में मॉल और शॉपिंग सेंटरों पर संभावित सार्वजनिक सुरक्षा प्रभावों के बारे में जानकारी मिली। डेविस ने यह जिक्र नहीं किया कि उन्हें आईएसआईएस से किस तरह की चेतावनी मिली है। उन्होंने कहा कि हमारे पास जो जानकारी है, हम उस पर कार्रवाई कर रहे हैं। अमेरिका में आईएसआईएस के हमले का खतरा सीबीएस न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका में हमले का खतरा आईएसआईएस के आतंकवादियों से मिला है। इसी के आधार पर सुरक्षा व्यवस्था की समीक्षा की जा रही है। वॉशिंगटन डीसी से 30 किलोमीटर दूर स्थित फेयर ओक्स मॉल के आसपास के क्षेत्र में पुलिस की बख्तरबंद गाड़ियों को गश्त करते हुए देखा गया है। पुलिस प्रमुख केविन डेविस ने कहा कि कभी-कभी हमें जो जानकारी मिलती है वह बहुत विशिष्ट नहीं होती है, लेकिन फिर भी हमें इसका जवाब देना पड़ता है। भीड़ भाड़ वाले जगहों की सुरक्षा बढ़ाई गई उन्होंने कहा कि हमने प्रमुख सड़कों, ट्रांजिट हब, शॉपिंग प्लाज़ा और शॉपिंग मॉल की सुरक्षा व्यवस्था को बढ़ा दिया है। इसके अलावा पूरे काउंटी में पुलिस की कई टीमें 24 घंटे गश्त कर रही हैं। उन्होंने कहा कि लोगों के बीच उपस्थिति बनाए रखना, अधिक जागरूक होना और लोगों की सुरक्षा करना हमारी जिम्मेदारी है। यही लोग किसी भी तरह की संदिग्ध गतिविधियों की जानकारी देने के लिए हमारे आंख और कान हैं। चप्पे-चप्पे पर निगाह रख रही पुलिस उन्होंने कहा कि पुलिस की यह उपस्थिति हैलोवीन वीक से खत्म होने के बाद भी हर भीड़ भाड़ वाले जगह पर होगी। वर्जीनिया में गवर्नर का चुनाव भी हो रहा है। ऐसे में पुलिस की उपस्थिति को वहां भी बनाए रखना बहुत जरूरी है। इस चुनाव में डेमोक्रेटिक पार्टी के उम्मीदवार टेरी मैकऑलिफ का रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीदवार ग्लेन यंगकिन से मुकाबला हो रहा है। यहां अगले हफ्ते मतदान होना प्रस्तावित है।


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तेल अवीव ईरान से बढ़ते तनाव के बीच से लड़ाकू विमान F-15 ने अमेरिका के परमाणु बॉम्बर B-1B के साथ गश्त लगाई है। इसे क्षेत्र में बढ़ते तनाव के बीच ईरान के लिए एक सख्त संदेश माना जा रहा है। इजरायल डिफेंस फोर्स (आईडीएफ) ने इस घटना का एक वीडियो भी अपने ट्विटर अकाउंट पर शेयर किया है। आईडीएफ ने कहा कि यह ज्वाइंट फ्लाइट अमेरिका और इजरायल के बीच बढ़ती रणनीतिक साझेदारी का एक उदाहरण है। इस समय ईरान की वायु सेना भी हवाई युद्धाभ्यास कर रही है। ईरान को संदेश देने की कोशिश कर रहा इजरायल IDF के इस मिशन से जुड़े वीडियो को शेयर करने को ईरान के लिए खुला संदेश माना जा रहा है। अमेरिका शुरू से ही इजरायल का समर्थक राष्ट्र रहा है। वहीं, अमेरिकी प्रतिबंधों के कारण ईरान की अर्थव्यवस्था डवाडोल है। इस विमान ने इजरालयी वायु सीमा से होकर भूमध्य सागर के इलाके तक गश्त लगाई है। अमेरिका का बी-1बी बॉम्बर एक ही उड़ान में बिना रूके पूरी दुनिया के किसी भी इलाके में परमाणु हमला कर सकता है। हालांकि, अब इस विमान में परमाणु हथियारों की तैनाती को रोक दिया गया है। अमेरिका ने ईरान पर लगाए हैं नए प्रतिबंध शुक्रवार को ही अमेरिका ने ईरान के ड्रोन इंडस्ट्री को प्रभावित करने के लिए कई तरह के नए प्रतिबंध लगाए थे। अमेरिका और उसके विरोधी देशों का दावा है कि ईरान ने कई तरह के अत्याधुनिक ड्रोन को विकसित किया हुआ है। इतना ही नहीं, ईरान इन ड्रोन्स को यमन के हूती विद्रोही और लेबनान के हिजबुल्लाह को सप्लाई कर रहा है। हूती विद्रोहियों के निशाने पर सऊदी अरब जबकि हिजबुल्लाह के निशाने पर इजरायल है। यह दोनों ही देश अमेरिका के करीबी हैं। ईरान भी कर रहा हवाई अभ्यास इस बीच ईरान की वायु सेना ने भी गुरुवार को Modafe'an Aseman-e Velayat 1400 हवाई युद्धाभ्यास की शुरुआत की। इस युद्धाभ्यास का उद्देश्य इस्लामिक गणराज्य ईरान की वायु सेना की क्षमताओं का परीक्षण करना है। ईरानी फारस न्यूज एजेंसी के अनुसार, इस ड्रिल में स्वदेशी और अपग्रेडेड सिस्टम और हथियारों की क्षमता जांची जाएगी। इसके अलावा सेमी हैवी स्मार्ट बम, सभी तरह के लेजर सिस्टम, थर्मल और रडार गाइडेड मिसाइल, रॉकेट और बमों को टेस्ट किया जाएगा। ईरानी वायु सेना के लड़ाकू विमान ले रहे हिस्सा ईरानी वायु सेना के युद्धाभ्यास में एफ-4, एफ-5 और एफ-7 लड़ाकू विमानों के अलावा सुखोई Su-27s, F-14s, मिराज F1s और MiG-29s भी हिस्सा ले रहे हैं। ईरानी वायु सेना के कमांडर ब्रिगेडियर जनरल हामिद वाहेदी ने कहा कि इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ ईरान एयरफोर्स के लड़ाकू विमानों की लंबी दूरी तर मार करने की क्षमता, पिन पाइंट एक्यूरेसी से बॉम्बिंग और हवा से जमीन पर मिसाइल दागने की क्षमता को बढ़ाया जाएगा।


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लंदन/रोम अमेरिका के राष्ट्रपति इस समय यूरोप दौरे पर हैं। रोम में जी-20 शिखर सम्मेलन खत्म करने के बाद आज वे स्कॉटलैंड के ग्लासगो पहुंचने वाले हैं। आज इस शहर में जलवायु परिवर्तन शिखर सम्मेलन (सीओपी-26) का आगाज होना है। ग्लोबल वॉर्मिंग पर बात करने पहुंचे जो बाइडन के काफिले ने यूरोप दौरे में लगभग 1 लाख टन (2.2 मिलियन टन) कार्बन का उत्सर्जन किया है। जिसके बाद अमेरिका सहित पूरी दुनिया के पर्यावरण विशेषज्ञ जो बाइडन की आलोचना कर रहे हैं। वेटिकन सिटी में पोप फ्रांसिस से मिलने पहुंचे जो बाइडन के काफिल में 85 से ज्यादा गाड़ियां शामिल थीं। बाइडन के काफिले के विमानों से फैला सबसे ज्यादा प्रदूषण जो बाइडन के इटली और ब्रिटेन दौरे में एयरफोर्स वन के अलावा तीन और ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट शामिल हैं। इनमें से एक में अमेरिकी राष्ट्रपति की स्पेशल कार द बीस्ट समेत कई अन्य गाड़ियां और इक्विपमेंट्स लदे हुए हैं। बाकी के विमानों में सीआईए, सीक्रेट सर्विस और अमेरिकी राष्ट्रपति के कार्यालय से जुड़े कर्मचारी शामिल हैं। अकेले इन चार विमानों से 2.16 मिलियन पाउंड कार्बन का उत्सर्जन होगा। बाकी का हिस्सा बाइडन के काफिले में शामिल कारों से उत्सर्जित होगा। 3 किमी में एक किग्रा कार्बन उत्सर्जित करते हैं ये विमान जो बाइडन के हवाई काफिले में मोडिफाइड बोइंग 747 विमान शामिल हैं। इसे एयरफोर्स वन के नाम से भी जाना जाता है। जब अमेरिकी राष्ट्रपति एयरफोर्स वन पर सवार होकर किसी दूसरे देश की यात्रा करते हैं, तब दो विशाल सी -17 ग्लोबमास्टर विमान कारों और हेलीकॉप्टरों को संबंधित देश में पहुंचाते हैं। एयरफोर्स वन सहित बाकी के सभी एयरक्राफ्ट औसतन 54 पाउंड कार्बन प्रति मील उत्सर्जित करते हैं। अपनी यूरोप यात्रा के दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति के 10,000 मील की दूरी हवाई रास्ते से तय करने का कार्यक्रम है। बाकी का रास्ता वो अपनी कार से तय करेंगे। बाइडन की कैडिलेट कार भी फैलाती है प्रदूषण जो बाइडन की कैडिलेड द बीस्ट कार किसी बख्तरबंद गाड़ी से कम सुरक्षित नहीं है। यह कार 1 लीटर ईंधन में करीब 3 किलोमीटर का एवरेज देती है। शुक्रवार को पोप फ्रांसिस से मिलने पहुंचे अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन के काफिले से 8.75 पाउंड कार्बन प्रति मील का उत्सर्जन हुआ था। यह किसी औसत कार से लगभग 10 गुना ज्यादा कार्बन उत्सर्जन है। इटली को कोरोना नियमों के अनुसार, जो बाइडन के काफिले में करीब 85 कारें शामिल थीं। आलोचना हुई तो वाइट हाउस को देनी पड़ी सफाई अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन इटली की राजधानी रोम में विला टवेर्ना में रुके थे। यहां से उन्होंने वेटिकन सिटी की लगभग 7 किलोमीटर की दूरी कार के जरिए पूरी की। एक अनुमान के मुताबिक जो बाइडन के कारों के काफिले ने इस छोटी यात्रा के दौरान 373 पाउंड कार्बन का उत्सर्जन किया। अमेरिकी राष्ट्रपति के कारों के लंबे काफिले को लेकर खूब आलोचना भी की गई, जिसके बाद वाइट हाउस ने सफाई देते हुए कहा कि यह अमेरिकी राष्ट्रपति की सुरक्षा के लिए जरूरी था।


