Tuesday, 24 August 2021

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काबुल अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद इस्लामिक स्टेट (ISIS) ने मोर्चा खोल दिया है। आईएसआईएस का समर्थन करने वाले ऑनलाइन पोर्टल और सोशल मीडिया अकाउंट तालिबान के खिलाफ बाकायदा अभियान चला रहे हैं। अपने पोस्ट के जरिए आईएसआईएस के ये समर्थक तालिबान की लगातार बुराई कर रहे हैं। अफगानिस्तान में हुकूमत स्थापित करने में जुटे तालिबान ने कई बार दावा किया है कि उसका आईएसआईएस से कोई संबंध नहीं है और वह अपनी जमीन पर इन आतंकियों को बर्दाश्त नहीं करेगा। ISIS बोला- यह अमेरिका की जीत बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार, आईएसआईएस ने 19 अगस्त को आधिकारिक बयान जारी कर कहा था कि तालिबान अमेरिका का पिट्ठू है। इस्लामिक स्टेट ने यह भी कहा था कि अफगानिस्तान में जो कुछ भी हुआ वो तालिबान नहीं, बल्कि अमेरिका की जीत है। क्योंकि तालिबान ने अमेरिका के साथ बातचीत कर इस सफलता को पाया है। तालिबान के खिलाफ प्रॉपगैंडा वॉर में जुटा ISIS इस रिपोर्ट में बताया गया है कि आईएसआईएस के समर्थन वाले मीडिया समूहों ने 16 अगस्त से 22 अगस्त के बीच में कुछ 22 प्रॉपगैंडा लेख प्रकाशित किए हैं। इनमें से अधिकतर पोस्टर की शक्ल में हैं। इन पोस्टरों को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म टेलीग्राम और आईएसआईएस के समर्थन वाले सर्वर रॉकेटचैट पर शेयर किया गया है। शिया हजारा के साथ तालिबान के सुलह पर भी भड़का आईएसआईएस के समर्थक तालिबान पर अफगानिस्तान के अल्पसंख्यक शिया हजारा समुदाय के साथ सुलह पर भी आक्रोश जताया है। आईएसआईएस शिया हजारा समुदाय को गैर इस्लामिक और विधर्मी बताता रहा है। पाकिस्तान और अफगानिस्तान में रहने वाले इन अल्पसंख्यक लोगों पर आईएसआईएस कई बार हमले भी कर चुका है। अफगानिस्तान में तालिबान-ISIS में खटपट अफगानिस्तान में सरकार बनाने जा रहे तालिबान को सबसे ज्यादा खतरा आईएसआईएस से लग रहा है। अगर अफगानिस्तान में इस्लामिक स्टेट का प्रभाव बढ़ता है तो इससे तालिबान का असर कम होगा। दूसरा, तालिबान अफगान धरती पर आईएसआईएस को रोककर दुनिया को यह संदेश देने की कोशिश भी कर सकता है कि वह आतंकी संगठनों को अब पनाह नहीं दे रहा। आईएसआईएस बढ़ाना चाहता है अपना प्रभाव दुनिया में इस समय केवल तालिबान की ही चर्चा हो रही है। इससे आईएसआईएस को अपने अस्तित्व का खतरा महसूस हो रहा है। डर को बेचने वाला यह आतंकी समूह हर हाल में तालिबान को नीचा दिखाने की कोशिश में जुटा है। 1999 में स्थापित हुए आईएसआईएस को दुनिया ने 2014 के बाद से ही जानना शुरू किया। इससे पहले सीरिया, इराक या बाकी दूसरे देशों में इसका प्रभाव नहीं था।


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