Thursday 30 September 2021

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मॉस्को/इस्लामाबाद रूस ने ऐलान किया है कि वह पाकिस्तान के साथ द्विपक्षीय सैन्य सहयोग को बढ़ाएगा। इसी मुद्दे को लेकर रूस के उप रक्षा मंत्री जनरल अलेक्जेंद्र वी फोमिन ने पाकिस्तान के अधिकारियों से बातचीत की है। पिछले एक महीने में पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान रूसी राष्ट्रपति जो बाइडन से दो बार बात भी कर चुके हैं। इस बीच पाकिस्तानी सेना इन दिनों रूस में युद्धाभ्यास भी कर रही है। ऐसे में पाकिस्तान और रूस के बढ़ते रिश्ते भारत के लिए बड़ी परेशानी का कारण बन सकते हैं। खुफिया जानकारी शेयर करेंगे रूस-पाक पाकिस्तान की तरफ से रूस के साथ बातचीत की अगुवाई रक्षा सचिव लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) मियां मुहम्मद हिलाल हुसैन ने की। दोनों देशों ने बताया कि इस बातचीत में रूस और पाकिस्तान के बीच द्विपक्षीय सैन्य सहयोग बढ़ाने के तरीकों पर चर्चा की। इसमें दोनों देशों के बीच संयुक्त अभ्यास, खुफिया जानकारी साझा करना और क्षेत्रीय सुरक्षा पर विचारों का आदान-प्रदान शामिल है। भारत-रूस तनाव से जोड़ा जा रहा संबंध इस बातचीत को भारत और रूस के साथ संबंधों में आई खटास से भी जोड़कर देखा जा रहा है। रूसी समाचार एजेंसी ताश ने बताया कि रूसी और पाकिस्तानी रक्षा मंत्रालय ने इस बात की पुष्टि की है कि दोनों मुल्क रक्षा सहयोग बढ़ाने के लिए तैयार हैं। एजेंसी ने यह भी कहा कि पिछले कुछ समय से दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग बढ़ाने पर सहमति बनी है। पुतिन से एक महीने में दो बार बात कर चुके इमरान पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान ने पिछले एक महीने में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ दो बार फोन पर बात की है। दोनों नेताओं के बीच पहली बातचीत 25 अगस्त को हुई थी। इसमें रूस और पाकिस्तान के बीच शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) में सहयोग बढ़ाने को लेकर सहमति बनी थी। दूसरी बातचीत 14 सितंबर को अफगानिस्तान के मुद्दे पर हुई थी। इमरान ने पुतिन को दिया है पाकिस्तान यात्रा का निमंत्रण पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने कुछ दिनों पहले ही रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से बात की थी। अफगानिस्तान के हालात के नाम पर किए गए इस फोन कॉल में इमरान खान ने पुतिन को पाकिस्तान आने का न्यौता तक दे डाला। रूस ने कुछ महीने पहले ही कहा था कि उसने रूस के कासूर शहर से पाकिस्‍तान के कराची शहर तक पाइपलाइन बिछाने के लिए एक समझौते पर हस्‍ताक्षर किया है। जिससे दोनों देशों के बीच आर्थिक संबंधों के बढ़ने के कयास लगाए गए थे। 50 साल पुरानी भारत-रूस दोस्ती पर संकट रूस और भारत के संबंधों को स्थापित हुए 50 साल पूरे हो चुके हैं। 