Saturday, 2 January 2021

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वॉशिंगटन लद्दाख में भारतीय सरजमीं पर नजरें गड़ाए बैठे चीन को बड़ा झटका लगा है। अमेरिकी कांग्रेस के एक द्विदलीय विधेयक में भारत के प्रति चीन के आक्रामक रुख की निंदा की गई है। यह विधेयक अब कानून का रूप ले चुका है क्योंकि सदन ने इस पर डोनाल्‍ड ट्रंप के वीटो को खारिज कर दिया। सदन ने 740 अरब अमेरिकी डॉलर के रक्षा नीति विधेयक पर ट्रंप के वीटो को खारिज कर दिया। इस विधेयक में कई अन्य चीजों के साथ वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चीन सरकार की ओर से उठाए गए कदमों की निंदा भी शामिल है। ‘नैशनल डिफेंस ऑथोराइजेशन एक्ट’ (NDAA) शुक्रवार को कानून बन गया। इसमें एक ऐसा भी प्रस्ताव है जिसमें चीन सरकार से अपील की गई है कि वे वास्तविक नियंत्रण रेखा पर भारत के प्रति सैन्य आक्रामक रुख को खत्म करें। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 23 दिसंबर को इस विधेयक पर वीटो इस्तेमाल किया था। हालांकि इस विधेयक को डेमोक्रेटिक और रिपब्लिकन सांसदों का समर्थन हासिल हुआ। वहीं राष्ट्रपति ट्रंप का कहना था कि इसमें ऐसे प्रावधान हैं, जिससे राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा है। ट्रंप के कार्यकाल के अंतिम दिनों में उनके लिए यह झटके की तरह है। भारतीय-अमेरिकी सांसद राजा कृष्णमूर्ति ने कहा, ‘आज नए साल के अवसर पर सदन में वोट के साथ संसद ने नैशनल डिफेंस ऑथोराइजेशन एक्ट को कानून बना दिया है। इसमें मेरे प्रस्ताव की कुछ बातें भी शामिल हैं जिसमें चीन से भारत के प्रति और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में आक्रामक रुख खत्म करने के लिए कहा गया है।’ लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर गतिरोध जारी चीन और भारत के बीच पिछले साल मई से ही पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर गतिरोध जारी है। इस गतिरोध को खत्म करने के लिए दोनों ही देशों के बीच कई चरणों की वार्ता हो चुकी है लेकिन अब तक कोई ठोस परिणाम निकलकर सामने नहीं आया है। कृष्णमूर्ति ने कहा, ‘वास्तविक नियंत्रण रेखा पर भारत के साथ चीन की सेना का हिंसक आक्रामक रुख या कहीं भी इस तरह का रुख स्वीकार्य नहीं है। साथ ही इस कानून में लिखी गई बातें भारत और दुनिया के अन्य सहयोगियों को नव वर्ष में प्रवेश के साथ समर्थन और एकजुटता का स्पष्ट संदेश देती है।’ चीन द्वारा सीमा पर लगातार भारत के प्रति आक्रामक रुख रखने को लेकर ‘नैशनल डिफेंस ऑथोराइजेशन एक्ट’ में ‘गंभीर चिंता’ प्रकट की गई है। एनडीएए में कहा गया है कि चीन को ‘भारत के साथ मौजूदा राजनयिक तंत्रों के जरिए तनाव कम करने की दिशा में काम करना चाहिए और विवाद को बल पूर्वक निपटाने की कोशिश से बचना चाहिए।’


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