
दमिश्क पिछले एक दशक से युद्धग्रस्त सीरिया में बशर अल-असद को चौथी बार राष्ट्रपति चुन लिया गया है। गत 26 मई को हुए चुनाव के अधिकारिक चुनाव परिणामों में असद को करीब एक करोड़ 42 लाख वोट मिले। इस जीत के साथ ही अब बशर अल-असद के एक बार फिर से अगले 7 साल तक के लिए राष्ट्रपति बने रहने का रास्ता साफ हो गया है। इस बीच अमेरिका समेत पश्चिम देशों ने सीरिया के चुनाव को खारिज कर दिया है और कहा कि यह न तो स्वतंत्र तरीके से हुआ है और न ही निष्पक्ष है। सीरिया में गृहयुद्ध शुरू होने के बाद लगातार दूसरी बार असद राष्ट्रपति चुने गए हैं। इस गृहयुद्ध में करीब 4 लाख लोग मारे गए हैं और लाखों की तादाद में लोगों को अपना घर बार छोड़कर दूसरे देशों में शरण लेनी पड़ी है। यही नहीं पूरे देश में आधारभूत ढांचा तबाह हो चुका है। सीरिया में इतने ज्यादा बमों की बारिश हुई है कि उसका ज्यादातर हिस्सा खंडहर में तब्दील हो चुका है। असद को चुनाव में जोरदार जीत, 95 फीसदी वोट मिले संसदीय अध्यक्ष ने गुरुवार को घोषणा की कि असद को कुल 95.1 प्रतिशत वोट मिले हैं। वर्ष 2014 में हुए पिछले चुनाव में असद को कुल 88 फीसदी वोट मिले थे। इस तरह से असद ने ताजा चुनाव में और ज्यादा वोटों से जीत दर्ज की है। उनके दो विरोधियों अब्दुल्ला सालोम अब्दुल्ला और महमूद मेरही को क्रमश: 1.5% और 3.3% प्रतिशत वोट मिले। असद का सीरिया के दो तिहाई हिस्से पर कब्जा है और चुनाव के दौरान हर जगह उनकी शान में पोस्टर लगाए गए हैं। असद की जीत के बाद सीरिया में जश्न का माहौल देखा गया। हजारों की संख्या में स्थानीय लोग असद के पोस्टर लेकर निकल आए और ड्रम बजाते हुए डांस किया। लटाकिया और राजधानी दमिश्क में हजारों लोगों ने रैली निकाली। देश के अन्य हिस्सों में भी इसी तरह का माहौल देखा गया। सीरिया में वर्ष 2011 में गृहयुद्ध शुरू हुआ था और अब देश की 80 फीसदी आबादी गरीबी में पहुंच गई है। इससे पहले 30 वर्ष तक सीरिया में असद के पिता हाफेज का शासन था। सीरिया की विपक्षी पार्टियों ने चुनाव को खारिज किया बसर अल असद को दुनियाभर में तानाशाह राजनेता के तौर पर देखा जाता है। यही कारण है कि सीरिया की विपक्षी पार्टियों ने इस चुनाव को खारिज किया है। असद को रूस के खुले समर्थन के कारण अमेरिका समेत कई पश्चिमी देशों ने भी इस चुनाव की सत्यता और प्रमाणिकता पर सवाल उठाए हैं। उनका दावा है कि असद के सत्ता पर काबिज रहते सीरिया में निष्पक्ष चुनाव संभव नहीं है। देश के उत्तरपूर्वी सीरिया में मतदान नहीं हुआ क्योंकि यहां पर अमेरिका समर्थित कुर्दिश लड़ाकों का नियंत्रण है और न ही उत्तर पश्चिमी इदलिब प्रांत में मतदान हुआ जहां पर विद्रोहियों का कब्जा है। वहीं दक्षिणी प्रांत दारा और स्वीडा समेत सरकार के नियंत्रण वाले कई क्षेत्रों में लोगों ने मतदान का बहिष्कार किया था।
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