Monday 31 May 2021

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लद्दाख के गलवान वैली में जून 2020 में चीनी के सेना के साथ हुई झड़प के बाद से अबतक लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल पर एक असहज शांति बनी हुई है। अभी भी भारत चीन सीमा पर कई ऐसे पॉइंट्स मौजूद हैं, जहां भारतीय और चीनी सेना आमने-सामने डटी हुई हैं। उधर, लद्दाख के इस अशांत इलाके में जैसे-जैसे बर्फ पिघल रही है, वैसे-वैसे चीनी सेना अपनी मौजूदगी बढ़ा रही है। पिछले साल ठंड की शुरूआत में दोनों देशों की सेनाओं ने कोर कमांडर मीटिंग में बनी सहमति के बाद पैंगोंग त्सो झील के दोनों किनारों से अपने-अपने सैनिकों को हटा लिया था। इस झील के दक्षिणी किनारे पर भारतीय सेना को महत्वपूर्ण रणनीतिक बढ़त हासिल थी। भारत ने तब उम्मीद की थी कि शायद चीन गोगरा-हॉटस्प्रिंग, डेपसांग और डोकलाम से अपने सैनिकों को वापस बुला ले, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। अब एलएसी पर चीनी सेना की फिर से बढ़ती गतिविधियों ने भारत की चिंता को बढ़ा दिया है। जिसके बाद भारत ने भी के-9 वज्र जैसे कई अत्याधुनिक हथियारों को इस क्षेत्र में तैनात कर दिया है। जानिए भारतीय सेना के हथियारों के सामने चीन की क्या है तैयारी?

लद्दाख के गलवान वैली में जून 2020 में चीनी के सेना के साथ हुई झड़प के बाद से अबतक लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल पर एक असहज शांति बनी हुई है। अभी भी भारत चीन सीमा पर कई ऐसे पॉइंट्स मौजूद हैं, जहां भारतीय और चीनी सेना आमने-सामने डटी हुई हैं।


लद्दाख में बर्फ पिघलते ही ऐक्शन में PLA, जानें भारत के इन हथियारों के सामने चीन की क्या तैयारी?

लद्दाख के गलवान वैली में जून 2020 में चीनी के सेना के साथ हुई झड़प के बाद से अबतक लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल पर एक असहज शांति बनी हुई है। अभी भी भारत चीन सीमा पर कई ऐसे पॉइंट्स मौजूद हैं, जहां भारतीय और चीनी सेना आमने-सामने डटी हुई हैं। उधर, लद्दाख के इस अशांत इलाके में जैसे-जैसे बर्फ पिघल रही है, वैसे-वैसे चीनी सेना अपनी मौजूदगी बढ़ा रही है। पिछले साल ठंड की शुरूआत में दोनों देशों की सेनाओं ने कोर कमांडर मीटिंग में बनी सहमति के बाद पैंगोंग त्सो झील के दोनों किनारों से अपने-अपने सैनिकों को हटा लिया था। इस झील के दक्षिणी किनारे पर भारतीय सेना को महत्वपूर्ण रणनीतिक बढ़त हासिल थी। भारत ने तब उम्मीद की थी कि शायद चीन गोगरा-हॉटस्प्रिंग, डेपसांग और डोकलाम से अपने सैनिकों को वापस बुला ले, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। अब एलएसी पर चीनी सेना की फिर से बढ़ती गतिविधियों ने भारत की चिंता को बढ़ा दिया है। जिसके बाद भारत ने भी के-9 वज्र जैसे कई अत्याधुनिक हथियारों को इस क्षेत्र में तैनात कर दिया है। जानिए भारतीय सेना के हथियारों के सामने चीन की क्या है तैयारी?



भारत को कोरोना में फंसा देख सीमा पर चीन ने रची साजिश
भारत को कोरोना में फंसा देख सीमा पर चीन ने रची साजिश

भारत जब कोरोना वायरस के भीषण कहर से जूझ रहा था, तब चीन ने पीपुल्स लिबरेशन आर्मी की वेस्टर्न थिएटर कमांड को पुनर्गठित किया। जिसमें भारत से जुड़ी सीमा की सुरक्षा में तैनात शिनजियांग मिलिट्री डिस्ट्रिक्ट को नए लड़ाकू विमान, तोप, टैंक, रॉकेट सिस्टम जैसे घातक हथियारों से लैस किया गया। परंपरागत रूप से ताइवान के साथ तनाव की तुलना में चीन इस क्षेत्र को ज्यादा अहमियत नहीं देता था, लेकिन अब परिस्थितियां तेजी से बदली हैं। गलवान सैन्य संघर्ष के बाद पीपुल्स लिबरेशन आर्मी ने शिनजियांग सैन्य जिले को तेजी से अपग्रेड किया है। इतना ही नहीं, चीन ने इस इलाके में सेना की कमान संभालने वाले कमांडर को भी बदल दिया है। अब चीनी सेना के सबसे खूंखार मानी जाने वाली एलीट 13वीं ग्रुप आर्मी के कमांडर रहे लेफ्टिनेंट जनरल वांग काई को यह जिम्मेदारी सौंपी गई है। इस एलीट फोर्स को टाइगर्स इन द माउंटेंस के नाम से जाना जाता है, जो पहाड़ी क्षेत्रों में लड़ाई करने में पारंगत है। जिसके बाद से यह अंदेशा जताया जाने लगा है कि चीन कहीं फिर से भारत के साथ धोखा करने प्लान तो नहीं बना रहा।



