Exoplanet Gliese 486b: वैज्ञानिकों को एक ऐसा ग्रह मिला है जो लाल बौने सितारे Gliese 486 का चक्कर काट रहा है। इसकी सतह का तापमान 428 डिग्री सेल्सियस है जो Venus से थोड़ा ही कम है।
वैज्ञानिकों को एक नया 'सुपर-अर्थ' जैसा ग्रह मिला है जिसके वायुमंडल में एलियन जीवन की संभावना की उम्मीद जगी है। इस ग्रह पर सतह का तापमान शुक्र ग्रह (Venus) से थोड़ा कम है। मैक्स-प्लैंक इंस्टिट्यूट के ऐस्ट्रोनॉमर्स ने 26 प्रकाश वर्ष दूर लाल बौने सितारे का चक्कर काटते हुए इस ग्रह को खोजा है। Gliese 486b नाम के इस ग्रह का रेडियस धरती से 1.3 गुना ज्यादा है लेकिन द्रव्यमान 2.8 गुना ज्यादा है। इस ग्रह को एक खास तरीके से खोजा गया है। इस स्टडी के नतीजे साइंस जर्नल में प्रकाशित हुए हैं और ऐस्ट्रोनॉमर्स ने उम्मीद जताई है कि और ज्यादा स्टडी से यहां जीवन की मौजूदगी से जुड़े सवालों के जवाब खोज लिए जाएंगे।
क्या मिला?
खोज करने वाली टीम के मुताबिक इस ग्रह की लोहे-सिलिकेट की बनावट धरती जैसी है लेकिन इसका तापमान कहीं ज्यादा है। इसकी सतह का तापमान 428 डिग्री सेल्सियस है जबकि शुक्र की सतह का तापमान 450 डिग्री सेल्सियस से भी ज्यादा होता है। बावजूद इसके यह पूरी तरह लावा में तब्दील नहीं हुआ है लेकिन लावा बहता जरूर है। ऐस्ट्रोनॉमर्स का कहना है कि यह जानने के लिए अभी और स्टडी की जरूरत है कि क्या इस ग्रह पर वायुमंडल है और क्या यहां जीवन मुमकिन है? वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि यहां जीवन हो सकता है लेकिन किस प्रकार का, यह कहना मुश्किल है।
कैसे की गई खोज?
ज्यादातर exoplanet (ऐसे ग्रह जो हमारे सौर मंडल से बाहर किसी और सितारे का चक्कर काट रहे हैं) दो तरीकों से खोजे जाते हैं- ट्रांजिट फोटोमेट्री और डॉपलर रेडियल वेलॉसिटी। ट्रांसिट फोटोमेट्री में ग्रह के सामने से निकलने पर सितारे की चमक में आए बदलाव को देखा जाता है। डॉपलर फोटोमेट्री में चक्कर काट रहे ग्रह के गुरुत्वाकर्षण का सितारे पर असर देखा जाता है। Gliese 486b की खोज के लिए ट्राइफन ट्राइफनोव और उनके साथियों ने दोनों तरीकों का इस्तेमाल किया है जिससे ग्रह के द्रव्यमान, रेडियस और घनत्व के बारे में पता चल सका है। स्पेक्ट्रोस्कोपी की मदद से इसमें मौजूद केमिकल्स और बायोमेकर्स को खोजा जा सकता है जिससे जीवन की संभावना का पता चल सके।
धरती और सुपर-अर्थ के बीच
Gliese 486b अपने सितारे Gliese 486 का एक चक्कर 1.467 दिन में काटता है। ऐस्ट्रोनॉमर्स का मानना है कि इसका घनत्व धरती जैसा है। इसलिए हो सकता है कि इसकी लोहे-सिलिकेट की बनावट हमारे जैसी हो। रिसर्चर्स ने अपने पेपर में बताया है कि इसका द्रव्यमान और रेडियस इसे धरती और 'सुपर-अर्थ' ग्रहों के बीच में रखता है। इसके घनत्व से यह भी अंदाजा लगाया गया है कि इस पर पानी कम है और जमीन ज्यादा। इसकी चमक इतनी तेज है कि इसे धरती पर कहीं से भी टेलिस्कोप्स की मदद से देखा जा सकता है। ऐसे में इसके बारे में और ज्यादा जानकारी जुटाना आसान हो सकता है।
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