
वॉशिंगटन करीब 4.5 अरब साल पहले हमारे सौर मंडल में पिघली हुई चट्टान से बनने लगा एक ग्रह जिसने धरती की शक्ल ली। यह प्रक्रिया लंबे वक्त तक चली और आज हम अपने ग्रह को जिस तरह देखते हैं, वहां तक पहुंचने में इसने कई दौर देखे। आर्टिस्ट और कंप्यूटर साइंटिस्ट डेविड रॉबर्ट्स ने इस सफर को एक वीडियो में दिखाया है जिसमें अरबों साल की कहानी 4 मिनट में खुलती है। कभी आग का धधकता गोला थी सबसे पहले एक प्रोटोप्लैनेट दिखता है जो बेहद गर्म है और गड्ढों यानी क्रेटर्स (Craters) से भरा है। फिर करीब 3 अरब साल प्लेट टेक्टॉनिक बनते दिखाई देते हैं। धीरे-धीरे इस चट्टान पर रंग भरता है पानी और महाद्वीप भी नजर आने लगते हैं। आखिर में दुनियाभर के महाद्वीप रोशन होते दिखते हैं और पता चलता है कि कैसे कभी गर्म धधकता गोला रही धरती आज इंसानों का घर है। पानी आया, फिर महाद्वीप सबसे पहले धरती आज के शुक्र ग्रह (Venus) जैसी दिखती है। इसका क्रस्ट अस्थिर था और ऐस्टरॉइड-धूमकेतु टकराते रहते थे। इसकी वजह से गर्म तापमान लाखों साल तक बना रहा। करीब दो-तीन अरब साल पहले टेक्टॉनिक प्लेटें बनने लगीं। फिर पानी के आने के साथ धरती स्थिर होने लगी। 3.8 अरब साल जब हाइड्रोजन और मीथेन जैसी गैसें ठंडी होने लगीं तो पानी बनने लगा और फिर धीरे-धीरे महासागर बने। फिर महाद्वीप बने और करीब 30 करोड़ साल पहले Pangea नाम का अतिविशाल महाद्वीप अलग-अलग टुकड़ों में बंट गया। इनसे हमारे आज के महाद्वीप बने। इसके साथ ही वायुमंडल में बदलाव और जलवायु के कारण जीवन पैदा होने लगा। बारिश, मौसमों के पैटर्न से जीवन की विविधता हुुई और फिर इन्हें खाने वाले जटिल जीव बनने लगे। इस वीडियो में दिखता है कि कैसे कभी बंजर और सुनसन रहा ग्रह आज रोशनी में डूबा है। सभ्यता और तकनीक से हम कहां पहुंच गए लेकिन जीवाश्म ईंधन ने धरती को प्रदूषण की चादर ओढ़ा दी। इसके कारण बनाया हुआ हमारा भविष्य भी रॉबर्ट दिखाते हैं लेकिन उनका कहना है कि यह बहुत ज्यादा एक्सट्रीम नतीजा है जिसे टाला जा सकता है।
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