
बीजिंग चीन ने ब्रिटेन से जारी तनाव के बीच बोरिस जॉनसन सरकार को बड़ा झटका देने की तैयारी कर ली है। चीन ने पिछले 16 साल में ब्रिटेन के प्रभाव वाले 42 राष्ट्रमंडल देशों में 913 बिलियन डॉलर से अधिक का निवेश किया है। राष्ट्रमंडल देशों में चीन की बढ़ती दिलचस्पी को लेकर ब्रिटेन सकते में है। ब्रिटेन और चीन के बीच हॉन्ग कॉन्ग, उइगुर और ताइवान को लेकर पहले से ही विवाद है। राष्ट्रमंडल में वे देश शामिल हैं, जो कभी न कभी ब्रिटेन के उपनिवेश रहे हैं। 16 साल में बांटे अरबों डॉलर के कर्ज वाशिंगटन डीसी स्थित थिंक टैंक अमेरिकन एंटरप्राइज इंस्टीट्यूट ने आंकड़ों के आधार पर बताया है कि चीन ने 2005 से अब तक 42 राष्ट्रमंडल देशों में 913 बिलियन डॉलर का निवेश किया है। इसमें कैरिबियाई देश बारबाडोस और जमैका भी शामिल हैं। सोमवार को गणतंत्र बनने के लिए तैयार बारबाडोस में चीन ने 667 मिलियन डॉलर जबकि पड़ोसी जमैका में 3.4 बिलियन डॉलर का निवेश किया है। बारबाडोस और जमैका को दिया सबसे अधिक कर्ज आंकड़ों से पता चलता है कि पिछले सोलह वर्षों में, चीन ने बारबाडोस में सड़कों, घरों, सीवरों और एक होटल में लगभग 667 मिलियन डॉलर का निवेश किया है। जमैका में चीन ने 3.4 बिलियन डॉलर का निवेश किया है। जमैका की जीडीपी 21.8 बिलियन डॉलर की है। जिससे कैरिबियाई देशों में चीनी निवेश के मामले में जमैका पहले स्थान पर पहुंच गया है। ब्रिटेन ने भी राष्ट्रमंडल देशों को अधिक पैसा देने का ऐलान किया ब्रिटेन के विदेश सचिव लिज ट्रस ने बुधवार को कॉमनवेल्थ डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन को ब्रिटिश इंटरनेशनल इन्वेस्टमेंट के साथ बदलने की योजना की घोषणा की। उन्होंने आशा जताई कि नई बॉडी 2025 तक राष्ट्रमंडल देशों में प्रति वर्ष निवेश में 10 बिलियन डॉलर की राशि प्रदान करेगा। यह बॉडी प्राइवेट सेक्टर और दूसरे पश्चिमी देशों को राष्ट्रमंडल देशों में अधिक निवेश के लिए प्रोत्साहित करेगा। आलोचक बोले- ब्रिटेन ने माहौल भांपने में देरी की आलोचकों का कहना है कि उन्हें आश्चर्य है कि ब्रिटेन को ब्रिटिश इंटरनेशनल इन्वेस्टमेंट पर कदम उठाने में इतना समय क्यों लगा। प्राग में सिनोप्सिस प्रोजेक्ट के एक सीनियर नॉन रेजीडेंट फेलो दीदी कर्स्टन टैटलो ने कहा कि हम दशकों से एक ही ढर्रे पर चल रहे हैं। हमने मूल रूप से गलत समझा कि चीनी कम्युनिस्ट पार्टी क्या है, और वह क्या चाहती है। हमने इस परिदृश्य में गलती की है। राष्ट्रमंडल देशों को नियंत्रित करना चाहता है चीन उन्होंने कहा कि वे अपने काफी वित्तीय संसाधनों का उपयोग समाज में रणनीतिक निर्भरता बनाने के लिए कर रहे हैं। चीन जहां भी ऐसा कर सकता है वह उस देश में कर भी रहा है। इस तरह आप दुनिया को नियंत्रित करना शुरू करते हैं। इससे अधिनायकवाद के फैलने का खतरा लगातार बढ़ता जा रहा है क्योंकि देश इसके बारे में कुछ भी करने का जोखिम नहीं उठा सकते हैं।
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