
पेइचिंग डोनाल्ड ट्रंप की विदाई के बाद अमेरिका के नए राष्ट्रपति बने जो बाइडन पहले ही चीन के साथ मिलकर काम करने का इशारा कर चुके हैं। अब अमेरिका और चीन ने जैसे गंभीर मुद्दे पर एकसाथ मिलकर काम करना शुरू कर दिया है। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने पुष्टि की कि जलवायु परिवर्तन के लिए चीन के विशेष दूत श्येचनह्वा ने अमेरिकी विशेष दूत जॉन केरी के साथ सलाह-मशविरा शुरू किया है। जलवायु परिवर्तन को लेकर गंभी हैं दोनों देश: चीन वांग वेनबिन ने कहा कि श्येचनह्वा के जलवायु परिवर्तन के लिए चीनी विशेष दूत बनने से जाहिर है कि चीन सरकार जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर गंभीर है। चीन और अमेरिका अंतरराष्ट्रीय समुदाय के सहयोग से इस गंभीर समस्या का हल निकालेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि दोनों देश पेरिस समझौते के कड़ाई से लागू करने पर भी ध्यान देंगे, ताकि दुनिया में जलवायु परिवर्तन के मुद्दे से निपटा जा सके। अमेरिका और चीन के संबंध सबसे निचले स्तर पर अमेरिका और चीन के बीच संबंध अभी तक के सबसे खराब स्तर पर हैं। दोनों देश व्यापार, कोरोना वायरस की उत्पत्ति, विवादित दक्षिण चीन सागर में चीन की आक्रामक सैन्य कार्रवाई और मानवाधिकार सहित कई मुद्दों पर आमने-सामने हैं। बौद्धिक संपदा की चोरी को लेकर अमेरिका चीन की कई कंपनियों पर पहले ही प्रतिबंध लगा चुका है। दुनिया का 30 फीसदी कार्बन उत्सर्जन करता है चीन जॉन केरी ने पिछले महीने कहा था कि जलवायु अपने आप में ही एक बड़ा मुद्दा है। अमेरिका को यह ध्यान में रखते हुए इससे निपटना होगा कि विश्व में 30 प्रतिशत उत्सर्जन अकेले चीन ही करता है। अमेरिका 15 प्रतिशत उत्सर्जन करता है। यूरोपीय संघ के साथ मिलकर तीनों करीब 55 प्रतिशत उत्सर्जन करते हैं। इसलिए, आगे बढ़ने के लिए इसे अलग-अलग करने का तरीका खोजने की जरूरत है। हम देखेंगे कि इस पर क्या होता है। चीन के साथ किसी दूसरे मुद्दे पर नहीं होगा समझौता केरी ने संकेत दिया कि राष्ट्रपति जो बाइडन का प्रशासन जलवायु परिवर्तन के मौजूदा मुद्दे पर सहमति बनाने के लिए चीन के साथ बौद्धिक संपदा की चोरी और दक्षिण चीन सागर (एससीएस) जैसे मामलों पर कोई समझौता नहीं करेगा। राष्ट्रपति जो बाइडन चीन से जुड़े अन्य मुद्दों से निपटने की जरूरत को लेकर स्पष्ट हैं। किसी भी मुद्दे को आपस में मिलाया नहीं जाएगा।
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