Tuesday 19 January 2021

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अगस्त 2017 में धरती के वैज्ञानिक दो न्यूट्रॉन सितारों की टक्कर होने की दुर्लभ घटना के गवाह बने थे। इससे गुरुत्वाकर्षण तरंगें पैदा हुईं और बड़े स्तर पर अलग-अलग तरह की लाइट भी उत्सर्जित हुई। यह लाइट लेजर इंटरफेरोमीटर ग्रैविटेशनल वेव ऑब्जर्वेटरी (LIGO) ने डिटेक्ट की। इस दौरान मिलीं एक्स-रे आज वैज्ञानिकों के लिए पहेली बन गई हैं। दरअसल, 13 करोड़ प्रकाशवर्ष दूर से आने वाली ये रेज 6 महीने बाद भी अपने चरम पर रिकॉर्ड की गईं और हाल ही में दर्ज किए गए ऑब्जर्वेशन्स के मुताबिक अब तक इनमें बदलाव नहीं देखा गया है। न्यूट्रॉन स्टार किसी विशाल सितारे के मरने के बाद बची कोर होती है।

Neutron Star Collision: दो न्यूट्रॉन सितारों की टक्कर के दौरान निकलीं एक्स-रे आज भी वैज्ञानिकों को मिल रही हैं। इससे उनके सामने पहेली खड़ी हो गई है कि ऐसा मुमकिन कैसे है?


दो मरते सितारों की टक्कर से निकलीं X-Rays अब तक क्यों नहीं पड़ीं धीमी? कहीं ब्लैक होल तो नहीं?

अगस्त 2017 में धरती के वैज्ञानिक दो न्यूट्रॉन सितारों की टक्कर होने की दुर्लभ घटना के गवाह बने थे। इससे गुरुत्वाकर्षण तरंगें पैदा हुईं और बड़े स्तर पर अलग-अलग तरह की लाइट भी उत्सर्जित हुई। यह लाइट लेजर इंटरफेरोमीटर ग्रैविटेशनल वेव ऑब्जर्वेटरी (LIGO) ने डिटेक्ट की। इस दौरान मिलीं एक्स-रे आज वैज्ञानिकों के लिए पहेली बन गई हैं। दरअसल, 13 करोड़ प्रकाशवर्ष दूर से आने वाली ये रेज 6 महीने बाद भी अपने चरम पर रिकॉर्ड की गईं और हाल ही में दर्ज किए गए ऑब्जर्वेशन्स के मुताबिक अब तक इनमें बदलाव नहीं देखा गया है। न्यूट्रॉन स्टार किसी विशाल सितारे के मरने के बाद बची कोर होती है।



हल्की नहीं पड़ीं एक्स-रे
हल्की नहीं पड़ीं एक्स-रे

यूनिवर्सिटी ऑफ मैरीलैंड और NASA के गॉडार्ड स्पेस फ्लाइट सेंटर में ऐस्ट्रोफिजिसिस्ट इलियनॉरा त्रोहा के मुताबिक इसके लिए तैयार किए गए मॉडल ऑब्जर्वेशन को सटीकता से बता रहे थे जिससे माना जा रहा था कि इस घटना का असर धीरे-धीरे हल्का पड़ने लगेगा लेकिन सबसे हालिया ऑब्जर्वेशन से यह साफ है कि ऐसा नहीं हुआ। NASA की चंद्र एक्स-रे ऑब्जर्वेटरी ने पाया कि अभी तक इसका स्रोत वैसे ही चमक रहा है जैसे पहले था।



आखिर हुआ क्या था?
आखिर हुआ क्या था?

रिसर्चर्स का कहना है कि अभी यह बताना जल्दबाजी होगी कि आखिर हुआ क्या है लेकिन दो संभावनाएं जताई जा रही हैं। पहली यह कि ये एक्स-रे रेडियो लाइट के साथ मिल सकती हैं। इससे वैज्ञानिकों को एक 'किलोनोवा' विस्फोट के बारे में पता चल सकता है जो पहले कभी देखा नहीं गया है। यह नए तरीके का खगोलीय स्रोत होगा। अगर एक्स-रे उत्सर्जन जारी रहता है लेकिन रेडियो उत्सर्जन नहीं होता है तो और भी ज्यादा जटिल जवाब सामने आ सकता है। हो सकता है कि दो न्यूट्रॉन सितारों की टक्कर में अब तक खोजा गया सबसे महाविशाल न्यूट्रॉन स्टार पैदा हुआ हो।



कहीं ब्लैक होल तो नहीं?
कहीं ब्लैक होल तो नहीं?

घटना के बाद वैज्ञानिकों ने दोनों न्यूट्रॉन स्टार्स का द्रव्यमान कैलकुलेट किया और विस्फोट के बाद उनके बचे हुए टुकड़ों का भी। यह अब तक खोजे गए सबसे विशाल न्यूट्रॉन स्टार और सबसे छोटे ब्लैकहोल के बराबर पाया गया जिससे रिसर्चर्स हैरान रह गए हैं। इस बारे में और ज्यादा ऑब्जर्वेशन और डेटा की मदद से इस सवाल का जवाब खोजा जा सकता है। अगर इस स्रोत से एक्स-रे आती हैं तो यह ब्लैक होल नहीं होगा। टक्कर के नतीजों से वैज्ञानिकों को पता चल सकता है कि बेहद घने न्यूट्रॉन सितारों में मैटर कैसे विकसित होता है?





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