Friday 29 January 2021

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नई दिल्ली/तेल अवीव दिल्ली में इजरायली दूतावास के बाहर हुए आईईडी ब्लास्ट से शक की सुई फिर से ईरान की तरफ उठ गई है। भारत इजरायल राजनयिक संबंध की 29वीं वर्षगांठ पर हुए इस हमले ने कई सवाल भी खड़े कर दिए हैं। दूतावास के बाहर हुए आईईडी ब्लास्ट ने फिर से 2012 की घटना की याद ताजा कर दी है। तब इजरायल के एक राजनयिक की कार को प्रधानमंत्री आवास के पास धमाके से उड़ा दिया गया था। ठीक वैसा ही वाकया शुक्रवार को भी इजरायली दूतावास के बाहर देखने को मिला है। बताया जा रहा है कि इस धमाके में दूतावास के बाहर खड़ी कई गाड़ियों के शीशे टूट गए। मौके पर पहुंची स्पेशल सेल ने घटना की जांच भी शुरू कर दी है। क्या हुआ था 2012 में? फरवरी 2012 में इजरायली दूतावास की एक कार को तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के दिल्ली आवास के पास विस्फोट करके उड़ा दिया गया था। दावा किया गया था कि राजदूत की कार जब सिग्न पर खड़ी थी तभी मोटरसाइकिल सवार हमलावर ने कार पर विस्फोटक चिपका दिया था। उसके वहां से निकलने के कुछ सेकेंड बाद ही कार में विस्फोट हो गया। जिसमें कार में सवार एक इजरायली राजनयिक की पत्नी येहोशुआ कोरेन गम्भीर रूप से घायल हो गईं थी। राजनयिक कार का नम्बर 109 सीडी 35 था और वह बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई थी। इसी दिन इजरायल के कई अन्य दूतावासों पर भी हुआ था हमला इसी दिनजॉर्जिया की राजधानी तिब्लिसी में भी इजरायली दूतावास के बाहर विस्फोटक बरामद हुआ थी। जिसे सुरक्षाबलों ने निष्क्रिय कर दिया था। इतना ही नहीं, कुछ दिनों पहले थाईलैंड और अजरबैजान में भी इजरायली दूतावास को निशाना बनाया गया था। थाईलैंड पुलिस ने तो धमाके को लेकर ईरान के एक नागरिक को गिरफ्तार भी किया था। हालांकि ईरान ने दिल्ली हमले में अपना हाथ होने से साफ इनकार कर दिया था। ईरान-इजरायल में इतनी गहरी दुश्मनी क्यों? 1979 में ईरानी क्रांति के बाद से इजरायल को खत्म करने की मांग उठती रही है। दरअसल, ईरान को इजरायल के अस्तित्व पर ही आपत्ति है। उसके कट्टर धार्मिक नेताओं का कहना है कि इजरायल ने गलत तरीके से मुस्लिम जमीन पर कब्जा किया है। इसी कारण से इजरायल भी ईरान को अपने लिए संकट मानता है। उसने हमेशा ईरान के परमाणु हथियारों से लैस होने का विरोध किया है। उसके नेताओं के लिए ईरान का मध्यपूर्व में विस्तार चिंता का कारण रहा है। यही कारण है कि इजरायल ईरान के परमाणु प्रोग्राम पर न सिर्फ नजर रखता है बल्कि 2018 में नेतन्याहू ने बताया था कि उनके हाथ इससे जुड़े हजारों दस्तावेज लगे हैं जिन्हें उन्होंने ईरान का 'अटॉमिक आर्काइव' बताया था। ईरानी परमाणु वैज्ञानिक की हत्या के बाद से बढ़ा तनाव ईरान के परमाणु कार्यक्रम के जनक मोहसिन फखरीजादेह (Mohsen Fakhrizadeh) की हत्या के बाद फिर इजरायल के साथ उसकी दुश्मनी दुनिया के सामने खुलकर आई थी। ईरान के विदेश मंत्री ने सीधे कहा था कि ईरान का दुश्मन इजरायल इस घटना के पीछे है। खास बात यह है कि इससे पहले भी ईरान के परमाणु कार्यक्रम से जुड़े वैज्ञानिकों की इस तरह हत्या की जाती रही है।


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