
लंदन कोरोना वायरस की महामारी के खिलाफ जंग में उतरे 100 साल के रिटायर्ड कर्नल ने उस वक्त मिसाल पेश की थी जब ब्रिटिश अस्पतालों के लिए उन्होंने 4.5 करोड़ डॉलर जुटाए थे। उन्हें 'कैप्टन हीरो' कहा गया और इस देश का सबसे बड़ा सम्मान नाइटहुड भी दिया गया, लेकिन इस घातक वायरस ने उनकी जिंदगी नहीं बख्शी। कर्नल टॉप का मंगलवार को निधन हो गया। कर्नल मूर का निमोनिया का इलाज चल रहा था और पिछले महीने वह कोरोना वायरस के लिए पॉजिटिव पाए गए थे। उन्हें सांस की तकलीफ होने पर अस्पताल ले जाया गया लेकिन उनकी हालत बिगड़ती रही। आखिरकार मंगलवार को उन्होंने अंतिम सांस ली। कर्नल मूर ने अपने गार्डन के चक्कर लगाकर चैरिटी के जरिए नैशनल हेल्थ सर्विस (NHS) के लिए पैसे जुटाए थे। जज्बा बना था मिसाल यहां तक कि उन्हें प्रिंस विलियम तक ने डोनेशन दिया था। वह मीडिया और सोशल मीडिया पर छाए रहे और लोग उनकी इच्छाशक्ति की मिसाल देते रहे। उनके जज्बे और जिंदादिली के लोग कायल हो गए। महारानी एलिजाबेथ ने आइसोलेशन से बाहर आकर उन्हें नाइटहुड का सम्मान दिया था। टॉम सेना से कैप्टन के पद से रिटायर हुए थे और उन्हें सम्मानस्वरूप कर्नल की पदवी मिली थी। विश्व युद्ध के बाद कोरोना से जंग वेस्ट यॉर्कशायर में पैदा हुए कर्नल Moore सिविल इंजिनियर थे जब दूसरे विश्व युद्ध के दौरान वह सेना में भर्ती हुए। सेना में रहते हुए उन्होंने कई कठिन मिशन में हिस्सा लिया और अक्टूबर 1941 में उनकी पोस्टिंग भारत में भी हुई थी। सेना छोड़ने के बाद उन्होंने सेल्समैन के तौर पर काम करना शुरू किया। वह Gravesend में काम के दौरान ऑफिस मैनेजर पामेला से मिले। दोनों के बीच प्यार परवान चढ़ा और उन्होंने शादी कर ली।
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