
ब्रसेल्स यूरोपीय यूनियन (ईयू) ने टिड्डी को स्वीकृत भोजन की सूची में शामिल कर लिया है। यह दूसरा मौका है, जब यूरोपीय यूनियन ने कहा है कि कीड़े-मकोड़े इंसानों के भोजन के रूप में सुरक्षित हैं। इसी साल जून में ईयू ने बीटल के यलो मीलवर्म लार्वा को खाने के लिए अधिकृत किया था। अब हाउस क्रिकेट नाम के कीट को भी जल्द ही इंसानों के भोजन की सूची में शामिल किया जा सकता है। टिड्डियों को ऐसे खाया जा सकता है यूरोपीय आयोग ने टिड्डियों को मानव भोजन के रूप में अधिकृत करने के बाद कहा कि इसे नाश्ते के रूप में या भोजन के रूप में खाया जा सकता है। इसके अलावा टिड्डियों के पंखों और पैरों को हटाकर सूखे या फ्रोजन फॉर्म मे भी इस्तेमाल किया जा सकता है। आयोग ने यह भी सुझाव दिया है कि इनका पाउडर बनाकर भी खाया जा सकता है। यूरोपियन फूड सेफ्टी अथॉरिटी ने भी दी मंजूरी यूरोपियन फूड सेफ्टी अथॉरिटी ने कहा कि कीट प्रजाति के वयस्क टिड्डों को बिना किसी सुरक्षा की चिंता किए खाने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। इनमें हाई प्रोटीन पाया जाता है। आयोग ने यह भी कहा कि अगर किसी को क्रस्टेशियंस, माइट्स और मोलस्क से एलर्जी है, तो वे लोग इसका सेवन न करें। इसे खाने से उन लोगों को एलर्जी हो सकती है। फूड एग्रीकल्चर ऑर्गनाइजेशन ने बताया पौष्टिक टिड्डियों को खाने के रूप में मान्यता नीदरलैंड स्थित फेयर इनसेक्ट्स बीवी के आवेदन पर दिया गया है। यह फर्म मीलवर्म, टिड्डियों और हाउस क्रिकेट नाम के कीड़ों का उत्पादन करती है। इन कीड़ों का उत्पादन मुख्य रूप से पालतू जानवरों और मुर्गियों के दानों के लिए किया जाता है। फूड एग्रीकल्चर ऑर्गनाइजेशन ने इन कीड़ों की उच्च वसा, प्रोटीन, विटामिन, फाइबर और खनिज सामग्री के साथ अत्यधिक पौष्टिक और स्वस्थ खाद्य स्रोत के रूप में पहचान की है। फसलों को नुकसान पहुंचाता है टिड्डियों का हमला भारत, पाकिस्तान सहित दुनिया के कई देशों में हर साल टिड्डियों के हमलों से हजारों एकड़ फसलें खराब हो जाती हैं। Desert locust या टिड्डी जब एक समूह में होते हैं तो उनका व्यवहार बदल जाता है। एक घंटे में टिड्डी दल 16-19 किलोमीटर की दूरी तय कर सकता है। हवा साथ दे तो और दूर भी जा सकते हैं। एक एडल्ट टिड्डी अपने वजन (2 ग्राम) के बराबर रोज खा सकती है। एक किलोमीटर के टिड्डी दल में करीब 4 करोड़ टिड्डियां होती हैं। वो एक दिन में उतना खा सकती हैं जिनता 35 हजार लोग एक दिन में खाएंगे। क्यों होता है टिड्डियों का हमला? टिड्डी दल ओमान के रेगिस्तानों में भारी बारिश के बाद तैयार होते हैं। हिंद महासागर में भी साइक्लोन आने से रेगिस्तान में बारिश होने लगी है, इस वजह से भी टिड्डियां पैदा होती हैं। भारत में अप्रैल महीने के बीच टिड्डियों ने राजस्थान में एंट्री की थी।
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