Sunday, 14 November 2021

https://ift.tt/36CAGd7

त्रिपोली अफ्रीकी देश लीबिया में तानाशाह मुअम्मर अल-गद्दाफी का बेटा पहली बार सार्वजनिक तौर पर दिखाई दिया है। गद्दाफी की मौत के बाद से ही उसका बेटा सैफ अल-इस्लाम अल-गद्दाफी अंडरग्राउंड हो गया था। सामने आते ही गद्दाफी के बेटे ने लीबिया में अगले महीने होने वाले राष्ट्रपति चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया। उसने राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के रूप में पर्चा दाखिल भी किया। पारंपरिक परिधान में दिखा गद्दाफी का बेटा 49 साल का सैफ अल-इस्लाम अल-गद्दाफी पारंपरिक भूरे रंग का चोला और पगड़ी पहने दिखाई दिया। लीबियाई चुनाव आयोग के एक वीडियो में गद्दाफी का बेटा अधपकी दाढ़ी और चश्मा लगाए उम्मीदवारी के पर्चे पर हस्ताक्षर करता नजर आया। लीबिया में गद्दाफी की मौत के बाद से ही अराजकता फैली हुई है। अमेरिका समर्थित लीबियाई सरकार पर देश में महंगाई, भ्रष्टाचार को लेकर गंभीर आरोप लग चुके हैं। राष्ट्रपति चुनाव का प्रबल दावेदार है सैफ अल इस्लाम सैफ अल-इस्लाम अल-गद्दाफी को लीबिया के राष्ट्रपति चुनाव में सबसे प्रबल उम्मीदवार बताया जा रहा है। चुनाव लड़ने वाले दूसरे उम्मीदवारों में पूर्व सैन्य कमांडर खलीफा हफ्तार, प्रधान मंत्री अब्दुलहमीद अल-दबीबा और संसद अध्यक्ष अगुइला सालेह भी शामिल हैं। लीबिया में सैफ अल-इस्लाम अल-गद्दाफी को काफी रूतबा हासिल है। उसने 2011 में नाटो समर्थित सेना के हमले से पहले लीबिया में नियम-कानून बनाने में बड़ी भूमिका निभाई थी। लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से पढ़ा है गद्दाफी का बेटा लीबिया में राष्ट्रपति चुनाव के लिए 24 दिसंबर को वोट डाले जाएंगे। इसे लेकर अभी से देशभर में तैयारियां की जा रही हैं। हालांकि, कई स्थानीय और विदेशी संस्थाओं ने लीबिया में निष्पक्ष चुनाव होने पर संदेह जताया है। लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से पढ़ा हुआ सैफ अल इस्लाम धाराप्रवाह अंग्रेजी बोलता है। ऐसे में उसे पश्चिमी देशों का बाद में समर्थन भी हासिल हो सकता है। कौन था गद्दाफी कर्नल गद्दाफी का पूरा नाम मुअम्मर अल गद्दाफी था। इनका जन्म 7 जून 1942 को लीबिया के सिर्ते शहर में हुआ था। इनके जन्म के समय लीबिया इटली का उपनिवेश हुआ करता था। साल 1951 में लीबिया को पश्चिमी देशों के मित्र किंग इदरीस के नेतृत्व में स्वतंत्रता प्राप्त हुई थी। युवा काल में गद्दाफी अरब राष्ट्रवाद से बहुत प्रभावित था। इसके अलावा यह मिस्र के नेता गमाल अब्देल नासिर का भी बड़ा प्रशंसक था । साल 1961 में गद्दाफी ने बेनगाजी के सैन्य कॉलेज में प्रवेश लिया। इसके अलावा उसने यूनाइटेड किंगडम में चार महीने सैन्य प्रशिक्षण प्राप्त किया था। लीबियाई फौज में कई पदों पर किया काम सैन्य कॉलेज से स्नातक होने के बाद लीबिया की फौज में गद्दाफी ने कई उच्च पदों पर काम किया। लेकिन, इस दौरान उनका प्रशासक इदरीस के साथ मतभेद बढ़ने लगा। बाद में गद्दाफी सेना छोड़ सरकार के विरुद्ध काम करने वाले एक गुट में शामिल हो गया। 1 सितंबर 1969 को विद्रोहियों के नेतृत्व में लीबिया से राजा इदरीस की सत्ता को उखाड़ फेंका गया। उस समय इदरीस तुर्की में इलाज करवा रहे थे। इसके बाद गद्दाफी सशस्त्र बलों के प्रमुख और रिवोल्यूशनरी कमांड काउंसिल के अध्यक्ष के रूप में शपथ ली। राजा इदरीस को हटाकर बना नया शासक 27 साल की उम्र में लीबिया का शासक बन गया था। उसने पूरे देश पर सेना के माध्यम से नियंत्रण बना लिया। सत्ता संभालते ही गद्दाफी ने लीबिया में अमेरिकी और ब्रिटिश सैन्य ठिकानों को बंद करा दिया। उसका यह आदेश राजा इदरीस को पश्चिमी फौज के द्वारा मिल रही मदद के खिलाफ था। उसने यह आदेश भी जारी किया कि लीबिया में काम करने वाली सभी विदेशी तेल कंपनियां देश के साथ राजस्व का एक बड़ा हिस्सा साझा करें। गद्दाफी ने ग्रेगोरियन कैलेंडर को इस्लामी कैलेंडर के साथ बदल दिया और पूरे देश में शराब की बिक्री पर रोक लगा दी। अपने ही देश के लोगों ने गद्दाफी की हत्या कर दी 20 अक्टूबर 2011 को लीबिया के अधिकारियों ने बताया कि की मौत उसके गृहनगर सिर्ते में हुई। प्रारंभिक रिपोर्ट में कहा गया कि उसकी हत्या गोलियों से की गई है। जबकि बाद में अन्य लोगों ने दावा किया कि उसकी मौत नाटो के एक हवाई हमले में हुई है। एक वीडियो भी जारी की गई थी जिसमें गद्दाफी को कुछ लड़ाके घेर कर खड़े थे और वह खून व धूल से सना हुआ था। हालांकि इस वीडियो के सत्यता की पुष्टि नहीं हुई।


from World News in Hindi, दुनिया न्यूज़, International News Headlines in Hindi, दुनिया समाचार, दुनिया खबरें, विश्व समाचार | Navbharat Times https://ift.tt/3kyI27K
via IFTTT

No comments:

Post a Comment

https://ift.tt/36CAGd7

रियाद सऊदी अरब के नेतृत्‍व में गठबंधन सेना ने यमन की राजधानी सना में हूती विद्रोहियों के एक शिविर को हवाई हमला करके तबाह कर दिया है। सऊदी...