
लंदन कोरोना वायरस के एक नए वैरिएंट - AY.4.2 ने जुलाई में वैज्ञानिकों का ध्यान अपनी ओर खींचा था जब यह जुलाई में ब्रिटेन में फैल था। अक्सर इस वैरिएंट को ही 'डेल्टा प्लस' के नाम से जाना जाता है। अब चिंता बढ़ रही है क्योंकि न्यूयॉर्क और कैलिफोर्निया में भी वैरिएंट का पता चला है। स्वास्थ्य अधिकारियों ने इसकी पुष्टि की है। शुक्रवार तक न्यूयॉर्क में AY.4.2 के पांच मामलों की पुष्टि हुई थी। वहीं कैलिफोर्निया के सैन डिएगो और सैन फ्रांसिस्को काउंटी में दो मामलों का पता चला है। सेंटर्स फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन ने डेल्टा वेरिएंट को 'चिंताजनक' बताया है। सीडीसी के अनुसार डेल्टा घातक संक्रमण का कारण बनता है और वायरस के अन्य रूपों की तुलना में तेजी से फैलता है। कुछ आंकड़ों से पता चलता है कि यह बिना टीकाकरण वाले लोगों में अधिक गंभीर संक्रमण का कारण बन सकता है, हालांकि अभी तक इसकी पुष्टि नहीं हुई है। ब्रिटेन में लगातार बढ़ रहा है वैरिएंटAY.4.2 डेल्टा का ही एक प्रकार है लेकिन सीडीसी इसे डेल्टा जितना 'घातक' नहीं मान रहा है। ब्रिटेन में सोमवार तक सामने आए मामलों में 10 फीसदी हिस्सा AY.4.2 का था। वेलकम सेंगर इंस्टीट्यूट में सीओवीआईडी -19 जीनोमिक्स इनिशिएटिव के निदेशक जेफरी बैरेट ने पिछले हफ्ते ट्विटर पर लिखा था कि यह 'ब्रिटेन में लगातार बढ़ रहा है।' उन्होंने कहा कि यह वैरिएंट डेल्टा के अन्य रूपों से अलग हैं। नया वैरिएंट जरूरी चिंता का कारण नहींफिर भी यह ब्रिटेन में बहुत धीमी रफ्तार से डेल्टा की जगह ले रहा है जबकि डेल्टा ने पहले से मौजूद अल्फा वैरिएंट की जगह ले ली थी। जॉन्स हॉपकिन्स सेंटर फॉर हेल्थ सिक्योरिटी के वरिष्ठ विद्वान डॉ. अमेश अदलजा ने इनसाइडर को बताया कि एक नया वैरिएंट 'जरूरी चिंता' का कारण नहीं है। उन्होंने कहा, 'नए वैरिएंट्स पैदा होते रहते हैं। वायरस अपना रूप बदलना जारी रखेगा। हालांकि वैरिएंट सुर्खियां बटोर सकते हैं और लोग उनसे डर सकते हैं। महामारी की हकीकत बदलने वाली नहीं है।'
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