नैरोबी एशिया के बाद अफ्रीकी देशों को अपने आर्थिक कूटनीति की जाल में फंसाने की कोशिश कर रहे चीन को तगड़ा झटका लगने वाला है। डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो की सरकार ने चीन के साथ लगभग 44 हाजर करोड़ की माइनिंग डील की समीक्षा करनी शुरू कर दी है। कांगो के वित्त मंत्री निकोलस काजादी ने बताया कि सरकार चीनी निवेशकों के साथ किए गए माइनिंग अनुबंधों की समीक्षा कर रही है। यह सौदा 6 बिलियन डॉलर का है जिसे इंफ्रास्ट्रक्चर-फॉर-मिनिरल्स डील नाम दिया है। कांगो सरकार ने बैठाई जांच आयोग राष्ट्रपति फेलिक्स त्सेसीकेदी ने मई में कहा था कि कुछ खनन अनुबंधों की समीक्षा की जा सकती है क्योंकि वे कांगो को पर्याप्त रूप से लाभान्वित नहीं कर रहे हैं। कांगो कोबाल्ट का दुनिया का सबसे बड़ा उत्पादक और अफ्रीका का तांबे का प्रमुख खननकर्ता है। इसी कारण चीन कई साल से इस देश पर अपनी लालच वाली नजरें गड़ाए हुए है। 2007 में कांगो ने चीन के साथ किया था सौदा कांगो की सरकार ने इस महीने घोषणा की थी कि उसने चीन मोलिब्डेनम के बड़े पैमाने पर टेनके फंगुरुमे कॉपर एंड कोबाल्ड माइन में भंडार और संसाधनों का पुनर्मूल्यांकन करने के लिए एक आयोग का गठन किया था। इसके जरिए सरकार अपने अधिकारों का दावे को मजबूत करना चाहती है। वित्त मंत्री निकोलस काजादी ने एक इंटरव्यू में कहा था कि 2007 का सौदा चीनी राज्य के स्वामित्व वाली कंपनियों सिनोहाइड्रो कॉर्प और चाइना रेलवे ग्रुप लिमिटेड के साथ हुआ था। चीनी कंपनियों ने साधी चुप्पी कांगो सरकार के इस ऐलान पर सिनोहाइड्रो और चाइना रेलवे ने रॉयटर्स के सवाल पर कोई टिप्पणी नहीं की है। सिकोमाइन कॉपर और कोबाल्ट ज्वाइंट वेंचर के उप महानिदेशक एली त्सिंगुली ने भी कोई जबाव नहीं दिया है। इस ज्वाइंट वेंचर का अधिकतर स्वामित्व चीन की सरकारी कंपनी सिनोहाइड्रो और चाइना रेलवे के पास ही है। चीन ने अनुबंध की शर्तों का किया उल्लंघन कांगो की पूर्ववर्ती सरकार में राष्ट्रपति जोसेफ कबीला ने चीन की सिनोहाइड्रो और चाइना रेलवे को सिकोमाइन वेंचर में 68 फीसदी की हिस्सेदारी दी थी। इसके बदले चीनी कंपनियों ने कांगो में सड़कों और अस्पतालों के निर्माण पर सहमति जताई थी। यह सौदा तब पूर्व राष्ट्रपति कबीला की विकास योजना का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा था। लेकिन आलोचकों का कहना है कि चीन ने वादा किए गए कुछ बुनियादी ढांचा परियोजनाओं को पूरी तरह से नजरअंदाज किया है। अफ्रीकी देशों में भारी निवेश कर रहा चीन साल 2020 में जब पूरी दुनिया कोरोना वायरस महामारी की मार से परेशान थी, तब चीन ने अफ्रीका के कई देशों में 33 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा का निवेश किया था। चीन की चाल का अंदाजा इससे ही लगाया जा सकता है कि वह अफ्रीका में तेल, गैस और खनिज के उत्पादक देशों में ही कई परियोजनाओं में निवेश कर रहा है। नाइजीरिया को सबसे ज्यादा दिया कर्ज पिछले साल चाइना डेवलपमेंट बैंक (CDB) और एक्सपोर्ट-इंपोर्ट बैंक ने नाइजीरिया में अजोकुता-कडुना-कानो नेचुरल गैस पाइपलाइन प्रोजक्ट में कम से कम 3.1 बिलियन डॉलर का निवेश किया हुआ है। 2019 की अपेक्षा साल 2020 में चीन ने ऊर्जा परियोजनाओं में अपना निवेश कम से कम 43 फीसदी कम किया है। हालांकि, इसका कारण कोरोना वायरस महामारी को बताया जा रहा है। महामारी के कारण अफ्रीकी देश में प्रोजक्ट्स के काम ठप पड़ गए थे वहीं चीन को अपने भी देश में स्वास्थ्य पर खर्च करना था। इन अफ्रीकी देशों में चीन ने लगाया है पैसा चीन की चाइना डेवलपमेंट बैंक (सीडीबी) और एक्सपोर्ट-इम्पोर्ट बैंक ऑफ चाइना (एक्जिम बैंक) आइवरी कोस्ट और रवांडा में हाइड्रो पावर स्टेशन और लेसोथो में सोलर फैसिलिटी के लिए बड़े पैमाने पर निवेश कर रही हैं। इन देशों के अलावा, चीन के इन दो सरकारी बैंकों ने बांग्लादेश, पाकिस्तान, कंबोडिया और सर्बिया में भी अरबों डॉलर के प्रोजक्ट को फाइनेंस किया हुआ है। इस राशि का बड़ा हिस्सा चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के महत्वकांक्षी प्रोजक्ट बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव के साथ जुड़ा हुआ है।
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