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अमेरिकी खुफिया एजेंसियों वॉशिंगटन अमेरिका की एक खुफिया रिपोर्ट का कहना है कि कोरोना वायरस को एक जैविक हथियार के रूप में विकसित नहीं किया गया था। लेकिन यह स्वीकार किया है कि यह वायरस वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी से निकला हो सकता है। नेशनल इंटेलिजेंस के निदेशक की ओर से शुक्रवार को जारी एक पेपर दरअसल 90-दिवसीय समीक्षा के अगस्त में जारी निष्कर्षों का विस्तृत रूप है, जिसका आदेश जो बाइडन ने दिया था। अमेरिकी खुफिया एजेंसियों ने कोरोना की उत्‍पत्ति पर चल रहे अध्‍ययन में अब ये नई बातें जोड़ी हैं। एजेंसियों ने कहा है कि शायद इस बात का कभी पता न चल सके कि कोरोना वायरस जानवरों से इंसानों में आया या फिर यह लैब से निकला। यूएस डायरेक्‍टर ऑफ नेशनल इंटेलिजेंस (ODNI) के कार्यालय ने डीक्‍लासिफाइड रिपोर्ट में कोरोना वायरस पर अहम बात कही। उसके मुताबिक, संभावना दोनों हैं। यानी यह लैब की देन भी हो सकता है और इसकी उत्‍पत्ति प्राकृतिक भी हो सकती है। हालांकि, विश्‍लेषक भरोसे के साथ नहीं कह सकते हैं कि कौन सी संभावना ज्‍यादा प्रबल है। उनमें एक राय नहीं है। अमेरिकी खुफिया एजेंसियों की अलग-अलग रायइससे पहले समीक्षा में कहा गया था कि अमेरिकी खुफिया एजेंसियों में वायरस की उत्पत्ति को लेकर अलग-अलग राय थी। लेकिन विश्लेषकों का मानना है वायरस को जैव हथियार के रूप में विकसित नहीं किया गया था। ज्यादातर एजेंसियों का मानना है कि वायरस आनुवंशिक रूप से इंजीनियर नहीं था। वहीं अमेरिकी खुफिया समुदाय के भीतर चार एजेंसियों ने कम विश्वास के साथ कहा था कि वायरस शुरू में एक जानवर से एक इंसान में फैला था। ट्रंप ने कहा था- चाइना वायरसपांचवीं खुफिया एजेंसी ने थोड़े अधिक विश्वास के साथ माना कि पहला मानव संक्रमण एक प्रयोगशाला से जुड़ा था। पूर्व रिपब्लिकन प्रेसिडेंट डोनाल्‍ड ट्रंप और उनके कई समर्थकों ने कोविड-19 को 'चाइना वायरस' करार‍ दिया था। इस वायरस के कारण अमेरिका सहित दुनियाभर में लाखों जिंदगियां गईं। अमेरिकी अर्थव्‍यवस्‍था को भी बड़ा नुकसान हुआ। ट्रंप के दोबारा प्रेसिडेंट न बन पाने के पीछे भी यही वजह बना।


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काबुल अफगानिस्तान में तालिबान शासन ने अपने कट्टरपंथी नियम लागू कर दिए हैं। इनमें संगीत सुनने और मनचाहे कपड़े पहनने पर भी मनाही है। नियम तोड़ने वालों को मौत के घाट उतार दिया जाता है। यही हुआ बीते दिनों अफगानिस्तान की एक शादी में, जहां म्यूजिक बजाने की कीमत 13 लोगों को अपनी जान देकर चुकानी पड़ी। तालिबान शासन में खबरों का बाहर आना भी बेहद मुश्किल है। ऐसे में पूर्व अफगान उप राष्ट्रपति अमरुल्लाह सालेह ने ट्विटर पर इस घटना की जानकारी दी है। अमरुल्लाह सालेह ने ट्विटर पर लिखा, 'तालिबान लड़ाकों ने नेंगरहार में एक शादी की पार्टी में म्यूजिक को बंद करने के लिए 13 लोगों की हत्या कर दी। हम सिर्फ निंदा करके अपना क्रोध व्यक्त नहीं कर सकते। 25 साल तक पाकिस्तान ने उन्हें अफगान संस्कृति को खत्म करने और हमारी धरती पर कब्जा करके आईएसआई के कट्टर शासन की स्थापना के लिए ट्रेनिंग दी। जो अब अपना काम कर रहे हैं।' अफगानों को चुकानी पड़ रही कीमतउन्होंने लिखा, 'यह शासन लंबे समय तक नहीं चलेगा। लेकिन दुर्भाग्य से इसके अंत तक अफगान लगातार इसकी कीमत चुकाते रहेंगे।' सोशल मीडिया पर लोग सालेह का समर्थन कर रहे हैं। एक यूजर ने लिखा कि यह घटना बिल्कुल सच है लेकिन देश में इसकी खबर देने के लिए अब स्वतंत्र मीडिया नहीं है। दूसरे यूजर ने लिखा कि मैं सहमत हूं, इन सब के पीछे पाकिस्तान है। वहीं एक यूजर ने तालिबान और आईएसआईएस दोनों को मुस्लिमों के लिए घातक बताया। पाकिस्तान ने तालिबान के लिए खोले दूतावास!इससे पहले भी सालेह पाकिस्तान पर निशाना साध चुके हैं। पाकिस्तानी मीडिया की कुछ रिपोर्ट्स भी तालिबान और पाकिस्तान की दोस्ती की गवाही दे रही हैं। खबर है कि पाकिस्तान ने तालिबान की ओर से नियुक्त 'राजनयिकों' को अपने यहां अफगान मिशनों के लिए गुपचुप तरीके से काम करने की अनुमति दे दी है। पाकिस्तान तालिबान को काबुल में वैध सरकार नहीं मानता, लेकिन फिर भी उसने तालिबान द्वारा नियुक्त 'राजनयिकों' को वीजा जारी किए। पाकिस्तानी अखबार 'डॉन' की एक रिपोर्ट में इसका खुलासा हुआ।


