Thursday 30 September 2021

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इस्लामाबाद करीब 20 साल पहले अमेरिका 9/11 हमले के दोषियों को सबक सिखाने का मकसद लेकर अफगानिस्तान आया था। करीब 11 साल पहले उसने अल-कायदा सरगना ओसामा बिन-लादेन को ढेर करने का दावा किया और अब वह अफगानिस्तान को तालिबान के हाथों में 'सौंपकर' वापस जा चुका है। अब पाकिस्तानी पत्रकारों का कहना है कि ऑपरेशन नेप्च्यून के तहत मिली जिस जीत का दावा अमेरिका कर रहा है, वह फर्जी है। प्रत्यक्षदर्शियों और पाकिस्तानी पत्रकारों के मुताबिक इस बात का कोई सबूत है ही नहीं कि हमले वाले दिन आसोमा वहां मौजूद था। 'उस दिन वहां लादेन था ही नहीं' रूसी सरकारी न्यूज पोर्टल स्पूतनिक के मुताबिक मई 2011 में ऐबटाबाद से रिपोर्टिंग कर रहे एक पाकिस्तानी पत्रकार सुहैल अब्बासी ने बताया है कि उनके मुताबिक उस दिन जो हुआ वह सिर्फ अंतरराष्ट्रीय समुदाय के सामने अमेरिका की साख बचाने की कोशिश में किया गया नाटक था। वहीं, एक प्रत्यक्षदर्शी राजा हरून का कहना है, 'हम सबको विश्वास है कि उस दिन बिन-लादेन उस इमरात में नहीं था लेकिन उसका परिवार इलाके में कई साल से रह रहा था।' 'समुद्र में फेंकने का दावा बेवकूफाना' हारून ने पूरा ऑपरेशन खुद देखा। वह लादेन की तलाश में निशाना बनाई गई इमारत के पास ही रहते थे। उनका कहना है कि पहले इस बारे में कोई रिपोर्ट या सबूत नहीं दिया गया कि अमेरिकी छापेमारी में किसी की मौत हुई है। बाद में बाकी दुनिया के साथ वे अमेरिकी और पश्चिमी मीडिया रिपर्ट्स के जरिए यह जानकर हैरान थे कि ओसामा को उनके शहर में मार दिया गया। फिर स्थानीय और विदेशी पत्रकार वहां आने लगे। इसके बाद तत्कालीन राष्ट्रपति बराक ओबामा ने बयान और बधाई दी। हारून का कहना है, 'यह बात कि उसका शव समुद्र में फेंक दिया गया, यह बेवकूफाना है।' लादेन के पीछे लगा अमेरिका 1990 के दशक से लादेन अफगानिस्तान में तालिबान की मदद से छिपा हुआ था। 11 सितंबर, 2001 को न्यूयॉर्क के वर्ल्ड ट्रे़ड सेंटर पर हमले के बाद अमेरिका ने लादेन को सौंपने की मांग की लेकिन तालिबान ने इनकार कर दिया। इसके बाद अमेरिका अफगानिस्तान पहुंच गया जिसके बाद 20 साल तक उसकी सेना वहां डटी रही। तालिबान के सरकार से हटने के बाद लादेन अफगानिस्तान से भाग गया और किसी को नहीं पता था कि वह कहां है। वह सिर्फ वीडियो में नजर आता था। 11 साल पहले मौत के घाट उतारा साल 2010 में अमेरिकी जांच एजेंसी (CIA) ने पता लगाया कि वह पाकिस्तान के ऐबटाबाद में है। 1 मई, 2011 को उसे मारने का Operation Neptune लॉन्च किया गया। उसके शव को जलालाबाद के बेस लाया गया। यहां उसकी तस्वरीर ली गई और DNA जांच में पुष्टि की गई कि वह लादेन ही है। फिर USS Carl Vinson पर उसे अरब सागर में लाकर छोड़ दिया गया। 6 मई को अल-कायदा ने भी पुष्टि की लादेन की मौत हो गई है।


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