बीजिंग अफगानिस्तान में अशरफ गनी सरकार के पतन से घबराए चीन और पाकिस्तान ने तालिबान नेताओं के साथ दोस्ती से पहले उनके सामने एक कड़ी शर्त रखी है। चीन और पाकिस्तान ने संयुक्त रूप से तालिबान के सामने शर्त रखी है कि वे ईस्ट तुर्कमेनिस्तान इस्लामिक मूवमेंट और तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान के साथ अपने रिश्ते को पूरी तरह से खत्म करेंगे। साथ ही उन सभी आतंकी गुटों से नाता तोड़ेंगे जो चीन-पाकिस्तान के लिए सीधे तौर पर खतरा हो। चीन ने तालिबान आतंकियों की तारीफ के पुल भी बांधे। पाकिस्तानी अखबार एक्सप्रेस ट्रिब्यून के मुताबिक चीन के दौरे पर पहुंचे तालिबान नेताओं के सामने ड्रैगन ने यह शर्त रखी है। तालिबान का दावा है कि उसने देश के 90 फीसदी इलाके पर कब्जा कर लिया है। तालिबान आतंकी अब चीन के शिंजियांग प्रांत की सीमा तक पहुंच गए हैं जहां पर ईस्ट तुर्कमेनिस्तान इस्लामिक मूवमेंट के सदस्य सक्रिय हैं। चीन और पाकिस्तान ने तालिबान से यह भी कहा है कि वह दोनों ही आतंकी गुटों के सदस्यों को अपने नियंत्रण वाले इलाके से मार भगाए। चीन ने तालिबान को ‘अहम सैन्य और राजनीतिक ताकत’ करार दिया दरअसल दासू हमले के बाद पाकिस्तान और चीन दोनों ही घबराए हुए हैं। चीन पाकिस्तान में अरबों डॉलर का निवेश कर रहा है और उसे अपने निवेश और चीनी नागरिकों पर पर खतरा दिखाई पड़ रहा है। चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने तालिबान के नेता मुल्ला अब्दुल गनी बरादर से बुधवार को मुलाकात की और आतंकी समूह की प्रशंसा करते हुए अफगानिस्तान में उसे ‘अहम सैन्य और राजनीतिक ताकत’ करार दिया। इसके साथ ही चीन ने तालिबान से सभी आतंकवादी समूहों से ‘संपर्क तोड़ने’ को कहा, खासतौर पर शिनजियांग के उइगर मुस्लिम चरमपंथी समूह ईस्ट तुर्किस्तान इस्लामिक मूवमेंट से। ईटीआईएम के पुन: संगठित होने की चिंता के बीच चीन के विदेशमंत्री वांग यी ने तिआंजिन में मुल्ला बरादर से मुलाकात की। चीन मानता है कि शिनजिंयाग प्रांत और देश के अन्य इलाकों में होने वाले सभी हिंसक हमलों के पीछे ईटीआईएम का हाथ है। मुलाकात के दौरान यी ने बरादर से ‘सकारात्मक छवि बनाने और विस्तृत व समावेशी राजनीतिक ढांचा का आह्वान किया जो अफगानिस्तान की राष्ट्रीय वास्तविकता के अनुकूल हो। ’ मुल्ला अब्दुल गनी बरादर की अगुवाई में तालिबान का एक प्रतिनिधिमंडल बुधवार को अचानक चीन के दौरे पर पहुंचा और चीनी विदेश मंत्री वांग यी के साथ वार्ता की। तालिबान ने बीजिंग को 'भरोसेमंद दोस्त’ बताया, मांगी मदद बातचीत के दौरान तालिबान ने बीजिंग को 'भरोसेमंद दोस्त’ बताया और आश्वस्त किया कि समूह ‘अफगानिस्तान के क्षेत्र का इस्तेमाल किसी को भी करने की’ इजाजत नहीं देगा। अफगानिस्तान से अमेरिका और नाटो के बलों की वापसी के बीच तालिबान और चीन के मध्य यह पहली बैठक है। तालिबान ने सरकारी बलों के कब्जे वाले काफी क्षेत्र पर नियंत्रण कर लिया है जिससे चीन चिंतित हो रहा था कि उसके अस्थिर शिनजियांग प्रांत के उइगर आतंकवादी समूह, ईस्ट तुर्कीस्तान इस्लामिक मूवमेंट अफगान सीमा से घुसपैठ कर सकते हैं। