रियो डि जनेरो जिस उम्र में ज्यादातर बच्चे खेल-कूद के मौके ढूंढते हैं, ब्राजील की निकोल ओलिवेरा डि लिमा अंतरिक्ष में खोजबीन करती हैं। इसी जुनून ने सात साल की निकोल को दुनिया की सबसे कम उम्र की ऐस्ट्रोनॉमर बना दिया है। उन्होंने एक नहीं बल्कि सात ऐस्टरॉइड्स की खोज कर यह खिताब अपने नाम किया। ऐस्टरॉइड्स की खोज से उन पर नजर रखने में मदद मिलती है ताकि भविष्य में होने वाले किसी खतरे से नुकसान को टाला जा सके। नन्ही से उम्र में बड़ी खोज निकोल ने अमेरिकी स्पेस एजेंसी और इंटरनैशनल ऐस्ट्रोनॉमिकल सर्च कलैबरेशन के सिटिजन साइंस प्रोग्राम ‘ऐस्टरॉइड हंट’ में हिस्सा लिया था। वह जब दो साल की थीं तब से आसमान में चमकते सितारों की दुनिया उन्हें रोमांचक लगती थी। उसी दिलचस्पी ने उन्हें इतनी कम उम्र में ऐसी समझ दी कि आज उन्होंने ऐस्टरॉइड्स खोज निकाले। हाल ही में निकोल को ब्राजील के विज्ञान और तकनीक मंज्ञालय और इनोवेशन की पहली ऐस्ट्रॉनमी और एयरनॉटिक्स की इंटरनैशनल सेमिनार में बोलने का मौका मिला था। वह अपने शहर में भी स्कूलों में लेक्चर देती हैं। क्या होते हैं ऐस्टरॉइड? ऐस्टरॉइड्स वे चट्टानें होती हैं जो किसी ग्रह की तरह ही सूरज के चक्कर काटती हैं लेकिन ये आकार में ग्रहों से काफी छोटी होती हैं। हमारे सोलर सिस्टम में ज्यादातर ऐस्टरॉइड्स मंगल ग्रह और बृहस्पति यानी मार्स और जूपिटर की कक्षा में ऐस्टरॉइड बेल्ट में पाए जाते हैं। इसके अलावा भी ये दूसरे ग्रहों की कक्षा में घूमते रहते हैं और ग्रह के साथ ही सूरज का चक्कर काटते हैं।
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