
बीजिंग भारत के खिलाफ जंगी तैयारी में जुटे चीनी ड्रैगन ने क्रूरता की सारी हदें पार कर दी है। चीन सिचुआन प्रांत से तिब्बत को जोड़ने के लिए रेलवे लाइन बना रहा है ताकि सैनिकों को तेजी से भारत की सीमा पर भेजा जा सके। इसके लिए वह तिब्बत के पठारी इलाके में अंडरग्राउंड टनल बनाने में लगा हुआ है। इस दौरान धरती के क्रस्ट से भारी गर्मी निकल रही है और पारा 89 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जा रहा है। आलम यह है कि इस गर्मी की वजह से मशीनें गल जा रही हैं, फिर भी ड्रैगन मजदूरों से काम ले रहा है। साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक ड्रैगन की इस क्रूरता में कई मजदूरों की हालत बहुत खराब हो जा रही है। उन्हें उल्टी, बेहोशी जैसी समस्याओं से जूझना पड़ रहा है। भीषण गर्मी की वजह से इस रेलवे लाइन के निर्माण का काम लगभग असंभव हो गया है। इसके बाद भी ड्रैगन भारत से जीतने के लिए इस रेलवे लाइन को बना रहा है। भूवैज्ञानिकों का कहना है कि किसी प्रॉजेक्ट के लिए इतने ज्यादा तापमान में काम करना अपने आप में रेकॉर्ड है। रेलवे लाइन को 40 बड़े फाल्ट लाइन से गुजरना है वैज्ञानिकों के मुताबिक यूरोशियाई पठार और भारतीय उपमहाद्वीप के बीच टक्कर से जब तिब्बत के पठार का जन्म हुआ था, उस समय बड़े पैमाने पर गर्मी धरती के क्रस्ट के अंदर फंस गई थी। 1543 किमी लंबी सिचुआन-तिब्बत रेलवे लाइन को 40 बड़े फाल्ट लाइन से गुजरना है। यह पहले किसी प्रॉजेक्ट में प्रयास की गई संख्या से ज्यादा है। जमीन के अंदर गर्मी का स्रोत होने से यह फाल्ट जोन में ऊपर की ओर आती है, इससे अक्सर जिओ थर्मल आपदा आती रहती है। वैज्ञानिकों ने इस गर्मी को कम करने के लिए कुछ उपाय किए हैं लेकिन मजदूरों पर अब इसे 2024 तक पूरा करने का दबाव बढ़ता जा रहा है। यह रेलवे लाइन चीन के बेहद अहम शहर चेंगदू को ल्हासा से जोड़ेगी। इस रेलवे लाइन के बनने से दोनों के बीच यात्रा समय एक सप्ताह से घटकर 12 घंटे हो जाएगा। इस दौरान ट्रेनों को 3 हजार मीटर की ऊंचाई पर खतरनाक पहाड़ी इलाकों से गुजरना होगा जिसका निर्माण भूकंप, भूस्खलन, बर्फ और बाढ़ से हुआ है। भीषण गर्मी की वजह से मजदूरों के सीने में दर्द, उल्टी चीन ने साल 2014 से इस रेलवे लाइन का काम शुरू किया था। यह लगभग पूरा रास्ता ही पुलों और सुरंगों पर बना है। इसके रास्ते में 8 ऐसे पहाड़ हैं जो 4 हजार मीटर ऊंचे हैं। इंजीनियरों ने इसे इतिहास का सबसे चुनौतिपूर्ण प्रॉजेक्ट करार दिया है। इस परियोजना में लगे 70 फीसदी कर्मचारी शारीरिक परेशानियों से गुजर रहे हैं। उन्हें भीषण गर्मी की वजह से सीने में दर्द, उल्टी और अचेतावस्था का सामना करना पड़ रहा है। गर्मी इतनी ज्यादा है कि मजदूर केवल कुछ घंटे ही काम करने के लिए खड़े रह पाते हैं। करीब 80 डिग्री तापमान की वजह से मशीनें, ट्रक, बुलडोजर अक्सर खराब हो जा रहे हैं। कई बार पहाड़ों के फटने का खतरा पैदा हो जाता है जिससे वहां मौजूद हर आदमी की जान जाने का खतरा पैदा हो जाता है। इस रास्ते में 70 सुरंगे हैं जिसमें से सबसे लंबी सुरंग 40 किमी लंबी है। गर्मी कम करने के लिए इंजीनियरों ने विशाल पंखे लगाए हैं लेकिन वे नाकाफी हैं। ठंडे पानी का छिड़काव भी किया जा रहा है। कुछ घंटे में चीनी सैनिक भारतीय सीमा तक पहुंच जाएंगे चीन इस रेलवे के माध्यम से साउथ एशिया में अपना प्रभाव बढ़ाना चाहता है। सिचुआन में चीनी सेना के पश्चिमी थिएटर कमांड का मुख्यालय है और काफी घना बसा हुआ समृद्ध शहर है। इसी पश्चिमी थिएटर कमांड के सैनिक भारतीय सीमा पर तैनात हैं। चीनी सेना के विशेषज्ञों का कहना है कि इस रेलवे लाइन के बनने के बाद मात्र कुछ घंटे में चीनी सैनिक भारतीय सीमा तक पहुंच जाएंगे।
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