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजिआन ने मीडिया ब्रीफिंग में इस बात की पुष्टि की कि बरादर की अगुवाई में एक प्रतिनिधिमंडल ने बीजिंग के नज़दीक बंदरगाह शहर तिआंजिन में वांग से मुलाकात की है। मंत्रालय ने वांग की बरादर और उनके प्रतिनिधिमंडल के साथ मुलाकात की तस्वीरों को सोशल मीडिया पर साझा भी किया है। इस मुलाकात के कुछ दिन पहले, 25 जुलाई को पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने चेंगदू शहर में वांग से मुलाकात की थी और दोनों देशों ने ऐलान किया था कि अफगानिस्तान में आतंकवादी बलों को खदेड़ने के लिए पाकिस्तान और चीन की ‘संयुक्त कार्रवाई’ शुरू करने की योजना है। झाओ ने वांग और बरादर की मुलाकात के बाद जारी प्रेस विज्ञप्ति पढ़ते हुए बताया कि बुधवार की वार्ता के दौरान, वांग ने उम्मीद जताई है कि तालिबान अपने और ईटीआईएम के बीच रेखा खींच सकता है। इससे आतंकवाद के खात्मे के लिए अनुकूल स्थिति पैदा होगी। संयुक्त राष्ट्र की एक हालिया रिपोर्ट में कहा गया है कि ईटीआईएम के सैकड़ों लड़ाके अफगानिस्तान के बदख्शान प्रांत में जमा हो गए हैं, जो चीन के अस्थिर शिनजियांग प्रांत की सीमा से सटा है। वांग ने कहा कि ईटीआईएम एक सूचीबद्ध आतंकवादी संगठन है जो क्षेत्रीय अखंडता के लिए खतरा है। बरादर ने कहा, 'चीन एक भरोसेमंद दोस्त है।' 'अफगानिस्तान अपने क्षेत्र का इस्तेमाल करने की इजाजत नहीं देगा' विज्ञप्ति के मुताबिक, 'बरादर ने सुलह प्रक्रिया में चीन की निष्पक्ष और सकारात्मक भूमिका की सराहना की।' बरादर ने ईटीआईएम का जिक्र किए बिना कहा, 'अफगानिस्तान किसी को भी अपने क्षेत्र का इस्तेमाल ऐसे काम के लिए करने की इजाजत नहीं देगा जो उसके लोगों के हितों को कमजोर करते हों।' बरादर ने कहा, 'अफगानिस्तान अपने पड़ोसियों के साथ दोस्ताना रिश्ते बनाना चाहेगा। अफगानिस्तान तालिबान भविष्य में विकास के लिए और ज्यादा साझेदार बनाना चाहेगा।' उन्होंने कहा, 'अफगान तालिबान निवेश के लिए अनुकूल माहौल तैयार करेगा और इस संबंध में प्रासंगिक कोशिश करेगा।' उन्होंने कहा, 'अफगानिस्तान में सुलह तक पहुंचने की गंभीरता है और वह एक ऐसा ढांचा बनाना चाहता है जो सभी गुटों को स्वीकार्य हो। तालिबान महिलाओं और बच्चों के अधिकार सुनिश्चित करेगा।' वांग ने कहा, 'हम अफगानिस्तान की संप्रभुता और अखंडता का सम्मान करते हैं। हम अफगानिस्तान के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं करते हैं। हम अफगानिस्तान के लोगों के प्रति मैत्रीपूर्ण नीति का पालन करते हैं।' उन्होंने बरादर से कहा कि अमेरिका और अन्य नाटो सैनिकों के जल्दबाजी में जाने के बाद, अफगान लोगों के हाथ में अपने खुद के देश के स्थायी विकास के लिए नए मौके हैं। अफगानिस्तान को एक अहम सैन्य ताकत बताते हुए वांग ने कहा कि चीन अफगानिस्तान की शांति और सुलह प्रक्रिया में रचनात्मक भूमिका निभाने को तैयार है।
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