Saturday 30 October 2021

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वॉशिंगटन सूरज की सतह से पैदा हुआ तेजी से धरती के नजदीक पहुंच रहा है। इस तूफान के आज और कल कभी भी धरती के वायुमंडल को छूने की संभावना जताई जा रही है। सौर तूफान के कारण धरती पर दिवाली से पहले ही रंगीन रोशनी का नजारा देखने को मिल सकता है। वैज्ञानिकों का दावा है कि शनिवार रात को पूरे उत्तरी अमेरिका में पेंसिल्वेनिया से आयोवा और ओरेगन तक आसमान में हरे रंग की रोशनी देखने को मिल सकती है। इसे वैज्ञानिक भाषा में औरोरा या के नाम से जाना जाता है। सौर तूफान को नासा ने बताया ताकतवर इस सौर तूफान को अपनी तरह का सबसे शक्तिशाली एक्स 1-क्लास सोलर फ्लेयर के रूप में जाना जाता है। नासा के अधिकारियों ने इसे महत्वपूर्ण सोलर फ्लेयर करार दिया है। इस सौर तूफान को अंतरिक्ष एजेंसी के सोलर डायनेमिक्स ऑब्जर्वेटरी के रियल टाइम वीडियो में कैप्चर भी किया गया है। पृथ्वी पर क्या होगा असर? सौर तूफान के कारण धरती का बाहरी वायुमंडल गरमा सकता है जिसका सीधा असर सैटलाइट्स पर हो सकता है। इससे जीपीएस नैविगेशन, मोबाइल फोन सिग्नल और सैटलाइट टीवी में रुकावट पैदा हो सकती है। पावर लाइन्स में करंट तेज हो सकता है जिससे ट्रांसफॉर्मर भी उड़ सकते हैं। हालांकि, आमतौर पर ऐसा कम ही होता है क्योंकि धरती का चुंबकीय क्षेत्र इसके खिलाफ सुरक्षा कवच का काम करता है। औरोरा कब दिखता है औरोरा तब प्रकट होता है जब पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र चैनल के इलेक्ट्रिकली चार्ज्ड सोलर पॉर्टिकल्स ध्रुवों की ओर जाते हैं। यहां ये कण पृथ्वी के वायुमंडल के साथ परस्पर क्रिया करते हैं। इससे चमकीले हरे रंग की रिबन जैसी रोशनी पैदा होती है। जब सोलर फ्लेयर ऐसे कणों को बड़ी संख्या में पृथ्वी के वायुमंडल की ओर भेजते हैं तो यह रोशनी आसमान में दिखाई देती है। क्या होती है औरोरा रोशनी इस रोशनी को Aurora Australis या Southern Light कहते हैं। इसका निर्माण पृथ्वी की मैग्नेटिक शील्ड और सौर हवाओं के कारण होता है। अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन ने अपने आधिकारिक इंस्टाग्राम हैंडल पर इस अद्भुत नजारे की तस्वीरें शेयर की हैं। पहली तस्वीर में बाईं ओर आईएसएस के सोलर पैनल नजर आ रहे हैं, जिसके सामने चुंबकीय रोशनी को देखा जा सकता है। हरे रंग की रोशनी पतली रेखाओं के रूप में दिखाई दे रही है। कैसे बनती है यह रंगीन रोशनी ऐसा लगता है कि ये रेखाएं पृथ्वी की सतह से निकल रही हैं और अंतरिक्ष में गायब हो जाती हैं। वास्तव में ये रेखाएं सूर्य से आने वाले आवेशित कण हैं जो पृथ्वी के वायुमंडल पर बरसते हैं। पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र के साथ आवेशित कणों (Charged Particles) के मिलने से ये रंग पैदा होते हैं। जादू से कम नहीं है ध्रुवीय ज्योति सूरज पर होने वाले विस्फोट से निकले पार्टिकल्स जब धरती की मैग्नेटिक फील्ड और ऊपरी वायुमंडल से टकराते हैं, जो उनसे कई रंगों की रोशनी निकलती हैं। Northern Lights या Aurora borealis और Southern Lights या Aurora australis आसमान में किसी लेजर लाइट शो जैसी लगती हैं। धरती के दक्षिण और उत्तर ध्रुवों से कई बार ऐसा नजारा देखने को मिलता है जो प्रकृति के जादू से कम नहीं लगता।


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