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वॉशिंगटन इन दिनों सोशल मीडिया पर एक महिला को लोग खूब दुआएं दे रहे हैं। दरअसल महिला ने अपने दादा को खुश करने के लिए पियानो बजाया क्योंकि उनके दादा को अल्जाइमर नाम की बीमारी है और उन्हें कुछ भी याद नहीं रहता। यहां तक कि वह अपनी पोती को भी नहीं पहचानते। यह दृश्य देखकर सोशल मीडिया यूजर्स की आंखों में आंसू आ गए। वीडियो को इंस्टाग्राम यूजर्स शीला अवे ने पोस्ट किया था। उन्होंने कहा कि उनके दादा 93 साल के हैं और हर 10 मिनट में उनसे पूछते हैं कि वह कौन हैं। इंस्टाग्राम पर शेयर किए गए वीडियो में वह पियानो बजाती हुई नजर आ रही हैं। उनके दादाजी चुपके से देखते हैं कि कौन पियानो बजा रहा है? वीडियो पर टेक्स्ट लिखकर आता है, 'वह सोच रहे हैं कि यह अजनबी महिला कौन है जो मेरा पियानो बजा रही है...'। कुछ देर दरवाजे पर खड़े रहने के बाद दादाजी कमरे में आते हैं और शीला के पास खड़े हो जाते हैं और शीला पियानो बजाना जारी रखती हैं। 'दादाजी मुझसे पूछते हैं कि मैं कौन हूं'वीडियो में दादाजी के चेहरे की खुशी इस बात का सबूत है वह पियानो का आनंद ले रहे हैं। दादाजी शीला की परफॉर्मेंस को 'थम्स अप' देते हैं और पियानो का लुत्फ उठाने के लिए सोफे पर बैठ जाते हैं और कुछ देर बाद वह सो जाते हैं। वीडियो पोस्ट करते हुए शीला ने लिखा, 'मेरे दादाजी 93 साल के हैं और उन्हें अल्जाइमर है। वह मेरा नाम नहीं जानते, मैं कहां रहती हूं और मैं कौन हूं। हम खुशी के एक पल को बांट रहे हैं, जहां याददाश्त की कोई भूमिका नहीं है।' वीडियो देखकर भावुक हुआ सोशल मीडियाउन्होंने लिखा, 'जिंदगी बहुत छोटी है। प्यार के लिए जगह बनाएं और अपने प्रिय लोगों के साथ इस पल का मजा उठाएं।' भावुक करने वाला यह वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। अब तक वीडियो को 4 लाख से ज्यादा बार देखा जा चुका है और इसे 42,000 से ज्यादा लाइक्स मिल चुके हैं। कई सोशल मीडिया यूजर इसे देखकर भावुक हो गए तो कुछ ने अपने अनुभव भी साझा किए।


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इस्लामाबाद पाकिस्तान ने तालिबान की ओर से नियुक्त 'राजनयिकों' को अपने यहां अफगान दूतावास और वाणिज्य दूतावासों का प्रभार संभालने की चुपचाप अनुमति दे दी। शनिवार को एक खबर में यह जानकारी दी गई। पाकिस्तान तालिबान को काबुल में वैध सरकार नहीं मानता, लेकिन फिर भी उसने तालिबान द्वारा नियुक्त 'राजनयिकों' को वीजा जारी किए। पाकिस्तानी 'डॉन' अखबार की खबर के अनुसार सरदार मुहम्मद शोकैब ने इस्लामाबाद स्थित अफगान दूतावास में प्रथम सचिव के तौर पर कामकाज शुरू कर दिया है। वहीं हाफिज मोहिबुल्ला, मुल्ला गुलाम रसूल और मुल्ला मुहम्मद अब्बास को पेशावर, क्वेटा और कराची स्थित अफगानिस्तान के वाणिज्य दूतावासों के लिए भेजा गया है। शोकैब प्रभावी तौर पर इस्लामाबाद में अफगान मामलों के प्रभारी होंगे। तालिबानी पत्रिका से जुड़े सरदार मुहम्मद शोकैबइस्लामाहाद स्थित अफगान दूतावास में जुलाई से कोई राजदूत नहीं है जब पिछली अफगान सरकार के अधीन पिछले राजदूत रहे नजीबुल्ला अलीखिल अपनी बेटी सिलसिला अलीखिल के कथित अपहरण के कारण पैदा हुए विवाद के बाद चले गए थे। शोकैब के बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई है लेकिन 'वॉइस ऑफ अमेरिका' की एक खबर के अनुसार वह जाबुल प्रांत के पश्तून मूल के नागरिक हैं जो दक्षिण कंधार में सूचना और संस्कृति विभाग में सेवाएं दे चुके हैं और तालिबान की एक पत्रिका से जुड़े थे। तालिबान प्रवक्ता के रूप में करता था कामएक समय वह कारी यूसफ अहमदी के नाम से तालिबान प्रवक्ता के रूप में काम करते थे और उन्हें पाकिस्तान में गिरफ्तार किया गया था और बाद में वह कई साल तक पेशावर में रहे। पाकिस्तान के विदेश कार्यालय के प्रवक्ता आसिम इफ्तिखार ने नई नियुक्तियों के संबंध में खबर को ज्यादा तवज्जो नहीं देते हुए कहा कि यह 'प्रशासनिक मामला' है।


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रोम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इटली के पांच दिवसीय दौरे पर हैं। इस दौरान वह रोम में जी20 सम्मेलन में हिस्सा लेंगे। शनिवार को वह रोम के रोमा कन्वेंशन सेंटर पहुंचे जहां जी20 सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है। यहां पीएम मोदी ने अन्य वैश्विक नेताओं के साथ अनऔपचारिक रूप से मुलाकात की और कुछ तस्वीरें खिंचवाई। इन तस्वीरों में पीएम मोदी, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन और फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों दोस्ताना अंदाज में नजर आ रहे हैं। तस्वीरों में देखा जा सकता है कि बाइडन और मैक्रों बेहद गर्मजोशी से पीएम मोदी से मिल रहे हैं। फोटो में पीएम मोदी और बाइडन एक-दूसरे के कंधे पर हाथ रखे और मुट्ठी बंद किए नजर आए। इन तस्वीरों से भारत, अमेरिका और फ्रांस की गहरी दोस्ती का अंदाजा लगाया जा सकता है। इस दौरान सभी नेताओं ने 'फैमिली फोटो' में भी हिस्सा लिया। न्यूज एजेंसी एएनआई की रिपोर्ट के मुताबिक इटली के प्रधानमंत्री मारियो द्राघी ने खुद पीएम मोदी का स्वागत किया। 'वैश्विक अर्थव्यवस्था और स्वास्थ्य' सत्र में पीएम मोदी ने लिया हिस्सा मोदी ने यूरोपियन परिषद के अध्यक्ष चार्ल्स मिशेल व यूरोपीय आयोग के अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन से मुलाकात की और 'वैश्विक अर्थव्यवस्था और स्वास्थ्य' पर आयोजित सत्र में हिस्सा लिया। इटली के प्रधानमंत्री मारियो ड्रैगी ने शनिवार को 20 देशों के शीर्ष नेताओं के समूह का रोम के कन्वेंशन सेंटर में स्वागत किया। विश्व की आर्थिक महाशक्तियों के नेता शनिवार को कोरोना वायरस महामारी के बाद पहली बार प्रत्यक्ष रूप से आयोजित शिखर सम्मेलन के लिए एकत्र हुए है। UN ने कहा- अफगानिस्तान की चिंता की जानी चाहिएसम्मेलन के एजेंडे में जलवायु परिवर्तन, कोविड-19 महामारी, आर्थिक सुधार और वैश्विक न्यूनतम कॉर्पोरेट कर दर पर चर्चा शामिल है। संयुक्त राष्ट्र के मानवीय सहायता मामलों के प्रमुख ने दुनिया की 20 बड़ी अर्थव्यवस्था वाले देशों के नेताओं के बीच कड़ा संदेश दिया। उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान की चिंता की जानी चाहिए क्योंकि इसकी अर्थव्यवस्था तबाह हो रही है और आधी आबादी के पास खाने के लिए पर्याप्त मात्रा में खाद्य पदार्थ नहीं होने का खतरा है तथा हिमपात भी शुरू हो गया है।


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लंदन कोरोना वायरस के एक नए वैरिएंट - AY.4.2 ने जुलाई में वैज्ञानिकों का ध्यान अपनी ओर खींचा था जब यह जुलाई में ब्रिटेन में फैल था। अक्सर इस वैरिएंट को ही 'डेल्टा प्लस' के नाम से जाना जाता है। अब चिंता बढ़ रही है क्योंकि न्यूयॉर्क और कैलिफोर्निया में भी वैरिएंट का पता चला है। स्वास्थ्य अधिकारियों ने इसकी पुष्टि की है। शुक्रवार तक न्यूयॉर्क में AY.4.2 के पांच मामलों की पुष्टि हुई थी। वहीं कैलिफोर्निया के सैन डिएगो और सैन फ्रांसिस्को काउंटी में दो मामलों का पता चला है। सेंटर्स फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन ने डेल्टा वेरिएंट को 'चिंताजनक' बताया है। सीडीसी के अनुसार डेल्टा घातक संक्रमण का कारण बनता है और वायरस के अन्य रूपों की तुलना में तेजी से फैलता है। कुछ आंकड़ों से पता चलता है कि यह बिना टीकाकरण वाले लोगों में अधिक गंभीर संक्रमण का कारण बन सकता है, हालांकि अभी तक इसकी पुष्टि नहीं हुई है। ब्रिटेन में लगातार बढ़ रहा है वैरिएंटAY.4.2 डेल्टा का ही एक प्रकार है लेकिन सीडीसी इसे डेल्टा जितना 'घातक' नहीं मान रहा है। ब्रिटेन में सोमवार तक सामने आए मामलों में 10 फीसदी हिस्सा AY.4.2 का था। वेलकम सेंगर इंस्टीट्यूट में सीओवीआईडी -19 जीनोमिक्स इनिशिएटिव के निदेशक जेफरी बैरेट ने पिछले हफ्ते ट्विटर पर लिखा था कि यह 'ब्रिटेन में लगातार बढ़ रहा है।' उन्होंने कहा कि यह वैरिएंट डेल्टा के अन्य रूपों से अलग हैं। नया वैरिएंट जरूरी चिंता का कारण नहींफिर भी यह ब्रिटेन में बहुत धीमी रफ्तार से डेल्टा की जगह ले रहा है जबकि डेल्टा ने पहले से मौजूद अल्फा वैरिएंट की जगह ले ली थी। जॉन्स हॉपकिन्स सेंटर फॉर हेल्थ सिक्योरिटी के वरिष्ठ विद्वान डॉ. अमेश अदलजा ने इनसाइडर को बताया कि एक नया वैरिएंट 'जरूरी चिंता' का कारण नहीं है। उन्होंने कहा, 'नए वैरिएंट्स पैदा होते रहते हैं। वायरस अपना रूप बदलना जारी रखेगा। हालांकि वैरिएंट सुर्खियां बटोर सकते हैं और लोग उनसे डर सकते हैं। महामारी की हकीकत बदलने वाली नहीं है।'