भारत के के-9 वज्र के जवाब में चीन ने तैनात किया PCL-181
भारत के के-9 वज्र के जवाब में चीन ने तैनात किया PCL-181

भारतीय सेना ने तीन दिन पहले ही दक्षिण कोरिया की तकनीकी पर बनी के-9 वज्र सेल्फ प्रोपेल्ड होवित्जर की लद्दाख में तैनाती वाली तस्वीर जारी की है। चीन ने भी इसके जवाब में पहले से ही 155 एमएम कैलिबर की PCL-181 सेल्फ प्रोपेल्ड होवित्जर तैनात कर रखा है। चीनी मीडिया का दावा है कि कुछ दिनों पहले इसके भी एक उन्नत संस्करण को लद्दाख के पास तैनात किया गया है। यह होवित्जर 122 मिमी-कैलिबर का बताया जा रहा है। K9 वज्र सेना के तोपखाने में शामिल पहली सेल्फ प्रोपेल्ड गन है। यानी इसे ढोने के लिए किसी दूसरे वाहन की जरूरत नहीं पड़ती। यह खुद एक जगह से दूसरी जगह जा सकती है। यह कमजोर जमीन पर धंसती नहीं है और टैंक के साथ-साथ आगे बढ़ती है। 155 एमएम/52 कैलिबर की यह तोप 30 सेकंड में तीन गोले दाग सकती है। इसकी रेंज 38 किलोमीटर तक है।

तस्वीर-भारत का के9 वज्र



भारत के पिनाका के सामने चीन का PHL-03 रॉकेट लॉन्चर
भारत के पिनाका के सामने चीन का PHL-03 रॉकेट लॉन्चर

चीन ने एलएसी पर PHL-03 लॉन्ग-रेंज मल्टीपल रॉकेट लॉन्चर सिस्टम को तैनात किया है। चीनी मीडिया सीसीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार, नए PHL-03 मल्टीपल रॉकेट लॉन्चर्स की 10 यूनिट को लद्दाख के नजदीक तैनाती की गई है। इसके प्रत्येक यूनिट में चार क्रू मेंबर शामिल हैं। इसमें 300 एमएम के 12 लॉन्चर ट्यूब लगे हुए हैं। जबकि, इसके जवाब में भारत की तरफ से पिनाका मल्टी बैरल रॉकेट लॉन्चर सिस्टम को तैनात किया गया है। पिनाका मूल रूप से मल्‍टी-बैरल रॉकेट सिस्‍टम है। इससे सिर्फ 44 सेकेंड्स में 12 रॉकेट दागे जा सकते हैं। पिनाका सिस्‍टम की एक बैटरी में छह लॉन्‍च वीकल होते हैं, साथ ही लोडर सिस्टम, रडार और लिंक विद नेटवर्क सिस्‍टम और एक कमांड पोस्‍ट होती है। एक बैटरी के जरिए 1x1 किलोमीटर एरिया को पूरी तरह ध्‍वस्‍त किया जा सकता है। मार्क-I की रेंज करीब 40 किलोमीटर है जबकि मार्क-II से 75 किलोमीटर दूर तक निशाना साधा जा सकता है। पिनाक रॉकेट का मार्क-II वर्जन एक गाइडेड मिसाइल की तरह बनाया गया है। इसमें नेविगेशन, कंट्रोल और गाइडेंस सिस्‍टम जोड़ा गया है ताकि रेंज बढ़ जाए और सटीकता भी। मिसाइल का नेविगेशन सिस्‍टम सीधे इंडियन रीजनल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्‍टम से जोड़ा गया है। ताजा अपग्रेड्स के साथ, मार्क-II 'नेटवर्क केंद्र‍ित युद्ध' में अहम भूमिका निभा सकता है।

तस्वीर- चीन का पीएचएल-03 रॉकेट



चीनी लाइट टैंक के जवाब में भारत ने तैनात किया भारी-भरकम भीष्म
चीनी लाइट टैंक के जवाब में भारत ने तैनात किया भारी-भरकम भीष्म

