Myanmar Protest Kyal Sin: म्यांमार की सेना ने बुधवार को अपनी ही जनता के साथ खून की होली खेली और 33 लोगों को मौत के घाट उतार दिया। ये लोग देश में लोकतंत्र को कुचले जाने का विरोध कर रहे थे। इन्हीं में से एक थी 19 साल की एंजेल जिसके बलिदान ने दुनियाभर के लोगों के आंखों में आंसू ला दिया।
चीन की मदद से लोकतंत्र को कुचलने में लगी म्यांमार की सेना का एक वीभत्स चेहरा बुधवार को देखने मिला। सेना ने देशभर में जमकर खून की होली खेली और 33 लोकतंत्र समर्थकों को गोलियों से भून दिया। इससे पहले सेना ने रविवार को 18 लोगों को मौत के घाट उतार दिया था। बुधवार को मांडले में सेना के खिलाफ मोर्चा संभालने वाली 19 साल की एंजेल भी सुरक्षाकर्मियों के गोलियों का शिकार हो गईं। एंजेल अब इस दुनिया में नहीं हैं लेकिन उनकी तस्वीर ने विश्वभर में लोगों को झकझोर कर रख दिया है। एंजेल की इस तस्वीर की तुलना चीन के थ्येनमान स्क्वायर पर टैंक के सामने खड़े उस प्रदर्शनकारी से भी हो रही है जिसने ड्रैगन के क्रूर शासन के खिलाफ विरोध की हिम्मत दिखाई थी। आइए जानते हैं कौन है एंजेल और क्या है उसकी कहानी....
मुझे कुछ हुआ तो देह दान कर देना...सेना ने मारी गोली
मात्र 19 साल की एंजेल ने दशकों बाद म्यांमार में आए लोकतंत्र की खुली हवा में अभी सांस लेना सीखा ही था कि एक बार फिर से सेना ने तख्तापलट करके उनके सपनों को कुचल दिया। सेना के इस धोखे से एंजेल को रहा नहीं गया और उन्होंने लोकतंत्र को बचाए रखने के लिए खुद को प्रदर्शन की आग में झोक दिया। एंजेल ने जब मांडले में प्रदर्शन में हिस्सा लिया तो उन्होंने एक टी शर्ट पहन रखी थी जिस पर लिखा था, 'सबकुछ ठीक हो जाएगा।' एंजेल को आशंका थी कि वह देश की सबसे शक्तिशाली ताकत सेना से टकराने जा रही हैं और उनके साथ कुछ अनहोनी हो सकती है। इसी वजह से एंजेल ने अपनी जेब में एक पर्चा रखा था जिस पर उनका ब्लड ग्रुप, एक संपर्क नंबर लिखा था। साथ ही एक अनुरोध लिखा था। इसमें लिखा था, 'अगर मेरी मौत हो जाए तो मेरे शरीर को दान कर देना।' एंजेल को जिस बात की आशंका थी, वही हुआ। बुधवार को मांडले में म्यांमार के सुरक्षाबल हैवान बन गए और लोकतंत्र को बहाल करने की मांग कर रही एंजेल को गोली मार दी। एंजेल का एक और नाम कायल सिन भी था और सोशल मीडिया पर लोकतंत्र की खातिर उनके बलिदान की जमकर प्रशंसा हो रही है।
एंजेल ने साथियों को बचाते हुए दे दी अपनी जान, 33 की मौत
मांडले में जब पुलिस ने गोली चलाई तो एंजेल ने वहां मौजूद लोगों से बैठने को कहा लेकिन सुरक्षाकर्मियों ने खुद उसके ही सिर पर गोली मार दी। एंजेल ने पिछले साल पहली बार वोट दिया था और उन्हें उम्मीद थी कि उनका वोट उनके जीवन में खुशियां लाएगा। म्यांमार में तख्तापलट के खिलाफ बुधवार को प्रदर्शन के दौरान सुरक्षा बलों की गोलीबारी में कम से कम 33 लोगों की मौत हो गयी। सोशल मीडिया और स्थानीय खबरों में मृतकों की संख्या के बारे में यह जानकारी दी गई है। कई मामलों में मृतकों के नाम, उम्र और शहर का ब्योरा भी दिया गया है। हालांकि स्वतंत्र तौर पर इन खबरों की पुष्टि नहीं हो पायी है। संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यालय ने कहा कि रविवार को