Monday, 3 May 2021

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पेइचिंग चीन इस साल 1 जुलाई को अपनी सामरिक ताकत का शक्ति प्रदर्शन करने की तैयारी में है। विशेषज्ञों का मानना है कि कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना (सीसीपी) की 100वीं वर्षगांठ के अवसर पर चीन कोई अप्रत्याशित कदम भी उठा सकता है। चीनी सेना ने भी ऐलान किया है कि वह शताब्दी समारोह को पार्टी और शी जिनपिंग के प्रति पूर्ण निष्ठा कायम करने के अवसर के रूप में मनाएगी। जिसके बाद से चीनी हमले की आशंका के बीच ताइवान ने भी जंग की तैयारी को तेज कर दिया है। ताइवान पर हमला कर सकता है चीन ताइवान को चीन के अधीन करना चीनी पोलित ब्यूरो के देशभक्ति समारोह के मुख्य मुद्दों में से एक माना जाता है। चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के कई बड़े नेता पहले भी ताइवान पर हमला करके कब्जा करने की धमकी दे चुके हैं। Express.co.uk से बात करते हुए लंदन के एसओएएस यूनिवर्सिटी के चाइना इंस्टीट्यूट के डॉयरेक्टर प्रोफेसर स्टीव त्सांग ने कहा कि संभावना है कि पेइचिंग कम्युनिस्ट पार्टी की स्थापना के शताब्दी वर्ष को यादगार बनाने के लिए ताइवान स्ट्रेट में शक्ति प्रदर्शन करे। शी जिनपिंग अधिक जोखिम लेने वाले नेता उन्होंने कहा कि मुझे शक है कि इस दौरान चीन जानबूझकर ताइवान के साथ युद्ध मोल लेगा, क्योंकि उसे विश्वास है कि वह इस द्वीप पर आसानी से कब्जा जमा सकता है। शी जिनपिंग भी चीन के पहले के राष्ट्रपतियों की तुलना में अधिक जोखिम लेने वाले राजनेता हैं। ऐसे में संभावना है कि चीन कभी भी ताइवान पर हमला कर सकता है। हालांकि, इस काम में चीन के सामने सबसे बड़ा रोड़ा अमेरिका है। बाइडन का ऐलान- ताइवान के साथ है अमेरिका जो बाइडन ने अमेरिका का राष्ट्रपति बनने के बाद ऐलान किया था कि उनका प्रशासन पूरी तरह से ताइवान के साथ है। यही कारण है कि अमेरिका के कई वरिष्ठ नेताओं ने कुछ दिनों पहले ही ताइपे का दौरा किया था। अमेरिका के दबाव में शी जिनपिंग शायद ही ताइवान पर हमला करने का आदेश दें, क्योंकि उन्हें पता है कि अगर अमेरिकी सेना इस युद्ध में शामिल होती है तो इसका परिणाम कुछ और हो सकता है। ताइवानी विदेश मंत्री बोले- अंतिम सांस तक लड़ेंगे ताइवान के विदेश मंत्री जोसेफ वू ने चीन को चेतावनी देते हुए कहा था कि हम बिना किसी सवाल के खुद का बचाव करने के लिए तैयार हैं और अगर हमें युद्ध लड़ने की जरूरत है तो हम आखिरी सांस तक लड़ेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि अगर आखिरी तक हमें खुद के लोगों की रक्षा करनी पड़ी तो हम उससे भी पीछे नहीं हटेंगे। ताइवानी विदेश मंत्री के इसी बयान से चीन चिढ़ा हुआ है। इसलिए दुश्मन हैं चीन और ताइवान 1949 में माओत्से तुंग के नेतृत्व में कम्युनिस्ट पार्टी ने चियांग काई शेक के नेतृत्व वाले कॉमिंगतांग सरकार का तख्तापलट कर दिया था। जिसके बाद चियांग काई शेक ने ताइवान द्वीप में जाकर अपनी सरकार का गठन किया। उस समय कम्यूनिस्ट पार्टी के पास मजबूत नौसेना नहीं थी। इसलिए उन्होंने समुद्र पार कर इस द्वीप पर अधिकार नहीं किया। तब से ताइवान खुद को रिपब्लिक ऑफ चाइना मानता है।


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