चीन ने लद्दाख में टाइप-15 लाइट टैंक को तैनात किया हुआ है। ये टैंक पठारी क्षेत्रों में तेजी से प्रतिक्रिया कर लड़ाई को घातक बना सकते हैं। शिनजियांग और तिब्बत दोनों सैन्य कमान अब इन हल्के टैंकों का संचालन कर रहे हैं। भारत ने लद्दाख में जिन T-90 टैंकों की तैनाती की हैं, वे मूल रूस से रूस में बने हैं। भारत टैंकों का तीसरा सबसे बड़ा ऑपरेटर है। उसके बेड़े में करीब साढ़े 4 हजार टैंक (T-90 और उसके वैरियंट्स, T-72 और अर्जुन) हैं। भारत में इन टैंकों को 'भीष्‍म' नाम दिया गया है। इनमें 125mm की गन लगती होती है। T-72 को भारत में 'अजेय' कहा जाता है। भारत में ऐसे करीब 1700 टैंक हैं। यह बेहद हल्‍का टैंक है जो 780 हॉर्सपावर जेनेरेट करता है। यह न्‍यूक्लियर, बायोलॉजिकल और केमिकल हमलों से बचने के लिए भी बलाया गया है। यह 1970 के दशक में भारतीय सेना का हिस्‍सा बना था। 'अजेय' में 125 एमएम की गन लगी है। साथ ही इसमें फुल एक्‍सप्‍लोसिव रिऐक्टिव आर्मर भी दिया गया है।

तस्वीर-भारत का टी-90 भीष्म



भारत के चिनूक के जवाब में चीन का Z-20 ट्रांसपोर्ट हेलिकॉप्टर
भारत के चिनूक के जवाब में चीन का Z-20 ट्रांसपोर्ट हेलिकॉप्टर

चीन ने भारत के चिनूक ट्रांसपोर्ट हेलिकॉप्टर के जवाब में अपने Z-20 हेलिकॉप्टर को तैनात किया है। चीन का दावा है कि यह हेलिकॉप्‍टर किसी भी मौसम में सैनिकों और सैन्‍य साजो सामान को पहुंचा सकता है। इसके अलावा Z-8G विशाल ट्रांसपोर्ट हेलिकॉप्‍टर तैनात किया गया है। यह हेलिकॉप्‍टर 4500 फुट की ऊंचाई पर भी काम कर सकता है। चीनी समाचार पत्र ग्लोबल टाइम्स ने बताया कि पीएलए ने हथियारों से लैस GJ-2 ड्रोन निगरानी विमान को तिब्‍बत में तैनात कर रखा है। इसे पूरे तिब्‍बत में निगरानी के लिए इस्‍तेमाल क‍िया जा सकता है।

तस्वीर-चीन का जे-20 ट्रांसपोर्ट हेलिकॉप्टर



भारत ने अपाचे तो चीन ने तैनात की जेड-10 ए अटैक हेलिकॉप्टर
भारत ने अपाचे तो चीन ने तैनात की जेड-10 ए अटैक हेलिकॉप्टर

भारत के अपाचे के जवाब में चीन ने लद्दाख में जेड-10 ए अटैक हेलिकॉप्टर को तैनात किया हुआ है। पिछले साल चीन ने इस हेलिकॉप्टर के लाइव फायर ड्रिल को भी आयोजित किया था। जेड-10 ए अटैक हेलिकॉप्टर को चाइना एयरक्राफ्ट इंडस्ट्रियल ग्रुप और चाइना हेलीकॉप्टर रिसर्च एंड डेवलपमेंट इंस्टीट्यूट ने विकसित किया है। जबकि इस हेलिकॉप्टर का निर्माण चांगे एयरक्राफ्ट इंडस्ट्रीज कॉरपोरेशन ने किया है। जेड-10 हेलिकॉप्टर को मुख्य रूप से दुश्मन के इलाके में घुसकर हमला करने के लिए विकसित किया गया है। जो एंटी टैंक और एयर टू एयर मिसाइलों से लैस है। इस हेलिकॉप्टर को चीन ने पहली बार 2003 में प्रदर्शित किया था। इस हेलिकॉप्टर में गनर आगे की सीट पर जबकि पायलट पीछे की सीट पर बैठा रहता है। पायलट और गनर को बचाने के लिए हेलिकॉप्टर में बुलेट प्रूफ ऑर्मर का भी इस्तेमाल किया गया है। जिसमें बैठा गनर 20 एमएम या 30 एमएम की ऑटो कैनन गन से दुश्मनों पर फायर कर सकता है। इसमें आठ की संख्या में एजजे-10 एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल और आठ टीवाई-19 एयर टू एयर मिसाइलें भी लगी होती हैं। इसके अलावा चार पीएल-5, पीएल-7 और पीएल-9 एयर टू एयर मिसाइलें भी तैनात होती हैं।

तस्वीर-चीन का जेड-10 अटैक हेलिकॉप्टर





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