Monday, 1 March 2021

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SpaceX और Tesla जैसी कंपनियों के मालिक Elon Musk अपने हैरतंगेज आइडियाज के लिए हमेशा मशहूर रहे हैं। इसमें सिर्फ गाड़ियां या अंतरिक्ष की सैर जैसे सपने नहीं, अब इंसानी दिमाग और आर्टिफिशल इंटेलिजेंस को जोड़ने की कोशिश भी शामिल हो चुकी है, जिसे नाम दिया गया है Neuralink जो मस्क की न्यूरल इंटरफेस टेक्नॉलजी कंपनी है। इसकी मदद से एक इंसान के दिमाग में चिप इंसर्ट कर दी जाएगी जो न सिर्फ दिमाग की ऐक्टिविटी को रिकॉर्ड करेगी, उस पर असर भी डाल सकेगी। यूं तो यह हाई-टेक तरीका सुनने में अजीब या गैर-जरूरी भी लग सकता है लेकिन पारकिंसन्स जैसी बीमारी के इलाज में इसका इस्तेमाल काफी अहम साबित हो सकता है।

Elon Musk's Neuralink: एलन मस्क आर्टिफिशल इंटेलिजेंस और इंसानी दिमाग को एक साथ जोड़ना चाहते हैं। इसके लिए उनकी Neuralink तकनीक पर काम किया जा रहा है।


Neuralink: दिमाग के लिए चिप बना रहे हैं Elon Musk, आर्टिफिशल इंटेलिजेंस से इंसानों का मुकाबला

SpaceX और Tesla जैसी कंपनियों के मालिक Elon Musk अपने हैरतंगेज आइडियाज के लिए हमेशा मशहूर रहे हैं। इसमें सिर्फ गाड़ियां या अंतरिक्ष की सैर जैसे सपने नहीं, अब इंसानी दिमाग और आर्टिफिशल इंटेलिजेंस को जोड़ने की कोशिश भी शामिल हो चुकी है, जिसे नाम दिया गया है Neuralink जो मस्क की न्यूरल इंटरफेस टेक्नॉलजी कंपनी है। इसकी मदद से एक इंसान के दिमाग में चिप इंसर्ट कर दी जाएगी जो न सिर्फ दिमाग की ऐक्टिविटी को रिकॉर्ड करेगी, उस पर असर भी डाल सकेगी। यूं तो यह हाई-टेक तरीका सुनने में अजीब या गैर-जरूरी भी लग सकता है लेकिन पारकिंसन्स जैसी बीमारी के इलाज में इसका इस्तेमाल काफी अहम साबित हो सकता है।



मस्क क्यों बना रहे हैं यह तकनीक?
मस्क क्यों बना रहे हैं यह तकनीक?

दिलचस्प बात यह है कि मस्क का मानना है कि डिजिटल सुपरइंटेलिजेंस से इंसान कहीं हार न जाएं, इसलिए पहले से इसकी तैयारी करनी चाहिए। उन्होंने 2019 में लेक्स फ्रिडमैन के पॉडकास्ट में बताया था कि हम कभी डिजिटल सुपरकंप्यूटर से ज्यादा स्मार्ट नहीं हो सकेंगे। इसलिए अगर हम उन्हें हरा नहीं सकते तो उनके साथ मिल जाना चाहिए। Neuralink असल में क्या करेगी, इसे लेकर मस्क ने कई बड़े-बड़े संकेत दिए हैं। उन्होंने कहा कि टीवी सीरीज ब्लैक मिरर की तरह वह यादें सेव करके दोबारा प्ले कर सकेगी या टेलिपैथी से कार बुला सकेगी। इसके आलावा पैरैलेसिस या दिव्यांगता के साथ जी रहे लोगों के लिए भी मददगार साबित हो सकती है।



मस्क पर नहीं है भरोसा?
मस्क पर नहीं है भरोसा?

इन दावों को सच मानना एक्सपर्ट्स के लिए फिलहाल मुश्किल है। सितंबर 2020 में बिजनस इंसाइडर को यूनिवर्सिटी ऑफ न्यूकासल के न्यूरोसाइंटिस्ट प्रफेसर ऐंड्रू जैकसन ने बताया था कि यह तकनीक मुमकिन हो सकती है लेकिन उसके पीछे न्यूरोसाइंस ठोस नहीं है। वहीं, ऐंड्रू हायर्स ने इस आइडिया को मस्क की काल्पनिक दुनिया बताया है। हालांकि, उनका कहना है कि इसके रोबॉट में एक फीचर है जिससे इंसान के दिमाग में मूवमेंट के हिसाब से चिप को दिमाग में लगाने का काम अजस्ट कर लेता है। दिमाग में सांस लेने और धड़कनों के साथ मूवमेंट होता है। साइंटिस्ट इस तकनीक में इस्तेमाल की जा रही इंजिनियरिंग से तो खुश हैं लेकिन इसके पीछे की न्यूरोसाइंस को वे चमत्कार नहीं मानते हैं।



कैसे काम करेगी तकनीक?
कैसे काम करेगी तकनीक?

Neuralink दो उपकरण तैयार कर रही है। पहली सिक्के के आकार की एक चिप है जिसे इंसान के सिर में लगाया जाएगा। इससे बालों से भी पतले तार निकलेंगे जिनमें लगे 1024 इलेक्ट्रोड दिमाग के अलग-अलग हिस्सों तक जाएंगे। इनसे मिला डेटा चिप के जरिए कंप्यूटर्स तक जाएगा जहां रिसर्चर्स इसे स्टडी करेंगे। इस चिप के अलावा एक रोबॉट होगा जो एक सुई की मदद से Neuralink चिप से निकलने वाले तार इंसान के दिमाग में सिलेगा। मस्क का कहना है कि यह प्रक्रिया LASIC सर्जरी जितना आसान होगा। जनवरी में एक सूअर के अंदर इस चिप का डेमो भी दिया गया। यह दो महीने से इसके दिमाग में लगी थी। मस्क ने कुछ वक्त पहले यह भी बताया था कि एक बंदर के दिमाग में यह चिप लगी है और उस पर इसका असर भी है।





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