9 अगस्त 1971 को भारत और तत्कालीन सोवियत संघ (वर्तमान रूस) ने चिरंजीवी दोस्ती के कागजों पर हस्ताक्षर किए थे। दोनों देशों के संबंधों की ताकत इतनी थी कि इसने तत्कालीन विश्व के समीकरण में आमूल परिवर्तन कर दिए। इतना ही नहीं, इससे न केवल दक्षिणी एशिया बल्कि अमेरिका और यूरोपीय देशों की विदेश नीति को भी प्रभावित किया था। अब पाकिस्तान के साथ दोस्ती से भारत-रूस संबंधों पर बुरा असर पड़ने का अंदेशा जताया जा रहा है। भारत के मुश्किल वक्त में रूस ने निभाई दोस्ती 1971 में भारत के लिए हालात बिल्कुल भी अनुकूल नहीं थे। एक तरफ जहां तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान (वर्तमान बांग्लादेश) में पाकिस्तानी सेना के अत्याचारों से त्रस्त जनता भारत में शरण लेने के लिए घुसी जा रही थी। वहीं, पाकिस्तान, अमेरिका और चीन का गठबंधन मजबूत होता जा रहा था। ऐसे में तीन दिशाओं से घिरे भारत की सुरक्षा को बड़ा खतरा पैदा हो गया था। अमेरिका और चीन दोनों ही प्रतिबंधों के बावदूद पाकिस्तान को चोरी-छिपे हथियार देकर सैन्य मदद कर रहे थे। रूसी विदेश मंत्री ने भारत आकर किए थे समझौते पर हस्ताक्षर ऐसे में सोवियत संघ के विदेश मंत्री अंद्रेई ग्रोमिको भारत आए और 1971 को आज ही के दिन उन्होंने भारत के तत्कालीन विदेश मंत्री सरदार स्वर्ण सिंह के साथ सोवियत-भारत शांति, मैत्री और सहयोग संधि पर हस्ताक्षर किए। यह संधि दोनो देशों के दोस्ताना संबंधों में एक मील का पत्थर बन गई। इस संधि के तुरंत बाद सोवियत संघ ने ऐलान किया था कि भारत पर हमला उसके ऊपर हमला माना जाएगा। यही वह कारण है जिससे 1971 युद्ध के दौरान अमेरिकी नौसैनिक बेड़े को भारत के ऊपर हमला करने की हिम्मत नहीं हुई। अब भारत और रूस के संबंधों पर उठ रहे सवाल इन दिनों अंतराष्ट्रीय कूटनीति में जारी उतार-चढ़ाव को देखते हुए भारत और रूस के संबंधों पर सवाल उठाए जा रहे हैं। रूस ने हाल में ही अफगानिस्तान में लगातार बिगड़ते हालात को लेकर बुलाई गई एक बड़ी बैठक में आमंत्रित नहीं किया है। इस बैठक में रूस के अलावा पाकिस्तान, चीन और अमेरिका के शामिल होने की संभावना है। कतर में आयोजित होने वाली इस बैठक का नाम विस्तारिक ट्रोइका है। इससे पहले भी अफगानिस्तान को लेकर हुई बैठक में रूस ने भारत को नहीं बुलाया था। उस समय भी भारत-रूस संबंधों को लेकर तरह-तरह के कयास लगाए गए थे। क्या भारत-रूस में सबकुछ ठीक नहीं? पिछले कई साल से भारत रूस संबंधों की मजबूती पर सवाल उठते रहे हैं। इसी साल की शुरूआत में दोनों देशों के बीच भारत-रूस शिखर सम्मेलन प्रस्तावित था। लेकिन, कोरोना वायरस के कारण इसे रद्द कर दिया गया। इस बैठक में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन खुद शामिल होने वाले थे। वर्ष 2000 के बाद यह पहला मौका है जब भारत और रूस के बीच शिखर सम्मेलन को टाला गया है। यह बैठक पिछले 20 सालों से लगातार आयोजित की जा रही थी। अमेरिका पर भारत से दोस्ती तोड़ने का आरोप रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने पिछले साल दिसंबर में कहा था कि अमेरिका के नेतृत्व वाले पश्चिमी देशों के कारण रूस के साथ भारत की करीबी साझेदारी एवं विशेष संबंध कमजोर हो रहे हैं। रूस की सरकारी थिंक टैंक रशियन इंटरनेशनल अफेयर्स काउंसिल के एक कार्यक्रम में लावरोव ने आरोप लगाया था कि अमेरिका के कारण भारत हमसे दूर होता जा रहा है।


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