
वॉशिंगटन अमेरिका के एरिजोना राज्य में एक हिरासत गृह के अंदर एक सिख व्यक्ति को कैद करके जबरन उनके केश और दाढ़ी काटने के लिए मजबूर किया गया। सिख धर्म में केश और दाढ़ी रखना धार्मिक लिहाज से जरूरी होता है और पीड़ित सुरजीत सिंह ने पिछले 60 साल से कभी भी अपने केश को नहीं काटे थे। सुरजीत सिंह का मानना है कि केश ईश्वर का तोहफा है। इस अपमानजनक घटना पर मानवाधिकार संगठन भड़क गए हैं और उन्होंने सरकार से ऐसी घटना दोबारा नहीं होने देने की मांग की है। सुरजीत सिंह पिछले साल एरिजोना के एक हिरासत गृह में आए थे। इस दौरान अधिकारियों की ओर से उनकी पगड़ी को निकाल दिया गया और जबरन उनकी दाढ़ी को भी काट दिया गया था। ये अधिकारी सुरजीत सिंह की तस्वीर लेना चाहते थे। अब कई कानूनी मानवाधिकार गुटों ने इसकी शिकायत की है। सिंह इस पूरी घटना के बाद सदमें में चले गए थे। शिकायत में कहा गया है कि सुरजीत सिह ने अधिकारियों से यह भी कहा था कि आप मेरा गला काट दो लेकिन मेरे केश और दाढ़ी को न काटो। केवल एक इंच की दाढ़ी को ही अनुमति सिखों से जुड़ी एक संस्था के वरिष्ठ स्टॉफ अटार्नी सिंडी नेस्बित ने सीएनएन से कहा कि हम समझते हैं कि सुरजीत सिंह के बाल उनके लिए सबसे अहम थे। बालों को काटना उनके धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार का स्पष्ट उल्लंघन है। शिकायत में यह भी कहा गया है कि सुरजीत को पंजाबी आती है और उन्हें बहुत कम अंग्रजी का ज्ञान है। उन्हें द्विभाषिया भी कायदे से नहीं दिया गया। एरिजोना की जेल में दाढ़ी के साथ फोटो लेना प्रतिबंधित है। जेल में बंद कराने से पहले प्रत्येक कैदी के दाढ़ी को साफ किया जाता है। केवल एक इंच की दाढ़ी को ही अनुमति है। वर्ष 2017 में एक हादसे के बाद उन्हें पांच साल के लिए कैद की सजा सुनाई गई थी। उनकी पगड़ी को भी यूमा के हिरासत गृह में निकाल दिया गया था। वह भी तब जब द्विभाषिए ने सरकारी अधिकारियों को बताया था कि यह धार्मिक लिहाज से जरूरी है। सिख संगठनों ने मांग की है कि सरकार इस संबंध में अपनी नीतियों को बदले।
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