केपटाउन दक्षिण अफ्रीका में जारी हिंसा को रोकने के लिए सरकार ने आखिरकार सेना की तैनाती कर दी है। पूर्व राष्ट्रपति जैकब जुमा की कैद की सजा शुरू होने के बाद से ही दक्षिण अफ्रीका के कई हिस्सों में दंगे हो रहे हैं। इस हिंसा की आड़ में कुछ उपद्रवी यहां रहने वाले भारतीय समुदाय को निशाना बना रहे हैं। इसे दक्षिण अफ्रीका में 1994 में श्वेत अल्पसंख्यकों का शासन समाप्त होने के बाद सेना की सबसे बड़ी तैनाती बताया जा रहा है। पिछले एक हफ्ते से जारी दंगों और हिंसा में अब तक 72 लोगों की मौत हो चुकी है जबकि 1200 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है। 25 हजार सैनिक सड़कों पर उतरे साउथ अफ्रीकन नेशनल डिफेंस फोर्स ने हिंसा को रोकने के लिए 25 हजार सैनिकों की तैनाती की है। इसके अलावा 12 हजार रिजर्व फोर्स को भी देश के अलग-अलग हिस्सों में तैनात किया गया है। हिंसा वाले गाउतेंग और क्वाजुलु-नताल प्रांतों में सैनिकों को ले जाने के लिए ट्रकों, बख्तरबंद वाहनों और हेलीकॉप्टरों का इस्तेमाल किया जा रहा है। गुरुवार को जैकब जुमा के गृह प्रांत क्वाजुलु-नताल प्रांत में शॉपिंग केंद्रों पर फिर से हमले हुए तथा कई कारखानों में तोड़फोड़ और आगजनी की गई। भारतीयों की दुकानों, बिजनस और घरों को जलाया गया हिंसापूर्ण माहौल के बीच भारतीयों और भारतीय मूल दक्षिण अफ्रीकी लोगों के साथ आगजनी और लूटपाट की खबरें काफी आ रही हैं। प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक भारतीयों की दुकानों, बिजनस और घरों को जलाया गया है। उन पर पेट्रोल बम भी फेंका गया है। भारतीयों के बिजनस और कार को आग लगा दी गई है। भारतीय अपनी कम संख्या के कारण दंगाइयों से मुकाबला नहीं कर पा रहे हैं। जैकब जुमा को जेल भेजने से शुरू हुई हिंसा राष्ट्रपति रामफोसा ने भी देश के नाम संबोधन में कहा था कि अवसरवादी लोग स्थिति का फायदा उठा रहे हैं और लूटपाट कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि ये घटनाएं आपराधिक हैं न कि राजनीतिक या नस्ली। इस पूरे विवाद की शुरुआत उस समय हुई जब जैकब जुमा को अदालत की अवमानना के मामले में 15 महीने की कैद की सजा सुनाई गई। काफी विवाद के बाद जुमा ने आत्मसमर्पण कर दिया और उन्हें जेल भेज दिया गया। कारोबारियों ने लॉकडाउन लगाने की मांग की दक्षिण अफ्रीका में संपत्ति मालिकों के शीर्ष निकाय (एसएपीओए) के प्रमुख नील गोपाल ने देश में जारी लूटपाट और आगजनी की घटनाओं को तख्तापलट के प्रयास की निशानी बताते हुए राष्ट्रपति सिरिल रामाफोसा से मौजूदा हालात से निपटने के लिए संपूर्ण लॉकडाउन लगाने की अपील की। नील गोपाल ने समाचार वेबसाइट मनीवेब से कहा, कि लोग मोबाइल फोन टावरों को नष्ट कर रहे हैं, जलाशयों को तबाह कर रहे हैं और देश में अन्य बुनियादी ढांचों पर हमला कर रहे हैं, ये सब तख्तापलट के प्रयासों की निशानी हैं। हमें स्थिति से निपटने के लिए पिछले वर्ष की तरह पांचवें चरण के कोविड-19 संबंधी संपूर्ण लॉकडाउन को लागू कर देना चाहिए। उस समय अपराध की दर शून्य थी। 800 से अधिक दुकान और 100 शॉपिंग मॉल जलाए गए एसएपीओए वाणिज्यिक संपत्ति क्षेत्र के भीतर 800 से अधिक संगठनों का प्रतिनिधित्व करता है, जिसमें देश की 90 प्रतिशत वाणिज्यिक अचल संपत्ति एसोसिएशन के सदस्यों के स्वामित्व में है। एसएपीओए के मुताबिक अब तक 800 से अधिक दुकानों को लूटा जा चुका है जबकि करीब 100 शॉपिंग मॉल को जला दिया गया है अथवा भारी क्षति पहुंचाई गयी है। (एजेंसियों से इनपुट के साथ)
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