वॉशिंगटन सूरज पर कुछ ऐसी हलचल हो गई है जिसका असर धरती पर देखा जा रहा है। दरअसल, सूरज के वायुमंडल में ही छेद हो गया है जिससे निकलने वाले तूफान धरती पर पहुंचे हैं। हालांकि, इसके कारण किसी तरह का नुकसान नहीं होगा बल्कि उत्तर और दक्षिणी ध्रुव पर खूबसूरत ऑरोरा देखे जा सकते हैं। सूरज के उत्तरी गोलार्ध में 25 जुलाई को यह छेद देखा गया था। अमेरिकी स्पेस एजेंसी NASA के मुताबिक आमतौर पर 10-20 लाख मील प्रतिघंटे की रफ्तार से चलते हैं। ये सूरज के coronal holes से आते हैं जहां सूरज की बाहरी परत ठंडी, घनी और अंधेरी होती है। स्पेसवेदरलाइव.कॉम के मुताबिक गुरुवार को आने वाले सौर तूफान की वजह से धरती पर ऑरोरा देखे जा सकते हैं। ये कनाडा के वैनकूवर और अमेरिका के मिनयापोलिस से लेकर यूरोप के ओसलो, स्टॉकहोम, हेलसिंकी और सेंट पीटर्सबर्ग में देखे जा सकते हैं। क्यों बनते हैं ऑरोरा? Northern Lights या Aurora borealis और Southern Lights या Aurora australis आसमान में किसी लेजर लाइट शो जैसी लगती हैं। हजारों साल तक लोग समझने की कोशिश करते रहे कि ये अद्भुत रोशनी क्यों दिखती है। इसे लेकर एक थिअरी यह मानी गई कि सूरज पर होने वाले विस्फोट से निकले पार्टिकल्स जब धरती की मैग्नेटिक फील्ड और ऊपरी वायुमंडल से टकराते हैं, जो उनसे कई रंगों की रोशनी निकलती हैं। अब इस थिअरी को साबित भी कर दिया गया है। तीव्रता ज्यादा होने पर क्या असर? ज्यादा तीव्र सौर तूफान के कारण धरती का बाहरी वायुमंडल गरमा सकता है जिसका सीधा असर सैटलाइट्स पर हो सकता है। इससे जीपीएस नैविगेशन, मोबाइल फोन सिग्नल और सैटलाइट टीवी में रुकावट पैदा हो सकती है। पावर लाइन्स में करंट तेज हो सकता है जिससे ट्रांसफॉर्मर भी उड़ सकते हैं। हालांकि, आमतौर पर ऐसा कम ही होता है क्योंकि धरती का चुंबकीय क्षेत्र इसके खिलाफ सुरक्षा कवच का काम करता है।
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