Tuesday 31 August 2021

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काबुल काबुल एयरपोर्ट से आखिरी अमेरिकी सैनिक की वापसी के बाद अफगानिस्‍तान में करीब 20 साल से चली आ रही महाजंग का खात्‍मा हो गया है। तालिबान और अमेरिका के बीच इस लड़ाई में अमेरिका को सबसे शर्मनाक हार का स्‍वाद चखना पड़ा है। तालिबान का दावा है कि उसे इस जंग में जीत हासिल हुई है लेकिन हकीकत कुछ और है। अमेरिका के इस सबसे लंबे समय तक चले युद्ध से जिसे जीत हासिल हुई है, वह है चीनी ड्रैगन। आइए समझते हैं कि अफगानिस्‍तान के इस युद्ध का असली विजेता चीन क्‍यों है..... विशेषज्ञों का कहना है कि अमेरिकी सेना अपने आखिरी अफगान गढ़ काबुल एयरपोर्ट से चली गई है लेकिन 9/11 हमले के बाद आतंकवाद के खिलाफ 20 साल तक चली इस महाजंग का असली विजेता चीन है। उनका कहना है कि इस जंग में अमेरिका ने सैन्‍य अभियानों पर एक ट्रिल्‍यन डॉलर खर्च किया। इसके अलावा लोन और अन्‍य खर्चों को मिला दिया जाए तो अमेरिका ने कुल 2.26 ट्रिल्‍यन डॉलर अफगानिस्‍तान में खर्च किए। आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में 6.4 ट्रिल्‍यन डॉलर खर्च ये सभी आंकड़े ब्राउन यूनिवर्सिटी की ओर से जारी किए गए हैं। इसके अलावा इराक में अमेरिका ने करीब दो ट्रिल्‍यन डॉलर सद्दाम हुसैन की सत्‍ता खत्‍म करने में खर्च कर दिए। आतंकवाद के खिलाफ इस लड़ाई में अब तक अमेरिका के करीब 7 हजार सैनिक और 8 हजार अमेरिकी सैन्‍य कॉन्‍ट्रैक्‍टर मारे गए हैं। इस तरह से अमेरिका ने पिछले 20 वर्षों में आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में 6.4 ट्रिल्‍यन डॉलर खर्च किए हैं। इनमें से ज्‍यादातर पैसा लोन के जरिए आया था जिससे आने वाले अमेरिकी बजट में इसको चुकाने का दबाव बना रहेगा। अफगानिस्‍तान और इराक में इन 20 वर्षों की लड़ाई के दौरान अमेरिका बुरी तरह से फंसा रहा। उधर चीनी ड्रैगन बहुत तेजी से बिना किसी रोक-टोक के अपना विकास करता रहा। आज चीन इतना ज्‍यादा शक्तिशाली हो चुका है कि वह दक्षिण चीन सागर से लेकर हिंद महासागर तक अमेरिकी दबदबे को चुनौती दे रहा है। चीन की नौसेना अमेरिकी नौसेना से ज्‍यादा बड़ी हो गई है। इसी ताकत के बल पर अब चीन दक्षिणी चीन सागर में अमेरिकी युद्धपोतों को तबाह करने की धमकी देता रहता है। साथ ही ताइवान पर जबरन कब्‍जा करना चाहता है। चीन से निपटने की तैयारी में लगे अमेरिकी राष्‍ट्रपति बाइडन अमेरिका सूत्रों के मुताबिक बाइडन प्रशासन अब चीन की धमकियों से निपटने के लिए एशिया प्रशांत क्षेत्र पर फोकस करना चाहता है। दरअसल, ताइवान को लेकर अमेरिका और चीन के बीच जंग का खतरा बढ़ता जा रहा है। इसी वजह से बाइडन प्रशासन अपनी सेना का आधुनिकीकरण तेज करना चाहते हैं। माना जारहा है कि अमेरिका के अफगानिस्‍तान से निकलने की सबसे बड़ी वजह चीन ही है। हालांकि अमेरिका के इस फैसले से भी चीन का फायदा होता दिख रहा है। चीन अब अफगानिस्‍तान के एक ट्रिल्‍यन डॉलर के खनिजों पर आर्थिक कब्‍जा कर सकेगा। साथ ही अपने बेल्‍ट एंड रोड प्रॉजेक्‍ट को मध्‍य एशिया तक आसानी से बढ़ा सकेगा। इस काम में उसे तालिबान के दोस्‍त पाकिस्‍तान का भी पूरा साथ मिलेगा।


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