Saturday 13 November 2021

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लंदन कॉमेट 67पी बीते शुक्रवार (12 नवंबर) को पृथ्वी के सबसे करीब पहुंच गया था। फिलहाल इसे वैज्ञानिक दूरबीनों से देखा जा सकता है और अब अगले 200 सालों तक यह हमारी ग्रह की ओर नहीं आएगा। इसकी खोज 1969 में हुई थी और 2014 में पहली बार 67पी कॉमेट पर ही स्पेसक्राफ्ट ने लैंड किया था। रिपोर्ट्स के मुताबिक मंगल की कक्षा के भीतर यह शाम 7:50 बजे अपनी निकटतम दूरी पर पृथ्वी से 39 मिलियन मील (62.8 मिलियन किमी) की दूरी पर था। एस्ट्रोनॉमी नाउ ने अपनी रिपोर्ट में इसकी स्थिति को लेकर जानकारी दी। नौ दिन पहले कॉमेट सूर्य के चारों ओर अपनी अंडाकार कक्षा में सूर्य के निकटतम बिंदू पेरिहेलियन से गुजरा था। इस बिंदू पर कॉमेट सूर्य से लगभग 112 मिलियन मील (181 मिलियन किमी) दूर था। अर्थस्काई के अनुसार कॉमेट सूर्य के चारों ओर घूमते हुए अपनी परिक्रमा साढे़ छह सालों में पूरी करता है। अब 2214 में आएगा नजररिपोर्ट में कहा गया है कि अब इस कॉमेट का पथ पृथ्वी से अलग होना शुरू हो जाएगा और साल 2214 तक यह हमारे करीब से नहीं गुजरेगा। इसका मतलब है कि इस बेहद दुर्लभ दृश्य को देखने के लिए यह सबसे अच्छा समय है। माना जा रहा है कि यह पोलक्स तारे के करीब पाया जा सकता है। धूमकेतु 67पी 2014 में अंतरराष्ट्रीय मीडिया की सुर्खियों में आया था, जब रोसेटा नामक एक यूरोपीय मिशन ने सौर मंडल की 10 सालों की यात्रा के बाद इस बर्फीले पिंड का चक्कर लगाना शुरू किया था। दिसंबर 2014 में उतरा था स्पेसक्राफ्टरोसेटा ने सतह और उसके आसपास के परिवेश की माप और अवलोकन करते हुए ढाई साल से अधिक समय तक कॉमेट का चक्कर लगाया था। मिशन की विशेषता फिलै नामक स्पेसक्राफ्ट की लैंडिंग थी जिसे रोसेटा अपने साथ लाया था। दिसंबर 2014 में पहली बार किसी धूमकेतु पर कोई स्पेसक्राफ्ट लैंड कर पाया था। हालांकि उतरते समय इसे कुछ कठिनाइयों का सामना करना पड़ा था। पहले टचडाउन पर फिलै ने दो बार बाउंस किया और वैज्ञानिकों की ओर से चुनी गई जगह की तुलना में दूसरी जगह जाकर रुका।


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