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मॉस्को सोशल मीडिया पर नाम कमाने के लिए लोग किसी भी हद को पार कर जाते हैं। इसी तरह मॉस्को में एक कपल ने रेड स्क्वायर में एक चर्च के सामने अश्लील फोटो खिंचवाकर सोशल मीडिया पर शेयर कर दी थी। अब इस टिक-टॉकर और उसकी प्रेमिका को इस कृत्य के लिए 10 महीने की जेल हुई है। मास्को में सेंट बेसिल कैथेड्रल के सामने अश्लील फोटोशूट करवाने के बाद मास्को की टावर्सकोइ जिला अदालत ने शनिवार को दोनों को जेल भेज दिया। ताजिक नागरिक रसलान बोबीव और रूस की अनास्तासिया चिस्तोवा को 'धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने' के लिए दोषी पाया है। कपल ने इस फोटो को सितंबर में पोस्ट किया था जिसके बाद बवाल मच गया था और उन्हें हिरासत में ले लिया गया था। फोटो में महिला को रूसी पुलिस जैकेट पहने देखा गया था। फोटो के साथ कैप्शन में लिखा था, 'द लेबर कोड इज नॉट द क्रिमिनल [कोड], यू कैन ब्रेक इट'। वीडियो बनाकर मांगी माफीअश्लील फोटो वायरल होने के बाद रसलान ने एक वीडियो बनाकर धार्मिक भावनाएं आहत करने के लिए माफी मांगी। रसलान ने वादा किया कि वह ऐसी हरकत दोबारा नहीं करेगा। रसलान एक पॉपुलर वीडियो ब्लॉगर है जो अजनबी लोगों के साथ प्रैंक वीडियो बनाता है। पहले भी वह कई वीडियो में मॉस्को पुलिस के साथ प्रैंक करते हुए नजर आ चुका है। कोर्ट ने भेजा था 10 दिनों के लिए जेललोगों की कड़ी प्रतिक्रिया आने के बाद पुलिस हरकत में आई और त्वरित कार्रवाई करते हुए रसलान को गिरफ्तार कर लिया था। उसे 10 दिन जेल की सजा सुनाई गई थी। कुछ लोग धार्मिक तो कुछ इसे पुलिस का अपमान बता रहे हैं। पुलिस ने रसलान को 30 सितंबर को गिरफ्तार किया था। कोर्ट ने उसे 10 दिनों के लिए जेल भेज दिया था।


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इस्लामाबाद पाकिस्तान की एक सैन्य अदालत ने सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा से इस्तीफा देने के लिए कहने के बाद पाकिस्तान सेना के एक रिटायर्ड मेजर जनरल के बेटे को पांच साल की जेल की सजा सुनाई है। न्यूज एजेंसी एएनआई ने इसकी जानकारी दी। द न्यूज इंटरनेशनल के हवाले से रिपोर्ट में कहा गया है कि युवक ने जनरल बाजवा को दिए गए 'सेवा विस्तार' पर चिंता जताते हुए एक पत्र लिखा और उनसे इस्तीफा मांगा था। सैन्य अदालत ने मेजर जनरल (रि.) जफर मेहदी अस्करी के बेटे हसन अस्करी को पाकिस्तान के सेना प्रमुख के सेवा विस्तार पर उनकी आलोचना के लिए देशद्रोह के आरोप में दोषी ठहराया। अस्करी एक कंप्यूटर इंजीनियर हैं और उन्होंने कथित तौर पर पिछले साल सितंबर में पत्र लिखा था। द न्यूज के अनुसार इस साल जुलाई में एक मुकदमे में अस्करी का प्रतिनिधित्व पाकिस्तान सैन्य अदालत की ओर से नियुक्त एक अधिकारी ने किया था। पिता ने कहा- बेटे से मिलना मुश्किलमुकदमे के दौरान अस्करी के पिता ने शिकायत की कि उन्हें अपने बेटे से मिलने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है, जो साहीवाल की हाई सिक्योरिटी जेल में बंद है। जनवरी में इस्लामाबाद हाई कोर्ट ने इस मामले को उठाया था। रिपोर्ट के मुताबिक मुकदमे और सजा के बारे में कोई आधिकारिक घोषणा नहीं हुई थी। हाल ही में लाहौर हाई कोर्ट की रावलपिंडी पीठ के समझ दायर एक याचिका से पूरा मामला सामने आया। नहीं दिया गया पसंद का वकीलअपनी याचिका में पिता ने सजा को चुनौती देते हुए कहा कि मुकदमे के दौरान उनके बेटे को उनकी पसंद का वकील नहीं दिया गया। उन्होंने अधिकारियों से आग्रह किया कि उनके बेटे को रावलपिंडी की अदियाला जेल में शिफ्ट कर दिया जाए। हाई कोर्ट याचिका पर अगली सुनावाई कब करेगा इस बारे में कोई जानकारी फिलहाल नहीं मिल पाई है।


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न्यूयॉर्क अमेरिका में एक फार्मास्युटिकल कंपनी के भारतीय मूल के सीईओ की कथित तौर पर एक व्यक्ति ने डकैती के प्रयास में हत्या कर दी। बताया जा रहा है कि भारतीय मूल के सीईओ कसीनो से लगभग 10,000 डॉलर जीतने के बाद अपने घर पहुंचे थे। अधिकारियों ने बताया कि मृतक सीईओ की पहचान ऑरेक्स लैबोरेट्रीज के प्रमुख के रूप में की गई है। उनकी उम्र 54 साल के आसपास बताई जा रही है। पुलिस ने बताया पूरा घटनाक्रम काउंटी अभियोजक योलान्डा सिस्कोन और प्लेन्सबोरो के पुलिस प्रमुख फ्रेड टेवेनर ने संयुक्त बयान जारी कर पूरे मामले की जानकारी दी है। उन्होंने कहा कि हमलावर जेकाई रीड-जॉन ने अरवापल्ली को कसीनों में बड़ी मात्रा में पैसे जीतते हुए देखा। जिसके बाद वह लूट के इरादे से अरवापल्ली का पीछा करते हुए प्लेन्सबोरो स्थित उनके घर तक पहुंच गया। यहां लूटपाट का विरोध करने पर उसने गोली मारकर रंगा अरवापल्ली की हत्या कर दी। हत्या का आरोपी गिरफ्तार पेंसिल्वेनिया में स्थानीय अधिकारियों ने हत्यारोपी रीड-जॉन को गिरफ्तार कर लिया गया है। आरोपी को मामले की सुनवाई के लिए न्यू जर्सी भेजने की तैयारियां की जा रही है। मौके पर पहुंची पुलिस ने गंभीर रूप से घायल रंगा अरवापल्ली को पास के अस्पताल पहुंचाया, जहां उन्हें मृत घोषित कर दिया गया। अमेरिका में जब किसी व्यक्ति को दूसरे राज्य में अपराधों के लिए एक राज्य में गिरफ्तार किया जाता है, तो अधिकारियों को जांच या मुकदमे के अधिकार क्षेत्र में लाने के लिए अदालत में प्रत्यर्पण प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है। लूट के प्रयास में मारी थी गोली अधिकारियों के अनुसार, आरोपी रीड-जॉन ने कथित रूप से लूट के प्रयास के दौरान रंगा अरवापल्ली को गोली मारी गई थी। अरावपल्ली के घर में प्रवेश करने के बाद, जॉन-रीड ने कथित तौर पर पिछले दरवाजे को तोड़ दिया और उन्हें गोली मार दी, जबकि उसकी पत्नी और बेटी ऊपर सो रही थे। अरवापल्ली के प्रोफाइल के अनुसार, उन्होंने 2014 से ऑरेक्स लेबोरेटरीज का नेतृत्व किया।


