Saturday 30 January 2021

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बर्लिन माइक्रोसॉफ्ट के सह संस्थापक ने भविष्य की महामारी को लेकर चेतावनी जारी की है। उन्होंने दावा किया है कि भविष्य में जो भी महामारी आएगी वह वर्तमान के से 10 गुना ज्यादा घातक होगी। उन्होंने जोर देकर कहा कि सभी देशों को कोरोना वायरस महामारी से सबक सीखना चाहिए। दुनियाभर में कोरोना वायरस से अबतक 22 लाख से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि संक्रमितों का आंकड़ा 10 करोड़ से भी ऊपर पहुंच चुका है। 10 गुना ज्यादा खतरनाक होगी अगली महामारी जर्मन मीडिया से बात करते हुए बिल गेट्स ने कहा कि म अगले महामारी के लिए तैयार नहीं हैं। उन्होंने दुनिया भर की सरकारों से अपने नागरिकों को संभावित नई बीमारियों से बचाने की अपील की। उन्होंने कहा कि यह महामारी खराब है, लेकिन भविष्य की महामारी 10 गुना अधिक गंभीर हो सकती है। गेट्स ने दावा किया कि अगर कोरोना वायरस महामारी आज से पांच साल पहले आई होती, तो दुनिया इतनी जल्दी वैक्सीन नहीं बना पाती। वैक्सीन राष्ट्रवाद को लेकर चेताया बिल गेट्स ने उन वैज्ञानिकों और संगठनों की प्रशंसा की जिन्होंने कोविड वैक्सीन बनाने में अपना सहयोग दिया है। इतना ही नहीं उन्होंने वैश्विक नेताओं से वैक्सीन राष्ट्रवाद से बचने की भी अपील की। गेट्स ने कहा कि सभी को वैक्सीन के उचित वितरण के सहयोग करना चाहिए। फाउंडेशन के जरिए गरीबों की मदद कर रहे बिल गेट्स अरबपति बिल गेट्स ने अपनी पत्नी के साथ बिल और मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन बनाया है। जिसके जरिए वह भारत सहित कई देशों में गरीब और असहायों की सहायता करते हैं। उनकी वेबसाइट के अनुसार, फाउंडेशन हर व्यक्ति के अंदर संभावना को अनलॉक करना चाहता है। हम सभी जीवन में समान मूल्य देखते हैं। और इसलिए हम दुनिया भर के व्यक्तियों के लिए जीवन की गुणवत्ता में सुधार के लिए समर्पित हैं। क्या है 'वैक्सीन राष्ट्रवाद'? जब कोई देश सिर्फ अपने नागरिकों या अपने यहां रहने वाले लोगों के लिए वैक्सीन डोज सुरक्षित करने की कोशिश करता है तो इसे 'वैक्सीन राष्ट्रवाद' नाम दिया जाता है। ऐसी स्थिति तब होती है जब कोई देश वैक्सीन को अन्य देशों में उपलब्ध होने से पहले ही उन्हें अपने घरेलू बाजार और अपने नागरिकों के लिए एक तरह से रिजर्व करने की कोशिश करता है। इसके लिए संबंधित देश की सरकार वैक्सीन मैन्यूफैक्चरर के साथ प्री-परचेज अग्रीमेंट कर लेती है। नया नहीं है 'वैक्सीन राष्ट्रवाद' ऐसा कोई पहली बार नहीं हुआ है कि दुनिया के तमाम देश 'वैक्सीन राष्ट्रवाद' की राह पर चल रहे हैं। 2009 में H1N1 फ्लू के प्रकोप के वक्त भी इसी तरह से वैक्सीन की जमाखोरी हुई थी। तब ऑस्ट्रेलिया पहला ऐसा देश था जिसने एच1एन2 फ्लू की वैक्सीन बनाने में कामयाबी हासिल की थी। लेकिन उसने उस वैक्सीन के निर्यात को प्रतिबंधित कर दिया। दूसरी तरफ कुछ अमीर देशों ने कई फार्मा कंपनियों के साथ वैक्सीन के लिए प्री-परचेज अग्रीमेंट कर लिया था। सिर्फ अमेरिका ने 6 लाख वैक्सीन डोज के लिए अग्रीमेंट किया था।


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