Saturday 30 January 2021

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वॉशिंगटन अमेरिका में सत्ता परिवर्तन के बाद से ही तालिबान के साथ हुआ शांति समझौता खतरे में पड़ गया है। बाइडन प्रशासन इस बात पर खास नजर बनाए हुए है कि तालिबान शांति समझौतों की शर्तों का किस हद तक पालन कर रहा है। अगर अमेरिका को ऐसा लगता है कि तालिबान अब भी उसके सैनिकों को निशाना बनाने की कोशिश में है या वह अफगानिस्तान में हिंसा को बढ़ा रहा है तो संभव है कि शांति समझौता खत्म कर दिया जाए। अफगानिस्तान में शांति के लिए बातचीत का समर्थन राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जैक सुलिवन ने शुक्रवार को कहा कि बाइडन प्रशासन पूर्ववर्ती ट्रंप प्रशासन के अफगानिस्तान में पक्षकारों के बीच वार्ता के फैसले का समर्थन करता है। ट्रंप प्रशासन ने पिछले साल फरवरी में दोहा में तालिबान के साथ एक शांति समझौते पर हस्ताक्षर किये थे। इस समझौते में विद्रोही समूहों से सुरक्षा की गारंटी के बदले अफगानिस्तान से अमेरिकी सुरक्षा बलों की वापसी की योजना तैयार की गई थी। अफगानिस्तान में अब भी 2500 अमेरिकी सैनिक मौजूद करार के तहत अमेरिका 14 महीनों में अपने 12 हजार सैनिकों को वापस बुलाने के लिये प्रतिबद्ध था। वहां अभी सिर्फ 2500 अमेरिकी सैनिक बचे हैं। समझौते में तालिबान ने प्रतिबद्धता जताई थी कि वह अमेरिका या उसके सहयोगियों के लिए खतरा बनने वाली गतिविधियों पर लगाम लगाएगा जिनमें अलकायदा समेत अन्य समूहों को आतंकियों की भर्ती करने, उन्हें प्रशिक्षित करने और आतंकी गतिविधियों के लिये धन जुटाने में अफगानिस्तान की जमीन का इस्तेमाल न करने देना भी शामिल था। सैनिकों की वापसी पर अभी भी कोई स्पष्ट आदेश नहीं सुलिवन ने कहा कि उस संदर्भ में, हम अपने बलों के तौर तरीकों व आगे बढ़ने की अपनी कूटनीतिक रणनीति के बारे में फैसला लेंगे।” संसद द्वारा वित्त पोषित थिंकटैंक यूएस इंस्टीट्यूट ऑफ पीस द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान में पक्षकारों के बीच एक न्यायोचित व संघर्ष के स्थायी राजनीतिक समाधान के लिये वार्ता तंत्र बनाने व उसके समर्थन की दिशा में पूर्ववर्ती प्रशासन द्वारा तैयार किये गए मौलिक ढांचे का हम समर्थन करते हैं। तालिबान के साथ शांति समझौते पर अमेरिका की नजर अमेरिकी एनएसए ने कहा कि अमेरिका-तालिबान समझौते और हमारे बलों के आगे बढ़ने पर नजर के साथ ही हम अफगान सरकार, तालिबान व अन्य के बीच बातचीत का समर्थन करते हैं जिससे एक उचित व सतत नतीजा प्राप्त हो।ऐतिहासिक करार के तहत तालिबान ने यद्यपि अंतरराष्ट्रीय बलों पर हमले रोक दिये हैं लेकिन अफगान सरकार से उसकी लड़ाई जारी है। आतंकियों के रिहाई की मांग कर रहा तालिबान अफगान सरकार के साथ बातचीत शुरू करने की शर्त के तौर पर तालिबान मांग कर रहा है कि कैदियों की अदला-बदली के तहत उसके हजारों सदस्यों को रिहा किया जाए। पिछले साल सितंबर में अफगान सरकार और तालिबान के बीच सीधी बातचीत शुरू हुई थी लेकिन अब तक किसी समझौते पर नहीं पहुंचा जा सका है। अफगानिस्तान में हिंसा में भी कमी नहीं आई है और लक्षित हत्याओं के तहत पत्रकारों, कार्यकर्ताओं, राजनेताओं और महिला न्यायाधीशों को निशाना बनाया गया।


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