Saturday 31 July 2021

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सिडनी ऑस्ट्रेलिया से थोड़ी दूर स्थित दुनिया का 29वां सबसे छोटा देश सामोआ ने चीन को करारा झटका दिया है। सामोआ के प्रधानमंत्री ने पुष्टि की है कि उन्होंने चीन के पैसों से बनाए जा रहे पोर्ट प्रॉजेक्ट को रद्द करने का फैसला किया है। चीन का सपना सामोआ के रास्ते प्रशांत महासागर के एक प्रमुख व्यापारिक रूट पर कब्जा करने का था। वह इस पोर्ट के सहारे प्रशांत महासागर में अमेरिकी प्रभुत्व को भी चुनौती देने की कोशिश में जुटा था। सामोआ के पश्चिम में अमेरिकन सामोआ द्वीप है, जहां अमेरिकी नौसेना के जंगी जहाज हमेशा तैनात रहते हैं। अमेरिका और चीन के बीच मोहरा बना सामोआ सामोआ विश्व की दो महाशक्तियों अमेरिका और चीन के बीच मोहरा बना हुआ है। अमेरिकन सामोआ के कारण अगर सामोआ में चीन का प्रभाव बढ़ता है तो यह वॉशिंगटन के लिए सीधा खतरा होगा। ऐसे में सामोआ की नई प्रधानमंत्री फिएमे नाओमी मताफा ने इशारा किया है कि वह केवल उन निवेशों को स्वीकृति देंगी जिनका उनके देश के लिए स्पष्ट लाभ होगा। यह भी कहा जा रहा है कि सामोआ में चीन के निवेश को पूरी तरह से बंद नहीं किया गया है। अमेरिकी उदासीनता से चीन को मिला मौका सामोआ में जारी राजनीतिक संकट के बीच पीएम मताफा ने कहा कि प्रशांत महासागर के इस क्षेत्र से अमेरिका के दूरी बनाने के कारण चीन की दिलचस्पी बढ़ी है। उन्होंने कहा कि चीन की प्रशांत क्षेत्र में एक नए सिरे से दिलचस्पी दिखाई दे रही है, जो एक अच्छी बात हो सकती है, लेकिन जरूरी नहीं है कि ऐसा ही हो। सामोआ पर्यटन, मछली, नारियल उत्पाद निर्यात पर निर्भर हैं। यहां के लोग दुनियाभर के देशों में नौकरी कर वहां से बड़ी मात्रा में पैसा सामोआ भेजते हैं। द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद सामोआ का महत्व बढ़ा द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान सामोआ की रणनीतिक प्रभाव से दुनिया के सभी बड़े देश आश्चर्यचकित हो गए थे। यही कारण है कि चीन ने जब भी इस देश में दखल देने की कोशिश की है, तब-तब अमेरिका और उसके सहयोगी देशों ने विरोध किया है। इस देश में बंदरगाहों और हवाई पट्टियों जैसे महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे में किसी भी विदेशी देश की हिस्सेदारी विशेष रूप से संवेदनशील मानी जाती है। सामोआ में दखल क्यों चाहता है चीन सामोआ का क्षेत्रफल 2842 किलोमीटर स्क्वायर है, जबकि हॉन्ग कॉन्ग का क्षेत्रफल 2754 किलोमीटर स्क्वायर है। प्रशांत महासागर में महत्वपूर्ण रणनीतिक स्थिति के कारण चीन इस देश में अपना प्रभाव बढ़ाने के लिए दिन-रात मेहनत कर रहा है। चीन का ऑस्ट्रेलिया के साथ भी विवाद है। ऐसे में अगर सामोआ को भी चीन ने श्रीलंका और पाकिस्तान की तरह कर्ज देकर अपना शागिर्द बना लिया तो यह उसकी बड़ी कूटनीतिक सफलता मानी जाएगी। सामोआ के कुल कर्ज में चीन का हिस्सा 40 फीसदी सामोआ ने दुनियाभर से जितना कर्ज लिया है उसमें 40 फीसदी हिस्सा चीन का है। चीन ने सामोआ को लगभग 160 मिलियन डॉलर का कर्ज दिया है। पहले भी कई विशेषज्ञ सामोआ को दिए जा रहे चीनी कर्ज को लेकर चिंता जता चुके हैं। मताफा को 23 जुलाई को समोआ की पहली महिला प्रधान मंत्री के रूप में मान्यता दी गई थी।


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