
अमेरिकी खुफिया एजेंसियों वॉशिंगटन अमेरिका की एक खुफिया रिपोर्ट का कहना है कि कोरोना वायरस को एक जैविक हथियार के रूप में विकसित नहीं किया गया था। लेकिन यह स्वीकार किया है कि यह वायरस वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी से निकला हो सकता है। नेशनल इंटेलिजेंस के निदेशक की ओर से शुक्रवार को जारी एक पेपर दरअसल 90-दिवसीय समीक्षा के अगस्त में जारी निष्कर्षों का विस्तृत रूप है, जिसका आदेश जो बाइडन ने दिया था। अमेरिकी खुफिया एजेंसियों ने कोरोना की उत्पत्ति पर चल रहे अध्ययन में अब ये नई बातें जोड़ी हैं। एजेंसियों ने कहा है कि शायद इस बात का कभी पता न चल सके कि कोरोना वायरस जानवरों से इंसानों में आया या फिर यह लैब से निकला। यूएस डायरेक्टर ऑफ नेशनल इंटेलिजेंस (ODNI) के कार्यालय ने डीक्लासिफाइड रिपोर्ट में कोरोना वायरस पर अहम बात कही। उसके मुताबिक, संभावना दोनों हैं। यानी यह लैब की देन भी हो सकता है और इसकी उत्पत्ति प्राकृतिक भी हो सकती है। हालांकि, विश्लेषक भरोसे के साथ नहीं कह सकते हैं कि कौन सी संभावना ज्यादा प्रबल है। उनमें एक राय नहीं है। अमेरिकी खुफिया एजेंसियों की अलग-अलग रायइससे पहले समीक्षा में कहा गया था कि अमेरिकी खुफिया एजेंसियों में वायरस की उत्पत्ति को लेकर अलग-अलग राय थी। लेकिन विश्लेषकों का मानना है वायरस को जैव हथियार के रूप में विकसित नहीं किया गया था। ज्यादातर एजेंसियों का मानना है कि वायरस आनुवंशिक रूप से इंजीनियर नहीं था। वहीं अमेरिकी खुफिया समुदाय के भीतर चार एजेंसियों ने कम विश्वास के साथ कहा था कि वायरस शुरू में एक जानवर से एक इंसान में फैला था। ट्रंप ने कहा था- चाइना वायरसपांचवीं खुफिया एजेंसी ने थोड़े अधिक विश्वास के साथ माना कि पहला मानव संक्रमण एक प्रयोगशाला से जुड़ा था। पूर्व रिपब्लिकन प्रेसिडेंट डोनाल्ड ट्रंप और उनके कई समर्थकों ने कोविड-19 को 'चाइना वायरस' करार दिया था। इस वायरस के कारण अमेरिका सहित दुनियाभर में लाखों जिंदगियां गईं। अमेरिकी अर्थव्यवस्था को भी बड़ा नुकसान हुआ। ट्रंप के दोबारा प्रेसिडेंट न बन पाने के पीछे भी यही वजह बना।
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