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कैलिफोर्निया अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव से पृथ्वी के नजारे का वीडियो जारी किया है। इस वीडियो को नासा के मैरीलैंड में गोडार्ड स्पेस फ़्लाइट सेंटर में साइंटिफिक विज़ुअलाइज़ेशन स्टूडियो ने तैयार किया है। दो मिनट के इस वीडियो को बनाने में नासा के इस स्टूडियो को तीन महीने का समय लगा था। इस वीडियो में पृथ्वी को तेजी से ऊपर से नीचे जाते हुए देखा जा सकता है, जबकि सूर्य क्षितिज के चारों ओर सुंदर तरीके के चमकता दिखाई दे रहा है। सूर्य और चंद्रमा के बीच दिख रही पृथ्वी वीडियो को ध्यान से देखने से पता चलता है कि पृथ्वी, सूर्य और चंद्रमा के बीच में आ रही है। इससे चंद्रमा पर ग्रहण लगता दिख रहा है। हालांकि, अगर चंद्रमा पृथ्वी और सूर्य के बीच आता तो यह ग्रहण धरती के लोगों को दिखाई देता। नासा स्टूडियो ने वीडियो जारी कर कहा कि पृथ्वी को देखने वालों के लिए यह एक चंद्र ग्रहण है, जिसमें पृथ्वी की छाया चंद्रमा पर पड़ती दिखाई दे रही है। चंद्रमा के शेकलटन क्रेटर में दिख रहा है कैमरा एनीमेशन में वर्चुअल कैमरा शेकलटन क्रेटर के रिम पर है, जो आंशिक रूप से नीचे दाईं ओर दिखाई देता है। यह लगभग वही क्षेत्र है जिसे नासा अपने आर्टेमिस मून-लैंडिंग मिशन के लिए टॉरगेट कर रहा है। एजेंसी को उम्मीद है कि 2022 तक चंद्रमा के इस हिस्से में अपने मिशन को पूरा कर लेगा। इसमें रोबोटिक एक्सप्लोरेशन टीम को भी चंद्रमा की सतह पर भेजा जाएगा। आर्टेमिस मिशन की तैयारी कर रहा नासा एजेंसी ने पिछले सप्ताह घोषणा की थी कि नासा का आर्टेमिस 1 मिशन को फरवरी 2022 में लॉन्च करने की उम्मीद है। इसे पहले के लिए शेड्यूल किया गया था, लेकिन तकनीकी खामियों के कारण इसमें देर होती चली गई। यह मिशन पहले चंद्रमा का गोल चक्कर लगाएगा, फिर इसको चंद्रमा की सतह पर उतारा जाएगा। एक निश्चिच अवधि तक चंद्रमा पर एक्सपेरिमेंट करने के बाद यह यान धरती पर वापस लौट आएगा। अंतरिक्ष यात्रियों को उतारने की प्लानिंग कर रहा नासा नासा के अगले मून मिशन का नाम आर्टेमिस-2 रखा गया है। इसमें एक चालक दल को चंद्रमा की परिक्रमा के लिए भेजा जाएगा। इसके लिए किसी कनाडाई अंतरिक्ष वैज्ञानिक का चयन भी कर लिया गया है। इस मिशन के लॉन्च होने की तारीफ 2023 में निर्धारित की गई है। नासा को उम्मीद है कि आर्टेमिस 3 एक लैंडिग मिशन होगा, जिसे चंद्रमा की सतह पर अंतरिक्षयात्रियों के साथ उतारा जाएगा।


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काबुल अफगानिस्तान पर अगस्त में तालिबान के कब्जे के बाद अमेरिका ने युद्धग्रस्त देश की संपत्ति को फ्रीज कर दिया था, जिससे यहां बुनियादी वस्तुओं की कीमतों में भारी बढ़ोतरी हुई और क्रय शक्ति में गिरावट आई। काबुल निवासी नूरजादा ने बताया कि अमेरिका में अफगानिस्तान की संपत्ति को फ्रीज करने से स्थानीय बाजार में कीमतों में बढ़ोतरी हुई है। पहले एक बोरी आटे (50 किलो) की कीमत 1,200 अफगानी (13 डॉलर) थी, जो बढ़कर 2,300 अफगानी हो गई है। नूरजादा ने अमेरिका पर अफगानिस्तान में आर्थिक संकट को बढ़ाने का आरोप लगाते हुए कहा कि काबुल में तालिबान सरकार के प्रति वाशिंगटन की उदासीनता ने आम अफगानों को उनकी दैनिक आय से लगभग वंचित कर दिया है। युद्धग्रस्त देश में अलकायदा और इस्लामिक स्टेट जैसे आतंकवादी समूहों की मौजूदगी के आरोप में वॉशिंगटन ने अफगान केंद्रीय बैंक की लगभग 9.5 अरब डॉलर की संपत्ति को फ्रीज कर दिया है। आसमान छूती कीमतों के लिए अमेरिका को दोषी ठहराया तालिबान की अंतरिम सरकार के प्रवक्ता जबीहुल्ला मुजाहिद ने अमेरिका के आरोप को खारिज करते हुए कहा कि अफगानिस्तान की धरती का इस्तेमाल अमेरिका समेत किसी भी देश के खिलाफ नहीं किया जाएगा। नूरजादा की चिंताओं को प्रतिध्वनित करते हुए, काबुल निवासी नजीर ने भी आसमान छूती कीमतों के लिए अमेरिका को दोषी ठहराया। साथ ही कहा कि वाशिंगटन की दोयम दर्जे की नीति ने पहले से ही गरीब देश में आर्थिक अराजकता और बढ़ती गरीबी को जन्म दिया है। नजीर ने बताया, ‘हमारे पास कोई अर्थव्यवस्था नहीं है, कोई काम नहीं है और कोई नियमित आय नहीं है। पिछले महीनों में, मैंने हर दिन 1,500 अफगानी अर्जित की, लेकिन आजकल मैं मुश्किल से 400 अफगानी कमा पाता हूं।’ राजधानी काबुल सहित संघर्षग्रस्त अफगानिस्तान में हर जगह आर्थिक कठिनाई स्पष्ट नजर आ रही है, क्योंकि राजधानी शहर के कई निवासी जीवित रहने के लिए अपने घरेलू उपकरण बेच रहे हैं। खाद्य सामग्री की कीमतें दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही अफगानों के अनुसार, अमरीका द्वारा अफगानिस्तान की संपत्ति पर रोक लगाने से नया प्रशासन सरकारी कर्मचारियों के मासिक वेतन का भुगतान करने में असमर्थ हो गया है और आय की कमी ने लगभग सभी अफगानों को निराश कर दिया है। दुकानदार सैयद आबिद ने कहा, ‘बुनियादी जरूरतों खासकर खाद्य सामग्री की कीमतें लगभग दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही हैं और बढ़ती महंगाई का कारण अमेरिका द्वारा अफगान संपत्ति को फ्रीज करना है।’


