Tuesday, 2 February 2021

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पेइचिंग की सेना ने तख्तापलट करते हुए देश के शीर्ष नेताओं को जेल में डाल दिया। इस घटना की दुनियाभर में निंदा की गई और कानून के पालन की अपील की गई। वहीं, म्यांमार के पड़ोसी देश और उसमें निवेश करने वाले चीन को इससे ज्यादा फर्क पड़ता नहीं मालूम पड़ रहा है। यहां तक कि चीनी मीडिया ने तख्तापलट को 'एक बड़ा कैबिनेट फेरबदल' करार दिया है। चीनी मीडिया के सुर शिन्हुआ न्यूज एजेंसी के मुताबिक म्यांमार की सेना ने चुने हुए मंत्रियों को हटाने को कैबिनेट फेरबदल बताया है। वहीं, ग्लोबल टाइम्स ने यहां तक कहा है कि देश के जनरल का सत्ता पर काबिज होना देश के लचर शक्ति ढांचे को अजस्ट करने के लिए किया गया है। ग्लोबल टाइम्स ने एक्सपर्ट्स के हवाले से यहां तक तंज कसा है कि पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप म्यांमार की सेना के इस कदम के लिए प्रेरणा हो सकते हैं। चीन ने म्यांमार में किया है निवेश चीन की ओर से दी जा रहीं प्रतिक्रिया के चलते उसकी भूमिका पर भी सवाल उठने लगे हैं। दरअसल, पिछले महीने ही चीन के राजनयिक वांग यी ने म्यांमार सेना के कमांडर इन चीफ मिन आंग लाइंग से मुलाकात की थी। दरअसल, चीन, म्यांमार का महत्वपूर्ण आर्थिक भागीदार है और उसने यहां खनन, आधारभूत संरचना और गैस पाइपलाइन परियोजनाओं में अरबों डॉलर का निवेश किया है। चीन ने म्यांमार में काफी निवेश किया है। चीन की भूमिका पर सवाल दूसरे देशों की राजनीति में दखल का चीन पर आरोप नया नहीं है। नेपाल की राजनीति में चीन का दखल जाहिर हो चुका है। यहां तक कि देश के अंदर राजनीतिक दलों ने भी इस पर सवाल किया है कि चीन की राजदूत हाओ यान्की राजनीति में जरूरत से ज्यादा हस्तक्षेप क्यों करती हैं। वहीं, हाल ही में पाकिस्तानी सेना के एक जनरल ने दावा किया था कि चीन ने बलूचिस्तान आजादी आंदोलन को खत्म करने के लिए उन्हें पैसे दिए हैं।


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