रियो डी जेनेरियो ब्राजील के राष्ट्रपति ने आशंका जताई है कि कोरोना वायरस अब जिंदगी भर हमारे साथ रहेगा। उन्होंने ब्राजील के स्थानीय नेताओं से अपील करते हुए कहा कि लोग सामाजिक दूरी यानी सोशल डिस्टेंसिंग को छोड़ वायरस के साथ जीना सीख लें। हालांकि, उनके इस बयान को लेकर स्वास्थ्य विशेषज्ञों और विपक्षी नेताओं ने विरोध जताया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन अब भी लोगों से अब भी सोशल डिस्टेंसिंग को बनाए रखने का आग्रह किया है। वैक्सीनेशन की धीमी रफ्तार से निशाने पर बोलसोनारो बोलसोनारो खुद कोरोना वायरस से संक्रमित हो चुके हैं। संक्रमण के दौरान बोलसोनारो ने कई बार सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं किया था। इतना ही नहीं, उस समय तो उन्होंने ऐलान किया था कि वे कोरोना की वैक्सीन भी नहीं लगवाएंगे। वर्तमान में कोरोना टीकाकरण की धीमी रफ्तार के लिए उनकी पूरे देश में आलोचना हो रही है। कोरोना संक्रमण से मरने वाले लोगों की तादाद के मामले में ब्राजील अमेरिका के बाद दूसरे स्थान पर है। बोलसोनारो ने किया वैक्सीनेशन अभियान का बचाव सोशल मीडिया पर अपने साप्ताहिक लाइव वेबकास्ट में उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस का मुद्दा अब जीवनभर चलता रहेगा। बोलसोनारो ने टीकाकरण अभियान की धीमी रफ्तार की बचाव करते हुए कहा कि यूरोप और दक्षिण अमेरिका के कुछ देशों में टीके नहीं हैं। हम जानते हैं कि मांग अधिक है। हमने विभिन्न कंपनियों के साथ पिछले सितंबर से सौदों और अनुबंधों पर हस्ताक्षर किए हैं और टीके आने शुरू हो रहे हैं। जल्द ही वे कम समय में पूरी आबादी तक पहुंच जाएंगे। भारत ने ब्राजील को दी है वैक्सीन की 20 लाख डोज भारत ने कोरोना वायरस वैक्सीन की 20 लाख डोज ब्राजील को भेजी है। 23 जनवरी को एस्ट्राजेनेका और ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय द्वारा विकसित टीके की डोज साओ पाउलो पहुंचे थे। जिसके बाद बोलसोनारो ने संजीवनी बूटी लेकर जाते हुए हनुमानजी की तस्वीर ट्वीट करते हुए पीएम मोदी और भारत को धन्यवाद दिया था। इससे पहले भारत ने ब्राजील की मांग पर हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन की टेबलेट्स की भी सप्लाई की थी। 20 लाख वैक्सीन ब्राजील के लिए नाकाफी ब्राजील के जन स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक भारत से आई टीके की 20 लाख खुराक जरूरत के लिहाज से बहुत ही कम है। उन्होंने कहा कि 21 करोड़ की आबादी वाले देश में पहले ये टीके प्राथमिकता समूहों के लोगों को लगाए जाएंगे जिसके लिए अधिक खुराकों की आवश्यकता होगी, लेकिन एशिया से कच्चे माल की खेप आने में विलंब हो रहा है।
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