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रोम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शनिवार सुबह ईसाई धर्म के सर्वोच्च गुरु पोप फ्रांसिस से वेटिकन सिटी में मुलाकात की है। पीएम मोदी ने पोप फ्रांसिस को भारत यात्रा के लिए निमंत्रण भी दिया है। पीएम मोदी की पोप फ्रांसिस के साथ 20 मिनट के लिए मुलाकात का कार्यक्रम था, लेकिन दोनों नेताओं के बीच करीब 1 घंटे तक बातचीत हुई। दोनों ने पर्यावरण के बचाव और गरीबी को दूर करने के उपाय पर चर्चा की। एनएसए डोभाल और विदेश मंत्री भी थे साथ वेटिकन दौरे पर पीएम मोदी के साथ राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और विदेश मंत्री एस जयशंकर भी थे। यह पीएम मोदी और कैथोलिक चर्च के प्रमुख पोप फ्रांसिस के बीच पहली आमने-सामने की बैठक थी। प्रधानमंत्री मोदी ने वेटिकन सिटी स्टेट के स्टेट सेक्रेटरी कार्डिनल पिएत्रो पारोलिन से भी मुलाकात की है। साल 2013 के बाद पहली बार पोप ने भारतीय पीएम से मुलाकात की है। फ्रांसीसी राष्ट्रपति से करेंगे मुलाकात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आज ही फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुलए मैक्रों से मुलाकात का भी कार्यक्रम है। दोनों नेता AUKUS समझौते के बाद पहली बार आमने-सामने मिल रहे हैं। फ्रांस ने अमेरिका-ब्रिटेन-ऑस्ट्रेलिया के इस परमाणु पनडुब्बी डील को पीठ में छूरा भोंकना तक करार दिया था। ऐसे में समझौते के रद्द होने से फ्रांस को हजारों करोड़ का नुकसान हुआ है। पीएम मोदी से मुलाकात के दौरान भारत और फ्रांस के बीच रक्षा संबंधों को लेकर बड़े समझौते की रूपरेखा बन सकती है। रोम से ब्रिटेन जाएंगे पीएम मोदी रोम की यात्रा के बाद प्रधानमंत्री मोदी ब्रिटिश प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन के न्योते पर ब्रिटेन के ग्लासगो जाएंगे। इटली में उत्साही भारतीय समुदाय के लोगों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का गर्मजोशी के साथ अभिवादन किया और उन्होंने इस दौरान उनके नाम के नारे लगाए व मंत्रोच्चार भी किया। सोशल मीडिया पर जारी वीडियो में प्रधानमंत्री मोदी पार्क में भारी सुरक्षा व्यवस्था के बीच काफी प्रसन्नता के साथ भारतीय समुदाय के लोगों का अभिवादन स्वीकार करते और उनसे हाथ मिलाते दिखे। इटली में पीएम मोदी का हुआ भव्य स्वागत इटली में उत्साही भारतीय समुदाय के लोगों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का गर्मजोशी के साथ अभिवादन किया और उन्होंने इस दौरान उनके नाम के नारे लगाए व मंत्रोच्चार भी किया। सोशल मीडिया पर जारी वीडियो में प्रधानमंत्री मोदी पार्क में भारी सुरक्षा व्यवस्था के बीच काफी प्रसन्नता के साथ भारतीय समुदाय के लोगों का अभिवादन स्वीकार करते और उनसे हाथ मिलाते दिखे। यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष से मिले पीएम मोदी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यूरोपीय परिषद के अध्यक्ष चार्ल्स मिशेल और यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन से रोम में ही शुक्रवार को मुलाकात की। इस दौरान व्यापार तथा निवेश संबंधों, जलवायु परिवर्तन, कोरोना वायरस महामारी, वैश्विक तथा क्षेत्रीय घटनाक्रम पर व्यापक चर्चा भी हुई। प्रधानमंत्री कार्यालय ने ट्वीट किया कि यूरोपीय परिषद के अध्यक्ष चार्ल्स मिशेल और यूरोपीय आयोग के अध्यक्ष वॉन डेर लेयेन के साथ सार्थक बातचीत के साथ रोम में आधिकारिक कार्यक्रम शुरू हुए। नेताओं ने पृथ्वी को बेहतर बनाने के उद्देश्य से आर्थिक और लोगों के बीच परस्पर रिश्तों को मजबूत करने के तरीकों पर चर्चा की।


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रियाद सऊदी अरब में रह रहे भारतीयों के लिए खुशखबरी है। सऊदी अरब के जेद्दा में भारत के महावाणिज्य दूतावास ने अपनी सेवाओं के वितरण में सुधार के लिए अपने मोबाइल ऐप के साथ-साथ आधिकारिक वेबसाइट पर यूजर्स के अनुकूल ‘चैटबॉट’ की शुरुआत की है। इस चैटबॉक्‍स की मदद से भारतीय अपनी समस्‍याओं को दूतावास के अधिकारियों से असानी से कह सकेंगे। सीजेआई ने बुधवार को जारी एक बयान में बताया कि ‘सीजीआई जेद्दा चैटबॉट’ सेवा ‘इंडिया इन जेद्दा’ मोबाइल ऐप और महावाणिज्य दूतावास की वेबसाइट पर शुरू की गई है। इसके जरिये उपयोगकर्ताओं को वेबसाइट/ऐप पर खोज करने के बजाय आवश्यक जानकारी सीधे उपलब्ध कराई जाती है। बयान में कहा गया है, ‘जेद्दा में भारत मोबाइल ऐप के साथ-साथ वाणिज्य दूतावास की वेबसाइट पर अब यूजर के अनुकूल चैटबॉट है, जिसे सीजीआई जेद्दा चैटबॉट नाम दिया गया है, जो सूचना और सीजीआई जेद्दा के अधिकारियों तक पहुंच को आसान बनाता है।’ सीजीआई के अनुसार, दुनियाभर में भारतीय दूतावासों और वाणिज्य दूतावासों के मोबाइल ऐप या वेबसाइटों के संबंध में चैटबॉट सबसे पहले है। जेद्दा में भारत के महावाणिज्य दूत मोहम्मद शाहिद आलम ने कहा कि भारतीय समुदाय ने इस पहल की सराहना की है। बता दें कि सऊदी अरब में हजारों की तादाद में भारतीय कामगार नौकरी करते हैं। उन्‍हें अक्‍सर दूतावास से जुड़ी समस्‍याओं से जूझना पड़ता है। इस चैटबॉक्‍स से अब उन्‍हें आसानी होगी।


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नई दिल्ली/दुबई भारत सरकार ने कोरोना लॉकडाउन के समय से जारी अंतरराष्ट्रीय उड़ानों पर लगे प्रतिबंध को 30 नवंबर तक के लिए बढ़ा दिया है। नागर विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) ने शुक्रवार को आदेश जारी करते हुए कहा कि केवल चुनिंदा रूट पर ही अंतरराष्ट्रीय उड़ानों को अनुमति दी जाएगी। यह प्रतिबंध अंतरराष्ट्रीय कार्गो फ्लाइट और विशेष रूप से डीजीसीए से अनुमोदित उड़ानों पर लागू नहीं होगा। अभी तक यह प्रतिबंध 31 अक्टूबर तक के लिए प्रभावी था। इस आदेश के बाद लोगों में भ्रम है कि क्या विदेश से वे भारत की यात्रा कर सकते हैं या नहीं? जानिए इन सभी सवालों के जवाब... 23 मार्च से ही बंद हैं सेवाएं कोविड महामारी के कारण भारत में कुछ निर्धारित अंतरराष्ट्रीय यात्री उड़ानें 23 मार्च, 2020 से निलंबित हैं। हालांकि, वंदे भारत मिशन के तहत मई 2020 से और चुनिंदा देशों के साथ जुलाई 2020 से द्विपक्षीय ''एयर बबल'' व्यवस्था के तहत विशेष अंतरराष्ट्रीय उड़ानें संचालित की जा रही हैं। इसके अलावा भी डीजीसीए से विशेष मंजूरी के बाद कई रूट पर अंतरराष्ट्रीय उड़ानों का संचालन किया जा रहा है। 28 देशों से फ्लाइट ऑपरेट कर रहा भारत अगर कोई यात्री खाड़ी देशों से भारत आने की सोच रहा है तो उसे कुछ बुनियादी जानकारी होना जरूरी है। जैसे- प्रतिबंध के बावजूद दुबई, शारजहां, रियाद, अबू धाबी और मस्कट से कई सीधी फ्लाइट भारत के कई शहरों से ऑपरेट हो रही हैं। नागरिक उड्डयन मंत्रालय की वेबसाइट के अनुसार, भारत ने 28 देशों के साथ 'ट्रांसपोर्ट बबल्स' या 'एयर ट्रैवेल्स एग्रीमेंट्स' पर हस्ताक्षर किए हैं। कई श्रेणियों में लोगों को यात्रा की अनुमति संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के साथ हुए ऐसे ही समझौते के अनुसार, दोनों देशों की एयरलाइंस को कुछ श्रेणियों में शामिल पैसेंजर्स को यात्रा कराने की अनुमति है। इसके पहले क्लॉज में लिखा हुआ है कि भारतीय नागरिक या नेपाल या भूटान के नागरिक संयुक्त अरब अमीरात या दक्षिण अमेरिका या अफ्रीका के किसी भी देश में फंसे हुए हैं। उन्हें यात्रा की अनुमति दी जा सकती है। ओआईसी और पीआईओ कार्डधारक कर सकते हैं यात्रा भारत के सभी ओसीआई कार्डधारक और भारतीय मूल के व्यक्ति (पीआईओ कार्डधारक) जिनके पास किसी भी देश के पासपोर्ट हो। इसके अलावा यूएई या दूसरे देशों के विदेशी नागरिक जो पर्यटन वीजा को छोड़कर किसी दूसरे काम से भारत आना चाहते हैं। इसमें भी दक्षिण अमेरिकी देश या अफ्रीका के देशों के लिए अलग से प्रावधान है। यूएई ने भी किया बड़ा ऐलान यूएई ने भी भारत से आने वाले यात्रियों के लिए कई नई घोषणाएं की है। यूएई के नेशनल क्राइसिस एंड इमरजेंसी मैनेजमेंट अथॉरिटी (NCEMA) ने कई घोषणाओं में बताया है कि कैसे यूएई में रहने वाले वीजा धारक भारत से वापस आ सकते हैं। यूएई ने विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) से अनुमोदित वैक्सीन लगवाए लोगों को अपने देश में आने की मंजूरी दी हुई है। हालांकि इन लोगों का एयरपोर्ट पर रैपिड पोलीमरेज चेन रिएक्शन (पीसीआर) टेस्ट किया जा रहा है।


