Wednesday, 17 November 2021

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वॉशिंगटन अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने चेतावनी दी है कि धरती के पास से एक विशाल ऐस्‍टरॉइड गुजरने जा रहा है। इस ऐस्‍टरॉइड का नाम 3361 ऑरफेअस है। बताया जा रहा है कि यह आकाशीय चट्टान 984 फुट चौड़ी है जो लंदन के बिग बेन से तीन गुना बड़ी है। नासा इस ऐस्‍टरॉइड पर पैनी नजर बनाए हुए है और माना जा रहा है कि यह रविवार को धरती के पास से गुजरेगी। नासा ने कहा है कि यह ऐस्‍टरॉइड धरती के पास जरूर आ रहा है लेकिन इससे घबराने की जरूरत नहीं है। उसने बताया कि यह ऐस्‍टरॉइड धरती से 35 लाख मील की दूरी से गुजर जाएगा। नासा का मानना है कि कोई भी चीज जो 12 करोड़ मील के अंदर से गुजर रही है, वह धरती के पास का ऑब्‍जेक्‍ट है। नासा ऐसे हजारों अंतरिक्ष की चट्टानों पर नजर रखती है जो धरती के पास आते हैं। 22 ऐसे ऐस्टरॉइड्स हैं जिनके पृथ्वी से टकराने की आशंका यही नहीं नासा कोई भी ऐसी तेजी से आती चीज के धरती के 46 लाख मील के इलाके में आने पर उसे धरती के लिए खतरनाक मानती है। इन विशाल चट्टानों के परिक्रमा पथ में हल्‍का सा भी बदलाव होने पर वे धरती से टकरा सकती हैं और तबाही मच सकती है। ऐस्‍टरॉइड 3361 Orpheus करीब 30 हजार किमी प्रतिघंटे की रफ्तार से धरती की ओर आ रहा है। माना जा रहा है कि यह 21 नवंबर को धरती के पास से गुजरेगा। नासा इन दिनों दो हजार ऐस्‍टरॉइड पर नजर रखे हुए है जो धरती के लिए खतरा बन सकते हैं। अगर किसी तेज रफ्तार स्पेस ऑब्जेक्ट के धरती से 46.5 लाख मील से करीब आने की संभावना होती है तो उसे स्पेस ऑर्गनाइजेशन्स खतरनाक मानते हैं। NASA का Sentry सिस्टम ऐसे खतरों पर पहले से ही नजर रखता है। इसमें आने वाले 100 सालों के लिए फिलहाल 22 ऐसे ऐस्टरॉइड्स हैं जिनके पृथ्वी से टकराने की थोड़ी सी भी आशंका है। क्या होते हैं Asteroids? ऐस्टरॉइड्स वे चट्टानें होती हैं जो किसी ग्रह की तरह ही सूरज के चक्कर काटती हैं लेकिन ये आकार में ग्रहों से काफी छोटी होती हैं। हमारे सोलर सिस्टम में ज्यादातर ऐस्टरॉइड्स मंगल ग्रह और बृहस्पति यानी मार्स और जूपिटर की कक्षा में ऐस्टरॉइड बेल्ट में पाए जाते हैं। इसके अलावा भी ये दूसरे ग्रहों की कक्षा में घूमते रहते हैं और ग्रह के साथ ही सूरज का चक्कर काटते हैं। करीब 4.5 अरब साल पहले जब हमारा सोलर सिस्टम बना था, तब गैस और धूल के ऐसे बादल जो किसी ग्रह का आकार नहीं ले पाए और पीछे छूट गए, वही इन चट्टानों यानी ऐस्टरॉइड्स में तब्दील हो गए। यही वजह है कि इनका आकार भी ग्रहों की तरह गोल नहीं होता। कोई भी दो ऐस्टरॉइड एक जैसे नहीं होते हैं।


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