सुरक्षाबलों की कार्रवाई में कम से कम 18 प्रदर्शनकारियों की मौत हो गयी। म्यांमार में एक फरवरी को तख्तापलट के बाद से प्रदर्शनकारी लगातार सड़कों पर प्रदर्शन कर रहे हैं। लोग, आंग सान सू ची समेत अन्य नेताओं को रिहा किए जाने की मांग कर रहे हैं। विभिन्न शहरों में प्रदर्शनकारियों पर कार्रवाई के कई वीडियो सामने आए हैं। पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस के गोले और रबड़ की गोलियां छोड़ने के साथ हथियारों का भी इस्तेमाल किया।
चीन और रूस की मदद से बच रहा म्यांमार का 'तानाशाह'
हिंसा बढ़ने के बीच म्यांमार में राजनीतिक संकट के समाधान के लिए कूटनीतिक प्रयास भी किए जा रहे हैं। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में शुक्रवार को म्यांमार के मामले पर बैठक होने की संभावना है। ब्रिटेन ने इस बैठक का अनुरोध किया है। हालांकि, म्यांमार के खिलाफ किसी समन्वित कार्रवाई पर संयुक्त राष्ट्र में सुरक्षा परिषद के दो स्थायी सदस्य चीन और रूस वीटो लगा सकते हैं। कुछ देशों ने म्यांमा पर प्रतिबंध लगाए हैं जबकि कुछ देश प्रतिबंध लगाने पर विचार कर रहे हैं। एक ओर जहां दुनियाभर में म्यांमार की सेना के कदम की निंदा हो रही है, वहीं चीन की भूमिका पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं। दरअसल, तख्तापलट से कुछ समय पहले ही चीन के राजनयिक वांग यी ने म्यांमार सेना के कमांडर इन चीफ मिन आंग लाइंग से मुलाकात की थी। तख्तापलट के बाद चीन की प्रतिक्रिया बहुत ठंडी रही है और वह तो इसे तख्तापलट ही नहीं मान रहा है। चीन सरकार इसे सत्ता का हस्तातंरण बता रही है। चीन ने कहा है कि म्यांमार उसका मित्र और पड़ोसी देश है। हमें उम्मीद है कि म्यामांर में सभी पक्ष संविधान और कानूनी ढांचे के तहत अपने मतभेदों को दूर करेंगे और राजनीतिक और सामाजिक स्थिरता बनाए रखनी चाहिए।' चीन की इस प्रतिक्रिया को शक की नजरों से देखा जा रहा है।
चीन ने किया है काफी निवेश, सेना को बचाने में जुटा
दरअसल, चीन, म्यांमार का महत्वपूर्ण आर्थिक भागीदार है और उसने यहां खनन, आधारभूत संरचना और गैस पाइपलाइन परियोजनाओं में अरबों डॉलर का निवेश किया है। चीन ने म्यांमार में काफी निवेश किया है। पिछले साल राष्ट्रपति शी जिनपिंग जब यहां दौरे पर आए थे तो 33 ज्ञापनों पर दस्तखत किए गए थे जिनमें से 13 इन्फ्रास्टक्चर से जुड़े थे। चीन ने देश की राजनीति में अहम भूमिका निभाई है और पिछली सैन्य तानाशाह सरकार में साथ भी रहा लेकिन आंग सान सू ची के आने के बाद उनके साथ भी चीन के संबंध अच्छे रहे। पहले भी चीन की सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी अधिनायकवादी शासकों का समर्थन करती रही है। हालांकि, म्यांमार में चीनी मूल के अल्पसंख्यक समूहों और पहाड़ी सीमाओं के जरिए मादक पदार्थ के कारोबार के खिलाफ कार्रवाई करने के कारण कई बार रिश्तों में दूरियां भी आई हैं। चीन और म्यांमार के बीच 2,100 किमी की सीमा है और यहां सरकार और अल्पसंख्यक विद्रोही गुटों के बीच संघर्ष चलता रहता है लेकिन चीन की सेना को इस बात की चिंता भी नहीं है कि म्यांमार की उथल-पुथल का असर उसके क्षेत्र में होगा।
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