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परमाणु बमों की ढेर पर बैठी दुनिया के लिए आज का दिन बेहद अहम है। आज से 60 साल पहले शीतयुद्ध के जमाने में रूस ने दुनिया के सबसे शक्तिशाली परमाणु बम का परीक्षण किया था। यह परमाणु बम अमेरिका के जापानी शहर हिरोश‍िमा पर गिराए गए परमाणु बम से 3333 गुना ज्‍यादा शक्तिशाली था और एक झटके में किसी महानगर को राख के ढेर में बदल सकता है। यह मानवता की ओर से किया गया अब तक का सबसे शक्तिशाली विस्‍फोट था जिससे पूरी दुनिया दहशत में आ गई थी। इस परमाणु बम का नाम जा बांबा (Tsar Bomba) था और 30 अक्‍टूबर 1961 को इसका परीक्षण आर्कट‍िक समुद्र के पास स्थित सेवेर्नी द्वीप पर किया गया था। यह परमाणु विस्‍फोट इतना शक्तिशाली था कि इसको 1000 किमी दूर से भी देखा गया था। आइए जानते हैं रूस के इस प्रलय लाने वाले परमाणु बम के बारे में सबकुछ.....

Tsar Bomba Nuclear Bomb Blast: दुनिया की दो महाशक्तियों रूस और अमेरिका के लिए आज का दिन अहम है। 60 साल पहले रूस ने अमेरिका को पीछे छोड़ने के लिए दुनिया के सबसे शक्तिशाली परमाणु बम का विस्‍फोट किया था। इस धमाके की गूंज आज भी दुनिया में महसूस की जा रही है।


रूस ने आज ही किया था दुनिया का सबसे शक्तिशाली परमाणु धमाका, एक झटके में जा सकती है 60 लाख की जान

परमाणु बमों की ढेर पर बैठी दुनिया के लिए आज का दिन बेहद अहम है। आज से 60 साल पहले शीतयुद्ध के जमाने में रूस ने दुनिया के सबसे शक्तिशाली परमाणु बम का परीक्षण किया था। यह परमाणु बम अमेरिका के जापानी शहर हिरोश‍िमा पर गिराए गए परमाणु बम से 3333 गुना ज्‍यादा शक्तिशाली था और एक झटके में किसी महानगर को राख के ढेर में बदल सकता है। यह मानवता की ओर से किया गया अब तक का सबसे शक्तिशाली विस्‍फोट था जिससे पूरी दुनिया दहशत में आ गई थी। इस परमाणु बम का नाम जा बांबा (Tsar Bomba) था और 30 अक्‍टूबर 1961 को इसका परीक्षण आर्कट‍िक समुद्र के पास स्थित सेवेर्नी द्वीप पर किया गया था। यह परमाणु विस्‍फोट इतना शक्तिशाली था कि इसको 1000 किमी दूर से भी देखा गया था। आइए जानते हैं रूस के इस प्रलय लाने वाले परमाणु बम के बारे में सबकुछ.....



​रूस के एक धमाके में खत्‍म हो सकते हैं 60 लाख लोग
​रूस के एक धमाके में खत्‍म हो सकते हैं 60 लाख लोग

रूसी परमाणु बम की महाविनाशक ताकत का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि इसको लंदन जैसे शहर पर गिराने पर हर तरफ राख दिखाई देगी। एक झटके में 60 लाख लोग खत्‍म हो जाएंगे। इस जार बांबा बम के धमाके के बाद हिरोशिमा और नागासाकी में गिराए गए परमाणु बमों की कुल क्षमता का 1570 गुना ज्‍यादा ऊर्जा पैदा होगी। जॉर बांबा से 50 मेगाटन टीएनटी के बराबर विनाश होगा। रूस के इस धमाके के शनिवार को 60 साल पूरे हो गए और इसकी गूंज आज भी दुनिया में सुनी जा सकती है। वैश्विक स्‍तर पर हथियारों की रेस अब नए मुकाम पर पहुंच रही है। चीन ने अंतरिक्ष में चक्‍कर काटने वाली मिसाइल दागकर कोहराम मचा दिया है। ब्रिटिश इतिहासकार एलेक्‍स वेल्‍लेरस्‍टेन कहते हैं कि आज इस बम को लंदन शहर पर गिराया जाय तो करीब 58 लाख लोगों की मौत हो जाएगी। इसका असर लंदन से 9 किमी दूरी तक भारी तबाही मचेगी। इसके विस्‍फोट से हर इमारत जमीदोज हो जाएगी और वहां मौजूद प्रत्‍येक व्‍यक्ति की मौत हो जाएगी। इसका हल्‍का असर करीब 50 किमी दूर तक रहेगा। इस परमाणु बम की विनाशक क्षमता को देखते हुए इसे धरती के खात्‍मे का हथियार कहा जाता है।



​महाविस्‍फोट का खौफ, सैकड़ों मील दूर से बनाया वीडियो
​महाविस्‍फोट का खौफ, सैकड़ों मील दूर से बनाया वीडियो

इस परमाणु बम को रूसी विमान ने आर्कटिक समुद्र में नोवाया जेमल्‍या के ऊपर बर्फ में गिराया था। इस महाविनाशक परमाणु बम को प्रोग्राम izdeliye 202 के तहत बनाया गया था। बाद में जब इस परमाणु बम के बारे में पश्चिमी दुनिया को पता चला तो इसका नाम 'Tsar Bomba' कर दिया गया। उधर, विशेषज्ञों का कहना है कि रूस ने अपने परीक्षण के जरिए शानदार तकनीकी उपलब्धि हासिल की थी। इस महाविनाशक परमाणु बम का खौफ इतना ज्‍यादा था कि कैमरों को सैकड़ों मील की दूरी पर लगाया गया था। साथ ही उन्‍हें लो लाइट पोजिशन में रखा गया था ताकि वे परमाणु विस्‍फोट की चमक में 'अंधे' न हो जाएं। इन शक्तिशाली कैमरों ने करीब 40 सेकंड तक आग के गोले का वीडियो बनाया और उसके बाद यह मशरूम के बादल के रूप में बदल गया। इस विस्‍फोट स्‍थल से 100 मील की दूरी पर स्थित एक विमान ने मशरूम के आकार के गुबार का वीडियो बनाया। यह करीब 213,000 फुट की ऊंचाई तक गया था। इस विस्‍फोट के फुटेज को रूस ने करीब 6 दशक तक टॉप सीक्रेट रखा था लेकिन अब रोस्‍तम के 75 साल पूरे होने पर उसे जारी किया था।



​दुनिया का सबसे बड़ा परमाणु बम है रूस का जॉर बॉम्‍बा
​दुनिया का सबसे बड़ा परमाणु बम है रूस का जॉर बॉम्‍बा

रूस की सेना ने Tsar Bomba को RDS-220 नाम दिया था। यह दुनिया में बनाया गया सबसे बड़ा परमाणु बम है। इसे उस समय बनाया गया था जब अमेरिका और सोवियत संघ के बीच कोल्‍ड वॉर अपने चरम पर था। सोवियत संघ ने अमेरिका के थर्मोन्‍यूक्लियर डिवाइस को टक्‍कर देने के लिए इस इवान या जॉर बॉम्‍बा नामक परमाणु बम का निर्माण किया था। वर्ष 1954 में अमेरिका ने अपने सबसे बड़े थर्मोन्‍यूक्लियर डिवाइस का मार्शल आईलैंड पर परीक्षण किया था। यह डिवाइस 15 मेगाटन का था। इसका नाम कास्‍टल ब्रावो था। यह उस समय के सभी परमाणु बमों से ज्‍यादा ताकतवर था। इसकी सूचना जब सोवियत संघ को लगी तो उसने अमेरिका को टक्‍कर देने की ठानी। इस विस्‍फोट के बाद हजारों किमी दूर स्थित नार्वे और फिनलैंड में लोगों के घरों के शीशे टूट गए थे। महाविस्‍फोट के बाद मशरुम के आकार का जो बादल उठा वह एवरेस्‍ट की चोटी से 7 गुना ऊंचाई तक गया।



​रूस ने यूं गिराया अमेरिका से तीन गुना ज्‍यादा ताकतवर बम
​रूस ने यूं गिराया अमेरिका से तीन गुना ज्‍यादा ताकतवर बम

