तेल अवीव दिल्ली में दूतावास के बाहर हुए धमाके की गूंज अब इजरायल में भी सुनाई दे रही है। इजरायली विदेश मंत्रालय ने इस घटना को आतंकी वारदात करार दिया है। वहीं दिल्ली पुलिस ने दावा किया है कि किसी ने सनसनी पैदा करने के लि शरारत की है। इस बीच भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने इजरायली विदेश मंत्री गाबी अश्केनजी से बात कर इजरायली राजनयिकों के लिए पूरी सुरक्षा का आश्वासन दिया है। उन्होंने कहा कि मामले की जांच की जा रही है और किसी भी दोषी को छोड़ा नहीं जाएगा। इजरायली मिशनों की सुरक्षा बढ़ाई गई इजरायली विदेश मंत्रालय ने यह भी कहा कि इस घटना को लेकर विदेश मंत्री गाबी अश्केनजी को नियमित रूप से अपडेट किया जा रहा है। उन्होंने सभी आवश्यक सुरक्षा कदम उठाने का आदेश दिया है। जिसके बाद से सभी देशों में इजरायली दूतावासों की सुरक्षा को बढ़ा दिया गया है। मंत्रालय ने यह भी कहा कि इस विस्फोट में किसी को भी चोट नहीं पहुंची है। इस घटना की जांच भारतीय अधिकारी कर रहे हैं और इजरायल के अधिकारी भी भारत के साथ संपर्क में है। दिल्ली पुलिस ने क्या कहा? दिल्ली पुलिस ने बताया कि यह बहुत ही कम क्षमता का आईईडी विस्फोट है... घटना में कोई भी व्यक्ति हताहत नहीं हुआ है। नजदीक में खड़े तीन वाहनों के शीशों को छोड़कर किसी संपत्ति को भी नुकसान नहीं हुआ। पुलिस के अनुसार, प्रारंभिक जांच के बाद ऐसा प्रतीत होता है कि किसी ने सनसनी पैदा करने के लिये यह शरारत की है। घटनास्थल से कुछ ही किलोमीटर दूर 'बीटिंग रिट्रीट' कार्यक्रम चल रहा था। 2012 में भी इजरायली राजनयिक पर हो चुका है हमला दूतावास के बाहर हुए आईईडी ब्लास्ट ने फिर से 2012 की घटना की याद ताजा कर दी है। तब इजरायल के एक राजनयिक की कार को प्रधानमंत्री आवास के पास धमाके से उड़ा दिया गया था। दावा किया गया था कि राजदूत की कार जब सिग्न पर खड़ी थी तभी मोटरसाइकिल सवार हमलावर ने कार पर विस्फोटक चिपका दिया था। उसके वहां से निकलने के कुछ सेकेंड बाद ही कार में विस्फोट हो गया। जिसमें कार में सवार एक इजरायली राजनयिक की पत्नी येहोशुआ कोरेन गम्भीर रूप से घायल हो गईं थी। ईरान-इजरायल में इतनी गहरी दुश्मनी क्यों? 1979 में ईरानी क्रांति के बाद से इजरायल को खत्म करने की मांग उठती रही है। दरअसल, ईरान को इजरायल के अस्तित्व पर ही आपत्ति है। उसके कट्टर धार्मिक नेताओं का कहना है कि इजरायल ने गलत तरीके से मुस्लिम जमीन पर कब्जा किया है। इसी कारण से इजरायल भी ईरान को अपने लिए संकट मानता है। उसने हमेशा ईरान के परमाणु हथियारों से लैस होने का विरोध किया है। उसके नेताओं के लिए ईरान का मध्यपूर्व में विस्तार चिंता का कारण रहा है। यही कारण है कि इजरायल ईरान के परमाणु प्रोग्राम पर न सिर्फ नजर रखता है बल्कि 2018 में नेतन्याहू ने बताया था कि उनके हाथ इससे जुड़े हजारों दस्तावेज लगे हैं जिन्हें उन्होंने ईरान का 'अटॉमिक आर्काइव' बताया था।
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