सोवियत संघ ने अमेरिका को जवाब देने के लिए मात्र 7 साल के अंदर दुनिया का सबसे बड़ा परमाणु बम बना डाला। इस परमाणु बम को पहले ट्रेन के जरिए ओलेन्‍या एयरबेस ले जाया गया जहां से उसे लंबी दूरी तक मार करने में सक्षम Tu-95 पर लादा गया। 30 अक्‍टूबर को इस बॉम्‍बर ने उड़ान भरी और करीब 600 मील की यात्रा करके सेवेर्नी द्वीप पहुंचा। यह द्वीप आर्कटिक के काफी अंदर है। बॉम्‍बर ने बम को गिरा दिया जिसमें एक पैराशूट लगा हुआ था। इससे बम धीरे-धीरे धरती पर गिरा और विमान को इतना समय मिल गया कि वह विस्‍फोट की जद में नहीं आ सका। जब यह बम जमीन से करीब 13 हजार फुट की ऊंचाई पर पहुंच गया तब उसमें विस्‍फोट कर दिया गया। इस विस्‍फोट से रिक्‍टर पैमाने पर 5 की तीव्रता का भूकंप आया। जॉन बॉम्‍बा के परीक्षण के बाद अमेरिका और रूस ने वर्ष 1963 में एक संधि पर हस्‍ताक्षर किया। इसके बाद दोनों देशों ने हवा में परमाणु बम के परीक्षणों पर रोक लगा दी। इसके बाद दोनों देशों ने जमीन के अंदर परमाणु परीक्षण शुरू किया। अमेरिका ने सोवियत संघ से बड़ा परमाणु बम बनाए जाने की बजाय छोटे परमाणु बम बनाने पर जोर दिए ताकि उन्‍हें मिसाइलों में फिट किया जा सके।





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लंदन ऑफिस नहीं जाने के लिए कर्मचारी तरह-तरह के बहाने बनाते हैं। कोरोना काल में वर्क फ्रॉम होम की ऐसी आदत लगी है कि अब कम ही कर्मचारी दोबारा ऑफिस जॉइन करना चाहते हैं। इसी तरह ब्रिटेन में एक कर्मचारी ने ऑफिस नहीं आने के लिए ऐसा बहाना बनाया कि बॉस को सोशल मीडिया पर गुस्से का इजहार करना पड़ गया। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि दूसरा कर्मचारी होता तो आज उसका आखिरी दिन होता। गर्लफ्रेंड ने नहीं धोए थे मोजे ब्रिटेन का यह कर्मचारी इसलिए ऑफिस नहीं आया क्योंकि उसकी गर्लफ्रेंड ने मोजे नहीं धोए थे। कंपनी के बॉस ने अपने इस कर्मचारी की अनोखे बहाने को सोशल मीडिया पर शेयर किया है। ब्रिस्टल में स्थित इस कंपनी के अधिकारी केन मूर को अपने कर्मचारी के सामान्य रूप से ऑफिस आने की उम्मीद थी। उन्होंने सभी कर्मचारियों के लिए कुछ काम सोचकर रखा हुआ था। जब उन्होंने दूसरे कर्मचारियों से पूछताछ की तो उन्हें अजीब बहाना सुनने को मिला। मैनेजर का रिप्लाई- मैं कल आपको देखता हूं उस कर्मचारी ने लिखा कि मैं ऑफिस नहीं आ सकता हूं, क्योंकि मुझे कोई साफ मोजा नहीं मिल रहा है। गर्लफ्रेंड ने कोई मोजा धोया ही नहीं है। मेरे जूते में भी बड़ा छेद हो गया है। कर्मचारी के इस बहाने को पढ़कर मैनेजर केन मूर ने भी गुस्से से जवाब दिया। मैनेजर ने कहा कि आप हंस रहे हैं। आपको कोई मोजा नहीं मिला। आपको कल देखता हूं। .... तो दोबारा ऑफिस नहीं बुलाता मैनेजर ने सोशल मीडिया पर बहाना शेयर कर लिखा कि इस कर्मचारी की जगह कोई और होता तो मैं कभी दोबारा ऑफिस नहीं बुलाता। जिसके बाद सोशल मीडिया पर कर्मचारियों के तरह-तरह के कमेंट करने शुरू कर दिए। जेक स्टीवर्ट ने लिखा कि क्या आप काम पर जाते समय कुछ मोजे नहीं खरीद सकते? वहीं दूसरे यूजर रिचर्ड ए कार्टर ने कहा कि आप गंदे मोजे क्यों नहीं पहन सकते हैं, बैकपैकर तो एक मोजे को लगातार छह महीनों तक पहनते हैं।


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वॉशिंगटन सूरज की सतह से पैदा हुआ तेजी से धरती के नजदीक पहुंच रहा है। इस तूफान के आज और कल कभी भी धरती के वायुमंडल को छूने की संभावना जताई जा रही है। सौर तूफान के कारण धरती पर दिवाली से पहले ही रंगीन रोशनी का नजारा देखने को मिल सकता है। वैज्ञानिकों का दावा है कि शनिवार रात को पूरे उत्तरी अमेरिका में पेंसिल्वेनिया से आयोवा और ओरेगन तक आसमान में हरे रंग की रोशनी देखने को मिल सकती है। इसे वैज्ञानिक भाषा में औरोरा या के नाम से जाना जाता है। सौर तूफान को नासा ने बताया ताकतवर इस सौर तूफान को अपनी तरह का सबसे शक्तिशाली एक्स 1-क्लास सोलर फ्लेयर के रूप में जाना जाता है। नासा के अधिकारियों ने इसे महत्वपूर्ण सोलर फ्लेयर करार दिया है। इस सौर तूफान को अंतरिक्ष एजेंसी के सोलर डायनेमिक्स ऑब्जर्वेटरी के रियल टाइम वीडियो में कैप्चर भी किया गया है। पृथ्वी पर क्या होगा असर? सौर तूफान के कारण धरती का बाहरी वायुमंडल गरमा सकता है जिसका सीधा असर सैटलाइट्स पर हो सकता है। इससे जीपीएस नैविगेशन, मोबाइल फोन सिग्नल और सैटलाइट टीवी में रुकावट पैदा हो सकती है। पावर लाइन्स में करंट तेज हो सकता है जिससे ट्रांसफॉर्मर भी उड़ सकते हैं। हालांकि, आमतौर पर ऐसा कम ही होता है क्योंकि धरती का चुंबकीय क्षेत्र इसके खिलाफ सुरक्षा कवच का काम करता है। औरोरा कब दिखता है औरोरा तब प्रकट होता है जब पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र चैनल के इलेक्ट्रिकली चार्ज्ड सोलर पॉर्टिकल्स ध्रुवों की ओर जाते हैं। यहां ये कण पृथ्वी के वायुमंडल के साथ परस्पर क्रिया करते हैं। इससे चमकीले हरे रंग की रिबन जैसी रोशनी पैदा होती है। जब सोलर फ्लेयर ऐसे कणों को बड़ी संख्या में पृथ्वी के वायुमंडल की ओर भेजते हैं तो यह रोशनी आसमान में दिखाई देती है। क्या होती है औरोरा रोशनी इस रोशनी को Aurora Australis या Southern Light कहते हैं। इसका निर्माण पृथ्वी की मैग्नेटिक शील्ड और सौर हवाओं के कारण होता है। अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन ने अपने आधिकारिक इंस्टाग्राम हैंडल पर इस अद्भुत नजारे की तस्वीरें शेयर की हैं। पहली तस्वीर में बाईं ओर आईएसएस के सोलर पैनल नजर आ रहे हैं, जिसके सामने चुंबकीय रोशनी को देखा जा सकता है। हरे रंग की रोशनी पतली रेखाओं के रूप में दिखाई दे रही है। कैसे बनती है यह रंगीन रोशनी ऐसा लगता है कि ये रेखाएं पृथ्वी की सतह से निकल रही हैं और अंतरिक्ष में गायब हो जाती हैं। वास्तव में ये रेखाएं सूर्य से आने वाले आवेशित कण हैं जो पृथ्वी के वायुमंडल पर बरसते हैं। पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र के साथ आवेशित कणों (Charged Particles) के मिलने से ये रंग पैदा होते हैं। जादू से कम नहीं है ध्रुवीय ज्योति सूरज पर होने वाले विस्फोट से निकले पार्टिकल्स जब धरती की मैग्नेटिक फील्ड और ऊपरी वायुमंडल से टकराते हैं, जो उनसे कई रंगों की रोशनी निकलती हैं। Northern Lights या Aurora borealis और Southern Lights या Aurora australis आसमान में किसी लेजर लाइट शो जैसी लगती हैं। धरती के दक्षिण और उत्तर ध्रुवों से कई बार ऐसा नजारा देखने को मिलता है जो प्रकृति के जादू से कम नहीं लगता।


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रियाद सऊदी अरब के नेतृत्‍व में गठबंधन सेना ने यमन की राजधानी सना में हूती विद्रोहियों के एक शिविर को हवाई हमला करके तबाह कर दिया है। सऊदी...